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5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi : दोस्तों आज हमने पुस्तकालय पर निबंध लिखा है क्योंकि पुस्तकालय हमारे विद्यार्थी जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है. इनके माध्यम से हमें देश विदेश महान लेखकों की लिखी हुई किताबें पढ़ने का अवसर मिलता है.

अक्सर विद्यार्थियों से परीक्षाओं और विद्यालय में pustakalay per nibandh  लिखने के लिए दिया जाता है इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए अलग अलग शब्द सीमा में यह निबंध लिखा है.

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Short Essay on Library in Hindi 150 Words – पुस्तकालय पर निबंध 150 words

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है जिसे हम आसान शब्दों में पुस्तकों का घर भी कह सकते है क्योंकि यहां पर ज्ञान विज्ञान ग्रंथ साहित्य राजनीतिक विज्ञान एवं अलग-अलग भाषाओं का संग्रह होता है.

पुस्तकालय कई प्रकार के होते है जैसे व्यक्तिगत पुस्तकालय, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, चलते फिरते पुस्तकालय और आजकल तो डिजिटल पुस्तकालय भी उपलब्ध है.

इन सभी पुस्तकालयों में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें मिलती है जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है.

पुस्तकालय हमारे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में होते है क्योंकि यहां पर हमारे पूर्वजों की लिखी हुई अच्छी किताबों का संग्रहण किया जाता है जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है.

जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीं करी सकता है वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में पुस्तकें पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है.

Best Essay on Library in Hindi 300 Words – पुस्तकालय पर निबंध 300 words

पुस्तकालय हमारे जीवन का अभिन्न अंग होते है क्योंकि पुस्तकालय में हम शांतिपूर्वक विभिन्न ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर ज्ञान का अर्जन कर सकते है जो कि हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है और हमें सोचने समझने की शक्ति भी प्रदान करता है.

पुस्तकालय की भूमिका मानव जीवन में प्राचीन काल से ही रही है क्योंकि प्राचीन काल में प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण हस्तलिखित किताबे ही होती हो थी जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक होता था और किताबें भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई.

पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबें पढ़ने का इच्छुक होता था वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबें पढ़ सकता था इससे गरीब वर्ग के लोगों को अधिक फायदा हुआ क्योंकि वे लोग अधिक मूल्य की किताबें पढ़ नहीं सकते थे.

एक पुस्तकालय में लगभग सभी प्रकार की पुस्तके जैसे कला, धर्म, जाति, राजनीतिक, विज्ञान, कृषि, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुस्तके मिल जाती है जिनकी सहायता से सभी लोग अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है कुछ बड़े पुस्तकालयों में अलग-अलग भाषा और प्रांत की पुस्तकें भी उपलब्ध होती है.

वर्तमान में पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है जैसे विद्यालय के पुस्तकालय जहां पर छात्र-छात्राएं और शिक्षक जाकर किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ सकते है दूसरे पुस्तकालय विश्वविद्यालयों के होते है जहां पर वहां के विद्यार्थी जाकर पढ़ सकते है.

कुछ पुस्तकालय ट्रस्ट द्वारा भी संचालित किए जाते है जिनका मूल उद्देश्य गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना होता है क्योंकि गरीब विद्यार्थी के पास मूल्यवान उसको को खरीदने के लिए धन नहीं होता है. इन पुस्तकालयों में महीने की न्यूनतम फीस रखी जाती है.

चौथे नंबर पर सार्वजनिक पुस्तकालय आते है जो कि सरकार द्वारा चलाए जाते है जिसमें सभी लेखकों और कवियों की प्रमुख किताबें होती है साथी देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाएं में होती है जिन्हें कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर पढ़ सकता है.

Pustakalay Per Nibandh – पुस्तकालय पर निबंध 500 Words

रूपरेखा –

पुस्तकालय हमारे देश में प्राचीन युग से ही प्रचलन में रहा है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जो कि विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था लेकिन अब उसे पुन: स्थापित कर दिया गया है.

पुस्तकालयों की भूमिका मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है इसी कारण आज हमारी शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है. पुस्तकालयों के कारण गरीब विद्यार्थियों को भी अच्छी किताबें पढ़ने को मिली है जिसे चाहो और सामाजिक और आर्थिक विकास भी हुआ है.

वर्तमान में भी पुस्तकालयों की महत्वता कम नहीं हुई है आज भी विद्यार्थी शिक्षक और अन्य व्यक्ति उच्च स्तर की किताबें पढ़ने के लिए पुस्तकालय में जाते है.

पुस्तकालय क्या है –

प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति इतनी उन्नत नहीं थी और साथ ही पुस्तकों का भी अभाव था इसलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती थी ताकि सभी लोग आकर उन पुस्तकों से ज्ञान अर्जित कर सकें.

शिक्षा के क्षेत्र में यह बहुत ही अच्छा कदम साबित हुआ. एक सार्वजनिक पुस्तकालय में धर्म साहित्य वाणिज्य कला विज्ञान पत्र पत्रिकाएं बच्चों के मनोरंजन के लिए ज्ञानवर्धक एवं चुटकुलों की किताब और पुराने ग्रंथ दादी सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती है.

पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी इच्छा के अनुसार किताबों का चयन करके उसे पुस्तकालय में बैठ कर पढ़ सकता है कुछ पुस्तकालय में किताबें कुछ समय के लिए घर पर ले जाने के लिए भी दी जाती है.

पुस्तकालयों के कारण नई नई किताबें पढ़ने वाले जिज्ञासु लोगों और ज्ञान की वृद्धि करने के लिए विद्यार्थियों को बहुत अधिक लाभ हुआ.

पुस्तकालय की विशेषता –

(1) पुस्तकालयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पाठकों को अंतर्मुखी और चिंतनशील बनाते है.

(2) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए शांत माहौल मिलता है जिसे एकाग्र होकर हम पढ़ाई कर सकते है.

(3) पुस्तकालय में देश दुनिया में क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है इसका पता लगता है

(4) पुस्तक पढ़ने से हमारे सोचने समझने की शक्ति का विकास होता है.

(5) यहां पर हमें ज्ञान अर्जन करने के लिए अधिक मूल्य की आवश्यकता नहीं होती है.

(6) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: सर्जन होता है.

(7) यहां पर हमें प्रत्येक भाषा में किताबें पढ़ने को मिलती है इसलिए किसी भी देश का नागरिक यहां पर आकर किताबें पढ़ सकता है.

(8) पुस्तकें हमें दूसरे देशों की संस्कृतियों और सामाजिक जीवन से जोड़ती है.

निष्कर्ष –

किसी भी देश में पुस्तकालयों का होना बहुत आवश्यक होता है यह व्यक्ति के जीवन के साथ साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करता है. वर्तमान में असहज जीवन प्रणाली से जीवन यापन कर रहे लोगों के लिए पुस्तकालय और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

पुस्तकालय उन्हें एकांत में बैठकर चिंतन और मनन करने का अवसर प्रदान करते है जो की बाहरी जीवन में असंभव के समान है. हमें पुस्तकालयों की महत्वता को समझते हुए उन्हें बढ़ावा देना चाहिए.

Essay on Library in Hindi 1100 Words

प्रस्तावना –

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों में समाहित है पुस्तक + आलय जिसका शाब्दिक अर्थ पुस्तक रखने का स्थान होता है. पुस्तकें मानव की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो कि बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक उसका सहारा होती है.

पुस्तकों के कारण ही आज शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है लेकिन पुराने जमाने में आज की तरह पुस्तक प्रिंटिंग की व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण पुस्तकें हाथों से लिखी जाती थी इसलिए पुस्तकों की संख्या भी कम होती थी.

जिसके कारण पुस्तकों का मूल्य अधिक होता था और साधारण व्यक्ति उन्हें खरीद कर पढ़ नहीं पाता था और वह पुस्तके आसानी से उपलब्ध भी नहीं हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई. पुस्तकालय की स्थापना के बाद शिक्षा के जगत में एक अनोखी क्रांति देखने को मिली.

पुस्तकालय के प्रकार –

व्यक्तिगत पुस्तकालय – व्यक्तिगत पुस्तकालयों की श्रेणी में व पुस्तकालय आते हैं जो लोग अपने घरों मैं एक अलग कमरे की व्यवस्था करके उसमें अपनी रुचि की किताबें रखते हैं और उन्हें पढ़ते हैं इन पुस्तकालय उसे सिर्फ उस घर के व्यक्ति ही शिक्षा ग्रहण कर सकते है.

विद्यालय, विश्वविद्यालय का पुस्तकालय – विद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकालय वहां के विद्यार्थी और शिक्षकों के लिए होते है जहां पर कई प्रकार की भाषाओं और ज्ञान वाली पुस्तकें पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध होती है यह पर छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए चुटकुलों वाली किताबें भी उपलब्ध होती हैं वही शिक्षकों के लिए दैनिक अखबार उपलब्ध होता है.

सार्वजनिक पुस्तकालय – सार्वजनिक पुस्तकालय में दो श्रेणी के पुस्तकालय आते है जिसमें कुछ पुस्तकालय समाजसेवी ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं और कुछ सरकार के अनुदान द्वारा चलाए जाते हैं यहां पर कोई भी व्यक्ति आकर पुस्तके पढ़ सकता है.

चल-पुस्तकालय – चल पुस्तकालय वे पुस्तकालय होते है जो की मोटर वाहनों में संचालित होते हैं इन्हीं संचालित करने के लिए मोटर वाहनों में किताबे रखती जाती हैं और प्रतिदिन गांव गांव जाकर पुस्तकालय संचालित किए जाते है इन पुस्तकालय से किताबे कम मूल्य पर खरीदी भी जा सकती है.

डिजिटल पुस्तकालय – वर्तमान में इंटरनेट व्यवस्था और मोबाइल के सस्ते होने के कारण ज्यादातर लोग किताबों को मोबाइल और कंप्यूटर पर पढ़ना पसंद करते है. इसीलिए अब किताबों को पीडीएफ के रूप में बनाकर लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराया जाता है यह विभिन्न वेबसाइटों की माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है जिनमें से एक हिंदी यात्रा भी है जिसे आप अभी पढ़ रहे है.

पुस्तकालय का महत्व –

पुस्तके मानव की सच्ची साथी होती है और इन को पढ़ने की लालसा सभी विद्यार्थियों और व्यक्तियों में होती है. उसको को पढ़ने से ज्ञान का संचार तो होता ही है साथ ही में व्यक्तिगत गुणों का विकास भी होता है शायद इसीलिए वृद्धावस्था में भी लोग किताबों से मोह नहीं छुड़ा पाते है.

सभी व्यक्तियों को नई नई किताबें पढ़ना पसंद होती हैं किसी की पसंद कोई लेखक विशेष की किताब होती है तो किसी की पसंद मनोरंजन वाली किताबें पढ़ने का होता है तो किसी का ज्ञान ज्ञान वाली पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का होता है लेकिन इसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है जो कि सभी व्यक्तियों के पास नहीं होता है.

यहीं पर पुस्तकालय अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और हमें हर दिन नवीनतम और पुराने लेखों द्वारा लिखी गई किताबें एक जगह ही उपलब्ध करवाते है.

साथ ही इन पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए अधिक रुपयों की भी आवश्यकता नहीं होती है जिसके कारण समाज का प्रत्येक व्यक्ति पुस्तकालय में जाकर अपने पसंद की किताबें पढ़ सकता है और अपने जीवन को सुदृढ़ बना सकता है.

पुस्तकालयों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था में रीड की हड्डी का काम किया है आज प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति अगर हर प्रकार की पुस्तक पढ़ पा रहा है तो यह सिर्फ पुस्तकालयों के कारण ही हो पाया है.

पुस्तकालय के नियम –

पुस्तकालय में पढ़ने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत अधिक जरूरी होता है.

(1) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते समय शांति व्यवस्था बनाए रखना जरूरी होता है.

(2) पुस्तकालय की किताबों और पत्र-पत्रिकाओं को फाड़ना एवं पर लिखना सख्त मना होता है.

(3) पुस्तकालय में शोर शराबा मचाने पर आपको कुछ करने में से निलंबित भी किया जा सकता है.

(4) यहां से ली गई किताबों को नियमित अवधि में वापस लौटाना आवश्यक होता है.

(5) पुस्तकालय में किसी भी प्रकार का कचरा फैलाने या फिर थूकना की सख्त मनाही होती है.

पुस्तकालय के लाभ –

(1) पुस्तकालय से हमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने का अवसर प्रदान होता है.

(2) यहां पर हम विभिन्न प्रकार की भाषाओं वाली किताबें पढ़ सकते है.

(3) यहां पर किताबें पढ़ने से मन एकाग्र रहता है क्योंकि पुस्तकालय कक्ष शांत होते है.

(4) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए अधिक धन की आवश्यकता नहीं होती है.

(5) पुस्तकालय में सभी वर्गों के लोगों को किताब पढ़ने के लिए समान अवसर होता है.

(6) इनके माध्यम से हमारी शिक्षा व्यवस्था बहुत सुदृढ़ होती है.

(7) इनसे हमारे देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में सहयोग मिलता है क्योंकि यहां पर ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर व्यक्ति अच्छा काम करता है.

वर्तमान में पुस्तकालयों की आवश्यकता –

वर्तमान में भी पुस्तकालय उतनी ही अहमियत रखते हैं जितनी कि वह पुराने जमाने में रखा करते थे खासकर हमारे भारत देश में आज भी पुस्तकालयों की कमी है क्योंकि हमारे देश में आज भी कई लोगों को शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पाती है जिसका एक अहम कारण शिक्षा का वाणिज्य करण है जिसके कारण शिक्षा दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है.

इसीलिए पुस्तकालयों की महत्वता और अधिक बढ़ती जा रही है आज भी हमारे देश के गांव में पुस्तकालय देखने को नहीं मिलते है जिसके कारण वहां के गरीब लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं और अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करने को मजबूर हो जाते है.

अगर हमें हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा देनी है तो हमें अच्छे पुस्तकालयों का विकास करना होगा. विदेशों में शिक्षा व्यवस्था इसीलिए सुदृढ़ है क्योंकि वहां के प्रत्येक गांव और शहर में एक पुस्तकालय जरूर होता है.

हमें भी प्रत्येक गांव में पुस्तकालय खोलने चाहिए जिससे हमारे देश का प्रत्येक बच्चा पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करें.

उपसंहार –

प्रत्येक राष्ट्र की सांस्कृतिक और ज्ञान-विज्ञान के विकास के लिए पुस्तकालयों की बहुत आवश्यकता है. पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था की रीड की हड्डी माना जाता है यहां पर प्रत्येक व्यक्ति अपने ज्ञान की पिपासा को शांत कर सकता है.

अगर हमें हमारे देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है तो प्रत्येक स्थान पर पुस्तकालयों की स्थापना की जानी बहुत आवश्यक है साथ ही उन्हें सुचारू रूप से चलाने की भी आवश्यकता है. अच्छे पुस्तकालयों से हमारे देश के भविष्य का निर्माण अधिक तेजी से होगा.

इसीलिए हमें पुस्तकालयों की अहम भूमिका समझते हुए इन्हें सामाजिक और सरकारी अनुदान से बढ़ावा देना होगा.

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21 thoughts on “5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi”

Thnx for this paragraph ☺️🥰🥰

Mujhe tou bohot acha laga.

thank you for this paragraph or as known as best essay this help me a lot thanks a lot I have no more words for appreciation now 🙂

Thank you for the essay this is so easy to learn other then any other

Thanks for this wonderful essay it helped me a lot thanks 🙏

Welcome Arsha

ok ok ok ko ko ok ok o o o kok o k

Good this is your good thoughts give me more thought thanks

Welcome Pranjal Singh Meena

Pustakalay ruprekha

Best essay in pustkalay ka mahtva.

Thank you Akshay Pandey for appreciation

आपने 11 क्लस के लिए कियो नही लिखी?

Rahima sagol, हमने यह निबंध कक्षा 11 के लिए भी लिखा बस हम लिखना भूल गये, अब हमने अपनी भूल को सही कर लिया. सुझाव के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद.

Mahabidhyalay ke liye kyo nhi a rha nibandh

Sonam ji aap yah dekhe Mera Vidyalaya Essay in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध

Pustkalay samagri k chhati k kya karan hai…

Rakesh kumar mishra, hum is bare me jald hi likhnge

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi Language

an essay in hindi on library

Here is a compilation of essays on ‘Library’ for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Library’ especially written for School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Library

Essay Contents:

  • Essay on the Library Revolution for College Students

1. पुस्तकालय   | Essay on Library in Hindi Language

पुस्तकालय शब्द पर जब हम विचार करते हैं, तो हम इसे दो शब्दों के मेल से बना हुआ पाते हैं- पुस्तक+आलय; अर्थात् पुस्तक का घर । जहाँ विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती हैं और जिनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है । इसके विपरीत जहाँ पुस्तकें तो हों लेकिन उनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से न हो और वे अलमारी में बन्द पड़ी रहती हों, उसे पुस्तकालय नहीं कहते हैं । इस दृष्टिकोण से पुस्तकालय ज्ञान और अध्ययन का एक बड़ा केन्द्र होता है ।

प्राचीनकाल में पुस्तकें आजकल के पुस्तकालयों की तरह एक जगह नहीं होती थीं; अपितु प्राचीनकाल में पुस्तकें हस्तलिखित हुआ करती थीं । इसलिए इन पुस्तकों का उपयोग केवल एक ही व्यक्ति कर पाता था । दूसरी बात यह कि प्राचीनकाल में पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करना एक बड़ा कठिन कार्य होता था; क्योंकि पुस्तकें आज जितनी प्रकार की एक ही जगह मिल जाती हैं; उतनी तब नहीं मिलती थीं ।

इसलिए विविध प्रकार की पुस्तकों से आनन्द, ज्ञान या मनोरंजन करने के लिए आज हमें जितनी सुविधा प्राप्त हो चुकी हैं, उतनी इससे पहले नहीं थीं । इस प्रकार से पुस्तकालय हमारी इस प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने में आज अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभा रहे हैं ।

पुस्तकालय की कोटियाँ या प्रकार कई प्रकार के होते हैं । कुछ पुस्तकालय व्यक्तिगत होते हैं, कुछ सार्वजनिक होते हैं और कुछ सरकारी पुस्तकालय होते हैं । व्यक्तिगत पुस्तकालय, वे पुस्तकालय होते हैं, जो किसी व्यक्ति-विशेष से ही सम्बन्धित होते हैं ।

ऐसे पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या बहुत ही सीमित और थोड़े प्रकार को होती है । हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत पुस्तकालय एक प्रकार से स्वतंत्र और ऐच्छिक पुस्तकालय होते हैं । इन पुस्तकालयों का लाभ और उपयोग उठाने वाले भी सीमित और विशेष वर्ग के ही विद्यार्थी होते हैं । इन पुस्तकालयों की पुस्तक बहुत सामान्य या माध्यम श्रेणी की होती हैं ।

व्यक्तिगत पुस्तकालय को निजी पुस्तकालय की भी संज्ञा दी जाती है । इस प्रकार के पुस्तकालय मुख्य रूप से धनी और सम्पन्न वर्ग के लोगों से चलाए जाते हैं । ऐसे पुस्तकालयों की संख्या भी पाठकों के समान ही सीमित होती है; क्योंकि स्वतंत्र अधिकार के कारण इन पुस्तकालयों के नियम-सिद्धान्त का पालन करने में सभी पाठक समर्थ नहीं हो पाते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

संस्थागत पुस्तकालय भी पुस्तकालयों के विभिन्न प्रकारों में एक विशेष प्रकार का पुस्तकालय है । संस्थागत पुस्तकालय का अर्थ है-किसी संस्था द्वारा चलने वाले पुस्तकालय । ऐसे पुस्तकालय स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या किसी अन्य संस्था के द्वारा संचालित हुआ करते हैं । इस प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत या निजी पुस्तकालय के समान नहीं होते हैं, जो स्वतंत्रतापूर्वक चलाए जाते हैं ।

संस्थागत पुस्तकालय के पाठक न तो सीमित होते हैं और न इसके सीमित नियम ही होते हैं, अपितु इस प्रकार के पुस्तकालय तो विस्तृत नियमों के साथ अपने पाठकों की संख्या असीमित ही रखते हैं । इसलिए इन पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या भी बहुत बड़ी या असीमित होती है । इसी तरह इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तकें बहुमूल्य और अवक्षय अर्थात् सस्ती और महँगी दोनों ही होती हैं । हम यह कह सकते हैं कि इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तकें महँगी होती हुई भी मध्यम श्रेणी की होती हैं ।

संस्थागत पुस्तकालयों की पुस्तकें साहित्य, संगीत, कला, दर्शन, धर्म, राजनीति, विज्ञान, समाज, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय आदि सभी स्तरों की अवश्य होती हैं । संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या सभी प्रकार के पुस्तकालयों से अधिक होती है । इस दृष्टिकोण से संस्थागत पुस्तकालयों का महत्त्व सभी प्रकार के पुस्तकालयों से बढ़कर है ।

पुस्तकालयों का तीसरा प्रकार सार्वजनिक पुस्तकालयों का है । सार्वजनिक पुस्तकालयों की संख्या संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या से बहुत कम होती है; क्योंकि इस प्रकार के पुस्तकालयों का उपयोग या सम्बन्ध केवल बौद्धिक और पुस्तक-प्रेमियों से ही उाधिक होता है । कहीं-कहीं तो सरकार के द्वारा और कहीं-कहीं सामाजिक संस्थाओं के द्वारा भी सार्वजनिक पुस्तकालयों का संचालन होता है ।

चाहे जो कुछ हो सरकार द्वारा ये पुस्तकालय मान्यता प्राप्त होते हैं । सरकार इन पुस्तकालयों की सहायता समय-समय पर किया करती है । अत: सार्वजनिक पुस्तकालयों का भविष्य व्यक्तिगत पुस्तकालयों के समान अंधकारमय नहीं होता है ।

पुस्तकालय का एक छोटा-सा प्रकार चलता-फिरता पुस्तकालय है । इस प्रकार के पुस्तकालयों का महत्त्व अवश्य है; क्योंकि समय के अभाव के कारण लोग इस प्रकार के पुस्तकालयों का अवश्य लाभ उठाते हैं । सुविधाजनक अर्थात् घर बैठे ही इन पुस्तकालयों का लाभ उठा पाने के कारण इनका महत्त्व और लोकप्रिय होना निश्चय ही सत्य है । सीमित संख्या होने के कारण यद्यपि इन पुस्तकालयों का प्रसार कम है, लेकिन महिलाओं के लिए ये अवश्य अधिक उपयोगी है ।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान की रहस्यमय जानकारी को प्रदान करने में अवश्य महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं । ये हमें सत्संगति प्रदान करते हैं । हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं । इसलिए हमें पुस्तकालयों का अवश्य अधिक-से-अधिक उपयोग करना चाहिए ।

2.   पुस्तकालय की उपयोगिता । Essay on Library and its Benefits for School Students in Hindi Language

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जिस प्रकार मनुष्य को संयमित और संतुलित भोजन कोई आवश्यकता है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञानार्जन परमावश्यक है । मस्तिष्क को क्रियाशील और गतिशील रखने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नवीन विचारों की आवश्यकता होती है । यह ज्ञान और शुद्ध विचार हमें अज्ञानांधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाशपूर्ण लोक में ले जाते हैं ।

सरस्वती की उपासना के लिए दो आराधना मंदिर है: एक विद्यालय और दूसरा पुस्तकालय । पुस्तकालय में विद्यार्थी विस्तृत व्यापक ज्ञान प्राप्त करता है । जहाँ सरस्वती के अनंत पुत्रों अर्थात् गनी किताबों का संग्रह होता है, जिनके अध्ययन से मानव अपने जीवन के अशांत संर्धामय क्षणों में शांति प्राप्त करता है ।

पुस्तकालयों की दृष्टि से इंग्लैंड अमेरिका और रूस सबसे आगे हैं । अमेरिका में ‘वाशिंगटन कांग्रेस पुस्तकालय’ विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है । रूस का सबसे बड़ा पुस्तकालय ‘लेनिन पुस्तकालय है । भारत वर्ष में कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तकें हैं ।

भारत का दूसरा महत्वपूर्ण पुस्तकालय बड़ौदा का केंन्द्रीय पुस्तकालय है इसमें 1 लाख 31 हजार पुस्तकें हैं । पुस्तकालयों से अनेक लाभ है । ज्ञान की वृद्धि में पुस्तकालय से जो सहायता मिलती है वह किसी अन्य साधन द्वारा नहीं मिल सकती । किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस विषय से संबंधित पुस्तकों को पढ़ना आवश्यक होता है ।

ज्ञान-वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों से ज्ञान का प्रसार भी सरलता से होता है । पुस्तकालय के संपर्क में रहने से मनुष्य कुवासनाओं और प्रलोभनों से बच जाता है । पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग की सुविधा प्रदान करता है । पुस्तक पढ़ते-पढ़ते कभी मनुष्य मन ही मन प्रसन्न हो उठता है और कभी खिलखिलाकर हँस पड़ता है ।

श्रेष्ठ पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शांति प्राप्त होती है उस समय संसार की समस्त चिंताओं से पाठक मुका हो जाता है । अत: पुस्तकालय हमारे लिए नित्य जीवन साथियों की योजना करता है । जिसके साथ आप बैठकर बातों का आनंद ले सकते हैं, चाहे वह शेक्सपीयर हो या कालीदास, न्यूटन हो या प्लेटो अरस्तु हो या शंकराचार्य ।

आधुनिक युग में यद्यपि मनोरंजन के अनेक साधन हैं परंतु ये सब मनोरंजन के साधन पुस्तकालय के सामने नगण्य हैं क्योंकि पुस्तकालय से मनोरंजन के साथ-साथ पाठक का आत्म-परिष्कार एवं ज्ञान वृद्धि होती है । पुस्तकालयों में भिन्न-भिन्न रसों की पुस्तकों के अध्ययन से हम समय का सदुपयोग भी कर लेते है ।

अपने रिक्त समय को पुस्तकालय में व्यतीत करना समय की सबसे बड़ी उपयोगिता है । व्यक्तिगत हित के अतिरिक्त पुस्तकालयों से समाज का भी हित होता है ।  भिन्न-भिन्न देशों की नवीन एवं प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक परंपराओं-मान्यताओं और व्यवसायों का परिचय होता है ।

पुस्तकालय वास्तव में ज्ञान का असीम भंडार है । देश की शिक्षित जनता के लिए यह उन्नति का सर्वोत्तम साधन है । भारत वर्ष में भी अच्छे पुस्तकालयों की संख्या पर्याप्त नहीं है । भारत सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील हैं । वास्तव में पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र सदगुरु और जीवन पथ की संरक्षिका है ।

देश की अशिक्षित जनता को सुशिक्षित बनाने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों की बड़ी आवश्यकता है । भारत सरकार ने ग्राम-पंचायतों की देख-रेख में गाँव-गाँव में ऐसे पुस्तकालयों की व्यवस्था की है । गाँव की निर्धन जनता अपने ज्ञान प्रसार के लिए पुस्तकें नहीं खरीद सकती ।

उस अज्ञानांधकार को दूर करने के लिए सरकार का यह प्रयास प्रशंसनीय है । जिन लोगों पर लक्ष्मी की अटूट कृपा है, उन्हें इस प्रकार के पुस्तकालय जनहित के लिए खुलवाने चाहिए । पुस्तकालय का महत्व देवताओं से अधिक है क्योंकि पुस्तकालय ही हमें देवालय में जाने योग्य बनाते हैं ।

3. पुस्तकालय का महत्व । Essay on Library and its Importance for School Students in Hindi Language

सृष्टि के समस्त चराचरों में मनुष्य ही सर्वोत्कृष्ट कहलाने का गौरव प्राप्त करता है । मनुष्य ही चिंतन-मनन कर सकता है । अच्छे-बुरे का निर्णय कर सकता है तथा अपने छोटे से जीवन में बहुत कुछ सीखना चाहता है ।

उसी जिज्ञासावृत पुस्तकें शांत करती हैं अर्थात ज्ञान का भंडार पुस्तकों में समाहित है । ऐसा स्थान जहाँ अनेक पुस्तकों को संगृहीत करके उनका एक विशाल भंडार बनाया जाता है: पुस्तकालय कहलाता है पुस्तकालय ज्ञान के वे मंदिर हैं जो मानव इच्छा को शांत करते हैं, उसे विभिन्न विषयों पर नई जानकारियाँ उपलब्ध करते हैं, ज्ञान के संचिर कोश से उसे निश्चित करते है, अतीत झरोखों की झलक दिखाते हैं तथा उसके बौद्धिक स्तर को उन्नत करते हैं ।

दुनियाँ में विषय अनंत हैं उन विषयों से संबंधित पुस्तकें भी अनंत हैं । उन सभी पुस्तकों को खरीद कर पड़ पाना किसी के बस की बात नहीं । इस आवश्यकता की पूर्ति पुस्तकालय अत्यंत सुगमता से कर सकता है । बड़े बड़े पुस्तकालयों में लाखों पुस्तके संगृहीत होती हैं ।

इनमें वे दुलर्भ पुस्तकें भी होती हैं जो अब अप्राप्य हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर खरीदा नहीं जा सकता । पुस्तकालय में बैठकर कोई भी व्यक्ति एक ही विषय पर अनेक व्यक्तियों के विचारों से परिचित हो सकता है । अन्य विषयों के साथ अपने विषय का तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकता है ।

अनगिनत पुस्तकों वाले अधिकांश पुस्तकालय पूरी तरह व्यवस्थित होते हैं । विद्यार्थी कुछ देर में ही अपनी जरूरत की पुस्तक पा सकता है । पुस्तकालय में जाते समय उसके नियमों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए । वहाँ जाकर वहीं पुस्तके पढ़नी चाहिए जिनकी आपको जरूरत हो । पुस्तकालय में ऐसी अनेक पुस्तकें होती हैं ।

यदि विद्यार्थी पुस्तकालय में केवल किस्से कहानियों की किताबे पढ़कर अपना समय बरबाद करने के लिए जाते हो तो सदुपयोग करना चाहिए तथा पुस्तकालय में बैठकर शांत वातावरण में एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना चाहिए ।

पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढ़ते समय बिल्कुल शांत रहना चाहिए । पुस्तकालय की पुस्तकों पर पेंसिल या पेन से निशान लगाना, उनके चित्रों आदि को फाड़ना या गदा करना ठीक नहीं है । वहाँ बैठकर हमें औरों का भी ध्यान रखना चाहिए । हमें कोई ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को असुविधा हो ।

पुस्तकालय किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं इसलिए वहाँ सगृहीत पुस्तकें सामाजिक संपति होती हैं अत: हमें पुस्तकालय की पुस्तकों को उसी दृष्टि से देखना चाहिए । पुस्तकालयों में संकलित पुस्तकों के माध्यम से व्यक्ति भाव-विचार, भाषा, ज्ञान-विज्ञान आदि सभी विषयों के क्रमिक विकास का इतिहास जानकर उनका किसी भी विशिष्ट दृष्टि से अध्ययन कर सकता है ।

अपने प्रिय महापुरुष, राजनेता, कवि, साहित्यकार आदि के जीवन और विचारों से कोई व्यक्ति सहज ही साक्षात्कार संभव हो जाता है । जातियों, राष्ट्रों, धर्मों आदि के उत्थान-पतन का इतिहास भी पुस्तकों से जानकर उत्थान और पतन के कारणों को अपनाया या उनसे बचा जा सकता है ।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान के अनंत भंडार होते हैं । उन्हें अपने भीतर समाए रहने वाला अनंत नदी-धारों, विचार-रत्नों, भाव-विचार-प्राणियों का अनंत सागर एवं निधि कहा जा सकता है । जैसे ज्ञान-विज्ञान के कई तरह के साधन पाकर भी सागर की अथाह गहराई एवं अछोर स्वरूपाकार को सही रूप से नाप-तोल संभव नहीं हुआ करता, उसी प्रकार पुस्तकालयों में संचित अथाह ज्ञान-विज्ञान, विचारों-भावों, आदि को खंगाल पाना भी नितांत असंभव हुआ करता है ।

जैसे अनंत नदियों का प्रवाह नित्य प्रति सागर में मिलते रहकर उसे भरित बनाए रखता है वैसे ही नित्य नई-नई पुस्तकें भी प्रकाशित होकर पुस्तकालयों को भरा-पूरा किए रहती हैं । यही उनका महत्व एवं गौरव    है ।

4. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं महत्त्व । Essay on Library, Its Benefits and Importance for College Students in Hindi Language

1. प्रस्तावना ।

2. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं आवश्यकता ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

व्यक्ति के चरित्र निर्माण में पुस्तकों का अभिन्न स्थान है । पुस्तकें जहां एकान्त में किसी शुभचिन्तक मित्र एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है, वहीं हमारे व्यक्तित्व को भी सन्तुलित करती हैं । बाल्यकाल के साथ ही व्यक्ति पुस्तकों के महत्त्व को समझने लगता है । मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान-प्राप्ति की लालसा उसे पुस्तकों तक खींच लाती है ।

व्यक्ति यह समझने लगता है कि अच्छे भोजन के साथ-साथ अच्छी पुस्तकें भी उसके लिए जरूरी हैं । पुस्तकों की सहज प्राप्ति हेतु वह पुस्तकालय तक जाता है । ज्ञानराशि का अक्षय भण्डार पुस्तकें उसे ज्ञान-विज्ञान की विभिन्न शाखाओं एवं विधाओं से परिचित कराती हैं ।

वह कभी व्यक्तिगत पुस्तकालयों के माध्यम से, तो कभी सार्वजनिक पुस्तकालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकता की पूर्ति करता है । शिक्षा संस्थानों से सुलभ होने वाली पुस्तकों को भी वह पढ़कर अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है ।

2. पुस्तकालय की उपयोगिता एवं आवश्यकता:

पुस्तकालय चाहे शैक्षिक संस्थानों का हो या फिर सार्वजनिक स्थानों का, उसका महत्त्व एवं उपयोगिता तो शाश्वत है । हमारा देश भारत प्राचीनकाल से ही पुस्तकालयों का भण्डार रहा है । पुस्तकालय विषयक उसकी समृद्धि नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला, ओदन्त पुरी आदि विद्यालयों के माध्यम से भी मिलती है ।

हमारे देश में वर्तमान में राष्ट्रीय पुस्तकालय भी है, जहां प्राचीन अन्यों की ऐतिहासिक दस्तावेजों सहित पाण्डुलिपियां संग्रहित हैं । कलकत्ता, दिल्ली, मुम्बई, बड़ौदा के राष्ट्रीय एवं राजकीय पुस्तकालयों में पुस्तकों का अक्षय भण्डार है, जिसका अध्ययन कर धनी, दरिद्र, बाल, वृद्ध, युवा सभी लाभान्वित होते हैं ।

ज्ञान वृद्धि एवं ज्ञान प्रकाश के स्थायी केन्द्रों के रूप में पुस्तकालयों की महत्ता एवं उपयोगिता अक्षुण्ण है । पुस्तकालय न केवल हमारी ज्ञान-पिपासा को शान्त करते हैं, वरन् हमारे व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं । पुस्तकालय में जाकर जब हम महान पुरुषों, मनीषियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, राष्ट्रमक्तों के आदर्श एवं प्रेरणापरक चरित्र को पढ़ते हैं, तो हम उनसे प्रेरणा लेते हैं ।

हमारा बौद्धिक, मानसिक, चारित्रिक, नैतिक विकास भी होता है । समय के सदुपयोग एवं मनोरंजन के साधनों के रूप में पुस्तकालय की हमारे जीवन में काफी उपयोगिता है । पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हमें देश-विदेश के समाचार मिलते हैं, वहीं हमारी आन्तरिक वृत्तियों का शोधन, परिष्करण भी होता है ।

पुस्तकें विश्वबसुत्च, मैत्री, सदभाव की भावना जगाने के साथ-साथ विश्व की सभ्यता, संस्कृति, साहित्य से भी परिचित कराती है । पुस्तकालयों की महत्ता एवं उपयोगिता को जानकर ही हमारे देश के नगर, महानगर, गांव-गांव में भी पुस्तकालय की व्यवस्था का प्रयास सरकार द्वारा किया जाता रहा है ।

3. उपसंहार:

पुस्तकालयों की महत्ता, उपयोगिता एवं उसकी आवश्यकता अक्षुण्ण है. । मानव के व्यक्तित्व के निर्माण में पुस्तकालयों की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है । इसमें शैक्षिक संस्थान का पुस्तकालय हो या सार्वजनिक स्थान का हो या कि व्यक्तिगत हो ।

व्यक्तित्व निर्माण, ज्ञान-पिपासा की शान्ति, मनोरंजन, चित्तवृत्तियों का परिष्कार पुस्तकों द्वारा ही होता है । पुस्तकों के बिना तो मानव जीवन अधूरा ही होगा । पुस्तकें व्यक्तित्व निर्माण के साथ-साथ परिवार, समाज, देश की उन्नति में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । जिस देश का नागरिक सुशिक्षित, ज्ञान सम्पन्न होगा, वह देश निश्चित ही उन्नति की चरम सीमा को प्राप्त करेगा ।

5. पुस्तकालय । Essay on Library in Hindi Language

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है । मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता । ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है ।

इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है । लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है । इसलिए स्कूल, कॉलेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं । जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके ।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं । वाचनालय तथा पुस्तकालय । वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है । यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है । पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है । पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है ।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है । नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे । मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई । दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं । इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है ।

पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं । एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं । हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है । पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती हैं । इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं । कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है ।

सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है । इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई । पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर । यहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं । इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं । विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है ।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं । इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं । दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं । ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं ।

तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं । इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है । इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं । चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं । इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं ।

इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं । यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं । हमारा युग ज्ञान का युग है । वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है ज्ञान ही शक्ति है ।

पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है । विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है ।

6. पुस्तकालय-क्रान्ति । Essay on the Library Revolution for College Students

अधिकांश विद्यालयों के पुस्तकालय में पुस्तकों में दीमक लग रही है । पुस्तकों पर मनों (दुनिया भर की) पक्की धूल जमी है । ढेर की ढेर पुस्तकें प्रतिवर्ष विद्यालयों में जमा होती जा रही हैं और खासे पुस्तकालय पुस्तकों की संख्या को दृष्टि में रखकर तैयार हो चुके हैं । अच्छे पुस्तकालय देश की प्रगति के प्रतीक हैं ।

जिस देश में जितने अधिक अच्छे पुस्तकालय हैं, वह देश उतना ही अधिक सम्पन्न और विकासशील है । इस दृष्टि से समृद्धिशाली पुस्तकालयों का विस्तार होना निश्चित ही बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक क्रान्ति का द्योतक है, परन्तु राजकीय राशि तथा लोकल फण्ड से विकसित होने वाले पुस्तकालय तब तक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते जब तक कि उनमें संगृहीत पुस्तकें अधिक-से-अधिक जनों के द्वारा पड़ी-समझी नही जाती ।

तथ्य यह है कि पुस्तकालयों में तेजी से पुस्तकों का आना शुरू हुआ है उसकी रफ्तार को मद्देनजर रखते हुए पुस्तकों के अध्ययन करने वालों की संख्या निरंतर न्यून से न्यूनतम होती जा रही है । रीक्षण होने के कारण से, उसी समय हाँ होती है और दीमक लगी पुस्तकों को निरीक्षक महोदय के सामने पेश कर उनको नष्ट करने की कार्रवाई की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया जाता है और यूं कितनी ही हतभाग्या पुस्तकें बिना किसी की आंखों से गुजरे काल के गाल में समा जाती है ।

इसका परिणाम यह होता है कि सरकार की पूर्व-निर्धारित योजना में इजाफा होने के स्थान पर घाटा होता है । और साध्यतिक सांस्कृतिक तथा बौद्धिक क्रान्ति बाल-बाल होने से बच जाती है । विद्यालयों में जितनी दिलचस्पी पुस्तकें खरीदने में प्राय: रखने को मिलती है ।

उससे बहुत कम अभिरूचि पुस्तकालय व्यवस्था में नजर आती है । पुस्तकालय कम से कम विद्यालय-समय के अलावा सुबह-शाम अलग से खुलना चाहिए । कारण ‘स्कूल के समय’ में छात्र पुस्तकालय व वाचनालय का आवश्यकतानुरूप प्रयोग नहीं कर पाते हैं क्योंकि वे कक्षाओं में अध्ययनरत रहते हैं ।

आज आवश्यकता इस प्रयास की है कि पुस्तकों को दीमकों से बचाकर अधिक-से-अधिक दिमागों के लिए खुराक के रूप में इस्तेमाल किया जाए । इस दृष्टि से पुस्तकालय आकर्षक हो, साज-सज्जा से पूर्ण हो । छात्रों को वहीं बैठकर मनपसद पुस्तक पढ़ने की इजाजत हो । पुस्तकालय में प्रवेश करने और वहाँ से जाने के समय छात्र हस्ताक्षर करे ।

साथ ही एक पंजिका ऐसी भी रखी होनी चाहिए जिसमें छात्र यदि किसी पुस्तक पर अपनी राय लिखना चाहे तो लिख सके । उस पंजिका के प्रारम्भ में ”इंडैक्स ” रहना चाहिए जिसमें निबन्ध, कहानी, उपन्यास, राजनीति-शास्त्र, इतिहास आदि पुस्तकों के संबंध में राय लिखने के लिए पृष्ठ संख्या अंकित हो, यथा 1 से 15 तक उपन्यास, 16 से 30 तक इतिहास । छात्र जिस विषय पर पुस्तक पढ़ेगा, यदि वह चाहेगा तो तत्सम्बन्धी पुस्तक पर अपनी राय ”इंडैक्स” में दर्शाए पृष्ठ पर लिख सकेगा ।

इस प्रकार विभिन्न विषयों पर न केवल छात्रों की राय आसानी से जानी जा सकेगी बल्कि छात्रों की रूचि, उनके स्तर पर बोध का भी पता चल सकेगा और अन्त में जाकर उनकी रायों के अध्ययन से बहुत कुछ सार्थक निर्णय लिए जाने में सहायता मिल सकेगी ।

पुस्तकालय के बाहर बोर्ड हो, जिस पर जाली रहे और उसके अन्दर ‘रैपर’ लगाए जाएं: कम-से-कम सत्र में आने वाली पुस्तकों के । उसके साथ ही एक बोर्ड ऐसा होना चाहिए जिस पर गत सत्र अथवा सत्रों में विभिन्न विषयों की पढ़ी-जाने वाली पुस्तकों के ‘रैपर’ लगाए गए हों तथा साथ में उन पर अंकित की गई राय के आवश्यक वाक्यों को मय छात्र के नाम अथवा कक्षा के माध्यम से लिखा गया हो ।

यों यदि व्यवस्था जम जाए तो यह काम मासिक/ द्विमासिक/त्रैमासिक आधारों पर चालू सत्र में भी किया जा सकता है । छात्रों में आत्म-प्रदर्शन की भावना बलवती होती है इससे उसे पर्याप्त अवसर मिल 

सकेगा । इसी आधार पर देश भर के पुस्तकालयों में विभिन्न विषयों में सबसे अधिक पढ़ी गई ।

पुस्तकों के नाम आ सकेंगे और जिन्हें पत्रिका के माध्यम से प्रकाशित कर लेखक तथा पाठक के मध्य खासा विचार-मंच तैयार किया जा सकेगा । पुस्तकों को मानसिक आयु के आधार पर समान्यतया वर्गीकृत करने का यत्न होना चाहिए ।

यह जरूरी नही है कि कक्षा स्तर अथवा आयु के अनुसार वर्गीकृत की गई पुस्तकों में से ही छात्र अपनी मनपसन्द पुस्तक छांटने-पढ़ने के लिए विवश हो बल्कि वह वर्गीकरण तो पुस्तकों को पढ़ने के लिए छाँटने में सिर्फ मार्गदर्शन करने की सुविधा प्रदान करेगा ।

अक्सर ऐसा होता है कि छात्र कोई भारी-भरकम पुस्तक उठा ले जाता है और फिर उसे पढ़ते समय सिरदर्द महसूस करता है । इस प्रकार उसमें पुस्तकों के प्रति अरूचि पैदा होने लगती है । पुस्तकालय में पुस्तक-गोष्ठी का आयोजन प्रति माह किया जा सकता है, जिसमें चर्चित होने वाली पुस्तकों की घोषणा पूर्व में की जाएगी ।

छात्र तथा अध्यापक दोनों का ही उन पुस्तकों पर ”पेपर रीडिंग” और प्रश्नोतरात्मक ढंग का प्रयत्न रह सकता है । पेपर रीडिंग ओर प्रश्नोतरात्मक ढंग के लिए प्रयास का संक्षिप्त विवरण रखा जाता है । गोष्ठी का समय पुस्तकालय के अतिरिक्त समय में खुलने के वक्त रखा जाए तो इससे यह लाभ होगा क्योंकि उसमें रूचि रखने वाले छात्र अवश्य हिस्सा लेगे ।

इस गोष्ठी के लिए बाहर से व्यक्तियों को आमंत्रित किया जा सकता है और विद्यालय निरीक्षण के लिए आए हुए महानुभावों से भी निवेदन किया जा सकता है, जिससे अधिकारी वर्ग तथा छात्रों में आत्मीयता पैदा हो सके और वे परस्पर समझने की सहज दृष्टि पा सकें ।

यों छात्रों की महान व्यक्तियों से साक्षात्कार करने की दृष्टि से विस्तार होगा, गम्भीरता आएगी और साक्षात्कार लिखने की विद्या में निपुणता प्राप्त होगी । विद्यालयों में समय-समय पर प्रकाश अपनी विषय-सूची तथा नई पुस्तकों की सूचना भेजते रहते हैं, जिसे रही की टोकरी में डाल दिया जाता है ।

पता नहीं कि ऐसा क्यों किया जाता है ? प्रकाशक कागज छपाई तथा डाक-खर्च वहन करता है, सो क्यों ? उसके द्वारा प्रेषित की गई सामग्री का प्रयोग होना चाहिए । वह इस रूप में हो सकता है कि प्रकाशक से प्राप्त सूची पत्रों तथा अन्य सूचनाओं की पुस्तकालय के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाए और छात्रों को उसमें से पुस्तक छाँटने और छाँटकर पुस्तक का नाम लेखक का नाम, मूल्य तथा प्रकाशक का नाम लिखकर पुस्तक अध्यक्ष को देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ।

पुस्तकें माँगते समय उनका विशेष ध्यान रखा जाए तथा जिन छात्रों की माँग पर जो-जो पुस्तकें मँगाई गई हो, उन छात्रों का नाम प्रार्थना-सभा में अवश्य सुनाया जाए ताकि वे छात्र अपनी मँगाई पुस्तकों का न केवल स्वयं अध्ययन कर सकें बल्कि दूसरे छात्रों को भी पढ़ने हेतु प्रोत्साहित कर सके ।

प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक शालाए जिनके पास पुस्तकालय का अभाव रहता है, जहाँ अध्यापक चाहते हुए भी विभिन्न पुस्तकों के अध्ययन से वंचित रह जाते हैं, उनको सेकण्डरी तथा हायर सेकण्डरी के पुस्तकालय से संबंध किया जाना चाहिए ।  वे माह में एक या दो बार अपने तथा अपने छात्रों के लिए वहाँ से पुस्तकें ले जा सके और समय पर उनको लौटा दें ।

जिला स्तर पर वर्ष में एक बार अवश्य पुस्तक मेला लगना चाहिए जिसके द्वारा देश-विदेश में होने वाली प्रगति को समझाया जा सके और अध्यनशील अध्यापक तथा छात्रों की विभिन्न पुस्तकों पर दी गई राय का प्रकाशन हो सके, विषयानुसार श्रेष्ठ पड़ी गई पुस्तकों के नाम सामने लाए जा सकें ।

देश भर में होने वाली पुस्तक-प्रगति के आकड़े अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक-प्रगति के  सन्दर्भ   में चार्ट द्वारा प्रस्तुत किए जाए । इस कार्य में प्रकाशक संघ से  (आँकड़े इकट्‌ठे करने के सम्बन्ध में) सहायता ली जा सकती

है । पुस्तकों के प्रति गम्भीर रूचि रखने वाले योग्यतम छात्रों को इस अवसर पर पुरस्कृत भी किया जा सकता है । पुस्तक मेले के समय पर ही पत्रिका-प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाए ।

जो पत्र-पत्रिकाएं विद्यालय में न ही आती है, प्रयत्न करने पर उनकी एक-एक प्रति प्राप्त हो सकती है और उनका प्रदर्शन किया जा सकता है । उपर्युक्त बिन्दुओं पर प्रत्येक विद्यालय अपनी परिस्थितियों तथा सुविधाओं को ध्यान में रखकर इस प्रकार से छोटे अथवा बड़े रूप में कार्य प्रारम्भ कर सकता है ।

इसके अलावा और नए तरीकों की ईजाद कर सकता है । अपने विद्यालयों में अभी तक इस दिशा में कार्य करने की सुविधाएं बहुत न्यून है । परन्तु विभाग द्वारा आवश्यक सुविधाएं मुहैया करने पर सहज ही प्रत्येक विद्यालय ‘पुस्तकालय-क्रान्ति’ में सक्रिय सहायोग प्रदान कर, अध्यापक तथा छात्रों को चिन्तन के लिए नए क्षितिज दे सकता है । निश्चित ही इस प्रकार से कॉफी के प्याले में उठने वाला तनाब और दिशा भ्रमित हो जाएगा । और युवा शक्ति एक नई तथा सशक्त दिशा में कार्यरत हो सकेगी ।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi:  पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी हमारे सामाजिक और शैक्षिक जीवन का एक अहम स्थान हैं. आज का निबंध पुस्तकालय पर हिंदी में दिया गया हैं. स्कूल स्टूडेंट्स या कॉलेज के विद्यार्थी प्रोजेक्ट के रूप में लाइब्रेरी एस्से का उपयोग कर सकते हैं.

Essay on Library in Hindi- पुस्तकालय पर निबंध

essays on ‘Library ‘ for Class 1, 2, 3, 4, 5,  6, 7, 8, 9, 10 कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए Library Essay पुस्तकालय निबंध  यहाँ पर 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में दिया गया हैं.

प्रत्येक स्कूल में एक पुस्तकालय भवन होता है, जिसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए विविध प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकों तथा पत्रिकाओं का संग्रह रहता हैं.

बच्चों को मेरे विद्यालय के पुस्तकालय पर छोटा बड़ा निबंध (hindi essay pustakalaya) आदि लिखने को कहा जाता हैं. आप हमारे इस निबंध की मदद से एक बेहतरीन पुस्तकालय निबंध को प्रस्तुत कर सकते हैं.

पुस्तकालय पर निबंध-

विद्यालयों तथा कॉलेज में पुस्तकालय स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है जहां पर उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई भी ना हो और यही वजह है कि लाइब्रेरी में पुस्तकें पढ़ते वक्त हम ध्यानमग्न हो जाते है। क्योंकि यहां पर हम जो भी पढ़ते हैं, वह शांत वातावरण होने के कारण सीधा हमारे दिमाग में बैठ जाता है।

लाइब्रेरी की स्थापना हो जाने के कारण अब लोगों को विभिन्न प्रकार के विषयों से संबंधित ज्ञानवर्धक किताबें एक ही जगह पर मिल जाती है, साथ ही कुछ पुस्तकालय ऐसे भी हैं जो फ्री में लोगों को पुस्तकालय में आकर के किताब पढ़ने का मौका देते हैं। इससे हम अपनी मनपसंद किताब पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

पुस्तकालय के स्थापित होने का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को मिला है तो वह लोग गरीब समुदाय के लोग ही हैं, क्योंकि इन लोगों के पास किताबें खरीदने के लिए कभी कबार पैसे नहीं होते हैं। यही वजह है कि सार्वजनिक पुस्तकालयों में जाकर के वे लोग भी अपनी पसंदीदा किताब पढ़ अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते है।

पुस्तकालय के अंदर हमें पॉलिटिक्स, जाति, धर्म, कला, साइंस,राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित किताबे आसानी से पढ़ने के लिए मिल जाती है। इससे हमें विभिन्न प्रकार की घटनाओं का ज्ञान होता है जो प्रतियोगी परीक्षा में हमारे लिए काफी काम आता है।

पुस्तकालय में आपको अंग्रेजी भाषा के अलावा हिंदी तथा अन्य कई भाषाओं की किताबें भी आसानी से मिल जाती है। साहित्य प्रेमी के लिए तो पुस्तकालय साक्षात स्वर्ग के समान होता है।

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)

पुस्तकालय वह स्थान है भिन्न भिन्न तरह के ज्ञान, जानकारों, सन्दर्भ एवं सेवाओं का विस्तृत संग्रह रहता हैं. पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी शब्द का हिंदी रूपान्तरण हैं.

लेटिन भाषा के लाइवर शब्द से इसकी उत्पत्ति मानी जाती हैं, जिसका अर्थ होता है पुस्तक. पुस्तकालय की हिस्ट्री लेखनी प्रणाली तथा पुस्तक व दस्तावेजों को उसी स्वरूप में लम्बे समय तक रखने की प्रणाली से साथ शुरू हुआ था.

हिंदी शब्द पुस्तकालय एक संधि शब्द हैं जो पुस्तक+आलय दो भिन्न शब्दों से मिलकर बना हैं जिनका आशय उस स्थान से हैं जहाँ पढ़ने की सामग्री पुस्तकें, फिल्म, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, ग्रामोफोन रेकार्ड एव अन्य पठनीय सामग्री आदि का विस्तृत संग्रह किया गया हो.

हालांकि कई बुक स्टॉल पर भी अलमारियां भरी ढेरों पुस्तके होती हैं मगर व्यवसायिक दृष्टि से पुस्तक संग्रह होने के कारण उसे पुस्तकालय की श्रेणी में नहीं गिना जाता हैं.

आज हम बच्चों के पुस्तकालय पर निबंध लेकर आए हैं. स्कूल में कई बार बच्चों को पुस्तकालय के महत्व पर निबंध लिखने को कहा जाता हैं, आप यहाँ दिए गये निबंध को अपने शब्दों में छोटा बड़ा करके उपयोग कर सकते हैं.

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

पुस्तकालय (पुस्तक+आलय) शब्द का अर्थ हैं पुस्तकों का घर. वह स्थान जहाँ पुस्तकों का संग्रह किया जाता हैं. पुस्तकालय कहा जाता हैं. पुस्तकालय में अनेक विषयों की पुस्तकें विषयानुसार क्रम से लगी रहती हैं. इनमें से लोग अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार पुस्तकें पढ़कर हमारा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (types of library in hindi) – पुस्तकालय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, निजी पुस्तकालय और सार्वजनिक पुस्तकालय.

निजी पुस्तकालय वह होता हैं जो अपने ही घर के लिए स्थापित करते हैं. ऐसे पुस्तकालय में केवल एक ही व्यक्ति या परिवार की रूचि की पुस्तके होती हैं.

सार्वजनिक पुस्तकालय आम जनता के लिए होता हैं. ऐसे पुस्तकालयों का संचालन तीन तरह से होता हैं. व्यक्तिगत स्तर पर, पंचायती स्तर पर और सरकारी स्तर पर. कुछ धनी लोग अपने ही पैसों से पुस्तकालय खुलवाकर लोगों की मदद करते हैं. ये व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं.

मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर तथा विद्यालयों द्वारा संचालित पुस्तकालय पंचायती होते हैं. इनके अतिरिक्त सरकार भी कुछ पुस्तकालय चलाती हैं.

पुस्तकालय की उपयोगिता-  पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं. जिनके पास विद्यालय जाने का समय नही हैं, वे लोग पुस्तकालय की पुस्तकों से अपना ज्ञान बढ़ाते हैं. आज पुस्तकों के मूल्य बढ़ गये हैं.

इसलिए सब लोग उन्हें खरीद नही पाते हैं. किन्तु पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर तो सभी पढ़ सकते हैं. इस प्रकार निर्धन व्यक्तियों के लिए पुस्तकालय विशेष लाभदायक होते हैं.

पुस्तक पढ़ना खाली समय बिताने का एक अच्छा साधन हैं. जब हमारे पास कोई काम नही होता है तो हमारा दिमाग बहुत सी अनुचित बाते सोचने लगता हैं. इस प्रकार पुस्तकालय हमें बुरी आदतों से बचाकर अच्छा नागरिक बनाते हैं.

पुस्तकालय में वे ही लोग आते हैं. जो ज्ञान बढ़ाना तथा स्वयं को सुधारना चाहते हैं. इस प्रकार पुस्तकालय में जाने से हमारी भले लोगों से भेट होती हैं इससे आपसी प्रेम भी बढ़ता हैं.

उपसंहार-  पुस्तकालय हमारे सच्चे मित्र होते हैं. वे हमें उबने नही देते. वे हमारा मनोरंजन करते तथा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालय के लाभ हिंदी निबंध

मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक संतुलित भोजन की आवश्यकता होती हैं. उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक हैं.

यदि हमे ज्ञान की प्राप्ति करनी है तो इसके लिए मस्तिष्क को गतिशील बनाना पड़ता हैं. ज्ञान प्राप्ति का सबसे सरल रास्ता विद्यालय में जाकर गुरूजी से अध्ययन करना होता हैं. तथा इसका दूसरा माध्यम पुस्तकालय होते हैं.

किसी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति के लिए विविध संस्थानों में प्रवेश के लिए बहुत सारी राशि खर्च करनी पड़ती हैं. मगर इन्ही के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा सरकारी विद्यालय खोले जाते है.

इसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए एक अलग कक्ष का प्रावधान होता हैं जिसे हम पुस्तकालय कहते हैं. इससे हर वह व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर सकता हैं, जिसको पढने में रूचि एवं लग्न हो.

पुस्तकालय का अर्थ होता है पुस्तक घर अथवा जहाँ किताबों को सहेज कर रखा जाता हैं. इस हिसाब से उन सभी रूम, म्यूजियम अथवा शॉप्स को पुस्तकालय की श्रेणी में गिना जाता हैं.

जहाँ ढेरों नवीन प्राचीन पठन पाठन के लिहाज से उपयोगी पुस्तकों का संग्रह किया जाता हो. मानव के लिए पुस्तके ज्ञान की उपहार है तो पुस्तकालयों को ज्ञान भंडार कह सकते हैं. जो ज्ञान राशि रुपी मूल्यवान पुस्तकों का भंडारण करके रखता हैं.

पुस्तकालय का महत्व (Importance of Library in Hindi)

हमारे लिए पुस्तकालय ज्ञान मन्दिर अथवा जहाँ स्वयं देवी सरस्वती विराजमान होती हैं वह स्थान हैं जहाँ मनुष्य ज्ञान रुपी धन को पाकर जीवन के अज्ञान रुपी अँधेरे को दूर कर पाता हैं. ये हमें प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करते हैं.

समाज तथा राष्ट्र की दशा व दिशा के निर्धारण में पुस्तकालयों की अहम भूमिका होती हैं. मानव के विकास में पुस्तकीय ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई हैं. हमारे मस्तिष्क, बुद्धि, दृष्टिकोण के विकास में पुस्तक तथा पुस्तकालय का अहम योगदान होता हैं.

हम पुस्तकीय ज्ञान पाकर न केवल अपने जीवन को समर्थ बना सकते हैं बल्कि देश समाज तथा मानवता के कल्याण के कार्य भी कर सकते हैं. हर व्यक्ति अपनी मनचाही पुस्तक को बाजार से लाकर नहीं पढ़ सकता हैं.

वह आर्थिक रूप से इतना सबल नहीं होता कि पुस्तकों पर व्यय कर सके. अथवा दुर्लभ ग्रंथ तथा पुस्तकों को कहीं से मंगवा सके. पुस्तकालय उन लोगों की बड़ी मदद करता हैं.

यह उन पुस्तकों का भी एकमात्र स्रोत हैं जिनका वर्तमान में प्रकाशन नहीं किया जाता हैं. यह पुस्तक मन्दिर ही अमूल्य धरोहर रुपी पुस्तकों की प्रतियों को समाज के लिए सहेजकर रखता हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय अपने स्वरूप के आधार पर भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ ये हैं.

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

सरकारी तथा सार्वजनिक प्रकार के पुस्तकालय आज के दौर में बेहद कम देखने को मिलते हैं. बड़े बड़े नगरों शहरों में है भी तो लोगों को इस सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं रहती हैं. विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों का क्षेत्र सीमित होता हैं.

इसमें स्कूल कॉलेज में पढाए जाने वाले विषयों से सम्बन्धित ही नवीन तथा प्राचीन लेखकों की पुस्तकें ही रहती हैं. आज के समय में बड़ी संख्या में व्यक्तिगत पुस्तकालय चलन में हैं.

हर छोटे बड़े शहर में इस प्रकार के पुस्तकालय देखने को मिल जाएगे. जहाँ निर्धारित फीस देकर शांत एवं व्यवस्थित माहौल के मध्य पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता हैं.

पुस्तकालय से लाभ (Benefits of Library)

पुस्तकालय मानव जाति के कल्याण की राह दिखाने वाले केंद्र हैं इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं.

ज्ञान की प्राप्ति (Knowledge Gain)

शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य मानव के मस्तिष्क का विकास हैं. वह अपने पसंद के विषयों को पढकर ज्ञान प्राप्त करता हैं. विद्याल यों में सीमित पुस्तकीय व व्यवहारिक ज्ञान की प्राप्ति होती हैं.

बच्चें मात्र चंद पुस्तकों को पढकर अगली कक्षा में प्रवेश कर जाते हैं. उन्हें अपने विषय का पूर्ण ज्ञान पटापट नहीं होता है. विषयवार ज्ञान को विस्तृत दायरे में पढ़ने के लिए विविध पुस्तकों को पढना पड़ता हैं.

मनोरंजन का स्वस्थ साधन (Library as a Entertainment)

आज मनोरंजन के सैकड़ों साधन हो गये हैं व्यक्ति अपने खाली समय का उपयोग मनोरंजन के लिए कभी फिल्म, खेल, गेम्स आदि में व्यतीत करते हैं. पुस्तकालय मनोरंजन एवं खाली समय के सदुपयोग का सबसे बेहतरीन साधन हैं.

पुस्तकें न केवल हमें संसार के सम्बन्ध में हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं बल्कि हमारे विचार तथा दृष्टिकोण को भी परिपक्व बनाती हैं. पुस्तकों से मानसिक विकास को गति मिलती हैं तथा अपने रूचि के अनुसार खाली समय में अच्छी पुस्तकों को पढकर मनोरंजन भी कर सकते हैं.

दुर्लभ पक्षियों की प्राप्ति के साधन

पुस्तकालय अतीत और वर्तमान के बीच सेतु का कार्य करते हैं. किसी विषय पर शोध, अनुसन्धान में ये पुस्तकें बड़ी मददगार साबित होती हैं. जहाँ हम दुलर्भ विषयों के सम्बन्ध में जानकारी पा सकते हैं. पुस्तकालय में आसानी से प्रत्येक विषय से सम्बंधित दुर्लभ पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं.

पठन-पाठन में सहयोगी (Beneficial for both Student and Teachers)

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित हो सकते हैं. अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं.

उपसंहार (Conclusion)

यही मायनों में पुस्तकालय ही ज्ञान के मन्दिर हैं जो हमें विविध विषयों की पुस्तके सुलभता से उपलब्ध करवाकर मानव जीवन को वास्तविक अर्थ प्रदान करते हैं.

सरकार व समाज को चाहिए कि वे अपने नागरिकों को लिए ऐसे अधिक से अधिक पुस्तकआलयों की स्थापना करे तथा उनका सही ढंग से संचालन किया जाए.

  • मेरे विद्यालय का पुस्तकालय पर निबंध
  • पुस्तकालय पर स्लोगन नारे सुविचार
  • हाथी पर निबंध, लेख
  • पहला सुख निरोगी काया पर निबंध

आशा करता हूँ फ्रेड्स आपकों यहाँ दिया गया  Essay on Library in Hindi & पुस्तकालय पर निबंध  अच्छा लगा होगा, यदि इसमें दी गई जानकारी आपकों अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.के लेख से जुड़ा आपका कोई सुझाव या सवाल हो तो प्लीज कमेंट कर जरुर बताएं.

7 thoughts on “पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi”

thanks for giving

Thank you. Sir/ma’am

Thank you sir /Ma’am

I,m a school student

I’m a school student My name is Pavithra and I am using my mother’s phone

It was very helpful And I had an ASL about this topic it was very helpful than Wikipedia because you’re giving the basic ideas which is more important Thank you sir/maam But I found one mistake That is In Hindi language full stop is one line no line segment (l) But here you are putting English language’s full stop I know you know it most probably you must be mistakenly written Any way Thankyou

I’m a school student Pavithra And I am using my mother’s phone It was very helpful than Wikipedia because you’re giving the basic ideas which is more important I had an ASL about this topic and it was very helpful But I found a mistake that In Hindi language full stop is one line no line segment but here you have used the dot full stop Any way thank you sir /maam

दरअसल हम जिस हिंदी फॉण्ट को उपयोग कर रहे हैं उसमें पूर्ण विराम के लिए अंग्रेजी का फुल स्टॉप … ही हैं जबकि हिंदी के पूर्ण विराम की खड़ी लाइन | भी हम उपयोग करने की कोशिश करेगे. आप हमसे निरंतर जुड़े रहे इसके लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं. हम आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयत्न करेंगे|

Thank you Sir.

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ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Short Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर अनुच्छेद

October 15, 2017 by essaykiduniya

Here you will get Long, Paragraph and Short Essay on Library in Hindi Language for students of all Classes in 150, 200, 300, 400 and 800 words. Essay on Pustakalaya in Hindi. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में पुस्तकालय पर अनुच्छेद मिलेगा।

Short Essay on Library in Hindi

Short Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर अनुच्छेद (150 words)

पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। इसे लायब्ररी भी कहते हैं। यह विद्या की देवी सरस्वती का मन्दिर है। यह मनोरंजन का केन्द्र और ज्ञान का स्रोत है। निर्धन छात्रों एवं पाठकों के लिए यह वरदान है। कई लोगों को पुस्तकें पढ़ने और एकत्रित करने का बड़ा चाव होता है। वे उन पुस्तकों को स्वयं भी पढ़ते हैं और दूसरों को भी देते हैं। ऐसे पुस्तकालय निजी पुस्तकालय कहलाते हैं। कुछ पुस्तकालय संस्थाओं द्वारा खोले जाते हैं।

कुछ पुस्तकालय सरकारी भी होते हैं। पुस्तकालय में कई भाषाओं की और कई विषयों की पुस्तकें होती हैं। उनकी एक सूची होती है, जिसे देखकर छात्र पुस्तकों का चुनाव करते हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष पाठकों को घर में पढ़ने के लिए भी पुस्तकें देते है। वहाँ एक वाचनालय भी होता है जहाँ लोग समाचार-पत्र और पत्रिकायें पढ़ते हैं। पुस्तकालय छात्रों और अध्यापकों के लिए अत्यन्त लाभदायक होते हैं। अध्यापक अपना ज्ञान विकसित करके छात्रों में बाँटते हैं।

Short Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर अनुच्छेद (200 Words)

पुस्तकालय एक स्कूल या कॉलेज का अभिन्न अंग है यह शैक्षणिक जीवन का केंद्र है यह ज्ञान का एक स्टोर-घर है यह छात्रों को अमूल्य सेवा प्रदान करता है एक कॉलेज या स्कूल की महानता पुस्तकालय से न्याय की जा सकती है। मेरे स्कूल में भी एक बड़ा पुस्तकालय है इसमें एक समय में 200 से अधिक छात्रों को शामिल करने की क्षमता है। छात्रों और कर्मचारियों के लिए अलग-अलग अनुभाग हैं इस पुस्तकालय में लगभग 60,000 पुस्तकें हैं छात्र और शिक्षक आते हैं और यहां पुस्तकों से परामर्श करते हैं। उनमें से कुछ पुस्तकों को जारी किए गए हैं। यह बैठने और अध्ययन करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। पुस्तकालय ओलों में सही मौन है पुस्तकालय 9 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है।

रविवार को छोड़कर सभी दिनों पर पुस्तकालय स्टाफ छात्रों के लिए बहुत मददगार है। प्रत्येक कक्षा के पास एक अनिवार्य पुस्तकालय अवधि है निष्क्रिय गपशप में अपने समय को दूर करने के बजाय, छात्रों ने पुस्तकालय की आदतों का विकास किया। योग्य और कुशल छात्र पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त पुस्तकालयों की बहुमूल्य और दुष्प्राप्य पुस्तकें पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। हमें पुस्तकालय का सदुपयोग करना चाहिए। पुस्तकों से कागज नहीं फाड़ने चाहिएं। मुझे अपने स्कूल के पुस्तकालय पर गर्व है।

Short Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर अनुच्छेद ( 300 words )

‘पुस्तकालय’ शब्द पुस्तक+आलय से बना है। इसका अर्थ है पुस्तकों का घर । यह सरस्वती का मन्दिर कहलाता है। यहाँ देश विदेश की अनेक पुस्तकें होती हैं। यहां एक वाचनालय होता है, जहां पाठक बैठकर समाचार पत्र, पत्रिकाएं और पुस्तकें पढ़ते हैं। खाली समय बिताने का यह उत्तम स्थान है। यहाँ अपार शान्ति होती है। लोग यहाँ विद्या रूपी धन को प्राप्त करके आत्मिक सुख प्राप्त करते हैं।

पुस्तकों का महत्व – जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए अच्छी पुस्तकों की आवश्यकता होती है। पुस्तकें मनुष्य का सच्चा साथी होती हैं। वे ज्ञान का भण्डार होती हैं। विद्या रूपी धन को पुस्तकों में ही एकत्रित करके रखा जाता है। वे मानव का मार्ग-दर्शन करती हैं। वे उसे बुराई से हटाकर अच्छाई की ओर ले जाती हैं। इनमें मनोरंजन भी होता है।

पुस्तकालय का महत्व – माता पिता द्वारा बच्चों को दिया गया विद्या रूपी धन वास्तव में बच्चों की सच्ची पूँजी है। पुस्तकें पढ़ कर बालक अध्ययन, चिन्तन एवं मनन करके विद्वान बनता है। पुस्तकालय में उसे हर प्रकार की पुस्तकें प्राप्त होती हैं। देश विदेश के लेखकों की विभिन्न भाषाओं एवं विषयों पर लिखी पुस्तकों को सुन्दर ढंग से पुस्तकालय में सजाया जाता है। उनकी एक सूची तैयार की जाती है। इसे पढ़कर विद्यार्थी पुस्तकें पुस्तकालय में ही नहीं अपितु घर पर लाकर भी पढ़ सकते हैं। निर्धन छात्रों के लिए तो पुस्तकालय वरदान है। महापुरुषों की जीवनियाँ और शिक्षाप्रद कहानियाँ लोगों के जीवन को ही बदल देती हैं। कविताएँ और नाटक तो मानव को आमिक आनन्द प्रदान करते हैं।

Short Essay on Library in Hindi Language – पुस्तकालय पर अनुच्छेद (400 Words) 

पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तक+ आलय= पुस्तकों का घर या भण्डार। वास्तव में पुस्तकालय एक ऐसी संस्था है जो लोगों के ज्ञान की भूख को मिटाती है। ज्ञान का भण्डार अनन्त है और इस अनन्त भण्डार को असंख्य पुस्तकों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाता है। आज कोई भी व्यक्ति इतनी शक्ति नहीं रखता कि इन पुस्तकों के भण्डार को स्वयं खरीद कर उनका उपयोग कर सके। यह कार्य पुस्तकालय ही कर सकते हैं।

हमारे स्कूल का पुस्तकालय बड़ा सुन्दर है । इसमें हर प्रकार की पुस्तके मिल जाती हैं । हमारे पुस्तकालय में हर प्रकार की पुस्तकें हैं। ज्ञान की वृद्धि करने वाली पुस्तकों का अलग कक्ष है। इनमें विज्ञान, गणित, इतिहास, राजनीति, दर्शन-शास्त्र, भूगोल इत्यादि छात्रोपयोगी पुस्तकें बहु संख्या में हैं। दुसरे कक्ष में बच्चों के मनोरंजन के लिए सुन्दर कहानियों, एकांकियों, नाटकों, उपन्यासों की भी पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की वृद्धि के लिए अंग्रेजी, हिन्दी, पंजाबी में कई दैनिक-पत्र भी आते हैं। जिन्हें पढ़ कर बच्चों को प्रतिदिन की घटनाओं का ज्ञान हो जाता है। हमारे पुस्तकालय में कुछ साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएं भी आती हैं । इनसे हमारा मनोरंजन भी होता है और ज्ञान भी बढ़ता है। हमारे विद्यालय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें अल्मारियों में पुस्तकें खुली पड़ी हैं। छात्र स्वयं जाकर अपनी मन-पसन्द की पुस्तकें निकाल लेते हैं।

कुछ छात्र पुस्तकें लेकर पुस्तकालय में ही उनका अध्ययन करते हैं। पुस्तकालय में दो-तीन कर्मचारी इधर-उधर घूमते रहते हैं। वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि छात्र उन पुस्तकों में से उपयोगी चित्र, मानचित्र आदि न फाड़ लें और न ही पुस्तकों को गन्दा करें। यदि वे पुस्तकें घर ले जाना चाहते हैं तो वे अपने कार्ड पर पुस्तकें ले जा सकते हैं और 15 दिन तक रख सकते हैं। यदि उन्हें 15 से अधिक समय तक के लिए पुस्तकें चाहिएं तो उन्हें अपने नाम पर दोबारा लेनी पड़ती हैं। नहीं तो 10 पैसे प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना पड़ता है। हमारे स्कूल में प्रत्येक श्रेणी के लिए एक पीरियड पुस्तकालय में व्यतीत करना अनिवार्य है। इस समय में उस श्रेणी के अध्यापक भी साथ में होते हैं । बास्तव में पुस्तकालय में व्यतीत किया गया यह पीरियड विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभप्रद है। वे समाचार भी पढ़ते हैं और अन्य पुस्तकों को पढ़ने की रुचि भी उनमें उत्पन्न होती है।

Short Essay on Library in Hindi – Essay on Pustakalaya in Hindi (800 Words) 

किताबें एक आदमी के सबसे अच्छे दोस्त हैं वे उन्हें खुशी के समय में और साथ ही संकट के समय में कंपनी प्रदान करते हैं ‘। वे ज्ञान के मुख्य स्रोतों में से एक हैं पुस्तकों तक आसान पहुंच के लिए सबसे अच्छी जगह एक पुस्तकालय है। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहां न केवल किताबें हैं बल्कि पत्रिकाएं, पत्रिकाएं और समाचार पत्र पाठकों के लाभ के लिए अच्छी तरह से रखे जाते हैं। सूर्य के नीचे लगभग सभी चीजों का विवरण जानने के लिए, एटलस, एनसाइक्लोपीडिया, आदि प्राप्त कर सकते हैं। एक पुस्तकालय ज्ञान का खजाना घर है। यह शिक्षा के प्रसार में मदद करता है एक पाठक या तो पुस्तकालय में पढ़ सकता है या अपनी पसंद की पुस्तकों को उधार ले सकता है और उन्हें घर ले सकता है।

एक अच्छी तरह से रखी पुस्तकालय एक स्कूल, एक कॉलेज या विश्वविद्यालय के लिए एक संपत्ति है। वहां पड़ोस पुस्तकालयों और जिला पुस्तकालय भी हैं जो क्षेत्र के पाठकों को लाभ देते हैं। एक छात्र या पाठक अपने खाली समय के दौरान पुस्तकालय में पढ़ने के द्वारा विभिन्न विषयों के अपने ज्ञान को बढ़ा सकता है ‘। एक पुस्तकालय में नियमित रूप से पढ़ कर किसी का ज्ञान अद्यतन कर सकता है। एक लाइब्रेरी को एक अच्छा लाइब्रेरियन की जरूरत है, जिसे लाइब्रेरी विज्ञान में अच्छी तरह से योग्य होना चाहिए। ऐसी कोई व्यक्ति पुस्तकों को ठीक से प्रबंधित और रखरखाव कर सकता है और उपयुक्त पुस्तकों का चयन करने के लिए छात्रों को मार्गदर्शन भी कर सकता है। उन्हें हंसमुख और सहकारी होना चाहिए। उन्हें पाठकों के साथ अच्छी तरह से संवाद करना चाहिए ताकि वे आसानी से किताबों को प्राप्त कर सकें, जब वे लाइब्रेरियन से परामर्श करें। इस प्रकार, ग्रंथपाल के मार्गदर्शन में पाठकों के बहुत समय बचा है।

पुस्तकालय के सुधार के लिए एक अच्छी लाइब्रेरियन पाठकों के सुझावों का स्वागत करता है। वह नियमित रूप से पाठकों की जरूरतों और लोकप्रिय पसंद के रुझान को ध्यान में रखते हुए नई पुस्तकों की खरीद करता है। आम तौर पर, एक पुस्तकालय एक विशाल कक्ष में स्थित है, लेकिन छोटे पुस्तकालय छोटे कस्बों और गांवों में भी कार्य करते हैं। लाइब्रेरी के अंदर फर्नीचर आरामदायक, साफ और साफ होना चाहिए। छात्रों को सख्त अनुशासन बनाए रखना चाहिए, ताकि दूसरों को परेशान नहीं किया जा सके। पुस्तकालय में वातावरण शांत और विद्वान होना चाहिए। एक पुस्तकालय में स्टॉक में हजारों पुस्तकों की संख्या है। इसमें विभिन्न विषयों, विषयों और घटनाओं पर किताबें हैं नई पुस्तकों को समय-समय पर जोड़ा जाता है। सभी पुस्तकों को व्यवस्थित रूप से रखा जाता है वे अपने विषयों के अनुसार वर्गीकृत और अनुक्रमित हैं। पुस्तकों का लेबलिंग पाठक को बिना किसी कठिनाई के किसी विशेष पुस्तक का पता लगाने में मदद करता है।

किसी विशेष पुस्तक की लाइब्रेरी संख्या जानने के लिए, कोई विषय या लेखक सूचकांक की मदद ले सकता है जो किसी लॉग बुक या कंप्यूटर फ़ोल्डर में हो सकता है। अधिकांश पुस्तकालय एक पुस्तक प्रदर्शन रैक रखते हैं जहां नए आगमन को रखा जाता है। एक पुस्तकालय पत्रिकाओं, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को भी रखता है। ये लाइब्रेरी की रीडिंग टेबल पर रखा जाता है। पाठकों को वर्तमान घटनाओं और विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम घटनाओं से लैस रख सकते हैं। एक पाठक को पुस्तकों को सावधानी से संभाल करना चाहिए ताकि कोई पृष्ठ फाड़ा न हो और किताबें गलत न हों। पढ़ने के बाद उन्हें पुस्तकों को उचित स्थान पर रखना चाहिए। लाइब्रेरियन को यह देखना चाहिए कि लाइब्रेरी में पूर्ण मौन रखा गया है। पाठकों को पुस्तकालय के नियमों का पालन करना चाहिए।

एक लाइब्रेरी अपने पाठकों के लिए सदस्यता कार्ड जारी करता है। एक पाठक या एक छात्र घर ले जाने के लिए एक किताब उधार ले सकता है अगर वह कार्ड है किताबें सीमित अवधि के लिए जारी की जाती हैं। यदि पाठक नियत तारीख पर किताब नहीं लौटाता है, तो उसे पुस्तकालय के नियमों के अनुसार ठीक भुगतान करना होगा। अगर कोई पाठक एक किताब खो देता है, तो उसे खोई हुई पुस्तक को एक नए के साथ बदलना होगा या किताब की कीमत चुकानी होगी। पाठकों को किताबों को अच्छी स्थिति में रखना चाहिए। लाइब्रेरी खराब छात्रों के लिए वरदान है जो पाठ की पुस्तकों या उनकी रुचि के अन्य पुस्तकों को खरीद नहीं सकते हैं। वे इन पुस्तकों को उधार ले सकते हैं और उन्हें अपने घरों के आराम से आसानी से पढ़ सकते हैं। इस प्रकार एक पुस्तकालय समाज को बहुत मदद करता है।

अधिकांश पुस्तकालयों में नोटिस बोर्ड हैं उनका उपयोग दिन के महत्वपूर्ण समाचार लिखने के लिए किया जाता है। “दिन के लिए विचार” यहां भी लिखा है। पुस्तकालय में जोड़े जाने वाली नई पुस्तकों के शीर्षक भी विद्यार्थियों को सूचित करने के लिए नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित होते हैं। कई लाइब्रेरी अब इस प्रयोजन के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड का उपयोग करते हैं। अधिकांश पुस्तकालय सीमित समय के लिए खुले हैं। हाल के वर्षों में, इंटरनेट ने पुस्तकालय की अवधारणा में क्रांति ला दी है। सूचना प्रौद्योगिकी अब पुस्तकालय सुविधाओं में सुधार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंटरनेट ने संभवत: कम से कम संभव समय में जानकारी देने के लिए संभव बनाता है आज, पूरी दुनिया इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा हुआ है लेकिन यह सुविधा ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध है।

इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, जो एक माउस के क्लिक पर जानकारी का भार प्रदान करता है, किसी को आज की दुनिया में एक लाइब्रेरी के संभावित घटते प्रासंगिकता और महत्व के बारे में सोचने के लिए रोक सकता है। लेकिन एक को ध्यान में रखना चाहिए कि एक व्यक्ति पुस्तकालय में जाता है न केवल किताबों की खोज और जानकारी प्राप्त करने के लिए बल्कि वहां बैठकर अध्ययन भी करता है। शांतिपूर्ण और विद्वानपूर्ण माहौल वहाँ पाठक पर रगड़ जाता है और एक के काम और अध्ययन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इस प्रकार, पुस्तकालय हमेशा एक उपयोगी उद्देश्य की सेवा करेंगे। वे हमेशा एक अच्छी तरह से पढ़े हुए और शिक्षित समाज की उपस्थिति को इंगित करने के लिए होंगे।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Pustakalaya in Hindi – Short Essay on Library in Hindi – पुस्तकालय पर अनुच्छेद ) को पसंद करेंगे।

pustakalaya essay in hindi for class 9

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  • जटिलताएं (कॉम्प्लीकेशन्स)
  • प्रसवोत्तर देखभाल
  • महीने दर महीने विकास
  • शिशु की देखभाल
  • बचाव व सुरक्षा
  • शिशु की नींद
  • शिशु के नाम
  • आहार व पोषण
  • खेल व गतिविधियां
  • व्यवहार व अनुशासन
  • बच्चों की कहानियां
  • बेबी क्लोथ्स
  • किड्स क्लोथ्स
  • टॉयज़, बुक्स एंड स्कूल
  • फीडिंग एंड नर्सिंग
  • बाथ एंड स्किन
  • हेल्थ एंड सेफ़्टी
  • मॉम्स एंड मेटर्निटी
  • बेबी गियर एंड नर्सरी
  • बर्थडे एंड गिफ्ट्स

FirstCry Parenting

  • प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष)
  • बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi)

Essay On Library In Hindi

In this Article

पुस्तकालय पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Library In Hindi)

पुस्तकालय पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on library in hindi in 200-300 words), पुस्तकालय पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on library in hindi in 400-600 words), पुस्तकालय के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a library essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(faqs).

पुस्तकालय एक ऐसी जगह होती है जहां कई तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें, जानकारियां, अनुसंधान, सूचनाएं आदि हासिल होती हैं। पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पुस्तक और आलय, ये मिलकर पुस्तकालय बनाता है, जिसका आसान भाषा में अर्थ पुस्तक या किताबों का घर होता है। यहां पर आपको ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, राजनिति विज्ञान और अलग-अलग भाषाओं का संग्रह मिलता है। छात्रों के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण माना जाता है जिससे उन्हें अलग-अलग किताबों से ज्ञान हासिल हो सके। पुस्तकालय सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि कॉलेज, सरकारी कार्यालयों और निजी पुस्तकालय के रूप में होते हैं। यही नहीं देश के विकसित होने के साथ-साथ अब पुस्तकालय भी विकसित हो गए हैं क्योंकि अब डिजिटल लाइब्रेरी भी होने लगी जिनसे लोग घर बैठे अपने फोन एवं लैपटॉप पर भी किताबें आसानी से पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता है और यहां लोग शांति भरे माहौल में अपनी किताबों का आनंद उठाते हैं। इस लेख में पुस्तकालय के बारे में निबंध कैसे लिखा जा सकता है इसके बारे में और उसकी महत्ता, जरूरत आदि के बारे में बताया गया है। अगर बच्चों को स्कूल में लाइब्रेरी पर एस्से लिखने को दिया गया है तो यहाँ निबंध के कुछ सैंपल दिए गए हैं जिनसे उसे मदद मिल सकेगी।

पुस्तकालय और उसके भूमिका के बारे में सभी को जानकारी होगी, ऐसे में जानिए कि इससे जुड़ी अहम 10 बातों को बिंदुवार कैसे बताया जाए। इनकी मदद से बच्चा 100 शब्दों का एक संक्षिप्त निबंध भी लिख सकता है।

  • पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार माना जाता है।
  • यह दो शब्दों से मिलकर बना है – पुस्तक+आलय।
  • यहां ज्ञानवर्धक किताबों के साथ मनोरंजक किताबें भी उपलब्ध की जाती हैं।
  • पुस्तकालय में अलग-अलग विषयों की किताबों को बिना खरीदे पढ़ने की सुविधा मिलती है।
  • पुस्तकालय में जाने और किताबें पढ़ने के अपने नियम होते हैं।
  • लाइब्रेरी में किताब पढ़ते समय शोर मचाने की सख्त मनाही होती है।
  • यहां पर विषयों के हिसाब से किताबों के संग्रह बनाए जाते हैं ताकि ढूंढने में आसानी हो।
  • विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय न केवल किताबें मिलने की बल्कि शांति में पढ़ाई करने की भी जगह होती है।
  • इसके कई प्रकार हैं जैसे निजी, सार्वजानिक, विद्यालय, डिजिटल पुस्तकालय आदि।
  • सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थाओं में पुस्तकालय का होना अनिवार्य माना जाता है।

निबंध लिखना भी एक कला है और इस कला को सही ढंग से समझना जरूरी है ताकि बच्चा कम शब्दों में एक अच्छा एस्से लिख सके। नीचे पुस्तकालय पर लिखे निबंध का उदाहरण आप ले सकते हैं।

पुस्तकालय का मतलब होता है किताबों का घर। यह एक ऐसा स्थान है जहां हर विषय से जुड़ी किताबें आसानी से एक जगह पर मिल जाती हैं। इसलिए ही इसे लोग ज्ञान का भंडार भी कहते हैं। हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में पुस्तकालय अवश्य होता है। इसमें छात्र अपनी रूचि के अनुसार किताबें चुनकर पढ़ सकते हैं। यह सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए बना है जिसे ज्ञानवर्धक चीजें जानने की उत्सुकता हो, शिक्षा हासिल करनी हो और पढ़ने में रूचि हो। पुस्तकालय में सिर्फ पुस्तकें ही नहीं बल्कि समाचार पत्र, ऐतिहासिक पत्र और विभिन्न प्रकार के शब्दकोश भी मौजूद होते हैं। ज्ञान के साथ-साथ यहां मनोरजक किताबें भी पढ़ने को मिलती हैं जैसे मैगजीन, कॉमिक बुक, स्टोरी बुक आदि। पुस्तकालय वास्तव एक बड़ा सा कमरा या कभी-कभी एक पूरी बिल्डिंग भी हो सकती है, जिसमें कई अलमारियां और शेल्फ होती हैं। यहाँ हर एक विषय के हिसाब से किताबों को रखा जाता है। इसके अलावा प्रत्येक किताब का एक सीरियल नंबर होता है। ऐसा करने से किताबें आसानी से मिल जाती हैं। पुस्तकालय के अपने नियम होते हैं और इनका पालन करना जरूरी है। यहां पर तेज आवाज में बात करना या शोर मचाना सख्त मना है। यहां लाइब्रेरी कार्ड बनाया जाता है, जिसके आधार पर आप किताब पढ़ने के लिए कुछ दिन के लिए घर ले जा सकते हैं और तय समय के बाद वापस कर सकते हैं। यदि आपने किताब वापस नहीं की तो आप पर फाइन भी लगता है। आजकल पुस्तकालय डिजिटल अवतार में भी मौजूद है और लोग इसका लाभ घर बैठे उठा रहे हैं।

Short Essay on Library in Hindi

पुस्कालय में हमें हर तरह का ज्ञान हासिल होता है और छात्रों के लिए इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि आपके बच्चे को भी लाइब्रेरी जाना पसंद और वह उसके बारे में निबंध लिखना चाहता है तो इस सैंपल की मदद से वो सरल शब्दों में एक अच्छा निबंध लिख सकता है।

भारत में पुस्तकालय की शुरुआत (Establishment of library in India)

भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया) की शुरुआत कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी से हुई थी, जिसकी स्थापना साल 1835 में हुई थी और जनता के लिए इसे मार्च 1836 में खोला गया था। वर्ष 1844 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड मेटकॉफ ने इस पुस्तकालय को एक बड़े भवन में स्थानांतरित कर दिया। 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम भड़कने के बाद यूरोपीय समुदायों ने पुस्तकालय को अनुदान देना बंद कर दिया और साल 1859 में इस पुस्तकालय को कलकत्ता नगरपालिका ने अपने प्रबंधन में ले लिया था।

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं, आइए उन प्रकारों की विशेषता जानते हैं –

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

पुस्तकालय के फायदे (Benefits Of Library)

1. ज्ञान की प्राप्ति.

पुस्तकालय से हमें हर तरह की ज्ञानवर्धक बातें जानने को मिलती है। जैसे इंसान के शरीर को ढंग से कार्य करने के लिए पोषण की जरूरत होती है वैसे ही उसके दिमाग को ज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि वह सही तरीके से कार्य कर सके। यहां आप अपने पसंद के विषय को शांति से पढ़कर ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

2. मनोरंजन का साधन

वैसे तो आजकल मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं, लेकिन किताबें पढ़कर मनोरंजन पाना एक स्वस्थ मनोरंजन माना जाता है। ये खाली समय का दुरुपयोग न करने सदुपयोग करने का सबसे बेहतरीन तरीका माना जाता है।

3. छात्रों और शिक्षकों के लिए उपयोगी

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित होते हैं। वे अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं।

पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library)

हिन्दू समाज में पुस्तकालय को ज्ञान का मंदिर माना जाता, क्योंकि यहां व्यक्ति ज्ञान के रूप में धन हासिल करता है और अपने अज्ञान के अंधकार को कम करता है। पुस्तकालय समाज और राष्ट्र की दिशा और दशा बदलने की क्षमता रखता है। यह व्यक्ति को मानसिक तौर से सक्षम बनाता और उसकी बुद्धि विकसित करता है। यहां से मिलने वाले ज्ञान से वह न सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बना सकता है बल्कि समाज का विकास भी कर सकता है।

पुस्तकालय के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Library in Hindi)

  • दुनिया की सबसे पहली लाइब्रेरी का इतिहास ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी का है।
  • 19वीं शताब्दी में पुस्तकालय में काम करने वालों को लिखावट की एक विशेष की शैली सीखनी पड़ती थी जिसे ‘लाइब्रेरी हैंड’ कहा जाता था।
  • सार्वजनिक पुस्तकालयों से सबसे अधिक बार चोरी होने वाली पुस्तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स है।
  • 2011 में ऑस्ट्रेलिया में कैमडेन स्कूल ऑफ आर्ट्स की लाइब्रेरी में चार्ल्स डार्विन की एक किताब का पहला संस्करण लौटाया गया था। यह पुस्तक वर्ष 1889 में किसी को दी गई थी और लगभग 122 साल बाद वापस लौटाई गई थी।
  • पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ प्रति व्यक्ति पुस्तकालयों की सबसे बड़ी संख्या वाला शहर है। यह 100,000 नागरिकों पर 11.5 पुस्तकालय हैं।

पुस्तकालय पर आधारित इस निबंध से आपके बच्चे को यही सीख मिलती है कि किताबें पढ़ना जीवन का आधार है क्योंकि इससे हमें तरह का ज्ञान हासिल होता है। यह ज्ञान न सिर्फ आपके व्यक्तिगत कल्याण हेतु कार्य करता है बल्कि समाज के विकास में भी मदद करता है। इसकी अहमियत सिर्फ छात्रों के जीवन में ही नहीं बल्कि शिक्षकों, किताबों में रूचि रखने वाले, ज्ञान हासिल करने वाले लोगों के लिए भी है। ऐसे में इस आप इस निबंध की सहायता से अपने शब्दों में एक बेहतरीन एस्से लिख सकते हैं।

1. दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय किस देश में स्थित है ?

दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय अमेरिका में स्थ‍ित है, जिसका नाम लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस है।

2. भारत में पुस्तकालय का जनक किसे कहा जाता है?

एस.आर. रंगनाथन भारत में पुस्तकालय के जनक माने जाते हैं।

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पुस्तकालय पर निबंध

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पुस्तकालय शब्द पुस्तक ओर आलय से मिलकर बना है इसका अर्थ है – पुस्तकों का घर । सचमुच, पुस्तकालय वह जगह है, जहाँ पढ़ने के लिए तरह-तरह की पुस्तकें मिलती हैं। पुस्तकालय पाठकों के लिए ज्ञान का भंडार होता है जहाँ प्रत्येक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करते हैं।

पुस्तकालय में कई अलमारियाँ होती हैं। इनमें अलग-अलग विषयों की पुस्तकें होती हैं। जैसे- हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें, उपन्यास-कहानी, नाटक-एकांकी, कविता, निबंध आदि विधाओं में विभकत हैं। प्रत्येक पुस्तक पर उसके क्रमांक का लेबल चिपका होता है।

पुस्तकालय में कुछ बड़ी-बड़ी मेजें और उनके दोनों ओर कुर्सियाँ लगी होती हैं। मेजों पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी रहती हैं। लोग वहाँ बैठकर इन्हें पढ़ते हैं। पुस्तकालय की देखरेख करने वाले व्यक्ति को पुस्तकालयाध्यक्ष कहा जाता है।

पुस्तकालय पुस्तकों से समृद्ध है, पत्र-पत्रिकाओं से भरपूर है, अध्ययनशील वातावरण से सुगन्धित है। यह ज्ञान-विज्ञान का प्रसारक है और है मानसिक क्षुधा-शान्ति का साधन हैं। सचमुच, पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान का मंदिर है। हमें उसका लाभ अवश्य लेना चाहिए।

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पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)

पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi Language)

आज के इस लेख में हम पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) लिखेंगे। पुस्तकालय पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पुस्तकालय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Library In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

जहाँ ज्ञान का भण्डार एक साथ हमें मिल जाये, जहाँ ज्ञान की बढ़ोतरी होती है, जहा हम हमारे समय का सदुपयोग करते है, उसे हम पुस्तकालय कहते है। पुस्तकालय में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तके पड़ने को हमे मिलती है। जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है।

पुस्तकालय में जाकर आप अपने ज्ञान में व्रद्धि कर सकते है। पुस्तक वो कीमती धन है, जिसमें हमे ढेरों काम की चीजें मिल जाती है। प्रत्येक समस्या का हल पुस्तक होती है और ये पुस्तके हमें पुस्तकालय में आसानी से मिल जाती है।

पुस्तकालय में पुस्तक संग्रह

पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार के पुस्तकों का संग्रह होता है। पुस्तकालय नाम से ही हमे समझ में आता है की पुस्तकों का बहुत बड़ा संग्रह पुस्तकालय कहलाता है, जहां विभिन्न विषयों जैसे हिंदी, गणित, इतिहास, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, दर्शन शास्त्र, ग्रह विज्ञान आदि विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती है ।

हिंदी के पुस्तकालय में काव्य, कहानियां, कविता, गीत, लेखकों का परिचय आदि जानकारियां प्राप्त होती है। हिंदी के पुस्तकालय में जाने माने ऐतिहासिक कारको की जीवनियां पड़ने को मिल जाती है।

पुस्तकालय का महत्व

पुस्तको में वह ज्ञान का भंडार होता है, जिसे हम पड़ कर अपने ज्ञान को और अधिक बढ़ा सकते हैं। एक ही विषय की कई पुस्तकें और उनके लेखक भी अलग-अलग होते हैं। सब का ज्ञान पुस्तक में ही लिखित होता है। पुस्तक पढ़ने वाला कई ढेर सारी जानकारी, शब्दों का उच्चारण, विषयों की गहराई आदि जानकारी पुस्तकों से प्राप्त करता है।

पुस्तकालय के रूप

  • पाठशाला का पुस्तकालय

पाठशाला पुस्तकालय में विद्यार्थियों को अपने समय का सही उपयोग, एकांत वातावरण, ध्यान चित विषयो को सही और समझ से पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। विद्यार्थी नोट्स बनाने जैसे आदि कामो के लिए पुस्तकालय में पुस्तकों से ज्ञान ओर समय का सही उपयोग कर सकते है। विद्यार्थी पुस्तकालय के साथ से सभी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते है।

  • विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का विद्यार्थि समय- समय पर उपयोग करते हैं और इसका महत्व समझते हैं। कई विषयों के कई लेखक होते है और एक विषय के अनेक लेखक होते है, जिससे विद्यार्थी अपने नोट एक ही विषय की अलग अलग किताबे पढ़ कर बनाते है।

परीक्षा परिणाम में पुस्तकालय की मद्त से अधिक अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। पुस्तकालय में विद्यार्थियों के अलावा शिक्षकगण भी जाते है ओर उनके लिए वो सभी पुस्तके उपलब्ध हो जाती है।

शिक्षकों को वह सारी किताबे मिल जाती है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। जो पुस्तके हमे बहार ढूढ़ने पर भी नही मिलती, वो हमे पुस्तकालय में आसानी से मिल जाती है। इसलिए विद्यार्थीगण पुस्तकालय का प्रयोग करते हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिए समाचार पत्र, कहानियां, रोजगार के अखबार प्रदान किये जाते है।

बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में भी पुस्तकालय की सुविधा रहती है। पुस्तकों के ज्ञान के भंडार से आम व्यक्तियों और उनके कर्मचारियों को, जिन्हे पढ़ने और लिखने का शौक होता है, वह इसका समय- समय पर उपयोग करते हैं।

  • सामाजिक संस्था

सामाजिक संस्था में कई उच्चगण पुस्तकालय का संग्रह कर पुस्तकालय खोल देते है। जिससे समाजिकगण पुस्तकालय का उपयोग करते हैं। कई नाटक, उसका चित्रात्मक अभिनय जैसे रामलीला, रामायण, महाभारत, महापुरुषों के बारे में वर्णन, देश को आजाद कराने वाले क्रांतिकारियों के बारे में वर्णन आदि जानकारी पुस्तकों के द्वारा ही प्राप्त की जाती है।

आज हम अपने इतिहास के बारे में जानते है तो उसका सबसे बड़ा श्रेय पुस्तकों को ही जाता है। क्युकी हमारे इतिहास के बारे में हमे पुस्तकों और हमारे बड़ो से ही पता चल पाया है।

पुस्तकालय के भाग

सामान्यतः पुस्तकालय में दो भाग होते हैं। पुस्तकालय में एक भाग किताबो को पढ़ने के लिए और दूसरा भाग किताबों को जारी करने के लिए होता है। यहां लाइब्रेरियन होता है जो लाइब्रेरी में आने वाले लोगों की सूची की जानकारी रखता है। पुस्तकालय के भाग कुछ इस प्रकार है।

सर्वप्रथम पुस्तकालय में प्रवेश करने से पूर्व पुस्तकालय के बाहर एक रूम होता है, जिसमें कई अलमारी या खाने बने होते हैं। इन अलमारियों में या फिर खानो में बैग, थैला या अन्य चीजों को रख दिया जाता है।

इनकी देखभाल के लिए एक कर्मचारी भी होता है, जो समान का ध्यान रखता है। पुस्तकालय में प्रवेश के लिए कलम, लिखने के लिए कॉपी, पेज को लेकर जाने की अनुमति होती है।

  • किताबे जारी करने का भाग

इस कक्ष में सभी पुस्तकालय की देख-रेख के लिए लाइब्रेरियन होता है। लाइब्रेरियन द्वारा लाइब्रेरी में रखी गई किताबें, लाइब्रेरी में आने जाने वाले व्यक्तियों की सूची, उनके द्वारा जारी की गई किताबों का रिकॉर्ड रखा जाता है।

कौन -कौन से व्यक्ति पुस्तकालय में आ रहे हैं तथा उनके द्वारा पढ़ने के लिए चुनी गई किताबों की लिस्ट किताबे जारी करने के भाग में लाइब्रेरियन द्वारा रख रखाव कि जाती है।पुस्तकालय में जाने के लिए एक कार्ड होता है, जिसमें फोटो या पहचान पत्र होता है।

लाइब्रेरियन उसे देखकर अपने रिकॉर्ड में हस्ताक्षर करवाता है तथा कार्ड अपने पास रख लेता है। एक रजिस्टर में आने का समय, तारीख और दिन का विवरण व हस्ताक्षर करना होता है। वहा अनुचित सामग्री को ले जाना वर्जित है।

आप पुस्तकालय में कोपी ओर कलम के अलावा कुछ नहीं ले जा सकते है। पुस्तकालय के बाहर निकलते वक्त समय, तारीख, दिन और हस्ताक्षर कर आई कार्ड वापस ले लिया जाता है।

  • रीडिंग सेक्शन व राइटिंग सेक्शन

इस कक्ष में एक लंबा टेबल, किताबें, अखबार, मासिक दैनिक पत्रिकाये (मैगजीन्स) रखी होती है जिन्हे आप पढ़ सकते है। साथ ही इस कक्ष में बैठने के लिए कुर्सियां होती है। कॉपी में कुछ नोट करना हो तो टेबल पर रख कर नोट किया जाता हैं।

किताबों के पेजो को सावधानीपूर्वक व किताबों को संभाल कर पढ़ा जाता है व नोट किया जाता है। इस भाग में विभिन्न विषयों पर आधारित ढेर सारी पुस्तकें रखी जाती है। कोई भी व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार उस विषय पर रखी हुई पुस्तकों को इस कक्ष में आराम से बैठ कर पढ़ सकता है।

  • निगरानी कक्ष या कर्मचारी

पुस्तकालय में कैमरे लगे रहते हैं। वह एक कर्मचारी होती है, जो व्यक्ति गण व शिक्षार्थियों पर नजर रखते है। यहाँ से पुस्तकालय में हल्ला या शोर ना हो और शांत वातावरण बना रहे आदि बातों पर ध्यान दिया जाता है।

  • पुस्तकालय का सदस्य बनने के सामान्य नियम

वैसे तो अलग-अलग पुस्तकालय के अपने -अपने नियम होते हैं। परंतु फिर भी कुछ नियम प्रत्येक पुस्तकालय में लागू किए जाते हैं। पुस्तकालय में आने जाने के लिए कुछ सामान्य नियम बना दिये गए है।

पुस्तकालय का सदस्य बनने के लिए पुस्तकालय में मासिक रूप से कुछ शुल्क देय करना होता है। साथ ही ऐसे कही पुस्तकालय है जहा आपको कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती है।

एक बार पुस्तकालय का सदस्य बनने के बाद व्यक्ति पुस्तकालय में उपलब्ध अपनी मनचाही कोई भी किताब पढ़ सकता है। किसी भी पुस्तकालय का सदस्य बनते समय शुल्क जमा करवाना होता है, ये शुल्क किताबो की देखरेख के लिए लिया जाता है।

पुस्तकालय में समय सीमा के अंदर किताबो को लौटना होता है। किताब जमा करवाने तथा उन्हें लौटाने के अलग-अलग पुस्तकालय के अलग-अलग नियम होते है।

पुस्तकालय के प्रकार

  • सार्वजनिक पुस्तकालय

सार्वजनिक पुस्तकालय ऐसा पुस्तकालय है, जो सभी वर्ग के लोगो के लिए उपलब्ध रहता है। इस पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी मनचाही किताब पढ़ सकता है। आपको सार्वजानिक पुस्तकालय कही जगह देखने को मिल जायेंगे।

  • निजी पुस्तकालय

कुछ विशेष वर्ग के लोग जैसे वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, इंजीनियर आदी के पेशे से जुड़े पहलुओं को जानने और समझने के लिए अलग-अलग किताबों की आवश्यकता होती है। इसलिए वे अपने पेशे से जुड़ी किताबों का संग्रह कर स्वयं का पुस्तकालय बना लेते हैं और ऐसे पुस्तकालय को ही प्राइवेट या निजी पुस्तकालय कहा जाता है।

पुस्तकालय के लाभ

अगर आपको अपने ज्ञान के भंडार को बढ़ाना है तो पुस्तक ही सहायक होती हैं। जब कभी किसी विषय में महारत हासिल करनी होती है, तो पुस्तक ही आपको मदद कर सकती है।पुस्तकालय में जाकर पढ़ने से पढाई में ध्यान लगता है।

ऐसा इसलिए होता है, क्योकि पुस्तकालय में शांत वातावरण रहता है। शांत वातावरण होने से हमारा ध्यान पढ़ने पर केंद्रित रहता है। पुस्तकालय के शांत वातावरण से एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है।

अगर आप पुस्तकालय में पढ़ने या लिखने नियमित रूप से जाते है, तो आपके उच्चारण व पढ़ने में सुधार होता है। ये सुधार आप अपने घर पर पढ़ कर भी कर सकते है, परन्तु पुस्तकालय में इसकी बात ही कुछ और होती है।

जब विद्यार्थी नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करते है और पुस्तकालय में पढाई करते है, तो उन्हें अच्छे अंक प्राप्त होते है। इसका कारण पुस्तकालय में रहने वाला शांत वातावरण होता है।

पुस्तकालय हमारे राष्टीय धरोहर

पुस्तकालय में हमारे पूर्वजों की लिखी हुई कई अच्छी किताबे है। जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, ए पी जे अब्दुल कलम, ऐसे कई महान व्यक्ति है, जिनकी लिखी पुस्तके हमे पुस्तकालय में उपलब्ध हो जाती है। जिन्हें पड़कर हम हमारे ज्ञान में बढ़ोतरी करते।

पुस्तकालय में कई अच्छे लेखकों की भी पुसतको का संग्रहण किया जाता है। जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है। जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीँ खरीद सकता, वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में वह पुस्तक पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है।

पुस्तकालय का असर पुराने काल से

पुस्तकालय का असर हमारे उप्पर पुराने काल से ही है। क्योंकि प्राचीन काल मे प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण, जो भी लिखना रहता था वो पुस्तकों में हाथो से ही लिखा जाता था। जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक रखा जाता था।

हाथो से लिखे जाने के कारण किताबे भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी, क्योंकि हस्तलिखित पुस्तक का निर्माण बहुत कम होता था। इसी को देखकर पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।

पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबे पड़ने का इक्छुक होता था, वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबे पढ़ सकता है। इससे गरीब वर्ग के लोगो को अधिक फायदा हुआ, क्योंकि वो लोग अधिक मूल्य की पुस्तक पड़ नही सकते थे।

पुस्तकालय में सावधानियां

पुस्तकालय एक ज्ञान का मंदिर है, जहा हमे कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है। हमे पुस्तकालय के नियमों का पालन करना चाहिए। पुस्तकालय में हमे कभी भी शोर और आवाज नही करना चाहिए।

पुस्तकालय में अक्सर देखा गया है की कुछ लोग किताबें चोरी या पेन चोरी करते है, जो बिलकुल भी अच्छी बात नहीं होती है। कही लोग तो पुस्तकालय के पुस्तको को भी फाड़ते है, ऐसे में वो ना सिर्फ दुसरो का और देश का नुकसान कर रहे है बल्कि खुदका भी नुकसान कर रहे है।

हमे पुस्तकालय में जाकर चोरी, किताबे फाड़ना जैसे काम नहीं करना चाहिए। जब भी हम पुस्तकालय में जाते है, तो हमे अनुशासन का पालन करना चाहिए। क्युकी बिना अनुशासन के पुस्तकालय में पढ़ने का वातावरण नहीं बन सकता है।

सभी पुस्तकालयों के नियम अलग अलग होते है, इसलिए हमे लाइब्रेरियन के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।

किताबों से ही पुस्तकालय बनता है, उन्हें पढ़कर ही विषयों में समझ ओर ज्ञान के भंडार में बढ़ावा होता है। अनुशासित जीवन शैली, एकांत व एकाग्रचित वातावरण, आराम से किताबो को पढ़ना ये सब पुस्तकालय से पाप्त होता है।

पुस्तकालय हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्त्व रखता है, जो लोग पुस्तकालय का नियमित रूप से इस्तेमाल करते है वे इस बात को भले भाती समज़ते है। अगर आप एक विद्यार्थी है या फिर किताबे पढ़ने में रूचि रखते है, तो आपको पुस्तकालय में एक बार जरूर जाना चाहिए।

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तो यह था पुस्तकालय पर निबंध, आशा करता हूं कि पुस्तकालय पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Library) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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पुस्तकालय का महत्व निबंध (importance of library essay hindi).

ज्ञान की अमर गाथाएं, कहानियाँ जो अजनबी से बना देती हैं मित्र, अनदेखे सपनों का दर्पण, एक जगह जहाँ शब्दों का संग्रह अपार होता है। हाँ, हम बात कर रहे हैं पुस्तकालय के उन आभासी किनारों के बारे में जो हमें सबसे निकटतम रूप से ज्ञान और सृजनशीलता से जोड़ते हैं। आज, हम इस लेख के माध्यम से पुस्तकालय के महत्व को समझने और सराहने का प्रयास करेंगे।

विद्यार्थी, शिक्षक, लेखक, या सामान्य व्यक्ति - सभी ने पुस्तकालय का साथ जिन्दगी के अलग-अलग मोड़ों में पाया है।

यहाँ पर चाय और किताबों की महक से भरा वातावरण हमें दिल खोलकर अपने स्वप्नों का सफर करने का अवसर प्रदान करता है। हम जानते हैं कि पुस्तकालय का महत्व केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति, एक अभिवृद्धि, और एक विकास का प्रतीक भी है।

इस निबंध में, हम पुस्तकालय के महत्वपूर्ण तात्विक संबंधों को गहराई से जानने का प्रयास करेंगे, ताकि हम इस मानसिक सौभाग्यशाली स्थान के महत्व को और अधिक समझ सकें।

तो आइए, इस सुंदर जगह के रहस्यमयी सफर में प्रवेश करते हैं, और पुस्तकालय के महत्व के अनमोल गहने को खोजते हैं।

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध - Essay on importance of library in Hindi

1. परिचय.

पुस्तकालय एक ऐसी स्थान है जो ज्ञान, सृजनशीलता और शिक्षा के संग्रहालय के रूप में कार्य करता है। यह एक स्थान है जहाँ विभिन्न विषयों पर कई प्रकार की पुस्तकें, पत्रिकाएं, साहित्यिक रचनाएं और अन्य संदर्भ सामग्री उपलब्ध होती है।

पुस्तकालय एक सार्वजनिक संस्था हो सकती है जो सभी वर्गों के लोगों के लिए सुविधा प्रदान करती है, या फिर विशेष संगठन द्वारा संचालित भी हो सकती है जो किसी विशेष विषय या क्षेत्र के लिए सामग्री संग्रह करता है।

पुस्तकालय में पुस्तकों के अलावा इंटरनेट, विशेष साधनाएं और डिजिटल संसाधन भी होते हैं जो लोगों को और भी विस्तृत ज्ञान के स्रोत से जुड़ते हैं।

पुस्तकालय की महत्वता अनगिनत है। यह एक माध्यम है जो समृद्धि, शिक्षा और उन्नति के लिए अग्रणी भूमिका निभाता है।

ज्ञान का संग्रहालय: पुस्तकालय ज्ञान का भंडारण करता है और लोगों को विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञता और ज्ञान प्रदान करता है। यहाँ पर विभिन्न लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो नए विचारों को प्रोत्साहित करती हैं और समृद्ध बुद्धिजीवन की संधारणा में मदद करती हैं।

शिक्षा का मुख्य स्रोत: पुस्तकालय शिक्षा का महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेषतः विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए। यहाँ पर अनेक विषयों पर पुस्तकें, रेफरेंस सामग्री और स्टडी मटेरियल उपलब्ध होता है जो उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में अधिक समृद्ध बनाता है।

आत्मनिर्माण का केंद्र: पुस्तकालय आत्मनिर्माण का महत्वपूर्ण केंद्र है। विचारों, संवेदना और रचनात्मकता की उत्प्रेरणा के लिए पुस्तकें एक अमूल्य स्रोत प्रदान करती हैं। यह लोगों को खुद को समझने, स्वयं के विकास के लिए प्रेरित करती हैं।

2. पुस्तकालय के लाभ

ज्ञान का संग्रहालय.

पुस्तकालय ज्ञान का एक संग्रहालय है, जो विभिन्न विषयों पर विशाल संख्या में पुस्तकें संग्रहित करता है। यहाँ पर अनगिनत पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करती हैं।

इन पुस्तकों में विज्ञान, साहित्य, इतिहास, भूगोल, कला, संस्कृति और अन्य विषयों की जानकारी होती है जो हमारे विकास और समृद्धि में मदद करती है। इन पुस्तकों को पढ़कर हम नए विचारों का सामर्थ्य प्राप्त करते हैं और अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं।

शिक्षा का मुख्य स्रोत

पुस्तकालय शिक्षा के मुख्य स्रोतों में से एक है। यहाँ पर विभिन्न विषयों पर पुस्तकें, रेफरेंस सामग्री और अध्ययन सामग्री उपलब्ध होती है जो छात्रों और शिक्षकों को उनके अध्ययन और शिक्षा के लिए मदद करती हैं।

यहाँ पर उपलब्ध पुस्तकें विद्यार्थियों को विशेषज्ञता और ज्ञान प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें अपने शैक्षणिक और सामाजिक परिवेश में अधिक सफलता मिलती है।

आत्मनिर्माण का केंद्र

पुस्तकालय आत्मनिर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ पर विचारों, संवेदना और रचनात्मकता की उत्प्रेरणा के लिए पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

छात्रों और लेखकों के लिए यह एक ऐसी जगह है जो उन्हें खुद को समझने, स्वयं के विकास के लिए प्रेरित करती हैं। इससे वे अपनी सोच और भावनाओं को संवार सकते हैं और अपनी सृजनशीलता को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

मनोरंजन और साहित्य का समुचित स्थान

पुस्तकालय मनोरंजन के लिए भी एक समुचित स्थान है। यहाँ पर कई प्रकार की कहानियां, कविताएं, उपन्यास और अन्य साहित्यिक रचनाएं उपलब्ध होती हैं जो हमें रंगीन और मनोहर दुनिया में ले जाती हैं।

इससे हमें जीवन की अटूट बातें समझने में मदद मिलती है और हमारे मन को शांति मिलती है। साहित्य के इस समृद्ध जगत में हम अपने भावों को व्यक्त करते हैं और अपने अंतरंग स्वर्ग का आनंद लेते हैं।

तकनीकी संसाधन और अध्ययन सामग्री

पुस्तकालय आधुनिक तकनीकी संसाधनों और अध्ययन सामग्री के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें डिजिटल पुस्तकालय, ई-पुस्तकें, ऑनलाइन शोध पत्रिकाएं, अध्ययन सामग्री और डेटाबेस शामिल होते हैं जो विभिन्न विषयों के लिए विशेषज्ञता और जानकारी प्रदान करते हैं।

यह छात्रों, शोधकर्ताओं, अध्ययनार्थियों और अन्य विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होता है जो उनके अध्ययन और शोध को बेहतर बनाने में मदद करता है।

पुस्तकालय के इन लाभों से स्पष्ट है कि यह ज्ञान और सृजनशीलता के लिए अनमोल एक स्थान है। इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में स्वीकारना हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

3. पुस्तकालय की अहमियत

समृद्धि का माध्यम.

पुस्तकालय समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यहाँ पर उपलब्ध विविध पुस्तकें और सामग्री के माध्यम से लोग विभिन्न विषयों पर ज्ञानार्जन करते हैं और खुद को समृद्ध विचारों और विचारधारा से जुड़ते हैं।

इससे उनका विचारधारा विकसित होता है और उन्हें खुद को समृद्ध, सक्रिय और समर्थ व्यक्तित्व का विकास होता है। समृद्धि का यह माध्यम लोगों को समाज में उच्चतर स्तर पर पहुंचने में मदद करता है और उन्हें समर्थ नागरिक बनाता है।

भाषा और संस्कृति के प्रशिक्षण का केंद्र

पुस्तकालय भाषा और संस्कृति के प्रशिक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ पर विभिन्न भाषाओं में लिखी गई पुस्तकें और साहित्यिक रचनाएं उपलब्ध होती हैं जो भाषा और संस्कृति के प्रशिक्षण में मदद करती हैं।

इससे भाषा और संस्कृति के प्रति लोगों की अधिक समझ और सम्मान विकसित होता है। भाषा और संस्कृति के ये आधुनिक उपकरण लोगों के मध्य समाजिक समंजस्यता और संबंध बनाने में मदद करते हैं और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाते हैं।

राष्ट्रीय एकता का धारक

पुस्तकालय राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण धारक है। यह विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं, संस्कृतियों और समुदायों के लोगों को एक साथ जोड़ता है और उन्हें एक समान मंच पर मिलकर ज्ञान और सृजनशीलता के लिए उत्साहित करता है।

इससे लोग अपने राष्ट्रीय भावना को मजबूत बनाते हैं और उनके बीच सम्मान और विश्वास का माहौल विकसित होता है। राष्ट्रीय एकता का यह संसाधन राष्ट्रीय अभिवृद्धि और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

पुस्तकालय की यह अहमियत हमारे समाज और राष्ट्र के विकास में एक अनमोल भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से हम समृद्धि, ज्ञान और एक समृद्ध और समर्थ समाज की ओर एक कदम आगे बढ़ सकते हैं।

4. आधुनिक पुस्तकालय

डिजिटल पुस्तकालय की भूमिका.

आधुनिक युग में डिजिटल पुस्तकालयों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। डिजिटल पुस्तकालय एक ऐसा संसाधन है जो विभिन्न विषयों पर विभाजित और बड़े संख्या में ई-पुस्तकों और डिजिटल सामग्री को संग्रहित करता है।

इन पुस्तकालयों में ऑनलाइन पुस्तकें, ई-पत्रिकाएं, अध्ययन सामग्री, विशेष संदर्भ सामग्री, वेबिनार्स, वीडियो लेक्चर्स, और डिजिटल संसाधन उपलब्ध होते हैं।

डिजिटल पुस्तकालय ने पुस्तकों के पहुंच को बड़ी आसानी से संभव किया है। इन्टरनेट के जरिए लोग अपने स्मार्टफोन, टैबलेट, या कंप्यूटर का उपयोग करके डिजिटल पुस्तकालय की सामग्री तक पहुंच सकते हैं।

यह उन्हें समय और स्थान की प्रतिबद्धता से छुटकारा देता है और अन्य किरदारों जैसे कि बुकमार्किंग, चयनित विभागों के अनुसार खोज करने, ऑटोमेटिक से शब्दकोष सुझाव प्राप्त करने, और पुस्तकें आपसी साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।

इससे छात्रों और अध्ययनार्थियों को अध्ययन और रिसर्च के लिए विशेष तैयारी मिलती है और उनकी शिक्षा को नए दिशाओं में ले जाने में मदद मिलती है।

इंटरनेट की सहायता से पुस्तकालय सुविधाएँ

आधुनिक युग में इंटरनेट के उपयोग से पुस्तकालय को समृद्ध, सुलभ और अधिक प्रासंगिक बनाया गया है। इंटरनेट के माध्यम से लोग विभिन्न विषयों पर डिजिटल पुस्तकों और सामग्री का उपयोग कर सकते हैं जो विशेषज्ञता और ज्ञान प्रदान करते हैं।

छात्रों और शिक्षकों को विभिन्न अध्ययन सामग्री, प्रश्नोत्तरी, पिछले साल के पेपर्स, और अन्य संबंधित सामग्री उपलब्ध होती है, जो उनके शिक्षा और अध्ययन में मदद करती है।

इंटरनेट की सहायता से लोग पुस्तकों के अलावा भी विभिन्न विषयों पर ब्लॉग, लेख, वेबिनार्स, वीडियो लेक्चर्स, आर्टिकल्स, और विशेषज्ञों के विचारों से जुड़ सकते हैं। इससे लोग विभिन्न स्रोतों से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और खुद को नवीनतम विकासों से अपडेट कर सकते हैं।

इंटरनेट के साथ पुस्तकालय के इस संयोजन से विभिन्न शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में समृद्धि होती है और लोग अपने स्वयं के संशोधन और विकास में सक्रिय होते हैं।

5. अंतिम शब्द

पुस्तकालय समाज में एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो ज्ञान, शिक्षा, और सृजनशीलता को प्रोत्साहित करता है। यह समाज में विभिन्न वर्गों और उम्र के लोगों के लिए ज्ञान का संग्रहालय होता है जो उन्हें विभिन्न विषयों पर पढ़ाई, अध्ययन, और खोज के लिए सामग्री प्रदान करता है।

यहाँ पर लोग अपने विचारों, अनुसंधानों, और सृजनात्मक रचनाओं को साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से ज्ञान का विनिमय कर सकते हैं। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जो समाज में ज्ञानार्जन को समर्थन करता है और लोगों को सक्षम, उदार, और समर्थ नागरिक बनाता है।

पुस्तकालय अन्य संसाधनों के साथ तुलना में एक अद्भुत संसाधन है जो विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता, ज्ञान, और जानकारी प्रदान करता है। यह अन्य स्रोतों के साथ तुलना में विशेषता रखता है क्योंकि यह विविधता, विशालता, और सामग्री के संग्रह की अनुमति देता है।

पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, रेफरेंस सामग्री, अध्ययन सामग्री, ई-पुस्तकें, और डिजिटल संसाधन उपलब्ध होते हैं जो लोगों को विविध ज्ञान के लिए समर्थन करते हैं।

पुस्तकालय में विभिन्न उपयोगी पुस्तकें होती हैं जो लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। विज्ञान, साहित्य, इतिहास, भूगोल, कला, संस्कृति, प्रेरक कहानियां, आत्मनिर्माण, और रोजगार सम्बंधित पुस्तकें लोगों को सक्षम और निर्माणशील बनाने में मदद करती हैं।

इन पुस्तकों को पढ़कर लोग नए विचारों का सामर्थ्य प्राप्त करते हैं, अपनी समस्याओं का हल ढूंढते हैं, और अपने जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए प्रेरित होते हैं।

पुस्तकालय का संचालन और विकास विभिन्न प्रकार की योजना, व्यवस्था, और संसाधनों का निर्माण और प्रबंधन करने में संलग्न होता है। एक अच्छे पुस्तकालय के लिए उच्च गुणवत्ता की पुस्तकें, तकनीकी संसाधन, समय-समय पर अद्यतित सामग्री, और उपयुक्त संरचना की आवश्यकता होती है।

संचालन और विकास में सक्षम व्यक्तियों और संस्थाओं का सहयोग भी महत्वपूर्ण है जो पुस्तकालय को समृद्ध, उपयुक्त, और उत्कृष्ट बनाने में मदद करते हैं।

पुस्तकालय का महत्व हिंदी निबंध 100 Words

पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो ज्ञान, शिक्षा, और सृजनशीलता को समर्थित करता है। यह समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए ज्ञान का संग्रहालय होता है जो उन्हें विभिन्न विषयों पर पढ़ाई, अध्ययन, और खोज के लिए सामग्री प्रदान करता है।

इससे लोग अपने विचारों, अनुसंधानों, और सृजनात्मक रचनाओं को साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से ज्ञान का विनिमय कर सकते हैं। पुस्तकालय एक ऐसा संसाधन है जो समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।

पुस्तकालय का महत्व हिंदी निबंध 150 शब्द

पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थान है, जो समाज में ज्ञान को संग्रहित करता है और शिक्षा को समर्थित करता है। यह जगत के विभिन्न क्षेत्रों से समृद्ध ज्ञान साझा करने की स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है।

पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहां लोग विभिन्न विषयों पर पुस्तकें और साहित्य का आनंद लेते हैं। इससे उनकी ज्ञानभारी चिंतन शक्ति विकसित होती है और वे समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनते हैं।

पुस्तकालय शिक्षा का मुख्य स्रोत है, जहां छात्र अपने अध्ययन के लिए पुस्तकों का उपयोग करते हैं और अपनी शिक्षा को समृद्ध करते हैं। इसके अलावा, पुस्तकालय रचनात्मक सृजनात्मकता का भंडार होता है जो लोगों को स्वयं के विचारों को प्रस्तुत करने और समस्याओं के लिए समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करता है।

इस रूप में, पुस्तकालय एक समृद्ध संसाधन है जो समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए उपयोगी है और ज्ञान और सृजनशीलता के साथ उन्हें उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए प्रोत्साहित करता है।

पुस्तकालय का महत्व हिंदी निबंध 200 शब्द

पुस्तकालय विभिन्न ज्ञान और साहित्य का भंडारण करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह समाज में ज्ञान को संग्रहित करने का एक माध्यम है जो विभिन्न विषयों की पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स, और अन्य साहित्यिक संसाधनों को समर्थित करता है।

यह एक स्थान है जहां विद्यार्थी, अध्येता, शोधकर्ता, और साहित्य प्रेमी ज्ञान का आनंद लेते हैं।

पुस्तकालय शिक्षा का मुख्य स्रोत होता है। यह विभिन्न शिक्षा संस्थानों में छात्रों को शिक्षा सामग्री, रेफरेंस पुस्तकें, अध्ययन सामग्री, और अन्य विषय संबंधी पुस्तकें प्रदान करता है। इससे छात्रों के ज्ञान और अध्ययन को समृद्ध किया जाता है और वे अपने शिक्षा में प्रगति कर सकते हैं।

पुस्तकालय रचनात्मक सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करता है। वहां लोग विभिन्न शैली में लिखी गई पुस्तकों, कहानियों, कविताओं, और अन्य सृजनात्मक रचनाओं का आनंद लेते हैं। इससे उनमें लेखनी और सृजनात्मकता की प्रेरणा बढ़ती है और उन्हें खुद को संवारने का अवसर मिलता है।

पुस्तकालय विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के अनुसंधान और अध्ययन का केंद्र भी होता है। इसमें विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकें और जर्नल्स मिलते हैं जो शोधकर्ताओं को नवीनतम ज्ञान और विकास से अवगत कराते हैं।

इस प्रकार, पुस्तकालय समाज के लिए एक अमूल्य संसाधन है जो ज्ञान, शिक्षा, और सृजनशीलता को समर्थित करता है और लोगों के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

पुस्तकालय का महत्व हिंदी निबंध 300 शब्द

पुस्तकालय एक ऐसी संस्था है जो समाज के लिए विश्वासनीय ज्ञान का संग्रहालय और विश्वविद्यालयों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, और साहित्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक साधारण व्यक्ति को भी बेहद ज्ञानवर्धक बना सकता है।

पुस्तकालय का महत्व शिक्षा के क्षेत्र में भी अधिक होता है। यह विभिन्न विषयों की पुस्तकें और अध्ययन सामग्री प्रदान करके शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई और अध्ययन को समृद्ध करता है। छात्रों को उच्चतर शिक्षा और अनुसंधान के लिए विभिन्न स्रोतों की पहचान करने में मदद मिलती है और उन्हें ज्ञान का विस्तार करने में सक्रिय बनाती है।

पुस्तकालय रचनात्मक सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहां लोग विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकों, कहानियों, कविताओं, और संशोधन प्रस्तुतियों का आनंद लेते हैं। इससे उनमें लेखनी और सृजनात्मकता की प्रेरणा बढ़ती है और उन्हें खुद को संवारने का अवसर मिलता है।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स, और साहित्यिक संसाधनों को संग्रहित करके लोगों को ज्ञान और विज्ञान की दुनिया में रूचि प्रदान करता है। इससे उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय बनाता है और उनके समय को सार्थक बनाता है।

समाज में ज्ञान के विस्तार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण रूप से योगदान देता है और समृद्धि के माध्यम से समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय में संग्रहित ज्ञान से लोग अपने जीवन में समृद्धि, समानता, और सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।

पुस्तकालय का महत्व हिंदी निबंध 500 शब्द

पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्था है, जो समाज को ज्ञान, सृजनशीलता, और विकास का रास्ता प्रदान करती है। यह ज्ञान का संग्रहालय है जिसमें विभिन्न विषयों की पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स, और अन्य साहित्यिक संसाधन होते हैं।

इससे लोग ज्ञान, अनुसंधान, और विचारों का विकास कर सकते हैं और अपने जीवन को समृद्ध, सफल, और समर्थ बना सकते हैं।

पुस्तकालय का महत्व शिक्षा के क्षेत्र में भी अधिक होता है। यह शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई और अध्ययन को समर्थित करता है। छात्रों को विभिन्न विषयों पर पुस्तकों का उपयोग करने का अवसर मिलता है और उन्हें गहराई से समझने और अध्ययन करने की क्षमता प्राप्त होती है।

विशेषज्ञता विकसित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिससे छात्रों के ज्ञान और विकास का समर्थन होता है।

पुस्तकालय रचनात्मक सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वह स्थान है जहां लोग विभिन्न रचनात्मक कार्य करते हैं और अपने विचारों, कला, साहित्य, और संशोधन को साझा करते हैं। इससे उनमें लेखनी और सृजनात्मकता की प्रेरणा बढ़ती है और उन्हें खुद को संवारने का अवसर मिलता है।

पुस्तकालय विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के अनुसंधान और अध्ययन का केंद्र भी होता है। इससे विश्वविद्यालयों और अन्य शोध संस्थानों में विभिन्न अनुसंधान और प्रोजेक्ट्स के लिए संसाधनों का उपयोग होता है। यह विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकें, जर्नल्स, और रिपोर्ट्स प्रदान करता है जिससे शोधकर्ता और विशेषज्ञ नवीनतम ज्ञान और विकास से अवगत होते हैं।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स, और साहित्यिक संसाधनों को संग्रहित करके लोगों को ज्ञान और विकास का स्थायी स्रोत प्रदान करता है। इसके माध्यम से लोग अपनी जीवन और समाज को समृद्ध, समानता से भरपूर, और तरक्की की राह पर आगे बढ़ाते हैं।

आजकल, डिजिटल युग में भी पुस्तकालयों का महत्व अधिक बढ़ गया है। डिजिटल पुस्तकालय विभिन्न वेबसाइट्स और एप्लिकेशन के माध्यम से लोगों को विशाल संख्यक साहित्यिक संसाधन ऑनलाइन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे लोग विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, सृजनात्मकता का अभिवादन कर सकते हैं, और अध्ययन और संशोधन कर सकते हैं।

इस प्रकार, पुस्तकालय समाज के लिए अनमोल संसाधन है, जो ज्ञान, सृजनशीलता, और विकास को समर्थित करता है और लोगों के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

इसलिए, हम सभी को पुस्तकालयों के महत्व को समझना और इनका समय से उपयोग करना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को समृद्ध, ज्ञानवर्धक, और समर्थ बना सकें।

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध 10 लाइन हिंदी में

  • पुस्तकालय समाज के ज्ञान और सृजनशीलता का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • इसमें विभिन्न विषयों पर पुस्तकें और साहित्यिक संसाधन संग्रहित होते हैं।
  • पुस्तकालय शिक्षा के क्षेत्र में भी अधिक महत्वपूर्ण है।
  • इससे छात्रों को विभिन्न विषयों में अध्ययन करने का अवसर मिलता है।
  • पुस्तकालय रचनात्मक सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।
  • यह लोगों को विचारों और कला को समर्थन करने का भी माध्यम है।
  • शोधकर्ताओं के अनुसंधान और विकास के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • पुस्तकालय द्वारा डिजिटल पुस्तकालय के रूप में ऑनलाइन विकल्प भी हैं।
  • यह समाज में ज्ञान को साझा करने और समृद्धि के लिए एक माध्यम प्रदान करता है।
  • इसलिए, हमें पुस्तकालय का समय से उपयोग करना चाहिए ताकि हम अपने विकास को समर्थन कर सकें।

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध 15 लाइन हिंदी में

  • पुस्तकालय समाज में ज्ञान, सृजनशीलता और विकास को प्रोत्साहित करता है।
  • इसमें विभिन्न विषयों पर लाखों पुस्तकें, पत्रिकाएं और जर्नल्स संग्रहित होते हैं।
  • यह शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साधना है जो छात्रों को अध्ययन के लिए समर्थ बनाती है।
  • पुस्तकालय विभिन्न संशोधन और अनुसंधान के लिए साधनाएं प्रदान करता है।
  • रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए यह एक उत्कृष्ट स्थान है।
  • शोधकर्ताओं को नवीनतम ज्ञान और विकास के लिए स्रोत प्रदान करता है।
  • पुस्तकालय विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को एकसाथ मिलाता है।
  • यह समाज में ज्ञान को साझा करने का माध्यम है।
  • विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता के विकास के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण है।
  • यह विभिन्न साहित्यिक रचनाओं को पढ़कर मनोरंजन प्रदान करता है।
  • पुस्तकालय से लोग नवीनतम और अद्भुत कहानियों से परिचित होते हैं।
  • इससे लोग विभिन्न विषयों में अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं।
  • यह ज्ञान के संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है जो अनमोल धरोहर है।
  • पुस्तकालय विभिन्न वयस्कों, बच्चों और वृद्धों के लिए एक सामाजिक स्थान है।
  • इसलिए, पुस्तकालय समाज में ज्ञान, सृजनशीलता, और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है।

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध 20 लाइन हिंदी में

  • पुस्तकालय समाज में ज्ञान और सृजनशीलता को बढ़ाने का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • इसमें विभिन्न विषयों पर लाखों पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स और संशोधन सामग्री संग्रहित होती हैं।
  • पुस्तकालय शिक्षा के क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है, जो छात्रों को अध्ययन के लिए सक्षम बनाता है।
  • यह रचनात्मक सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने का स्थान है, जो लोगों के मनोविज्ञान को संतुलित रखता है।
  • पुस्तकालय विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • शोधकर्ताओं को नवीनतम ज्ञान और अध्ययन के लिए साधनाएं प्रदान करता है।
  • पुस्तकालय विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को एकत्र करता है और भाषा और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  • यह समाज में ज्ञान को साझा करने और समृद्धि के लिए एक माध्यम है।
  • पुस्तकालय विभिन्न वयस्कों, बच्चों और वृद्धों के लिए एक समाजिक स्थान है।
  • यह विभिन्न विषयों में अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई करने का अवसर प्रदान करता है।
  • पुस्तकालय से लोग नवीनतम और अद्भुत कहानियों से परिचित होते हैं और अपने विचारों को साझा करते हैं।
  • इससे विभिन्न शिक्षा नीतियों और नैतिकता की प्रेरणा मिलती है।
  • यह विभिन्न साहित्यिक रचनाएं, कविताएं, कहानियाँ और जीवनी को पढ़कर मनोरंजन प्रदान करता है।
  • पुस्तकालय विभिन्न विषयों पर अध्ययन और अनुसंधान के लिए जानकारी प्रदान करता है।
  • इसके माध्यम से लोग अपने विचारों को साझा कर सकते हैं और सामाजिक जागरूकता को बढ़ा सकते हैं।
  • पुस्तकालय समाज में लेखकों और रचनाकारों की श्रेयस्क देता है, जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह समाज को नैतिकता, तत्त्वज्ञान, और सामाजिक मुल्यों के विकास में सहायक होता है।
  • पुस्तकालय से लोग नए भाषा और शैली में लिखी गई रचनाएं पढ़कर संस्कृति को समझते हैं।
  • यह रिक्रेशन के लिए भी एक उत्कृष्ट स्थान है, जो लोगों को अपनी पसंदीदा लेखकों और कवियों के काम का आनंद लेने में मदद करता है।
  • इसलिए, पुस्तकालय समाज के विकास और समृद्धि के लिए अधिक महत्वपूर्ण है और हमें इसे अपने जीवन में सक्रिय रूप से शामिल करना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

पुस्तकालय क्या है.

पुस्तकालय एक स्थान है जो विभिन्न विषयों पर पुस्तकें, पत्रिकाएं, जर्नल्स और साहित्यिक सामग्री को संग्रहित करती है।

पुस्तकालय का महत्व क्या है?

पुस्तकालय समाज में ज्ञान, सृजनशीलता, और विकास को प्रोत्साहित करता है और लोगों को अनमोल संसाधन प्रदान करता है।

पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें होती हैं?

पुस्तकालय में हजारों, लाखों से भी अधिक पुस्तकें होती हैं, जो विभिन्न विषयों पर होती हैं।

क्या पुस्तकालय शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है?

हां, पुस्तकालय शिक्षा के क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है, जो छात्रों को अध्ययन के लिए समर्थ बनाता है।

पुस्तकालय के द्वारा क्या लाभ होता है?

पुस्तकालय विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता के विकास, रचनात्मक सृजनात्मकता, और नवीनतम ज्ञान के प्रोत्साहन के लिए लाभकारी होता है।

क्या डिजिटल पुस्तकालय उपयोगी है?

हां, डिजिटल पुस्तकालय विभिन्न ऑनलाइन प्रकार के साहित्यिक संसाधनों को प्रदान करता है और लोगों को विशाल संख्यक सामग्री के पहुंच देता है।

पुस्तकालय से कैसे पुस्तकें ली जा सकती हैं?

पुस्तकालय से पुस्तकें लेने के लिए आपको पुस्तकालय के सदस्य बनने की आवश्यकता होती है और फिर आप पुस्तकें उधार ले सकते हैं।

क्या पुस्तकालय में अन्य साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं?

हां, पुस्तकालय विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रम जैसे कि किताबों के लेखक संवाद, कहानी सुनाई जाने, और साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित करता है।

पुस्तकालय का ऑनलाइन उपयोग कैसे किया जा सकता है?

आप विभिन्न डिजिटल पुस्तकालय वेबसाइट्स और एप्लिकेशन्स का उपयोग करके ऑनलाइन पुस्तकें और साहित्यिक संसाधन प्राप्त कर सकते हैं।

पुस्तकालय में कैसे शांति और सुकून प्राप्त किया जा सकता है?

पुस्तकालय एक स्थान है जो लोगों को शांति, सुकून और शारीरिक-मानसिक चैन प्रदान करता है, क्योंकि वहां लोग अपनी पसंदीदा पुस्तकों में खोये रहते हैं।

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Dil Se Deshi

पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (महत्व, लाभ और प्रकार) | Essay on Library (Impoertance, Benefits and Types) in Hindi | Pustakalaya Par Nibandh

पुस्तकालय का अर्थ होता है ‘पुस्तकों का घर’. जहां पुस्तकों को रखा जाता हो या संग्रह किया जाता है. अतः पुस्तकों के उन सभी संग्रहालयों को पुस्तकालय कहा जा सकता है जहाँ पुस्तकों का उपयोग पठन-पाठन के लिए किया जाता है. पुस्तकों को ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम माना गया है. पुस्तकें ज्ञान राशि भंडार को अपने में संचित किए रहती है. ज्ञान ही ईश्वर है तथा सत्य एवं आनंद है.

पुस्तकालय का महत्व (Importance of Library in Hindi)

पुस्तकालय सरस्वती देवी की आराधना का मंदिर है. यहां आराधना करके आराधक वीणापानी सरस्वती का प्रत्यक्ष दर्शन करता है. यह ज्ञान प्राप्ति में सहायक होता है. इसी कारण व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र तीनों के लिए महत्वपूर्ण है. पुस्तकें ज्ञान प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है. इनसे मनुष्य के ज्ञान का विकास होता है तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है. उनकी बुद्धि और विचार क्षमता में वृद्धि होती है. एक ज्ञानी व्यक्ति ही समाज एवं राष्ट्र के साथ साथ मानवता का कल्याण कर सकता है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है.

एक व्यक्ति अपनी रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तक खरीद नहीं सकता. कोई भी व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं होता कि वह मनचाही पुस्तक खरीद सके. अनेक बार पैसा जुटा लेने पर पुस्तके प्राप्त नहीं होती है क्योंकि उनमें से कुछ का प्रकाशन बंद हो चुका होता है और उनकी प्रतियां भी दुर्लभ हो जाती है. पुस्तकालय में जिज्ञासु अपनी आवश्यकता एवं प्रयोजन के अनुसार सभी पुस्तकों को प्राप्त कर लेता है तथा उनका अध्ययन करता है. अतः ज्ञान प्राप्ति के क्षेत्र में पुस्तकालय का महत्व अत्यधिक है.

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

व्यक्तिगत पुस्तकालय के अंतर्गत पुस्तकों के वे संग्रहालय आते हैं जिनमें कोई व्यक्ति अपनी विशेष रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तकों का संग्रह करता है. विद्यालय तथा महाविद्यालय के अंतर्गत वे पुस्तकालय आते हैं जिनमें छात्रों और शिक्षकों के पठन पाठन हेतु पुस्तकों का संग्रह किया जाता है. कोई भी व्यक्ति सदस्य बन कर इसका उपयोग कर सकता है. सरकारी पुस्तकालयों का प्रयोग राज्य कर्मचारी एवं सरकारी अनुमति प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किया जाता है.

पुस्तकालय से लाभ (Benefits of Library)

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होता है. इससे अनेक लाभ है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं.

ज्ञान की प्राप्ति (Knowledge Gain)

शिक्षा का वास्तविक अर्थ मनुष्य के ज्ञान का विकास करना है. यह ज्ञान मनुष्य की रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों से संबंधित होता है. विद्यालय तथा महाविद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा की परिसीमा संकुचित होती है. पाठ्यक्रम को पढ़कर कोई विद्यार्थी पास तो हो सकता है किंतु उससे उस विषय का समुचित ज्ञान प्राप्त नहीं होता. विषयगत ज्ञान के वास्तविक स्वरुप को प्राप्त करने के लिए उस विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिए अन्य पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए पुस्तकालय की आवश्यकता होती है. अतः पुस्तकालय ज्ञान की प्राप्ति में अमूल्य योगदान प्रदान करते हैं.

मनोरंजन का स्वस्थ साधन (Library as a Entertainment)

प्रत्येक मनुष्य के लिए मनोरंजन आवश्यक होता है तथा मनोरंजन के लिए पुस्तकों से अच्छा कोई साधन नहीं है. यह मनोरंजन के साथ-साथ संसार के अन्य विषयों की जानकारी भी बढ़ाती है. इससे हमारे विचारों में व्यापकता आती है. मानसिक योग्यता का विकास होता है. पुस्तकालय में आप अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं. इसी कारण या मनोरंजन का एक स्वस्थ एवं सस्ता साधन है.

दुर्लभ पक्षियों की प्राप्ति के साधन

किसी भी विषय पर शोध एवं अनुसंधानात्मक कार्यों के लिए पुस्तकालय में संग्रहित पुस्तकों से व्यक्ति उन दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त कर सकता है जिनकी जानकारी उसे अन्य किसी प्रकार से नहीं हो सकती. किसी भी विषय से संबंधित यह पुस्तकें पुस्तकालय में मिल जाती है जो प्रायः दुर्लभ हो जाती है.

पठन-पाठन में सहयोगी (Beneficial for both Student and Teachers)

पुस्तकालय छात्र और कक्षा अध्यापक दोनों के पठन-पाठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिक्षक छात्र दोनों ही अपने बौद्धिक शक्तियों एवं व्यक्तिगत ज्ञान के विस्तार की दृष्टि से इसमें संग्रहित पुस्तकों से लाभान्वित होते हैं.

उपसंहार (Conclusion)

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है जो हमें ज्ञान प्रदान करता है. ज्ञान की प्राप्ति से ही मनुष्य वास्तविक अर्थों में मनुष्य बनता है. ऐसे ही मनुष्य से समाज या राष्ट्र का कल्याण होता है. अतः पुस्तकालय हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है. हर सरकार तथा स्वयंसेवी सामाजिक संस्थाओं को संपूर्ण देश में अधिक से अधिक पुस्तकालयों की स्थापना करनी चाहिए.

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  • महात्मा गांधी पर निबंध
  • मुहावरे और लोकोक्ति में अन्तर
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Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

In this article, we are providing an Essay on Importance of Library in Hindi पुस्तकालय पर निबंध- पुस्तकालय के लाभ और प्रकार। Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For Students.  

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Pustakalaya ka mahatva par nibandh ( 800 words )

‘पुस्तकालय’ शब्द पुस्तक + आलय दो शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ है- वह स्थान या घर जहां पर काफी मात्रा में प्रस्तुत राखी जाती है। आज के युग में पुस्तक हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं की वह प्रत्येक पुस्तक को खरीद सके। आजकल पुस्तकें बहुत महंगी हो चुकी है। अंत: हमें की शरण लेनी पड़ती है।

छोटे-छोटे स्कूलों से लेकर बड़े-बड़े स्कूल और कॉलेज इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित किए गए हैं परंतु ज्ञान का क्षेत्र इतना विशाल है कि ये शिक्षण-संस्थाएँ एक निश्चित सीमा और निश्चित ज्ञान में पूर्ण रूप से ज्ञान-साक्षात्कार नहीं करा सकतीं। इसलिए ज्ञान-पिपासुओं को पुस्तकालय का सहारा लेना पड़ता है। प्राचीन काल में पुस्तके हस्तलिखित होती थीं जिनमें एक व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर अनेक पुस्तके उपलब्ध कराना बड़ा कठिन था परंतु आज के मशीनी युग में भी जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीन काल की अपेक्षा बहुत ही कम है, एक व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा की तृप्ति के लिए सभी पुस्तके खरीदने में असमर्थ है। पुस्तकालय हमारी इस असमर्थता में बहुत सहायक हैं।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। कई विद्या-प्रेमी, जिन पर लक्ष्मी की कृपा होती है, अपने उपयोग के लिए अपने घर में ही पुस्तकालय की स्थापना करते हैं। ऐसे पुस्तकालय ‘व्यक्तिगत पुस्तकालय’ कहलाते हैं। सार्वजनिक उपयोगिता की दृष्टि से इनका महत्व कम होता है।

दूसरे प्रकार के पुस्तकालय कॉलेजों और विद्यालयों में होते हैं। इनमें बहुधा उन्हीं पुस्तकों का संग्रह होता है जो पाठ्य विषयों से संबंधित होती हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक उपयोग में भी नहीं आते। इनका उपयोग छात्र और अध्यापक ही करते हैं परंतु ज्ञानार्जन और शिक्षा की पूर्णता में इनका सर्वाधिक महत्व है। ये पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं होते। इनके बिना शिक्षालयों की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

तीसरे प्रकार के राष्ट्रीय पुस्तकालयों में देश-विदेश में छपी विभिन्न विषयों की पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। इनका उपयोग भी बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा होता है। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा होता है। आजकल ग्रामों में भी ग्राम पंचायतों के द्वारा सबके उपयोग के लिए पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं परंतु शिक्षा के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता। आजकल एक अन्य प्रकार के पुस्तकालय दिखाई देते हैं, उन्हें चल-पुस्तकालय’ कहते हैं। ये मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। इनका उद्देश्य ज्ञान-विज्ञान का प्रसार करना होता है। इनमें अधिकतर प्रचार-साहित्य ही होता है।

पुस्तकालय का उपयोग – पुस्तकालय का कार्य पाठको के उपयोग के लिए सभी प्रकार की पुस्तकों का संघ्रह करना है। अपने पाठको की रूचि और आवश्यकता को देखते हुए पुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तके प्राप्त करने में सुविधा के लिए पुस्तकों की एक सूची तैयार करते हैं। पाठकों को पुस्तके प्राप्त कराने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया जाता है। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने और पढ़ने के लिए समुचित व्यवस्था होती है। पढ़ने के स्थान को ‘वाचनालय’ कहते हैं। पाठकों को घर पर पढ़ने के लिए भी पुस्तके दी जाती हैं परंतु इसके लिए एक निश्चित राशि देकर पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त करनी होती है। पुस्तकालय में विभिन्न पत्रिकाएँ भी होती हैं।

पुस्तकालयों की दृष्टि से रूस, अमेरिका और इंग्लैंड सबसे बड़े देश हैं। मॉस्को के लेनिन पुस्तकालय में लगभग डेढ़ करोड़ मुद्रित पुस्तके संगृहीत हैं। वाशिंग्टन (अमेरिका) के काँग्रेस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी अधिक पुस्तके हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय समझा जाता है। इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम पुस्तकालय में पचास लाख पुस्तकों का संग्रह है। भारत में कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तके हैं। केद्रीय पुस्तकालय, बड़ोदरा में लगभग डेढ़ लाख पुस्तकों का संग्रह है। प्राचीन भारत में नालंदा और तक्षशिला में बहुत बड़े पुस्तकालय थे।

पुस्तकालय के अनेक लाभ हैं। ज्ञान-पिपासा की शांति के लिए पुस्तकालय के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं है। अध्यापक विद्यार्थी का केवल पथ-प्रदर्शन करता है। ज्ञानार्जन की क्रिया पुस्तकालय से ही पूरी होती है। देश-विदेश के तथा भूत और वर्तमान के विद्वानों के विचारों से अवगत कराने में पुस्तकालय हमारा सबसे बड़ा साथी है। आर्थिक दृष्टि से भी पुस्तकालय का महत्व कम नहीं है। एक व्यक्ति जितनी पुस्तके पढ़ना चाहता है, उतनी खरीद नहीं सकता। पुस्तकालय उसकी इस कमी को भी पूरी कर देता है। कहानी, उपन्यास, कविता और मनोरंजन विषयों की पुस्तके भी वहाँ से प्राप्त हो जाती हैं। अवकाश के समय का सदुपयोग पुस्तकालय में बैठकर किया जा सकता है। अत: आधुनिक युग में शिक्षित व्यक्ति के जीवन में पुस्तकालय का काफ़ी महत्व है।

दूरदर्शन तथा फिल्मों ने पुस्तकों के प्रकाशन को अत्यधिक प्रभावित किया है लेकिन पुस्तकों की उपयोगिता प्रत्येक युग में बनी रहेगी। सामान्य पाठक पुस्तकों को खरीद नहीं सकता। अत: उसे पुस्तकालय का ही सहारा लेना पड़ता है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों की अत्यधिक आवश्यकता है। अनपढ़ता को दूर करने में पुस्तकालयों का बड़ा योगदान हो सकता है।

Essay on Importance of Education in Hindi

Pustako ka mahatva par nibandh

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पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)

पुस्तकालय पर निबंध : पुस्तक+ आलय यानी पुस्तकालय वो जगह है जहाँ ज्ञान का भण्डार होता है। इस स्थान पर लाखो की तादात में पुरानी और नई किताबे होती है। यहाँ ज्ञानवर्धक पुस्तके होती है जिसे कोई भी आकर पढ़ सकता है।

पुस्तको को मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। ये वो दोस्त हैं जो कभी भी धोखा नही देते। पुस्तको में हर तरह की जानकारी मिल जाती है और उनमे हर समस्या का समाधान होता है।

Library Essay In Hindi

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पुस्तक संग्रह

पुस्तकालय में कई तरह की पुस्तके होती हैं। यहाँ पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओ की पुस्तके मिल जाती हैं। यहाँ हर विषय जैसे इतिहास, गणित, वाणिज्य, ग्रह विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, दर्शन शास्त्र आदि सभी पुस्तके उपलब्ध होती है। यहाँ सिर्फ ज्ञान की नही बल्कि बच्चो की पसंद की किताबे जैसे कहानियो की किताबे, कविताओं की किताबे, गाने और नावेल भी होते हैं।

पुस्तकालय का महत्व

पुस्तकालय बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस ज्ञान भंडार से कोई भी ज्ञान बटोर सकता है। यहाँ पर लोग आकर अपनी पसंद की पुस्तक लेकर शांति से पढ़ सकते है।यहाँ से बुक इशू कराकर घर पर भी ले जाई जा सकती है।

पुस्तकालय के रूप

पुस्कालय कई तरह के होते हैं जैसे –

स्कुल का पुस्तकालय हर स्कूल में पुस्तकालय होता है जहाँ बच्चो को अपने सभी विषयों से जुडी किताबे मिल जाती हैं। इस स्थान पर पूर्ण शांति होती है और यहाँ बिना डिस्टर्बेंस बच्चे बैठकर पढ़ सकते है और नोट्स बना सकते है। यहाँ पुस्तक के अलावा समाचार पत्र भी होते है। जिन बच्चो के पास गाइड्स नही होती वो यहाँ पर पढ़ सकते है।

कॉलेज का पुस्तकालय कॉलेज में भी बहुत बढ़ा पुस्तकालय होता है। वहां भी हर विषय पर और हर लेखक की किताब मिल जाती है। बच्चो के साथ साथ टीचर भी पुस्तकालय का लाभ उठाते हैं। टीचर यहाँ से मिली किताबो से रिफरेन्स लेकर प्रश्नपत्र तैयार करते है।

ऑफिस में पुस्तकालय ये पुस्तकालय कंपनी में काम कर रहे लोगो के लिए बनाई जाती है।

पब्लिक पुस्तकालय इन पुस्तकालयो में कोई भी आकर किताबे पढ़ सकता है चाहे वो बच्चा हो, बड़ा हो या महिला।

पुस्तकालय के कर्मचारी

पुस्तकालय की देखभाल के लिए लाइब्रेरियन को नियुक्त किया जाता है जिसका काम है पुस्तकालय में रखी किताबो का ध्यान रखना और अगर कोई बुक इशू कराने आए तो उसका रजिस्ट्रेशन करके बुक इशू करना। इतना ही उसका काम इस स्थान पर शोर न होने देना भी है ताकि वहां आने वाले लोग शांति में अपनी पसंद की किताबे पढ़ सके।

पुस्तकालय के नियम

  • यहाँ शोर करना मना होता है। जिसे पढना है उसे शांति बनाई रखनी होगी।
  • बुक इशू करना चाहते है तो आपको पुस्तकालय का सदस्य बनाना होगा जिसके लिए आपको मासिक शुल्क देना होगा।
  • किताबो पर कुछ भी पेन से लिखना मना होता है ताकि पुस्तके ख़राब न हो।
  • जो किताब इशू करवाके ले जाते हैं उन्हें समय सीमा पर वो वापिस देनी होती है।

पुस्तकालय के लाभ

  • जिनके पास किताबे खरीदने के पैसे न हो वो यहाँ आकर बिना झिझक किताबे पढ़ सकते है और नोट्स बना सकते है।
  • यहाँ पर शांत वातावरण होता है इसलिए यहाँ पढने पर ध्यान ज्यादा लगता है और जो पढ़ते हैं वो आसानी से याद हो जाता है। बच्चो के लिए ये पढने का उत्तम स्थान है।
  • यहाँ पर हर विषय की किताबे मिल जाती हैं।
  • पुस्तकालय में जाकर नियमित पुस्तके पढने से उच्चारण सही होने लगता है और रीडिंग हैबिट बन जाती है।

पुस्तकालय एक राष्टीय धरोहर है जिसका उपयोग ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। इस स्थान का सही से इस्तेमाल करने वाले अपने ज्ञान को कई गुना बढ़ा सकते है।विद्यार्थियो और किताबो के शौक़ीन लोगो को पुस्तकालय का लाभ जरुर उठाना चाहिए।

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पुस्तकालय पर निबंध-Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (essay on library in hindi) :.

an essay in hindi on library

भूमिका : जिस तरह से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की जरूरत होती है उसी तरह मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अध्धयन की जरूरत होती है। अध्धयन से मस्तिष्क का विकास होता है और ज्ञान की वृद्धि होती है। अध्धयन के लिए अच्छी और ज्ञानवर्धक पुस्तकों की जरूरत होती है। विभिन्न प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकों को पुस्तकालय से प्राप्त किया जा सकता है।

इसी वजह से पुस्तकालय हमारे ज्ञान के विकास में सहायक होते है। पुस्तकालय दो शब्दों से मिलकर बना होता है- पुस्तक+आलय। जिसका अर्थ होता है वह स्थान या घर जहाँ पर अधिक मात्रा में पुस्तकें रखी जाती हैं। पुस्तकालय केवल पुस्तकों का घर नहीं होता है बल्कि घर के रूप में ज्ञान का मंदिर होता है।

पुस्तकालय एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर किसी भी प्रकार की अच्छी पुस्तक के होने की संभावना होती है और कोई भी व्यक्ति पुस्तक बिना खरीदे ही पढ़ सकता है। आज के समय में पुस्तकें हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है लेकिन फिर भी हर व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता है कि वह हर पुस्तक को खरीद सके। आज के समय में पुस्तकें बहुत महंगी मिलती हैं। अत: हमें पुस्तकालयों की मदद लेनी पडती है।

भारत में पुस्तकालय : प्राचीनकाल से ही भारतीय जनता को पुस्तकों में बहुत रूचि रही है। प्राचीनकाल में भी हस्तलिखित ग्रंथों को संग्रह करने की परंपरा थी। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि सभी प्राचीनकाल विश्वविद्यालयों में बड़े-बड़े पुस्तकालय के होने के प्रमाण पाए जाते हैं जिन्हें बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था।

मुगल शासक भी कला प्रेमी थे। उन्होंने पुस्तक संग्रह को प्रोत्साहन दिया। मुगल शासनकाल में भी बहुत से पुस्तकालयों के होने के प्रमाण मिलते हैं। जब अंग्रेजों का शासनकाल आया तब पुस्तकालयों की दिशा में बहुत प्रगति हुई। उन्होंने अंग्रेजी पुस्तकों के कई संग्रहालय खोले।

बहुत से विद्याप्रेमी अंग्रेजों ने संस्कृत पढ़कर भारतीय साहित्य और संस्कृति का गहन अध्धयन किया। उन्होंने संस्कृत के ग्रंथों पर आधारित नूतन ग्रंथों की रचना भी की। अंग्रेजी पुस्तकालयों में भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को भी सम्मान दिया गया उसके बाद भारत में कई ग्रंथागारों का निर्माण हुआ। आज के समय भारत में कई वृहद सार्वजनिक व विश्वविद्यालयी पुस्तकालय हैं जिनमे हर विषय की हर प्रकार की पुस्तक उपलब्ध होती है।

विद्यालयों में पुस्तकालय : हर विद्यालय में एक सुव्यवस्थित पुस्तकालय होता है जिसमें पुस्तकालयाध्यक्ष और उसके सहकर्मी रहते हैं। विद्यालयों में माध्यमिक स्तर तक दो तरह की पुस्तकें होती हैं एक बुक बैंक की पुस्तकें और दूसरी सामान्य पुस्तकें। बुक बैंक की पुस्तकों में सिर्फ पाठ्यक्रम की पुस्तकें ही आती है जिन्हें छात्रों को निश्चित अवधि तक उधार दिया जाता है।

ये पुस्तकें बहुधा छात्रों को उधार दी जाती हैं। सामान्य पुस्तकों के अंतर्गत वे पुस्तकें आती हैं जो पाठ्यक्रम के अतिरिक्त ज्ञान, विज्ञान और मनोरंजन के लिए होती हैं। इन पुस्तकों को छात्रों व अध्यापकों को एक निश्चित अवधि तक उधार दिया जाता है। इसके अलावा विद्यालयी पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार के समाचार पत्र व पत्रिकाएँ आती हैं, जिन्हें छात्र व अध्यापक पुस्तकालय में बैठ कर ही पढ़ते हैं।

पुस्तकालय एक ज्ञान कोष : पुस्तकालय ज्ञान का भंडार और एक अच्छा शिक्षक होता है। यहीं पर विद्यवजनों की ज्ञान की पिपसा शांत होती है। कई विद्वानों के अपने पुस्तकालय भी होते हैं, लेकिन ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होता है जिसके पास सभी विषयों की पुस्तकें विद्यमान रहती हैं।

पुस्तकालयों में सभी प्रकार की पुस्तकें होती हैं जिन्हें वहीं पर बैठकर पढ़ा जाता है और नियमानुसार घर भी ले जाया जा सकता है। लेखकों और शिक्षार्थियों को अंक पुस्तकालयों से संबंध रखना पड़ता है। अध्यापक, वकील, चिकित्सक, वैज्ञानिक और लेखक भी समय-समय पर पुस्तकालयों से सहायता लेते हैं।

पुस्तकालयों की मदद से मानव को हर क्षेत्र की जानकारी प्राप्त होती है। पुस्तकालयों में नाना-प्रकार की पत्र-पत्रिकाए होती हैं जिनके अध्धयन से पाठक अपनी ज्ञान वृद्धि करता है और दुनिया की नवीन घटनाओं और परिस्थितियों से परिचित होता है। इसी वजह से पुस्तकालय ज्ञान प्राप्ति का एक सशक्त माध्यम है।

पुस्तकालय का महत्व : विश्व में ज्ञान की जरूरत हर काल में और हर देश में होती है। जिस देश के लोगों में तरह-तरह की जानकारियां सबसे अधिक होती हैं वहीं देश संसार में सबसे ऊँचा होता है और वही देश सब क्षेत्रों में प्रगति कर सकता है। ज्ञान पाने का सबसे बड़ा और अच्छा मार्ग पुस्तकालय होता है।

किसी प्राचीन विषय का अध्धयन करना हो या वर्तमान विषय का, विज्ञान और तकनीक का अध्धयन करना हो या किसी कला या साहित्य का, कविताओं की कोई अच्छी पुस्तक चाहिए या किसी महापुरुष की जीवनी सब कुछ एक स्थान पर यानी पुस्तकालय में हमें मिल जाता है।

छोटे-छोटे और बड़े-बड़े स्कूलों और कॉलेजों को इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित किया गया है लेकिन ज्ञान का क्षेत्र इतना विशाल है कि ये शिक्षण संस्थाएं एक निश्चित सीमा और निश्चित ज्ञान में पूरी तरह से ज्ञान-साक्षातकार नहीं करा सकती हैं। इसी वजह से जिन्हें ज्ञान प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है उन्हें पुस्तकालयों का सहारा लेना पडता है।

प्राचीनकाल में पुस्तकें हस्तलिखित हुआ करती थीं जिसमें एक ही व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर पुस्तकें उपलब्ध करना बहुत कठिन था। लेकिन आज के मशीनी युग में भी जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीनकाल की अपेक्षा बहुत कम है सारी पुस्तकों को खरीदने में असमर्थ होता है।

पुस्तकालय हमारी इस असमर्थता में बहुत सहायक होता है। माता-पिता द्वारा बच्चों को दिया गया विद्या रूपी धन वास्तव में बच्चों की सच्ची पूंजी है। पुस्तकें पढकर बालक अध्धयन, चिंतन एवं मनन करके विद्वान् बनता है। पुस्तकालय में उसे हर प्रकार की पुस्तक प्राप्त होती है। देश-विदेश के लेखकों की विभिन्न भाषाओं एवं विषयों पर लिखी पुस्तकों को सुंदर ढंग से पुस्तकालय में सजाया जाता है।

उनकी एक सूचि तैयार की जाती है। इसको पढकर विद्यार्थी पुस्तकें पुस्तकालय में नहीं अपितु घर पर लाकर भी पढ़ सकता है। निर्धन छात्रों के लिए पुस्तकालय वरदान होता है। महापुरुषों की जीवनियाँ और शिक्षाप्रद कहानियाँ तो लोगों के जीवन को ही बदल देती हैं। कविताएँ और नाटक मनुष्य को आमिक आनंद प्रदान करते हैं।

पुस्तकालय के प्रकार : पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे- सार्वजनिक पुस्तकालय, संस्थागत या विभागीय पुस्तकालय, निजी पुस्तकालय आदि। बहुत से विद्या से प्रेम करने वाले जनों पर लक्ष्मी जी की कृपा रहती है वे अपने घर में ही पुस्तकालय की स्थापना करते हैं। जो ऐसे पुस्तकालय होते हैं वे व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं।

सार्वजनिक दृष्टि से इनका बहुत कम महत्व होता है। एक प्रकार के पुस्तकालय स्कूलों और कॉलेजों में होते हैं जो सिर्फ पाठ्य विषयों से ही संबंधित होते हैं। इस तरह के पुस्तकालय भी सार्वजनिक उपयोग में नहीं आते हैं। इनका प्रयोग सिर्फ छात्र और अध्यापक ही करते हैं लेकिन ज्ञानार्जन और शिक्षा की पूर्णता में इनका बहुत अधिक महत्व होता है।

ये पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं होते। इनके बिना शिक्षालयों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। राष्ट्रिय पुस्तकालयों में देश-विदेश में विभिन्न विषयों पर छपी पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। इनका प्रयोग भी बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा किया जाता है।

जिन पुस्तकालयों का संचालन सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा होता है वे सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। आज के समय में गांवों में भी ग्राम पंचायतों द्वारा सबके लिए पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता है।

आज के समय में एक और प्रकार के पुस्तकालय भी दिखाई देते हैं जिन्हें चल पुस्तकालय कहा जाता है। ये पुस्तकालय मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। इन पुस्तकालयों का उद्देश्य ज्ञान विज्ञान का प्रसार करना होता है। इनमे ज्यादातर प्रसार साहित्य ही होता है।

पुस्तकालय का लक्ष्य : पुस्तकालयों का उद्देश्य पाठकों के लिए सभी प्रकार की पुस्तकों का संग्रह करना होता है। अपने पाठकों की रूचि और आवश्यकता के बल पर पुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तकों को प्राप्त करने में सुविधा के लिए पुस्तकों की एक लिस्ट बनाता है। पाठकों को पुस्तकें प्राप्त कराने के लिए एक कर्मचारी को नियुक्त किया जाता है।

पाठकों के बैठने और पढने के लिए समुचित व्यवस्था की जाती है। जिस स्थान पर पढ़ा जाता है उसे वाचनालय कहा जाता है। पाठकों को घर पर पढने के लिए भी पुस्तकें दी जाती हैं लेकिन इसके लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करके पुस्तकालय की सदस्यता को प्राप्त करना होता है। पुस्तकालय में विभिन्न पत्रिकाएँ भी होती हैं।

विश्व के पुस्तकालय : पुस्तकालयों की दृष्टि से रूस, अमेरिका और इंग्लेंड सबसे बड़े देश हैं। मॉस्को के लेनिन पुस्तकालय में डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा मुद्रित पुस्तकें संगृहीत हैं। अमेरिका के कांग्रेस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी ज्यादा पुस्तकें संगृहीत हैं। इसे विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है।

इंग्लेंड में ब्रिटिश म्यूजियम पुस्तकालय में 50 लाख से भी ज्यादा पुस्तकों का संग्रह है। भारत के कोलकाता के राष्ट्रिय पुस्तकालय में दस लाख से भी अधिक पुस्तकें हैं। केंद्रीय पुस्तकालय, बड़ोदरा में डेढ़ लाख पुस्तकों का संग्रह है। प्राचीनकाल के भारत में नालंदा और तक्षशिला में बहुत बड़े पुस्तकालय थे। भारत में गाँव में पुस्तकालय की बहुत अधिक जरूरत है।

भारत में बहुत से पुस्तकालय हैं जैसे- आंध्रप्रदेश में गौतमी ग्रंधालायम पुस्तकालय, पटना में खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी, सिन्हा लाइब्रेरी व माँ चंद्रकांता जी पब्लिक लाइब्रेरी, गोवा व साउथ गोवा में बुव्कोर्क चिल्ड्रन व डॉ. फ्रांसिस्को लुईस गोमेस डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी, पणजी में गोवा सेंट्रल लाइब्रेरी, तिरुवन्तपुरम में स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी, राजस्थान में गुलाब बाघ पब्लिक लाइब्रेरी, उत्तर प्रदेश में मौलाना आजाद लाइब्रेरी, पश्चिम बंगाल में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया और दिल्ली में दयाल सिंह लाइब्रेरी व जामिया हमदर्द लाइब्रेरी आदि।

पुस्तकालय के लाभ : पुस्तकालय के अनेक लाभ होते हैं। अपने ज्ञान को पूरा करने के लिए पुस्तकालयों के अलावा और कोई सस्ता साधन उपलब्ध नहीं है। अध्यापक विद्यार्थी का केवल पथ-प्रदर्शन करता है। ज्ञानार्जन की क्रिया को पुस्तकालय से पूरा किया जाता है। देश-विदेश के और भूत तथा वर्तमान के विद्वानों के विचारों से अवगत कराने में पुस्तकालय हमारी बहुत मदद करता है।

आर्थिक दृष्टि से भी पुस्तकालय का महत्व कम नहीं होता है। एक व्यक्ति जितनी पुस्तकों को पढने की इच्छा रखता है उतनी पुस्तकों को खरीद नहीं सकता है। पुस्तकालय उसकी इस कमी को पूरा कर देता है। पुस्तकालय से कहानी, मनोरंजन, कविता और उपन्यास जैसे विषयों की पुस्तकों को भी प्राप्त किया जा सकता है। अवकाश के समय का सदुपयोग पुस्तकालय में बैठकर किया जा सकता है।

आधुनिक जीवन में शिक्षित व्यक्ति के लिए पुस्तकालय का बहुत महत्व होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग विषयों की किताबें पढने का शौक रहता है। बच्चे, बूढ़े, जवान किसी भी उम्र के व्यक्ति अपने शौक अनुसार किताबों को पढकर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।

अलग-अलग विषयों पर किताबें पढने से व्यक्ति में हर क्षेत्र का ज्ञान बढ़ता है। कॉमिक्स, किस्से कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी पढने से मनुष्य में काल्पनिकता बढती है। पुस्तक पढ़ते समय व्यक्ति पुस्तक में लिखीं कहानी या घटना में खो जाता है और काल्पनिकता में चला जाता है।

पढाई से संबंधित पुस्तकें पढकर मनुष्य शिक्षित होता है और अपने जीवन में आगे बढ़ता है। पुस्तकें पढने से मनुष्य में जागरूकता पैदा होती है। साहित्यिक पुस्तकों को पढने से मनुष्य में समाज एवं सामाजिक जानकारी आती है। पुस्तकालय में बहुत सी ऐतिहासिक किताबें भी उपलब्ध होती हैं जिन्हें पढकर मनुष्य देश अथवा दुनिया के इतिहास को जान सकता है।

अध्धयन के लिए वातावरण : आज के समय में शहरी वातावरण कोलाहल पूर्ण बन चुका है। बस, रेल, कार आदि की ध्वनि से वातावरण हर समय मुखरित रहता है। इस परिस्थिति में अध्धयन करना असंभव होता है। अध्धयन के लिए एकांत और शांत वातावरण की जरूरत होती है। ज्यादातर घरों में भी अध्धयन का वातावरण उचित नहीं मिल पाता है।

अध्धयन करने वाले छात्र एकांत स्थलों पर पढने के लिए चले जाते हैं। ऐसा एकांत और शांत वातावरण पुस्तकालयों में ही मिलता है। निर्धन परिवार में तो छोटे-छोटे कमरे में कई लोग रहते हैं छोटे बालक खेलते हैं। पढने वाले छात्र को पढने का अवसर नहीं मिल पाता है इसीलिए अध्ध्यनशील छात्र अपने निकटस्थ पुस्तकालयों में जाकर अध्धयन का आनंद लेते हैं।

उपसंहार : जिस तरह से किसी मंदिर में प्रवेश करने से हमारा मन भगवान और देवी के प्रति श्रद्धा से भर जाता है उसी तरह से पुस्तकालय में प्रवेश करने से हमारे मन में तरह-तरह की पुस्तकों के प्रति आकर्षण तथा ज्ञान की जिज्ञासा बढ़ जाती है। अगर किसी को ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत या शौक है तो नियमित रूप से पुस्तकालय जाना चाहिए।

दूरदर्शनों तथा फिल्मों ने पुस्तकों के प्रकाशन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। लेकिन फिर भी पुस्तकों की उपयोगिता हर युग में इसी प्रकार से बनी रहेगी। सामान्य पाठक पुस्तकों को खरीदने में असमर्थ होता है इसी लिए उसे पुस्तकालयों का ही सहारा लेना पड़ता है।

आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अनपढ़ता को दूर करने में भी पुस्तकालयों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। हमें पुस्तकालयों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार को जगह-जगह पर नए-नए पुस्तकालय खोलने चाहिए।

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Home » Essay Hindi » Essay On Library In Hindi पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

Essay On Library In Hindi पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

इस निबंध Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library Essay) के बारे में जानकारी बतायी गयी है। पुस्तकालय किताबों का संग्रह होता है। अंग्रेजी में इसे लाइब्रेरी भी कहते है। किताबें ज्ञान का भंडार होती है और पुस्तकालय ज्ञान का सागर है। पुस्तकालय का महत्व पर निबंध लेखन का प्रयास यहां पर किया गया है।

लाइब्रेरी को पुस्तक या किताबों का घर भी कहते है। वो घर जहाँ पर किताबें होती है, पुस्तकालय कहलाता है। निर्धन छात्रों और गरीब पाठकों के लिए पुस्तकालय एक ज्ञान का वरदान है। तो आइए मित्रों पुस्तकालय पर निबंध “Pustakalaya Essay in Hindi” की चर्चा करते है।

पुस्तकालय पर निबंध Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय ( Library ) में पुस्तकों का संग्रह होता है, इसलिए इसे पुस्तकों का संग्रहालय भी कहते है। पुस्तकालय में तमाम तरह की किताबों का संग्रह होता है। लाइब्रेरी में हर विषय वस्तु से संबंधित किताबें मिलती है। चाहे किताब राजनीति, इतिहास से प्रेरित हो या फिर गणित और विज्ञान को बताती हो, हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकें मिल जाती है। यहां पर मनोरंजन की पत्रिका, उपन्यास, कहानियां भी पढ़ने को मिलती है। “पुस्तकालय” शब्द पुस्तक और आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। इसलिए पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का घर”। लाइब्रेरी में ज्ञानवर्धक पुस्तकें होती है जो ज्ञान का रसपान करवाती है। किसी भी विषय का श्रेस्ठ ज्ञान पाने का स्थान पुस्तकालय है। एक अच्छा पुस्तकालय साफ सुथरा और व्यवस्थित होता है।

दोस्तों, लाइब्रेरी कई प्रकार की होती है और कई जगह होती है। जैसे आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते है, वहां पर पुस्तकालय होता है। चाहे वो कॉलेज या स्कूल सरकारी हो या फिर प्राइवेट। स्कूली पुस्तकालयों में केवल उसी स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अनुमति होती है। बड़े शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते है जो सरकार की तरफ से खोले गए होते है। कुछ लोग घर में भी एक छोटा पुस्तकालय रखते है जिसे निजी लाइब्रेरी भी कहते है।

सार्वजनिक संस्थाओं के द्वारा भी लाइब्रेरी स्थापित होती है जहां मुफ्त में या कुछ फीस देकर पुस्तके पढ़ी जा सकती है। पुस्तकालय में किताबों की संख्या कितनी भी हो सकती है। जितना बड़ा पुस्तकालय होगा, उतनी ही ज्यादा पुस्तकें उसमें होती है। पुस्तकालय का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि पाठकों की संख्या कितनी है। आज इंटरनेट का जमाना है, किताबों ने सॉफ्टवेयर की शक्ल ले ली है। ई बुक के रूप में विज्ञान, राजनीति, भाषा, गणित जैसे कई विषयों की पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध है।

पुस्तकालय पर निबंध Pustakalaya Par Nibandh –

Essay On Library In Hindi – पुस्तकालय (Library) ज्ञान को बढ़ाता है। यहां पर केवल स्कूली विषय से संबंधित पुस्तकों के अलावा भी कई विषयो की पुस्तकें मिलती है। स्कूली पुस्तकों के अलावा मोटिवेशनल किताबें, महापुरुषों की जीवनी, धर्मग्रंथ इत्यादि भी मिलते है। इसलिए पुस्तकें बौद्धिक विकास के साथ चरित्र का विकास भी करती है। प्रेम, ईष्या, वीरता इत्यादि रसों की पुस्तकें लाइब्रेरी में मिल जाती है। फिल्मी मैगज़ीन हो या फिर मुंशी प्रेमचंद जी की लिखी कहानियां हो, पुस्तकालय श्रेस्ठ स्थान है। एक ही जगह पर विभिन्न विषयों की कई लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकें मिलने का एकमात्र स्थान पुस्तकालय है। चाहे साहित्य के सम्राट शेक्सपियर की किताब हो या फिर आइजेक न्यूटन की लिखी विज्ञान की कोई पुस्तक हो, हर लेखक का ज्ञान आपको एक जगह पर मिल जाता है।

लाइब्रेरी में पढ़ाई के लिए शांत वातावरण होता है। इसमें टेबल और कुर्सी लगी होती है जहां पर बैठकर पाठक पुस्तक पढ़ने का आनन्द लेते है। इस जगह को वाचनालय भी कहते है। गर्मियों से बचाव के लिए पुस्तकालय में पंखा लगा होता है। कई पुस्तकालयों में कूलर या एसी भी होता है। पीने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था भी होती है। कुछ बड़े पुस्तकालयों में चाय नास्ते का इंतेजाम भी होता है।

प्रत्येक लाइब्रेरी के अपने नियम होते है जो अनिवार्य रूप से लागू होते है। एक नियम जो हर लाइब्रेरी में होता है, वह है शांति स्थापित रखना। पुस्तकालय में किताबें सुव्यवस्थित तरीके से रखी होती है। विषयवार किताबों को लाइब्रेरी की आलमारियों में व्यवस्थित किया जाता है। लाइब्रेरी में रखी हुई पुस्तकें राष्ट्रीय संपदा है और हमें इन्हें गन्दा नही करना चाहिए। किताबों के पन्ने फाड़ना, पेन से किताबों पर लिखना जैसे कृत्य हमे नही करने चाहिए।

पुस्तकालय का महत्व Importance Of Library In Hindi –

Essay On Library In Hindi – देश और दुनिया के इतिहास को संजोकर रखी गयी पुस्तकें भी लाइब्रेरी में होती है। इतिहास को बताती कालजयी किताबें इतिहास का दर्पण है जिनमें हमें भूतकाल का पता चलता है। दुनिया में कई ऐसे पुस्तकालय है जो अमर ऐतिहासिक किताबों को रखे हुए है। आज भी इतिहास इन किताबों में सुरक्षित लाइब्रेरी में पड़ा है। पुस्तकालयों में कई दुलर्भ किताबें भी मौजूद है। पुस्तकालय की किताबें बेची नही जाती है, इन्हें किराए पर ले जाकर घर पर पढ़ सकते है। यहां पर कई ऐसी किताबें भी होती है जो आसानी से पाठकों को उपलब्ध नही होती है। लेकिन पाठक पुस्तकालय आकर उन किताबों का अध्ययन कर सकते है।

दुनिया में लगभग प्रत्येक देश में पुस्तकालय है। इंग्लैंड और रूस में सबसे ज्यादा लाइब्रेरी मौजूद है। कांग्रेस लाईब्रेरी, वाशिंगटन डीसी दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इसमें 16.40 करोड़ के आसपास पुस्तकें मौजूद है। इसके अलावा ब्रिटिश पुस्तकालय लंदन, लेनिन पुस्तकालय रूस इत्यादि दुनिया के बड़े पुस्तकालय है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया कोलकाता, भारत देश का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय में करीब 10 लाख पुस्तकें मौजूद है। भारत में प्राचीनकाल में भी तक्षशिला, नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे और इनमें पुस्तकालय भी मौजूद थे।

पुस्तकालय प्राचीनकाल से ही शिक्षा और ज्ञान के भंडार के रूप में लोगो के लिए हमेशा से ही उपलब्ध है। पुराने जमाने में भी किताबों का घर लाइब्रेरी होती थी। एक प्रश्न यह भी उठता है की पुस्तकालय की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? पहले प्रिंटिंग करने की सुविधा नही थी और पुस्तकों को हाथों से लिखा जाता था। इसलिए पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थी। इसलिए सभी लोगों के पास पुस्तक का ज्ञान पहुँचाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।

Pustakalaya Essay in Hindi लाइब्रेरी पर निबंध –

Essay On Library In Hindi – शुरुआत में लाइब्रेरी कुछ जगहों पर ही होते थे। विद्वानों और जिज्ञासुओं को बड़े शहरों में ज्ञान के लिए जाना पड़ता था। जब प्रिटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ, तब भी पुस्तकालय का महत्व था। इसके कई वर्षों बाद तक लाइब्रेरी का महत्व था लेकिन वर्तमान में पुस्तकालय का महत्व कम हुआ है। इसका मुख्य कारण इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव और ई बुक की उपलब्धता है। फिर भी पुस्तकालय अपना स्थान बनाये हुए है।

ज्ञान अनमोल होता है जिस पर हर इंसान का अधिकार है। गरीब बच्चें और विद्यार्थी पुस्तकें खरीदने में सक्षम नही होते है। लाइब्रेरी इस समस्या का हल है जहां बच्चों को फ्री में पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती है। पुस्तकालय स्वतंत्र होता है जिस पर हर जिज्ञासु का अधिकार है। पुस्तकालय को अध्ययन का केंद्र भी कहते है। छात्र जीवन में लाइब्रेरी का विशेष महत्व होता है। छात्रों को हर प्रकार के विषय की पुस्तक लाइब्रेरी में मिल जाती है। गरीब छात्रों को भी किताबों का अध्ययन करने की सुविधा मिलती है। छात्र इन पुस्तकों से नोट्स बनाकर परीक्षा की तैयारी कर सकता है।

एक अच्छा “पुस्तकालय” वह है, जहाँ पर पाठकों के अनुरूप विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती है। जिस तरह से मनुष्य को जीवित रहने हेतु भोजन की आवश्यकता है, ठीक उसी तरह मनुष्य जीवन व्यतीत करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। विचारों की शुद्धता और शक्ति के लिए पुस्तकों का अध्ययन जरूरी है। पुस्तकों के अध्ययन की श्रेस्ठ जगह “पुस्तकालय” है।

अन्य निबंध –

  • शिक्षा पर निबंध
  • पुस्तक पर निबंध
  • विद्यालय पर निबंध

Note – इस पोस्ट Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library In Hindi) के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी। यह आर्टिकल “Pustakalaya Essay in Hindi” पसंद आया हो तो इसे शेयर भी करे।

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पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi

क्या आप पुस्तकालय पर  निबंध (Essay on Library in Hindi) की तलाश कर रहें हैं? अगर हाँ! तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित होने वाला है। हमने इस लेख में प्रस्तावना, पुस्तकालय का अर्थ , इतिहास ,विशेषता,महत्व तथा पुस्तकालय पर 10 के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi)

एक स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक तथा संतुलित आहार की आवश्यकता होती है उसी प्रकार एक स्वस्थ मन के लिए अच्छे विचारों की आवश्यकता होती है।

ज्ञान अर्जित करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया पुस्तकालय है। जिसके द्वारा सभी को विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त होती हैं।

मस्तिष्क को गतिशील बनाए रखने के लिए समय-समय पर नए सद्विचारों की आवश्यकता होती है, जिसे प्राप्त करने के कई स्त्रोत हैं।

पुस्तकालय की लोकप्रियता आज के समय में दुनिया भर में बढ़ गई है। एक प्रसिद्ध कहावत है की सौ दोस्तों से अच्छी एक पुस्तक की संगति होती है। जो मनुष्य को सच्ची राह दिखाती है। दुनिया भर में पुस्तकालयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिससे लोगों में ज्ञान का प्रचार हो रहा है।

पुस्तकालय का अर्थ Definition of the Library in Hindi

पुस्तकालय वह जगह है जहां विभिन्न प्रकार के जानकीयों स्त्रोत और सूचनाओं का संग्रह पुस्तकों के रूप में किया जाता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी शब्द से बना है।  लाइब्रेरी शब्द लेटिन भाषा के लाइवर शब्द से हुई है जिसका अर्थ पुस्तक होता है।

यह दो शब्दों से मिलकर बना है- पुस्तक+ आलय। सामान्य भाषा में पुस्तकालय का तात्पर्य उस स्थान से होता है जहां अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, पत्रिका, हस्तलिखित ग्रंथ, विभिन्न प्रकार के मानचित्र मानचित्र,  तथा ऐतिहासिक कहानियों का संग्रह किया जाता है।

पुस्तकालय में सभी धर्मों भाषाओं तथा विषयों के बारे में पर्याप्त जानकारीयों का संग्रह होता है। यहां पर संग्रह की गई सभी चीजें विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध होती हैं जैसे हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, तमिल, इत्यादि।

लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने में पुस्तकालयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पुस्तकालय किसी भी देश की धरोहर के समान होती है जिसके सुरक्षा के लिए कई प्रकार के प्रबंध किए जाते हैं। 

पुस्तकालय का इतिहास History of The Library in Hindi

अमेरिका के फिलाडेल्फिया नगर में ईस्वी सन 1713 में सबसे पहले शुल्क पर चलने वाली प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई। अमेरिकन पुस्तकालय संघ की स्थापना के पश्चात सार्वजनिक  पुस्तकालय के निर्माण को गति मिली।

समय बीतने के साथ  बच्चों के लिए भी ईस्वी सन 1885 में  न्यूयॉर्क में सार्वजनिक बाल पुस्तकालयों की स्थापना की गई। ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्र संघ पुस्तकालय की स्थापना के पश्चात पुस्तकालय आंदोलन की दिशा में तेजी से वृद्धि हुई जिसके बाद पूरी दुनिया में इसका प्रचार प्रसार हुआ।

भारत में प्राचीन समय से ही नालंदा विश्वविद्यालय जैसे कई शैक्षणिक स्थानों में पुस्तकालय की स्थापना की जा चुकी थी। पूरी दुनिया में भारत  विश्व गुरु तथा एक महान देश था जहां शिक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया जाता था।

पुस्तकालय का इतिहास विभिन्न पुस्तकों और दस्तावेजों के स्वरूपों को संरक्षित करने की पद्धति से जुड़ा है। प्राचीन समय में वर्तमान जैसी कोई भी तकनीक उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण हस्तलिखित ग्रंथों का निर्माण करना पड़ा। सभी लोग विद्वानों की हस्तलिखित जानकारियों को पढ़ सके जिसके लिए इसे सार्वजनिक स्थान पर रखा जाने लगा।

पुस्तकालय की विशेषता Features of Library in Hindi

किसी भी ज्ञान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्त्रोत पुस्तकालय होता है। क्योंकि पुस्तकों के जरिए सभी महापुरुषों की जीवनी तथा विचारों को नजदीक से समझने का अवसर मिलता है।

पृथ्वी के निर्माण से लेकर आज तक कि जो भी घटनाएं घटित हुई है उन सभी की जानकारी पुस्तक से प्राप्त होती है इसीलिए यह पूरी दुनिया के लिए एक वरदान स्वरुप है।

पुस्तकालय का निर्माण विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है।  इसके अनेकों प्रकार है जैसे-  सार्वजनिक पुस्तकालय, राष्ट्रीय पुस्तकालय, कला पुस्तकालय, चिकित्सा पुस्तकालय और अन्य शैक्षणिक पुस्तकालय आदि 

शिक्षा का प्रसारण आम लोगों तक करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय का निर्माण किया गया है। इसका उद्देश्य सामान्य लोगों को सुशिक्षित करके राष्ट्र के प्रति कर्तव्य परायण बनाने का है।

देश के सभी लोगों को सरकार द्वारा प्राप्त पुस्तकालय की सुविधा को सरकारी पुस्तकालय कहां जाता है जिसमें निशुल्क सभी लोग मनचाही पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

इसके अलावा पेशेवर लोगों द्वारा अलग प्रकार के पुस्तकालय का निर्माण किया जाता है, जो निजी पुस्तकालय कहलाता है। ऐसे पुस्तकालयों में किसी निश्चित विषय पर जानकारियों का संग्रह किया जाता है जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, इत्यादि।

पुस्तकालय का महत्व Importance of Library in Hindi

पुस्तकालय विद्या के उस पवित्र मंदिर के समान होता है जहां ज्ञान के अनंत भंडार का संग्रह किया जाता है। इसके जरिए सभी लोगों को हर प्रकार की जानकारी दी सरलता से उपलब्ध हो जाती है।

कई ऐसे पुस्तक होते हैं जिनका शुल्क बेहद ज्यादा होता है जिसे गरीब लोग नहीं खरीद पाते हैं ऐसी स्थिति में पुस्तकालय उनके लिए वरदान स्वरूप सिद्ध होता है।

आज के समय में भले ही टेक्नोलॉजी के विकास के कारण विभिन्न प्रका  के शिक्षा के साधन उपलब्ध हो  लेकिन पुराने समय से ही पुस्तकों को शिक्षा प्राप्ति का एक अहम स्त्रोत बताया गया है।

पुस्तकालय के कारण सभी गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा में बेहद सहायता मिलती है जिनसे वे अपनी पढ़ाई को महंगाई के युग में भी जारी रख पाते हैं।

पुस्तकालयों के प्रसारण के कारण विश्व के किसी भी भूभाग में दुर्लभ से भी दुर्लभ किताबों की उपलब्धि की जा सकती है।

 किसी भी विषय का अध्ययन करने के लिए एक शांत अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है जो निश्चित ही यहां पर होती है।

सभी पुस्तकालयों में लोगों के पढ़ने के लिए अनुकूल व्यवस्था की जाती है, जिसमें पीने के लिए स्वच्छ पानी, कुर्सियां, और पंखे की व्यवस्था भी की जाती है। 

हर स्थान पर पुस्तकालयों के नियम कानून अलग-अलग होते हैं इसीलिए  यहां की सुरक्षा के लिए लाइब्रेरियन उपस्थित रहता है।

पुस्तकों तथा अन्य चीजों की सुरक्षा के लिए यहां पर हर कोने में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जाता है, जिससे लोग पुस्तकालय के किसी भी वस्तु  को नुकसान न पहुंचाएं।

इस प्रकार के शैक्षणिक स्थानों पर हिंसा और शोरगुल करना मना होता है। अनुशासनहीनता पर लाइब्रेरियन द्वारा ऐसा करने वाले व्यक्ति पर शुल्क भी लगाया जा सकता है।

पुस्तकालय के जरिए प्रत्येक  मनुष्य आत्मा संशोधन तथा अवलोकन कर सकता है। एकांत तथा शांत वातावरण में पढ़ने की इच्छा और भी प्रबल हो जाती है।

पुस्तकालय पर 10 लाइन Best 10 Lines on Library in Hindi

  • पुस्तकालय के माध्यम से  सभी लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता आकर्षण बढ़ता है।
  • यह शिक्षा का ऐसा पवित्र स्थान होता है जहां निर्धन से लेकर अमीर वर्ग के सभी लोग बेहद आसानी से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
  • अमेरिका में स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस दुनिया के सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक है।
  • नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित है।
  • पुस्तकालय किसी भी देश की वास्तविक धरोहर होती है जिसके जरिए लोगों को अपने इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
  • यहां पर पुस्तक पढ़ने के लिए अनुशासन का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उन्होंने
  • पुस्तकालय में हर जगह सीसीटीवी कैमरा लगाया जाता है जिसके जरिए सभी लोगों पर नजर रखा जाता है।
  • सार्वजनिक, निजी, सरकारी इत्यादि जैसे कई प्रकार के पुस्तकालय होते हैं।
  • यहां पर समाचार पत्र, वार्षिक पत्रिका,  अर्धवार्षिक पत्रिका इत्यादि विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध होते हैं।
  • पुस्तकालय में प्राचीन समय के ग्रंथ, महापुरुषों की जीवनी इत्यादि जैसे अमूल्य जानकारियों का संग्रह होता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पुस्तकालय के ऊपर निबंध (Essay on Library in Hindi)हिंदी में पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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Essay on library in hindi पुस्तकालय पर निबंध.

Write an essay on Library in Hindi language for students. पुस्तकालय पर निबंध। Library is one of the most important things when it comes to enhancing your knowledge. Essay on library in Hindi for class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. If you want you can learn my school library essay in Hindi as well.

Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi 300 Words

शिक्षा के बिना मनुष्य पशु तुल्य है। शिक्षा द्वारा व्यक्ति के आन्तरिक गुणों का विकास होता है और मनुष्य सभ्य तथा सुसंस्कृत बनता है। पुस्तकालय शिक्षा एवं ज्ञान के प्रचार प्रसार में हमारी सहायता करते हैं। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की सैकड़ों पुस्तकें उपलब्ध रहती हैं। पुस्कालय में पुस्तकों की सूची एवं स्थान की तालिका के आधार पर हम अपनी पसंद की पुस्तक का चयन कर उसको प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं। पुस्तकालय में हमें पुस्तकों के अतिरिक्त समाचार पत्र और पत्रिकायें भी पढ़ने को मिलती हैं।

प्रत्येक विद्यालय में एक लाइब्रेरी अथवा पुस्तकालय होता है। हमारे विद्यालय का पुस्तकालय बहुत बड़ा है। हम सप्ताह में एक दिन वहाँ से पुस्तकें प्राप्त करते हैं और पढ़ने के बाद लौटा देते हैं। विद्यालय के पुस्तकालय में केवल हमारे शिक्षक एवं विद्यालय के विद्यार्थी ही जा सकते हैं। वह सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं है।

पुस्तकालय में बैठ कर हम अपनी रूचि की पुस्तकों के साथ घण्टों बिता सकते हैं और अपनी पसन्द की पुस्तक को घर ले जाने के लिये जारी करा सकते हैं। पुस्तकालय में बहुत से लोग अपना पढ़ने लिखने का काम करने में व्यस्त होते हैं अतः वहाँ शान्ति बनाये रखना बहुत जरूरी होता है। पुस्तकालय में बातें करना, शोर मचाना, खाना पीना सब मना होता है। कुछ बच्चे विद्यालय के पूस्तकालय की पुस्तकों में से पृष्ठ फाड़ लेते हैं जिससे बाद में अन्य विद्यार्थियों को परेशानी होती है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिये। पुस्तकों को साफ एवं सुरक्षित रखना। हमारा कर्तव्य है। पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं। हमें पुस्तकालय जाने की आदत बनानी चाहिये।

Essay on Library in Hindi 800 Words

पुस्तकालय का अर्थ है – पुस्तकों का घर, मन्दिर अथवा भंडार। जहाँ पुस्तकों का संग्रह होता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है। पुस्तकालय में केवल पुस्तकें ही नहीं रखी जाती बल्कि वहां पत्र-पत्रिकाएं भी पढ़ने को मिलती हैं। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए पुस्तकों द्वारा ज्ञान प्राप्त करना भी अनिवार्य है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि शरीर के किसी अंग से कार्य न लिया जाए तो उसकी क्रियाशीलता समाप्त हो जाती है। ठीक इसी प्रकार मस्तिष्क को क्रियाशीलता प्रदान करने के लिए तथा उसे गतिशीलता देने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नये-नये विचारों की नितान्त आवश्यकता होती है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। पहली प्रकार के पुस्तकालय वे हैं जो हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में होते हैं। इन पुस्तकालयों द्वारा अध्यापकगण तो लाभान्वित होते ही हैं, परन्तु आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के विद्यार्थी की ज्ञान पिपासा भी इन पुस्तकालयों द्वारा शान्त होती है। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत पुस्तकालय होते हैं। ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा रखने वाले और धनवान् व्यक्ति हज़ारों रुपये व्यय करके प्राचीन तथा अनमोल साहित्य एकत्रित करते हैं तथा अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं तथा आस-पास के रहने वाले व्यक्ति भी ऐसे पुस्तकालयों से लाभ प्राप्त करते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना व्यक्तिगत पुस्तकालय खोल सकता है।

तीसरी प्रकार के पुस्तकालय सरकारी पुस्तकालय होते हैं। इनकी व्यवस्था स्वयं सरकार करती है परन्तु यह साधारण लोगों की पहुंच से बाहर होते हैं, इसलिए जनसाधारण को ऐसे पुस्तकालयों का कोई विशेष लाभ नहीं होता।

चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इन पुस्तकालयों से सभी लाभ उठाते हैं। इन पुस्तकालयों में व्यक्ति अपनी इच्छानुसार पुस्तक निकलवा कर पढ़ सकता है और एक निश्चित शुल्क देकर सदस्य बन कर कुछ दिनों के लिए पुस्तक घर ले जाकर भी पढ़ सकता है। ऐसे पुस्तकालयों के साथ वाचनालय का भी प्रबन्ध होता है। बहुत से व्यक्तियों को अखबार पढ़ने की सनक होती है और वे इसी बहाने पुस्तकालय पहुंच जाते हैं। यदि ऐसे वाचनालय-जिनमें पत्र-पत्रिकाएं, मैगज़ीन आदि न हों तो जनसाधारण पुस्तकालयों से अधिक लाभ प्राप्त नहीं कर सकता। पांचवें प्रकार के पुस्तकालय चल पुस्तकालय होते हैं। ऐसे पुस्तकालय भारत में न के बराबर हैं परन्तु विदेशों में ऐसे पुस्तकालय अधिक संख्या में होते हैं। इन पुस्तकालयों का स्थान गाड़ी में होता है। स्थान-स्थान पर ये पुस्तकालय जनता को नवीन साहित्य से परिचित करवाते रहते हैं जिससे देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय साहित्य तथा देश की गतिविधियों से परिचित होता रहता है।

पुस्तकालयों से छात्रों तथा अध्यापक वर्ग को ही नहीं परन्तु जन साधारण को भी ज्ञान वृद्धि में सहायता मिलती है। किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस पर केवल एक या दो पुस्तकें पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है परन्तु उसी विषय पर लिखी गई अधिक से अधिक पुस्तकों का अध्ययन करके ही अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा ज्ञान का प्रसार भी होता है जिससे मनुष्य कुसंगति, कुवासनाओं और प्रलोभनों आदि से बचा रहता है।

पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग भी प्रदान करता है। पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शान्ति मिलती है। मन कुछ समय के लिए संसार की चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है। कबीर, तुलसीदास और भर्तृहरि के श्रृंगार, नीति और वैराग्य शतक पढ़ कर ऐसा कौन सहदय पाठक नहीं होगा जिसके मन में संसार की विशालता का आभास नहीं होता होगा। महापुरुषों की जीवनियां हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जिन्हें पढ़कर परम सन्तोष और परमानन्द का अनुभव तो होता ही है परन्तु साथ-साथ उनके द्वारा दिखाए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को भी सफल बना सकते हैं।

ज्ञान के अतिरिक्त पुस्तकालय श्रेष्ठ मनोरंजन का भी भंडार है। मनोरंजन के अन्य साधनों – रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा आदि पर पैसा खर्च करके आदमी अपना मनोरंजन करता है जबकि पुस्तकालय में आदमी बिना पैसे खर्च करके देश-विदेश के समाचार जान सकता है।

व्यक्तिगत लाभ के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा समाज का भी व्यापक हित होता है। विभिन्न देशों की पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक, परम्पराओं, मान्यताओं एवं व्यवस्थाओं का भी परिचय प्राप्त होता है जिससे हम अपने समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियाँ, अव्यवस्था इत्यादि को सुधारने में सफल हो सकते हैं।

पुस्तकालय मानव जीवन और सभ्यता का एक प्रमुख अंग है। भारतीय लोगों को पुस्तकालय की जितनी अधिक से अधिक सुविधाएं मिलेंगी उतना ही वे अधिक उन्नति करेंगे और उन्नतशील देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकने में योग्य हो सकेंगे।

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay On Library In Hindi

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम बात करेंगे Essay on library in hindi के बारे में। पुस्तकालय का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। इनके माध्यम से आप दुनिया के महान व्यक्तियों के द्वारा लिखी गई बातों को पढ़कर आप को ज्ञान की प्राप्ति होती हैI पुस्तकालय एक प्रकार का ज्ञान का केंद्र है I  

यहां पर आपको सभी प्रकार के ज्ञान से भरपूर किताबें आसानी से मिल जाएंगी और आप यहां पर आकर उनका अध्ययन कर सकते हैं I 

इसलिए पुस्तकालय का हमारे जीवन में विशेष स्थान है I  ऐसे में अगर आप पुस्तकालय पर एक अच्छा निबंध लिखना चाहते हैं, लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है क्या आप निबंध की शुरुआत कैसे करें तो हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आर्टिकल को आखिर तक पढ़े।

इस पोस्ट के माध्यम से हमने बताया है कि पुस्तकालय का क्या अर्थ है, पुस्तकालय का क्या महत्व है, पुस्तकालय के क्या लाभ है, पुस्तकालय क्यों जरूरी है तथा पुस्तकालय कितने प्रकार के होते हैं इत्यादि के बारे में जानेंगे।

इस पोस्ट में आपको पुस्तकालय पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे पुस्तकालय पर निबंध 100 शब्दों में, Library essay in hindi in 300 words, Library par nibandh 500 शब्दों में तथा लाइब्रेरी पर 10 लाइन इत्यादि।

पुस्तकालय पर निबंध 100 शब्दों में – Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है I आसान भाषा में इसे पुस्तकों का घर कहा जाता है ,यानी पुस्तकालय एक ऐसा जगह होता है, जहां पर दुनिया की सभी भाषाओं की किताबें उपलब्ध हो और अगर आपको कोई भी किताब पढ़नी है तो इसके लिए आप वहां पर जा सकते हैं I 

पुस्तकालय एक प्रकार का ज्ञान का संग्रह भंडार है यहां पर विभिन्न प्रकार पुस्तकें आपको आसानी से यहां पर उपलब्ध मिलेंगे और आप उनका अध्ययन यहां पर जाकर कर सकते हैं I  ताकि आपके ज्ञान में वृद्धि हो सके पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं I 

जैसे व्यक्तिगत लाइब्रेरी, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक लाइब्रेरी, चलते-फिरते पुस्तकालय, डिजिटल पुस्तकालय यानी जहां पर किताबें ऑनलाइन तरीके से उपलब्ध होती है और आप वहां पर जाकर कुछ पैसे देकर किताबों को पढ़ सकते हैं और कई तो वेबसाइट पर आपको फ्री में किताबें पढ़ने का अवसर मिलेगा I 

सभी पुस्तकालय में आपको ज्ञानवर्धक किताबे मिलेंगे पुस्तकालय हमारे लिए राष्ट्रीय धरोहर है I  यहां पर हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी गई है ताकि हम किताबों के माध्यम से जान सके कि हमारे पूर्वज किस प्रकार का जीवन व्यतीत करते थे और उनकी सभ्यता क्या थी अगर आपके पास सभी प्रकार के किताबे खरीदने के पैसे नहीं है तो आप पुस्तकालय में आ सकते हैं I 

 यहां पर आप थोड़े पैसे देकर कई किताबें पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में वृद्धि भी कर सकते हैं ताकि आप अपने जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर सकें।

पुस्तकालय पर निबंध 300 शब्दों में – Pustakalaya Par Nibandh

लाइब्रेरी का हमारे जीवन से प्राचीन काल से ही संबंध है I  प्राचीन काल में आज के समय जैसे कंप्यूटर नहीं थे I  

उस समय किताबें लिखी जाती थी और उसके बाद किताबों को रखने के लिए ही पुस्तकालय की स्थापना प्राचीन काल में की गई ताकि लोग पुस्तकालय में जाकर किताबों का अध्ययन कर सकें I ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके।

पहले के समय बच्चे गुरुकुल में जाया करते थे गुरुकुल के अंदर पुस्तकालय का भवन हुआ करता था जिसमें विभिन्न भाषाओं में किताबें उपलब्ध थे और बच्चे उन पुस्तकालय में जाकर किताबों का अध्ययन करते थे एक प्रकार से कहे तो पुस्तकालय प्राचीन काल में हमारे लिए संस्कृति से जुड़ने का अच्छा माध्यम हुआ करते थे  I  

आज के समय में पुस्तकालय का वही महत्व है जो प्राचीन काल में था हालांकि आज के समय ऑनलाइन प्लेटफार्म आने से आप किताबों को अपने मोबाइल में ही पढ़ सकते हैं फिर भी स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय में पुस्तकालय का एक अलग भवन होता है जहां पर जाकर आप किताबों का अध्ययन कर सकते हैं I  

इसलिए पुस्तकालय आज भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग है I आज के वक्त में कई ऐसे सामाजिक संस्था है जो पुस्तकालय का संचालन करती हैं और यहां पर अगर आप पुस्तक अध्ययन करने के लिए जाएंगे तो आपको एक भी पैसा अपनी जेब से नहीं देना पड़ेगा I 

इसके अलावा कई पुस्तकालय प्राइवेट भी हैं जहां पर अगर आप किताबें पढ़ना चाहते हैं तो आपको कुछ शुल्क देने पड़ेंगे और यह शुल्क महीने के अनुसार होते हैं I  इसलिए अगर आपके पास थोड़े पैसे हैं तो प्राइवेट पुस्तकालय में जा सकते हैं I 

पुस्तकालय के लाभ – Library ke labh

  • पुस्तकालय के द्वारा आप तो अंतर्मुखी और चिंतनशील बन सकते हैं
  • पुस्तकालय के द्वारा आप अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं I 
  • पुस्तकालय का वातावरण शांति में होता है इसलिए यहां पर पढ़ाई करना काफी सहज है I 
  • कालों के द्वारा आप देश दुनिया के बारे में कई प्रकार की जानकारी हासिल कर सकते हैं I 
  •   पुस्तकालय के द्वारा आप अपने इतिहास से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी यहां से प्राप्त कर सकते हैं I 
  • पुस्तकालय के द्वारा आपके सोचने और समझने की शक्ति में वृद्धि होती है I 
  • पुस्तकालय के द्वारा आप अपना ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं इसके लिए आपको बहुत ही कम मूल्य देना पड़ेगा।
  • पुस्तकालय ज्ञान का केंद्र होते हैं।
  • पुस्तकालय में विभिन्न भाषा और भिन्न प्रकार की किताबें उपलब्ध है I 
  • पुस्तके हमारे जीवन को दूसरे देश की संस्कृति और विचारधारा से भी जोड़ने का काम करती हैं I 
  •  प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: जन्म होता है I 

पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के नियम

  • पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते समय शांति बनाए रखें I 
  • पुस्तकालय में किताबों को भरना या उस पर कुछ लिखना मना है I 
  •  अगर आप कोई किताब पढ़ रहे हैं और उस समय अगर आप किसी प्रकार का भी शोरगुल करेंगे तो आपको पुस्तकालय से निलंबित किया जा सकता है या नहीं आपको पुस्तकालय में पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी I 
  • पुस्तकालय से अगर आप कोई भी किताबें ले रहे हैं तो उसे आपको सही वक्त में वापस करना होगा I 
  • पुस्तकालय में एक कचरा और गंदगी ना फैलाएं I 
  • पुस्तकालय में आप किसी प्रकार की भी अश्लील हरकत या इशारे ना करें I 

पुस्तकालय पर निबंध 500 शब्दों में – Long Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय के प्रकार.

व्यक्तिगत पुस्तकालय

व्यक्तिगत पुस्तकालय का मतलब होता है ऐसा पुस्तकालय जिसका निर्माण आप अपने घर में करते हैं और वहां पर आप अपने रूचि के मुताबिक पुस्तक को सजाकर रखते हैं I इन पुस्तकों को पढ़ने का अधिकार केवल आपका आपके घर के लोगों का होता है और आप ही उस किताबों को पढ़ पाएंगे दूसरे अन्य व्यक्ति नहीं I 

विद्यालय, विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

विद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकों का मतलब होता है कि ऐसे पुस्तकालय विश्वविद्यालय और विद्यालय के भवन में एक अलग कमरे के रूप में स्थित होते हैं I यहां पर विभिन्न भाषाओं की किताबें और अब पत्र पत्रिकाएं होती हैं I 

जिसका अध्ययन के बल विद्यालय के शिक्षक और छात्र ही कर पाएंगे इसके अलावा छोटे बच्चों के लिए चुटकुले मनोरंजन कहानी के पुस्तक उपलब्ध होते हैं ताकि छोटे बच्चे इन पुस्तकों को पढ़कर अपना मनोरंजन कर सके I 

सार्वजनिक पुस्तकालय

 सार्वजनिक पुस्तकालय दो प्रकार के होते हैं पहला समाजसेवी ट्रस्ट के द्वारा संचालित किया जाता है और दूसरा सरकार के द्वारा जिसमें कोई भी व्यक्ति आकर किताबें पढ़ सकता है उसके लिए उसे कोई भी शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।

चलता फिरता पुस्तकालय

 चल पुस्तकालय का मतलब होता है ऐसा पुस्तकालय जो मोटर वाहन के द्वारा संचालित होती हैं और ऐसे पुस्तकालय गांव गांव में जाते हैं और वहां पर लोगों को किताबें बेचने का काम करते हैं इस प्रकार के पुस्तकालय से अगर आप कोई भी किताब खरीदते हैं तो आपको बहुत ही कम पैसे देने पड़ेंगे।

डिजिटल पुस्तकालय

 आज के वक्त में सभी व्यक्तियों के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा है I ऐसे में लोग मोबाइल में ही किताबें पढ़ना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि इसके लिए उन्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है वह घर में भी किताबों को पढ़ सकते हैं I  इस प्रकार के किताब डिजिटल तरीके में बनाए जाते हैं और आप इन्हें पीडीएफ फाइल के रूप में अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लीजिए और उसे पढ़ सकते हैं I 

इस प्रकार के किताब आपको भिन्न प्रकार के वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं कुछ किताबें फ्री में होती हैं और कुछ के लिए आपको पैसे देने पड़ते हैं I 

पुस्तकालय का महत्व – Library ka mahatva

पुस्तके मानव का सच्चा साथी होती हैं अगर आप नियमित रूप से पुस्तक के पढ़ते हैं तो आपके ज्ञान में अपार भी दी होगी इसके अलावा आपके अंदर व्यक्तिगत गुणों का विकास होगा और इन गुणों के द्वारा आप अपने चरित्र का भी निर्माण कर सकते हैं किताबें समाज और देश दोनों के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं I  इन के माध्यम से आप किसी भी समाज और देश के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं  I 

इसलिए लाइब्रेरी का विशेष महत्व हमारे जीवन में है कुछ लोग किताबों के प्रेमी होते हैं I उन्हें किताबें पढ़ना सबसे ज्यादा पसंद है I विशेष तौर पर वह कुछ विशेष लेखक के किताब पढ़ते हैं I उनका अपना एक अलग नजरिया है I कुछ लोगों को पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का ज्यादा शौक है और महिलाओं को नारी से जुड़े हुए पत्रिका सबसे ज्यादा पसंद उन्हें आती है  I 

 सबसे बड़ी बात है कि पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए अधिक पैसे देने की आवश्यकता नहीं है I अगर किसी व्यक्ति के पास पैसे नहीं है ज्ञान अर्जित करने के लिए तो आप पुस्तकालय जा सकता है क्योंकि पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ती है I पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था में रीड की हड्डी की तरह काम करती हैं इसके द्वारा देश के भावी भविष्य का निर्माण होता है I 

पुस्तकालय के लाभ

(1) पुस्तकालय के द्वारा आप को भिन्न प्रकार के किताबें पढ़ने का अवसर मिलता है इससे आपके ज्ञान में वृद्धि होती है।

(2) यहां पर आपको विभिन्न भाषाओं में किताबें पढ़ने का अवसर मिलेगा।

(3) पुस्तकालय वातावरण काफी शांत रहता है ऐसे में अगर आप यहां पर किताब काफी ध्यान केंद्रित कर कर पढ़ सकते हैं।

(4) पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए अधिक पैसे की आवश्यकता नहीं है आप मुफ्त में है किताबे पढ़ सकते हैं।

(5) पुस्तकालय में सभी वर्ग और जाति के लोग आकर किताबें पढ़ सकते हैं यहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है।

(6) पुस्तकालय के माध्यम से भारत की शिक्षा व्यवस्था मजबूत और सशक्त होगी।

(7) इसके द्वारा देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था मजबूत होती है।

(8) पुस्तकालय हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं ।

वर्तमान में पुस्तकालयों की आवश्यकता

आज के तारीख में पुस्तकालय की जरूरत और ऐसे ही है जैसे प्राचीन काल में थी इसकी प्रमुख वजह है कि आज के समय शिक्षा का जिस प्रकार वाणिज्य करण किया गया है ऐसे में शिक्षा को गर्म कर पाना सभी लोगों के लिए संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए अधिक पैसे की आवश्यकता है है और अगर आपके पास पैसे नहीं है तो पुस्तकालय शिक्षा ग्रहण करने का सबसे अच्छा माध्यम है I

आप यहां पर जाकर मुफ्त में किताबें पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं प्ले आज की तारीख में पुस्तकालय की आवश्यकता बढ़ती जा रही है I विशेष तौर पर गांव में पुस्तकालय की संख्या ना के बराबर है  I  

जिसके कारण गरीब लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं और अपना जीवन गरीबी में व्यक्त करने के लिए मजबूर होते हैं इसलिए गांव में सरकार को अधिक से अधिक पुस्तकालय खोलने की योजना पर काम करना चाहिए ताकि गरीब के बच्चे भी ज्ञान प्राप्त कर अपने जीवन में कुछ बन सके I 

अगर हमें अपने देश के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा देनी है तो पुस्तकालय का विकास भारत में तेजी के साथ करना होगा। तभी जाकर हमारी शिक्षा व्यवस्था मजबूत और सशक्त बनेगी क्योंकि अगर कोई भी देश आज की तारीख में शिक्षित नहीं है तो उसे विकास करने में काफी दिक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ता है I 

इसलिए देश में अगर शिक्षा को समाप्त करना है तो पुस्तकालय की संख्या में वृद्धि करनी होगी ताकि लोग अधिक से अधिक पुस्तकालय जाकर ज्ञान की प्राप्ति कर सकें।

हमें भी प्रत्येक गांव में पुस्तकालय खोलने चाहिए जिससे हमारे देश का प्रत्येक बच्चा पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करें।

पुस्तकालय पर 10 लाइन – Library Par 10 Line 

  • पुस्तकालय का अर्थ होता है – पुस्तकों का घर।
  • पुस्तकालय में सभी ज्ञानवर्धक किताबें उपलब्ध होती हैं।
  • पुस्तकालय में माता सरस्वती का निवास होता है।
  • आपके पास किताब खरीदने के पैसे नहीं आए तो आप पुस्तकालय में जाकर किताबें पढ़ सकते हैं।
  • विधार्थी को नियमित रूप से पुस्तकालय जाना चाहिए ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके।
  • पुस्तकालय में पढ़ते समय शांति बनाए रखें।
  • अपने कोई भी पुस्तक पढ़ने के लिए लिया है तो उसे पढ़ने के बाद आप पुस्तकालय को वापस कर दे।
  • किसी भी पुस्तक के ऊपर कुछ ना लिखें और ना ही उसके किसी पेज को फाड़े
  • पुस्तकालय ज्ञान का मंदिर होता है।
  • काले में अगर आप किसी भी पुस्तक का अध्ययन करें तो पढ़ने के बाद उसे सही जगह पर रखें I 

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उम्मीद करता हूं दोस्तों की “पुस्तकालय ( Library Essay In Hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें लाइब्रेरी से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Library In Hindi

Q: पुस्तकालय में किताब पढ़ने के लिए पैसे देने पड़ते हैं क्या.

Ans: पुस्तकालय में अगर आप किताब पढ़ना चाहते हैं तो आपको इसके लिए पैसे देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत में जो भी सरकारी पुस्तकालय होते हैं वहां पर कोई भी व्यक्ति जाकर किताबें पढ़ सकता है और पैसे वहां पर आपको देने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर आप कोई प्राइवेट पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए जा रहे हैं वहां पर आपको कुछ शुल्क देने पड़ेंगे I

Q: पुस्तकालय का देश के विकास में क्या भूमिका है?

Ans: लाइब्रेरी की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होते हैं ऐसे में अगर देश के नागरिक जिनके पास पैसे नहीं है अगर वह पुस्तकालय में जाकर शिक्षा प्राप्त करते हैं तो देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होगा और अगर ऐसा होता है तो देश को विकास करने में आसानी होगी क्योंकि देश में गिरा शिक्षा की भावना होगी तो देश तेजी के साथ विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो पाएगा इसलिए पुस्तकालय का हमारे देश के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है I 

Q: पुस्तकालय में कितनी भाषाओं में पुस्तके उपलब्ध होती हैं?

Ans: पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार के भाषाओं में पुस्तके उपलब्ध होती हैं आप अपनी भाषा के मुताबिक पुस्तक का चयन कर सकते हैं I 

Q: भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय कहां स्थित है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय कोलकाता में स्थित है यहां पर आपको 2 मिलियन से अधिक किताबें मिल जाएंगे और विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है इसकी स्थापना 1948 में की गई थी या भारत का सबसे पुराना पुस्तकालय है और इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया गया है I 

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay on library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi): सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव ज्ञान का दायरा बढ़ता जा रहा है. शिक्षित लोगों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. पुस्तक मनुष्य का एक वफादार दोस्त है. यह अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है. इसके अलावा, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों को पढ़ने से आपको वर्तमान घटनाओं के साथ-साथ भाषा और साहित्य के विकास के बारे में जानने में आसान होती है. जिस संस्था में ये सभी चीजें एक साथ मिलती हैं उसे पुस्तकालय कहा जाता है. वास्तव में पुस्तकालय ज्ञान की मंजिल है.  

जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अध्ययन की आवश्यकता होती है. विविध पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है. विविध प्रकार की पुस्तकें हमें पुस्तकालय से उपलब्ध होती हैं. पुस्तकालय दो शब्दों के मेल से बना है. पुस्तक + आलय अर्थात पुस्तकों का घर. जिस स्थान पर पढ़ने के उद्देश्य से विभिन्न पुस्तकों का संग्रह होता है उसको पुस्तकालय कहते हैं. पुस्तकालय ज्ञानर्जन का प्रमुख साधन है.

पुस्तकालयों के विभिन्न रूप

पुस्तकालय के विभिन्न रूप होते हैं. कई पुस्तकालय एक ही विषय के होते हैं. वहां अन्य विषयों की पुस्तकें नहीं मिलती हैं. जैसे- विज्ञान पुस्तकालय, वाणिज्य विषयक पुस्तकालय, कानून विषयक पुस्तकालय आदि. जहां पर विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती हैं वे पुस्तकालय भी कई प्रकार के होते हैं. ऐसे पुस्तकालय मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं. एक – व्यक्तिगत पुस्तकालय, दो – विद्यालयी पुस्तकालय, तीन – सार्वजनिक पुस्तकालय. कई व्यक्तियों को पुस्तक संग्रह का शौक होता है. धीरे-धीरे उनका यह संग्रह पुस्तकालय का रूप धारण कर लेता है. यह व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाता है. विभिन्न विद्यालयों तथा संस्थाओं में भी पुस्तकालय होते हैं. वे विद्यालयी पुस्तकालय कहलाते हैं. विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय इसके ही अंतर्गत आते हैं. सार्वजानिक पुस्तकालय जनता के लिए होते हैं जिनका संचालन सरकार या सार्वजनिक संस्थाएं करती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुस्तकालय की सुविधा दी गयी है. आजकल चलते-फिरते पुस्तकालय भी चल गए हैं जो गाड़ियों में चलते हैं.

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विद्यालयों में पुस्तकालय

प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय अवश्य होता है. हमारे विद्यालय में भी एक पुस्तकालय है. पुस्तकालय की व्यवस्था के लिए एक पुस्तकालयाध्यक्ष होता है जो छात्रों को पुस्तकें आबंटित करता है. यह निश्चित समय के लिए दी जाती हैं और बाद में वापस करनी पड़ती हैं. माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों में दो प्रकार की पुस्तकें होती हैं. एक, बुक बैंक की पुस्तकें जो केवल कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें होती हैं. दूसरी, सामान्य पुस्तकें जो पाठ्यक्रम के अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की वृद्धि के लिए होती हैं. सभी प्रकार की पुस्तकें छात्रों व अध्यापकों को एक निश्चित अवधि तक के लिए मिलती हैं. पुस्तकालय में पढ़ने के लिए भी पुस्तकें मिलती हैं जो तुरंत लौटनी पड़ती हैं. 

संरचना और प्रबंधन

पुस्तकालयों में आमतौर पर निबंधों, कहानियों, उपन्यासों, कविता, यात्रा कहानियों और महापुरुषों की जीवनी पर बड़ी संख्या में किताबें होती हैं. इसके अलावा, कुछ पुस्तकालयों में विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाएँ आने की व्यवस्थाएं होती है. उन्हें बड़ी-बड़ी अलमारी में सजा कर रखा जाता है. प्रत्येक विषय के लिए अलग अलमारी होती है. पुस्तकालय में सभी पुस्तकों की सूची एक बड़े खाते में रहता है. इसे कैटलॉग(catalogue) कहा जाता है. इसके अलावा, पाठकों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए एक और रजिस्टर रहता है. स्कूलों में, एक एक शिक्षक इन सभी जिम्मेदारियों को निभाते है.

पुस्तकालयों से लाभ

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है और एक सच्चा शिक्षक है. विद्वान लोगों की ज्ञान की प्यास इन्हीं पुस्तकालयों में बैठकर बुझती है. कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास सब प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध हों. यह संभव भी नहीं हो सकता कि एक व्यक्ति हर प्रकार की पुस्तकें खरीद सके. पुस्तकालय ही एक ऐसा भंडार है जहां से हर प्रकार की पुस्तकें मिल सकती हैं. अध्यापक, वकील, चिकित्सक, लेखक, कवि आदि पुस्तकालयों से ही अपने ज्ञान की वृद्धि करते हैं. इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाएं भी मिल जाती हैं जिनका अध्ययन हर व्यक्ति करना चाहता है. प्रत्येक व्यक्ति को अध्ययन करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है. यह वातावरण हमें घरों, कार्यालयों तथा अन्य स्थलों पर नहीं मिल सकता. यह वातावरण हमें केवल पुस्तकालय ही दे सकता है. 

आजकल हर जगह पुस्तकालय उपलब्ध होते हैं. हमें पुस्तकालयों में जाकर समय का सदुपयोग करना चाहिए. पुस्तकालयों की पुस्तकें सार्वजनिक संपत्ति होती हैं. इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए. उनके चित्रों या उनके किसी पृष्ठ को कोई क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि एक पुस्तक से अनेक व्यक्तियों को लाभ मिलता है.

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तो यह था पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi). उम्मीद है यह निबंध आपके लिए सहायक हुआ होगा. यह निबंध को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें. मिलते है अगले निबंध. धन्यवाद.   

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पुस्तकालय पर निबंध

Essay on Library in Hindi: पुस्तकालय अर्थात पुस्तकों का घर,जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। लाइब्रेरी का हमारे जीवन में होना बहुत ही जरूरी है।

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हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में  लाइब्रेरी पर निबंध शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (250 शब्द).

प्राचीन काल से ही लाइब्रेरी चली आ रही है। पहले के जमाने में पुस्तके बहुत ही अधिक महंगी होती थी, क्योंकि पहले प्रिंटिंग मशीन नहीं हुआ करती थी, तो किताबें हाथ से लिखी जाती थी। जिसकी वजह से किताब कम भी हुआ करती थी और महंगी भी। महंगी होने की वजह से किताबों को हर कोई नहीं खरीद सकता था। इसीलिए पुस्तकालय का निर्माण किया गया, जिससे आसानी से लोग वहां पर जाकर अपनी जरूरत के हिसाब से किताबों को पढ़ सकें और उनकी सहायता से आगे बढ़ सके।

पुस्तकालय अथवा लाइब्रेरी में हमें हर तरह की किताबें मिलती हैं। चित्रकला, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, आत्मकथाएं, धर्म, जाति, इत्यादि तरह की किताबें मिलती हैं। जिसको जिस किताब की जरूरत होती है, वह अपनी जरूरत के हिसाब से किताबों का प्रयोग कर सकता है।

पुस्तकालय हर जगह मिल सकते हैं। स्कूल में छात्र छात्राओं के लिए विश्वविद्यालय में भी छात्र छात्राओं के लिए अथवा सार्वजनिक पुस्तकालय सरकार द्वारा निर्मित किए गए हैं। जिसमें हर प्रकार के बिना, भेदभाव के लोग आ जा सकते हैं और अपने ज्ञान की वृद्धि सकते हैं।

कई लोग अपने हिसाब से कुछ पुस्तकें भेंट भी करते हैं। जिसकी वजह से गरीब अथवा अन्य पिछड़े लोग उनका लाभ उठा सकें और अपनी जरूरत को पूरा कर सके अब आप अपनी पढ़ाई को पूरा कर सकें।अन्य प्रकार से किताबें हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हो रही है। इसी तरह से पुस्तकालय भी बहुत जरूरी है।

पुस्तकालय पर निबंध (850 शब्द)

जिस तरह से हमें हमारा शरीर स्वस्थ रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह से हमें अपनी पढ़ाई के लिए किताबों की आवश्यकता होती है। किताबों के बिना हमारी पढ़ाई अधूरी रह जाती है क्योंकि किताबी ज्ञान भी उतना ही जरूरी है, जितना बाहरी ज्ञान। जितना ज्ञान हमें लाइब्रेरी में मिल सकता है, उतना कहीं नहीं मिल सकता क्योंकि लाइब्रेरी में हर प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। वहां पर ग्रंथ भी उपलब्ध होते हैं इसीलिए पुस्तकालय हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है।

पुस्तकालय की उत्पत्ति कब हुई?

कई सदियों पहले पुस्तकालय का निर्माण किया गया पुस्तकालय दो शब्दों से मिलकर बना है। अगर इस का संधि विच्छेद किया जाए तो, पुस्तक + आलय मिलाकर पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी बनता है। लाइब्रेरी का निर्माण तब किया गया था, जब लोगों को किताब की बहुत ही ज्यादा जरूरत होती थी।

पहले के जमाने में प्रिंटिंग मशीन नहीं होती थी। जिसकी वजह से किताबों को हाथों से लिखा जाता था, जिसमें बहुत ही समय जाता था और किताबें महंगी भी मिलती थी। तभी लाइब्रेरी का निर्माण किया गया और वहां पर सभी किताबों को संग्रहित कर के रखा गया।

पुस्तकालय का क्या महत्व है?

लाइब्रेरी का बहुत ही अधिक महत्व है। लाइब्रेरी के बिना हमारे ज्ञान का विकास नहीं हो सकता, क्योंकि लाइब्रेरी में हमारी जरूरत के हिसाब से पुस्तकों को संग्रहित किया जाता है। जिसके चलते हम अपनी जरूरत के हिसाब से अपनी पढ़ाई को अपने ज्ञान को पूरा कर सकते हैं।

क्या पुस्तकालय सब का सच्चा दोस्त बन सकता है?

देखा जाए तो, लाइब्रेरी हम सभी का सच्चा दोस्त बन सकता है, क्योंकि पुस्तक ही इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती है। अगर आप परेशान होते हैं, तो हम अपनी परेशानी का हल किताबों में खोज सकते हैं। बस हमें ढूंढने की जरूरत होती है और हमें अपनी परेशानियों का हल मिल जाता है। इसीलिए कहा जाता है इंसान की सबसे अच्छी दोस्त किताब ही होती है।

पुस्तकालय के कितने प्रकार होते हैं?

आमतौर पर लाइब्रेरी को 4 विभागों में विभाजित किया गया है। जो कि इस प्रकार है:

  • सार्वजनिक लाइब्रेरी
  • व्यक्तिगत लाइब्रेरी
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय मे लाइब्रेरी
  • सरकारी लाइब्रेरी

पुस्तकालय से हमें क्या लाभ मिलता है?

लाइब्रेरी से हमें अनगिनत लाभ मिलते हैं। परंतु कुछ के बारे में आज हम यहां पर बात कर रहे हैं;-

  • ज्ञान की प्राप्ति होती है ;-

अगर मनुष्य को अपने ज्ञान को बढ़ाना है तो लाइब्रेरी इसमें बहुत सहयोग करती है क्योंकि वहां पर हर तरह की किताबें बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। जो किताबें हमें बाजार में भी नहीं मिल पाती, वह किताबें हमें वहां पर मिल जाती हैं और बाजार से हर कोई किताब नहीं खरीद सकता, परंतु लाइब्रेरी में जाकर अपनी जरूरत के हिसाब से किताब जरूर पड़ सकता है।

  • सबसे अच्छा साधन मनोरंजन का ;-

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य को बहुत ही मनोरंजन की आवश्यकता भी है क्योंकि वह इतना ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगे हैं, कि उन्हें हर तरह के मनोरंजन जरूरत होती है।

  • पठन – पाठन में सहयोग मिलता है ;-

पठन और पाठन के लिए कक्षा में छात्र और विद्यार्थी दोनों का होना बहुत जरूरी है। लाइब्रेरी में दोनों ही उपलब्ध होते हैं, जिससे वहां पर ज्ञान बढ़ता है। लाइब्रेरी में बिना भेदभाव के सभी को एक समान ज्ञान दिया जाता है। लाइब्रेरी में हमें हमारी बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक, शक्तियों एवं व्यक्तिगत विस्तार में बढ़ावा मिलता है।

  • बढ़ती महंगाई के चलते लोगों के लिए बना अच्छा स्रोत ;-

आजकल महंगाई इतनी बढ़ती जा रही है कि लोगों के लिए पुस्तके खरीदना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। जिसकी वजह से लोग अपनी पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। लेकिन लाइब्रेरी सबसे अच्छा स्रोत है, वहां पर एक बार महीने में शुल्क देना पड़ता है और हमें महीने भर की आवाजाही की स्वीकृति मिल जाती है। वहां पर हम अपनी इच्छा अनुसार कोई भी पुस्तक पढ़ सकते हैं।

नहीं करना चाहिए पुस्तक का दुरुपयोग

कई लोग पुस्तकों का दुरुपयोग करते हैं। वह सोचते हैं इसे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं, परंतु यह गलत है। अगर यह किताब आपके पढ़ने के काम आ रही है, तो वही किताब किसी और के भी काम आ सकती है। इसीलिए आपको किसी भी किताब का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उसको सही सलामत लाइब्रेरी में वापस कर दे, और किताबों के पेजों को भी गंदा ना करें। जिससे किसी को पढ़ाई करने में दिक्कत न हो और हमें चाहिए कि लाइब्रेरी में हम शांतिपूर्वक पड़े। जिससे लोगों को भी परेशानी ना हो पढ़ाई करने में।

हमारे भारत देश में बहुत ही अधिक लाइब्रेरी है और कोई ना कोई लाइब्रेरी हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। पुस्तकों को अथवा लाइब्रेरी को कोई भी नुकसान ना पहुंचाएं। जिसकी वजह से किसी को भी परेशानी का सामना उठाना पड़ सकें। हर किसी को ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। हमें हमारे अधिकार का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए और हर तरह से सभी को सहयोग करें।

अंतिम शब्द  

हमने यहां पर  “पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)”  शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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50, 100,200, 250, 300, & 400 Library Essay in English & Hindi

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Library Essay 50 Words in English & Hindi

The library is an oasis of knowledge, a refuge for the curious mind. Rows of books line the shelves, their spines adorned with stories waiting to be discovered. The aroma of aged paper fills the air, as patrons whisper in hushed tones. From silent study to animated discussions, the library is a sanctuary for the intellect.

Library Essay 100 Words in English & Hindi

A library is more than just a building filled with books; it is a gateway to knowledge, a sanctuary for the curious mind. Stepping into a library feels like entering a different realm. The scent of aged pages and readers’ whispers create an atmosphere of tranquility. Rows upon rows of neatly organized shelves beckon visitors to explore the vast array of literary treasures within. Whether it’s for research, leisure, or quiet contemplation, a library offers solace and inspiration. In a world saturated with digital distractions, the library remains a haven for those seeking respite. Books still transport us to new worlds and broaden our understanding of ourselves and others.

Library Essay 200 Words in English & Hindi

The library is a serene sanctuary adorned with rows upon rows of books waiting to be explored. As you enter, the scent of old paper fills your nostrils, igniting nostalgia. The hushed whispers of patrons engrossed in their reading mingle with the rustling of pages, creating a symphony of knowledge.

Shelves upon shelves are lined with countless genres, inviting you to embark on a literary adventure. Fictional tales transport you to far-off lands, while non-fiction educates and enlightens. Each book holds within its pages a world waiting to be discovered, offering an escape from reality or an opportunity for personal growth.

Libraries are a haven for solace, a place where time stands still. Soft chairs and reading nooks provide comfort, encouraging one to lose themselves in the magic of words. It is a haven for avid readers, scholars, and daydreamers alike – a place where thoughts are sparked and imagination is nurtured.

In this age of technology, the library remains a beacon of tradition and knowledge. It echoes with history, its walls adorned with stories from countless generations. It is a treasure trove of information, a sanctuary for the curious mind.

In the library, one can witness the beauty of human intellect, creativity, and imagination. It is a testament to the power of words – a place where literary journeys begin and dreams take flight.

Library Essay 350 Words in English & Hindi

The library is a magical place, filled with the scent of old books and the soft rustling of book pages. It is a sanctuary for book lovers, a haven for knowledge seekers, and a treasure trove of stories waiting to be discovered. In just a few hundred words, it is impossible to truly capture the essence of the library. However, I shall attempt to give you a glimpse into its enchanting world.

As you step through the library doors, you are immediately greeted by towering shelves lined with books of all shapes and sizes. They beckon you, inviting you to embark on a literary adventure. The atmosphere is serene, with hushed whispers and the occasional sound of a pencil scratching against paper.

The library is divided into different sections, catering to different interests and genres. There is the fiction section, a gateway to fictional realms. From the classics to the contemporary, every tale you could explore can be found within these walls. Then there are the non-fiction sections, where one can find answers to every imaginable question. History, science, art, philosophy – the library is a treasure trove of knowledge, waiting to be uncovered.

The library is not just a place for reading; it is also a space for contemplation and reflection. The comfortable chairs and tables dotted throughout the library offer a peaceful retreat for those seeking solace or inspiration. It is a place where ideas can flourish, where students can study, and where writers can let their creativity flow.

But the library is more than just books and quiet corners. It is a community, a gathering of like-minded individuals who share a love of knowledge and literature. Book clubs, reading groups, and author talks are just some of the events that bring people together within library walls. It is a place where friendships are formed, discussions are ignited, and passions are reignited.

In conclusion, the library is a haven for bookworms, a sanctuary for knowledge seekers, and a place of inspiration for writers and dreamers. It is a world of endless possibilities waiting to be explored. So the next time you enter the library, soak in its magical ambiance. Within these walls lies a world of imagination and wonder.

Library Essay 400 Words in English & Hindi

The library is a place of magical possibilities. It is a sanctuary for knowledge seekers, a haven for book lovers, and a creative hub for dreamers. From the moment you step inside, the serene ambiance envelops you, inviting you to explore the vast world contained within its shelves.

The library is a composite blend of colors, scents, and sounds that awaken the senses. The scent of aged paper mingles with the whisper of turning pages, creating a symphony of knowledge. The library is an oasis of tranquility, providing solace from the outside chaos. The hushed voices of patrons create a backdrop of soft murmurs, reminiscent of a secret society engaged in intellectual exchange.

The shelves are lined with endless rows of books, each waiting to be discovered. From fictional tales that transport you to distant lands and times, to factual accounts of history and science that enrich the mind, there is a book for everyone. The library caters to its patrons’ diverse interests and curiosities, offering a treasure trove of literature for all ages.

Libraries ignite the imagination. It houses the stories and ideas of countless authors, waiting to be explored and interpreted by readers. It is a place where dreams are born, where fiction becomes reality, and where words come to life. From rickety old ladders reaching the topmost shelves to cozy reading corners nestled amidst towering bookcases, the library provides the right setting for creative inspiration.

Beyond its physical presence, the library is more than just a building housing books. It is a symbol of knowledge, a beacon of enlightenment, and a testament to education. It embraces intellectual freedom and encourages learning thirst. The library is a cornerstone of any community, fostering a love of reading and acting as a hub for educational activities, workshops, and events.

In conclusion, the library is a sacred space that holds the key to unlimited exploration and discovery. It is a treasure trove of knowledge, creativity, and inspiration. Whether you come seeking a quiet corner to lose yourself in a book or looking to expand your horizons through educational resources, the library is the ultimate sanctuary for the mind. Every visit to the library is a journey through the senses, where words and ideas come alive.

250, 300, 400, & 450 Esai Pengembangan Diri

Essay on Organisasi Mahasiswa, Mahasiswa dan Organisasi, Pentingnya Organisasi Bagi Mahasiswa & Masuk Organisasi Mahasiswa.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
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  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
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  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
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  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
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  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
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  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
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  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
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  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
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  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
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  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
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  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
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  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
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  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Guest Essay

Tired of Sucking It Up as a Climber, I’ve Embraced a Softer Strength

An illustration of a woman sitting above the tree line on a mountain slope.

By Beth Rodden

Ms. Rodden is a professional climber and the author of the forthcoming memoir, “A Light Through the Cracks.”

I don’t know what time it was when my husband at the time, the rock climber Tommy Caldwell, finally scrambled over the summit. The sun had risen sometime during the first part of the climb and had set again hours later. I squinted up at him, tired eyes burning as I watched his shadow moving in the beam of my headlight. He had just completed the second free ascent of the Direct Route on the northwest face of Half Dome, a 2,000-foot climb in Yosemite National Park.

We were elite professional climbers, and this was what we did best. Sometimes we made history together; other times I supported him in his feats, belaying and carrying all the gear. Either way, the days were long and hard.

The climber Todd Skinner spent 61 days in 1993 working to establish the Direct Route, then considered the most difficult big wall climb in the world, before reaching the top. On our climb in 2007, our 2 a.m. wake-up, more than 24 hours earlier, hadn’t even felt all that early to me. Sleeping in past midnight? That meant what I was getting up for wasn’t that rad, that hard core. Tommy made it to the top in a day, adding a move that made the climb more difficult than the one Mr. Skinner had pioneered. It felt routine.

Hanging in the middle of Half Dome was an ordinary thing. Ascending ropes with bloody knuckles and a heavy pack thousands of feet off the ground was as conventional to me as grabbing the bananas and apples in the produce section: just part of my day. Climbers pride themselves on being better than normal people. Not just in the “I climbed a mountain and you didn’t” type of way, but in the fabric of how we approach life. How we eat, where we sleep, the stories we walk away with: It’s all better.

By the time I was in my mid-20s, I was a walking archetype of how to succeed in that world because of the belief system I followed: suck it up, persevere, win. I was used to pushing the level of climbing further, used to doing things that no other women had done — and even, a couple of times, things that no guys had done.

I specialized in free climbing, a particular (and particularly challenging) discipline that requires a climber to rely on her gear only for protection from a fall, not for any assistance in moving up the rock. I had free-climbed Yosemite’s El Capitan three times, by three independent routes. Elsewhere in Yosemite, I had established a new route in 2008, Meltdown , that was widely viewed then as the hardest traditional climb in the world, not repeated until 2018. (“Traditional” meaning I depended on a rope suspended by gear I placed myself, rather than on bolts permanently installed in the rock.) For a decade, I had appeared in climbing films and on the pages of climbing magazines. Pushing through the pain, sacrificing my body, shoving my fear away: It’s all what made me better than the rest. I liked being better than the rest.

As we stumbled to the car after that daylong effort on the Direct Route, my arms and legs felt tired, my mouth parched. I was good at this. I didn’t need to eat much food, drink much water. I was a low-maintenance girl. I always got patted on the back for not taking up too much space and being able to suffer with the best of them. There were times when I was climbing that I wept with fear, with fatigue, with regret. But when I did, I tried to hide it. I’d had that instinct from my earliest climbing days, even before I survived a days-long kidnapping during an expedition to Kyrgyzstan. After I made it home (Tommy had pushed one of the armed kidnappers off a cliff — a fall we later learned he had survived — enabling our group of four climbers to escape), I had more than doubled down. Scorning and hiding my feelings, shoving them down, felt admirable to me then. I’d been told it was strength. It felt like strength.

There wasn’t much room for women or feelings at the top of the sport back then. A handful of us were landing on the covers of magazines or vying to be the token featured woman at a climbing film festival, but I learned early on that as good as I was at actually climbing, I needed to be able to suffer to stand out. Climbing through a broken foot? Amazing, here’s a raise. Did you hear how many hours they went without food and water for the summit? Make a feature movie about them. As much as logistics and physical prowess, subscribing to the bravado was part of the job description in climbing. And for years, I was all in.

I can’t say there was one moment, a specific event that made me start to question the “suck it up, Rodden” theme song I had lived by for so long. I got divorced, and eventually remarried; I got injured over and over. After years of injuries I had a child, and that led to relearning my body. Maybe it was the scale of all those changes in my life that forced me to reconsider the way I’d always done things, or maybe I just got fed up with the facade. Why was it noble to climb through cracks on El Cap soaked with climbers’ urine, but leaking while jogging postpartum was something to be ashamed of?

Gradually, I began to question the old mentality. I began to be more open about what I found value in, and learned to share my pain and my fears with friends instead of hiding them behind a perma-smile. I started to be kinder to myself, and to be frank that, as effective as it had been for me and my career, I just didn’t see the point in suffering for the sake of a climb anymore. In letting go of that, I was surprised to find a new kind of strength — something perhaps truer and more durable than the ability to just plow through.

I am still a professional climber, though I haven’t been at the peak of the sport in a very long time. I still have goals, and I still love the feeling of trying hard and succeeding, but I love easy days at the crag with a group of girlfriends just as much. My sponsors have found value in partnering with me beyond the number grade assigned to a climb that I’ve done. Instead, we’ve realized together that none of these topics that have plagued the community for so long will go away if left in silence. Making the sport more inclusive, speaking about the ways that climbing can and should evolve as it grows in popularity, is my current project.

This past winter found me injured and on the sidelines yet again. But this time, instead of hobbling around with a crutch and a cast on my leg or having a finger splinted up, I was carrying a foam pad wherever I went, so that I could easily get into a horizontal position. Ten years after I’d given birth, my postpartum bladder prolapse symptoms had returned. Naturally, people would ask why I wasn’t climbing. Years earlier, I would have been mortified. But now I answered bluntly: “I blew out my pelvic floor .” To my surprise, most everyone would sit down, ask what that meant, how it happened, what the symptoms were, what recovery would look like.

I’m not the only one who’s changed. Climbing has come so far in the 30 years since I started in the sport. Today, instead of getting dropped by their sponsors, women can continue their careers with vigor after having children. Mental health awareness and therapy are widely accepted (which is imperative in a community that experiences so much death and trauma), and now, perhaps even conversations about vulnerabilities like perimenopause and prolapse don’t have to be hidden. I like to think we’re starting to embrace a softer kind of strength. Maybe taking care of ourselves, whatever that looks like, can now be as celebrated as dodging death for a summit.

Beth Rodden is a professional climber and the author of the forthcoming memoir, “A Light Through the Cracks.”

The Times is committed to publishing a diversity of letters to the editor. We’d like to hear what you think about this or any of our articles. Here are some tips . And here’s our email: [email protected] .

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

‘पुस्तकालय’ शब्द दो शब्दों के मिलने से बना है – ‘पुस्तक’ और ‘आलय’। पुस्तक का अर्थ – किताब और आलय का अर्थ ‘घर’ अर्थात जहाँ उपयोगी पुस्तकों का संग्रह किया जाय, उसी को पुस्तकालय कहा जाता है।

तो दोस्तों आज के HindiDeep.Com के इस Hindi Essay के आर्टिकल में आप पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी (Library) पर हिंदी में निबंध पढ़ेंगे।

आपने अभी तक कई प्रकार हिंदी निबंध हमारे ब्लॉग पर पढ़ा होगा जैसे की सत्संगति पर निबंध , सदाचार पर निबंध , विद्यार्थी जीवन के महत्व पर निबंध आदि।

अब हम आज का यह आर्टिकल पुस्तकालय पर हिंदी निबंध (Library in Hindi Essay) को शुरू करते हैं। आप यह निबंध पढ़ने के बाद निबंध कैसा कमेंट के माध्यम से जरूर बताए।

पुस्तकालय पर निबंध हिंदी में – Library Essay in Hindi Language

पुस्तकालय एक सांस्कृतिक केंद्र है जिससे ज्ञान की किरणें फुटकर जीवन को ज्योतिमर्य कर देती है, अँधेरे में जैसे दीपक उजाला फैलाता है ठीक उसी प्रकार समाज में पुस्तकालय शिक्षा को फैलाता हैं।

पुस्तकालय अज्ञानता के अंधकार को मिटाने का महत्वपूर्ण साधन हैं। पुस्तकालय ज्ञान का केन्द्र है जहाँ विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का संग्रह किया जाता है।

पुस्तकालय ऐसी जगह है, जहाँ बैठकर सभी तरह के लोग अच्छी-अच्छी पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं। पुस्तक मनुष्य के लिए सबसे निकट की सहयोगी है।

हर आदमी हर एक उपयोगी पुस्तक को खरीद नहीं सकता है। ऐसे लोगो के लिए पुस्तकालय वरदान साबित होता है। पुस्तकालय में तरह-तरह की पुस्तकें सबको बारी-बारी से उपलब्ध कराई जाती है। इससे हमें दुर्लभ ज्ञान की प्राप्ति होती हैं।

कुछ पुरातन पुस्तकें जो आज अलभ्य हो चुकी हैं, ऐसी पुस्तकों को प्राप्त करने का एकमात्र साधन पुस्तकालय ही हैं।

पुस्तकालय के प्रकार (Pustakalaya Ke Parkar in Hindi) –

मुख्य रूप से पुस्तकालय तीन प्रकार के होते हैं :

1 . व्यक्तिगत पुस्तकालय,

2 . सार्वजानिक पुस्तकालय और

3 . राजकीय पुस्तकालय

1 . व्यक्तिगत पुस्तकालय – व्यकितगत पुस्तकालय उसे कहा जाता है जिसमें पुस्तकों का संग्रह एक खास व्यक्ति करता है। कोई व्यक्ति लगातार पुस्तकों को जमा करके धीरे-धीरे पुस्तकालय का संगठन कर सकता है।

2 . सार्वजनिक पुस्तकालय – सार्वजनिक पुस्तकालय साधारण लोगों के सहयोग से खोला जाता है और उस पर समाज का अधिकार रहता है। ग्राम, शहर, मुह्हले, विद्यालय आदि में इस प्रकार के पुस्तकालय हुआ करते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय सबके लाभ को ध्यान में रखकर खोला जाता है।

3 . राजकीय पुस्तकालय – राज्य सरकार, लोगों की सुविधा के लिए अपने खर्च से, जिस पुस्तकालय का निर्माण करती है, उसे राजकीय पुस्तकालय कहा जाता हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय बड़े-बड़े शहरों में पाए जाते हैं।

स्वाध्याय के लिए पुस्तकालय बहुत आवश्यक है। जब तक हर एक गाँव में पुस्तकालय नहीं हो जाता तब तक देश में शिक्षा कर प्रचार-प्रसार वास्तविक रूप से सफल नहीं हो सकता हैं।

Final Thoughts – 

आज के इस आर्टिकल में आपने पुस्तकालय पर निबंध हिंदी भाषा में पढ़ा। मुझे पूर्ण विस्वास है की आपको यह निबंध अवश्य पसंद आया होगा।

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