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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 22, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।

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महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।

  • देश के लिए योग
  • आजादी के लिए निभाया कर्तव्य

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।

1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

mahatma gandhi quotes

Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः

  • “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
  • “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  • “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
  • “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
  • “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
  • “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
  • “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
  • “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।” 
  • “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”

Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

mahatma gandhi essay in hindi

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

mahatma gandhi essay in hindi

सत्य और सत्याग्रह

गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।

हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 

गांधीवादी अर्थशास्त्र

गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।

बौद्ध, जैन और सिख

गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।

मुस्लिम 

गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।

गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।

गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।

अस्पृश्यता और जातियां

गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 

नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा

गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया। 

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सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

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हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन जिया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है।

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)

गांधी जी के आदर्श (gandhi’s principles):, गांधी के नेतृत्व में अभियान, महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi).

महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे और उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।

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चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों और उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।

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बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।

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महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतियों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।

आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।

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गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।

बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)

कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।

खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।

छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।

धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।

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सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर

यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट

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आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।

महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
  • महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
  • महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
  • महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
  • ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
  • महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
  • महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
  • महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।

हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।

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Ethical Hacker

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GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

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The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

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Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

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Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

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Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

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An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

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A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

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Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

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A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

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Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

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Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

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Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे

Mahatma Gandhi essay in Hindi

Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।

गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।

महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में  उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi

प्रस्तावना.

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।

गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।

महात्मा गांधी का जीवन

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।

1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।

इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।

उपसंहार

महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।

गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।

गांधी जी का परिवार

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।

गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।

गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।

महात्मा गांधी की शिक्षा

गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।

दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता

जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।

स्वदेश आगमन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।

गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।

महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।

महात्मा गांधी जी की शिक्षा

महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।

गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।

गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।

महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा

सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।

गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।

अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।

गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।

1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।

2. खेड़ा आंदोलन

एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।

3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन

अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।

उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।

4. असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।

5. नमक सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।

6. दलित आंदोलन

महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।

7. भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।

इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।

महान बलिदान

भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।

30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।

महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।

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महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

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महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.

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Hindiinhindi Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।

उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।

एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।

गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।

महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words

जन्म और परिवार

गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध

इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।

जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।

उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’

मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –

1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना

तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।

सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।

1915 ई. में रौलेट एक्ट

आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।

1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ

1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।

नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा

11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।

गाँधी जी की तीन शिक्षाएं

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।

संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।

प्रेरणा स्रोत

आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।

हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words

महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।

स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।

गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।

गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥

भूमिका –

किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –

वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”

जीवन परिचय –

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।

तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।

सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –

भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।

विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।

असाम्प्रदायिक –

असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।

महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –

“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”

आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

  • 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
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दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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Mahatma Gandhi Essay in hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

Mahatma Gandhi Essay in hindi

Mahatma Gandhi Essay in hindi – महात्मा गांधी पर निबंध : जैसा कि पोस्ट के टाइटल से ही स्पष्ट हो जाता है कि आज हम महात्मा गांधी जी के बारे मे बात करने वाले हैं। आज की इस पोस्ट में हम महात्मा गांधी के बारे में हर प्रकार के निबंध जैसे “महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 150 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 250 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 400 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में”, महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में प्रदान करेंगे जिससे की सभी कक्षाओं के Students उनके अनुसार निबंध लिख सके।

तो चलिए शुरू करते है बिना किसी देरी के Essay in hindi on mahatma gandhi.

महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in Hindi – Set 1

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था
  • वह करमचंद गांधी और पुतलीबाई के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • गांधी की शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई थी।
  • 1887 में, वे कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
  • 1891 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने बंबई में कानून का अभ्यास शुरू किया।
  • 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए।
  • दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, वे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय प्रवासियों के संघर्ष में शामिल हो गए।
  • उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध, या सत्याग्रह के दर्शन को विकसित किया, जिसका उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत प्रभाव डाला।
  • 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू उग्रवादी द्वारा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

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महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines – Set 2

  • महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी को मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है
  • उनका जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उनके माता-पिता करमचंद गांधी और पुतलीबाई थे।
  • उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था।
  • उन्हें भारत के पिता के रूप में जाना जाता है।
  • उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
  • उन्हें भारत का सबसे महान नेता माना जाता है।
  • उन्हें उनकी शांति और प्यार के लिए याद किया जाता है।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 100 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश नियंत्रण से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत लौटने से पहले उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की। 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, महात्मा गांधी जी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय डायस्पोरा के संघर्ष में शामिल हुए। उन्होंने विरोध और हड़तालों का आयोजन किया, और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पहली भारतीय राजनीतिक संस्था, नेटाल इंडियन कांग्रेस की भी स्थापना की।

वर्ष 1915 में, गांधी जी भारत लौट आए और जल्द ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया और उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार भी किया। गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के तरीके 1947 में भारतीय स्वतंत्रता जीतने में सफल रहे।

गांधी जी की हत्या 1948 में एक हिन्दू ने की थी। उनकी विरासत अभी भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती है। उन्हें समकालीन भारत का संस्थापक माना जाता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 150 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनकी जन्मतिथि को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे।

जब महात्मा गांधी जी 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ था, और उनके 4 पुत्र हुए। महात्मा गांधी जी नागरिक अधिकार प्राप्त करने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चले। वह बहुत विनम्र और विनम्र व्यक्ति थे। वह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के महान नेता बने।

उन्होंने 1891 में लंदन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और भारत वापस आ गए। गांधी जी एक भारतीय वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और एक महान राजनीतिक नेता थे। गांधी जी ने सत्याग्रह, दांडी के लिए नमक मार्च किया। सत्याग्रह अहिंसक प्रतिरोध या नागरिक प्रतिरोध का एक रूप है जो सत्य की शक्ति पर जोर देता है। 1930 में 12 मार्च से 6 अप्रैल तक सत्याग्रह चला। 30 जनवरी 1948 की तारीख को उनका निधन हो गया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 300 Words

2 अक्टूबर, 1869, महात्मा गांधी जी का जन्म भारत के पोरबंदर में हुआ था, उनके पिता का नाम करम चंद गांधी जी था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी जी था। इनकी माता का नाम पुतली बाई था। राजकोट में स्कूल जाने से पहले, महात्मा गांधी जी पोरबंदर में पढ़े थे। महात्मा ने कभी झूठ नहीं बोला, तब भी नहीं जब वे युवा थे। 18 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।

13 साल की उम्र में कस्तूरबा और मोहन दास की शादी हो गई। गांधी जी कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए और अंततः बैरिस्टर के रूप में स्नातक हुए। इंग्लैंड में भी, उन्होंने काफी सीधा जीवन व्यतीत किया। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद वे भारत लौट आए।

गांधी जी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। एक कानूनी लड़ाई के दौरान, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। उन्होंने स्थानीय मूल अमेरिकियों की स्थिति का अवलोकन किया। गोरे लोगों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उन्हें विशिष्ट स्थानों, क्लबों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाने के साथ-साथ रेलमार्गों पर प्रथम श्रेणी में यात्रा करने से मना किया गया था। एक बार प्रथम श्रेणी में ट्रेन में सवार होने के दौरान गांधी जी पर हमला किया गया था और उन्हें गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया था। अहिंसा और सत्याग्रह आंदोलन तब महात्मा द्वारा सभी भारतीयों को एक साथ लाने के प्रयास में शुरू किया गया था। आंदोलन ने तेजी से गति पकड़ी।

गांधी जी अपने देश लौटने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने यहां अहिंसा और असहयोग आंदोलनों की भी शुरुआत की। उन्होंने भारत के हर हिस्से का दौरा किया। वंचितों की स्थितियों को देखने के लिए, उन्होंने पूरे भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दौरा किया।

रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी जी द्वारा जलियाँ-वाला-बाग में गोलीबारी और सत्याग्रह आंदोलन दोनों शुरू किए गए थे। कई विपत्तियों के बाद, अधिनियम बनाया गया था। नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। आखिरकार गांधी जी ने हमें आजादी दिलाई। 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। “राष्ट्रपिता” की उपाधि उन्हें दी गई है। नाथूराम गोडसे, एक कट्टरपंथी हिंदू, ने दुर्भाग्य से 30 जनवरी, 1948 को गांधी जीजी को गोली मार दी।

महात्मा गांधी पर निबंध 400-500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 400 – 500 Words

महात्मा गांधी जी को भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, वे एक प्रतिष्ठित नेता, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए उनका अहिंसक संघर्ष दुनिया भर में शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन गया। यहां हम महात्मा गांधी जी के जीवन, शिक्षाओं और विरासत पर 400 शब्दों में महात्मा गांधी निबंध प्रदान कर रहे हैं, जो अहिंसा के माध्यम से प्रेरक परिवर्तन में उनकी भूमिका पर जोर देते हैं।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन:

2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे, मोहनदास करमचंद गांधी जी का पालन-पोषण एक पारंपरिक हिंदू परिवार में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने पहली बार भारतीय समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव का अनुभव किया। इन अनुभवों ने अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को हवा दी।

अहिंसक प्रतिरोध:

महात्मा गांधी जी राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करते थे। उनका दर्शन, जिसे सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है, शांतिपूर्ण प्रतिरोध के पीछे ड्राइविंग बलों के रूप में सत्य, प्रेम और करुणा की वकालत करता है। गांधी जी के सिद्धांतों ने हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त समाज बनाने के उद्देश्य से व्यक्तियों और समुदायों के नैतिक और आध्यात्मिक जागरण पर जोर दिया।

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा (Salt March and Civil Disobedience):

गांधी जी के सविनय अवज्ञा के सबसे प्रसिद्ध कृत्यों में से एक नमक मार्च था, जो 1930 में हुआ था। नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के विरोध में, गांधी जी ने अनुयायियों के एक समूह का नेतृत्व करते हुए अरब सागर की 240 मील की यात्रा की, जहां उन्होंने समुद्री जल को वाष्पित करके अपना नमक बनाया। इस अधिनियम ने ब्रिटिश नमक कानूनों का उल्लंघन किया और भारतीय आबादी को प्रेरित किया, ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक सविनय अवज्ञा को प्रेरित किया।

भारतीय स्वतंत्रता के चैंपियन:

स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता को लामबंद करने में गांधी जी का नेतृत्व और अथक प्रयास महत्वपूर्ण थे। अहिंसक प्रतिरोध की अपनी रणनीति के माध्यम से, उन्होंने धर्म, जाति और वर्ग की बाधाओं को पार करते हुए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट किया। गांधी जी की न्याय और समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और ब्रिटिश कब्जे का शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत और वैश्विक प्रभाव:

महात्मा गांधी जी की विरासत भारत की सीमाओं से बहुत आगे तक फैली हुई है। उनके दर्शन और अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों ने कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रभावित किया और मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और आंग सान सू की जैसे नेताओं को प्रेरित किया। अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और मानवाधिकारों पर गांधी जी की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई हैं और दुनिया भर में सामाजिक न्याय और शांति के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और आंदोलनों को प्रेरित करती हैं।

संघर्ष और विभाजन से चिह्नित दुनिया में, महात्मा गांधी जी के अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के सिद्धांत एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करते हैं। सत्य, न्याय और समानता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। अपने निःस्वार्थ कार्यों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि हिंसा का सहारा लिए बिना वास्तविक परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 1000 Words.

महात्मा गांधी जी, भारतीय इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति हैं, वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन को आकार देने और अहिंसा, शांति और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण थे। यहां हम 1000 शब्दों में महात्मा गांधी जी पर एक निबंध की खोज करेंगे। हम उनकी शिक्षाओं के महत्व, नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण और पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली उनकी स्थायी विरासत के बारे में जानेंगे।

महात्मा गांधी जी कौन थे?

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा.

मोहनदास करमचंद गांधी जी, जिन्हें आमतौर पर महात्मा गांधी जी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक समर्पित हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में लंदन, इंग्लैंड में कानून का अध्ययन किया। गांधी जी के पालन-पोषण और शिक्षा ने उनके विश्वदृष्टि को आकार देने और ईमानदारी, करुणा और न्याय के मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रभाव और परिवर्तनकारी अनुभव

इंग्लैंड में रहने के दौरान, गांधी जी को विभिन्न अनुभवों का सामना करना पड़ा जिसने उनके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जिससे सभी प्रकार के अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता जगी। इसके अतिरिक्त, गांधी जी ने लियो टॉल्स्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियों से भी प्रेरणा ली, जिनकी अहिंसा और सविनय अवज्ञा में विश्वास ने उन पर एक स्थायी प्रभाव डाला।

महात्मा गांधी जी के आदर्श और शिक्षाएं

अहिंसा: अहिंसा एक हथियार के रूप में.

महात्मा गांधी जी के दर्शन का केंद्र अहिंसा या अहिंसा का सिद्धांत था। उनका मानना था कि हिंसा केवल अधिक हिंसा को जन्म देती है और यह कि सच्चा परिवर्तन केवल शांतिपूर्ण तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है। गांधी जी की अहिंसा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता औपनिवेशिक शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई में एक शक्तिशाली उपकरण बन गई। प्रत्येक मनुष्य के निहित मूल्य और गरिमा में उनके विश्वास ने उनकी शिक्षाओं की नींव रखी।

सत्याग्रह: सत्य की शक्ति

सत्याग्रह, जिसका अर्थ है “सत्य बल” या “आत्मा बल”, गांधी जी की शिक्षाओं का एक और मूलभूत पहलू था। उन्होंने अन्याय का सामना करने और चुनौती देने के लिए अहिंसक प्रतिरोध के उपयोग की वकालत की। सत्याग्रह में निष्क्रिय प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और अपने विश्वासों के लिए पीड़ित होने की इच्छा शामिल थी। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके, गांधी जी का उद्देश्य समाज के नैतिक विवेक को जगाना और अत्याचारियों को अपने तरीके बदलने के लिए मजबूर करना था।

स्वराजः स्वशासन और स्वतंत्रता

महात्मा गांधी जी स्वराज की अवधारणा में दृढ़ता से विश्वास करते थे, जिसका अनुवाद “स्व-शासन” या “स्व-शासन” के रूप में किया जाता है। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां व्यक्तियों के पास खुद पर शासन करने की शक्ति हो, जो बाहरी प्रभुत्व से मुक्त हो। गांधी जी की स्वराज की दृष्टि राजनीतिक स्वतंत्रता से परे थी; उन्होंने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर आत्म-अनुशासन, आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया। गांधी जी के लिए स्वराज केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सभी के कल्याण और सशक्तिकरण को शामिल करता था।

सर्वोदय : सबका कल्याण

सर्वोदय, जिसका अर्थ है “सभी का उत्थान,” महात्मा गांधी जी द्वारा प्रतिपादित एक अवधारणा थी। उनका मानना था कि सच्ची प्रगति और विकास तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समाज के सबसे कमजोर सदस्यों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाए। गांधी जी ने गरीबी, भेदभाव और असमानता के मुद्दों को संबोधित करते हुए सामाजिक और आर्थिक समानता की वकालत की। प्रत्येक व्यक्ति की भलाई और गरिमा पर उनका जोर एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महात्मा गांधी की नेतृत्व शैली

उदाहरण द्वारा लीड करें: वाकिंग द टॉक.

उदाहरण के लिए नेतृत्व करने की महात्मा गांधी जी की क्षमता उनके सबसे उत्कृष्ट नेतृत्व गुणों में से एक थी। उनका मानना था कि नेताओं को उन मूल्यों को धारण करना चाहिए जिनका वे समर्थन करते हैं और जो वे उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करना चाहिए। सादगी, विनम्रता और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता सहित गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन शैली विकल्पों ने उनके अनुयायियों के लिए एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में कार्य किया। अपने सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीकर, गांधी जी ने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और केवल शब्दों के बजाय अपने कार्यों के माध्यम से नेतृत्व किया।

समावेशी नेतृत्वः वंचितों का सशक्तिकरण

गांधी जी के नेतृत्व में समावेशिता और समाज के हाशिए के वर्गों को सशक्त बनाने पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने उस समय भारतीय समाज में प्रचलित पदानुक्रम और सामाजिक विभाजन को खत्म करने की मांग की। गांधी जी ने स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की लड़ाई में जाति, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को सक्रिय रूप से शामिल किया। हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज देकर, गांधी जी ने मौजूदा सत्ता संरचनाओं को चुनौती दी और एक अधिक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया।

सुनना और संवाद: संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना

अहिंसक समाधानों की अपनी खोज में, गांधी जी ने बातचीत को सुनने और उसमें शामिल होने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि सच्ची समझ केवल सम्मानजनक संचार और सक्रिय श्रवण से ही उभर सकती है। गांधी जी ने शांतिपूर्ण वार्ताओं को प्रोत्साहित किया और महत्वपूर्ण असहमतियों के बावजूद भी आम जमीन तलाशने की कोशिश की। संवाद और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देकर, उन्होंने स्थायी परिवर्तन लाने में कूटनीति और अनुनय की शक्ति का प्रदर्शन किया।

महात्मा गांधी जी और भारत की आजादी

नमक मार्चः सविनय अवज्ञा का प्रतीक.

भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी जी की लड़ाई में सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक नमक मार्च था, जिसे दांडी मार्च भी कहा जाता है। 1930 में, गांधी जी और अनुयायियों के एक समूह ने तटीय शहर दांडी की 240 मील की यात्रा शुरू की। उनका उद्देश्य समुद्री जल से नमक का उत्पादन करके ब्रिटिश नमक एकाधिकार को चुनौती देना था। सविनय अवज्ञा के इस कृत्य ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ गई। नमक मार्च औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अवज्ञा का प्रतीक बन गया और लाखों भारतीयों के बीच प्रतिरोध की भावना को प्रज्वलित कर दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन: राष्ट्र को एक करना

1942 में, महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आग्रह किया। इस सामूहिक सविनय अवज्ञा अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाना था। इस आंदोलन ने लाखों भारतीयों को हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों और असहयोग के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा। जबकि ब्रिटिश अधिकारियों ने बलपूर्वक जवाब दिया, गांधी जी और अन्य नेताओं को कैद कर लिया, भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय लोगों के अटूट दृढ़ संकल्प और एकता को प्रदर्शित किया।

विभाजन और गांधी जी की सद्भावना की वकालत

1947 में भारत का विभाजन, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ, एक अत्यंत विभाजनकारी और दुखद घटना थी। बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के बीच, महात्मा गांधी जी ने शांति, सद्भाव और धार्मिक एकता की अथक वकालत की। उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और हिंसा को रोकने के लिए उपवास किया और प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि हिंदू और मुसलमान एक साझा समाज में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं और सक्रिय रूप से सुलह और समझ की दिशा में काम किया। अपार चुनौतियों के बावजूद, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

दुनिया पर महात्मा गांधी जी का प्रभाव

नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरणा.

महात्मा गांधी जी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के सिद्धांतों ने दुनिया भर में कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और म्यांमार में आंग सान सू की जैसे नेताओं ने गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के तरीकों से प्रेरणा ली। गांधी जी की विरासत नस्लीय भेदभाव, रंगभेद और दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ने वालों के लिए एक मार्गदर्शक बन गई। उनकी शिक्षाएँ न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए प्रयासरत व्यक्तियों और आंदोलनों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती हैं।

वैश्विक नेताओं पर प्रभाव

महात्मा गांधी जी का प्रभाव आंदोलनों से परे फैला और वैश्विक नेतृत्व के उच्चतम सोपानों तक पहुंचा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं ने गांधी जी को एक आदर्श माना और उनके सिद्धांतों का अनुकरण करने की मांग की। गांधी जी के आदर्शों ने नेल्सन मंडेला जैसी विश्व विभूतियों को प्रभावित किया, जिन्होंने अहिंसा को परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में देखा। उनके शांतिपूर्ण प्रतिरोध के दर्शन और नैतिक नेतृत्व पर उनके जोर ने विभिन्न महाद्वीपों और पीढ़ियों के नेताओं की सोच और कार्यों को आकार दिया है।

आधुनिक दुनिया में विरासत

महात्मा गांधी जी की विरासत आज भी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक है। अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय पर उनका जोर संघर्ष और असमानता से चिह्नित युग में बहुत महत्व रखता है। गांधी जी की शिक्षाएं व्यक्तियों को शांतिपूर्ण तरीकों से अन्याय का सामना करने, सहानुभूति को बढ़ावा देने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की उनकी दृष्टि प्रेम, करुणा और नैतिक साहस की परिवर्तनकारी शक्ति की निरंतर याद दिलाती है।

महात्मा गांधी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गाँव में हुआ था।

महात्मा गांधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा ‘ करो या मरो’  का नारा दिया गया था।

महात्मा गांधी का निधन कब हुआ?

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन किए थे?

महात्मा गांधी ने 6 प्रमुख आंदोलन किए थे?

1. चंपारण आंदोलन (1917) 2. खेड़ा आंदोलन (1918) 3. खिलाफत आंदोलन (1919) 4. असहयोग आंदोलन (1920) 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

महात्मा गांधी की मृत्यु किसने की थी?

महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे (नाथूराम गोडसे) ने गोली मार कर की थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु कहाँ हुई थी?

महात्मा गांधी की मृत्यु नई दिल्ली में स्थित बिरला हाउस में हुई थी जिसे अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है

महात्मा गांधी की मां का क्या नाम था?

महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

  • हिन्द स्वराज
  • प्रकृति इलाज
  • ग्राम स्वराज
  • गीता का संदेश
  • सच्चाई भगवान है
  • कानून और वकील
  • मेरे सपनों का भारत
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
  • सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता
  • पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है?

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें अपने आदर्शों और सर्वोच बलिदानों के साथ स्वतंत्रता भारत की वास्तविक छाया राखी है।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू किसने कहा था?

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू चंपारण के राजकुमार शुक्ला ने कहा था। जो की एक किसान थे। अंग्रेजों के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ बापूजी के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। बापू को चंपारण बुलाने में सबसे बड़ा योगदान चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला का माना जाता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi: महात्मा गांधी या मोहनदास गांधी एक भारतीय किंवदंती थे, जिन्होंने देश को सुधारने के लिए अपना लगभग हर योगदान दिया और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में योगदान दिया। कई लोग महात्मा गांधी को कई मायनों में देखते हैं, गांधी को एक देशभक्त, एक स्वतंत्रता सेनानी, एक सुधारक, एक नायक के रूप में और क्या नहीं। उन्होंने न केवल देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए बाध्य किया। यहां महात्मा गांधी के बारे में लंबा निबंध दिया गया है, जिसमें उनके कुछ जीवन की घटनाओं का उल्लेख नीचे किया गया है।

लंबा निबंध – एक महान व्यक्ति का जीवन: महात्मा गांधी – Long And Short speech On Mahatma Gandhi  in Hindi

1500 शब्द निबंध.

आजादी के समय तक महात्मा गांधी इतने लोकप्रिय हो चुके थे कि कई लोग आंखें बंद करके उन पर विश्वास करते थे। आज हम जो देखते हैं, भारत में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। अंग्रेजों के खिलाफ स्थिति से निपटने के लिए महात्मा गांधी की सबसे आम विचारधाराएं सत्य या सत्य और अहिंसा या अहिंसा थीं।

हालाँकि, महान व्यक्ति के कुछ विवाद और मुद्दे थे जो समय-समय पर उजागर होते हैं। भारत पाकिस्तान विभाजन और भगत सिंह की बचत जैसे मुद्दे बहुत आम हैं। उनके सबसे बड़े आलोचकों में से एक विंस्टन चर्चिल थे, जो यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री थे।

शिक्षा और पृष्ठभूमि

2 . को महात्मा गांधी का जन्म हुआ था रा अक्टूबर, 1869 में पोरबंदर गुजरात में करमचंद गांधी और पुतली बाई को। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उन्होंने 1887 में अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। 13 साल की उम्र में गांधी ने कस्तूरबा गांधी से शादी की, जो गांधी से एक साल की थीं।

अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए समालदास आर्ट्स कॉलेज चले गए। वर्ष में उन्होंने अपने पिता और अपने पहले बच्चे की मृत्यु देखी। बाद में, गांधी ने कानून का अध्ययन करने के लिए लंदन जाने का फैसला किया। वे लॉ की पढ़ाई करने के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन गए। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन लंदन विश्वविद्यालय का एक हिस्सा था। 22 साल की उम्र में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद, गांधी बैरिस्टर के रूप में भारत लौट आए और भारत में अभ्यास करने की कोशिश की।

बाद में, उन्होंने दादा अब्दुल्ला से संपर्क किया जो एक व्यापारी थे और दक्षिण अफ्रीका में उनका व्यवसाय था। दादा अब्दुल्ला ने उन्हें अपने चचेरे भाई के लिए दक्षिण अफ्रीका में लड़ने के लिए £105 का भुगतान करने की पेशकश की, जिसे बाद में मोहनदास गांधी ने स्वीकार कर लिया।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी की भूमिका

1893 में, महात्मा गांधी कानून का अभ्यास करने का अवसर मिलने के बाद एक साल के अनुबंध पर दक्षिण अफ्रीका के लिए प्रस्थान कर गए। उन्होंने पाया कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ उनकी जातीयता के आधार पर भेदभाव किया जाता था।

गांधी ने 7 जून, 1893 को सविनय अवज्ञा का पहला कार्य किया। 1894 में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ उनके अहिंसक अभियान के दौरान हजारों दक्षिण अफ्रीकी सरकार के विरोध में उनके साथ शामिल हुए।

सितंबर 1906 में, महात्मा गांधी ने ट्रांसवाल एशियाई अध्यादेश के खिलाफ अपना पहला अहिंसक सत्याग्रह अभियान चलाया। ब्लैक एक्ट वह अगली चीज़ थी जिसके खिलाफ उन्होंने जून 1907 में एक सत्याग्रह के साथ अभियान चलाया। 1913 में गांधी द्वारा गैर-ईसाई विवाहों को खारिज कर दिया गया था। उनके नेतृत्व में एक सत्याग्रह आंदोलन ट्रांसवाल में आयोजित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय नाबालिगों की दुर्दशा हुई। उन्नीसवीं सदी के अंत में, उन्होंने ट्रांसवाल सीमा के पार लगभग 2,000 भारतीयों का नेतृत्व किया। गांधी वर्ष 1915 में भारत वापस लौटे और सभी ने उनका एक नायक के रूप में स्वागत किया। उन्हें बॉम्बे में कैसर-ए-हिंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उन्हें भारत सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया था।

भारतीय स्वतंत्रता में भूमिका

भारत की स्वतंत्रता में महात्मा गांधी की भूमिका निराशा और उसी क्षेत्र में मेल नहीं खा सकती है। दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति से दूर रहकर अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। नए संवैधानिक सुधार आयोग में, कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था, जिसे सर जॉन साइमन के अधीन ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित किया गया था।

दिसंबर 1928 में कलकत्ता में एक कांग्रेस सत्र में गांधीजी ने भाग लिया, जिन्होंने प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस को भारतीय साम्राज्य को शक्ति प्रदान करनी चाहिए या ऐसा न करने के बजाय पूरे देश की स्वतंत्रता के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करना चाहिए। 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक, गांधी नमक आंदोलन की याद में अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक 400 किलोमीटर (248 मील) दौड़े, ताकि वे स्वयं नमक का उत्पादन कर सकें।

पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने का लक्ष्य व्यक्तिगत, आध्यात्मिक और राजनीतिक स्वतंत्रता की ओर था, जिसे स्वराज कहा गया। असहयोग, अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिशोध के माध्यम से गांधी द्वारा अंग्रेजों को हराया गया था। जलियांवाला, या अमृतसर, नरसंहार के परिणामस्वरूप, जो पंजाब में भारतीयों के खिलाफ अंग्रेजी सैनिकों द्वारा किया गया था, जनता के गुस्से और हिंसा का एक बड़ा सौदा था। फिर उन्होंने अपने भावनात्मक भाषण का इस्तेमाल अपने सिद्धांत की वकालत करने के लिए किया कि सभी हिंसा और बुराई को उचित नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन यह वह नरसंहार और हिंसा थी जिसके बाद गांधी ने भारत सरकार और उसके द्वारा नियंत्रित संस्थानों पर अपना दिमाग लगाया।

असहयोग को दूर-दूर तक उत्साह और समाज के सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी मिली। गांधी को गिरफ्तार किया गया 10 मार्च, 1922 को, गांधी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल की कैद और जेल की सजा सुनाई गई। आंदोलन के हिंसक मोड़ लेने के डर को ध्यान में रखते हुए और यह सोचकर कि यह उसके सारे काम को तोड़ देगा, गांधीजी ने व्यापक असहयोग के इस आंदोलन को वापस ले लिया। फिर जैसे ही यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंचा, फरवरी 1922 में उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा में भयानक घृणा के रूप में इसका अंत हो गया।

उनके अहिंसक मंच में विदेशी वस्तुओं, विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार भी शामिल था, जिसे गांधी ने स्वदेशी कहा था। गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के पुरुषों और महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में खादी के लिए रोजाना सूत कातने के लिए कहा। ब्रिटिश शैक्षणिक संस्थानों और अदालतों का बहिष्कार करने के अलावा, गांधीजी ने सरकारी पदों को छोड़ने और सरकार से प्राप्त सम्मान और सम्मान को वापस करने का भी अनुरोध किया।

दिसंबर 1921 में गांधी पार्टी के भीतर अनुशासन में सुधार के लिए गठित एक पदानुक्रमित समिति के सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने लोगों के लिए स्वराज हासिल करने के लक्ष्य के साथ पार्टी का नेतृत्व किया।

स्वतंत्रता के दौरान सुधार

सुधार महात्मा गांधी के मुख्य अंग थे, उन्हें सबसे बड़ा सुधारक माना जाता था और उनमें से कुछ गांधी द्वारा नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • खेड़ा और चंपारण सत्याग्रह

1918 के सत्याग्रह आंदोलन के दौरान, गांधी ने चंपारण और खेड़ा दोनों आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की जो गांधी के कई अनुयायियों और नए स्वयंसेवकों के लिए एक सभा स्थल के रूप में कार्य करता था। खेड़ा में अंग्रेजों के साथ चर्चा के परिणामस्वरूप, सरदार पटेल ने सभी कैदियों को राजस्व संग्रह से मुक्त करने में किसानों का नेतृत्व किया। गांधी की बिना शर्त रिहाई का आग्रह करते हुए जेलों, पुलिस स्टेशनों और न्यायालयों के बाहर प्रदर्शन और रैलियों में हजारों लोगों ने भाग लिया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप गांधीजी को जनता ने बापू, पिता और महात्मा (महान आत्मा) के रूप में संबोधित किया।

एक नए संविधान के तहत, दलित नेता डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के चुनाव अभियान के परिणामस्वरूप, सरकार ने 1932 में अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की अनुमति दी। सितंबर 1932 में, गांधीजी ने इसके विरोध में छह दिनों के लिए उपवास किया, जिसके कारण अंततः सरकार को दलित राजनेता पलवंकर बालू द्वारा प्रस्तावित मध्यस्थता के समान कार्यक्रम का उपयोग करना पड़ा। एक प्रमुख नेता बने रहने के बावजूद, दलित उनके नए अभियान से नाखुश थे। गांधी द्वारा हरिजन शब्द का प्रयोग कि, दलित सामाजिक रूप से अपरिपक्व हैं और विशेषाधिकार प्राप्त जाति के भारतीयों ने पितृसत्ता के रूप में काम किया है, बाबासाहेब अम्बेडकर के लिए गहरा अपमानजनक था। गांधीजी के कारण दलित भी अपने राजनीतिक अधिकारों को कम कर रहे थे।

30 . की तारीख को वां जनवरी 1948, जब वह दिल्ली के बिड़ला हाउस में एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने वाले थे, तो नाथूराम गोडसे ने बहुत कम दूरी से उनके सीने में 3 गोलियां दागीं। इन शॉट्स के कारण महात्मा गांधी ने 78 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। गांधी की मृत्यु की खबर तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने दी थी। बाद में, नाथूराम गोडसे को वर्ष 1949 में मौत की सजा सुनाई गई थी।

लगभग कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपने जीवन के दौरान और अपनी मृत्यु के बाद भी विवादों का सामना करना पड़ा। महात्मा गांधी भी उनमें से एक थे। यहां दो घटनाएं हैं जो इंटरनेट पर प्रमुखता से तैरती हैं।

शहीद भगत सिंह को फांसी क्यों दी गई, इसे लेकर देश में अलग-अलग मत हैं। कुछ के अनुसार गांधीजी चाहते तो भगत सिंह की फांसी को रोक सकते थे। उसे रोकने की लाख कोशिशों के बावजूद फांसी जारी रही। कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने 23 मार्च 1928 को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी को रोकने के लिए कहा था।

भारत और पाकिस्तान के विभाजन का समर्थन करने वाले गांधी के रूप में सोशल मीडिया पर अक्सर एक बयान को गलत समझा जाता है। 5 अप्रैल 1947 को, गांधी ने लॉर्ड माउंटबेटन को लिखा कि जिन्ना भारत के प्रधान मंत्री बन सकते हैं, लेकिन भारत को विभाजित नहीं किया जाना चाहिए। लॉर्ड माउंटबेटन ने कांग्रेस नेताओं को दो देश बनाने के लिए राजी किया। इसके बारे में जिन्ना को बाद में पता चला। गांधी गांधी को हिंदुओं के नेता के रूप में देखते थे, भारतीयों के नहीं। जिन्ना अपनी मांग पर अड़े रहे। यह विभाजन था जिसने भारत की स्वतंत्रता को गति दी। गांधी ने भारत की स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए किसी भी समारोह में भाग नहीं लिया। वह कभी भी विभाजन के पक्ष में नहीं थे – लेकिन विभाजन की आवश्यकता कुछ परिस्थितियों के कारण हुई।

गांधी एक महान व्यक्ति थे और उन्होंने हमें अपने जीवन के अंत तक अपने कर्मों से सिखाया। गांधी ने एक सादा जीवन जिया और अपने बहुत सारे निशान छोड़े। हालाँकि उनका जन्म एक अच्छे परिवार में हुआ था और उन्हें अच्छी जानकारी थी लेकिन उन्होंने बहुत ही सरल तरीके से रहना चुना। उनका हमेशा से मानना ​​था कि राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब देश के अंतिम व्यक्ति को सुविधाएं प्रदान की जाएं। गांधी केवल एक व्यक्ति नहीं थे वे एक प्रेरणा थे और हमें जीवन से अच्छा करना सीखना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.1 अल्फ्रेड हाई स्कूल का नया नाम क्या है?

उत्तर। अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

Q.2 गांधीजी की किस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी?

उत्तर। शाम 5.17 बजे गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गई

Q.3 किस स्वतंत्रता सेनानी ने गांधीजी को बापू के नाम से संबोधित किया?

उत्तर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से संबोधित किया।

Q.4 नाथूराम गोडसे ने किस बंदूक का इस्तेमाल किया था?

उत्तर। बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्टल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने किया था।

Q.5 महात्मा गांधी को भारत रत्न या नोबेल पुरस्कार क्यों नहीं मिला?

उत्तर। ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़े

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध

essay on mahatma gandhi in hindi

  • Post author By Admin
  • January 8, 2022

Mahatma Gandhi जी का नाम कौन नहीं जानता, राष्ट्रहित में उन्होंने जो कार्य किए है, उसके लिए उनका जितना शुक्रियादा किया जाए उतना कम है। 

राष्ट्र के लिए किए गए उनके कार्यो के लिए उन्हें देश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। 

जिस तरह के उनके विचार थे वह पुरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में एक मिसाल कायम कर चुके है। 

उनको हमारे बीच से गए हुए लगभग 70 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी वह अपने विचारो के ज़रिये हमारे बीच उपस्थित है। 

स्कूलों में आज भी उनके जीवन के बारे में बताया जाता है, ताकि बच्चे उनके जीवन से शिक्षा ले सकें और एक अच्छे इंसान बन सकें। 

आज भी गूगल पर बहुत अधिक बार Essay on Mahatma Gandhi in Hindi सर्च होता है, लोग इनके बारे में जानने को इच्छुक रहते है। 

महात्मा गाँधी जी एक बहुत ही महान शख्सियत थे, इसलिए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी लम्बे समय तक उन्हें याद रखें इसलिए स्कूलों में Mahatma Gandhi nibandh लिखवाए जाते है। 

लेकिन कईं लोग ऐसे है, जिन्हे Mahatma Gandhi जी पर निबंध लिखना नहीं आता और जो की हमें अच्छा नहीं लगता। 

इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपके साथ Mahatma Gandhi जी के ऊपर लिखे कुछ निबंध शेयर करेंगे,

जिस से आपको Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गाँधी पर निबंध) को लिखने के लिए ओर मदद मिल सके। 

साथ में हम आपको पूरी डिटेल में यह भी बताएँगे की Mahatma Gandhi Essay in Hindi या महात्मा गांधी जी के ऊपर आप खुद निबंध कैसे लिख सकते हो। 

Table of Contents

How to Write Essay on Mahatma Gandhi in Hindi?

यदि आप Mahatma Gandhi जी के बारे में केवल निबंध पढ़ना चाहते है तो आप ब्लॉग में थोड़ा नीचे स्क्रॉल कर के पढ़ सकते है।  

लेकिन यदि आप सीखना चाहते है की how to write essay on Mahatma Gandhi in hindi तो आप हमारे साथ ऐसे ही बने रहे -:

तो आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi कुछ इस प्रकार लिख सकते हो -:

  • आप पहले यह तय कर ले की आप जो Mahatma Gandhi par nibandh लिख रहे हो, वह निबंध कितने शब्दों का होना चाहिए। 
  • शब्द पहले ही तय कर लेने से आप यह जान पाओगे की आपको महात्मा गाँधी जी के जीवन के बारे में कितनी डिटेल में लिखना है। 
  • निबंध लिखते समय आप सबसे पहले इंट्रोडक्शन में महात्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी सी जानकरी दे, जैसे की हमनें इस ब्लॉग की शरुआत में आपको महत्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी जानकारी दी। 
  • उसके बाद आपको महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखना है, आप इसमें उनके माता पिता के बारे में भी जानकरी दे सकते है। 
  • उनके जन्म के बारे में बताने के बाद आप उनकी शिक्षा के बारे में बताए। 
  • फिर आप उसके बाद देश के लिए जो योगदान दिए है, उनको बहुत अच्छे से डिटेल में लिखे।
  • उसके बाद उनकी मृत्यु के बारे में लिख कर, अपने निबंध का एक निष्कर्ष लिख दे। 
  • निष्कर्ष में आप वह बातें लिख सकते है जो की हमें गाँधी जी के जीवन से सीखने के लिए मिलती है। 

आप इन पॉइंट्स का इस्तेमाल कर के महात्मा गाँधी जी पर Essay लिख सकते है, नीचे हम डिटेल में बात करेंगे की आप Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिख सकते है। 

महात्मा गांधी जी का जन्म

यदि आप essay on mahatma gandhi in hindi लिख रहे हो, तो आपको सबसे पहले तो आपको उनके जन्म के बारे में पता होना चाहिए। 

क्यूंकि आप चाहे कितने ही शब्दों का निबंध लिख रहे हो, आप को सबसे पहले तो महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में ही लिखना होगा। 

Mahatma Gandhi जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था, जहाँ इनका जन्म हुआ था उस जगह का नाम है पोरबंदर, यह गुजरात में स्थित है। 

आप कुछ इस तरिके से इनके जन्म के बारे में अपने निबंध में लिख सकते है, यदि आपको एक लम्बा निबंध लिखना है तो आप इसमें कुछ ओर बातें भी लिख सकते है,

जैसे की हर साल 2 अक्टूबर को इनके जन्मदिन के उपलक्ष में पुरे देश में गाँधी जयंती मनाई जाती है, जिस दिन पुरे देश में राष्टीय छुट्टी होती है। 

इसके आलावा आप इनके पुरे नाम को निबंध में लिख सकते है, इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था। 

महात्मा गांधी जी के माता पिता

mahatma gandhi father and mother

महात्मा गाँधी जी के जन्म को लिखने के बाद, आप उनके माता पिता के बारे में लिखे। 

आप कम शब्दों में ऐसे लिख सकते है की महात्मा गाँधी जी के पिता जी का नाम करमचंद गाँधी था और माता जी का नाम पुतलीबाई था। 

यदि आप एक कम शब्दों का निबंध लिख रहे है तो आप केवल उनके माता पिता का नाम लिख दे 

और यदि आप को अधिक शब्दों का निबंध लिखना है तो आप उनके माता पिता के बारे में भी थोड़ी जानकरी दे सकते है। 

जैसे की उनके पिता पोरबंदर में दीवान का कार्य किया करते थे और उनकी माता एक धार्मिक स्री थी, आप उनके बारे में ऐसे ही और जानकारी दे सकते है। 

इस से आपका निबंध काफी डिटेल्ड होगा और आप एक अच्छा और लम्बा निबंध लिख पाओगे। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : बचपन

उनके जन्म और उनके माता पिता के बारे में लिखने के बाद आप उनके बचपन के बारे में लिख सकते हो। 

यदि आप कम शब्दों जैसे की 100 शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप उनके बचपन के बारे में चाहे मत लिखिएगा। 

उसकी जगह आप उनके देश के प्रति जो योगदान है, उन पर अधिक ध्यान दीजियेगा। 

लेकिन यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप उनके बचपन के बारे में अवश्य लिखिए,

आप बताये की गाँधी जी बचपन में कैसे इंसान थे, उन्हें क्या करना पसंद था, यह आपके निबंध को बहुत ही अच्छा कर देगा। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : जीवन

यह आपके निबंध essay on mahatma gandhi in hindi का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, यहाँ आपको महात्मा गाँधी जी के पुरे जीवन के बारे में लिखना है। 

उनके परिवार में कौन कौन था, उन्होंने शिक्षा क्या प्राप्त की थी, वह अपने जीवन में किस से प्रेरणा लेते थे,

उन्होंने देश के लिए क्या क्या योगदान दिए, इत्यादि उनके जीवन के बारे में आप बहुत कुछ लिख सकते है। 

यह आपके निबंध का सबसे महत्वपूर्ण भाग है तो आप इसको बहुत ध्यान से लिखें। 

यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी, आप उनके जीवन के बारे में बहुत डिटेल में जानकारी दे सकते हो। 

लेकिन यदि आप एक कम शब्दों का भी निबंध लिख रहे, तो भी आप पूरी कोशिश करें की आप उनके जीवन के बारे में जितनी बातें आपके निबंध में लिख सकते है,

उतनी बातें आप अपने निबंध में लिखे, बेशक आपको उन बातों को एक – एक लाइन में क्यों ना लिखना पड़े। 

एक अच्छा निबंध वही होता है जो की उसके टॉपिक के अनुसार अच्छी से अच्छी जानकरी प्रदान कर सके। 

तो जब आप महात्मा गाँधी जी के ऊपर निबंध लिख रहे है तो आप को यह पूरी कोशिश करनी चाहिए की उनके बारे में अधिक से अधिक जानकरी आप प्रदान कर सकें। 

इसलिए आप उनके जीवन के ऊपर विशेष ध्यान दे और अपने निबंध को शुरू से ही इस तरीके से लिखें की आप कम शब्दों में भी उनके जीवन के बारे में अधिक से अधिक बता सको। 

महात्मा गांधी जी की मृत्यु 

अब हम essay on Mahatma Gandhi in Hindi के आखिर में पहुँच चुके है, आप अपने निबंध के आखिर में उनकी मृत्यु कब हुई थी यह लिखे। 

महात्मा गाँधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी, जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। 

यदि आप कम शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप के बार में ना लिखे। 

इसकी जगह आप उनके जीवन की कोई ऐसी बात लिखे जो की सबको प्रेरणा दे। 

इसके बाद आप अपने निबंध में निष्कर्ष डाल सकते हो, निष्कर्ष में आप यह लिख सकते है की उनके जीवन से हमें क्या क्या सीखने को मिलता है। 

हमें महात्मा गाँधी जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने के मिलता है, वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिस से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। 

100 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिखना है, यह आप अच्छे से जान पाओ इसलिए हम यहाँ महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में शेयर कर रहे है। 

हमें आशा है की आपको इस से निबंध लिखने में मदद मिलेगी, यदि आप 100 से अधिक शब्दों का निबंध लिखना चाहते है तो आप चिंता मत कीजिये,

नीचे हमनें इस से अधिक शब्दों के लेख भी शेयर किए है। 

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। गाँधी जी ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत अधिक कार्य किए है। वह हिंसा के खिलाफ थे और लोगो को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे, उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत सारे आंदोलन किए थे। देश को आजादी दिलाने के लिए उनके किए गए कार्यो की वजह से उन्हें देश का राष्टपिता कहा जाता है। गांधी जी बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करना पसंद करते थे, वह जो धोती पहनते थे, उसके लिए सूत वह स्वंय चरखा चला कर कातते थे। 

300 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 

यह रहा 300 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले महात्मा गाँधी जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन वह उनके विचारो के ज़रिये आज भी हमारे साथ है। महात्मा गाँधी जी एक ऐसी शख्शियत थे, जिनके जीवन से हर कोई प्रेरणा ले सकता है। उनके द्वारा किए गए अनगिनत प्रयत्नो का हमारी आजादी में एक अहम योगदान है। 

श्री महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में हुआ था। इनके पिता श्री करमचंद गाँधी जी पोरबंदर में ही एक दीवान का कार्य करते थे और उनकी माता जी पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी, उनकी माता जी सदैव प्रभु आस्था में लीं रहती थी, उनके माता जी के विचारो का गाँधी जी पर गहरा प्रभाव था। गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की छोटी उम्र में ही कस्तूरबा जी से करवा दिया गया था। 

महत्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था, कईं लोग उन्हें उस समय मंदबुद्धि भी कहा करते थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और बाद में उन्होंने राजकोट से हाई स्कूल पास किया। मैट्रिक की पढ़ाई के लिए इनके पिता जी ने इन्हे अहमदाबाद भेज दिया। महात्मा गाँधी जी ने अपनी वकालत की पढाई लन्दन से पूरी की। वह चाहते तो एक वकील के तौर पर एक सुकून का जीवन यापन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने देश हित में अपना जीवन यापन करने की ठानी। 

शिक्षा के क्षेत्र में गाँधी जी का अहम योगदान है, वह शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” कहा करते थे, वह यह चाहते थे की भारत का हर एक नागरिक गरीब हो या अमीर हर किसी को शिक्षा प्राप्त हो। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष की आयु के हर एक बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। गाँधी जी ने देश के लिए बहुत सारी चीज़े की, वह एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे, जहाँ किसी का भी शोषण ना हो। 

500 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

यह रहा 500 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

जिन लोगों ने देश की आज़ादी की नींव रखी थी, उनमें से एक शख्श का नाम था महात्मा गाँधी जी। महात्मा गाँधी जी ने हमारे देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत ही प्रयत्न किए। जहाँ एक तरफ पुरे देश में आज़ादी के लिए आग भड़क रही थी, वहीँ दूसरी तरफ गाँधी जी अहिंसा के मार्ग को अपना कर लोगो को सही रास्ता दिखा रहे थे। उन्होंने हमें सिखाया की हिंसा से ज्यादा ताक़तवर शांति का मार्ग होता है। 

गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गाँधी और पुतलीबाई के घर हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी पोरबंदर में एक दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक औरत थी। उनकी माता जी हमेशा प्रभु की भक्ति करने में लीन रहती थी, उनकी माता के गुणों का गाँधी जी के ऊपर बहुत प्रभाव था। 

गाँधी जी का विवाह 13 साल की बहुत छोटी उम्र में ही हो कस्तूरबा जी से हुआ था, महत्मा गाँधी जी के 4 बेटे थे Harilal Gandhi, Manilal Gandhi, Ramdas Gandhi और Devdas Gandhi। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता और महात्मा गाँधी जी के पिता दोनों आपस में काफी अच्छे दोस्त थे। कस्तूरबा जी महात्मा गाँधी जी के हर आंदोलन में उनका साथ देती थी। 

महात्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था। इन्होने अपनी शुरू की शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और हाई स्कूल की परीक्षा राजकोट से पूरी की। फिर वह अपने वकालत की पढाई को पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने अपनी वकालत की पढाई 1891 में पूरी की, उसके बाद वह अपने किसी क़ानूनी केस की वजह से साउथ अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने रंग के ऊपर होते भेद भाव को देखा जो की उन्हें बहुत बुरा लगा, वहां से उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी। महात्मा गाँधी जी कहीं भी कुछ गलत होता हुआ नहीं देख पाते थे और हमेशा अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ को उठाते थे। 

साउथ अफ्रीका से भारत वापिस आने के बाद उन्होंने भारत से ब्रिटिश राज को हटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। वह एक ऐसे भारत को देखना चाहते थे, जहाँ पर हर एक नागरिक को समान अधिकार मिले, जहाँ कोई किसी के अधीन ना हो। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कईं आंदोलन किए, अपने इन आंदोलन की वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण में किसानो के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी आवाज़ उठाई। गाँधी जी ने साउथ अफ्रीका में काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी आंदोलन किए और वहां भी लोगो को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। 

गाँधी जी ने भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए 1920 में सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1930 में असहोयग आंदोलन किया। उन्होंने ने अपने इन आंदोलनो की मदद से अंग्रेजो को ललकारा, जिस वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने देश के हित के लिए बहुत कार्य किए। 

30 जनवरी 1948, यह वह दुखद दिन था, जब यह महान शख्सियत हमें छोड़ कर चली गयी। नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने इस दिन गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी। 

गांधी जी की विचारधारा

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi कैसे लिखे, यह जानने के बाद आपको गांधी जी की विचारधारा से भी परिचित होना चाहिए। ताकि आप महात्मा गांधी पर निबंध लिखते समय उनकी विचारधारा का भी प्रयोग कर सके। गांधी जी की विचारधारा विशेषतः नैतिकता, सामाजिक न्याय, आपसी सद्भावना, स्वच्छता, धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म पर आधारित थी। उनकी विचारधारा न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने में मदद की, बल्कि विश्वभर के लोगों के दिलों में एकता, शांति और न्याय के लिए उनकी प्रेरणा का स्रोत बनी। यहां हम गांधी जी की मुख्य विचारधारा को विस्तार से देखेंगे:-

सामाजिक न्याय और उदारता

गांधी जी ने सामाजिक न्याय और उदारता के महत्व को मान्यता दी। उनका मानना था कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को जीवन में समानता और न्याय मिलना चाहिए। वह निष्ठा से लड़ने और जीने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते थे।

आपसी सद्भावना और एकता

गांधी जी ने आपसी सद्भावना और एकता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। उन्हें धार्मिक, जातिगत और सामाजिक भेदभाव बिल्कुल पसंद नहीं था। वह सबको एक ही मानवीयता के दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देते थे।

गांधी जी ने स्वच्छता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण तत्व माना। वह मानते थे कि स्वच्छता न केवल शरीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक और मौलिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। स्वच्छता को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानकर वह दूसरों को भी इसके महत्व को समझाने का प्रयास करते थे।

धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव

गांधी जी ने धर्मनिरपेक्षता को अपनी विचारधारा का मूल माना। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और सभी मानवों को आपस में भाईचारे के साथ जीने का संदेश दिया। वे अलगाव के बजाय एकता की बात करते थे और लोगों को सभी धर्मों के प्रति समझदारी और समरसता की ओर प्रोत्साहित करते थे।

तो यह था आज का ब्लॉग essay on mahatma gandhi in hindi के बारे में। 

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया की कैसे आप महात्मा गाँधी जी पर निबंध लिख सकते है। 

वैसे तो हमनें आपको इस ब्लॉग  में 3 निबंध लिख कर भी दिए है, आप उन्हें भी अपने अनुसार प्रयोग कर सकते है। 

लेकिन हम तो आपको यही राय देंगे की आप इनसे केवल एक आईडिया ले और हमारे बताये तरीके से खुद एक निबंध लिखे। 

हमें उम्मीद है की आपको आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा, ऐसे ही और ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट coursementor के साथ जुड़ें रहे। 

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महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखे हिंदी में?

महात्मा गाँधी पर आप इस तरीके से  निबंध लिख सकते हो -:

1. इंट्रोडक्शन लिखिए। 

2. महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखें

3. उनकी शिक्षा के बारे में लिखें 

4. उनके जीवन के बारे में लिखें

5. देशहित में उनके योगदानों के बारे में लिखें

6. उनकी मृत्यु के बारे में लिखें

7. निष्कर्ष लिखें।

गाँधीजी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उसकी क्या करती थीं?

गाँधी जी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उनकी बहुत सेवा किया करती थी। वह एक बहुत ही धार्मिक औरत थी, वह अपना अधिकतर समय प्रभु भक्ति और अपने परिवार की सेवा में लगा देती थी। 

  • Tags essay on mahatma gandhi in hindi , mahatma gandhi nibandh

mahatma gandhi essay hindi mein

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Rashtrapita Mahatma Gandhi Essay In Hindi)

आज के इस लेख में हम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी   पर निबंध (Essay On Mahatma Gandhi In Hindi) लिखेंगे। राष्ट्रपिता  महात्मा गाँधी पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हमारे देश के लिए काफी बलिदान दिए। महात्मा गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमारे भारत देश को आजादी दिलाई। आज हम इसी महान इंसान पर लेख लिखने जा रहे हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Mahatma Gandhi In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) भगवान राम, भगवान कृष्ण, यशु और अशोका की तरह ही सपना रखते थे। वह इन की तरह ही सोच रखते थे। बीसवीं सदी में ऐसा कोई भी नहीं था जो महात्मा गांधी जी के व्यक्तित्व की तुलना कर सकें।

इस धरती पर जितने भी दिग्गज आये थे वह किसी मकसद से आए थे। उसी तेरह गांधीजी भी एक मकसद लेकर इस धरती पर आए थे। और वह मकसद था भारत को स्वतंत्रता दिलाना।

यह बहुत ही दुख भरी बात है कि महात्मा गांधी जिन्होंने हमें गुलामी से छुटकारा दिया। उन्हें ही इन गौरव के दिनों का आनंद लेने का अवसर नहीं मिला।

उनका जो सपना था कि भारत एक मजबूत और एकत्रित राष्ट्र बनेगा वह उनके जीते जी पूरा नहीं हुआ। क्योंकि गांधीजी ज्यादा समय के लिए हमारे साथ इस दुनिया में नहीं रहे। जिससे वह भारत को प्रगति के राह पर आगे बढ़ते हुए नहीं देख पाए।

महात्मा गांधी इनका व्यक्तित्व इतना तेजस्वि था की ना बल्कि वह अमीर लोगों को आकर्षित करते थे बल्कि वह गरीबों को भी प्रेरित करते थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि महात्मा गांधी हजारों व्यक्तित्व वाले इंसान थे। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर १८६९ में हुआ था। महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ था।

महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। करमचंद गांधी यह पोरबंदर के चीफ मिनिस्टर थे। वह पूरी तरह से योग्य इंसान नहीं थे। लेकिन वह दिल्ली के लिए अच्छे प्रशासक थे। करमचंद गांधी जी को उनके काम बहुत ही अच्छी तरीके से आते थे।

गांधी जी के मां का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी की मां बहुत ज्यादा धार्मिक महिला थी जिनोह्णे गांधी जी को काफी प्रभावित किया था। यह गांधी जी की मां की पवित्रता और सत्यता थी जिसने उन्हें गलत बातों को त्यागना और उसका विरोध करना सिखाया।

वह खुद से उनके किए गए गलतियों को मान लेते थे। गांधी जी को वैष्णो धर्म और जैन धर्म के सिद्धातो पर लाया गया था। यह दोनों धर्म अहिंसा और किसी भी जीवित व्यक्ति या प्राणियों को चोट ना पहुंचाने के सिद्धांतों का समर्थन करते थे।

महात्मा गांधी जी विद्यालय में एक औसत विद्यार्थी थे। हर सामान्य बच्चे की तरह उनके पास बचपन और किशोर भाग जाने का अपना हिस्सा था। मगर महात्मा गांधी ने ऐसे अपराधों को कभी ना करने का संकल्प कर लिया था और उन्होंने खुद को सुधारने की कोशिश की।

महात्मा गांधी जी की शादी जब वह 13 वर्ष के थे तभी कस्तूरबा जी के साथ हो गई थी। सन १८८७ मैं वह सिर्फ मैट्रिक खत्म कर पाए थे। उन्होंने अपनी मेट्रिक “यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई” से की थी। इसके बाद वह समलदस कॉलेज जोकि भावनगर में है उसमें शामिल हो गए।

महात्मा गांधी अपने कॉलेज में बिल्कुल खुश नहीं थे। क्योंकि उन्हें गुजराती की जगह इंग्लिश लेनी पड़ी। इसलिए जब महात्मा गांधी जी के परिवार ने उन्हें कानून की शिक्षा का अध्ययन करने के लिए लंदन जाने को कहा तो उसे वह मना नहीं कर पाए।

उसके बाद उन्होंने सितंबर १८८८ में कवियों की भूमि के लिए रवाना हुए। उसके बाद उन्होंने लंदन के 4 लॉ कॉलेजों मे से एक कॉलेज इनर temple में प्रवेश लिया। उन्होंने जोर देकर इंग्लिश और latin तो ले ली लेकिन उन्हें वेस्टर्न सोसाइटी में समायोजित होने में काफी मुश्किल हुई।

खास करके उन्हें शाकाहारी होने की वजह से वेस्टर्न सोसाइटी में रहने मे दिक्कत आयी। लेकिन महात्मा गांधी वहां पर एडवर्ड कारपेंटर, G. B. Shaw, Annie Besant जैसे लोगों से मिले, जो उनके व्यक्तित्व को आकार देने में सहायक थे और उन्हें भारत में स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया करते थे।

जब महात्मा गांधी इंग्लैंड में थे उस वक्त उनकी मां का देहांत हो गया था। जब वह जुलाई १८९१ में भारत लौटे थे, तब उन्होंने उनकी प्रैक्टिस मुंबई में शुरू करने की कोशिश की थी। लेकिन वह उस में असफल रहे।

उसके बाद महात्मा गांधी राजकोट में आ गए वहां उन्होंने याचिकाओं के लिए मसौदा तयार करने का काम शुरु किया।

यही वह वक्त था जब उन्हें अवसर मिला साउथ अफ्रीका जाने का। उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाने का मौका एक भारतीय कंपनी से 1 साल के अनुबंध से मिला था जोकि नेटल दक्षिण अफ्रीका में आधारित था।

यहां पर उन्होंने देखा कि कैसे अलग-अलग रंगों के लोगों के साथ वाइट गवर्नमेंट अमानवीय व्यवहार करते थे। एक बार जब वह प्रीटोरिया के लिए सफर कर रहे थे। तो उन्हें रेलवे के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में से उनके सामान के साथ बाहर निकाल दिया गया। और इसका कारण था कि उन्होंने यह हिम्मत की थी कि गोरे लोगों के लिए जो कंपार्टमेंट रिजर्व था उस पर उन्होंने कब्जा करने का साहस किया था।

महात्मा गांधी जी को इस हादसे ने अमानवीय कार्यों के खिलाफ नेतृत्व करने और अन्याय के खिलाफ बोलने और लड़ने के लिए संकल्पित किया। महात्मा गांधी जी ने लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में बताने की बहुत कोशिश की मगर उन्हें बीच में ही इंडिया वापस आना पड़ा। क्योंकि उनका 1 साल का कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका था। उनका कॉन्ट्रैक्ट जून 1894 में खत्म हुआ था।

गांधी जी ने लोगों को नेटल विधानसभा में पेश किए जाने वाले बिल के खिलाफ प्रदर्शन करने को कहा। यह बिल भारतीयों को वोट देने के अधिकार से वंचित रखने के लिए था।

उस वक्त लोगों ने गांधीजी में एक नेता को देखा। इसलिए उन्होंने उनसे वापस रहने के लिए कहा। गांधीजी को राजनीति में कभी कोई दिलचस्पी नहीं थी और वह पब्लिक में लोगों के सामने बात करने से भी डरते थे।

लेकिन जुलाई १८९४ में लोगों ने उन्हें एक सक्रिय राजनीतिक प्रचारक के रूप में देखा। उस वक्त गांधी जी सिर्फ २५ साल के थे। फिर भी वह बिल्कुल पारित होने से नहीं रोक पाए। गांधीजी बहुत सारा समर्थन जुटाने और उसे व्यवस्थित करने में सक्षम थे और वह नेटल, इंग्लैंड और भारत में प्रेस द्वारा देखा गया था।

उसी वर्ष गांधी जी ने भारतीय समुदाय को एकत्रित करने के लिए नटाल भारतीय कांग्रेस संस्था की स्थापना की। इंग्लिशमैन ऑफ कोलकाता, टाइम्स ऑफ लंदन और स्टेट्समैन नटल भारतीयों के की हुई शिकायतों की आवाज उठाई।

१८०६ में महात्मा गांधी अपनी पत्नी और बच्चों को दक्षिण अफ्रीका ले जाने के लिए भारत लौटे थे। जब वह १८९७ में जनवरी को डरबन वापस आए तब उन पर एक सफेद भीड़ ने हमला कर दिया।

जब दोषियों को दंडित करने का सवाल उठा तो गांधी जी ने गलत कर्ता-धर्ता ओ के खिलाफ कोई भी मुकदमा चलाने से साफ इनकार कर दिया। जब १८९९ मैं दक्षिण अफ्रीका में बोयर युद्ध फैल गया तो उन्होंने स्वयंसेवकों का एक नियाम खड़ा किया। जिस नियान में बैरिस्टर, अकाउंटेंट, कारीगर और मज़दूर शामिल थे।

लेकिन गांधी जी के योगदान को दक्षिण अफ्रीका में यूरोपियन लोगों के द्वारा मान्यता नहीं दी गई थी। ट्रांसवाल सरकार ने उन्नीस सौ छह में एक ऐसा अध्यादेश पेश किया जो कि भारतीय आबादी के लिए विशेष रूप से अपमान जनक था।

उसी वर्ष सितंबर १९०६ में गांधी जी ने जोहान्सबर्ग मैं अध्यादेश के विरोध में एक सामूहिक रैली का आयोजन किया और अध्यादेश को गलत बताते हुए किसी भी सजा को स्वीकार करने की कसम खा ली।

इसी तरह सत्याग्रह का जन्म हुआ।दक्षिण अफ्रीका में उनका यह संघर्ष ७ साल से ज्यादा समय के लिए चलता रहा। भारतीय समुदाय ने भी स्वेच्छा से गांधी जी का समर्थ किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचारों से किये जाने वाले संघर्ष में भाग लेने से रोका नहीं गया।

इस संघर्ष का अंत तब हुआ जब भारत और ब्रिटेन की सरकार ने हस्तक्षेप किया और दक्षिण अफ्रीका सरकार ने एक समझौता स्वीकार किया। गांधी जी ने जो गतिविधियां दक्षिण अफ्रीका में कि उसकी वजह से ना केवल उन्हें भारत में लोग जानने लगे बल्कि अन्य ब्रिटिश उपनिवेशो के लोग भी उन्हें जानते थे।

जब वह १९१५ में भारत लौटे तो उन्हें एक सम्मानित नेता की तरह सराहा गया। भारत के बड़े व्यापारी वर्ग ने भारत में कांग्रेस नामक एक संगठन का गठन किया। उनके पास ब्रिटिश सरकार को याचिका देने के अलावा कोई एजेंडा नहीं था।

दक्षिण अफ्रीका में किए गए सत्याग्रह की वजह से भारत में स्वतंत्रता संग्राम को एक नई गति मिली। जब गांधी जी भारत लौटे तो भारत के नेताओं के साथ ही भारत के लोगों ने भी उनका खुले हाथों से स्वागत किया।

भारतीयों ने गांधी जी को एक ऐसे नेता के रूप में पाया था जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों के ताकत का इस्तेमाल किया। लेकिन गांधीजी का संघर्ष जिस तरह दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। भारत में उससे बिल्कुल अलग था।

भारत के सभी लोग जाति धर्म से बेपरवाह होकर गांधीजी के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। चंपारण, रौलट एक्ट और खिलाफत आंदोलन के साथ, वह पूरे भारत के लोगों को शामिल करने में सक्षम थे और इसी तरह भारत में कांग्रेस के बेजोड़ नेता बन गए।

गांधी जी की उस समय बिलकुल वैसे ही जैसे कृष्ण की महाभारत में थी। बिना किसी हथियार को चलाएं जिस तरह कृष्ण ने पांडवों को जीत दिलाने के लिए कदम रखा था वही स्थिति गांधीजी की थी।

गांधी जी पहले से कांग्रेस का हिस्सा नहीं थे। जब गांधी जी भारत लौटे तो वह सर फिरोजशाह मेहता, लोकमान्य तिलक और गोखले जैसे भारतीय नेताओं से मिले और राष्ट्र का दौरा किया।

उनकी की गई पहली सत्याग्रह क्रांति बिहार के चंपारण में हुई थी। यहा किसानों को अंग्रेजों के लिए इंडिगो की खेती करने के लिए मजबूर किया जाता था। यही वह जगह थी जहां महात्मा गांधी जी की मुलाकात बिहार के प्रमुख नेता जैसे राजेंद्र प्रसाद जी से हुई और उन्होंने गांधी जी को अपना पूरा समर्थन देने का संकल्प भी किया।

अगस्त १९१९ में गांधी जी ने रौलट एक्ट के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया, जिस प्रदर्शन ने बिना किसी मुकदमे के अंग्रेजों को जेल में डाल दिया। गांधीजी ने पूरे देश में एक सत्याग्रह चलाया जिसमें पूरे देश के लोगों ने उनके इस संघर्ष में भाग लिया।

सन १९१९ के वसंत में अमृतसर में जलियांवाला बाग मैं ४००० लोगों की बैठक होने वाली थी।लेकिन उन लोगों को सैनिकों द्वारा निकाल दिया गया था और कहीं लोग मारे गए थे। इस घटना के होने से पूरा देश हिल गया था और फिर गांधीजी ने इस संघर्ष को बंद करने का फैसला किया।

१९२० तक गांधी जी देश के प्रमुख नेता बन गए। गांधीजी का मानना था कि अंग्रेजों द्वारा हम शासित हो रहे हैं इसका कारण हमारी कमजोरी है। उन्होंने सरकारी सेवाओं का बहिष्कार करने के लिए छात्रों को कहा और असहयोग आंदोलन चलाया।

इसकी प्रतिक्रिया बहुत ज्यादा थी। बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां होने के बावजूद भी आंदोलन उठता गया। फरवरी १९२२ में एक हिंसक भीड़ ने चौरी चौरा में एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। जिसकी वजह से २२ पुलिसकर्मी मारे गए थे। यह देखने के बाद गांधीजी ने आंदोलन को बंद करने का फैसला किया।

उन्हें मार्च १९२२ में गिरफ्तार किया गया लेकिन १९२४ में बीमार होने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया था। इस दौरान भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच और असहमति पैदा होने लगी। गांधी जी ने हिंदू और मुसलमान समुदायों को उनकी कट्टरता का त्याग करने के लिए मनाने की कोशिश की।

१९२४ में गांधी जी ने लोगों को उस वक्त अहिंसा के मार्ग पर चलवाने के लिए ३ सप्ताह का उपवास किया। ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन को १९२७ में सुधार आयोग का प्रमुख नियुक्त किया। कांग्रेस और अन्य दलों ने आयोग का बहिष्कार किया क्योंकि इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था।

गांधीजी ने १९२८ में कोलकाता कांग्रेस की बैठक में भारत के लिए राज्य का दर्जा देने की मांग की। गांधीजी ने मार्च १९३० में नमक पर कर लगाने के विरोध में दांडी मार्च शुरू किया। अंग्रेजो के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अहिंसक हड़ताल में ६०००० लोग कैद थे।

१९३१ में लॉर्ड इरविन के साथ बातचीत करने के बाद गांधी जी ने हड़ताल को बंद कर दिया और राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए इंग्लैंड जाने को वह तैयार हो गए। सम्मेलन एक बड़ी निराशा थी क्योंकि यह भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण के मुद्दे की बजाय भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की दुर्दशा पर केंद्रित था।

उसके बाद भारत में वापस से लॉर्ड विलिंगडन ने लॉर्ड इरविन का स्थान लिया। एक ब्रिटिश वायसराय ने गांधीजी के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने की कोशिश की जिसे कैद कर लिया गया।

१९३२ में सितंबर को उन्होंने नए संविधान में अलग-अलग मतदाताओं को आवंटित करके और अछूतो को अलग करने के अंग्रेजों के प्रयास के विरोध में उपवास किया था। उन लोगों के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए गांधीजी ने एक जन अभियान शुरू किया था।

गांधीजी ने उन्हें हरिजन कहा। जिसका मतलब ईश्वर की संतान था। १९३४ में गांधी जी ने कांग्रेस के नेतृत्व और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि उन्होंने महसूस कर लिया था कि सदस्यों ने राजनीतिक कारणों से अहिंसा की नीति अपनाई थी।

उसके बाद गांधीजी मध्य भारत के एक गांव सेवाग्राम में गए और समाज के कमजोर वर्गों के उस्थान पर ध्यान केंद्रित किया।

जब १९३९ में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। तो यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण चरण था। गांधीजी चाहते थे कि अंग्रेज भारत से चले जाए और अंग्रेजों को भारत से हटा दिया जाए।

उसकी लिए गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया जो बहुत बड़ा आंदोलन था। हिंसक प्रकोप हुए और आंदोलन को रोकने का प्रयास भी किया गया।

जब १९४५ में युद्ध खत्म हो गया और ब्रिटेन में हुए चुनाव को लेबर पार्टी ने जीत लिया तो उन्होंने भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला ले लिया। लेकिन मुस्लिम लोग अपने लिए एक अलग राज्य चाहते थे। इसके लिए अगले 2 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी, मुस्लिम लोग और ब्रिटिश सरकार के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हुई।

अगस्त के मध्य में, वार्ता में एक सफलता मिली जब भारत को पाकिस्तान के मुस्लिम राज्य के रूप में विभाजित करने का निर्णय लिया गया। इस विभाजन के साथ दोनों पक्षों में निर्दोष लोगों का सामूहिक पलायन और नरसंहार हुआ था।

इस पर वार्ता शुरू होने से पहले ही बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इन घटनाओं ने महात्मा गांधी जी को बहुत पीड़ा दी। गांधी जी ने खुद को सांप्रदायिक संघर्षों से प्रभावित इलाकों को ठीक करने के काम में डूबा दिया। गांधीजी दिल्ली और कोलकाता में सांप्रदायिक त्रासदी लाने में सक्षम थे। वह प्रार्थना सत्र आयोजित करते थे।

३० जनवरी १९४१ को जब गांधी जी को दिल्ली के बिरला हाउस में प्रार्थना कक्ष में ले जाया जा रहा था। तो उस वक्त एक ऐसी घटना घटी जो बहुत दुखद थी।

जब उन्हें प्रार्थना कक्ष में ले जाया जा रहा था तो उनकी हत्या एक हिंदू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने कर दी। गांधीजी ने अपनी अंतिम सांस हे राम शब्दों के साथ ली। यह ऐसा दिन था जिस दिन शांति, सत्य और अहिंसा का प्रतीक हमेशा के लिए चला गया था।

राज घाट विस्थापित उनका स्मारक आज भी दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है। महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्ति दुनिया में एक ही थे जो अपने आखिरी सांस तक भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चले।

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तो दोस्तों यह थी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की कहानी और महात्मा गाँधी जी पर निबंध, आशा करता हूं कि राष्ट्रपिता  महात्मा गाँधी पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Mahatma Gandhi) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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महात्मा गांधी की जीवनी: Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

Information About Mahatma Gandhi in Hindi:  श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी (महात्मा गांधी) – (02 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948) – महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपको नीचे पढ़ने को मिलेगा।⇓

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता, बापू जी, महात्मा गांधी भी कहा जाता है। पूरे भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी को सुपर फाइटर के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होंने कई आंदोलन किये और जीते भी। इन्हे कौन नहीं जानता? पूरे भारत वर्ष में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हे नहीं जानता होगा। आज के इस लेख में हम बात केवल  महात्मा गांधी की जीवनी की ही नहीं उनसे जुड़ी घटनाओं की भी बात करेंगे।

मैं आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ जिन्हें आपको जानने में बहुत आनंद आयेगा।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

महात्मा गांधी जी भारत के मात्र एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे सम्पूर्ण भारत “बापू जी” के नाम से बुलाता है। बापू जी ने हमेशा एक सदाचार जीवन व्यतीत किया था। महात्मा गांधी जी एक साधारण परिवार में जन्मे थे और उन्होने अपना जीवन अपनी जनता के लिए बिताया। साधारण जीवन जीना बेहद ही मुश्किल होता है और ऐसे साधारण जीवन में बड़े बड़े काम कर देना भी कोई आसान काम नहीं है।

अगर मैं बात करू की गांधी जी ने ऐसा किया क्या जिसकी वजह से भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या उन्हे “बापू जी” के नाम से बुलाते है। तो इसे जानने के लिए सम्पूर्ण लेख पढ़ना होगा। बेहद ही आसान शब्दों में  महात्मा गांधी का जीवन परिचय लिखा गया है कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

About Gandhiji in Hindi ( Short Bio )

महात्मा गांधी जी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर जिला में 02 अक्तूबर 1869 को एक साधारण से परिवार में उनका जन्म हुआ था। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी , कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे। गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन पोषण वैष्णव माता को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी अधिक गहरा प्रभाव रहा। जिसकी वजह से इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्म शुद्धि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था और गांधी जी भी इस नियम को मानते थे।

गांधी जी की शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट , यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन से पूरी हुई। पढ़ाई के बाद वो अपने देश भारत वापस लौट आए। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया। विद्यालय में पढ़ने वाले गांधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया था। अब हम Mahatma Gandhi Ke Bare Mein (महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी) विस्तार से जानते हैं।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi

  • Mahatma Gandhi Speech in Hindi
  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी निबंध

गांधी जी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय पोरबंदर नामक स्थान पर 02 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी जी कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत पोरबंदर के प्रधानमंत्री थे। बाद में वो उनके पिता जी सनातन धर्म की पंसारी जाती से सम्बन्ध रखते थे। वैसे गुजराती भाषा में गांधी का मतलब पंसारी से होता है। इसका मतलब इत्र (perfume) बेचने वाला भी होता है।

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महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई था और वो परनामी वैश्य समुदाय की थी। महात्मा गांधी जी के पिता की पहले तीन पत्नियां थी और प्रसव पीड़ा के कारण उनकी मृत्यु हुई थी जिस कारण करमचंद गांधी जी का चौथा विवाह करना पड़ा था। उनकी माता पहले से ही भगवान की पूजा पाठ में व्यस्त रहती थी तो उनका ये सकारात्मक प्रभाव गांधी जी पर भी पड़ा। जिसकी वजह से गांधी जी हमेशा कमजोरों में ताकत व ऊर्जा की भावना जगाते रहते थे, शाकाहारी खाना, आत्मा की शुद्धि के लिए व्रत भी किया करते थे।

महात्मा गांधी की शिक्षा: Mahatma Gandhi Education in Hindi

बम्बई यूनिवर्सिटी से मेट्रिक 1887 ई में पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। उनका परिवार उन्हें बैरिस्टरी बनाना चाहता था। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लंदन गए जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन ( University College London ) में दाखिला (ADMISSION) लिया।

गांधी जी शुरू से ही शाकाहारी थे और उन्होंने लंदन में भी इस नियम को बनाए रखा। जिस रवैये ने गांधी जी के व्यक्तित्व को लंदन में एक अलग छवि प्रदान की। गांधी जी ने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्व बंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बोध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

About Mahatma Gandhi in Hindi | ( वकालत का आरम्भ )

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस मुंबई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा। परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi Short

महात्मा गांधी जी का विवाह

महात्मा गांधी जी का विवाह कब और किसके साथ हुआ?

सन् 1883 में उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ। उस समय गांधी जी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा मखंजी जी 14 वर्ष की थी। गांधी जी, “कस्तूरबा”  जी को “बा” कह कर बुलाते थे। यह बाल विवाह उनके माता पिता द्वारा तय करा गया था| गाँधी जी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।

महात्मा गांधी के बेटे का नाम क्या था

  • हरिलाल गांधी (1888 ई)
  • मणिलाल गांधी (1892 ई)
  • रामदास गांधी (1897 ई)
  • देवदास गांधी (1900 ई)

विदेश में वकालत व शिक्षा: महात्मा गांधी का जीवन परिचय

4 सितम्बर 1888 ई को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून (law) की शिक्षा ग्रहण करने व बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गये। भारत छोड़ते वक्त जैन भिक्षु बेचारजी की दी गयी।

सिख व अपनी माता को दिए गये वचन की “मास मदिरा” का सेवन न करने को लंदन में काफी सक्षम रखा।

हांलाकि, महात्मा गांधी जी ने लंदन में रह कर वहां की सभी रीति रिवाजों को अपनाया व अनुभव किया। उदाहरण के लिए गांधी जी वहां पर नृत्य कक्षाओं में भी जाया करते थे। मगर फिर भी उन्होंने कभी भी अपनी मकान मालकिन द्वारा बनाये मास एवं पत्ता गोभी को नहीं खाते थे। वे शाकाहारी भोजन खाने के लिए शाकाहारी भोजनालय जाते थे। उनकी माता से उन्हें काफी लगाव था वो अपनी माता की कही बातों पर बहुत अमल करते थे। इसी वजह से उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन को ही अपनाया।

उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता अपनाई और इस कार्यकारी समिति के लिए उनका चयन भी हो गया। जहाँ उन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नीव भी रखी। बाद में उन्होंने संस्थाए भी गठित की तभी उनकी मुलाकात कुछ शकाहारी लोगों से हुई जो थिओसोफिकल सोसाइटी के सदस्य थे। इस सोसाइटी की स्थापना 1875ई विश्व बंधुत्व को प्रबल करने के लिए बनाई गयी थी और बौध धर्म एवं सनातन धर्म के साहित्य के अध्यन के लिए समर्पित किया गया था।

उन लोगों के विशेष रूप से कहे जाने पर गांधी जी ने श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ा और जाना। लेकिन गांधी जी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई में और अन्य प्रकार की जाती में विशेष रूचि नहीं रखते थे। इंग्लैंड और वेल्स एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद अंशकालिक नौकरी वो भी एक स्कूल में प्रार्थना पत्र भेजा वो भी आस्विकर हो गया जिसके कारण उन्हें जरूरतमंदों के लिए राजकोट को अपने मुकाम बना लिया। मगर एक अंग्रेज अधिकारी की बेवकूफी के कारण उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा।

अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस घटना का वर्णन अपने बड़े भाई की और से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। इसी कारणवश उन्होंने 1893ई में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिण अफ्रीका में, जो उन दिनों ब्रिटिश का भाग होता था, एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन

Mahatma Gandhi History in Hindi

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा

  • महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका कब गए थे
  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आश्रम का नाम
  • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को क्या कहते हैं
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास PDF

दक्षिण अफ्रिका में गांधीजी को भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा।

प्रथम श्रेणी कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया था और तो और पायदान पर बची हुई यात्रा पर एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने पर चालक द्वारा मार भी खानी पड़ी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई तरह की बेइज्जती सही और और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, अफ्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया।

इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी जी दिल और दिमाग पर ले गये जिस कारण आगे गांधी जी ने अपना जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कदम उठाये।

भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : महत्वपूर्ण तथ्य

सन् 1916 ई में गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आये और अपनी कोशिशों में लग गए।

कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी। मगर पहले हम बात करेंगे चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के बारें में।

चंपारण और खेड़ा आंदोलन | महात्मा गांधी का जीवन परिचय

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (CHAMPARAN) और खेडा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जैसी खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। अपने खाने पीने तक का कोई खेती नहीं हो पा रही थी बस कुछ घर पर आता और बाकि पैसा कर्ज में काट लिया जाता था। कम पैसे कमाना और ज्यादा कर भरना किसानों पर जुल्म था जो की गांधी जी देखा नहीं गया।

गाँव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलाने लगी थी। खेड़ा (KHEDA), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। सबसे पहले तो गांधी जी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ।

उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कारवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया। गांधी जी ने अदालत में जमीदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।

Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

खिलाफत आंदोलन कब हुआ | महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जो की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है तो गांधी जी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आन्दोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस  [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी जी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लग गई जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आन्दोलन पूरी तरह से बंद हो गया | गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए’, कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।

असहयोग आन्दोलन सन् 1920 ई | NON COOPERATION MOVEMENT IN HINDI

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब जलियांवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी।

दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आन्दोलन आरंभ किया गया । इस आन्दोलन का अर्थ था की किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस आन्दोलन को गांधी जी का प्रमुख आन्दोलन भी कहा जाता है।  असहयोग आन्दोलन सितम्बर 1920ई – फरवरी 1922 तक चला। गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। गांधी जी को ये भी पता था कि ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती हैं यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

गांधी जी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों को गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आन्दोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा-चौरी के नाम से जानते हैं। जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा और आन्दोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।

चोरा चोरी की घटना कब हुई थी? चौरी चौरा की घटना का क्या महत्व था?

उत्तर प्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया।

गांधी जी का कहना था की “ हमें सम्पूर्ण आन्दोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रकिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं “ जिस के कारण गांधी जी ने अपने आन्दोलन को वापस ले लिया था।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन/ डंडी यात्रा / नमक आन्दोलन सन् 1930 – CIVIL DISOBEDIENCE MOVEMENT / DANDI MARCH / SALT MOVEMENT

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को ना मानना और उस बात की अवहेलना करना। सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी  जी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था।

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नहीं मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे: ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नहीं अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नहीं बनाएगी। तब 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्वारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था। वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उल्लंघन किया था।

गांधी जी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन् 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही। 31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फहराया गया था। इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आजादी का दिन समझ कर मनाया था। यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माना गया था। इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था। 400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था।

गांधी जी सुभाष चन्द्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आजादी की मांग के विचारों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया। इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा। लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया। इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई। सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी।

गांधी जी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन निराशाजनक रहा। इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यकों पर केंद्रित होना था। लार्ड विलिंगटन ने भारतीय राष्ट्रवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी जी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायियों को उनसे मिलने तक भी नहीं जाने दिया। मगर ये युक्ति भी बेकार गयी।

Mahatma Gandhi History in Hindi | हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है?

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछूत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया। इसके विरुद्ध गांधी जी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी। मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया।

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतीयों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है।

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं। गांधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं। पुन संधि में ये साबित हो गया की गांधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता। उस समय छुआछूत सबसे बड़ी समस्या थी। हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था। केरल राज्य का जनपद त्रिशूर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं। गुरुवायुर मंदिर जिसमें  कृष्ण भगवान बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियां है परंतु वहां पे भी हरिजन लोगों को जाने नहीं दिया जाता था।

भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ | QUIT INDIA MOVEMENT IN HINDI

अभी तक के आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था। सन् 1940 के दशक तक सभी लोग बड़े हो या फिर बच्चा सभी अपने देश की आजादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे। उनमें बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा, परंतु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा। प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी। इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

महात्मा गांधी जी की हत्या कब और कैसे हुई थी

Mahatma Gandhi Death Information in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे और उनको गोली मार दी गयी थी।

गांधी जी के हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे था। ये राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया। गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे को केस चला कर जेल भेज कर सजा दी गयी थी। नाथूराम गोड से  को 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी।

राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहां पर गांधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है कहा जाता है की गांधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से ‘हे राम’ निकला था। ऐसा जवाहर लाल नेहरू जी ने रेडियो के माध्यम से देश को बताया था।

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पूरे देश में घुमाया गया। महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 ई को जल में प्रवाह कर दिया था। शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गांधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था। 30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गांधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया।

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है। इस परिवार को पता था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था।

Recommended Books For Mahatma Gandhi Ji in Hindi and English

महात्मा गांधी का जीवन परिचय.

महात्मा गांधी जी का जीवन बहुत ही सीधा और सरल था। उन्हे अहिंसा में विश्वास था उनका मानना था की अगर कोई गाल पर एक चांटा लगा दे तो उसके आगे दूसरा गाल भी कर दो जिससे मरने वाला शर्म के मारे मर जाए और आपसे माफी मांगे। अहिंसा परमों धर्मा गांधी जी का मानना था की अगर किसी समस्या का हल निकालना है तो उसे ठन्डे दिमाग से बिना क्रोध किए निकालने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप अपने गुस्से से किसी समस्या का हल निकलेंगे तो आप ओर भी ज्यादा उस समस्या में फंसते चले जाएंगे।

गांधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई बिना किसी अस्त्र शस्त्र के जीत के दिखाई थी। अपनी बेइज्जती होने के बाद भी गुस्से में गलत कदम नहीं उठाया था उन्होने अपने शिष्यों को भी ऐसी ही सलाह दी थी की जिससे उनका जीवन सफल हो जाए। दोस्तों, गांधी जी के जीतने भी आंदोलन थे सब के सब बिना किसी हिंसा, बिना किसी शोर शराबे के चलाये गए थे।

महात्मा गांधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी का नारा था

“कारों या मारो”
“अहिंसा परमो धर्म”
“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, यतनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”
“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो”
“सादा जीवन उच्च विचार”
बनना है तो गांधी जी के जैसा बनने की कोशिश करो बिना लड़ाई झगड़े के अपने जीवन को बदल के रख दो.

Speech on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गांधी पर भाषण)

2 October Speech in Hindi: महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी राजकोट के दीवान हुआ करते थे। महात्मा गांधी जी की माता श्रीमती पुतलीबाई एक साधारण से जीवन को जीने वाली भारतीय नारी थी। महात्मा गांधी जी की माता बड़े ही सीधे स्वभाव की शांत रहने वाली महिला थी जिनकी वजह से महात्मा गांधी जी का स्वभाव भी ठीक उनकी ही तरह रहा। महात्मा गांधी जी के माता पिता बहुत साधारण व्यक्तित्व के लोग थे उनका जीवन साधारण लोगों की ही तरह था।

महात्मा गांधी जी की शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण हुई थी जिसके बाद महात्मा गांधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। जब महात्मा गांधी जी की वकालत की पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने भारत वापस आ कर अपनी वकालत शुरू की।

महात्मा गांधी जी को एक मुकदमे के चलते भारत छोड़ कर कुछ दिनों के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहां उन्होंने भारतीय लोगों की दूरदसा देखी जिस पर उन्हे ये एहसास हुआ की ये बहुत ही गलत हो रहा है। हम भारतीय लोगों के साथ इसे बदला जाना चाहिए नहीं तो हमारे आने वाले वंश इसी तरह रंग भेद और छुआछूत की बीमारी से ग्रसित रहेंगे।

गांधी जी ने बड़े बड़े आंदोलन चलाए और जीते भी, इन आन्दोलन को जीतने की सबसे बड़ी वजह मानव कल्याण के हित में था। गांधी जी ने सब आंदोलन जीते बिना किसी हथियार के इस्तेमाल से और ना बिना किसी दुर्व्यवहार के ये युद्ध जीता। दोस्तों कहने वाली नहीं मानने वाली बात है की महात्मा गांधी जी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सादे व्यवहार के साथ ब्रिटिशों को भगाया था और भारत में आजादी का तिरंगा फहराया था।

भारत की आजादी के लिए बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने लोहे के चने चबाये थे। कहा जाए तो आज हिंदुस्तान आजाद हुआ है तो केवल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के चलते। देश की आजादी के लिए कभी अंग्रेजों की मार खानी पड़ी तो कभी उनकी divide and rule की वजह से अपने हिन्दू मुस्लिम भाइयों में लड़ाई दंगे होते देखे। गांधी जी को केवल अपने स्वतंत्र भारत की ही सूची है हमेशा।

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। किसी वजह से इनको भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया हैं।

10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

आप सभी की जरूरतों को समझते हुए महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय में कम शब्दों में जानकारी दी गयी है।

गांधी जी सदा जीवन जीने में बहुत विश्वास करते थे। गांधी जी के जीवन में बहुत से संघर्षों से उनका सामना हुआ लेकिन वो बिना रुके आगे बढ़ते गए और आज उनको राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है।

गांधी जी अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा देना तो कोई बाबूजी से सीखें और उनके जीवन की तरह अपना जीवन जरूरत मंदों के नाम करें।

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी हैं।
  • महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • महात्मा गांधी जी के माता पिता का नाम पुतलीबाई और करम चन्द्र गांधी था।
  • महात्मा गांधी जी को बापू और राष्ट्र पिता के नाम से जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी जी को सदा जीवन उच्च विचार पसंद था।
  • महात्मा गांधी जी ने अन्य सभी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर हमारे देश को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाया था।
  • महात्मा गांधी जी ने भारतीय लोगों को सादा जीवन और स्वदेशी अपनाने का विचार दिया था।
  • महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन,और दांडी मार्च जैसे कई महान कार्य किए।
  • महात्मा गांधी जी की हत्या 30 जनवरी, 1948 मे नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी।
महात्मा गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी याद में और राष्ट्रपिता होने की वजह से उनका चित्र भारत की मुद्रा में देखने को मिलता है।

10 Lines on Mahatma Gandhi in English for Class 1 to 12

Mahatma gandhi essay in english in 500 words: Realizing the needs of all of you, the life introduction of Mahatma Gandhi has given less information.

Gandhi always believed in living life. He faced many struggles in the life of Gandhi Ji, but he kept moving without stopping and today he has been given the status of Father of the Nation.

If you spend your whole life in the well-being of the people, then one should learn from Bapuji and like his life, make his life in the name of the needy.

  • Our Father of the Nation is Mahatma Gandhi.
  • Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat.
  • Mahatma Gandhi’s full name is Mohandas Karamchand Gandhi.
  • Mahatma Gandhi’s parent’s names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi.
  • Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.
  • Mahatma Gandhi along with all other revolutionary freedom fighters got rid of our country from British rule.
  • Mahatma Gandhi had given the idea to the Indian people to adopt a simple life and Swadeshi.
  • Mahatma Gandhi Ji did many great works like the Non-Cooperation Movement, Civil Disobedience Movement, Salt Movement, and Dandi March.
  • Mahatma Gandhi was assassinated on 30 January 1948 by Nathuram Godse.
After the death of Mahatma Gandhi, in the memory of him and being the father of the nation, his picture is seen in the currency of India.

Mahatma Gandhi Poem in Hindi for Students

ऊपर मैंने आपको महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताया हैं, अब मैं आपके साथ महात्मा गांधी पर कविताएं  अपडेट करूँगा जो किसी ने ना सुनी हो वो में आपको देने वाला हूँ। कृपया करके इसे पढ़े और अपने मित्रों आदि में शेयर करना ना भूले।

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी जी की वो कविता जिसे दुनिया सबसे ज्यादा प्रिय समझती है।

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर हिन्दी कविता, महात्मा गांधी जयंती पर कविता, gandhi jayanti poem in hindi.

मैं उम्मीद करूंगा की आपको ये लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो देरी ना कीजिए, इस लेख को इतना शेयर कर दीजिये की दुनिया 02 अक्टूबर गांधी जी के जन्मदिन कविताएं को पढ़ कर रो पड़े।

– धन्यवाद

महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) का यह लेख यही समाप्त होता है। मुझे उम्मीद है की आपको सभी जानकारी मिली होगी। अगर आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।

– Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

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22 Comments

महात्मा गांधी के बारे में बहुत ही जबरदस्त जानकारी मिली आपकी वेबसाइट को धन्यवाद इतना विस्तार में गांधीजी के बारे में मैंने पहली बार पढ़ा है|

THANK YOU SIR

मुझे बहोत अच्छा लगा मय तुमको गांधी जैसा बनके दिकाउगा ये मेरा आपको वादा है कमसे कम हमारे गावमे तो जररूर बनुगा

अधिक जानकारी मिली। धन्यवाद। ।।।। रामराज सावन

कुछ सही लिखा है कुछ गलत लीखा गया है।

कृपया करके हमे बताये की क्या गलत लिखा है| हम उसको जल्द से जल्द ठीक करेंगे|

Very best news of

Thank-you so much

SAhi ha shaanu

Thank you SIR

Bahut vdia jivan parchey hai

nice blog sir, aapne bhut acha blog likha hai information sari sahi hai & kuch mujhe pata nahi ya bhul gaya tha but aapka blog padhkr aisa laga jaise fir se update ho gaya ho thank you sir kal mujhe apni branch me bolna hai some words about Gandhi g really this artical help me

मुझे ख़ुशी है की आपको जानकारी पसंद आई…!

महात्मागाँधी के जीवनपरिचय एवं सम्पुर्ण्ं ईतिहास सम्बन्धी पुस्तक चाईय

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Nibandh

महात्मा गांधी पर निबंध

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भारत महापुरुषों का एक अनोखा देश है। जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर टिळक, महादेव गोविंद रानडे, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, आदि अनेक नेताओं ने हमारे इतिहास की शोभा बढ़ाई है। लेकिन महात्मा गाँधी बापू या राष्ट्रपिता के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध हुए। महात्मा गांधी हमारे देश के एक महान नेता थे।

गांधी जी का जन्म २ अक्टूबर, १८६९ को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। उनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी ने इंग्लैंड जाकर वकालत की परीक्षा पास की थी।

उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए आंदोलन शुरू किया। इसके लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाया। आखिरकार उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से देश को आज़ादी दिलाई। सन १९४८ में दिल्ली में गांधी जी की हत्या हो गई। गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता' कहलाते हैं।

गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत में ही नहीं, सारे विश्व में अपने कार्यों से चर्चे में रहे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को आज भी सभी लोग याद करते है। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।

गांधीजी ने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चल के अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संगठन ने प्रतिवर्ष गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।

अंत ३० जनवरी १९४८ को उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर का राजघाट, नई दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए ३० जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाने की घोषणा की गयी। महात्मा गांधी जी को प्यार से 'बापू' कहते हैं।

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi Language | महात्मा गाँधी पर 10 लाइन

In this article, we are providing 10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi & English for classes 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12. In this few / some lines on Mahatma Gandhi Ji, you will get information about Mahatma Gandhi in Hindi. हिंदी में महात्मा गाँधी जी पर 10 लाइन निबंध

10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi Language

10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi

( Set-1 ) 10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi for class 1,2,3

1. महात्मा गॉंधी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

2. उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 मे हुआ था।

3. उनका पुरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।

4. उन्हे बापू और राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है।

5. गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे।

6. गाँधी जी भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के सदस्य थे।

7. इनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई था।

8. इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गाँधी था।

9. इनके चार पुत्र थे।

10. गाँधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Sanskrit Mahatma Gandhi Nibandh

Mahatma Gandhi Essay in Punjabi

( Set-2 ) Mahatma Gandhi ke Bare Mein 10 line | महात्मा गाँधी पर 10 लाइन निबंध

1.महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ।

2. महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी था और माता जी का नाम पुतलीबाई था।

3. महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी से 15 वर्ष की आयु में कर दिया गया था। और उनके चार बेटे थे ।

4. महात्मा गांधी ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से वकालत की पढ़ाई की थी।

5. महात्मा गांधी द्वारा दिए गए नारे अंग्रेजों भारत छोड़ो और करो या मरो ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी।

6. गांधीजी ने कई अभियान चलाए थे जैसे कि चंपारण सत्याग्रह, दांडी मार्च, असयोग आंदोलन।

7. महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

8. वह सत्य और अहिंसा के पुजारी थे और साथ ही उन्होंने अहिंसा परमो धर्म का भी नारा दिया था।

9. महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर कर दी गई।

10. वह भारत के सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी समाधि दिल्ली के राजघाट में स्थित है।

( Set-3 ) 15 Lines about Mahatma Gandhi in Hindi | गाँधी जी पर 10 लाइन निबंध

1. महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

2. उनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था।

3. वह बापू और राष्ट्रपिता के नाम से भी जाने जाते थे।

4. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।

5. वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जो अहिंसा में विश्वास रखते थे और उसी के बल पर उन्होंने हमें आजादी दिलाई।

6. गाँधी जी ने लोगों को ब्रिटिश के खिलाफ कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

7. उन्होंने असहयोग आंदोलन और दांडी मार्च जैसे कई कार्य किए जिससे कि देश को आजाद किया जा सके।

8. महात्मा गाँधी सादगी भरा जीवन व्यतीत करते थे और सभी धर्मों की एकता में विश्वास रखते थे।

9. उन्होंने भारतीय लोगों को स्वदेशी चीजें अपनाने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने विदेशी कपड़ो की होली भी जलाई थी।

10. महात्मा गाँधी जी की हत्या 30 जनवरी, 1948 में नाथुराम गोडसे ने गोली मारकर की थी।

Speech on Mahatma Gandhi in Hindi

Few lines about Mahatma Gandhi Ji in English

1. Mahatma Gandhi was born on October 2, 1869, in Porbandar of Gujarat.

2. His full name was Mohandas Karamchand Gandhi.

3. He was also known as Bapu and the Father of the Nation.

4. He was a member of the Indian National Congress.

5. He was a great freedom fighter who believed in non-violence and at the same time, he gave us freedom.

6. Gandhiji inspired people to act against the British.

7. He did many acts like the non-cooperation movement and Dandi March so that the country could be liberated.

8. Mahatma Gandhi used to live a simple life and believed in the unity of all religions.

9. They inspired Indian people to adopt indigenous things and they also burnt Holi of foreign clothes.

10. The assassination of Mahatma Gandhi was shot by Nathuram Godse on January 30, 1948.

10 lines on Independence Day in Hindi

10 lines on Republic Day in Hindi

इस article के माध्यम से हमने Ten lines on Mahatma Gandhi in Hindi Essay का वर्णन किया है और आप यह article को नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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5 thoughts on “10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi Language | महात्मा गाँधी पर 10 लाइन”

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    महात्मा गांधी पर लघु निबंध - Short Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, 100 शब्दों में, कक्षा 1, 2, 3, 5 और बच्चों के लिए गांधीजी पर लघु निबंध यहां पाएं!

  14. महात्मा गांधी पर निबंध

    Essay on Mahatma Gandhi in Hindi: महात्मा गांधी या मोहनदास गांधी एक भारतीय किंवदंती थे, जिन्होंने देश को सुधारने के लिए अपना लगभग हर योगदान दिया और भारत को

  15. Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

    Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : जीवन. यह आपके निबंध essay on mahatma gandhi in hindi का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, यहाँ आपको महात्मा गाँधी जी के पुरे जीवन के बारे में लिखना है ...

  16. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)

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  17. महात्मा गांधी का जीवन परिचय

    Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat. Mahatma Gandhi's full name is Mohandas Karamchand Gandhi. Mahatma Gandhi's parent's names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi. Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.

  18. महात्मा गांधी पर निबंध

    Mahatma Gandhi Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, and 4 Children and Kids - Mahatma Gandhi Essay in Hindi in 50, 100, 150, 200, 250, 300 Words. भारत महापुरुषों का एक अनोखा देश है। जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर टिळक, महादेव ...

  19. महात्मा गांधी पर निबंध

    हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay On Mahatma Gandhi In Hindi आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ ...

  20. 10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi Language

    Mahatma Gandhi used to live a simple life and believed in the unity of all religions. 9. They inspired Indian people to adopt indigenous things and they also burnt Holi of foreign clothes. 10. The assassination of Mahatma Gandhi was shot by Nathuram Godse on January 30, 1948. जरूर पढ़े-. 10 lines on Independence Day in Hindi.

  21. महात्मा गांधी पर निबंध/महात्मा गांधी पर 10 लाइन/essay on Mahatma Gandhi

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  22. महात्मा गाँधी पर निबंध

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