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बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay in Hindi)

बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और प्रदर्शन संबंधी समस्याएं कुछ ऐसे कारक हैं जो बेरोज़गारी का कारण बनती हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत सरकार को प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है। विकासशील देशों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक बेरोजगारी है। यह केवल देश के आर्थिक विकास में खड़ी प्रमुख बाधाओं में से ही एक नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई तरह के नकारात्मक प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Unemployment in Hindi, Berojgari par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – भारत में बेरोजगारी को बढ़ाने वाले कारक.

बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है। इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। यहां इन कारकों की विस्तार से व्याख्या की गई और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित समाधान बताये गये हैं।

भारत में बेरोजगारी को बढ़ाने वाले कारक

  • जनसंख्या में वृद्धि : देश की जनसंख्या में तेजी से होती वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • मंदा आर्थिक विकास : देश के धीमे आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप लोगों को रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।
  • मौसमी व्यवसाय : देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में जुड़ा हुआ है। मौसमी व्यवसाय होने के कारण यह केवल वर्ष के एक निश्चित समय के लिए काम का अवसर प्रदान करता है।
  • औद्योगिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि : देश में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि बहुत धीमी है। इस प्रकार इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं।
  • कुटीर उद्योग में गिरावट : कुटीर उद्योग में उत्पादन काफी गिर गया है और इस वजह से कई कारीगर बेरोजगार हो गये हैं।

बेरोजगारी खत्म करने के संभव समाधान

  • जनसंख्या पर नियंत्रण : यह सही समय है जब भारत सरकार देश की आबादी को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए।
  • शिक्षा व्यवस्था : भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल विकास की बजाय सैद्धांतिक पहलुओं पर केंद्रित है। कुशल श्रमशक्ति उत्पन्न करने के लिए प्रणाली को सुधारना होगा।
  • औद्योगिकीकरण : लोगों के लिए रोज़गार के अधिक अवसर बनाने के लिए सरकार को औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।
  • विदेशी कंपनियां : सरकार को रोजगार की अधिक संभावनाएं पैदा करने के लिए विदेशी कंपनियों को अपनी इकाइयों को देश में खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • रोजगार के अवसर : एक निश्चित समय में काम करके बाकि समय बेरोजगार रहने वाले लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए जाने चाहिए।

देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। हालाँकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक वांछनीय प्रगति हासिल नहीं हो पाई है। नीति निर्माताओं और नागरिकों को अधिक नौकरियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के लिए सही कौशल प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द) – बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार

भारत में बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी, खुले बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी, घर्षण बेरोज़गारी और आकस्मिक बेरोजगारी सहित कई श्रेणियों में विभाजित की जा सकती है। इन सभी प्रकार की बेरोजगारियों के बारे में विस्तार से पढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि वास्तव में किसे बेरोजगार कहा जाता है? मूल रूप से बेरोजगार ऐसा व्यक्ति होता है जो काम करने के लिए तैयार है और एक रोजगार के अवसर की तलाश कर रहा है पर रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ है। जो लोग स्वेच्छा से बेरोजगार रहते हैं या कुछ शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण काम करने में असमर्थ होते हैं वे बेरोजगार नहीं गिने जाते हैं।

यहां बेरोजगारी के विभिन्न प्रकारों पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:

  • प्रच्छन्न बेरोजगारी : जब ज़रूरी संख्या से ज्यादा लोगों को एक जगह पर नौकरी दी जाती है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है। इन लोगों को हटाने से उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।
  • मौसमी बेरोजगारी : जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है यह उस तरह की बेरोजगारी का प्रकार है जिसमें वर्ष के कुछ समय में ही काम मिलता है। मुख्य रूप से मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, रिसॉर्ट्स और बर्फ कारखानें आदि शामिल हैं।
  • खुली बेरोजगारी : खुली बेरोजगारी से तात्पर्य है कि जब एक बड़ी संख्या में मजदूर नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं जो उन्हें नियमित आय प्रदान कर सके। यह समस्या तब होती है क्योंकि श्रम बल अर्थव्यवस्था की विकास दर की तुलना में बहुत अधिक दर से बढ़ जाती है।
  • तकनीकी बेरोजगारी : तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल से मानवी श्रम की आवश्यकता कम होने से भी बेरोजगारी बढ़ी है।
  • संरचनात्मक बेरोजगारी : इस प्रकार की बेरोज़गारी देश की आर्थिक संरचना में एक बड़ा बदलाव की वजह से होती है। यह तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास का नतीजा है।
  • चक्रीय बेरोजगारी : व्यावसायिक गतिविधियों के समग्र स्तर में कमी से चक्रीय बेरोज़गारी होती है। हालांकि यह घटना थोड़े समय के ही लिए है।
  • शिक्षित बेरोजगारी : उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थता, रोजगार योग्य कौशल की कमी और दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली जैसे कुछ कारण हैं जिससे शिक्षित बेरोजगार रहता है।
  • ठेका बेरोज़गारी : इस तरह के बेरोजगारी में लोग या तो अंशकालिक आधार पर नौकरी करते हैं या उस तरह के काम करते हैं जिसके लिए वे अधिक योग्य हैं।
  • प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी : यह तब होता है जब श्रम बल की मांग और इसकी आपूर्ति उचित रूप से समन्वयित नहीं होती है।
  • दीर्घकालिक बेरोजगारी : दीर्घकालिक बेरोजगारी वह होती है जो जनसंख्या में तेजी से वृद्धि और आर्थिक विकास के निम्न स्तर के कारण देश में जारी है।
  • आकस्मिक बेरोजगारी : मांग में अचानक गिरावट, अल्पकालिक अनुबंध या कच्चे माल की कमी के कारण ऐसी बेरोजगारी होती है।

हालांकि सरकार ने हर तरह की बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं परन्तु अभी तक परिणाम संतोषजनक नहीं मिले हैं। सरकार को रोजगार सृजन करने के लिए और अधिक प्रभावी रणनीति तैयार करने की जरूरत है।

निबंध 3 (500 शब्द) – बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारी पहल

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। व्यग्तिगत प्रभावों के साथ-साथ पूरे समाज पर इस समस्या के नकारात्मक नतीजे देखे जा सकते हैं। सरकार ने इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई तरह कदम उठाये हैं। इनमें से कुछ का उल्लेख विस्तार से इस प्रकार है।

बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारी पहल

  • स्वयं रोजगार के लिए प्रशिक्षण

1979 में शुरू किए गये इस कार्यक्रम का नाम नेशनल स्कीम ऑफ़ ट्रेनिंग ऑफ़ रूरल यूथ फॉर सेल्फ एम्प्लॉयमेंट (TRYSEM) था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के बीच बेरोजगारी को कम करना है।

  • इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IRDP)

वर्ष 1 978-79  में ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया। इस कार्यक्रम पर 312 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे और 182 लाख परिवारों को इससे लाभ हुआ था।

  • विदेशी देशों में रोजगार

सरकार विदेशी कंपनियों में रोजगार पाने में लोगों की मदद करती है। अन्य देशों में लोगों के लिए काम पर रखने के लिए विशेष एजेंसियां ​​स्थापित की गई हैं।

  • लघु और कुटीर उद्योग

बेरोजगारी के मुद्दे को कम करने के प्रयास में सरकार ने छोटे और कुटीर उद्योग भी विकसित किए हैं। कई लोग इस पहल के साथ अपनी जीविका अर्जित कर रहे हैं।

  • स्वर्ण जयंती रोजगार योजना

इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी आबादी के लिए स्वयंरोजगार और मजदूरी-रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसमें दो योजनाएं शामिल हैं:

  • शहरी स्वयं रोजगार कार्यक्रम
  • शहरी मजदूरी रोजगार कार्यक्रम
  • रोजगार आश्वासन योजना

यह कार्यक्रम देश में 1752 पिछड़े वर्गों के लिए 1994 में शुरू किया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब बेरोजगार लोगों को इस योजना के तहत 100 दिनों तक अकुशल मैनुअल काम प्रदान किया गया था।

  • सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP)

यह कार्यक्रम 13 राज्यों में शुरू किया गया और मौसमी बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से 70 सूखा-प्रवण जिलों को कवर किया गया। अपनी सातवीं योजना में सरकार ने 474 करोड़ रुपये खर्च किए।

  • जवाहर रोजगार योजना

अप्रैल 1989 में शुरू किए गये इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक गरीब ग्रामीण परिवार में कम से कम एक सदस्य को एक वर्ष तक पचास से सौ दिन रोजगार प्रदान करना था। व्यक्ति के आसपास के क्षेत्र में रोजगार का अवसर प्रदान किया जाता है और इन अवसरों का 30% महिलाओं के लिए आरक्षित है।

  • नेहरू रोज़गार योजना (NRY)

इस कार्यक्रम के तहत कुल तीन योजनाएं हैं। पहली योजना के अंतर्गत शहरी गरीबों को सूक्ष्म उद्यमों को स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। दूसरी योजना के अंतर्गत 10 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में मजदूरों के लिए मजदूरी-रोजगार की व्यवस्था की जाती है। तीसरी योजना के तहत शहरों में शहरी गरीबों को अपने कौशल से मेल खाते रोजगार के अवसर दिए जाते हैं।

  • रोजगार गारंटी योजना

बेरोजगार लोगों को इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसे केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि सहित कई राज्यों में शुरू किया गया है।

इसके अलावा बेरोजगारी को कम करने के लिए कई अन्य कार्यक्रम सरकार द्वारा शुरू किए गए हैं।

हालांकि सरकार देश में बेरोजगारी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है पर इस समस्या को सही मायनों में रोकने के लिए अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

Essay on Unemployment in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – भारत में बेरोजगारी व इसके परिणाम

बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। कई कारक हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ में उचित शिक्षा की कमी, अच्छे कौशल और हुनर की कमी, प्रदर्शन करने में असमर्थता, अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी और तेजी से बढ़ती आबादी शामिल है। आगे देश में बेरोजगारी स्थिरता, बेरोजगारी के परिणाम और सरकार द्वारा इसे नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर एक नज़र डाली गई है।

भारत में बेरोजगारी से संबंधित आकंडे

भारत में श्रम और रोजगार मंत्रालय देश में बेरोजगारी के रिकॉर्ड रखता है। बेरोजगारी के आंकड़ों की गणना उन लोगों की संख्या के आधार पर की जाती है जिनके आंकड़ों के मिलान की तारीख से पहले 365 दिनों के दौरान पर्याप्त समय के लिए कोई काम नहीं था और अभी भी रोजगार की मांग कर रहे हैं।

वर्ष 1983 से 2013 तक भारत में बेरोजगारी की दर औसत 7.32 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक 9.40% थी और 2013 में यह रिकॉर्ड 4.90% थी। वर्ष 2015-16 में बेरोजगारी की दर महिलाओं के लिए 8.7% हुई और पुरुषों के लिए 4.3 प्रतिशत हुई।

बेरोजगारी के परिणाम

बेरोजगारी की वजह से गंभीर सामाजिक-आर्थिक मुद्दे होते है। इससे न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है। नीचे बेरोजगारी के कुछ प्रमुख परिणामों की व्याख्या की गई हैं:

  • गरीबी में वृद्धि

यह कथन बिल्कुल सत्य है कि बेरोजगारी दर में वृद्धि से देश में गरीबी की दर में वृद्धि हुई है। देश के आर्थिक विकास को बाधित करने के लिए बेरोजगारी मुख्यतः जिम्मेदार है।

  • अपराध दर में वृद्धि

एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थ बेरोजगार आमतौर पर अपराध का रास्ता लेता है क्योंकि यह पैसा बनाने का एक आसान तरीका है। चोरी, डकैती और अन्य भयंकर अपराधों के तेजी से बढ़ते मामलों के मुख्य कारणों में से एक बेरोजगारी है।

  • श्रम का शोषण

कर्मचारी आम तौर पर कम वेतन की पेशकश कर बाजार में नौकरियों की कमी का लाभ उठाते हैं। अपने कौशल से जुड़ी नौकरी खोजने में असमर्थ लोग आमतौर पर कम वेतन वाले नौकरी के लिए व्यवस्थित होते हैं। कर्मचारियों को प्रत्येक दिन निर्धारित संख्या के घंटे के लिए भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

  • राजनैतिक अस्थिरता

रोजगार के अवसरों की कमी के परिणामस्वरूप सरकार में विश्वास की कमी होती है और यह स्थिति अक्सर राजनीतिक अस्थिरता की ओर जाती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य

बेरोजगार लोगों में असंतोष का स्तर बढ़ता है जिससे यह धीरे-धीरे चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बदलने लगती है।

  • कौशल का नुकसान

लंबे समय के लिए नौकरी से बाहर रहने से जिंदगी नीरस और कौशल का नुकसान होता है। यह एक व्यक्ति के आत्मविश्वास काफी हद तक कम कर देता है।

भारत सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के साथ-साथ देश में बेरोजगारों की मदद के लिए कई तरह के कार्यक्रम शुरू किए है। इनमें से कुछ में इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IRDP), जवाहर रोज़गार योजना, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP), स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण, नेहरू रोज़गार योजना (NRY), रोजगार आश्वासन योजना, प्रधान मंत्री की समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (PMIUPEP), रोजगार कार्यालयों, विदेशी देशों में रोजगार, लघु और कुटीर उद्योग, रोजगार गारंटी योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना का विकास आदि शामिल हैं।

इन कार्यक्रमों के जरिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा सरकार शिक्षा के महत्व को भी संवेदित कर रही है और बेरोजगार लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

बेरोजगारी समाज में विभिन्न समस्याओं का मूल कारण है। हालांकि सरकार ने इस समस्या को कम करने के लिए पहल की है लेकिन उठाये गये उपाय पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस समस्या के कारण विभिन्न कारकों को प्रभावी और एकीकृत समाधान देखने के लिए अच्छी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए। यह समय है कि सरकार को इस मामले की संवेदनशीलता को पहचानना चाहिए और इसे कम करने के लिए कुछ गंभीर कदम उठाने चाहिए।

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FAQs: Frequently Asked Questions on Unemployment (बेरोजगारी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- भारत विश्व का सबसे अधिक बेरोजगारों का देश है।

उत्तर- त्रिपुरा

उत्तर- गुजरात

उत्तर- भारत में अत्यधिक जनसंख्या एवं शिक्षा का अभाव बेरोजगारी का मुख्य कारण है।

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बेरोजगारी पर निबंध 10 lines (Unemployment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay writing on unemployment in hindi

Unemployment Essay in Hindi – मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं – भोजन, घर और वस्त्र। इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति तभी हो सकती है जब व्यक्ति के पास धन हो। और इस पैसे को कमाने के लिए, व्यक्ति को नियोजित होना चाहिए, अर्थात उसके पास एक भुगतान व्यवसाय होना चाहिए। हालाँकि, दुनिया में और हमारे देश में भी कई लोग हैं जो नौकरी पाने में असफल रहे हैं। नतीजतन, उनके पास आय का एक महत्वहीन स्रोत है। बेरोजगारी की इस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है।

बेरोजगारी पर निबंध 10 लाइन्स (Unemployment Essay 10 Lines in Hindi) 100-150 words

  • 1) बेरोजगारी तब होती है जब योग्य लोग काम की तलाश कर रहे होते हैं लेकिन उसे पाने में असमर्थ होते हैं।
  • 2) बेरोजगारी मुख्य रूप से नौकरी के अवसरों की कमी के कारण होती है।
  • 3) बेरोजगारी सबसे बड़ी चीजों में से एक है जो किसी देश को बढ़ने से रोकती है।
  • 4) जब समाज में बेरोजगारी होती है तो लोग अपना कौशल खो देते हैं।
  • 5) बेरोजगारी कई चीजों के कारण होती है जो अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं।
  • 6) तकनीक में बदलाव के कारण लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।
  • 7) देश का औद्योगिक क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ रहा है जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी हो सकती है।
  • 8) जिन जगहों का अभी ज्यादा विकास नहीं हुआ है वहां बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है।
  • 9) उच्च बेरोजगारी दर वाला देश सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करता है।
  • 10) यदि हम देश में बेरोजगारी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो हमें योजना बनाने की आवश्यकता है।

बेरोजगारी पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Unemployment in India in Hindi)

जो लोग काम करने के इच्छुक हैं और ईमानदारी से नौकरी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिल पा रही है, उन्हें बेरोजगार कहा जाता है। इसमें ऐसे लोग शामिल नहीं हैं जो स्वेच्छा से बेरोजगार हैं और साथ ही वे लोग जो किसी शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्या के कारण नौकरी पाने में असमर्थ हैं।

ऐसे कई कारक हैं जो देश में बेरोजगारी की समस्या को जन्म देते हैं। इसमे शामिल है:

  • धीमी औद्योगिक वृद्धि
  • जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
  • सैद्धांतिक शिक्षा पर ध्यान दें
  • कुटीर उद्योगों में गिरावट
  • कृषि श्रमिकों के लिए वैकल्पिक रोजगार के अवसरों का अभाव
  • तकनीकी उन्नति

बेरोजगारी न केवल व्यक्तियों को बल्कि देश के विकास को भी प्रभावित करती है। इसका देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहाँ बेरोजगारी के कुछ परिणाम हैं:

  • अपराध दर में वृद्धि
  • जीवन स्तर खराब
  • कौशल की हानि
  • राजनैतिक अस्थिरता
  • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों
  • धीमी आर्थिक वृद्धि

आश्चर्यजनक रूप से, समाज पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बावजूद, बेरोजगारी भारत में सबसे अधिक अनदेखी मुद्दों में से एक है। सरकार ने समस्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं; हालाँकि, ये पर्याप्त प्रभावी नहीं रहे हैं। सरकार को न केवल इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने चाहिए बल्कि उनकी प्रभावशीलता पर भी नजर रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन्हें संशोधित करना चाहिए।

बेरोजगारी पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Unemployment in India in Hindi)

बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप ले रही है। हालाँकि, यह सभी के लिए एक बुरी बात है। बेरोजगारी तब होती है जब सक्रिय रूप से काम की तलाश कर रहे किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल पाती है। हालाँकि, बेरोजगार वे लोग हैं जो काम करना चाहते हैं लेकिन काम नहीं पा सकते हैं। लगभग हर देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।

बेरोजगारीः गंभीर मुद्दा

दुनिया भर में कई जगहों पर बेरोजगारी एक समस्या है। जब लोग अपनी नौकरी खो देते हैं, तो वे आत्मविश्वास खो देते हैं, क्रोधित हो जाते हैं और रोजमर्रा की चीजों के बारे में बुरी भावना रखते हैं। जब बेरोज़गारी अधिक होती है, तो लोग कम सामान और सेवाएँ खरीदते हैं और करों में कम भुगतान करते हैं। इसका मतलब है कि सरकार को देश के खर्चों का प्रबंधन करना है। जब अधिक लोग काम से बाहर होते हैं, तो अधिक अपराध होते हैं। बेरोजगारी न केवल उन लोगों को प्रभावित करती है जो काम से बाहर हैं, बल्कि पूरे देश के विकास को भी प्रभावित करती है।

बेरोजगारी के कारण

बेरोजगारी के लिए कई चीजों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सबसे पहले तो शिक्षा क्षेत्र की स्थिति गिरती जा रही है। छात्रों को सैद्धान्तिक ज्ञान अधिक होता है परन्तु व्यवहारिक ज्ञान का अभाव होता है। एक अस्वास्थ्यकर काम का माहौल एक और कारण है जो अंत में बेरोजगारी का कारण बन सकता है। जैसे-जैसे तकनीक बेहतर होती जाती है, लोगों के बजाय मशीनों द्वारा अधिक कार्य किए जाते हैं, जिससे लोगों को काम पर रखना अनावश्यक हो जाता है।

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है जिसे हर हाल में दूर किया जाना चाहिए। यह एक ऐसी समस्या है जिसे सरकार को दूर करने की जरूरत है। नीति निर्माताओं और लोगों को अधिक नौकरियां बनाने और काम पर रखने के लिए सही कौशल सीखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस समस्या का प्रभावी और एकीकृत समाधान खोजने के लिए, उन विभिन्न चीजों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है जो इसे पैदा कर रही हैं।

बेरोजगारी पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Unemployment in India in Hindi)

बेरोजगारी समाज के लिए अभिशाप है। यह न केवल व्यक्ति बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करता है। ऐसे कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। यहां इन कारकों पर विस्तार से एक नजर है और इस समस्या को नियंत्रित करने के संभावित समाधान भी हैं।

भारत में बेरोजगारी के लिए अग्रणी कारक

  • जनसंख्या में वृद्धि

देश की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।

देश के धीमे आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप लोगों के लिए रोजगार के अवसर कम होते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।

देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है। यह एक मौसमी व्यवसाय होने के कारण, यह वर्ष के एक निश्चित भाग के लिए ही कार्य का अवसर प्रदान करता है।

  • औद्योगिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि

देश में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि धीमी है। इस प्रकार, इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं।

  • कुटीर उद्योग में गिरावट

कुटीर उद्योग में उत्पादन में भारी गिरावट आई है और इससे कई कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।

बेरोजगारी दूर करने के संभावित उपाय

  • जनसंख्या नियंत्रण

अब समय आ गया है कि भारत सरकार को देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।

  • शिक्षा प्रणाली

भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल विकास के बजाय सैद्धांतिक पहलुओं पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित करती है। कुशल जनशक्ति उत्पन्न करने के लिए प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए।

लोगों के लिए अधिक अवसर पैदा करने के लिए सरकार को औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • विदेशी कंपनियां

सरकार को विदेशी कंपनियों को रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए देश में अपनी इकाइयां खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

  • रोजगार के अवसर

मौसमी रूप से बेरोजगार लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित किए जाने चाहिए।

देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। जबकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, वांछनीय प्रगति हासिल नहीं हुई है। नीति-निर्माताओं और नागरिकों को अधिक रोजगार सृजित करने के साथ-साथ रोजगार के लिए सही कौशल-सेट प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

बेरोजगारी पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Unemployment in India in Hindi)

बेरोजगारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। सैकड़ों और हजारों लोग ऐसे हैं जिनके पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा, बढ़ती आबादी और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। इसके अलावा, अगर हम इस समस्या की उपेक्षा करते हैं तो यह राष्ट्र के विनाश का कारण बनने जा रही है।

बेरोजगारी क्या है?

बेरोजगारी से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें कोई कुशल और प्रतिभावान व्यक्ति कोई कार्य करना चाहता है। लेकिन कई कारणों से उचित नौकरी नहीं मिल पा रही है।

बेरोजगारी के प्रकार

अब हम जानते हैं कि बेरोजगारी क्या है लेकिन बेरोजगारी का मतलब केवल यह नहीं है कि व्यक्ति के पास नौकरी नहीं है। इसी तरह, बेरोजगारी में अपनी विशेषज्ञता से बाहर के क्षेत्रों में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं।

विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी में प्रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य बेरोज़गारी चक्रीय बेरोज़गारी, शिक्षित बेरोज़गारी, अल्प-रोज़गार, घर्षण बेरोज़गारी, पुरानी बेरोज़गारी और आकस्मिक बेरोज़गारी है।

इन सबसे ऊपर, मौसमी बेरोजगारी, अंडर बेरोज़गारी, और छिपी हुई बेरोज़गारी सबसे आम बेरोज़गारी है जो भारत में पाई जाती है।

भारत जैसे देश में आबादी के एक बड़े हिस्से के बेरोजगार होने के कई कारण हैं। इनमें से कुछ कारक जनसंख्या वृद्धि, धीमी आर्थिक वृद्धि, मौसमी व्यवसाय, आर्थिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि और कुटीर उद्योग में गिरावट हैं।

इसके अलावा, ये भारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण हैं। साथ ही स्थिति इतनी विकट हो गई है कि उच्च शिक्षित लोग सफाईकर्मी की नौकरी करने को तैयार हैं। साथ ही सरकार उनके काम को गंभीरता से नहीं ले रही है।

इन सबके अलावा, आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है और यह क्षेत्र केवल फसल या रोपण के समय में रोजगार प्रदान करता है।

इसके अलावा, भारत में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण इसकी विशाल आबादी है जो हर साल बड़ी संख्या में नौकरियों की मांग करती है जो सरकार और प्राधिकरण प्रदान करने में असमर्थ हैं।

बेरोजगारी के परिणाम

अगर चीजें मौजूदा परिदृश्य की तरह चलती रहीं तो बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बन जाएगा। इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था में निम्न चीजें होती हैं जो गरीबी में वृद्धि, अपराध दर में वृद्धि, श्रम का शोषण, राजनीतिक अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य और कौशल की हानि है। नतीजतन, यह सब अंततः राष्ट्र के पतन की ओर ले जाएगा।

सरकार द्वारा पहल

सरकार ने समस्या को बहुत गंभीरता से लिया है और बेरोजगारी को धीरे-धीरे कम करने के उपाय किए हैं। इनमें से कुछ योजनाओं में IRDP (एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम), DPAP (सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम), जवाहर रोजगार योजना, रोजगार आश्वासन योजना, NRY (नेहरू रोजगार योजना), स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, PMIUPEP (प्रधान मंत्री का एकीकृत शहरी गरीबी उन्मूलन) शामिल हैं। कार्यक्रम), रोजगार कार्यालय, रोजगार गारंटी योजना, संगठित क्षेत्र का विकास, लघु और कुटीर उद्योग, फोर्जिंग देशों में रोजगार, और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना और कुछ और।

साथ ही इन योजनाओं के लिए सरकार कुछ नियमों को लचीला भी बनाती है, ताकि निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजित किया जा सके।

निष्कर्ष रूप में, हम कह सकते हैं कि भारत में बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर अवस्था में पहुंच गई है। लेकिन, अब सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और बेरोजगारी को कम करने के लिए इस पर काम कर रहे हैं। साथ ही, बेरोजगारी के मुद्दे को पूरी तरह से हल करने के लिए हमें बेरोजगारी के मुख्य मुद्दे से निपटना होगा जो कि भारत की विशाल जनसंख्या है।

बेरोजगारी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 भारत में बेरोजगारी की समस्या क्यों है .

A.1 अधिक जनसंख्या और उचित कौशल की कमी के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या है।

Q.2 प्रच्छन्न बेरोजगारी को परिभाषित करें?

A.2 प्रच्छन्न बेरोजगारी रोजगार के एक रूप को संदर्भित करती है जिसमें उद्योग या कारखाने में आवश्यक संख्या से अधिक लोग काम करते हैं। और कुछ कर्मचारियों को हटाने से उत्पादकता प्रभावित नहीं होगी।

बेरोजगारी पर निबंध- Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध (200, 300, 400, 600, 700, 800 से 1000 शब्दों में )- Short and long Essay on Unemployment in Hindi .

Unemployment Essay in Hindi

भारत में कई समस्याए है उसी एक समस्या में से एक बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

Table of Contents (विषय सूची- बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध )

निबंध 200-300 शब्दों में बेरोजगारी पर निबंध प्रस्तावना सहित।.

प्रस्तावना : आधुनिक युग में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है जो विभिन्न देशों को प्रभावित कर रही है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर रही है।

बेरोजगारी का कारण: बेरोजगारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अर्थव्यवस्था की अस्थिरता, तकनीकी उन्नति के कारण कामों की संख्या में कमी, शिक्षा संस्थानों में उचित शिक्षा की अभाव, विशेषज्ञता की कमी, और सरकारी नीतियों की अनुपयुक्तता आदि।

प्रभाव : बेरोजगारी का प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस होता है। यह न केवल आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन, और समाज में सामाजिक स्थिति की दृष्टि से भी गहरा परिणाम डालता है।

समाधान : बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारों को उचित नीतियों की प्राथमिकता देनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में निवेश और तकनीकी शिक्षा की महत्वपूर्णता को समझते हुए, युवाओं को उनके कौशलों के अनुसार रोजगार प्रदान करने के उपाय अपनाने चाहिए। स्वामी विवेकानंद की भारतीय युवा को शिक्षित, उद्यमी और समर्थ बनाने की प्रेरणा को मानते हुए, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए।

निष्कर्ष : बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर साथ मिलकर कर सकते हैं। उचित नीतियों के अपनाने, शिक्षा के प्रति निवेश, और युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से हम बेरोजगारी को कम कर सकते हैं और एक समृद्धि और सकारात्मक समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

निबंध 400-500 शब्दों में – भारत में बेरोजगारी और बेरोजगारी के कारन

प्रस्तावना: बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो भारतीय समाज के उन आवामी वर्गों को प्रभावित करती है, जो उचित कौशल और योग्यता के साथ होते हुए भी उचित रोजगार नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। इस निबंध में, हम भारत में बेरोजगारी के प्रकार, कारण, समस्या और इसके समाधान पर चर्चा करेंगे।

भारत में बेरोजगारी के प्रकार: बेरोजगारी के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि विद्युत बेरोजगारी, खाद्य बेरोजगारी, नौकरी की बेरोजगारी आदि। विद्युत बेरोजगारी में विद्युत योजनाओं की कमी के कारण लोगों को बिजली साप्लाई नहीं मिलती है। खाद्य बेरोजगारी में किसानों को सही मूल्य मिलने के बावजूद वे अपनी उत्पादन को बेचने में समस्या का सामना करते हैं। नौकरी की बेरोजगारी में युवाओं को विशिष्ट क्षेत्र में उचित रोजगार की कमी होती है।

भारत में बेरोजगारी के कारण:

  • अशिक्षा और योग्यता की कमी: अधिकांश लोग अवशिष्ट शिक्षा और योग्यता के बावजूद उचित रोजगार पाने में समस्या का सामना करते हैं।
  • आर्थिक संकट: भारत की अस्थिर अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट के कारण नौकरियों की संख्या में कमी हो सकती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
  • विशेषज्ञता की कमी: कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी के कारण युवा व्यक्तियों को उचित कौशल नहीं होता, जिससे उन्हें सही रोजगार नहीं मिलता।
  • नौकरी की अवसादना: विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी की अवसादना होने के कारण युवा लोग बेरोजगार हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर नौकरी नहीं मिलती।
  • असमानता: भारत में आर्थिक असमानता के कारण कुछ लोगों को उचित रोजगार पाने में समस्या हो सकती है, जबकि कुछ व्यक्तियों के पास उच्चतम शिक्षा और योग्यता होती है।

भारत में बेरोजगारी की समस्या: बेरोजगारी भारतीय समाज

के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिससे कई समसामयिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह समस्या सामाजिक असमानता, आर्थिक दुर्बलता, युवा पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी की समस्या और समाधान: बेरोजगारी को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने नौकरियों के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ आदि। यह योजनाएँ युवाओं को उचित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके स्वयं के उद्यम का संरचना करने का अवसर प्रदान कर रही हैं।

निष्कर्ष: भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जो समाज के विकास में बाधापूर्ण रूप से प्रभावित करती है। अशिक्षा, योग्यता की कमी, आर्थिक संकट, असमानता आदि बेरोजगारी के कारण हो सकते हैं। हमें योग्यता और कौशल में सुधार करने के साथ-साथ समाज में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ियों को समर्पित और उत्तम रोजगार के अवसर मिल सकें।

निबंध 600-700 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आई है। बेरोज़गारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखों युवकों के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है, फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है, मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगारी जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही हैं। लाखों युवाओं के पास उच्च शिक्षा से संबंधित डिग्रियाँ होने के बावजूद वे अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर पाने में असमर्थ हो रहे हैं। हर दिन युवाएँ इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़ी होती हैं और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल सके।

बेरोज़गारी के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं। ‘ओपन अनरोज़’ एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती, जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। ‘प्रछन्न बेरोज़गारी’ भारतीय कृषि को प्रभावित करती है, जहाँ अधिक श्रमिकों की उत्पादकता शून्य होती है। ‘मौसमी बेरोज़गारी’ कुछ मौसमों में होने वाली बेरोज़गारी होती है, जैसे कृषि और बर्फ कारखानों में। ‘चक्रीय बेरोज़गारी’ व्यापार चक्रों के कारण होती है, जब व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आती है। ‘शिक्षित बेरोज़गारी’ में शिक्षित युवक उचित रोज़गार पाने में असमर्थ होते हैं। ‘आद्योगिक बेरोज़गारी’ में अनपढ़ व्यक्तियों के लिए रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

भारत में बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण हैं। जनसंख्या की वृद्धि एक प्रमुख कारण है, जो बेरोज़गारी के

अवसरों को और भी कठिन बनाती है। विशेष रूप से युवा वर्ग बढ़ रहा है और उन्हें उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च शिक्षा के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाने की समस्या होती है।

सरकार द्वारा बेरोज़गारी के खिलाफ़ कई पहलुओं का समर्थन किया गया है, जैसे कौशल विकास प्रोग्राम, रोज़गार मित्र योजना, मुद्रा योजना, और नौकरी पोर्टल जैसे पहलुओं की शुरुआत की गई है। ये पहलु सहायक हो सकते हैं, लेकिन बेरोज़गारी की समस्या को हमेशा के लिए हल नहीं कर सकते।

बेरोज़गारी को कम करने के लिए एक सामग्री समाधान शिक्षा में सुधार है। युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता की भावना और नौकरी नहीं सिर्फ नौकरीदाता, बल्कि नौकरी सृजनाता भी बनने की प्रेरणा देनी चाहिए।

इस समस्या का हल ढूँढने के लिए शिक्षा, सरकारी नीतियाँ, और समाज की भागीदारी की आवश्यकता है। बेरोज़गारी को कम करने के लिए एकमात्र सरकारी प्रयास ही काफी नहीं होता है, बल्कि हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

आपके प्रश्न के अनुसार, यहाँ पर बेरोज़गारी पर एक निबंध का प्रतिष्ठान दिया गया है। आप इस निबंध का उपयोग करके अपने प्रोजेक्ट में उपयुक्त जानकारी को शामिल कर सकते हैं।

निबंध 800-1000 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगार जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही है। हमारे देश में नौजवान के पास उच्च शिक्षा संबंधित डिग्रीयां होने के बावजूद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है। हर रोज़ युवक इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़े होते है और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते है ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल जाए। कुछ एक को छोड़कर कई युवको को नौकरी ना मिलने के कारण अपने हाथ मलने पड़ते है।

बेरोजगारी के प्रकार

unemployment  – यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती है जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। यह ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ लोग काम करने के लिए इच्छुक है मगर उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। वह लोग काम करने में सक्षम है पर रोजगार नहीं मिल पाता है।

प्रछन्न बेरोजगारी  -यह विशेष रूप से भारतीय कृषि परिदृश्य को प्रभावित करता है। इस मामले में आवश्यकता से अधिक श्रमिक खेत पर लगे हुए है , जहाँ सभी वास्तव में उत्पादक बनाने में योगदान नहीं कर रहे है और कई श्रमिकों की उत्पादकता शून्य है। यह तब होता है जब लगभग पूरा परिवार कृषि उत्पादन में संलग्न है। कुछ लोगो के निष्कासन से उत्पादन की मात्रा कम नहीं होती। जनसँख्या में तेज़ी से वृद्धि और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कृषि में भीड़भाड़ को भारत में प्रछन्न बेरोजगारी के मुख्या कारणों के रूप में देखा जा सकता है।

मौसमी बेरोज़गारी  -यह बेरोजगारी है जो वर्ष के कुछ मौसमो के दौरान होती है। कुछ उद्योग और व्यवसाय जैसे कृषि और बर्फ कारखानों आदि में उत्पादन गतिविधियां केवल कुछ मौसमो में होती है। इसलिए एक वर्ष में एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार प्रदान करते है। लेकिन बाकी महीनो में इस प्रकार की गतिविधियों में लगे लोग बेरोजगार हो जाते है।

चक्रीय बेरोजगारी  -यह नियमित अंतराल पर व्यापार चक्रो के कारण होता है। आमतौर पर पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं व्यापार चक्र के अधीन होती है और व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आने से बेरोजगारी बढ़ती है।

शिक्षित बेरोजगारी  -सबसे भयावह तरह की बेरोजगार है जब शिक्षित युवक अपने शिक्षा के अनुरूप उचित रोजगार पाने में असमर्थ है। अच्छे शिक्षित युवक तो है लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि नहीं हो रही है।

आद्योगिक बेरोजगारी  -यह अनपढ़ व्यक्ति जो शहरी क्षेत्रों में कारखानों में कार्य करने में इच्छुक और सक्षम है लकिन इस श्रेणी में कार्य नहीं पा सकते है।

भारत में दिन प्रतिदिन बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण है। सबसे प्रमुख है जनसंख्या वृद्धि। भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है। जनसंख्या वृद्धि एक मुख्या समस्या है जो बेरोज़गारी के लिए 100 फीसदी जिम्मेदार है। जितनी ज़्यादा जनसंख्या होगी उतनी ही रोजगार के स्तर पर मुकाबला होगा जिसमे ज़्यादातर लोगो को रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे अर्थात नौकरी के पोस्ट यानी पद  कम होंगे और उम्मीदवार ज़्यादा होंगे और गिने चुने लोगो को ही योग्यता अनुसार नौकरी मिलेगी।

आद्योगिक क्षेत्र में बढ़ता मशीनीकरण भी बेरोजगारी का दूसरा प्रमुख कारण है जिसके अंतर्गत एक मशीन चुटकी भर में कई लोगो के काम कर देता है जिससे कई लोग बेरोज़गार के दर पर आकर खड़े हो जाते है। मशीने कम वक़्त में जल्दी कार्य कर सकता है। इसी वजह से लोगो को रोजगार के अवसर मिलना बिलकुल ना के बराबर हो जाते है।

प्रत्येक वर्ष मशीनो के आने से लघु व्यवसाय ठप होने लगे और बेरोजगारी का दल जमा होने लगा। कंप्यूटर का अविष्कार मानवजाति के लिए महत्वपूर्ण है मगर इसने कई लोगो के रोजगार के मौको को भी छीना है।

कभी कभी लोगो को मन मारकर एक ऐसी नौकरी करनी पड़ती है जो उसकी योग्यता अनुसार नहीं है। क्यों की वह यही सोचता है कि कुछ ना करने से तो कुछ करना बेहतर है। इसी कारण उन्हें विवश होकर ऐसी नौकरी करनी पड़ती है।

कभी मनुष्य को नौकरी न मिलने से वह गलत संगत में पड़ जाता है और शार्ट कट से पैसे कमाने के चक्कर में गलत रास्ता पकड़ लेता है। सरकारे आयी और गयी लेकिन बेरोजगारी की समस्या हल होने का नाम ही नहीं लेती है। बेरोजगारी की समस्या चोरी, डैकती और गलत गैरकानूनी चीज़ो का बढ़ावा देती है।

दुनिया में हर देश में बेकारी संबंधित समस्याएं है लेकिन भारत में इस समस्या ने चरम सीमा पकड़ ली है। जनसँख्या वृद्धि जिस रफ़्तार से बढ़ रही है वह दिन दूर नहीं भारत जनसँख्या वृद्धि में पहले पायदान पर खड़ा पाया जाएगा। बेकारी का अगला प्रमुख कारण है शिक्षा प्रणाली। शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है यहाँ बिज़नेस संबंधित शिक्षा का अभाव देखा जा सकता है। विद्यार्थिओं को तकनिकी शिक्षा पर ज़ोर देना चाहिए।  प्रैक्टिकल क्षेत्रों पर पढ़ाने की आवश्यकता है ताकि युवक रटे रटाये नागरिक न बने। इंजीनियर तो है पर उन्हें मशीनो पर कार्य करना नहीं आता है।

स्किल डेवेलपमेंट जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए और युवाओं को नविन चीज़ो और वस्तुओं की खोज करने की इच्छाशक्ति प्राप्त हो ताकि देश को तरक्की की राह पर ले जा सके और विदेशी कंपनी हमारे देश के उद्योगों पर निवेश करना चाहे।

घरेलु उद्योगों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित ना किया जाना एक  प्रमुख कारण है जिससे बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है। बड़े व्यापारियों को बड़े रकम आसानी से प्राप्त हो जाते है मगर लघु उधोगो पर कोई ध्यान नहीं देता है। आम नागरिको को लघु उद्योगों के लिए निवेश नहीं मिल पाता है जिससे लघु उद्योगों की प्रगति रुक ही जाती है।

समस्याओं   का   समाधान

हमे अपनी शिक्षण प्रणाली को रोजगार अनुकूलित बनाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा को महत्व देने की आवश्यकता है। जो युवक स्वंग रोजगार करने की चाह रखते है उन्हें क़र्ज़ प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। देश में कल -कारखानों और नए उद्योगों की स्थापना करनी होगी जहाँ बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। सबसे पहले भ्र्ष्टाचार जो पीढ़ियों दर चली आ रही समस्याएं है जिन पर पर रोक लगाना आवश्यक है युवाओं की उम्मीदों को सही दिशा में प्रोत्साहित करना होगा ताकि वह रोज़गार अवसर हेतु नविन विचारो को तय कर सके।

भारत में बेरोजगारी मिटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आये दिन सरकार कई योजनाएं ले आयी है जैसे प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और शिक्षित बेरोजगार लोन योजना जिनका हमे सोच समझकर उपयोग करने की ज़रूरत है। गरीबी की रेखा में जीने वाले लोगो की अशिक्षा को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी होगी।

बेरोजगारी की इन समस्याओं के प्रति सरकार को और अधिक गंभीर होना चाहिए। शिक्षण प्रणाली में सुधार के संग पूरे देश को शिक्षित करना चाहिए ताकि कोई  नागरिक रोजगार से वंचित न रहे। जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं पर पूर्णविराम लगाने की आवश्यकता है।  भारत की भीषण आबादी बेरोजगार को बढ़ावा देने में सहायक है।  सरकार को नयी योजनाओं के साथ प्रशिक्षण केंद्र और शिक्षण व्यवस्था में बदलाव लाने की आवश्यकता है। नए विकास की नीतियों के साथ भारत को आगे बढ़ना है ताकि बेरोजगारी की इस समस्या को जड़ से मिटा सके।

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बेरोजगारी पर निबंध

essay writing on unemployment in hindi

By विकास सिंह

essay on unemployment in hindi

किसी भी देश की वृद्धि में एक बड़ी बाधा बेरोजगारी है। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी और प्रदर्शन के मुद्दे कुछ ऐसे कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

विकासशील देशों के सामने मुख्य समस्याओं में से एक बेरोजगारी है। यह न केवल देश की आर्थिक वृद्धि में बड़ी बाधाओं में से एक है, बल्कि व्यक्ति के साथ-साथ समाज पर भी कई अन्य नकारात्मक नतीजे हैं। हमारे देश में बेरोजगारी के मुद्दे पर विभिन्न लंबाई के कुछ निबंध दिए गए हैं।

बेरोजगारी पर निबंध, short essay on unemployment in hindi (200 शब्द)

जो लोग काम करने के लिए तैयार हैं और ईमानदारी से नौकरी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन वे बेरोजगार होने के लिए नहीं मिल रहे हैं। इसमें वे लोग शामिल हैं जो स्वैच्छिक रूप से बेरोजगार हैं और साथ ही कुछ शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्या के कारण नौकरी पाने में असमर्थ हैं।

विभिन्न कारक हैं जो देश में बेरोजगारी की समस्या को जन्म देते हैं। इसमें शामिल है:

  • धीमी गति से औद्योगिक विकास
  • जनसंख्या में तीव्र वृद्धि
  • सैद्धांतिक शिक्षा पर ध्यान दें
  • कॉटेज इंडस्ट्रीज में गिरावट
  • कृषि श्रमिकों के लिए वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की कमी
  • तकनीकी उन्नति
  • बेरोजगारी केवल व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि देश के विकास को भी प्रभावित करती है। यह देश के सामाजिक और
  • आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

यहाँ बेरोजगारी के कुछ परिणाम हैं:

  • अपराध दर में वृद्धि
  • जीवन स्तर खराब
  • कौशल की हानि
  • राजनैतिक अस्थिरता
  • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों
  • आर्थिक विकास धीमा

हैरानी की बात है कि समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक नतीजों के बावजूद, भारत में बेरोजगारी सबसे अधिक अनदेखी मुद्दों में से एक है। सरकार ने समस्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं; हालाँकि, ये पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। सरकार को न केवल इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कार्यक्रम शुरू करने चाहिए बल्कि उनकी प्रभावशीलता पर भी नजर रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन्हें संशोधित करना चाहिए।

बेरोजगारी पर निबंध, essay on unemployment in hindi (300 शब्द)

बेरोजगारी समाज के लिए अभिशाप है। यह न केवल व्यक्तियों को बल्कि समाज को भी समग्र रूप से प्रभावित करता है। ऐसे कई कारक हैं जो बेरोजगारी की ओर ले जाते हैं। यहाँ इन कारकों पर एक नज़र है और इस समस्या को नियंत्रित करने के संभावित समाधान भी।

भारत में बेरोजगारी के लिए अग्रणी कारक:

जनसंख्या में वृद्धि देश की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।

आर्थिक विकास धीमा देश की धीमी आर्थिक वृद्धि से लोगों के लिए कम रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।

मौसमी पेशा देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है। यह एक मौसमी पेशा होने के साथ, यह केवल वर्ष के एक निश्चित हिस्से के लिए काम का अवसर प्रदान करता है।

औद्योगिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि देश में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि धीमी है। इस प्रकार, इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं।

कुटीर उद्योग में गिरावट कुटीर उद्योग में उत्पादन में भारी गिरावट आई है और इससे कई कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।

बेरोजगारी उन्मूलन के लिए संभावित समाधान:

जनसंख्या नियंत्रण देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।

शिक्षा व्यवस्था भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल विकास के बजाय सैद्धांतिक पहलुओं पर प्रमुख रूप से केंद्रित है। कुशल जनशक्ति उत्पन्न करने के लिए प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए।

औद्योगीकरण सरकार को औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों के लिए अधिक अवसर पैदा हो सकें।

विदेशी कंपनियों सरकार को अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विदेशी कंपनियों को देश में अपनी इकाइयां खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने चाहिए।

निष्कर्ष:

देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। जबकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन वांछित प्रगति नहीं हुई है। नीति-निर्माताओं और नागरिकों को रोजगार के लिए सही कौशल-सेट प्राप्त करने के साथ-साथ अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

बेरोजगारी पर निबंध, unemployment essay in hindi (400 शब्द)

भारत में बेरोजगारी को कई श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जिसमें प्रच्छन्न बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी, घर्षण बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी शामिल हैं।

इस प्रकार की बेरोजगारी के बारे में विस्तार से बताने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि वास्तव में किसे बेरोजगार कहा जाता है। यह मूल रूप से एक व्यक्ति है जो काम करने के लिए तैयार है और रोजगार के अवसर की तलाश कर रहा है, हालांकि, एक खोजने में असमर्थ है। जो लोग स्वेच्छा से बेरोजगार रहना चुनते हैं या किसी शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे के कारण काम करने में असमर्थ हैं उन्हें बेरोजगार नहीं गिना जाता है।

यहाँ विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी पर एक विस्तृत नज़र है:

प्रच्छन्न बेरोजगारी

जब किसी स्थान पर आवश्यक संख्या से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है, तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है। इन लोगों को हटाने से उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।

मौसमी बेरोजगारी

जैसा कि शब्द से पता चलता है, यह बेरोजगारी का वह प्रकार है जो वर्ष के कुछ मौसमों के दौरान देखा जाता है। ज्यादातर मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, रिसॉर्ट्स और बर्फ कारखाने शामिल हैं, कुछ के नाम।

खुली बेरोजगारी

यह तब होता है जब बड़ी संख्या में मजदूर नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं जो उन्हें नियमित आय प्रदान करता है। समस्या तब होती है जब अर्थव्यवस्था की विकास दर की तुलना में श्रम बल बहुत अधिक दर से बढ़ता है।

तकनीकी बेरोजगारी

तकनीकी उपकरणों के उपयोग ने मैनुअल श्रम की आवश्यकता को कम करके बेरोजगारी को भी जन्म दिया है।

संरचनात्मक बेरोजगारी

देश की आर्थिक संरचना में एक बड़े बदलाव के कारण इस तरह की बेरोजगारी होती है। यह तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास का परिणाम है।

चक्रीय बेरोजगारी

व्यावसायिक गतिविधियों के समग्र स्तर में कमी से चक्रीय बेरोजगारी होती है। हालांकि, घटना अल्पकालिक है।

शिक्षित बेरोजगारी

एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थता, रोजगार योग्य कौशल की कमी और त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली कुछ ऐसे कारण हैं जिनके कारण शिक्षित व्यक्ति बेरोजगार रहता है।

ठेका

इस तरह की बेरोजगारी में लोग या तो अंशकालिक आधार पर नौकरी करते हैं या काम करते हैं जिसके लिए वे अधिक योग्य हैं।

प्रतिरोधात्मक बेरोजगारी

यह तब होता है जब श्रम बल और इसकी आपूर्ति की मांग को उचित रूप से समन्वयित नहीं किया जाता है।

जीर्ण बेरोजगारी

यह दीर्घकालिक बेरोजगारी है जो एक देश में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि और आर्थिक विकास के निम्न स्तर के कारण जारी है।

आकस्मिक बेरोजगारी

यह मांग में अचानक गिरावट, अल्पकालिक अनुबंध या कच्चे माल की कमी के कारण हो सकता है।

यद्यपि सरकार ने प्रत्येक प्रकार की बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, हालांकि, परिणाम संतोषजनक नहीं हैं। सरकार को रोजगार सृजन के लिए अधिक प्रभावी रणनीति तैयार करने की जरूरत है।

बेरोजगारी पर निबंध, essay on educated unemployment in hindi (500 शब्द)

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। भारत में इस मुद्दे को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन के मुद्दे और बढ़ती जनसंख्या दर सहित कई कारक हैं। बेरोजगारी के कारण व्यक्तियों के साथ-साथ पूरे देश में कई नकारात्मक नतीजे सामने आते हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई पहल की हैं। इनमें से कुछ का विस्तार से उल्लेख यहां किया गया है।

बेरोजगारी कम करने की सरकारी पहल:

  • स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण  1979 में शुरू किया गया, इस कार्यक्रम का नाम दिया गया, ग्रामीण रोजगार के लिए युवा रोजगार के प्रशिक्षण की योजना (TRYSEM)। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के बीच बेरोजगारी को कम करना है।
  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP)  1978-79 में, भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू किया। रुपये की राशि। इस कार्यक्रम पर 312 करोड़ रुपये खर्च किए गए और 182 लाख परिवार इससे लाभान्वित हुए।
  • विदेशों में रोजगार  सरकार लोगों को विदेशी कंपनियों में रोजगार दिलाने में मदद करती है। अन्य देशों में काम के लिए लोगों को नियुक्त करने के लिए विशेष एजेंसियों की स्थापना की गई है।
  • लघु और कुटीर उद्योग  बेरोजगारी के मुद्दे को कम करने के प्रयास में, सरकार ने लघु और कुटीर उद्योग भी विकसित किए हैं। कई लोग इस पहल के साथ अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
  • स्वर्ण जयंती रोज़गार योजना  इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी आबादी को स्वरोजगार के साथ-साथ मजदूरी-रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसमें दो योजनाएँ शामिल हैं:
  • शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम 
  • शहरी मजदूरी रोजगार कार्यक्रम
  • रोजगार आश्वासन योजना यह कार्यक्रम 1994 में देश के 1752 पिछड़े ब्लॉकों के रूप में शुरू किया गया था। इसने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब बेरोजगारों को 100 दिनों के लिए अकुशल मैनुअल काम प्रदान किया।

सूखा क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP) यह कार्यक्रम 13 राज्यों में शुरू किया गया था और मौसमी बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से 70 से अधिक सूखाग्रस्त जिलों को कवर किया गया था। अपनी सातवीं योजना में, सरकार ने रु। 474 करोड़ रु।

जवाहर रोज़गार योजना अप्रैल 1989 में शुरू किए गए कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक गरीब ग्रामीण परिवार में साल में पचास से सौ दिनों की अवधि के लिए न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार प्रदान करना था। व्यक्ति के आसपास के क्षेत्र में रोजगार का अवसर प्रदान किया जाता है और इनमें से 30% अवसर महिलाओं के लिए आरक्षित होते हैं।

नेहरू रोजगार योजना (NRY) इस कार्यक्रम के तहत कुल तीन योजनाएं हैं। पहली योजना के तहत, शहरी गरीबों को सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है। दूसरी योजना के तहत 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में मजदूरों के लिए मजदूरी-रोजगार की व्यवस्था की गई है। तीसरी योजना के तहत, शहरों में शहरी गरीबों को उनके कौशल से मेल खाते हुए रोजगार के अवसर दिए जाते हैं।

रोजगार गारंटी योजना इस योजना के तहत बेरोजगार लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसे केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि सहित कई राज्यों में लॉन्च किया गया है।

इसके अलावा, बेरोजगारी को कम करने के लिए इसी तरह के कई अन्य कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

हालांकि सरकार देश में बेरोजगारी की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है, लेकिन सच्चे अर्थों में इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए अभी भी बहुत काम करने की आवश्यकता है।

बेरोजगारी पर निबंध, long essay on unemployment in hindi (600 शब्द)

बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। ऐसे कई कारक हैं जो इसे आगे बढ़ाते हैं। इनमें से कुछ में उचित शिक्षा की कमी, अच्छे कौशल सेट की कमी, प्रदर्शन करने में असमर्थता, अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी और तेजी से बढ़ती जनसंख्या शामिल हैं। यहां देश में बेरोजगारी के आंकड़ों, बेरोजगारी के परिणामों और सरकार द्वारा इसे नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर एक नजर है।

बेरोजगारी: भारत में सांख्यिकी:

भारत का श्रम और रोजगार मंत्रालय देश में बेरोजगारी का रिकॉर्ड रखता है। बेरोजगारी की माप की गणना उन लोगों की संख्या के आधार पर की जाती है जिनके पास 365 दिनों के दौरान पर्याप्त मात्रा में कोई काम नहीं था, जो डेटा के टकराव की तारीख से पहले थे और अभी भी रोजगार की तलाश कर रहे हैं।

भारत ने 1983 से 2013 तक औसतन 7.32 प्रतिशत बेरोजगारी दर देखी, जो वर्ष 2009 में सर्वाधिक 9.40 प्रतिशत और 2013 में 4.90 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट के साथ दर्ज की गई। वर्ष 2015-16 में बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत के साथ काफी बढ़ गई। महिलाओं के लिए और पुरुषों के लिए 4.3 प्रतिशत है।

बेरोजगारी का परिणाम:

बेरोजगारी गंभीर सामाजिक-आर्थिक मुद्दों की ओर ले जाती है। यह केवल व्यक्तियों को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करता है। नीचे साझा किए गए हैं बेरोजगारी के कुछ प्रमुख परिणाम:

गरीबी में वृद्धि यह बिना कहे चला जाता है कि बेरोजगारी दर में वृद्धि से देश में गरीबी की दर में वृद्धि होती है। देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा के लिए बेरोजगारी काफी हद तक जिम्मेदार है।

अपराध दर में वृद्धि एक उपयुक्त नौकरी खोजने में असमर्थ, बेरोजगार बहुत आम तौर पर अपराध का रास्ता अपनाता है क्योंकि यह पैसा बनाने का एक आसान तरीका लगता है। चोरी, डकैती और अन्य जघन्य अपराधों के तेजी से बढ़ते मामलों का एक मुख्य कारण बेरोजगारी है।

श्रम का शोषण कर्मचारी आमतौर पर कम वेतन देकर बाजार में नौकरियों की कमी का लाभ उठाते हैं। नौकरी पाने में असमर्थ अपने कौशल से मेल खाते लोग आमतौर पर कम भुगतान वाली नौकरी के लिए व्यवस्थित होते हैं। कर्मचारी भी प्रत्येक दिन निर्धारित घंटों से अधिक काम करने के लिए मजबूर हैं।

राजनैतिक अस्थिरता रोजगार के अवसरों में कमी से सरकार में विश्वास की कमी होती है और इससे अक्सर राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है।

मानसिक स्वास्थ्य बेरोजगार लोगों में असंतोष का स्तर बढ़ता है और यह धीरे-धीरे चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

कौशल की हानि लंबे समय तक नौकरी से बाहर रहना एक नीरस बनाता है और अंततः कौशल का नुकसान होता है। यह काफी हद तक एक व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करता है।

भारत सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के साथ-साथ देश में बेरोजगारों की बहुत मदद करने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से कुछ एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP), जवाहर रोजगार योजना, सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP), स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण, नेहरू रोजगार योजना (NRY), रोजगार आश्वासन योजना, प्रधान मंत्री एकीकृत शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (शामिल हैं) PMIUPEP) संगठित क्षेत्र का विकास, रोजगार आदान-प्रदान, विदेश में रोजगार, लघु और कुटीर उद्योग, रोजगार गारंटी योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, कुछ नाम।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार के अवसरों की पेशकश के अलावा, सरकार शिक्षा के महत्व और बेरोजगार लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भी संवेदनशील है।

बेरोजगारी समाज में विभिन्न समस्याओं का मूल कारण है। जबकि सरकार ने इस समस्या को कम करने के लिए पहल की है, लेकिन किए गए उपाय पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस समस्या को उत्पन्न करने वाले विभिन्न कारकों का प्रभावी और एकीकृत समाधान देखने के लिए अच्छी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए। यह समय है कि सरकार को मामले की संवेदनशीलता को पहचानना चाहिए और इसे कम करने के लिए कुछ गंभीर कदम उठाने चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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हमारे देश में पहले इतना बेरोजगारी नही था जितना अब है। पढ़े और अनपढ़ में कोई फर्क नही रह गया। जिसका पूरा श्रेय bjp सरकार को जाता है।

Acha hai Nice Kiraak Ek number Awesome Superb

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बेरोजगारी पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi 500 Words | PDF

Essay on unemployment in hindi.

Essay on Unemployment in Hindi 500 + Words (Download PDF) बेरोजगारी पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – बेरोजगारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके कई दुष्परिणाम हैं, जिनका समाधान खोजना बहुत जरूरी है। आज इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे कि बेरोजगारी का मुख्य कारण क्या है और इसे कम करने के क्या उपाय हैं तो चलिए शुरू करते हैं – Essay on Unemployment in Hindi

भारत एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह विश्व का दूसरा महाद्वीप है। यह देश प्रकृति में बहुत समृद्ध है। दुनिया में सब कुछ यहीं पैदा होता है। इस देश को हरा-भरा बनाने में नदियां, पहाड़ सहायक हैं। समुद्री व्यापार के लिए हमारे पास एक समुद्र तट है।

प्रकृति ने इस देश को हर तरह से समृद्धि दी है, लेकिन फिर भी यह देश दुनिया के गरीब देशों में से एक है। गरीबी और दरिद्रता हर जगह राज करती है क्योंकि इस देश के नागरिकों के पास आजीविका का उचित साधन नहीं है। यहां बेरोजगारी फैली हुई है। बेरोजगारी भारत की एक गंभीर समस्या बनी हुई है।

बेरोजगारी के कारण औद्योगीकरण

फैक्ट्रियों में एक आदमी 100 आदमियों का काम मशीनों से कर सकता है, परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ने लगी है। तब से बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। कुटीर उद्योग आज भी नगण्य है। सरकार की औद्योगिक नीतियां पुरानी हैं, जिससे युवा दिन-ब-दिन बेरोजगार होते जा रहे हैं। इन नीतियों में सुधार की जरूरत है। ताकि रोजगार के नए रास्ते उपलब्ध हो सकें।

दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली

यहां प्राचीन काल से परम्परागत शिक्षा प्रणाली प्रचलित है। प्राइमरी, मिडिल, हाई स्कूल, इंटर, बीए, एमए की सीढ़ियां चढ़कर आज का युवा आखिरकार बेरोजगारी की मंजिल पर पहुंच ही जाता है। यहां उसे केवल अशांति, निराशा, निराशा ही मिलती है। हमारी शिक्षा में रोजगार देने की क्षमता नहीं है। युवा शिक्षित तो हो जाते हैं लेकिन रोजगार पाने की कला से वंचित ही रहते हैं।

जनसंख्या वृद्धि के कारण

अधिक जनसंख्या के कारण समाज में बेरोजगारी बढ़ने लगती है। आजीविका के साधन सीमित हैं और इसे प्राप्त करने वाले असीमित हैं। इसलिए सीमित संख्या में लोगों को ही रोजगार मिलेगा। बाकी बेरोजगारी के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार, पक्षपात, भाई-भतीजावाद आदि के कारण आम आदमी को बेरोजगारी का शिकार होना पड़ता है। मंत्री, नेता, अधिकारी अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों के लिए रोजगार प्रदान करते हैं और उनके हाथों में हमारी लगाम और भाग्य की कलम होती है।

ये भी देखें – Essay on Indian farmer in Hindi

बेरोजगारी के परिणाम

रोजगार के अवसरों की कमी के कारण आज का युवा गलत शिक्षा की ओर रुख कर रहा है। समाज में चोरी, डकैती, धोखाधड़ी, यहां तक ​​कि हत्या जैसे अपराध बेरोजगारी के कारण पनपते हैं जो सरकार और समाज के लिए एक समस्या बन जाते हैं। ऐसे अपराधों की लगभग सभी घटनाएं बेरोजगारी के कारण होती हैं।

बेरोजगारी के कारण कुशल और शिक्षित युवा उपयुक्त रोजगार की तलाश में अन्य स्थानों की ओर पलायन करते हैं। गांवों में बेरोजगारी के कारण गांव के युवा गांव छोड़कर शहर की ओर भाग रहे हैं. जिससे गांव में योग्य और कुशल लोगों की कमी के कारण सुधार रुक जाता है।

देश में अच्छे रोजगार की कमी के कारण विभिन्न क्षेत्रों के कई वैज्ञानिक विदेशों की ओर भाग रहे हैं। आज भारतीय वैज्ञानिक और डॉक्टर यूरोप के लगभग सभी देशों में कार्यरत पाए जाते हैं, जिन्हें अब वहां की नागरिकता मिल गई है।

अमेरिका में कुल वैज्ञानिकों और डॉक्टरों में से 20% भारतीय वैज्ञानिक और डॉक्टर हैं जो अमेरिकी नागरिक बन गए हैं। इसी तरह अन्य देशों में भी भारत के योग्य और कुशल नागरिकों का प्रवास हो रहा है।

बेरोजगारी दूर करने के उपाय

बेरोजगारी की कुछ गंभीर समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए अन्यथा यह समस्या दिन पर दिन विकराल होती जा रही है। इसलिए इस बढ़ती बेरोजगारी को रोकना जरूरी है। देश के कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर हस्तशिल्प को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार रोजगार मिल सके।

कुटीर उद्योगों के निर्माण से गांव से लोगों का पलायन रुकेगा। हर क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाया जाए, उसके लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। सरकार को शहर की बजाय गांव पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए। बच्चों को स्कूल से ही अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए रोजगार और शिक्षा दी जाए। स्कूलों में केवल वही शिक्षा दी जानी चाहिए जो व्यावहारिक जीवन में उपयोगी हो सके।

ये भी देखें – Essay on importance of sprots in Hindi

देश में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और अन्य कुशल लोगों को अपने ही देश में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। हर क्षेत्र में आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों को पक्षपातपूर्ण नीतियां नहीं अपनानी चाहिए। सरकार को धन का समान वितरण करना चाहिए, क्योंकि गलत नीतियों के कारण अधिकांश धन कुछ व्यक्तियों तक पहुँच जाता है।

बेरोज़गारी भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के लिए एक मुख्य समस्या है। इसके बहुत ही दुष्प्रभाव होते है जिनका हल खोजना अतिआवश्यक है। आज हम इस निबंध के माध्यम से यह जानेंगे की बेरोज़गारी के मुख्य कारण क्या है और इसको कम करने के क्या उपाय है, तो आइये शुरू करते है –

लोगों को न केवल रोजगार के लिए रोजगार की तलाश करनी चाहिए, बल्कि अपने नए विकास कार्यों पर ध्यान देकर किसी भी तरह से उत्पादन बढ़ाना चाहिए। दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अपना काम अपने दम पर करें। आरामदायक जीवन जीने के लिए मोहताज न हों। अपने जीवन को इतना कठिन बना लें कि किसी भी समय किसी भी कठिनाई का आसानी से सामना किया जा सके।

Download PDF – Click Here

Q&A. on Unemployment in Hindi

बेरोजगार किसे माना जाता है.

उत्तर – यदि लोगो के पास नौकरी नहीं है, तो ऐसे लोगो को बेरोजगार के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और यदि सक्रिय रूप से पिछले 4 सप्ताह में काम की तलाश की है और वर्तमान में काम की तलाश में हैं।

बेरोजगारों की गिनती में कौन नहीं आता?

उत्तर – बेरोज़गारी दर उन श्रम को मापती है जिनके पास वर्तमान में कोई काम या नौकरी नहीं है परन्तु सक्रिय रूप से काम की तलाश में हैं। ऐसे लोगो को इस बेरोजगारों में शामिल नहीं किया गया है जो पिछले चार हफ्तों में काम की तलाश नहीं की है।

बेरोजगारी के परिणाम क्या हैं?

उत्तर – जब बेरोजगारी दर उच्च होती है, तो आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह पुनर्वितरण दबाव और विकृतियां उत्पन्न करती है, बेरोजगारी संसाधनों को बर्बाद करती है और गरीबी बढ़ाती है, श्रम गतिशीलता को सीमित करती है।

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Unemployment essay in hindi (berojgari) बेरोजगारी बेकारी पर निबंध.

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Unemployment Essay in Hindi 300 Words

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Unemployment Essay in Hindi 300 Words (Berojgari)

बेरोजगारी पर निबंध

जो व्यक्ति काम करना चाहता है और ईमानदारी से नौकरी की तलाश कर रहा है, पर उसे किसी भी कारण नौकरी नहीं मिल रही, उन्हें बेरोजगार कहा जाता है। बेरोजगारी एक विश्वव्यापी अभिशाप है जिसे न्यायालयों बीमारी की मां के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह बेईमानी, भ्रष्टाचार और झूठ को प्रोत्साहित करता है। यह मानव चरित्र के अंधेरे पक्ष को विकसित करता है। गरीबी, जनसंख्या, प्रभावी शिक्षा प्रणाली और औद्योगिक विकास पर बेरोजगारी के विभिन्न कारण हैं। इसी तरह इस विशाल समस्या की जांच करने के लिए कई कदम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार इस समस्या से पूरी तरह अवगत है लेकिन इस समस्या की जांच करने के लिए त्वरित उपचार की आवश्यकता है।

गरीबी और बढ़ती हुई भारत की जनसंख्या बेरोजगारी के मुख्य कारण है। मोटे तौर पर यह कहना मुश्किल है कि एक व्यक्ति से सच्चाई, बड़प्पन और ईमानदारी की अपेक्षा करना चाहिए जो दिन में दो वर्गों में भोजन नहीं कर सकते। वह स्वयं की गरिमा की भावना खो देता है क्योंकि उसे सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है। वह नैतिकता के बजाय अपने अस्तित्व के बारे में चिंतित हैं। इसलिए, गरीबी राज्य के लिए एक बड़ा खतरा है। जनसंख्या का तेजी से विकास बेरोजगारी का कारण है। बढ़ती आबादी के साथ-साथ यह समस्या भी विकसित हुई है।

बेरोजगारी के लिए हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है। यह बड़ी संख्या में छात्रों को पैदा करता है, जिन्हें सिर्फ सैद्धांतिक शिक्षा का विशुद्ध साहित्यिक पढ़ाया जाता है और तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा का शायद ही कोई प्रावधान है। तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा न होने के कारण बेरोजगारी बढ़ जाती है। गरीबी, बढ़ती आबादी, शिक्षा के इलावा भी ऐसे बहुत से कारण है जो बेरोजगारी को बढ़ावा दे रहे है, जैसे कि मंदा औद्योगिक विकास, कुटीर उद्योग में गिरावट, मौसमी व्यवसाय, विदेशी कंपनियां और राजनैतिक अस्थिरता।

बेरोजगारी ही समाज की विभिन समस्याओं का कारण है, इसलिए सरकार को जल्दी से जल्दी इस बीमारी को जड़ से निकलना होगा। हलाकि सरकार द्वारा पहले भी बहुत सारी योजनाए बनाई जा चुकी है, जो प्रभाव-शाली नहीं रही है। अगर अभी कठोर कदम नहीं उठाये गए तो आने वाले समय में बेरोजगारी और भी नई समस्याएं पैदा कर सकती है।

Unemployment Essay in Hindi 1000 Words

युवावर्ग और बेकारी 

आजकल अनपढ़ तो किसी न किसी प्रकार से अपनी आजीविका कमा लेते हैं परन्तु पढ़े लिखे अपनी आजीविका कमाने में असमर्थ हैं।

देश में युवावर्ग की बेकारी का मुख्य कारण उचित शिक्षा का अभाव है। कितने दु:ख की बात है कि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पर अपने माँ बाप का इतना पैसा खर्च करवाते हैं परन्तु फिर भी उनकी शिक्षा के अनुरूप उनको कोई नौकरी नहीं मिल पाती। इस वर्तमान शिक्षा प्रणाली का सारा दोष लार्ड मैकाले को जाता है, जिसने इस देश में नौकर और गुलाम पैदा करने के लिए ही मानो यह व्यवस्था कायम की थी। आज के युग में जब शिक्षा के द्वार सभी के लिए खुले हुए हैं बिना उचित योग्यता के आज युवा वर्ग वैज्ञानिक, इन्जीनियर, अध्यापक या कम्प्यूटर का शिक्षक बनने के लिए प्रयत्नशील है। इतना ही नहीं, वह ऊँचे से ऊंचा प्रशिक्षण प्राप्त करके तकनीकी विशेषज्ञ की नौकरी तलाश करता है क्योंकि आर्थिक तंगी के कारण वह कोई फैक्टरी नहीं चला सकता।

पहले लोग सारा कार्य अपने हाथों से करते थे। कहीं सूत काता जाता था, कहीं कपड़े बुने जाते थे जिससे लोग घरेलू उद्योग धन्धों द्वारा अपनी आजीविका कमाते थे। परन्तु मशीनों का युग आते ही बड़े-बड़े कारखाने लगाए गए जिससे सौ व्यक्तियों का काम एक ही मशीन कर देती है। इससे बेकारी को बढ़ावा मिला तथा छोटे मोटे उद्योग बन्द होने आरम्भ हो गए।

हमारे देश में जनसंख्या में दिन प्रति दिन अत्याधिक वृद्धि हो रही है। वर्ष भर में जितने व्यक्तियों को काम पर लगाया जाता है, उससे कई गुणा अधिक बेकारी की संख्या को बढ़ा देते हैं। आज के युवा वर्ग में मिथ्या स्वाभिमान पाया जाता है। वह भूखा मरना तो पसन्द करता है परन्तु कोई छोटा सा कारोबार या छोटा उद्योग लगाकर अपना जीवन बिताना पसन्द नहीं करता। आज का युवक केवल कार्यालय का बाबू बनना ज्यादा पसन्द करता है।

हमारी सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था बेकारी बढ़ाने में अपना पूरा योगदान प्रदान करती है। साधु संन्यासियों को दान देना पुण्य का कार्य समझा जाता है जिससे कई हृष्ट-पुष्ट व्यक्तियों ने इसे अपना व्यवसाय बना लिया है। इससे बेकारी में लगातार वृद्धि होती जा रही है। हमारा सामाजिक ढाँचा ही कुछ ऐसा बन गया है कि व्यवस्था के अनुसार विशेष वर्ग के लोगों के लिए विशेष कार्य हैं, जिन्हें करना विशेष वर्ग का व्यक्ति अपना परम कर्तव्य समझता है।

बेरोज़गारी के कारण नवयुवकों में असन्तोष की भावना पाई जाती है जिससे समाज में अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यदि इस समस्या का हल शीघ्र न निकाला गया तो यह स्थिति विकराल रूप धारण कर सकती है, जिस पर काबू पाना कठिन हो जाएगा।

सबसे पहले हमें शिक्षा प्रणाली में सुधार करने होंगे। शिक्षा केवल किताबी न होकर व्यावहारिक होनी चाहिए। ऐसे प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं जहां विद्यार्थी बारहवीं की पढ़ाई पूरी करके साथ में पढ़ भी सकें और साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकें ताकि बाद में उनको व्यवसाय के लिए परेशानी न उठानी पड़े।

छोटे-छोटे उद्योग धन्धों जैसे सूत कातना, कपड़े बुनना, शहद तैयार करना, इत्यादि का विकास किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।

बेकारी की समस्या को कम करने के लिए देश में बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। हमें आत्म संयम से रहना होगा, परिवार नियोजन की योजनाओं को और अधिक कारगर ढंग से लागू करना चाहिए। विवाह की आयु का नियम सारे देश में एक समान होना चाहिए।

आज भारत देश में लोग आलसी होते जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति मेहनत द्वारा रोटी कमाकर खाने की बजाए पकी-पकाई रोटी खाना चाहता है। सभी सरल कार्य करके रातों रात अमीर बनने के सपने देखते हैं। इसलिए हमें अपने इस आलस्य को दूर करना होगा और कोई न कोई धन्धा अपनाकर अपना गुजारा करना होगा।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। बेकारी की समस्या जितनी शहरों में है उतनी ही गावों में भी है। गांवों में छोटे-छोटे उद्योगों का विकास होना चाहिए ताकि गांव के लोगों को नौकरी के लिए शहर न आना पड़े। भारत सरकार बेकारी की समस्या को हल करने के लिए जागरूक है। इस दिशा में उसने महत्त्वपूर्ण कदम उठाए भी हैं। बैंकों का राष्ट्रीयकरण, परिवार नियोजन, कच्चा माल एक दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि की हदबन्दी, नए नए उद्योगों की स्थापना, प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना आदि अनेक ऐसे कार्य हैं, जो बेरोजगारी दूर करने में कुछ सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं।

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in Hindi

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Unemployment in Hindi पर पुरा आर्टिकल। बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश को अंदर से खोकला कर रही है। आज यह सबसे बड़ी समस्या है जिसको खत्म करने के लिए हमें सबसे पहले इसको अच्छे से जानना होगा। इस आर्टिकल में हम Unemployment के अलग अलग तरह के essay लिख रहे हो आपको Unemployment को समझने में बहुत मदद करंगे।

अगर आप Unemployment के ऊपर essay ढूंढ रहे है तो यह आर्टिकल आपकी बहुत मदद करेगा । आईये पढ़ते है Essay on Unemployment in Hindi पर बहुत कुछ लिख सकते है।

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भारत में बेरोज़गारी की समस्या एक भयानक समस्या है। यहाँ लगभग 44 लाख लोग प्रतिवर्ष बेरोज़गारों की पंक्ति में आकर खड़े हो जाते हैं। आज भारत में करोडों अशिक्षित और शिक्षित बेरोजगार हैं। बेरोज़गारी का पहला और सबसे मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होना है। भारत में जनसंख्या 25 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। जिसके लिए प्रतिवर्ष 50 लाख व्यक्तियों को रोज़गार देने की आवश्यकता पड़ती है जबकि मात्र 5-6 लाख लोगों को ही रोज़गार मिल पाता है। बेरोज़गारी के लिए हमारी शिक्षाप्रणाली दोषपूर्ण है।

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यहाँ व्यवसाय प्रधान शिक्षा का अभाव है। व्यावहारिक या तकनीकी शिक्षा के अभाव में शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी बेरोज़गार रहता है। इसके अतिरिक्त लघु और कुटीर उद्योगों के बंद होने के कारण भी बेरोज़गारी बढ़ रही है। कच्चे माल के अभाव और तैयार माल के बाज़ार में खपत न होने के कारण श्रमिक लघु एवं कुटीर उद्योगों को छोड़ रहे हैं। इस प्रकार बेरोज़गारी की समस्या और बढ़ रही है।

यंत्रीकरण अथवा मशीनीकरण ने भी असंख्य लोगों के हाथ से रोज़गार छीनकर उन्हें बेरोज़गार कर दिया है, क्योंकि एक मशीन कई श्रमिकों का काम निपटा देती है। फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार हो रहे हैं।

इस बेरोज़गारी का समाधान भी संभव है। बेरोज़गारी को कम करने का सर्वोत्तम उपाय है-जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना। जनसंख्या को बढ़ने से रोककर भी बेरोज़गारी को रोका जा सकता है। इसके अलावा शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाना चाहिए ताकि शिक्षित होने के बाद विद्यार्थी को रोज़गार मिल सके। बेरोज़गारी कम करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास भी अत्यावश्यक है।

सरकार द्वारा धन, कच्चा माल, तकनीकी सहायता देकर तथा इनके तैयार माल की खपत कराके इन उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिएइससे भी बेरोज़गारी में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त मुर्गी पालनदुग्ध व्यवसायबागवानी आदि उद्योग-धंधों को विकसित करके भी रोज़गार बढ़ाया जा सकता है।

सरकार को चाहिए कि बेरोज़गारी को कम करने के लिए वह सड़क-निर्माणवृक्षारोपण आदि कार्यों पर जोर दे ताकि अशिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार मिल सके। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जन्म दर में कमी करके, शिक्षा का व्यवसायीकरण करके और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देकर बेरोज़गारी का स्थायी समाधान सम्भव है।

रोजगार व्यक्ति की आधारभूत आवश्यकता है. ईश्वर ने हमें मस्तिष्क, हाथ, पाँव, दिमाग की अनेक शक्तियाँ, हृदय और भावना प्रदान की हैं जिससे कि उनका पूर्ण सदुपयोग किया जा सके और मनुष्य आत्मसिद्धि प्राप्त कर सके. शायद हमारे जीवन का ही लक्ष्य हो, किन्तु यदि हमारे पास करने को कोई काम ही नहीं है, यदि ऊपर वर्णित शक्तियों का प्रयोग करने के लिए हमारे पास अवसर ही नहीं है, तो बहुतसी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं. प्रथम हम अपनी शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकतेद्वितीय, कार्य की अनुपस्थिति में हमें शरारत करना आएगा. तृतीय, उपयुक्त रोजगार अवसरों के अभाव में हम अपना नैतिक और आध्यात्मिक विकास भी करने में समर्थ नहीं होंगे. इस प्रकार ऐसे समाज में, जिसमें रोजगार की समस्या जटिल है, उसमें निराशा, अपराध और अविकसित व्यक्तित्व होंगे.

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भारत लगभग इसी प्रकार की परिस्थिति से गुजर रहा है. यहाँ बेरोजगारी की समस्या वड़ी जटिल हो गई है. हमारे रोजगार कार्यालयों में करोड़ों लोग पंजीकृत हैं जिनको काम दिया जाना है. इनके अतिरिक्त, ऐसे भी व्यक्ति हैं, और उनकी संख्या भी लाखों में है, जोकि अपने को रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत नहीं करा पाते.

भारत में बेरोजगारी की समस्या के कई कारण हैं. पहला कारण है तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, सरकारजिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ती है, उस अनुपात में नौकरियों का सृजन नहीं कर पाती. द्वितीय, हमारी दूषित शिक्षा व्यवस्था ने भी समस्या को उलझा दिया है, जबकि लाखों की तादाद में लोग रोजगार की तलाश कर रहे हैं, वहीं बहुत से उद्योग, प्रतिष्ठान और संस्थाएँ ऐसी हैं, जहाँ पर उपयुक्त कार्य करने वालों की बहुत कमी है. हम रोजगारपरक शिक्षा को प्रारम्भ नहीं कर पाए हैं और न उद्योग के साथ शिक्षा का तालमेल ही बैठा पाए हैं.

बेरोजगारी का एक अन्य कारण अपर्याप्त औद्योगीकरण और कुटीर उद्योग धन्धों की मंद प्रगति है. बड़े बड़े उद्योगपतियों के निहित स्वार्थों के कारण कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं मिल पाता. हमारे बेरोजगार युवकों का सफेदपोश नौकरी के लिए प्रेम भी वेरोजगारी का एक अन्य कारण है. हमारे नौजवान नियमित नीकरी की तलाश में अपनी शक्ति एवं संसाधन खर्च कर देंगेकिन्तु अपना कारोबार प्रारम्भ नहीं करेंगे.

यहाँ तक कि एक कृषि स्नातक भी खेतों में कार्य नहीं करेगा, बल्कि कृषि संस्थानों या सरकारी नौकरी में उपयुक्त पद के लिए प्रतीक्षा करेगा. वास्तव में हमारे नवयुवकों का भी दोष नहीं. अपने कारोबार में विनियोग करने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन एवं पूंजी नहीं है. वे अप्रशिक्षित भी होते हैं और उनकी प्रशिक्षण और परामर्शी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है. इन कठिनाइयों के कारण उनकी जोखिम उठाने की क्षमता कमजोर पड़ती है और स्वतन्त्र

कारोबार प्रारम्भ करने की उनकी इच्छा कुंठित हो जाती है. एक कारण यह भी है कि नवयुवकों में अपने पैतृक व्यवसाय छोड़ने की प्रवृत्ति हो गयी है. पुराने जमाने में पुत्र अपने पिता का व्यवसाय अपना लेता था इसलिए उसके लिए बेरोजगारी की समस्या का प्रश्न ही नहीं उठता था. हमारे देश में बेरोजगारी का एक अन्य कारण है, दूषित नियोजन, हमारे नियोजक मानवशक्ति के नियोजन की ओर उचित ध्यान देने में असफल रहे हैं.

वे अपना सारा ध्यान संसाधनों के नियोजन की ओर लगाते रहे हैं. यही कारण है कि नियोजन के फलस्वरूप काफी मात्रा में सृजित पूंजियों और उससे उत्पन्न हुए कुल सुख में बड़ा भारी अन्तर है. कुल राष्ट्रीय उत्पादन के सन्दर्भ में देश कितना ही सम्पन्न क्यों न हो जाए नागरिकों का सुख सुनिश्चित नहीं किया जा सकता यदि उपयुक्त और सही रोजगार के अवसर प्रदान नहीं किए जाते, किन्तु बेरोजगारी की समस्या के लिए केवल सरकार को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता. भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं जो कार्य की प्रतिष्ठा को नहीं समझते हैं और ऐसी नौकरियों की प्रतीक्षा करते रहते हैं जिनमें काम तो कम करना पड़े और प्राप्ति अधिक हो. उनकी सुस्ती और कठिन कार्य में लगने की अनिच्छा उनको बेरोजगार रखती है.

बेरोजगारी की समस्या का शीघ्र से शीघ्र हल निकालना होगा. सबसे बड़ी आवश्यकता मानव शक्ति का नियोजन है. हमें अपने नवयुवक और नवयुवतियों को रोजगार परक और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करनी होगी. त्वरित औद्योगीकरण और कुटीर उद्योगों के लिए उचित प्रोत्साहन की आवश्यकता है. काफी संख्या में प्रत्येक गाँव, कस्वा और शहर में लघु स्तर के एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना से रोजगार के असंख्य अवसर खिलेंगे. हमारे नवयुवकों में जोखिम उठाने की भावना का संचार करना पड़ेगा और धन्धा प्रारम्भ करने के लिए उन्हें पथ प्रदर्शन देना पड़ेगा.

आसान शतों पर विनियोग हेतु उनको पूंजी उपलब्ध करानी होगी. अन्त में, हमें जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना होगा. संतोष का विषय है कि हमारे नियोजक इसी दिशा में कार्य कर रहे हैं. रोजगार की कई योजनाएं चलाई गई हैं, जिनमें से मुख्य हैं ट्राइसेम (ट्रेनिंग ऑफ रूरल यूथ फॉर सैल्फ इम्पलॉयमेंट) और ग्रामीण वेरोजगारों के लिए एन. आरई. पी. (नेशनल रूरल इम्पलॉयमेंट प्रोग्राम). आरएल. ई. जी. पी (रूरल लैंडस इम्पलॉयमेंट गारंटी प्रोग्राम), स्पेशल कम्पोनेंट प्लान, जवाहर रोजगार योजना तथा नेहरू रोजगार योजना आदि. जवाहर रोजगार योजना को अब ग्राम समृद्धि योजना में परिवर्तित कर दिया गया है.

ग्रामीण बेरोजगारी की अन्य योजनाएं हैं अन्नपूर्णा योजना तथा स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजनानगरीय लोगों के लिए नेहरू रोजगार योजना का पुनः नामकरण करके उसे स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना’ कहा जाने लगा है. वर्ष 2006 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना प्रारम्भ की गई है जिसका उद्देश्य है गाँवों के निर्धन बेरोजगारों को वर्ष में 10 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना देश का औद्योगीकरण तीव्रगति से आगे बढ़ रहा है.

सरकार ने कुछ संस्थानों में स्वयं उद्यम चलाने से सम्बन्धित पाठ्यक्रम का प्रचलन किया है जिससे कि गतिशील नवयुवकों को अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके. कुछ राज्य सरकारों ने हाईस्कूल और माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा के कोर्टों का प्रचलन किया है और चुनी हुई संस्थाओं में विभिन्न ट्रेडों की स्थापना के लिए धन जुटाया है. योजना कार्यक्रम का विस्तार करके सभी संस्थाओं में व्यावसायिक शिक्षा के कोर्स प्रारम्भ करने की है

. बड़ी संख्या में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) खोले जा रहे हैं. इस व्यवस्था से पिछले समय में बहुत अच्छे नतीजे निकले हैं. आर्थिक उदारीकरण कार्यक्रम से रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं.

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परिश्रमी और उत्साही नवयुवक स्वयं के उद्यम स्थापित करने हेतु आकर्षित हो रहे हैं. इस प्रकार व्यक्तिगत क्षेत्र में रोजगार की क्षमता बढ़ी है. आगे और भी अधिक उदारीकरण से हमारे साहसी और प्रतिभाशाली युवकों के लिए रोजगार के आकर्षक अवसर खुलेंगेऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जिनमें लोगों ने बिल्कुल शुरूआत से प्रारम्भ किया और थोड़े से समय के कमरकस श्रम के बल पर लाखों रुपए कमाए और अपने को ही नहीं दूसरों को भी रोजगार प्रदान किया.

भारत के पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कुछ क्षेत्रों में आर्थिक क्रिया अपनी चरम सीमा पर है और बेरोजगारी का लगभग अस्तित्व ही नहीं रहा. हमें अपने आलस्य को त्याग मैदान में कूदना है, जिसको परिश्रमी और साहसी युवकों की प्रतीक्षा है.

Essay on Unemployment in Hindi  बेरोजगारी पर निबन्ध

भारत एक विकासशील देश है। इस समय इसके सम्मुख लगभग वे सभी समस्याएं विद्यमान हैं, जो प्राय: विकासशील देशों के सम्मुख होती हैं। उन समस्याओं में सर्वप्रमुख समस्या बेरोजगारी है। भारत में तीन प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती हैपूर्ण बेरोजगारी, अर्द्ध बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी। बेरोजगारी किसी भी प्रकार की क्यों न हो, किसी भी देश के लिए इसका सीमा से अधिक बढ़ना बहुत ही भयानक और विस्फोटक होता है।

ग्रामीण और शहरी इलाकों के आधार पर बेरोजगारी का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि शहरों में अधिक संख्या शिक्षित बेरोजगारों की होती है। गाँवों में तथा गांवों से शहरों में आए बेरोजगारों में अशिक्षित बेरोजगारों की संख्या ही अधिक होती है। देहातों में रहने वाले किसानों को अर्द्धबेरोजगारी का सामना करना पड़ता। है, क्योंकि कृषि कार्य एक मौसमी उद्यम है। इसी कारण खेतिहर मजदूर वर्ष भर काम न मिलने के कारण अर्द्धबेरोजगार के रूप में समय गुजारते हैं।

ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य साधन कृषि ही होता है। यद्यपि वहाँ हथकरघा या दस्तकारी से जुड़े कार्य भी किए जाते हैं, लेकिन उनमें रोजगार के अवसर सीमित होते हैं। शहरी इलाकों में व्यापार, सरकारी तथा प्राइवेट नौकरियाँनिजी व्यवसाय, विभिन्न प्रकार के अन्य कामधंधे तथा दुकानदारी आदि रोजगार के प्रमुख साधन होते हैं, परंतु इनमें भी धीरे-धीरे रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं।

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आज प्रमुख और विचारणीय प्रश्न यह है कि देश में बेरोजगारी की समस्या इतनी भयंकर क्यों हो गई है? इसका मुख्य कारण यह है कि देश में जितनी तेजी से आर्थिक विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। दूसरा प्रमुख कारण देश की जनसंख्या का बहुत तेजी से बढ़ना है, जिसके फलस्वरूप बेरोजगारी की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। देश को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सही दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। देश के नीतिनिर्माताओं को नीतियाँ बनाते समय यह देखना चाहिए कि देश में बेरोजगारी की प्रकृति स्वरूप और स्थिति कैसी है, बेरोजगारों की संख्या कितनी है तथा उन सभी के लिए किस प्रकार रोजगार की समुचित व्यवस्था की जाए। नीति-निर्माताओं को यह भी देखना चाहिए कि नई बनी नीतियों से रोजगार के अवसर किस हद तक पैदा होंगे तथा लोगों को किस प्रकार की तथा कितनी शिक्षा या प्रशिक्षण की व्यवस्था करानी होगी। परंतु दुर्भाग्यवश हमारे नीति-निर्माता योजनाएँ बनाते समय इन बातों को महत्व नहीं देते। आजादी के बाद से अब तक विभिन्न पंचवर्षीय योजनाएँ बनती रहीं, लेकिन बेरोजगारी की निरंतर बढ़ती समस्या के समाधान के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की गई। यदि हमारे योजनाकारों ने जनसंख्या को वृद्धि पर आरंभ से ही अंकुश लगाने की दिशा में प्रयास किए होते, तो आज स्थिति इतनी खराब नहीं होती।

देश में जनसंख्या वृद्धि के साथसाथ बेरोजगारों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि होती रही है। यद्यपि सरकार ने नए उद्योग-धंधों की स्थापना की, परंतु उससे रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन न हो सका। शिक्षा का विस्तार हुआ, परंतु योजनाएँ आवश्यकतानुरूप नहीं बनीं और शिक्षित बेरोजगारों की कतार लंबी होती चली गई।

यद्यपि सरकार ने विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विकास के कार्यक्रम लागू किएलेकिन उनका लाभ ग्रामीण क्षेत्रों को नहीं मिला। इन क्षेत्रों में सरकार ने उद्योग-धंधों के विकास के लिए कोई प्रयास नहीं कियाफलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र पिछड़ते चले गएबेरोजगारों की भीड़ ने रोजगार की तलाश में शहरों की ओर रुख किया, जिससे शहरों में भी बेरोजगारी की समस्या बढ़ती चली गई।

इस संदर्भ में जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है, यह देखने में आ रहा है कि शिक्षा व्यवस्था हमारी योजनाओं का अंग तो बन चुकी है, लेकिन इस शिक्षा व्यवस्था का देश की जनशक्ति की विविध आवश्यताओं के साथ कोई तालमेल नहीं है। शिक्षा के विकास का सीधा संबंध रोजगार से होना चाहिएपरंतु ऐसा न होने के कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में अतिशय वृद्धि होती रही है। आज के शिक्षित बेरोजगारों की मनोवृत्ति का भी इसमें कम योगदान नहीं है। आज सामान्य शिक्षा प्राप्त युवक भी सिर्फ कार्यालयी कार्य ही करना चाहता है, वह दस्तकारी या हाथ व कपड़े गंदे करने वाला काम नहीं करना चाहता। दूसरी ओर जिन नवयुवकों ने तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की होती है, वे भी रोजगार के अवसरों की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण बेरोजगार बने रहते हैं। आर्थिक कारणों से वे अपना व्यवसाय करने का साहस भी नहीं जुटा पाते और क्लर्क और अफसर की नौकरी के इच्छुक युवकों की कतार में खड़े हो जाते हैं।

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यद्यपि सरकार ने बेरोजगारों को नौकरी दिलाने हेतु लगभग हर शहर में रोजगार कार्यालय खोले हैं। ये कार्यालय बेरोजगारी की समस्या के समाधान में पूरी तरह असफल और उद्देश्यहीन ही साबित हुए हैं। इस समस्या के समाधान हेतु कुछ सुझाव इस प्रकार हैं

(1) जनसंख्या की वृद्धि दर को नियत्रित करने की है। सरकार को परिवार आवश्यकता नियोजन के कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। (2) सरकारी स्तर पर विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिएजिनमें युवकों को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता भी दी जानी चाहिए। (3) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय कृषि की उपज पर आधारित लघु उद्योगों की स्थापना की जानी चाहिए। (4) प्रारम्भिक शिक्षा से इतर शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाना अति आवश्यक है। उच्च शिक्षा को रोजगार से अवश्य ही जोड़ा जाना चाहिए (5) सरकार को न केवल अपने कारखाने और उपक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में खोलने चाहिए बल्कि पूंजीपतियों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वे अपने उद्योग वहाँ। स्थापित करें। बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या है, जिसके समाधान हेतु पूरे संकल्प के साथ सही दिशा में प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

Essay on Unemployment in Hindi –  बेरोजगारी पर निबन्ध

प्रमुख राष्ट्रीय समस्याओं में बेरोजगारी का स्थान अव्वल नंबर पर है। सरकार ने इस समस्या को नकेल देने के लिए जितने भी प्रयास किए व नाकाफी साबित हुए हैं। असल में इस समस्या ने अनेक सामाजिक व कानूनी पहलुओं पर प्रश्नवाचक सवाल भी खड़े कर दिए हैं। बेरोजगारी के कारण युवकों में फैले आक्रोश व असंतोष ने समाज में हिंसा, तोड़फोड़, मारधाड़ व अनेक तरह के आर्थिक अपराधों को जन्म दिया है। औद्योगिकीकरण यंत्रीकरण व मौजूदा दौर में चल रही सरकार की आर्थिक उदारीकरण की नीति ने इस समस्या के स्वरूप को और भी जटिल बना दिया है।

भारत में जनसंख्या का आधिक्य, बेकारी की समस्या को जटिल बनाता है । अन्न, आवास, कपड़ेशिक्षा सभी पर जनसंख्या का प्रभाव पड़ता है। योड़ी-सी आमदनी से दर्जनों बच्चों का पालन कैसे संभव हो सकता है। जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम भारत में फेल हो चुका है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए कई पूर्वाग्रही तथा एक सम्प्रदाय । विशेष के लोग रोड़ा अटकाते हैं और मजहब की दुहाई देकर ज्यादा बच्चे पैदा करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं। स्व. संजय गांधी ने एक बार इस दिशा में सही कदम उठाया था। किन्तु दैवी दुर्घटना के कारण एक संकल्परत् युवक असमय ही काल के ग्रास में चला गया और जनसंख्या पर जो रोक लगाई जा रही थी वह कालान्तर में प्रभावहीन हो गई ।

पंचवर्षीय योजनाओं की असफलता भी बेकारी बढ़ने का एक कारण है। योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जो समयसीमा तथा लक्ष्य रखें जाते हैं, वे बहुत कम पूरे हो पाते । हैं। नतीजा यह निकलता है कि राष्ट्रीय आमदनी का एक बड़ा भाग तो शहरों को सजाने -संवारने में खर्च हो जाता है और गांवों को हम पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं करा पाते। वहां के बेचारे युवक रोजीरोटी की तलाश, बीमार मां-बाप की चिकित्सा, नवजात शिशु को मामूली-सा दूध उपलब्ध कराने की आशा में शहर भागते हैं जहां आकर वे हैवान |

उद्योगपतियों के चंगुल में पड़कर दिनरात मशक्कत करते हैं, रिक्शे चलाते हैं और जब परिश्रम करके थोड़े पैसे समेटकर गांव पहुंचते हैं तब तक वे शहर की कोई महाव्याधि टी.बी, आंत्रशोथकैंसर का शिकार बन चुके होते हैं और मर जाते हैं। मानवता के साथ यह मजाक देश में बेकारी बढ़ने के कारण किया जा रहा है। इसको रोकने का काम सरकार का है किन्तु आज सरकार बेकारी और गरीबी हटाने का नाटक तो करती है परन्तु उनकी राजनीति तो वोट बटोरने की ओर ज्यादा रहती है। विडम्बना यह है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, जनसहयोग एवं सहकारिता, कुटीर उद्योगों की उपेक्षा करती है।

इनके लिए स्थिर नीति निर्धारित नहीं की जाती और प्रतिवर्ष हजारों बच्चे स्कूलकॉलेज की शिक्षा पूरी करके रोजगार केन्द्रों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यूपीए सरकार द्वारा लागू राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून हालांकि इसी समस्या से निजात पाने के लिए लागू किया गया है परन्तु सरकार को इसका सफल क्रियान्वयन भी सुनिश्चित कराना होगा तभी तेजी से बढ़ती इस समस्या पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।

bekari ki samasya par nibandh  Essay on Unemployment in Hindi

जहाँ एक ओर भारतवर्ष शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में तथा तकनीकी क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है वहीं यह अनेक समस्याओं से भी जूझ रहा है। जनसंख्या-वृद्धि,  अशिक्षा, बालश्रम, बाल-विवाह तथा बेकारी की समस्याएँ हमारे देश के नाम पर कलंक है। हमारे देश में बेकारी की समस्या दूसरे महायुद्ध के समाप्त  होते-होते बढ़ने लगी थी और आज यह अपनी पराकाष्ठा पर है।

बेरोजगारी के प्रकार :

बेरोजगारी की समस्या दो प्रकार की है। एक वर्ग शिक्षित बेरोजगारी का है तो दूसरा वर्ग अशिक्षित बेरोजगारी का। दोनों ही प्रकार की बेरोजगारी बहुत घातक होती है।

बेकारी बढ़ने के कारण :

शिक्षित वर्ग की बेकारी की समस्या का एकमात्र कारण है आज की दूषित शिक्षा प्रणाली। इस प्रणाली की नींव अंग्रेजों ने डाली थी। वे तो भारतीयों से अपनी गुलामी करवाना चाहते थे इसलिए वे भारतीयों को ऐसी प्रणाली देना चाहते थे जिससे वे केवल क्लर्क बन सके, कोई अफसर नहीं और न ही अपना कोई रोजगार कर सके।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमें केवल पुस्तकीय ज्ञान देती है, जिसे प्राप्त करके हम केवल नौकरी ही कर सकते हैं, कोई काम-धन्धा नहीं कर सकते। बेरोजगारी की समस्या का दूसरा कारण है तेजी से बढ़ती जनसंख्या। देश के साधन और उत्पादन तो उतने ही हैं लेकिन उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती जा रही है, तभी तो मॅहगाई भी बढ़ रही है। अंग्रेजों ने देश के छोटे कुटीर उद्योगों को भी आगे नहीं बढ़ने दिया जिसकी सहायता से पहले लोग अपनी रोजी-रोटी कमा लेते थे।

देश की सामाजिक तथा धार्मिक परम्पराएँ भी इस समस्या को बढ़ाने में हिस्सेदार हैं। अशिक्षित बेरोजगारी तो बहुत ही हानिकारक है। अशिक्षित लोग अपने दायरे से बाहर ही नहीं आना चाहते। वे अंधविश्वासों तथा कुरीतियों के शिकार हैं। जनसंख्या की वृद्धि उन्हीं लोगों की सीमित सोच का दुष्परिणाम है।

बेकारी के दुष्परिणाम :

बेरोजगारी ने आज के युवा वर्ग में आक्रोश तथा असन्तोष पैदा कर रखा है। आज का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग चोरी, डकैती, लूटमार, भ्रष्टाचार, हत्या आदि को अपनी कमाई का माध्यम बना रहा है। उसके खर्च तो बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन पैसा नहीं है क्योंकि उसके पास काम ही नहीं है वह पूरी दुनिया को अपना दुश्मन समझता है इसीलिए आज देश में इतने गुनाह हो रहे है।

समस्या का निदान :

इस समस्या का समाधान पाने के लिए सरकारी ‘ तथा निजी तौर पर भी अनेक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम तो सरकार की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को बदलना चाहिए। शिक्षा ऐसी हो, जिससे यदि नौकरी न भी मिले तो कम से कम वह शारीरिक मेहनत करके अपनी रोजी-रोटी कमा सके। बढ़ती जनसंख्या पर भी रोक लगानी होगी, इसके लिए परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाना होगा। लघु तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा।

अशिक्षितों को पढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान चलाना होगा, जिससे अशिक्षित वर्ग अज्ञानता के अंधकार से बाहर आ सके। हमारी धार्मिक मान्यताओं में भी बदलाव की आवश्यकता है। इन सब उपायों को अपनाकर ही देश से इस बेकारी की समस्या को दूर किया जा सकता है तथा युवा वर्ग की योग्यता का सही रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

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Romi Sharma

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One thought on “ बेरोजगारी की समस्या पर निबंध essay on unemployment in hindi ”.

Very Nice article for me. THANX for share.

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हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
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  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
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  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
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  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
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  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
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  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
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  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
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  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
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  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
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  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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बेरोजगारी पर निबन्ध | Essay on Unemployment in Hindi

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बेरोजगारी पर निबन्ध | Essay on Unemployment in Hindi!

संसार की अनेक प्रकार की समस्याओं (Problems) में बेरोजगारी भी एक बडी समस्या है । यदि यह कहा जाय कि बेरोजगारी ही अनेक पारिवारिक, व्यक्तिगत (Personal) तथा सामाजिक समस्याओं की जड़ है, तो गलत नहीं होगा ।

मानसिक बीमारियाँ (Mental Diseases) हों या पारिवारिक कलह (Tensions in a Family) अथवा समाज में हिंसा और आतंकवाद (Terrorism) आदि के पीछे अन्य कारणों के साथ-साथ बेरोजगारी का भी बहुत बड़ा हाथ है ।

बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के बाद सामाजिक ढाँचे (Social set up) में परिवर्तन । छोटे-छोटे हाथों का काम बड़ी-बड़ी मशीनों और कल-कारखानों ने ले लिया । महीनों का काम घंटों में होने लगा ।

उत्पादन (Production) बढ़ गया और अनेक लोगों को कल-कारखानों में काम करने का मौका भी मिला किन्तु सब लोगों को नहीं । पहले सब लोग अपना काम खुद करते थे और अपनी जरूरत की चीजें बना लेते थे । आज सब लोगों के लिए काम कुछ लोग करते हैं और आइ धकतर लोग बेकार हैं ।

बेरोजगारी के अन्य कारणों में प्रमुख है शिक्षा व्यवस्था का ठीक न होना । हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था (Education system) पश्चिमी देशों के वातावरण (Environment of Western countries) पर आधारित है । हम ऐसी शिक्षा पाते हैं जो जीवन में हमारे काम आयेगी अ थवा नहीं, कहा नहीं जा सकता ।

ADVERTISEMENTS:

हम पढ़ते-लिखते इसलिए हैं कि हमें मेहनत न करनी पड़े और हम पढ़-लिखकर दूसरों पर राज करें । यह गलत धारणा (Wrong view) हमें आज की शिक्षा देती है । यह गलत शिक्षा हमें केवल स्कूल-कॉलेजों से ही नहीं बल्कि घर-परिवार, फिल्मों और टी.वी. चैनलों से भी मिलती है ।

जनसंख्या (Population) का आइ धक बढ़ जाना बेरोजगारी का एक अन्य कारण है । हर काम के लिए आज कोई न कोई मशीन है, दफ्तरों (Office) में क्लर्क तथा एकाउंटेन्ट का काम करने के लिए कम्प्यूटर हैं । इसलिए मानव के करने लायक आज काम अधिक नहीं बचे हैं । ऐसी स्थिति में जितनी जनसंख्या बढ़ेगी उतनी बेरोजगारी बढ़ेगी ।

3. निपटने के उपाय:

बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए (In order to check the unemployment problem) आवश्यकता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण (Control) रखने के साथ-साथ मशीनों की सख्या पर भी नियंत्रण रखा जाय और मशीनों तथा कम्प्यूटरों का प्रयोग वहीं किया जाय जहाँ मनुष्य अपनी शक्ति नहीं लगा सकता ।

साथ ही उपयोगी (Useful) ज्ञानदायक तथा स्वरोजगारोम्मुखी (Self employment oriented) शिक्षा मिलनी चाहिए । बेरोजगारी दूर करने के लिए लोगों के विचार बदलने होंगे तथा कुटीर उद्योगों (Cottage industries) को अधिक बढ़ावा देना होगा ।

4. उपसंहार :

बेरोजगारी किसी देश के लिए बहुत बड़ा कलंक है क्योंकि इसके कारण दूसरी समस्याओं के साथ-साथ देश के गुलाम हो जाने का खतरा भी रहता है । इसलिए सबसे पहले इस समस्या से निपटना जरूरी है ।

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