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राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध Essay on National Integration in Hindi

अगर आप राष्ट्रीय एकता पर निबंध (Essay on National Integration in Hindi) की तलाश कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। इस लेख में राष्ट्रीय एकता पर निबंध बेहद ही सरल शब्दों में लिखा गया है। 

Table of Content

इस लेख में राष्ट्रीय एकता का अर्थ व परिभाषा, राष्ट्रीय एकता का महत्व, राष्ट्रीय एकता दिवस पर एक पैराग्राफ, कुछ बाधक तत्व और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उपाय व सुझाव को शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ व परिभाषा Meaning and Definitions of National Unity in Hindi

भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है, जहां विभिन्न प्रकार के धर्म, संप्रदाय, जाति इत्यादि कि लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। लोग चाहे किसी भी समुदाय से ताल्लुक रखते हो, लेकिन उनमें भाईचारा और स्नेह साफ दिखाई पड़ता है।

लोगो की विचारधाराएं, पहनावा, रहन- सहन, भाषा, खानपान इत्यादि अलग होने के बाद भी वे एक दूसरे के साथ अखंडता से रहते हैं। राष्ट्रीय एकता देश प्रेम के भाव को उजागर करता है और लोगों में आपसी भाईचारा और एकजुटता को दर्शाता है।

राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य है, कि लाख भिन्नताएं होने के बावजूद भी जब लोग किसी भी स्थिति में एक दूसरे के प्रति समर्पित हो और एकता का भाव रखते हो।

राष्ट्रीय एकता एक बहुत बड़ी शक्ति होती है, जिसके माध्यम से किसी भी देश का भविष्य निर्माण किया जा सकता है। किसी भी देश में जब लोगों में एकता का भाव घटने लगता है, तो वह देश खतरे में पड़ सकता है।

प्राचीन भारतीय संस्कृति में एकता अथवा एकजुटता  को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में पूरी दुनिया के लोगों को एक परिवार बताया गया है।

वसुधैव कुटुंबकम के माध्यम से यह कहा जा सकता है, कि पहले के समय में हिंदुस्तानी न केवल अपने खून के रिश्तो को बल्कि पूरी दुनिया को ही अपना परिवार मानते थे। हालांकि आज के समय में परिस्थितियां बहुत बदल गई हैं।

भारत ने पुर्तगाली, डच और मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक न जाने कितने विदेशी आक्रमणकारियों के दहशत भरे गुलामी में सदिया बिताई हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जब इन आतंकियों के विरोध में सभी लोग इकट्ठे विरोध प्रदर्शन में उतरे तो ब्रिटिश हुकूमत भाग खड़ी हुई।

जब देश को गुलामी से आजाद करवाने के लिए  कुछ लोग सामने आते थे, तो उन्हें मार दिया जाता था। लेकिन जब किसी के विरोध में पूरा देश खड़ा होता है, तो विपक्ष की हार होना सत प्रतिशत निश्चित हो जाता है।

यह एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, कि राष्ट्रीय एकता से जब लोग अपने आपसी भेदभाव को पीछे रख कर एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ते हैं, तो किसी भी समस्या का हल ढूंढना और भी आसान हो जाता है।

राष्ट्रीय एकता का महत्व Importance of National Integration in Hindi

किसी भी देश के निर्माण में राष्ट्रीय एकता का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इतिहास हमें शिक्षा देता है, कि जब लोग एक साथ मिलकर किसी कार्य में लगते हैं तो उसमें अवश्य सफलता प्राप्त होती है।

लोगों के एकजुट होने का सबसे गहरा प्रभाव देश के विकास पर पड़ता है। किसी भी बड़े कार्य को करने के लिए एक प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है।

जब लोग एकीकृत होते हैं, तो उनकी शक्ति भी बढ़ जाती है और सशक्तिकरण के पश्चात वे किसी भी बड़े लक्ष्य को बेहद आसानी से प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं।

जो काम कोई अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता वह एक संगठन के लिए बाएं हाथ का खेल होता है। चाहे वह युद्ध हो या फिर देश का विकास हर स्तर पर राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता पड़ती है।

जहां लोगों में राष्ट्रीय एकता नहीं होती वे समाज के विकास में अवरोधक तत्व होते हैं। अगर लोगों में वास्तव में एकता का संचार हो जाए तो देश में समय-समय पर होने वाले सांप्रदायिक दंगे और खून खराबा बहुत जल्द बंद हो जाएगा।

अक्सर लोग अपने धर्म को लेकर आपस में ही लड़ते मरते रहते हैं और समाज को भी दूषित करते हैं। यह राष्ट्रीय एकता के अभाव को दर्शाता है। साधारण बात है अगर लोगों में केवल राष्ट्र के प्रति प्रेम जागृत हो जाए तो ऐसी घटनाएं बहुत हद तक कम हो जाएंगी।

वास्तव में हम पहले इंसान हैं, उसके बाद किसी धर्म से ताल्लुक रखते हैं। राष्ट्रीय एकता का भाव धार्मिक असमानता को खत्म करके देश में विकास का एक नया आयाम प्रकट करता है।

देश में लोकतांत्रिक शासन को लाने में राष्ट्रीय एकता का बहुत बड़ा योगदान होता है। राष्ट्रीय एकता एक ऐसा मंच है, जहां सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचे की एक नई शुरुआत होती है।

राष्ट्रीय एकता का भाव लोगों में देश के प्रति वफादारी और राष्ट्रप्रेम को भी बढ़ावा देता है। अक्सर एक ही देश के कई राज्य अन्य राज्यों की तुलना में बेहद अशांत होते हैं।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लोगों में राष्ट्रीय एकता की कमी होती है। यदि सभी लोग राष्ट्रीय एकता के रंग में रंग जाए तो एक अखंड और खुशहाल देश का निर्माण किया जा सकता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर एक पैराग्राफ A Paragraph on National Unity Day in Hindi

राष्ट्रीय एकता एक ऐसी मजबूत कड़ी है, जो लोगों को आपस में जोड़े रखती है। हमारे देश में हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई , पारसी, जैन इत्यादि कई धर्मों के लोग निवास करते हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है , जहां विभिन्न धर्मों के लोग आपसी भाईचारा बनाकर रहते हैं। विभिन्नता होने के बावजूद भी राष्ट्र के प्रति एकता लोगों के बीच एक मजबूत कड़ी का निर्माण करती है।

राष्ट्रीय एकता दिवस लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में हर वर्ष मनाया जाता है। 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार पटेल ने भारत का नक्शा बदल कर रख दिया है।

यदि वे ना होते तो आज भारत को हम जिस रूप में देखते हैं, वह शायद कई खंडों में बिखरा होता। राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत 31 अक्टूबर 2014 के दिन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी द्वारा किया गया था।

राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने से देश में लोगों और मुख्यता युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना का उद्गम होता है। इस खास दिन पर सभी लोग वल्लभ भाई पटेल को याद करके उनका आभार मानते हैं।

सरदार पटेल ने आजादी के पश्चात 565 देसी रियासतों को मिलाकर एक अखंड भारत का निर्माण किया था। यदि आज पूरे भारत में देश का तिरंगा लहराता है, तो वह सरदार पटेल के अद्वितीय संघर्षों की देन है।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर हर भारतीय को संगठित होने का एक महत्वपूर्ण संदेश पहुंचता है। लोगों को एकीकृत होने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एकता के बाधक तत्व elements of national unity in Hindi

वर्तमान समय में हिंदुस्तान में ऐसे कई कट्टर मानसिकता वाले लोग रहते हैं, जो कभी नहीं चाहते कि लोगों में राष्ट्रीय एकता का विकास हो। यह लोग देश के लिए आस्तीन के सांप स्वरूप होते हैं, जो देश को तोड़ने की बातें करते हैं।

देश विरोधी नारा लगाकर नापाक कोशिशें करते हैं कि लोगों में अधिक से अधिक मतभेद उत्पन्न किया जा सके। ऐसे लोग हमारे नापाक पड़ोसी देशों के साथ मिलकर भारत की अखंडता को मिट्टी में मिला देने की भावना रखते हैं।

राष्ट्रीय एकता के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक तत्व लोगों की धार्मिक असमानता और मतभेद है। विभिन्न संस्कृति और विचारधारा होने के कारण समाज में कई बार धार्मिक कट्टरता देखी जाती है। धार्मिक कट्टरता समाज के विकास में बाधा डालती है।

सैकड़ों जाति, संप्रदाय और मजहब में बटे हुए लोग केवल अपने धर्म विशेष को श्रेष्ठ बताते हैं और दूसरों की निंदा करते हैं। ऐसी मानसिकता के आड़ में लोग न केवल राष्ट्रीय एकता को चुनौती देते हैं, बल्कि देश की अखंडता पर भी प्रश्न करते हैं।

कई बार संकीर्ण मानसिकता वाले लोग अपनी रोटी सेकने के लिए दो गुटों को आपस में ही लड़वा देते हैं। चाहे वह राजनीतिक कारण हो या फिर धार्मिक अपना मुनाफा कमाने के लिए ऐसे लोग देशद्रोह करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

भारत के टुकड़े होने का सपना देखने वाले यह लोग देश के विकास के लिए अवरोधक तत्व है। हर समय लोगों को आपस में लड़ाने, उनके बीच मतभेद की खाड़ी को और भी गहरा करने का अवसर  तलाशते यह लोग राष्ट्रीय एकता में बहुत बड़े बाधक तत्व है।

अटल बिहारी बाजपेई जी ने कहा था, कि दुश्मन को तो बदला जा सकता है लेकिन पड़ोसी के स्थान को कभी भी परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। यह बात सत्य है, कि भारत के पड़ोसी मुल्क हमेशा भारतीयों के बीच मतभेद पैदा करने से बाज नहीं आते हैं।

धार्मिक कट्टरता की आड़ में यह नापाक मुल्क देश की एकता को खंडित करने का मौका  ढूंढते रहते हैं। यदि हमारे पड़ोसी देश आतंकवाद के आधार पर किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देंगे तो उनकी सीमाओं से लगने वाले देश के अन्य राज्यों में भी अशांति का माहौल फैलेगा जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ने से रुकेगा।

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उपाय व सुझाव Measures and Suggestions to Promote National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले लोगों के बीच भावनात्मक मतभेदों को उजागर करके उसका हल ढूंढना होगा। सर्वप्रथम लोगों के मन में जो दूसरे धर्म, संप्रदाय और जाति को लेकर गहरी खाई बनी हुई है, उसे सुधारना पड़ेगा।

लोगों में एकजुटता के भाव को निर्मित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा को देना बंद करना  होगा। क्योंकि अगर लोगों को केवल एक धर्म के विषय में ही पढ़ाया जाए तो वे दूसरे धर्म को तुच्छ समझेंगे और उनकी इज्जत नहीं करेंगे। सभी के लिए शिक्षा का विकल्प केवल शैक्षणिक संस्थान ही होना चाहिए।

आज सभी स्कूल और कॉलेजों में मुगलो और अंग्रेजों के विषय में बच्चों को शिक्षा दी जाती है। उन्हें यह नहीं बताया जाता कि हमारे महान पूर्वजों ने एकजुट होकर किस प्रकार उनका सामना किया और अपने मातृभूमि की रक्षा की थी।

इसके उपचार के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीयता और एकता के संदेशों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

जब लोगों को उनके वास्तविकता से परिचित करवाया जाएगा तब उन्हें यह एहसास होगा कि राष्ट्रीय एकता उनके खून में ही मौजूद है। लोग महापुरुषों के बलिदान को याद करके भावनात्मक रूप से भी एकीकृत हो सकेंगे।

अपराध करने वाले को समान सजा दी जाए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या मजहब से ताल्लुक रखता हो। देश में कानून को सुचारू रूप से चलाने के लिए समान सिविल संहिता लाने की आवश्यकता है। एक ऐसा कानून जो देश के हर नागरिक पर समान रूप से लागू होता हो।

लोगों को धर्म से ऊपर उठकर एकीकृत करने के लिए उन्हें जागृत करना होगा। विभिन्न जगहों पर राष्ट्रीय एकता को उजागर करने के लिए अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। जिससे काफी हद तक लोगों को संगठित किया जा सकता है।

वास्तव में कोई भी धर्म अथवा मजहब एक दूसरे से बैर का भाव रखना नहीं सिखाता है। लोगो में दूसरे धर्म के प्रति काफी कट्टरता भरी हुई है। जब तक लोगों के बीच इस विचारधारा को नष्ट नहीं किया जाएगा, तब तक राष्ट्रीय एकता को बल नहीं मिल सकता है।

इसके उपाय के लिए लोगों को जागृत करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाना चाहिए, जिसमें सभी धर्मों को मान्यता दी जाए।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में हमने हिंदी में राष्ट्रीय एकता पर निबंध (Essay on National Integration in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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दा इंडियन वायर

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध

essay on national integration in hindi

By विकास सिंह

national integration essay in hindi

राष्ट्रीय एकीकरण (National Integration) किसी भी देश में एकता और अखंडता को बनाए रखने के साथ-साथ एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने के लिए नागरिकों द्वारा महसूस की गई एकजुटता और एकता है। एकीकरण में मनुष्य एक दुसरे की जात पात, धर्म आदि को नहीं देखते हैं।

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, 100 शब्द:

राष्ट्रीय एकीकरण को राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय एकीकरण दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह देश के लोगों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक और साथ ही असमानताओं के अंतर को कम करने का एक सकारात्मक पहलू है। यह किसी भी समूह, समाज, समुदाय और पूरे देश के लोगों के बीच एक दिन राष्ट्रीय एकता लाने के लिए एकता को मजबूत करने का वादा करता है।

यह किसी भी प्राधिकरण द्वारा नहीं किया जाता है, हालांकि यह लोगों से हमारे देश को एक विकसित देश बनाने का अनुरोध है। यह लोगों की एकता और सद्भाव से ही संभव है। उन्हें अपने भावनात्मक बंधन को बढ़ाने के लिए अपने विचारों, मूल्यों और अन्य मुद्दों को साझा करना चाहिए। लोगों को विविधता के भीतर एकता को महसूस करना और जीना चाहिए और हमारी राष्ट्रीय पहचान को सर्वोच्च शक्ति बनाना का प्रयास करना चाहिए।

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, 150 शब्द:

इस देश में व्यक्तिगत स्तर के विकास को बढ़ाने और इसे एक मजबूत देश बनाने के लिए भारत में राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत महत्व है। लोगों को इसके प्रति पूरी तरह से जागरूक करने के लिए, इसे हर साल 19 नवंबर (पहली महिला भारतीय प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी की जन्मदिन) के रूप में राष्ट्रीय एकता दिवस (राष्ट्रीय एकता दिवस) और 19 नवंबर से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

एकीकरण का वास्तविक अर्थ एक बनाने के लिए विभिन्न भागों का संयोजन है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों, भारतीय संस्कृति , परंपरा, जाति, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रह रहे हैं। इसलिए, राष्ट्रीय एकीकरण करने के लिए भारत में लोगों का एकीकरण होना चाहिए।

यदि विभिन्न धर्मों और संस्कृति के लोग एकजुट होकर रहते हैं, तो कोई सामाजिक या विकासात्मक समस्या नहीं होगी। इसे भारत में विविधता में एकता के रूप में जाना जाता है, हालांकि यह सच नहीं है लेकिन हमें (देश के युवाओं) इसे संभव बनाना होगा

राष्ट्रीय एकीकरण पर लेख, 200 शब्द:

भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस 19 नवंबर को हर साल सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में जनता के बीच अधिक जागरूकता के लिए, भारत सरकार द्वारा 19 से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकता सप्ताह के रूप में मनाने के लिए एक पूरे सप्ताह के कार्यक्रम को भी लागू किया गया है।

भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, नस्लों, धर्मों, जातियों और पंथों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यह अनदेखी नहीं की जा सकती है कि यह अभी भी विकासशील देशों के अंतर्गत आता है क्योंकि यहां रहने वाले लोगों की सोच में विविधता है।

यहां रहने वाले लोग अपनी संस्कृति और धर्म के अनुसार अलग-अलग सोचते हैं जो व्यक्ति और देश के विकास में बाधा का एक बड़ा मुद्दा है। भारत विविधता में एकता के लिए प्रसिद्ध है लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि यहां के लोग विकास के लिए दूसरों की राय मानने को तैयार नहीं हैं।

हर कोई हमेशा यहाँ कोशिश करता है कि उसका धर्म दूसरों की तुलना में सबसे अच्छा है और वह जो भी करता है वह हमेशा महान होता है। यहां रहने वाले अलग-अलग जातियों के लोग शारीरिक, भावनात्मक, तर्क-वितर्क करते हुए, कई तरीकों से बहस करते हुए उन्हें केवल अपने फायदे के लिए सर्वश्रेष्ठ साबित करते हैं।

वे कभी भी अपने देश के बारे में सोचकर एक साथ नहीं होते। वे कभी नहीं सोचते हैं कि हमारे देश का विकास केवल सभी की व्यक्तिगत और एकल पहचान के विकास और विकास के साथ संभव नहीं है बल्कि सभी की एकीकृत पहचान के साथ ही यह संभव है।

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, 250 शब्द:

राष्ट्रीय एकता भारत की एकल पहचान “लोगों की एकता” के रूप में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच एकता लाने की एक प्रक्रिया है। यह समाज में असमानता और अन्य सामाजिक मुद्दों जैसे विविधता, नस्लीय भेदभाव, आदि को दूर करने के साथ-साथ एकजुटता और एकता को मजबूत करने का एक और एकमात्र तरीका है।

भारत एक बहु-जाति और बहु-भाषी देश है जहाँ विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं और विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं। वे अपने स्वयं के रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं जो उनके धर्म के अनुसार हैं। भारत में न केवल धर्मों, जातियों, पंथों, रंगों और संस्कृतियों के लोगों के बीच विविधता है, बल्कि सोच की विविधता भी है जो भारत में अनुचित विकास का एक बड़ा मुद्दा है।

भारतीय लोगों में विघटन की एक उच्च डिग्री मौजूद है जो सांप्रदायिक और अन्य समस्याओं के साथ यहां एक बुरा वर्तमान परिदृश्य बनाते हैं। भारत में विघटन के कारण, हमने 1947 में भारत में विभाजन, 1992 में बाबरी मस्जिद को नष्ट करने, मुस्लिम और हिंदू धर्म के लोगों के बीच दंगे जैसी कई सामाजिक समस्याओं का सामना किया है।

अस्पृश्यता की बाधा, भाषा का अवरोध, स्थिति अवरोध और अन्य सामाजिक अवरोध हमें पीछे खींच रहे हैं। विविधता में कृत्रिम एकता लाने के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न नियमों और विनियमों की योजना बनाई गई है और उन्हें लागू किया गया है, लेकिन यह केवल मानव मन है जो लोगों में विविधता में प्राकृतिक एकता ला सकता है।

राष्ट्रीय एकीकरण की कमी के कारण यहाँ उत्पन्न होने वाले सभी सामाजिक मुद्दे हैं। हम सभी को इस राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता और आवश्यकता, वास्तविक अर्थ और उद्देश्य को समझना चाहिए। हमें अपने देश के अंतिम विकास के लिए भारत सरकार द्वारा समान रूप से सभी नियमों और विनियमों का पालन करना चाहिए।

राष्ट्रीय एकीकरण की चुनौतियां, 300 शब्द:

भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ लोग अपनी अनूठी संस्कृति और जीवन शैली के विविध पहलुओं के साथ रहते हैं। जाहिर है, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हमें अपने जीवन में राष्ट्रीय एकीकरण के अर्थ को समझने और अपने देश की एकल पहचान देने के लिए हर चीज का पालन करने की आवश्यकता है।

भारत में लोग विभिन्न जातियों, नस्लों, धर्मों, समुदायों और सांस्कृतिक समूहों से संबंधित हैं और वर्षों तक एक साथ रहते थे। धर्मों, जातियों और पंथों की विविधता ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है जो यहां एक समग्र संस्कृति के रूप में उत्पन्न होती है, हालांकि यह बहुत स्पष्ट है कि भारत में हमेशा राजनीतिक एकता का अभाव रहा है।

1947 में भारतीय इतिहास में केवल एक बार राजनीतिक एकता प्राप्त हुई जब ब्रिटिशों को यहां से जाने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने यहाँ विभाजित करने और शासन करने के लिए विभिन्न प्रकार की नियोजित नीतियों का पालन किया था लेकिन अंत में वे असफल हो गए।

सांस्कृतिक एकता, रक्षात्मक निरंतरता, भारतीय संविधान , कला, साहित्य, सामान्य आर्थिक समस्याएं, राष्ट्रीय ध्वज , राष्ट्रीय त्योहार , राष्ट्रगान और राष्ट्रीय प्रतीक जैसे कुछ बिंदु भारत में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे रहे हैं। विभिन्न धर्मों और मामलों से होने के बजाय हमें यह मानना ​​चाहिए कि सभी एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए एक हैं।

हमें भारत में विविधता में एकता के वास्तविक अर्थ को समझने की आवश्यकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि नस्लीय और सांस्कृतिक समानता के कारण इस तरह की एकता होनी चाहिए, इसका मतलब है कि यहाँ महान मतभेदों के बजाय एकता होनी चाहिए।

भारत को दुनिया भर में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में गिना जाता है, जहां एक हजार छह सौ बावन भाषाएँ बोली जाती हैं और दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों के लोग एक साथ यहाँ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद हमें बिना किसी राजनीतिक या सामाजिक संघर्ष के शांतिपूर्वक एक-दूसरे के साथ यहां रहना चाहिए। हमें इस महान देश में एकता का आनंद लेना चाहिए जहां राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सब कुछ विविध है।

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, 400 शब्द:

भारत लोगों की नस्लों, धर्मों, भाषाओं, जातियों, आदि में विविधता का एक देश है, लेकिन ब्रिटिश शासन से आज़ादी के लिए आम क्षेत्र, इतिहास और निरंतर लड़ाई के प्रभाव में कई बार एकता यहाँ भी देखी जाती है। अंग्रेजों ने भारत पर अपनी सत्ता कायम रखने के लिए भारत में फूट डालो और राज करो की नीति का कई वर्षों तक पालन किया।

विभिन्न जातियों, धर्मों से भारतीय लोगों की एकता अंग्रेजों को भगा सकती है। हालांकि, स्वतंत्रता के बाद विघटन हुआ जिसने भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया। भारतीय विभिन्न धार्मिक समुदायों जैसे हिंदू, सिख, मुस्लिम, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारस की भूमि है।

यहाँ राष्ट्रीय एकीकरण तभी संभव है जब प्रत्येक समुदाय एक साथ शांति से रहें, दूसरे समुदाय की सराहना करें, दूसरे समुदाय के लोगों से प्यार करें और दूसरों की संस्कृति और परंपरा का सम्मान करें। प्रत्येक समुदाय के लोगों को अपने मेलों, त्योहारों और अन्य महान दिनों को शांति से देखना चाहिए।

प्रत्येक समुदाय को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और धार्मिक त्योहारों के उत्सव को साझा करना चाहिए। किसी भी धार्मिक समुदाय को कुछ भी बुरा नहीं करना चाहिए जो अन्य धार्मिक समुदाय में प्रतिबंधित या निषिद्ध है। विभिन्न धर्मों के लोग हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, उड़िया, बंगाली, असमिया, गुजराती, मराठी, पंजाबी आदि विभिन्न भाषाओं को बोलते हैं।

सभी धर्मों के लोगों में समानता होनी चाहिए और सभी जातियों के छात्रों के लिए समान सुविधा होनी चाहिए। भारत में राष्ट्रीय एकीकरण देश के अंतिम विकास के लिए सभी जातियों के लोगों में समानता लाने और सभी समुदायों के समान विकास और विकास के लिए आधुनिक समय में एक तत्काल आवश्यकता है।

भारत सरकार ने इस उम्मीद में राष्ट्रीय एकता परिषद की स्थापना की है कि यहाँ रहने वाले लोग इसके सभी कार्यक्रमों के उद्देश्य को पूरा करने में सहयोग करेंगे। राष्ट्रीय एकीकरण एक एकल पहचान बनाने के लिए राष्ट्र के रहने वाले सभी लोगों का एक समूह है।

राष्ट्रीय एकीकरण एक विशेष भावना है जो लोगों को धर्म, जाति, पृष्ठभूमि या भाषा को ध्यान दिए बिना राष्ट्र के एक सामान्य बंधन में बांधती है। हमें खुद को भारत के लोगों के रूप में पहचानना चाहिए न कि किसी विशेष धर्म या जाति से। भारत विभिन्न पंथों और जातियों की विशाल आबादी वाला एक बड़ा देश है।

यह एक विरासत वाला समृद्ध देश है लेकिन हम इसे लोगों की एकता वाला देश नहीं कह सकते। यह देश के युवाओं की भारी जागरूकता से संभव है। एक युवा के रूप में, हम अपने देश का भविष्य हैं, इसलिए हमें अपने राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से समझना चाहिए और राष्ट्रीय एकीकरण के लिए आवश्यक सभी आवश्यक गतिविधियों को करना चाहिए।

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध, 800 शब्द:

प्रस्तावना:.

राष्ट्रीय एकीकरण से तात्पर्य किसी देश के नागरिकों में एकता और एकता की भावना से है। यह जाति, पंथ, रंग और धर्म में अंतर के बावजूद एक होने की मान्यता है। किसी देश की शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण अत्यंत आवश्यक है।

एक ऐसा देश जहां लोग एक-दूसरे के साथ रहते हैं, एक व्यक्ति की तुलना में विकास और विकास की बेहतर संभावनाएं हैं जहां लोगों में एकता की कमी है। नागरिकों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देने और बढ़ावा देने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।

राष्ट्रीय एकता का महत्व:

किसी भी राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकीकरण का अत्यधिक महत्व है। यह लोगों को करीब लाने में मदद करता है और समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देता है। यह एक शांतिपूर्ण राष्ट्र का आधार है। नागरिकों को सुरक्षित और सुरक्षित माहौल देने के लिए राष्ट्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को इसे अपने कर्तव्य के रूप में लेना चाहिए। जब व्यक्ति सुरक्षित महसूस करते हैं तभी वे समृद्ध और विकसित हो सकते हैं। यह इस प्रकार एक राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।

भारत सहित कई तीसरी दुनिया के देश राष्ट्रीय एकीकरण की कमी के कारण पहले विश्व देशों के बराबर नहीं आ सके हैं। इन देशों में लोग एक-दूसरे को नीचे खींचने में इतने तल्लीन हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे इस आयोजन में अपनी वृद्धि को रोक रहे हैं। वे अपने क्षुद्र मुद्दों के लिए लड़ते रहते हैं और बड़ी तस्वीर को देखने में असमर्थ होते हैं। उनमें समग्र रूप से राष्ट्र को देखने की क्षमता का अभाव है।

ऐसे मुट्ठी भर लोग अपने आस-पास के लोगों को उकसाते हैं और समूहों का निर्माण करते हैं जिससे लोगों में घृणा को बढ़ावा मिलता है जो राष्ट्रीय एकीकरण के लिए खतरा है जो बदले में देश की शांति और सद्भाव के लिए खतरा है। सरकार को यहां हस्तक्षेप करना चाहिए और लोगों को नफरत की भावना से दूर करने और राष्ट्रीय एकता की दिशा में योगदान करने के बारे में जागरूक करना चाहिए।

हालाँकि, कई ऐसे राष्ट्रों की सरकार अक्सर इस मुद्दे की उपेक्षा करती है और इस मुद्दे को अनदेखा कर देती है जिससे विघटन को बढ़ावा मिलता है।

राष्ट्रीय एकता सप्ताह:

19 नवंबर को वर्ष 2013 से भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह देश की पहली महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है। 19 नवंबर से शुरू होकर 25 नवंबर तक पूरा सप्ताह देश के राष्ट्रीय एकीकरण के लिए समर्पित रहा है। इसे राष्ट्रीय एकता सप्ताह या कौमी एकता सप्ताह कहा जाता है।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता सप्ताह की शुरुआत देश के नागरिकों के बीच भाईचारे और एकता को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। इस सप्ताह को मनाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राष्ट्रीय एकता शिविर, राष्ट्रीय युवा महोत्सव और अंतर्राज्यीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम इस सप्ताह का आनंद लेने और हमारे देश के लोगों के बीच एकता को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित कुछ घटनाओं में से एक हैं।

इसके अलावा, लोगों को करीब लाने और उनके मतभेदों को प्रसारित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।

भारत में राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कारक:

हालाँकि हम गर्व से कहते हैं कि भारत विविधता के बीच एकता का देश है, लेकिन हम जानते हैं कि यह पूरी तरह से सच नहीं है। भारत सरकार राष्ट्रीय एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रही है, फिर भी यह अक्सर कम होता जाता है। हमारे देश में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के कई उदाहरण हैं और उसी के कारण कई निर्दोष लोगों को जीवन भुगतना पड़ा है।

कई कारक हमारे देश के राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करते हैं। इसके प्रभाव वाले मुख्य कारक निम्नानुसार हैं:

जाति: भारत में जाति व्यवस्था ने लोगों को किसी भी चीज़ से अधिक विभाजित किया है। प्राचीन काल से, लोगों को चार अलग-अलग जातियों में विभाजित किया गया है जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र शामिल हैं। ब्राह्मण और क्षत्रिय जैसे उच्च जातियों के लोग नीची जातियों से संबंधित हैं। इसने कई संघर्षों और झगड़ों को जन्म दिया है। धर्म: हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और उनमें से प्रत्येक यह साबित करने के लिए दृढ़ है कि उसका धर्म और भाषा दूसरे से श्रेष्ठ है। यह विघटन का दूसरा कारण है। आर्थिक विषमता: हमारे देश के नागरिकों में भारी आर्थिक असमानता है। यह लोगों के बीच विभाजन का एक और कारण है और राष्ट्रीय एकीकरण में बाधा है।

राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव:

राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता भारत जैसे देश में काफी महसूस की जाती है क्योंकि यह विभिन्न जातियों, पंथों और धर्म से संबंधित लोगों के लिए घर है। भारत में प्रत्येक धार्मिक समूह और जाति का मानना ​​है कि यह दूसरे से बेहतर है और इसे उचित सम्मान और विशेषाधिकार नहीं मिल रहे हैं। अपनी श्रेष्ठता साबित करने के प्रयास में, वे अक्सर अन्य समूहों के साथ लड़ाई में पड़ जाते हैं। यह देश के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता है। शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए धर्म, जाति और संस्कृति के नाम पर लड़ाई को रोकना और खुद को एक के रूप में देखना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय एकीकरण एक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसी की आवश्यकता महसूस की जा रही है लेकिन इसे प्रोत्साहित करने के प्रयास भारत में उतने सफल नहीं हुए हैं। हमारे देश के लोगों में अभी भी बहुत अधिक असमानता और नफरत है। सरकार को राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए और लोगों को राष्ट्र को मजबूत बनाने और आने वाली पीढ़ियों को बेहतर भविष्य देने के लिए इसका समर्थन करना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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राष्ट्र एकीकरण पर निबंध

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रुपरेखा : राष्ट्रीय एकीकरण - राष्ट्रीय एकीकरण दिवस - भारत के लोग - विविधता में एकता का नाश - राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य - भारत सरकार द्वारा नियम - राजनीतिक एकता - उपसंहार।

राष्ट्रीय एकीकरण

राष्ट्रीय एकीकरण को राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहा जाता है। देश के लोगों के बीच असमानता के साथ ही समाजिक संस्कृति और अर्थशास्त्र के भेदभाव को घटाना इसका एक सकारात्मक पहलू है। देश में राष्ट्रीय एकता लाने के लिए किसी समूह, समाज, समुदाय और पूरे देश के लोगों के बीच एकता को मजबूती देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। किसी सत्ता के द्वारा ये कोई दबाव नहीं है बल्कि भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए ये लोगों से आग्रह करता है। ये केवल लोगों के बीच एकता होने पर ही संभव होगा। अपने भावनात्मक संबंध को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने विचार, मूल्य और दूसरे मुद्दों को बाँटना चाहिये। लोगों को विविधता के अंदर एकता को जीना और महसूस करना चाहिये और अपने राष्ट्र की पहचान पुरे विश्व में बनानी चाहिये।

राष्ट्रीय एकीकरण दिवस

इस देश में व्यक्तिगत स्तर पर विकास को बढ़ाने के लिए भारत में राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत महत्व है और ये भारत को एक मजबूत देश बनाता है। पूरी तरह से लोगों को इसके प्रति जागरुक बनाने के लिए, 19 नवंबर से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण दिवस और राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह अर्थात् कौमी एकता सप्ताह के रुप में 19 नवंबर जिस दिन भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म दिवस होता है, इस तारीख हर वर्ष एक कार्यक्रम के रुप में मनाया जाता है। एकीकरण का वास्तविक अर्थ है अलग-अलग भागों को एक बनाने के लिए जोड़ना।

भारत के लोग

भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्म, क्षेत्र, संस्कृति, परंपरा, नस्ल, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। इसलिए, राष्ट्रीय एकीकरण बनाने के लिए भारत में लोगों के बीच एकीकरण रहना जरुरी है। एकीकरण के द्वारा अलग-अलग धर्मों और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं, वहाँ पर कोई भी सामाजिक या विकासात्मक समस्या नहीं होगी। भारत में इसे विविधता में एकता के रुप में जाना जाता है। भारत में, हर साल 19 नवंबर को एक सामाजिक कार्यक्रम के रुप में राष्ट्रीय एकीकरण दिवस को देखा जाता है। राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में लोगों के बीच अधिक जागरुकता फैलाने के लिए, 19 से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह के रुप में वार्षिक तौर पर देखे जाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा एक पूरे सप्ताह का कार्यक्रम भी लागू किया गया है। भारत एक ऐसा देश है जो अपने विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, नस्ल, धर्मों, जाति और पंथ के जाना जाता है लेकिन इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि यहाँ निवास कर रहे लोगों की सोच में विविधता के कारण ये अभी भी विकासशील देशों में आता है।

विविधता में एकता का नाश

भारत अपनी विविधता में एकता के लिए प्रसिद्ध है लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि विकास के लिए दूसरे के विचार को स्वीकार करने के लिए लोग तैयार नहीं है। यहाँ सभी को अपना धर्म ही सबसे बेहतर लगता है और जो भी वो करते हैं वही ठीक है। अपने खुद के फायदे के लिए केवल खुद को अच्छा साबित करना सिख रहे है। यहाँ रह रहे विभिन्न नस्लों के लोग आपस में शारीरिक, भावनात्मक, बहस और चर्चा आदि के द्वारा लड़ते हैं। अपने देश के बारे में एक साथ होकर वो कभी नहीं सोचते हैं। वो कभी नहीं सोचते कि हमारे देश का विकास केवल व्यक्तिगत वृद्धि और विकास के साथ ही संभव है।

राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य

भारत की एक पहचान बनाने के लिए अलग धर्मों के लोगों के बीच एकता को लाने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण एक प्रक्रिया है। समन्वय और एकता की मजबूती के साथ ही समाज में असमानता और दूसरे सामाजिक मुद्दे जैसे विविधता, नस्लीय भेद-भाव आदि को हटाने के लिए ये एक और एकमात्र रास्ता है। भारत एक बहु-जातिय और बहु-भाषायी देश है जहाँ विभिन्न जाति के लोग एक साथ रहते हैं और अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। वो अपनी प्रथा और परंपरा अपने धर्म के अनुसार निभाते हैं। भारत में लोगों के बीच केवल धर्म, जाति, पंथ, रंग और संस्कृति से ही विविधता नहीं है बल्कि सोच में भी विविधता दिखाई देती है जो भारत में अनुचित विकास का एक बड़ा विषय है। ये सभी कारणों से देश की विकास न रुके यही राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य है।

भारत सरकार द्वारा नियम

भारतीय लोगों के बीच अलगाव की एक उच्च स्थिति है जो सांप्रदायिक और दूसरी समस्याओं के साथ यहाँ एक बुरा छवि बनाती है। भारत में अलगाव के कारण, हम लोगों ने कई सामाजिक समस्याओं का सामना किया जैसे 1947 में भारत का बँटवारा, 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस, हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगे आदि। अस्पृश्यता की बाधा, भाषा की बाधा, सामाजिक स्थिति की बाधा और दूसरी सामाजिक बाधाएँ हमें विकास से पीछे ले जा रहीं हैं। विविधता में एकता लाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा बहुत सारे नियम-कानून लागू किये गये हैं। मानव दिमाग है जो लोगों के बीच विविधता में स्वाभाविक एकता ला सकता है। राष्ट्रीय एकीकरण में कमी के कारण यहाँ सभी सामाजिक समस्याओं का उदय हो रहा है। हम सभी को इस राष्ट्रीय एकीकरण के वास्तविक अर्थ, उद्देश्य और जरुरत को समझना चाहिये। अपने देश के मुख्य विकास के लिए भारतीय सरकार द्वारा सभी नियम-कानूनों को स्वीकार करना चाहिए।

राजनीतिक एकता

भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ अपनी अनोखी संस्कृति और विविध जीवनशैली को मानने वाले विरोधी लोग भी रहते हैं। ये बहुत ही साफ है कि हमें हमारे जीवन में राष्ट्रीय एकीकरण के अर्थ को समझने की जरुरत है और अपने देश को एक पहचान देने के बारे में सोचना होगा। भारत में लोग विभिन्न धर्म, जाति, समुदाय, नस्ल और सांस्कृतिक समूह से संबंध रखते हैं और वर्षों से एक साथ रह रहें हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को विविध धर्म, जाति और पंथ ने समृद्ध बनाया हुआ है जिसने यहाँ पर एक मिश्रित संस्कृति को सामने रखा है हालाँकि ये बहुत ही साफ है कि भारत में हमेशा राजनीतिक एकता की कमी रही है। भारत में केवल एक बार राजनीतिक एकता दिखाई दी थी जब सभी ने मिलकर 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया गया था। अंग्रेजों ने यहाँ कई प्रकार से बाँटे और राज करो की नीति अपनाई थी हालाँकि, इसमें वो बाद में असफल हो गये थे। कुछ बिंदु जैसे सांस्कृतिक एकता, रक्षात्मक निरंतरता, संविधान, कला, साहित्य, सामान्य आर्थिक समस्याएँ राष्ट्रीय ध्वज़, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जाता है।

अलग धर्म और जाति होने के बावजूद हमें पहचाना चाहिये कि एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने के लिए हम सब एक हैं। हमें भारत में विविधता में एकता का वास्तविक मतलब समझना चाहिये। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि अखंडता की प्रकृति यहाँ पर नस्लीय और सांस्कृतिक समानता के कारण होनी चाहिये। बल्कि इसका मतलब है कि इतने अंतर के बावजूद भी एकात्मकता है। पूरे विश्वभर में दूसरी सबसे बड़ी जनसंखया वाले देश के रुप में भारत को गिना जाता है, जहाँ पर 1652 भाषाएँ बोली जाती हैं और विश्व के सभी मुख्य धर्म के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद भी हमें बिना किसी राजनीतिक और सामाजिक विरोधाभास के शांति से एक-दूसरे के साथ रहना चाहिये। हमें इस महान देश में एकता का आनंद उठाना चाहिये जहाँ राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सबकुछ विविधता है।

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National Integration Speech & Essay in Hindi

राष्ट्रीय एकता का महत्व व आवश्यकता पर निबंध – Essay & Speech on National Unity in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर निबंध – national unity  essay  in hindi.

National Integration in Hindi

National Integrity Unity in Hindi : “ राष्ट्रीय  एकता” वह शक्ति है जिसके बल पर कोई देश, समाज, सम्प्रदाय उन्नति करता है | एकता के बल पर ही अनेक राष्ट्रों का निर्माण होता है | एकता एक महान शक्ति है | और ‘राष्ट्र’ उस सूक्ष्म और व्यापक भावना का नाम है, जो किसी विशेष भूभाग पर बसे देश और उसके वासियों की अनेकता में एकता बनाए रखने में समर्थ हुआ करती है | ये दोनों मिलके वास्तव में राष्ट्रीय एकता कहलाती है |

इस राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने के लिए उस देश में रहने वाले राष्ट्र – जन का जागरूक, समझदार, सहनशील और उदार ह्रदय आवश्यक है | प्रत्येक वर्ग को यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि देश रहेगा, राष्ट्र रहेगा तभी सबका अस्तित्व रह पाएगा | राष्ट्रीय एकता के लिए एकत्व या एकता की भावना पहली एवं अनिवार्य शर्त है |

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता व महत्व – Need and importance of national integration in Hindi

हमारा देश भारत सभी स्तरों पर विविधताओं वाला देश है | स्वयं प्रकृति ने ही इसे अनेक प्रकार की विविधतायें प्रदान कर रखी है | भारत देश की भूमि पर कहीं तो मीलों तक मैदान है और कहीं घने जंगल, कहीं हरी – भरी और बर्फानी पर्वतमालाएं है तो कहीं लंबे – चौड़े रेगिस्तान | कहीं पानी ही पानी है, हरियाली ही हरियाली तो कहीं रूखा – सूखा वातावरण ! प्रकृति की इस विविद्ता के कारण यहाँ अनेक भाषायें और बोलियाँ बोली, पढ़ी और लिखी जाती है |

खान – पान, रहन – सहन, वेश – भूषा में भी विविधता और अनेकता है | प्राय: राष्ट्रीय पर्व, उत्सव – त्योहार, व्रत – उपवास है तो समान, पर उन्हें मनाने के रंग ढंग में स्थानीयता अवश्य देखी जा सकती है |

कई और प्रकार के उत्सवों आदि का स्थानीय, धर्म पर जातिगत महत्त्व भी अवश्य है पर अन्य धर्मों या जातियों के लोग उन्हें मनाने पर एतराज न कर साथ मिलकर मनाने में सहयोग ही प्रदान करते है | इसी प्रकार अनेक और भिन्न नामों से पुकारे जाने पर भी हम सब अपने – आपको एक ही ईश्वर की संतान मानते है |

इस विविधता और अनेकता में व्यापक स्तर पर परिव्याप्त एकता का कारण क्या है ? वह कारण एकमात्र यही है कि कुल मिलकर हम अपने को भारत राष्ट्र का वासी और अपनी राष्ट्रीयता को भारतीय कहने – मानने में गर्व – गौरव का अनुभव करते है | यह गौरव की अनुभूति ही सदियों से हमारे अस्तित्व को बनाए हुए है |

इतिहास गवाह है कि जब कभी भी राष्ट्रीयता की यह भावना किन्हीं भी कारणों से खंडित हुई, तभी – तभी हमें विदेशी आक्रमणों और अनेक प्रकार के कष्टों को झेलना पड़ा | वर्षों तक की गुलामी भी भोगनी पड़ी | पर जब भी राष्ट्रीय एकत्व की भावना जाग्रत हुई, हम उन सभी आक्रमणों, कष्टों को झेलते हुए भी अपनी सभ्यता – संस्कृति और राष्ट्रीय आन को सुरक्षित बचा ले आए |

विश्व में आज रोम, मिश्र जैसी विशाल सभ्यताएं और संस्कृतियां इतिहास की वस्तु बन कर रह गयी है , आज उनका नाम ही बाकि रह गया है पर एक राष्ट्र के रूप में भारतीय सभ्यता – संस्कृति आज भी सारे विश्व के सामने अपना सीना तानकर खड़ी है क्योकि उसने अपनी भीतरी उर्जा, अपनी भावनात्मक एकता को कभी मरने नही दिया | दब जाने पर भी राख में चिंगारी के समान हमेशा उसे प्रज्वलित रखा है | समय और स्थिति की हवा से उसे फिर – फिर प्रज्वलित किया है |

आज हमारी राष्ट्रीयता के सामने वस्तुतः अस्तित्व का संकट मण्डरा रहा है | भीतरी और बहरी कई शक्तियां और अराजक तत्व हमारी एकता को खंडित कर राष्ट्रीयता को भी विभाजित कर देना चाहते है | ये लोग कई बार धर्म का नाम लेते है, कई बार जाति या वर्ग – विशेष का और कई बार प्रांतीयता की संकीर्ण भावनाओं को उभारने की चेष्टा करते है | ऐसे में हमें अनुशासन तथा आपसी सहयोग के वातावरण की अति आवश्यकता है |

रूप कोई भी हो, यदि हम भटक जाते है तो खंडित एक ही वस्तु के होने का खतरा रहता है | वह वस्तु है – हमारी पवित्र और महान राष्ट्रीयता, हमारी राष्ट्रीय मानवीयता और उससे प्राप्त ऊर्जस्विता |

अखंडता ही हमारी शक्ति है, हमारी आन और पहचान है | बस सरकार और जनता को एकजुट होकर प्रयास करना होगा | हमारी स्वतंत्रता राष्ट्रीय एकता पर ही आधारित है |

हर्ष की बात है देश में राष्ट्रीय एकता के लिए साल  2014   में सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का ऐलान  किया गया था | और तभी से केंद्र सरकार और सभी राज्यों की राज्य सरकारें 31 अक्टूबर को हर वर्ष वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में इस खास दिन को सेलिब्रेट कर रही हैं |  राष्ट्रीय एकता दिवस को भारत सरकार द्वारा पेश किया गया था और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस खास दिन का उद्घाटन किया गया था। इसका उद्देश्य वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देना है, जो भारत को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे तथा देशवाशियों से यह निवेदन करना है कि वे अपने पूर्वजों के समान ही एकता के सूत्र में बंध जाए क्योंकि सही मायनों में व्यक्ति की उन्नति ही देश की उन्नति है | 

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भारत की राष्ट्रीय एकता में क्या -क्या अड़चनें हैं?

हम अक्सर कहते हैं कि भारत “अनेकता में एकता” वाला देश है । यह कहना सही भी है । यहाँ अनेक जातियों के लोग रहते हैं, असंख्य भाषाएँ बोलते हैं, अलग अलग मजहबों का पालन करते हैं ।  लेकिन कई बार जब हम देश की इस विविधता की नकारात्मक व्याख्या करते हैं तब यही देश की एकता में एक रुकावट बन जाता है । कुछ ऐसे ही मुद्दे हम उल्लिखित कर सकते हैं :- 

  • जातिवाद (caste) : यह राष्ट्रीय एकता के लिए एक बड़ी बाधा है । कई बार देश की जातीय विविधता सामाजिक वैमनस्य का कारण बन जाती है । इसका सबसे बुरा प्रभाव तब देखा जा सकता है जब यह राजनीति को प्रभावित करती है ।
  • साम्प्रदायिकता (communalism) : भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और यहाँ लोग किसी भी धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हैं । लेकिन समस्या तब होती है जब लोग हर चीज की धार्मिक आधार पर व्याख्या करने लगते हैं ।  साम्प्रदायिकता का मूल आधार यही है कि अगर मजहब एक हो तो सामाजिक- आर्थिक ज़रूरतें भी एक होंगी । साम्प्रदायिकता केवल धर्म के आधार पर समाज निर्माण को बढ़ावा देती है और यह अन्य धर्मों से टकराव को जन्म देता है । साम्प्रदायिकता का परिणाम हम 1947 के भारत- पाकिस्तान विभाजन के रूप में देख चुके हैं ।
  • प्रांतवाद (regionalism) : देश के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रवाद का संकीर्ण भाव राज्यों और उनके निवासियों के बीच आपसी वैमनस्य बढ़ा रहा है ।
  • भाषाई अंतर : भाषा पिछले कुछ दशकों में देश की राष्ट्रीय एकता में एक बाधक के रूप में उभरी है । भाषा के नाम पर आपसी वैमनस्य के उदाहरण हमे दिखने लगे हैं । भाषाई विशिष्टता पर राजनीति लोगों को भाषा पर अपने पक्षपातपूर्ण मतभेदों से ऊपर नहीं उठने दे रही है ।
  • आर्थिक विषमता : देश में कुछ लोग अमीर हैं, जबकि अधिकांश गरीब हैं । यह आर्थिक विषमता भी राष्ट्रीय एकता में एक बड़ी समस्या है । देश की नीति ऐसी होनी चाहिए की संपत्ति का एकीकरण न हो और इसका न्यायिक वितरण हो ।
  • समाज की पुरुष -प्रधान रूप -रेखा : समाज में पुरुष -प्रधानता देश की राष्ट्रीय एकता में एक अन्य बाधक है । देश में पुरुषों व महिलाओं की आबादी लगभग बराबर है, और जब तक आधी आबादी को बराबर के अधिकार नहीं मिलते समाज सुचारू रूप से नहीं चल सकता ।

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HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on National Unity in Hindi – राष्ट्रीय एकता पर निबंध

September 30, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में राष्ट्रीय एकता पर निबंध मिलेगा। Here you will get Short Essay on National Unity in Hindi Language and Essay on National Integration in Hindi Language for students of all Classes in 380, 450 and 520 words.

Essay on National Unity in Hindi - राष्ट्रीय एकता पर निबंध

Essay on National Unity in Hindi – राष्ट्रीय एकता पर निबंध (380 words) 

हमने पचास साल पहले आजादी हासिल की थी, लेकिन क्या हम अब भी वास्तव में यह कह सकते हैं कि हमारे दिल और दिमाग सांप्रदायिक नफरत और अन्य विभाजनकारी प्रवृत्तियों से मुक्त हैं। यद्यपि हमारे देश ने राष्ट्रीय विकास के लगभग सभी क्षेत्रों में काफी प्रगति की है, फिर भी हमारे समाज में सांप्रदायिक सद्भाव प्राप्त करने में हमारे पास लंबा रास्ता तय है। सांप्रदायिक हिंसा समय-समय पर हमारे राष्ट्रीय कपड़े को नष्ट करने में सफल रही है। और सभी सोच और सही विचारधारा वाले लोगों के लिए यह हत्या और अन्य क्रूरताएं देखने के लिए एक दर्दनाक दृष्टि है, जो कि एक समुदाय दूसरे पर चढ़ता है।

यह वास्तव में दुखद रहा है कि अक्सर सांप्रदायिकता की वेदी पर जीवन-काल संगठनों और दोस्ती का बलिदान किया जाता है। यद्यपि यह खुले तौर पर स्वीकार किया गया है कि सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति हमें कहीं आगे बढ़ती है। फिर भी एक मौका दिया गया है कि हम हमेशा सतर्कता और सभ्य विचार और कार्रवाई हवाओं में फेंकने के लिए ही करते हैं, नफरत की बेवकूफी कक्षाओं में शामिल होने के लिए। हमें इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए खुद को बहुत समर्पण करना होगा कि ऐसा क्यों है कि केवल जो लोग निर्दोष, सरल, ईश्वर-भय और निर्बुद्ध पीटी विस्थापित और मारे गए हैं ऐसा क्यों है कि इतने सारे लोगों को भुगतना पड़ता है, जबकि सभी विनाश के अपराधियों को निर्दोष मुक्त होते हैं?

संविधान के आधार पर धर्म, राष्ट्रीयता और सिद्धांतों से समाज में सद्भाव और सद्भावना पैदा होने की संभावना है। लेकिन कड़वा सच्चाई यह है कि ये बहुत ही कारक हैं जो देश में बेईमानों द्वारा लोगों के भेद को विभाजित करने और नेतृत्व करने के लिए शोषण किया जाता है। और यह सब उस देश में हो रहा है जहां विचारों की पूर्ण सामंजस्य और पहचान आम है, जहां लोगों में सहयोग की अनिवार्य रूप से कोई कमी नहीं है और जहां कार्य और त्योहार सभी के लिए समान हैं इस निराशा के माध्यम से, एकमात्र तरीका आधुनिक और प्रबुद्ध शिक्षा के माध्यम से है। यह प्रक्रिया हमें विरोध के विचारों के प्रति अधिक सहिष्णु बनाने और हमें समानता के सभी सिद्धांतों को सार्वभौमिक रूप से लागू करने के लिए मजबूर कर देगी।

Essay on National Unity in Hindi – राष्ट्रीय एकता पर निबंध (450 words)

राष्ट्र की शक्ति हथियारों या औद्योगिक साम्राज्यों में नहीं है, बल्कि उसके लोगों की एकता में है। भारत में विविधता में एकता है लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं, विभिन्न धर्मों में विश्वास करते हैं और अलग-अलग जीवन शैली रखते हैं लेकिन आम एकीकरण कारक भारतीयता है। यह सही कहा जाता है “संयुक्त हम खड़े हैं, विभाजित हम गिर जाते हैं” भारत का इतिहास एक अच्छा उदाहरण है। जब भी हम एकजुट बने रहें, कोई भी अन्य देश हमें दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ देखने की हिम्मत नहीं करता।

लेकिन जब अंग्रेजों ने विभाजन और शासन की नीति का इस्तेमाल किया, इस विभाजन से भारत की सभी शक्तियों को चूसा गया। जीवन के सभी क्षेत्रों में एकता आवश्यक है खेल और खेल में जब खिलाड़ियों ने अपने दिलों और आत्माओं को एक साथ रखा, तो वे हार नहीं सकते हैं। लेकिन जब हर खिलाड़ी एक व्यक्तिगत गेम खेलने की कोशिश करता है तो भी सबसे कमजोर टीम ऐसी टीम को हार जाएगी।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का उदाहरण देखें। इसने विश्व की अधिकतम टूर्नामेंट जीता है क्योंकि सभी खिलाड़ियों ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और प्रतिद्वंद्वी टीम से पहले चट्टानों के रूप में खड़ा किया है। रक्षा बल एकता के आधार पर खड़े हैं एक बड़ी सेना, जिसके अधिकारियों को विहीन किया जाता है, बहुत आसानी से पराजित हो गया है। नेपोलियन का एक पसंदीदा मक़सद था, “डिवाइड एंड कोवर” अन्य शत्रुओं की मदद के लिए आने से पहले, जब उन्होंने अकेले ही अपने दुश्मन की सेनाओं पर हमला करके उनकी कुछ बड़ी जीत हासिल की। या वह दुश्मन सेना को झगड़ा करने वाले गुटों में विभाजित करेगा और फिर हार करेगा।

यह जीवन की सभी कठिनाइयों गायब हो जाती हैं जब हम उन्हें एकजुट करते हैं। मधुमक्खियों और चींटियों को हमें सिखाने के लिए बहुत कुछ है वे हमेशा संघ में काम करते हैं एक सब के लिए रहता है और सभी एक के लिए रहते हैं यह टीम भावना है गरीबी, भ्रष्टाचार और दहेज प्रणाली जैसे बुराइयों को संयुक्त प्रयासों से समाप्त किया जा सकता है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को दूर कर दिया, जिसने कभी सूर्यास्त नहीं देखा। यह एक आदमी नहीं कर रहा है, यह लाखों लोगों का परिणाम है जिन्होंने अपने दिलों को एक साथ रखा और एक साथ हमारा देश एक कठिन समय से गुजर रहा है विभिन्न राजनैतिक दलों ने केवल सत्ता के लिए छोटी लड़ाई लड़ी है। विरोधी-सामाजिक तत्व इस कमजोरी को जानते हैं और इसका फायदा उठाते हैं। आतंकवाद मेरे देश के लिए बड़ी समस्या है। लेकिन इस समस्या का हल केवल तब किया जा सकता है जब हम इस राक्षस से एकजुट होकर लड़ें।

Essay on National Integration in Hindi – राष्ट्रीय एकता पर निबंध (520 words)

15 अगस्त की सुबह, पूरा भारत अपनी नई मिलती स्वाधीनता में बहुत खुश हुआ। यह हमारे पर लगाए गए विभाजन के लिए आँसू बहा चुके हैं। विभाजन और शासन की ब्रिटिश नीति ने दो देशों के रूप में फल पेश किया था परिणामस्वरूप देश को धर्म के आधार पर विभाजित किया गया था। विभाजन भी बड़े पैमाने पर कचरे देखा अनगिनत निर्दोष लोगों को धर्म के नाम पर निधन हो गया। लाखों लोगों की संपत्ति असामाजिक तत्वों द्वारा नष्ट हो गई थी विभाजन की राख से राष्ट्रीय एकता का नारा उठी। इस नारा को औपचारिक रूप से 1961 में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल किया गया। हालांकि, यह अक्सर दोहराया शब्द भारतीयों के बहुमत से नहीं समझा जाता है।

उनके लिए यह उन शब्दों में से एक है, जो लगातार आत्म-मांगने वाले नेताओं द्वारा दोहराया जाता है। इसके विपरीत, यदि हम इस शब्द को राजनीतिक शब्दकोश से अलग करते हैं तो हम यह महसूस करेंगे कि इस शब्द में हमारा अस्तित्व एक राष्ट्र के रूप में है। राष्ट्रीय एकीकरण का मतलब है कि इस देश के लोगों को एक पहचान में जोड़ना। यह एक बंधन है जो सभी जातियों, क्षेत्र, धर्म और भाषा के विचारों से ऊपर है, प्रेम और सद्भाव, सहयोग और शांति, एकता और एकता की भावना है। इसका मतलब है कि हमारे सभी हित देश और इसके हितों के लिए माध्यमिक हैं आज कई राजनीतिक दलों तथा तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने भारत से अलग होने की वकालत की है। वे लोगों के भावनात्मक, धार्मिक और क्षेत्रीय भावनाओं का फायदा उठाने के लिए उन्हें बांटते हैं।

उनमें से प्रत्येक व्यक्ति खुद को पहले पंजाबी या तमिल या गुजराती समझाता है। । उनमें से कोई भी खुद को पहले भारत में नहीं मानता है, जो प्रक्रिया हम भूल जाते हैं। कि हम कई बार दास बन गए हैं। हमारे इतिहास विदेशी शक्तियों का कारण यह है कि हम अपने आक्रमणों के विरूद्ध खड़े हुए। हम नहीं बैठते और सोचते हैं कि समाज की शांति के लिए राष्ट्रीय एकता आवश्यक है। किसी देश की सुरक्षा और समृद्धि हमारे रहने और एक साथ काम करने पर निर्भर करती है। प्रत्येक राज्य भारत के नाम से शरीर के अंग की तरह है। इसके किसी भी बीमारी का समय एक देश की प्रगति को पीसने के लिए रोकता है। यह केवल तब होता है जब हम सामूहिक रूप से विभाजित ताकतों से लड़ते हैं, हम अपने देश पर किसी भी हमले के खिलाफ जीत की उम्मीद कर सकते हैं।

दुर्भाग्य से देश को एक साथ बाध्य करने के कोई पूर्ण सबूत नहीं हैं। एकता की प्रक्रिया धीमी और स्थिर होनी चाहिए। और इसे लोगों को भावनात्मक रूप से एकीकृत करने से शुरू होना चाहिए। इसका मतलब होगा कि हम उन लोगों के खिलाफ हमारे गार्ड पर रहना चाहिए जो हमें विभाजित करना चाहते हैं। हमारी शैक्षणिक प्रणाली को सभी पाठों से दूर करना चाहिए जो दूसरे धर्म पर एक धर्म की महानता का प्रचार करते हैं। जाहिर है, सभी सार्वजनिक मीडिया को एक बनाना चाहिए किसी भी भड़काऊ समाचार, विचारों और कार्यक्रमों से बचने के लिए सचेत प्रयास।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on National Unity in Hindi – राष्ट्रीय एकता पर निबंध ) पसंद आएगा।

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राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध | Importance of National Integration Essay in Hindi

प्रकृति द्वारा पृथ्वी को विभिन्न रंगों से सजाया हुआ एक सुंदर देश भारत है जिसमें कहीं दूर तक हरियाली नजर आती है तो कहीं लंबा रेगिस्तान तो कहीं मिलो दूर तक बहती नदिया।

जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत की विशेषता इसकी अनेकता में एकता का गुण है और इतने बड़े परिवार को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अनिवार्य है।

इसीलिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ही कानून की किताब को नीतियों और नियमों से भरा गया है जो भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता (Importance of national integration essay in hindi) के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध | Importance of National Integration Essay in Hindi

Table of Contents

राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध हिंदी में

भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का देश है जहां पर कई धर्मों जातियों और भाषाओं को बोलने वाले लोग आपस में मिलजुल कर निवास करते हैं इसी कारण भारत की पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है।

हमारे रहन-सहन ,संस्कार, खान-पान आदि चीजों में अंतर हो सकता है ,धर्म, जातियां और भाषाएं भी अलग हो सकती है परंतु प्राचीन काल से ही यहां एकता की भावना चली आ रही है।

एकता एक भावनात्मक शब्द है जिसका मतलब एक होने की भावना से है जब भी कोई हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश करता है तो भारत का प्रत्येक नागरिक उसके खिलाफ उठकर खड़ा हो जाता है।

आर्थिक, राजनीतिक और वैचारिक रूप से अलग होने के बाद भी भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से एक होना ही एकता है।

राष्‍ट्रीय एकता पर निबंध 250 शब्‍दों में

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत के संविधान में किसी भी जाति या धर्म को विशेष प्रमुखता नहीं दी गई है संविधान में सभी को एक समान माना गया है।

किसी देश को गुलामी से आजादी पाने के लिए उसका सबसे प्रमुख हथियार राष्ट्रीय एकता ही होती है राष्ट्रीय एकता अपने आप में एक बहुत बड़ा शब्द है जिसका शब्दों में व्याख्यान कर पाना आसान नहीं है।

जब किसी देश के नागरिक छुआ-छूत, जात- पात जैसी भावनाओं से ऊपर उठकर भाईचारे और सौहार्द के साथ राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं तो उस भावना को ही राष्ट्रीय एकता कहते है।

अगर किसी देश सांप्रदायिक झगड़ों दंगों जैसी दुर्घटनाओं से बचना है तो वह राष्ट्रीय एकता का होना अत्यंत आवश्यक है अगर कोई व्यक्ति हमारी राष्ट्रीय एकता के ऊपर प्रश्न चिन्ह उठाता है या उसे खंडित करने का प्रयास करता है तो हम सभी का कर्तव्य है कि है हम उठकर खड़े हो और उस व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाएं।

भारत विभिन्न प्रांतों धर्म तथा जाति वाला देश है यहां कुछ दूरी पर जाती ही भाषाएं बदल जाती है भारत की विशेषता उसकी अनेकता में एकता है यहां के लोग इतना भिन्न होने के बाद भी एक जैसे ही हैं।

राष्ट्रीय एकता ना होने की स्थिति में किसी भी देश को बड़ी आसानी के साथ तोड़ा जा सकता है अतः हमें अपने देश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझना चाहिए और उसे मजबूत बनाए रखना चाहिए।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध 300 Words ( national integration essay in hindi )

राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया एक ऐसी भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाईचारा, सौहार्द व राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व के भाव को प्रदर्शित करने का कार्य करती है।

राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है यह वही भावना है जो विभिन्न धर्मों संप्रदायों वेशभूषा संस्कृति आदि के लोगों को एक धागे में जोड़कर रखने का कार्य करती है अनेक भिन्नताओ के उपरांत भी इस भावना के कारण सभी लोग परस्पर इस भावना के कारण एक दूसरे से मिलजुल कर रहते हैं।

हमारा प्यारा देश भारत राष्ट्रीय एकता की एक मिसाल है जिसने विभिन्नता आएं भारत देश में उपलब्ध है शायद ही विश्व के किसी देश में इतनी विविधता होंगी इसके बावजूद भी भारत के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और राष्ट्रीय एकता को बनाए हुए हैं।

अनेकता में एकता भारत के दर्शन की अनूठी विशेषता रही है यहां प्राचीन काल से ही ज्ञान, प्रवृत्ति, कर्म, धर्म, आदि सभी में पूर्ण समन्वय रहा है इसी समन्वय प्रवृत्ति के कारण बाहर से आने वाली असंपूर्ण संस्कृतियों को भी भारत देश में अपनाया गया है।

परंतु वर्तमान में हमारे प्यारे देश में सांप्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, आतंकवाद आदि के कारण भारत की राष्ट्रीय एकता में कमी आ रही है।

भारत जैसे विशाल भूभाग वाले देश में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता का होना अत्यंत आवश्यक है अतः हमें चाहिए कि हम अपने देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करें।

राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध 500 शब्दों में

राष्ट्रीय एकता का अर्थ जाति, पंथ, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना लोगों के बीच रहने वाला एकजुटता का वह भाव है जिसमें एक देश के समुदायों और समाज के हर वर्ग में एकता और भाईचारे की भावना होती है।

राष्ट्रीय एकता अलग-अलग में विजेताओं के बावजूद देश को एकीकृत और मजबूत बनाए रखने में मदद करती है इसलिए राष्ट्रीय एकीकरण के महत्व को वही राष्ट्र समझ सकता है जो हमेशा किसी भी गंभीर परिस्थिति में एकीकृत रहता है।

वह राष्ट्र जो राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझता है और उसे बनाए रखता है वह हमेशा विकास और समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ता रहता है।

राष्ट्रीय एकता का महत्व

राष्ट्रीय एकता हमेशा से एक देश को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है जिसके लिए उस देश के समाज के हर वर्ग को एकजुट होना अनिवार्य होता है राष्ट्रीय एकता की वजह से देश में हर एक नागरिक को एक समान अवसर प्राप्त होते हैं।

राष्ट्रीय एकता की यह भावना देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के मामलों में समानता का निर्माण करती है जिस देश में राष्ट्रीय एकता होती है वहां के लोग पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं।

क्योंकि वहां के लोग अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकते हैं इसलिए दुनिया के किसी भी देश के विकास के लिए राष्ट्रीय एकीकरण का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वही देश विकास कर सकता है जहां राष्ट्रीय एकता और सौहार्द हो।

राष्ट्रीय एकता में आने वाली बाधाएं

अपनी जाति को श्रेष्ठ एवं दूसरी जाति को निम्नतम स्तर समझने की भावना तथा जातिगत आरक्षण देश की एकता में बाधाएं उत्पन्न करता है पिछले कुछ वर्षों में आरक्षण के विरोध में देश में कई हिस्सों में तोड़फोड़, आगजनी जैसी घटनाओं ने राष्ट्रीय एकता को खंडित किया है।

प्रादेशिकता

विगत कुछ वर्षों से देश के कई हिस्सों में अलग-अलग राज्यों की मांग उठ रही है जो राष्ट्रीय एकता की भावना को कमजोर कर रही है इसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत में स्त्री एवं अलगाव की भावना प्रबल हुई है।

सांप्रदायिकता

सांप्रदायिकता की समस्या ने देश की एकता में बाधा डालने तथा समाज को विभाजित करने का कार्य किया है इस कार्य में कुछ छात्र राजनीति क्यों और धार्मिक नेताओं की भी मिलीभगत शामिल होती है।

भाषाई विवाद

कुछ समय से भारत में अपनी भाषा अपनी बोली और अपने साहित्य को श्रेष्ठ स्तर एवं दूसरे के साहित्य भाषा को हिना समझने की भावना बढ़ गई है जिससे भारत की एकता कमजोर हो रही है।

राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के उपाय

देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए हमें उन राजनीतिज्ञों का बहिष्कार करना चाहिए जो अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए सांप्रदायिकता को बढ़ाते हैं जिसने देश में शांति व्यवस्था भंग होती है।

देश में शिक्षा के प्रसार को ज्यादा से ज्यादा गति दी जानी चाहिए जिससे हर व्यक्ति अपने अधिकारों को समझ सके और उनके हनन पर वह आवाज उठा सके।

हम सभी को चाहिए कि हम अपने अंदर “मैं” के स्थान पर “हम” की भावना का विकास करें और मिलजुल कर रहे।

दुनिया के किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय एकता बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जिस देश में राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की भावना नहीं होती वह देश पतन की ओर अग्रसर हो जाता है।

राष्ट्रीय एकता किसी देश के लोगों को हर परिस्थिति में अपने देश के साथ जुड़े रहने में मदद करती है और देश को तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ाती है जिस देश में राष्ट्रीय एकता होती है वह देश निरंतर विकास की ओर अग्रसर रहता है।

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तो आप सभी को “राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध | Importance of National Integration Essay in Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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National Integration Essay In Hindi

राष्ट्र एकीकरण पर निबंध.

Rashtriya Ekikaran Par Nibandh – राष्ट्रीय एकीकरण निबंध – National Integration Essay In Hindi – Essay On National Integration In Hindi – राष्ट्रीय एकीकरण दिवस पर निबंध

रुपरेखा : राष्ट्रीय एकीकरण – राष्ट्रीय एकीकरण दिवस – भारत के लोग – विविधता में एकता का नाश – राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य – भारत सरकार द्वारा नियम – राजनीतिक एकता – उपसंहार।

राष्ट्रीय एकीकरण

राष्ट्रीय एकीकरण को राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहा जाता है। देश के लोगों के बीच असमानता के साथ ही समाजिक संस्कृति और अर्थशास्त्र के भेदभाव को घटाना इसका एक सकारात्मक पहलू है। देश में राष्ट्रीय एकता लाने के लिए किसी समूह, समाज, समुदाय और पूरे देश के लोगों के बीच एकता को मजबूती देने के लिए ये दिवस मनाया जाता है। किसी सत्ता के द्वारा ये कोई दबाव नहीं है बल्कि भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए ये लोगों से आग्रह करता है। ये केवल लोगों के बीच एकता होने पर ही संभव होगा। अपने भावनात्मक संबंध को बढ़ाने के लिए उन्हें अपने विचार, मूल्य और दूसरे मुद्दों को बाँटना चाहिये। लोगों को विविधता के अंदर एकता को जीना और महसूस करना चाहिये और अपने राष्ट्र की पहचान पुरे विश्व में बनानी चाहिये।

राष्ट्रीय एकीकरण दिवस

इस देश में व्यक्तिगत स्तर पर विकास को बढ़ाने के लिए भारत में राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत महत्व है और ये भारत को एक मजबूत देश बनाता है। पूरी तरह से लोगों को इसके प्रति जागरुक बनाने के लिए, 19 नवंबर से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण दिवस और राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह अर्थात् कौमी एकता सप्ताह के रुप में 19 नवंबर जिस दिन भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म दिवस होता है, इस तारीख हर वर्ष एक कार्यक्रम के रुप में मनाया जाता है। एकीकरण का वास्तविक अर्थ है अलग-अलग भागों को एक बनाने के लिए जोड़ना।

भारत के लोग

भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्म, क्षेत्र, संस्कृति, परंपरा, नस्ल, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। इसलिए, राष्ट्रीय एकीकरण बनाने के लिए भारत में लोगों के बीच एकीकरण रहना जरुरी है। एकीकरण के द्वारा अलग-अलग धर्मों और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं, वहाँ पर कोई भी सामाजिक या विकासात्मक समस्या नहीं होगी। भारत में इसे विविधता में एकता के रुप में जाना जाता है। भारत में, हर साल 19 नवंबर को एक सामाजिक कार्यक्रम के रुप में राष्ट्रीय एकीकरण दिवस को देखा जाता है। राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में लोगों के बीच अधिक जागरुकता फैलाने के लिए, 19 से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह के रुप में वार्षिक तौर पर देखे जाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा एक पूरे सप्ताह का कार्यक्रम भी लागू किया गया है। भारत एक ऐसा देश है जो अपने विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, नस्ल, धर्मों, जाति और पंथ के जाना जाता है लेकिन इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि यहाँ निवास कर रहे लोगों की सोच में विविधता के कारण ये अभी भी विकासशील देशों में आता है।

विविधता में एकता का नाश

भारत अपनी विविधता में एकता के लिए प्रसिद्ध है लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि विकास के लिए दूसरे के विचार को स्वीकार करने के लिए लोग तैयार नहीं है। यहाँ सभी को अपना धर्म ही सबसे बेहतर लगता है और जो भी वो करते हैं वही ठीक है। अपने खुद के फायदे के लिए केवल खुद को अच्छा साबित करना सिख रहे है। यहाँ रह रहे विभिन्न नस्लों के लोग आपस में शारीरिक, भावनात्मक, बहस और चर्चा आदि के द्वारा लड़ते हैं। अपने देश के बारे में एक साथ होकर वो कभी नहीं सोचते हैं। वो कभी नहीं सोचते कि हमारे देश का विकास केवल व्यक्तिगत वृद्धि और विकास के साथ ही संभव है।

राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य

भारत की एक पहचान बनाने के लिए अलग धर्मों के लोगों के बीच एकता को लाने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण एक प्रक्रिया है। समन्वय और एकता की मजबूती के साथ ही समाज में असमानता और दूसरे सामाजिक मुद्दे जैसे विविधता, नस्लीय भेद-भाव आदि को हटाने के लिए ये एक और एकमात्र रास्ता है। भारत एक बहु-जातिय और बहु-भाषायी देश है जहाँ विभिन्न जाति के लोग एक साथ रहते हैं और अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। वो अपनी प्रथा और परंपरा अपने धर्म के अनुसार निभाते हैं। भारत में लोगों के बीच केवल धर्म, जाति, पंथ, रंग और संस्कृति से ही विविधता नहीं है बल्कि सोच में भी विविधता दिखाई देती है जो भारत में अनुचित विकास का एक बड़ा विषय है। ये सभी कारणों से देश की विकास न रुके यही राष्ट्रीय एकीकरण का लक्ष्य है।

भारत सरकार द्वारा नियम

भारतीय लोगों के बीच अलगाव की एक उच्च स्थिति है जो सांप्रदायिक और दूसरी समस्याओं के साथ यहाँ एक बुरा छवि बनाती है। भारत में अलगाव के कारण, हम लोगों ने कई सामाजिक समस्याओं का सामना किया जैसे 1947 में भारत का बँटवारा, 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस, हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगे आदि। अस्पृश्यता की बाधा, भाषा की बाधा, सामाजिक स्थिति की बाधा और दूसरी सामाजिक बाधाएँ हमें विकास से पीछे ले जा रहीं हैं। विविधता में एकता लाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा बहुत सारे नियम-कानून लागू किये गये हैं। मानव दिमाग है जो लोगों के बीच विविधता में स्वाभाविक एकता ला सकता है। राष्ट्रीय एकीकरण में कमी के कारण यहाँ सभी सामाजिक समस्याओं का उदय हो रहा है। हम सभी को इस राष्ट्रीय एकीकरण के वास्तविक अर्थ, उद्देश्य और जरुरत को समझना चाहिये। अपने देश के मुख्य विकास के लिए भारतीय सरकार द्वारा सभी नियम-कानूनों को स्वीकार करना चाहिए।

राजनीतिक एकता

भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ अपनी अनोखी संस्कृति और विविध जीवनशैली को मानने वाले विरोधी लोग भी रहते हैं। ये बहुत ही साफ है कि हमें हमारे जीवन में राष्ट्रीय एकीकरण के अर्थ को समझने की जरुरत है और अपने देश को एक पहचान देने के बारे में सोचना होगा। भारत में लोग विभिन्न धर्म, जाति, समुदाय, नस्ल और सांस्कृतिक समूह से संबंध रखते हैं और वर्षों से एक साथ रह रहें हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को विविध धर्म, जाति और पंथ ने समृद्ध बनाया हुआ है जिसने यहाँ पर एक मिश्रित संस्कृति को सामने रखा है हालाँकि ये बहुत ही साफ है कि भारत में हमेशा राजनीतिक एकता की कमी रही है। भारत में केवल एक बार राजनीतिक एकता दिखाई दी थी जब सभी ने मिलकर 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया गया था। अंग्रेजों ने यहाँ कई प्रकार से बाँटे और राज करो की नीति अपनाई थी हालाँकि, इसमें वो बाद में असफल हो गये थे। कुछ बिंदु जैसे सांस्कृतिक एकता, रक्षात्मक निरंतरता, संविधान, कला, साहित्य, सामान्य आर्थिक समस्याएँ राष्ट्रीय ध्वज़, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय उत्सव और राष्ट्रीय प्रतीक के द्वारा भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जाता है।

अलग धर्म और जाति होने के बावजूद हमें पहचाना चाहिये कि एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने के लिए हम सब एक हैं। हमें भारत में विविधता में एकता का वास्तविक मतलब समझना चाहिये। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि अखंडता की प्रकृति यहाँ पर नस्लीय और सांस्कृतिक समानता के कारण होनी चाहिये। बल्कि इसका मतलब है कि इतने अंतर के बावजूद भी एकात्मकता है। पूरे विश्वभर में दूसरी सबसे बड़ी जनसंखया वाले देश के रुप में भारत को गिना जाता है, जहाँ पर 1652 भाषाएँ बोली जाती हैं और विश्व के सभी मुख्य धर्म के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद भी हमें बिना किसी राजनीतिक और सामाजिक विरोधाभास के शांति से एक-दूसरे के साथ रहना चाहिये। हमें इस महान देश में एकता का आनंद उठाना चाहिये जहाँ राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सबकुछ विविधता है।

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राष्ट्रीय एकता पर निबंध || National Integration Essay

राष्ट्रीय एकता पर निबंध || national integration essay .

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राष्ट्रीय एकता पर निबंध 100 words / rashtriya ekta par nibandh

राष्ट्रीय एकता पर निबंध प्रस्तावना सहित / राष्ट्रीय एकता पर निबंध लेखन, national integration essay in hindi / rashtriy ekta per nibandh kaise likhen .

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट Bandana classes.com पर। दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण निबंध जिसका शीर्षक है- "राष्ट्रीय एकता" अथवा "राष्ट्रीय एकता का महत्व", निबंध लेकर आए हैं। मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अक्सर हमारी बोर्ड परीक्षाओं या विद्यालय में होने वाली परीक्षाओं में 'राष्ट्रीय एकता' शीर्षक पर निबंध लिखने के लिए पूछा जाता है। 'राष्ट्रीय एकता' या 'राष्ट्रीय एकता का महत्व' यह एक ऐसा निबंध है, जिसमें आप बहुत ही अच्छे अंक अपनी परीक्षा में प्राप्त कर सकते हैं। बशर्ते इस विषय पर आपकी मजबूत पकड़ और जानकारी होनी चाहिए। मित्रों, "राष्ट्रीय एकता का महत्व" निबंध लिखते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि एक्जाम या परीक्षा हॉल में हमारी भाषा शैली और हमारा कंटेंट उच्च स्तर का एवं वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए, जिससे राष्ट्रीय एकता निबंध पर हमें परीक्षा में बहुत अच्छे अंक हासिल हो सके। मित्रों यह तो हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्रीय देश के लिए अत्यंत आवश्यक है। जिस राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता होती है वह देश उतना ही उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होता है। इसलिए राष्ट्रीय एकता का महत्व बहुत अधिक है।  मित्रों यदि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आए तो इसे सोशल मीडिया एवं अपने दोस्तों में अधिक से अधिक शेयर करिएगा। इसके साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल (YouTube Channel) Bandana Study Classes और ‌ Bandana Education Center को भी subscribe कर लीजिए जहां पर आपको अपनी पढ़ाई से संबंधित महत्वपूर्ण वीडियो मिल जाएंगे।

राष्ट्रीय एकता

अथवा राष्ट्रीय एकता का महत्व

प्रमुख बिंदु :- प्रस्तावना, राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता एवं बाधाएं, एकता बनाए रखने के उपाय, राष्ट्रीय एकता से तात्पर्य, राष्ट्रीय एकता का महत्व, भारतवर्ष की विशेषता-अनेकता में एकता,उपसंहार।

प्रस्तावना

राष्ट्रीय एकता का अर्थ है-भारत की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक एकता। हमारे धार्मिक विचार, भोजन, वेशभूषा और रहन-सहन के तरीकों में अंतर हो जाता है, लेकिन हमारे राजनीतिक और राष्ट्रीय विचारों में कोई अंतर नहीं है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान में किसी जाति या धर्म विशेष को प्रमुखता नहीं दिया गया। संविधान के लिए हम सब एक समान है। गुलामी से आजादी पाने के लिए सबसे प्रमुख हथियार एकता है। राष्ट्रीय एकता अपने आप में एक बहुत बड़ा शब्द जिसका शब्दों में व्याख्यान कर पाना आसान नहीं। राष्ट्रीय एकता एवं प्रेम के बारे में सत्य ही है-

"जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।

वह ह्रदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।"

👉 गणतंत्र दिवस पर निबंध

राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकता अखंडता के महत्व को समझते हुए देशवासियों के हृदय में एकता की भावना प्रभावित करने तथा राष्ट्रीय एकता को गंभीरता से लेने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस और राष्ट्रीय एकता सप्ताह दोनों ही अलग-अलग समय पर आयोजित किए जाते हैं। दोनों समारोह का उद्देश्य एक है राष्ट्रीय एकता के महत्व के प्रति जन जागरूकता फैलाना।

राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता तथा बाधाएं

किसी भी राष्ट्र की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए परम आवश्यक होती है। जिस देश के नागरिक आपस में प्रेम-भाव से मिलकर नहीं रहते, एक दूसरे से अकारण ही लड़ाई-झगड़ा करते हैं, वह देश कभी भी महान नहीं बन सकता। उसके नागरिकों की जो ऊर्जा देश-हित में प्रयोग होनी चाहिए थी, वह व्यर्थ चली जाती है। उस राष्ट्र से शांति तथा सद्भावना का लोप हो जाता है और ऐसी स्थिति में दूसरे राष्ट्र उसकी इस दुर्दशा का फायदा उठाते हैं। अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को गुलाम बनाना, इसी एकता के अभाव का दु:खद परिणाम था। अतः राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, पर इसके मार्ग में अनेक बाधाएं हैं, जो समय-समय पर इस एकता को रोकने का प्रयास करती हैं। उनमें से कुछ उल्लेखनीय है-

👉 छायावादी युग तथा इसकी प्रमुख विशेषताएं

1.जातिवाद- अपनी जाति को श्रेष्ठ एवं दूसरी जाति को निम्नतर समझने की भावना तथा जातिगत आरक्षण की सरकारी नीति ने एकता में दरार डाली है। पिछले कुछ वर्षों में आरक्षण के विरोध में देश के कई हिस्सों में तोड़-फोड़, आगजनी तथा आत्मदाह जैसी घटनाओं ने राष्ट्रीय एकता को खंडित किया है।

2. प्रादेशिकता- विगत कुछ वर्षों से देश के कई हिस्सों में अलग राज्यों की मांग ने एकता की भावना को कमजोर किया। इसमें 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक' भारत में क्षेत्रीयता एवं अलगाव की भावना प्रबल हुई है।

3.सांप्रदायिकता- सांप्रदायिकता की समस्या ने देश की एकता में बाधा डालने तथा समाज को विभाजित करने का कार्य किया है। इस कार्य में कुछ क्षुद्र राजनीतिज्ञों और धार्मिक नेताओं ने भी मदद की है।

4. भाषायी विवाद- कुछ समय से अपनी भाषा, अपनी बोली, अपने साहित्य और अपनी संस्कृति को श्रेष्ठतर और दूसरों को अपने से हीन समझने की भावना बढ़ी है, जिसने एकता को कमजोर करने का कार्य किया है।

👉 राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा में अंतर

एकता बनाए रखने के उपाय

देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए उन राजनीतिज्ञों का बहिष्कार किया जाना चाहिए, जो अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए सांप्रदायिकता को बढ़ाते हैं। शिक्षा के प्रसार को गति दी जानी चाहिए। 'मैं' के स्थान पर 'हम' की भावना का विकास किया जाना चाहिए। तभी राष्ट्रीय एकता को बनाए रखा जा सकता है।

राष्ट्रीय एकता से तात्पर्य

देश के नागरिक जब छुआछूत और जात पात के भावना से ऊपर उठकर भाईचारे के समूह में बन जाते हैं। जिसमे राष्ट्र सभी के लिए सर्वोपरि है उस भावना को राष्ट्रीय एकता के नाम से संबोधित किया गया है। राष्ट्रवादियों के अनुसार-  "व्यक्ति राष्ट्र के लिए है, राष्ट्रीय व्यक्तियों के लिए नहीं" इस दृष्टि से व्यक्ति का राष्ट्र के अभाव में कोई अस्तित्व नहीं।

👉 भारतेंदु युग की प्रमुख विशेषताएं

राष्ट्रीय एकता का महत्व

देश को गुलामी, सांप्रदायिक झगड़ों, दंगों से बचाने के लिए देश में राष्ट्रीय एकता का होना अति आवश्यक है। 200 साल से भी अधिक की गुलामी के पश्चात प्राप्त स्वतंत्रता का हमें सम्मान करना चाहिए तथा किसी भी कारणवश राष्ट्रीय एकता पर उंगली उठ सके, ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए। ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा यह पाए जाने पर की फूट डालो और राज करो की नीति हम पर काम करेगी। उनका मनोबल बढ़ गया और उन्होंने ऐसा ही किया। एकता में शक्ति गए आता हमें राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझना चाहिए।

भारत देश की विशेषता-अनेकता में एकता

भारत विभिन्न प्रांत, धर्म तथा जाति वाला देश है। यहां कुछ दूरी पर जाते ही भाषा बदल जाती है पर फिर भी भारत के विशेषता उसके अनेकता में एकता है। हम सभी हर तरह से भिन्न होने के बाद भी एक जैसे हैं। इस व्याख्यान महत्व ऐसे सुप्रसिद्ध गीत से पता चलता है हिंद देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग,रुप,वेश भाषा चाहे अनेक है।

👉 आत्मकथा किसे कहते हैं?

राष्ट्रीय एकता दिवस

सरदार बल्लभ भाई पटेल के देश को एक सूत्र में पिरो के रखने की सोच को सदैव देशवासियों के स्मृति में जिंदा रखने के लिए, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर को वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।

राष्ट्रीय एकता सप्ताह

राष्ट्रीय एकता और अखंडता को उत्सव के रूप में पूरे सप्ताह मनाया जाता है इससे संबंधित सूची निम्न बात है-

1. 19 नवंबर राष्ट्रीय एकता दिवस।

2.  20 नवंबर अल्पसंख्यक कल्याण दिवस।

3.  21 नवंबर भाषाई सद्भाव दिवस।

4.  22 नवंबर कमजोर वर्गों का दिवस।

5.  23 नवंबर सांस्कृतिक एकता दिवस।

6.  24 नवंबर महिला दिवस।

7.  25 नवंबर संरक्षण दिवस।

👉 विज्ञान पर निबंध

देश को बाहरी शक्ति से बचाने के लिए - राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता

देश को बाहरी शक्ति से बचाने के लिए सभी देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना का होना बहुत जरूरी है। इतिहास गवाह है जब जब राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता को ताक पर रखा गया है तब तब किसी बाहरी शक्ति ने इसका लाभ उठाकर हमें तोड़ कर रख दिया है। भिन्न-भिन्न समय पर हमारे देश में अनेक शासकों ने शासन किया। जिससे विभिन्न जाति भारत में फल-फूल पायी।

संचार का कोई सशक्त माध्यम ना होने की वजह से ब्रिटिश सरकार को यह अनुमान लगाया कि वह हमें जाति और धर्म के नाम पर बहुत आसानी से तोड़ सकते हैं और उन्होंने यही किया। हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों को इस बात का आभास होने पर उन्होंने सर्वप्रथम राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधा। कुछ तो जेल से ही अपने कलम के दम पर देश में राष्ट्रीय एकता के महत्व को बताने चल पड़े।

👉 सूरदास जी का जीवन परिचय

जंग जीतने के लिए - राष्ट्रीय एकता

राष्ट्रीय एकता की भावना निहित होने पर देश कम सैन्य शक्ति में भी विजय प्राप्त कर सकता है। इसके विपरीत अनेकों सैनिक तथा हथियार के होने पर भी एकता के अभाव में राष्ट्र जीती हुई बाजी हार जाता है।

वर्तमान में राष्ट्रीय एकता का महत्व

देश में राष्ट्रीय एकता के महत्व को यदि हम सब समझ जाए तो किसी प्रकार का सांप्रदायिक दंगा नहीं होगा, अनेक मासूम लहूलुहान नहीं होंगे, लोग अपना जरूरी काम छोड़ धरना प्रदर्शन पर नहीं बैठेंगे और पुलिस द्वारा लाठीचार्ज नहीं किया जाएगा।

राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझ लेने पर हम सभी एक हैं। इस धारणा से हम देश की सरकार बनाने में जाति के नाम पर पक्षपात नहीं करेंगे। इससे हम कुशल सत्ताधारी सरकार का चुनाव कर पाएंगे जो हमारे देश के हित में सारे निर्णय ले सकेगी।

हिंदू मुस्लिम या अन्य कोई धर्म से संबंध रखने से पहले हम भारतीय हैं। यह राष्ट्रीय एकता की भावना है और इसके महत्व को जान लेने के पश्चात सालों सालों तक ना खत्म होने वाले मंदिर मस्जिद का विवाद का कोई अर्थ नहीं रहेगा।

राष्ट्र से प्रेम और राष्ट्रीय एकता की भावना होने पर इससे अलगाववाद के मंसूबे कमजोर पड़ते हैं फिर कोई अलग राष्ट्र, राज्य अलग झंडा की मांग नहीं करेगा।

👉 तुलसीदास जी का जीवन परिचय

एकता के लिए दौड़े [ रन फॉर यूनिटी ]

सरदार बल्लभ भाई पटेल देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अपने दिए गए योगदान के लिए जाने जाते हैं। अतः 31 अक्टूबर 2014, देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा प्रथम गृह मंत्री के 144 वे जन्म दिवस के अवसर पर उस समय के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति पर माला अर्पण किया और देशवासियों से रन ऑफ यूनिटी, मैराथन दौड़ में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आग्रह किया। इस मैराथन दौड़ का उद्देश्य लोगों में राष्ट्रीय एकता के महत्व को बताना एवं फिर से एक बार राष्ट्र को एकता के सारे बंद मुट्ठी के रूप में डालना था।

👉 रसखान का जीवन परिचय

राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम

ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखते हुए हमें स्कूलों में इस प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करना चाहिए जिसमें प्रत्येक बालक राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत हो जाए। निम्नलिखित पंक्ति में हम विभिन्न स्तरों के शैक्षिक कार्यक्रम पर प्रकाश डाल रहे हैं-

प्राथमिक स्तर बाल - दिवस, शिक्षक दिवस तथा महापुरुषों के जन्मदिवस मनाए जाएं और महान व्यक्तियों के जीवन से परिचित कराया जाए।

माध्यमिक स्तर - बालकों को भारत के आर्थिक विकास का ज्ञान कराकर उनमें राष्ट्रीय चेतना विकसित की जाए और राष्ट्रीयता के संबंध में महापुरुषों के व्याख्यान कराए जाएं।

महाविद्यालय स्तर - समय-समय पर अध्ययन बैठक तथा विचार बैठक आयोजित की जाए। इन बैठकों में विभिन्न विश्वविद्यालय के बालों को को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ 

एकता का साधारण अर्थ होता है मिलजुल कर कार्य करना। राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावनाएं जो किसी राष्ट्रीय अथवा देश के लोगों में भाईचारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करते हैं। एकता का महत्व मनुष्य को तभी पता चलता है जब वह बिल्कुल आदिम अवस्था में होता है। राष्ट्रीय एकता का मतलब ही होता है राष्ट्र के सब घटकों में भिन्न-भिन्न विचारों और विभिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम एकता और भाईचारे का बना रहना। राष्ट्रीय एकता में केवल शारीरिक समिपता ही महत्वपूर्ण नहीं होती बल्कि उसमें मानसिक, बौद्धिक, वैचारिक और भावनात्मक  निकटता की समानता आवश्यक है।

👉 बिहारीलाल का जीवन परिचय

भारत देश में अलगाव के कारण 

भारतीय लोगों के बीच अलगाव की एक उच्च स्थिति है जो सांप्रदायिक और दूसरी समस्याओं के साथ यहां एक बुरा दृश्य बनाती है। भारत में अलगाव के कारण हम लोगों ने ढेर सारी सामाजिक समस्याओं का सामना किया जैसे- 1947 में भारत का बंटवारा, 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस, हिंदू और मुस्लिम के बीच देंगे आदि। अस्पृश्यता की बाधा, भाषा की बाधा, सामाजिक स्थिति की बाधा और दूसरी सामाजिक बाधाएं हमें पीछे ले जा रही हैं। विविधता में एकता लाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा बहुत सारे नियम कानून लागू किए गए हैं हालांकि यह केवल मानव दिमाग है जो लोगों के बीच विविधता में स्वाभाविक एकता ला सकता है।

राष्ट्रीय एकता क्यों आवश्यक है?

अलग धर्म और जाति होने के बावजूद हमारे देश को जो वस्तु प्रगति के रास्ते पर अग्रसर करती है वह है हमारी राष्ट्रीय एकता। यही कारण है कि हमें भारत में विविधता में एकता के वास्तविक अर्थ को समझना चाहिए। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि अखंडता की प्रकृति यहां पर नस्लीय और सांस्कृतिक समानता के कारण होनी चाहिए। बल्कि इसका मतलब है कि इतने अंतर के बावजूद भी एक एकात्मता है।

👉 सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय

पूरे विश्व भर में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश के रूप में भारत को गिना जाता है। जहां पर 1652 भाषाएं बोली जाती हैं और विश्व के सभी मुख्य धर्म के लोग यहां एक साथ रहते हैं। सभी मतभेदों के बावजूद भी हमें बिना किसी राजनीतिक और सामाजिक विरोधाभास के शांति से एक दूसरे के साथ रहना चाहिए। हमें इस महान देश में एकता का आनंद उठाना चाहिए जहां राष्ट्रीय एकीकरण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सब कुछ विविधता है इसलिए इन कारणों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि कभी हमें हमारे देश का पूर्ण विकास करना है तो हमें में राष्ट्रीय एकता का होना आवश्यक है।

उपसंहार

विज्ञान की उन्नति के कारण आज भौतिक विकास अपनी चरम सीमा पर है। यदि भौतिक विकास के साथ-साथ वैचारिक विकास भी बनाए रखा जाए, तो राष्ट्रीय एकता की भावना को बल मिलेगा, जिससे देश और भी मजबूत होगा। एक संगठित देश को विश्व पटल पर बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो राष्ट्र संगठित होता है, उसे न कोई तोड़ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाड़ सकता है। अतः प्रत्येक भारतीय का यह कर्तव्य है कि देश की एकता तथा अखंडता को बनाए रखने का हर संभव प्रयास करें।

भारत की विशेषता उसकी अनेकता में एकता का होना है। किसी भी राष्ट्र के लिए राष्ट्र की एकता हथियार के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय एकता के न होने की स्थिति में किसी भी राष्ट्र को बड़ी आसानी से तोड़ा जा सकता है। अतः हम सभी देशवासियों को राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझना चाहिए। राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ही कानून की किताब (संविधान) को नीतियों से भरा गया है। स्वतंत्र भारत के लिए राष्ट्रीय एकता महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। अतः हमें हर हाल में राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना चाहिए।

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राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका पर निबंध (Role of Sardar Vallabhbhai Patel in National Integration Essay in Hindi)

गुजरात के नडियाद जिले में सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को पटीदार जाति के एक जमींदार परिवार में हुआ था। सरदार पटेल का वास्तविक नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था। इन्होंने देश की आजादी में और स्वतंत्रता के बाद देश के एकीकरण में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

राष्ट्रीय एकता में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Role of Sardar Vallabhbhai Patel in National Integration in Hindi, Rashtriya Ekta mein Sardar Vallabhbhai Patel ki Bhumika par Nibandh Hindi mein)

सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक किस्सों के बारे में आज हम इस निबंध के माध्यम से जानेंगे।

राष्ट्रीय एकता और सरदार वल्लभभाई पटेल – 950 Words Essay

वकालत में महारत हासिल किए हुए सरदार वल्लभभाई पटेल जी ब्रिटिश न्यायाधीशों के लिए एक चुनौती समान थें। इंग्लैंड से उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। जहां उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के समस्त छात्रों में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सरदार पटेल एक कुशल अधिवक्ता होने के साथ साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता भी थें। उन्होंने भारत के प्रथम उपप्रधानमन्त्री और गृह मंत्री का पद संभाला था। सरदार पटेल का व्यवहार स्वार्थ और अहंकार से परे था।

सरदार वल्लभभाई पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel )

सरदार पटेल के पिता झावेरभाई और माता लाडबा देवी थीं। वे अपने माता पिता की चौथी संतान थें। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा करमसाद से तथा पेटलाड से हाई स्कूल की पढ़ाई की थी। 16 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह हो गया था। 22 वर्ष की उम्र में मेट्रिक पास करने के बाद उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1900 में उन्होंने गोधरा में जिला अधिवक्ता का स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया। 1908 में उनकी पत्नी के स्वर्गवास होने के बाद उन्हें ही अपने एक बेटे और बेटी की सारी जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ी। देश के लिए अपना योगदान देते हुए सरदार पटेल 15 दिसंबर 1950 को अपने देश भारत को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चले गए।

पटेल को भारत का लौह पुरुष क्यों कहा जाता है ? ( Why is Patel called the Iron Man of India? )

15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद भी पूरा भारत 562 छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा हुआ था। आजादी के बाद प्रथम उपप्रधानमन्त्री, प्रथम गृह मंत्री, प्रथम सूचना मंत्री पद के साथ साथ उन्हें 5 जुलाई 1947 को गठित रियासत विभाग के मंत्री पद की भी जिम्मेदारियाँ दी गई थी। इस विभाग के अंतर्गत समस्त रियासतों का एकीकरण करना था जिसका कार्यभार सरदार पटेल के कंधों पर था।

एक बार जब उन्हें पता चला कि बस्तर रियासत के कच्चे सोने के क्षेत्र को हैदराबाद के नवाब निजाम पट्टे पर खरीदना चाहते हैं तो सादर पटेल अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने निकल पड़ें। उन्होंने उड़ीसा, नागपुर, काठियावाड़, मुंबई, पंजाब जैसे बड़े बड़े रियासतों का एक एक करके भारत में विलय करवाया।

कश्मीर, जूनागड़ तथा हैदराबाद रियासत का एकीकरण करने में सरदार पटेल को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था परंतु उन्होंने अपनी बुद्धिमता और सूझ बूझ से इन तीनों रियासतों को भी भारत में मिला लिया। हैदराबाद रियासत के लिए सरदार पटेल को लगभग चार दिनों के लिए सेना और पुलिस प्रशासन की जरूरत पड़ी थी। सबसे अंत में भोपाल रियासत भारत में मिला था। सरदार पटेल के इन्हीं योगदानों के लिए उन्हें “लौह पुरुष” की संज्ञा दी गई।

वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि किसने दी ? ( How did Vallabhbhai Patel became Sardar? )

सरदार पटेल ने अपने बैरिस्टर की वेशभूषा को छोड़कर गांधीमार्ग पर चलते हुए खादी वस्त्र अपना लिया था। 1918 के लगभग, किसानों का फसल खराब हो जाने के बावजूद भी ब्रिटिश सरकार द्वारा कर में कटौती न करने पर गांधी जी ने सरदार पटेल को खेड़ा आंदोलन के कमांडर के रूप में चुना। सरदार पटेल ने सभी ग्रामीणों को इकट्ठा करके कर न देने का आग्रह किया। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार को किसनों की मांग माननी पड़ी और खेड़ा आंदोलन की सफलता के बाद सरदार पटेल किसानों के लिए एक आदर्श बन गए।

गुजरात में शराब बंदी, महिला सशक्तिकरण, अस्पर्शीयता और जातिगत भेदभाव के साथ साथ उन्होंने 1920 में कानूनी प्रथा को समाप्त करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए। जिसके कारण उन्हें 1922, 1924 तथा 1927 में अहमदाबाद नगर का अध्यक्ष चुना गया। 1928 में उन्होंने गुजरात में अकाल के कारण पीड़ित हुए लोगों की भरपूर मदद की और ब्रिटिश सरकार से पूरे कर वापसी की मांग की। उनके इस मांग के आगे भी ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़े। वल्लभभाई पटेल के इन्हीं योगदानों के कारण उन्हें बारदौली के किसानों ने प्यार से सरदार कहना शुरू किया और धीरे धीरे वो इसी नाम से विध्यात हो गए।

सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने? (Why Sardar Patel Not became Prime Minister)

1946 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के लिए कांग्रेस समितियों की राय मांगी गई जिसमें सरदार पटेल को पंद्रह प्रदेश कांग्रेस समितियों ने चुना, एक ने जे. बी. कृपलानी को चुना जबकि नेहरू को एक भी वोट नहीं मिले। इस परिणाम से महात्मा गांधी बिल्कुल भी खुश नहीं थे और उन्होंने सरदार पटेल से पीछे हटने तथा जवाहर लाल नेहरू को अध्यक्ष बनाने के लिए सहयोग करने को कहा। महात्मा गांधी की बात का आदर करते हुए पटेल जी ने खुद को चुनाव के दौड़ से बाहर कर लिया और जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष बनाए गए। उस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में जो भी होता उसे ही भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाए जाने का निश्चय किया गया था। जिसके कारण सरदार पटेल की बजाय जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

गांधी जी के सरदार पटेल को पीछे हटने के कहने का कारण यह था कि उनके अनुसार जवाहर लाल नेहरू का विदेश से अच्छा संबंध था और नेहरू विदेशी विचारधारा से भली भांति वाक़िफ़ थें जबकि सरदार पटेल भारत की समस्याओं और लोगों से अच्छि तरह से परिचित थें। इसीलिए नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री और सरदार पटेल को प्रथम उपप्रधानमंत्री बने।

सरदार पटेल ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत और भरवासियों के हित के लिए लगा दिया। उन्होंने हर जाति वर्ग के लोगों के विचारों को बहुत मान दिया और उनको आवश्यकता अनुसार हर सुविधाएं मुहैया करवाने का भरसक प्रयास किया। अगर साफ़ शब्दों में कहें तो इतिहास में सरदार पटेल के अलावा कोई दूसरा नाम उपयुक्त नहीं लगता है जो कि सभी 562 छोटे-बड़े रियासतों को भारत के संघ में मिलाने का साहस कर पाता। राष्ट्रीय एकता/एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान हमें कदापि नहीं भूलना चाहिए।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का नारा – “लोहा भले ही गर्म हो लेकिन हथौड़ा ठंडा रखना चाहिए वरना स्वयं का ही हाथ जल जाएगा।”

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – “पटेल: अ लाइफ” नामक पुस्तक राजमोहन गांधी ने लिखी।

उत्तर – भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे।

उत्तर – सरदार पटेल को भारत के बिस्मार्क के नाम से जाना जाता है।

उत्तर – सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में सरदार पटेल की प्रमुख भूमिका थी।

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राष्ट्रिय एकता पर 10 वाक्य | 10 Lines on National Integration in Hindi

10 lines on national integration in hindi.

10 Lines on National Integration in Hindi | राष्ट्रिय एकता पर 10 वाक्य कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 के लिए। “राष्ट्रीय एकता” किसी देश की सामाजिक और आर्थिक दोनों स्थिति को बहुत व्यापक तरीके से परिभाषित करता है। एकता के सही अर्थ को समझना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यहां पर विभिन्न जातियों, समुदायों, धर्मों, क्षेत्रों, और संस्कृतियों से संबंधित व्यक्ति निवास करते हैं और विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोलते हैं। राष्ट्रीय एकता किसी भी देश के नागरिकों के बीच एक परस्पर पहचान है। तो आइये जानते है सरल भाषा में राष्ट्रिय एकता पर 10 वाक्य।

Set (1) 10 Lines on National Integration in Hindi

1. राष्ट्रीय एकता हर साल 19 नवंबर से 25 नवंबर तक मनाया जाता है।

2. किसी भी राष्ट्रय के नागरिकों के बीच आपसी सहमति, भाईचारा और  एकता की भावना है।

3. भारत राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रदर्शित करने के लिए एक उचित उदाहरण है।

4. राष्ट्रीय एकता सभी नागरिक में समरसता और समान पहचान की एक प्रक्रिया है।

5. स्वतंत्रता के समय भारत में राष्ट्रीय एकता ने एक गतिशील भूमिका निभाई।

6. प्रत्येक वर्ष भारतीय त्योहार सभी में राष्ट्रीय एकता की भावना उत्पन्न करते हैं।

7. राष्ट्रीय एकता राष्ट्र की प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

8. राष्ट्रीय एकता किसी भी देश के समग्र विकास के लिए आवश्यक स्तंभों में से एक है।

9. राष्ट्रिय भावना का मुख्य उद्देश्य जनता के बीच लोकतंत्र और एकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

10. भारत के प्रत्येक नागरिक को असामाजिक तत्वों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए।

ये भी देखें – 10 Lines on morning walk in Hindi

***************************************************

Set (2) 10 Lines on National Integration in Hindi

1. देश को शक्तिशाली बनाने के लिए राष्ट्रीय एकता में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी महत्वपूर्ण है।

2. सांप्रदायिकता, आतंकवाद, वैश्विक, और जातिवाद राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां और खतरे हैं।

3. राष्ट्रीय एकता व अखण्डता किसी भी राष्ट्र को मजबूत बनाने में मदद करती है।

4. यह सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक विकास के मामले में एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है।

5. नागरिको में राष्ट्रवाद की भावना राष्ट्र को विकास के पथ पर ले जाने में मदद करती है।

6. राष्ट्रिय के असामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ने के लिए हम सभी को एकजुट होना चाहिए।

7. राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को पूरी तरह से सुरक्षित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

8. भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने यह साबित कर दिया कि विभाजन से ज्यादा ताकत एकता में होती है।

9. राष्ट्रिय एकता किसी भी संस्कृति, जाति, धर्म, और भाषा आदि सीमाओं को मिटा देती है।

10. एक राष्ट्र की सफलता या असफलता उस राष्ट्रिय की अखंडता पर निर्भर करती है, जो यहां निवास करते है।

ये भी देखें – Long essay on National Integration in Hindi

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Q&A. on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता क्या है.

उत्तर – किसी देश में व्यक्ति विभिन्न जातियों, समुदायों, धर्मों, क्षेत्रों, और संस्कृतियों से संबंधित हैं और विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोलते हैं। राष्ट्रीय एकता किसी भी देश के नागरिकों के बीच एक परस्पर पहचान है। और जो इस तथ्य को पहचानते वही राष्ट्रिय एकता देखने को मिलती हैं।

राष्ट्रीय एकता का उद्देश्य क्या है?

उत्तर – राष्ट्रीय एकता के उद्देश्य कई प्रकार के हो सकते है जैसे – किसी भी धर्म, क्षेत्र, जाति, संस्कृति में अंतर कम करना। परस्पर भाईचारे की भावना को बढ़ाना

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सोचदुनिया

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध

Essay on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध : Essay on National Integration in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध : Essay on National Integration in Hindi

प्रस्तावना :-

एकीकरण का अर्थ एकता से है। राष्ट्रीय एकीकरण का तात्पर्य देश में एकता से है। किसी भी देश में एकता का होना काफी आवश्यक होता है। भारत में राष्ट्रीय एकता ही उसकी पहचान है। भारत में कईं धर्म, जाति व संस्कृति के लोग एक साथ मिलकर रह रहे है।

इतनी असमानताएँ और विभिन्नताएं होने के बावजूद भी भारत में सभी लोग शांति के साथ रहते है। यहीं एकजुटता ही भारत को सभी से अलग और मजबूत बनाती है। भारत की विभिन्नता ही उसे शेष अन्य देशों से विशेष बनाती है।

राष्ट्रीय एकता का महत्व :-

किसी भी देश में एकता का होना अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रीय एकता एक देश को ताकतवर व मजबूत बनाती है। यह एक देश को जोड़ने का कार्य करती है और लोगों के बीच में असमानताओं को कम करती है। इससे लोगों में प्रेमभाव बढ़ता है और सदैव शांति बनी रहती है।

इससे देश मजबूत होता है। एकीकरण देश के लोगों को करीब लाता है। जिस देश में एकीकरण होता है, वह देश कभी भी आसानी से टूटता नहीं है। वह किसी भी कठीन परिस्थितियों में भी डटकर खड़ा रहता है। एकता का एक देश में काफी महत्व होता है।

राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले घटक :-

राष्ट्रीय एकता किसी भी देश को अन्य देशों से मजबूत बनाती है। लेकिन, कईं लोग इस एकता को पसंद नहीं करते है और लोगों को जाति व धर्म के नाम पर लड़वाते है। वें यह सब कुछ अपने छोटे से फायदे को पूरा करने के लिए करते है।

सांप्रदायिकता और धार्मिकता के लिए कईं बार दंगे-फसाद करवाए जाते है। धर्म सबसे ज्यादा एकता को तोड़ने का कार्य करते है। प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म को ऊँचा दिखाना चाहता है, जिस कारण कभी-कभी समस्याएँ भी पैदा हो जाती है।

आज सरकार भी अपने फायदे के लिए या वोट प्राप्त करने के लिए धर्म व जाति के नाम पर राजनीति करती है, जिससे लोगों के बीच में दूरियां पैदा होती है। सरकार लोगों को सिर्फ एक वोट के रूप में ही देखती है।

राष्ट्रीय एकता दिवस :-

प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृहमंत्री थे। उन्होंने सम्पूर्ण भारत को एकीकृत करने के लिए काफी मेहनत की। सन 2014 में पहली बार उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया था।

सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत की अलग-अलग रियासतों को एक साथ लाकर भारत को एक मजबूत देश बनाया। आज भारत एकता के साथ खड़ा है, तो उसमें उनका बहुत बड़ा योगदान है।

एकता एक ऐसे धागे की तरह होती है, जो सभी को एक साथ बांधकर रखती है। यह हमेशा ही लोगों में प्रेमभाव पैदा करती है। जिस देश में एकता होती है, उसमें समस्याएँ भी कम होती है। इसलिए, हमें इसके महत्व को समझना चाहिए और दूसरों को भी समझाना चाहिए।

भारत की इस एकता ने ही उसे आज इस दुनिया में इतनी अलग पहचान दी है। देश के लोगों की एकता ही इस देश को मजबूत बनाती है, इसलिए हम सभी को हमेशा देश की एकता को ऐसे ही बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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Importance of National Integration for Students and Children

500+ words essay on importance of national integration.

National Integration is the bond and togetherness between people regardless of their caste, creed, religion or gender . It is the feeling of oneness, brotherhood and social unity under communities and society in a country. National Integration helps to keep the country unified and strong from within despite the diversities. So, the importance of national integration can be from the fact that the nation which remains integrated. It will always progress on the track of development and prosperity.

importance of national integration

What is the Importance of National Integration?

National integration plays a dynamic role in making the country as one. This happens only by uniting every section of society. It provides an equal opportunity for each citizen. It also offers an equal platform in terms of social, cultural and economic development .

National integration also helps to unite the minorities as well as gives them the freedom to live their life in their way without any interference. Thus National integration is also essential for the country’s development. Because the country with national unity will always flourish and develop.

Aims of National Integration

National integration principally aims at providing a better environment for the people of a country. Thus they can develop themselves in all the aspects. It also aids to bind multi-racial and multilingual country like India, which has people with diverse culture and tradition. It also multiplies the union of brotherhood amongst communities, societies and the people.

National integration also helps in keeping the stability of a country and adds up to its whole development. It supports to nurture communal harmony and fights casteism, regionalism, and linguism, etc. National Integration improves the feeling of loyalty and fraternity towards the nation. It unites the people in case of any national emergency.

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How to Promote National Integration?

As national integration demonstrates a crucial part in the development of a country, it becomes important to develop the feeling of national integrity among its citizens. Therefore, focus on all the sections of society and making them financially dependent will promote national integration.

This will help to promote economic integrity. This is one of the most important factors in promoting national integration. Tolerance and respect for other caste or religion also support to promote national integrity. Education, social and cultural unity, equality among people also helps to teach the feeling of national integration.

Advantages of National Integration

National integration plays a very important role in the political, economic, cultural and social dimensions of a country. It helps the country in the following ways:

  • Promotes Social Harmony

National integration makes the people of a country be present in harmony. This works only by strengthening the social bond between them. It indorses brotherhood, peace, and tolerance among them.

  • Unites the Nation

National integration aids to unite people of different race, caste, creed or thoughts and makes the country as a single entity. it strengthens the country and makes it powerful on the international platform.

  • Increases Economic Growth

It is a well-known fact that the country has less internal matters and problems. They will always prosper and develop. The country which is united will always have fewer problems as compared to the country which is socially unstable.

  • Promotes Loyalty for the Nation

National integration indorses loyalty of the citizen for the country. It aids to make people join hands and stand for the advancement of the country forgetting their petty issues.

Significance of National Integration in Modern Era

National integration plays a more significant role in modern times. Hence it has challenges like communalism, regionalism, linguism, etc. Global terrorism is also one of the major threats to national integration. While few people with radical thoughts convince the population and brainwash them. They provoke them against their motherland.

In the era of technological advancements and the accessibility of social media. It is very easy to get deceived. National integration helps to ignore these situations. It makes people intellectually mature and tolerant.

National integration is very significant for a country because it is seen many times in the history of mankind that the integrity of a nation fell in danger. It had confronted major challenges from within and also became a victim of foreign assaults. Hence national integration plays a significant role in making of a nation. It keeping it alive in history with sustained development.

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essay on national integration in hindi

national integration essay in hindi | राष्ट्रीय एकता पर निबंध

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  national integration essay in hindi | राष्ट्रीय एकता पर निबंध प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) राष्ट्रीय एकता एवं सुरक्षा पर निबंध (2) राष्ट्रीय एकता और अखंडता निबंध (3) राष्ट्रीयता एवं सुरक्षा पर निबंध (4) वर्तमान परिवेश में राष्ट्रीय एकता का स्वरूप पर निबंध

पहले जान लेते है national integration essay in hindi,राष्ट्रीय एकता पर निबंध,rashtriy ekta par nibandh की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा-

1. प्रस्तावना 2. राष्ट्रीयता 3. भावात्मक एकता 4. राष्ट्रीयता की आवश्यकता 5. राष्ट्रीयता के अभाव के कारण (क) प्रांतीयता (ख)भाषा-विवाद (ग)संकीर्ण मनोवृत्ति 6.वर्तमान स्थिति 7. उपसंहार

राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध,राष्ट्रीय एकता की समस्या पर निबंध,राष्ट्रीय एकता पर 12वीं के लिए निबंध point wise,राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान पर निबंध,राष्ट्रीय एकता में हिंदी का महत्व पर निबंध,bharat ke rashtriya ekta par nibandh,राष्ट्रीय एकता पर छोटा निबंध,rashtriya ekta par nibandh in hindi,rashtriya ekta par nibandh in gujarati,rashtriya ekta diwas par nibandh in hindi,national integration essay in hindi,राष्ट्रीय एकता पर निबंध,राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता पर निबंध,

भारत एक विशाल देश है – उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक, पूर्व में नागालैंड से लेकर पश्चिम में गुजरात तक भारत माता का विशाल भव्य रूप सर्वदर्शनीय एवं पूजनीय है।

भारत में अनेक प्रदेश हैं। यहांँ के निवासियों में अत्यधिक विविधता तथा अनेकरूपता है।

तथापि इस विभिन्नता एवं अनेकरुपता में भी एक ऐसी एकता विद्यमान है जो हम सब को एक-दूसरे से मिलाए हुए है।

एक ऐसा महत्वपूर्ण सूत्र है जो विविध मणियों को जोड़कर एक सुंदर बहुरंगी माला का रूप दे देता है।

यह सूत्र ही हमारी भावनात्मक एकता है। यह भावनात्मक एकता ही संपूर्ण राष्ट्र में एक राष्ट्रीयता को जन्म देती है।

राष्ट्रीयता

राष्ट्रीयता की भावना ही वह ज्वलंत भावना है जो किसी देश के नागरिकों में देश-प्रेम और आत्म-गौरव की भावना पैदा करती है।

इस पुनीत भावना के जाग्रत होने पर ही किसी राष्ट्र के नागरिक राष्ट्र के लिए हंँसते-हंँसते अपने प्राणों का बलिदान कर देते हैं।

यह वह भावना है जो संपूर्ण देश के नागरिकों में एकता की इस भावना को जन्म देती है कि राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक मेरा भाई मेरा भाई है, उसकी सहायता व सहयोग करना मेरा परम कर्तव्य है।

राष्ट्रीयता की भावना ही नागरिकों के हृदय में मातृभूमि का श्रद्धामय मातृरूप अंकित करती है।

राष्ट्र की धरती हमारी माता है उसका अन्न-जल खाकर हम पलते हैं, उसकी गोद में पलकर हम पुष्ट होते हैं और उसकी वायु में श्वास लेकर ही हम प्राणवान होते हैं।

उस मातृभूमि का कण-कण हमारे प्राणों से प्यारा है। उसके कण-कण की रक्षा करना हमारा परम धर्म है।

मातृभूमि के इस समग्र और अखंड रूप की रक्षा करने की भावना का मूल स्रोत राष्ट्रीयता की भावना ही है।

राष्ट्रीयता के इस पवित्र भावना के अभाव में किसी देश का उत्थान और समृद्धि तो दूर की बात है, उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है।

भावनात्मक एकता

हमारी राष्ट्रीयता का मूल आधार हमारी भावनात्मक एकता है। हमारे इस विशाल देश में भाषा, वेशभूषा रहन-सहन, खान-पान संबंधी अनेक विषमताएँ हैं।

धर्मों और जातियों में अनेकता है तथापि हम सब एक हैं। इस एकता और अखंडता का आधार भावनात्मक और सांस्कृतिक एकता है।

हमारी संस्कृत अविभाज्य है। विभिन्न धर्मों के होते हुए भी हमारी भावना एक है।

बाहरी जीवन, वेशभूषा आज में भेद होते हुए भी हमारा जीवन-दर्शन एक है। हम मानव मात्र में एकता के दर्शन करते हैं।

यही हमारा जीवन-दर्शन है। भारतीय संस्कृति में पलने वाला हर नागरिक प्रतिदिन पूजा के समय कामना करता है-

      “सर्वे भवंतु सुखिनः , सर्वे संतु निरामया: ।       सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद दु: खभाग् भवेत्।।”

प्राणी मात्र को सुखी बनाना ही भारतीयों का मुख्य उद्देश्य है। हमारा यह उद्देश्य ही राष्ट्रीयता से ऊपर उठाकर हमें अंतरराष्ट्रीयता की ओर ले जाता है।

राष्ट्रीयता की आवश्यकता

राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं सार्वभौम सत्ता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीयता की भावना का उदय होना परमावश्यक है।

यही वह भावना है जिसके कारण राष्ट्र के नागरिक अपने राष्ट्र के सम्मान, गौरव और हितों का चिंतन करते हैं।

हमारे देश में विगत वर्षों से राष्ट्रीयता की भावना कुछ दबने लगी है। अनेक दल उठ खड़े हुए हैं और लोगों का नैतिक पतन हुआ है।

सब स्वार्थ के वशीभूत होकर राष्ट्र के हित को भूलकर अपनी-अपनी सोचने लगे हैं। “अपना भर, और की फिक्र मत कर” – की भावना पनपने लगी है।

प्रादेशिकता, जातीयता तथा भाई-भतीजावाद इतना बढ़ गया है कि देश का भविष्य अंधकारमय दिखाई पड़ने लगा है।

संकट के इस समय में हमें विवेक से काम लेना चाहिए। हमारे नेताओं और सरकार को चाहिए कि वे स्वार्थ का त्याग करें, कुर्सी का मोह छोड़ें, अपने राजनैतिक लाभ के लिए देश को संकट में ना डालें।

सरकार और मंत्रियों को चाहिए कि वह स्वार्थ से ऊपर उठ कर राष्ट्र के कल्याण की बात सोचें। यदि ऐसा न हुआ तो देश कहांँ जाएगा, कहना कठिन है।

राष्ट्रीयता के अभाव के कारण

किसी राष्ट्र में राष्ट्रीयता का अभाव तभी होता है जब वहांँ के निवासियों के हृदय से भावनात्मक एकता नष्ट हो जाती है।

संकीर्ण भावनाएंँ पारस्परिक भेद की दीवारें खड़ी कर देती हैं और विभिन्न वर्गों के लोग अपने स्वार्थों में फंस जाते हैं।

सभी लोग अपना भला चाहने लगते हैं और दूसरों का हित करने लगते हैं। हमारे देश में या वर्गवाद कई रूपों में पनप रहा है।

(क) प्रांतीयता

कभी-कभी प्रांतीयता की संकीर्ण भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि वह राष्ट्रीयता को दबा देती है।

लोग यह भूल जाते हैं कि राष्ट्र रुपी देवता के शरीर का यदि एक अंग हृष्ट-पुष्ट हो जाए और अन्य अंग दुर्बल हो जाएंँ तो दुर्बल अंगों की दुर्बलता का प्रभाव हृष्ट-पुष्ट अंग पर भी पड़ेगा।

(ख) भाषा-विवाद

भाषा संबंधी विवादों ने राष्ट्रीयता को बहुत आघात पहुंचाया है। इसमें भाषावार प्रांतों की मांग उठती है।

कुछ ही वर्ष पहले दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध में ऐसे भयानक उपद्रव हुए जिससे उत्तर भारत के लोगों की भावनाओं को बहुत ठेस पहुंची।

(ग) संकीर्ण मनोवृत्ति

जाति,धर्म और संप्रदाय के नाम पर जब लोगों की विचारधारा संकीर्ण हो जाती है तब राष्ट्रीयता की भावना मंद पड़ जाती हैं।

लोगों के सामने एक महान राष्ट्र का हित न रहकर एक सीमित वर्ग का संकुचित हित-चिंतन मात्र ही रह जाता है।

वर्तमान स्थिति

उपर्युक्त कारणों से हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावनात्मक एकता का बहुत हृास हुआ है।

स्वतंत्रता की प्राप्ति के पश्चात तो कुछ ऐसी हवा चली कि राष्ट्र की एकता को काफी धक्का लगा।

उसी का परिणाम है कि आज ‘हिंदुस्तान हमारा है’ के स्थान पर ‘पंजाब हमारा है’ , ‘मद्रास हमारा है’  के नारे लगने लगे हैं।

धर्म, भाषा, जाति तथा वर्ग विशेष के नाम पर देश टुकड़ों में बंँटने लगा है। ये टुकड़े आपस में ऐसे टकराने लगे हैं कि एक दूसरे को चूर-चूर करने को तैयार हो रहे हैं। राष्ट्र पतन के कगार तक पहुंँच गया लगता है।

लोग गांधी,नेहरू और पटेल जैसे नेताओं द्वारा दिखाए गए आदर्शों को भूलकर स्वार्थ में अंधे हो रहे हैं।

आवश्यकता इस बात की है कि हम राष्ट्रीयता को समझें। हमें केवल अपना नहीं, राष्ट्र का हित सोचना होगा।

राष्ट्र के हित में ही हमारा हित है,राष्ट्रीय सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा है और राष्ट्र के उत्थान एवं विकास में ही हमारा उत्थान और विकास है।

राष्ट्र का विकास चाहने वाले सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे संकीर्ण  भावनाओं से ऊपर उठकर, केवल अपने परिवार या जाति की संकीर्ण भावना को छोड़कर आपसी फूट, कलह और झगड़ों में अपनी शक्ति का अपव्यय न कर राष्ट्र कल्याण के चिंतन में लगे और अपने पास-पड़ोस के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को जगाने का प्रयास करें।

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Final words

दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको national integration essay in hindi,राष्ट्रीय एकता पर निबंध कैसा लगा ।

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  • Essays in Hindi /

National Safety Day Essay : ऐसे लिखें राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर निबंध

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  • Updated on  
  • अप्रैल 29, 2024

National Safety Day Essay in Hindi

हर साल 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के अवसर पर जीवन के सभी क्षेत्रों में सुरक्षा के महत्व के विषय में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससीआई) लोगों को सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें इस विषय में अपने दैनिक जीवन में सुरक्षा नियम का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। यहाँ National Safety Day Essay in Hindi के बारे में बताया जा रहा है।

This Blog Includes:

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस क्या है (national safety day essay in hindi) , राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर 100 शब्दों में निबंध (national safety day essay in hindi) , राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर 200 शब्दों में निबंध (national safety day in essay hindi) , राष्ट्रीय सुरक्षा का अर्थ , राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्व , राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे , राष्ट्रीय सुरक्षा के उपाय , सरकार के उपाय, नागरिकों के उपाय , राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का महत्व, उपसंहार .

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो नागरिकों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। इस दिवस पर कई संगठन, उद्योग और शैक्षिक संस्थान सुरक्षा कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन कार्यक्रमों में सुरक्षा प्रदर्शन, मॉक डील्स और क्षेत्र के विशेषज्ञों के लेक्चर्स आदि शामिल हैं। सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इस दिन कॉलेजों और स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम जैसे वाद विवाद प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिता आदि आयोजित किए जाते हैं। 

यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day in Hindi ) पर 100 शब्दों में निबंध दिया गया है-

हर साल 4 मार्च को भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने की परंपरा वर्ष 1972 में रखी गई थी। इसका उद्देश्य देश में कार्यस्थल पर होने वाली चोटों को रोकने के लिए जागरूकता पैदा करना होता है। यह एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज बनाने के लिए सामूहिक दायित्व पर बल देता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस लोगों को कार्यस्थल, घर और सड़कों लोगों को शिक्षित करता है। यह दिवस सुरक्षित वातावरण के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करता है। इस दिवस का एक अन्य महत्व स्वास्थ्य कल्याण को बढ़ावा देना भी है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस केवल एक दिवसीय आयोजन नहीं है, वरन यह एक सतत अभियान है। इसका लक्ष्य देश को सभी के लिए सुरक्षित बनाना है। यह हमें याद दिलाता है कि देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।  

यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day in Hindi ) पर 200 शब्दों में निबंध दिया गया है :  

हर साल 4 मार्च को भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस न केवल हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को याद दिलाता है, बल्कि यह भी प्रेरित करता है कि हम अपने दैनिक जीवन में सुरक्षा के प्रति सचेत रहें।

एक मजबूत राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। इसका अर्थ है बाहरी खतरों से राष्ट्र की रक्षा करना, आंतरिक शांति बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। राष्ट्रीय सुरक्षा से ही देश का विकास संभव होता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सेना और पुलिस का दायित्व नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है। हमें पूरी तरह से सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस हमें यह याद दिलाने का अवसर प्रदान करता है कि हम सब मिलकर एक सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। आइए हम सब मिलकर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें और अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना योगदान दें।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस हर साल विभिन्न विषयों के साथ मनाया जाता है।इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे कि जागरूकता रैलियां, सेमिनार, और प्रदर्शनियां।हम सब मिलकर मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं। 

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर 500 शब्दों में निबंध

यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day in Hindi) पर 500 शब्दों में निबंध दिया गया है-

हर साल को 4 मार्च को भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस न केवल हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व की याद दिलाता है, साथ ही साथ हमें यह इस बात के लिए भी प्रेरित करता है कि हम अपने दैनिक जीवन में सुरक्षित रहें। 

राष्ट्रीय सुरक्षा का अर्थ किसी राष्ट्र की बाहरी खतरों से रक्षा करना, आंतरिक शांति बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसमें राजनैतिक, आर्थिक और सामजिक सुरक्षा भी शामिल है। 

आज के दौर में, राष्ट्रों को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें शामिल हैं:

  • आतंकवाद: आतंकवाद एक गंभीर खतरा है जो निर्दोष लोगों की जान ले सकता है और देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को बाधित कर सकता है।
  • साइबर अपराध: साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
  • परमाणु हथियारों का प्रसार: परमाणु हथियारों का प्रसार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा के उपाय बताए गए हैं-

राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे।

  • सैन्य शक्ति को मजबूत करना: सरकार को अपनी सेना और नौसेना को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करना चाहिए।
  • आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना: सरकार को पुलिस और खुफिया एजेंसियों को मजबूत बनाना चाहिए ताकि आतंकवाद और अपराध को रोका जा सके।
  • साइबर सुरक्षा को मजबूत करना: सरकार को साइबर अपराधों से निपटने के लिए मजबूत कानून बनाने चाहिए और नागरिकों को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करना चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सरकार को अन्य देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी करनी चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का सामना किया जा सके।
  • सेना और पुलिस का समर्थन: नागरिकों को सेना और पुलिस का समर्थन करना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
  • सुरक्षा के प्रति सचेत रहना: नागरिकों को अपने आसपास के वातावरण के प्रति सचेत रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए।
  • राष्ट्रीय एकता: नागरिकों को राष्ट्रीय एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सके।
  • सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाना: नागरिकों को सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को सुरक्षित रहने के तरीके सिखाने के लिए अभियान चलाने चाहिए।

यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का महत्व बताया गया है-

  • राष्ट्रीय दिवस राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। नागरिकों को विभिन्न प्रकार के खतरों, जैसे आतंकवाद, साइबर अपराध, प्राकृतिक आपदाओं आदि से अवगत कराया जाता है।
  • यह दिवस हमें सजग रहने और अपने आसपास के माहौल पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देना हमारा कर्तव्य है।
  • यह दिवस हमें याद दिलाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सेना और पुलिस का दायित्व नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है।
  • यह दिवस हमें एकजुट होकर काम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए मिलकर प्रयास करने की प्रेरणा देता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को याद दिलाने और इसे मजबूत बनाने के लिए मिलकर प्रयास करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा दिवस है जब हमें अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना चाहिए और इसे एक सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।

सम्बंधित आर्टिकल्स

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के माध्यम से समाज को सुरक्षा के महत्व को समझाया जाता है, जो उनके और उनके परिवार के सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के अध्यक्ष अजीत डोभाल हैं।

4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत इसलिए की गई ताकि लोगों को दुर्घटना से बचने का उपाय बताएं जा सके। 

आशा है कि आपको National Safety Day Essay in Hindi की जानकारी मिली होगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

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राष्ट्रीय एकता पर निबंध-Essay on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर एक व्यापक निबंध देखें (Essay on National Integration in Hindi), जिसमें इसके महत्व, चुनौतियों और समाधानों पर प्रकाश डाला गया है। जानें कि कैसे विविध राष्ट्र एकता को बढ़ावा देते हैं, सांस्कृतिक समृद्धि का जश्न मनाते हैं और एक सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए समावेशिता को बढ़ावा देते हैं।

Table of Contents

Essay on National Integration in English || Essay on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर हिंदी में 10 पंक्तियाँ निबंध (Essay on National Integration in Hindi)

  • राष्ट्रीय एकता विविध पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देती है।
  • यह साझा मूल्यों और एक ही राष्ट्र से संबंधित होने की भावना पर जोर देता है।
  • सांस्कृतिक विविधता एक मूल्यवान संपत्ति है जो किसी राष्ट्र की पहचान को समृद्ध करती है।
  • विभिन्न संस्कृतियों के त्योहार मनाने से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा मिलता है।
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में शैक्षणिक संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शिक्षा और रोजगार के समान अवसर समावेशिता सुनिश्चित करते हैं।
  • आर्थिक परस्पर निर्भरता सहयोग और साझा प्रगति को प्रोत्साहित करती है।
  • नेतृत्व और शासन जो एकता को प्राथमिकता देते हैं, एक सामंजस्यपूर्ण समाज में योगदान करते हैं।
  • एक मजबूत और लचीले राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकता आवश्यक है।
  • इसके लिए व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों के निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

Essay on National Integration in Hindi

राष्ट्रीय एकता पर हिंदी में 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on National Integration in Hindi)

राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ है विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों को सद्भाव और एकता के साथ रहने के लिए एक साथ लाना। यह एक बड़ा, खुशहाल परिवार होने जैसा है, भले ही हम अलग-अलग हों। भारत में, हमारी कई भाषाएँ, संस्कृतियाँ और धर्म हैं, लेकिन हम सभी अपने देश से प्यार करते हैं। हम अपने त्योहार एक साथ मनाते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। जब हम एक साथ काम करते हैं और खेलते हैं, तो हम अपने देश को मजबूत बनाते हैं। राष्ट्रीय एकता महत्वपूर्ण है क्योंकि जब हम एक साथ होंगे तो हम समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और अपने देश को बेहतर बना सकते हैं। तो आइए सभी से दोस्ती करें और एकजुट रहकर अपने देश को गौरवान्वित करें।

राष्ट्रीय एकता पर हिंदी में 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on National Integration in Hindi)

राष्ट्रीय एकता तब होती है जब विभिन्न स्थानों और पृष्ठभूमियों के लोग एक साथ आकर एक बड़ा, खुशहाल परिवार बनाते हैं। हमारे देश, भारत में बहुत सारी भाषाएँ, भोजन और त्यौहार हैं। लेकिन हम सभी अपने देश से प्यार करते हैं और शांति से एक साथ रहना चाहते हैं।

हमारे देश को एक बड़ी पहेली समझें। प्रत्येक टुकड़ा अलग है, जैसे अलग-अलग भाषा और संस्कृति वाले लोग। लेकिन जब हम टुकड़ों को एक साथ जोड़ते हैं, तो हमें एक सुंदर तस्वीर दिखाई देती है। यही तो राष्ट्रीय एकता है-मिलकर रहकर अपने देश को सुंदर बनाना।

हम दिवाली, ईद और क्रिसमस जैसे त्योहार एक साथ मनाते हैं। हम अपने स्वादिष्ट भोजन और कहानियाँ साझा करते हैं। इससे हम एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और दोस्त बन जाते हैं।

जब हम एक साथ खेल खेलते हैं और सीखते हैं, तो हम मजबूत बनते हैं। सुपरहीरो की एक टीम की तरह, हम समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और अपने देश को बेहतर बना सकते हैं। हमारे नेता सभी के साथ समान व्यवहार करने के नियम बनाते हैं। यह राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण है.

याद रखें, हम सभी इंद्रधनुष के रंगों की तरह हैं – अलग-अलग लेकिन एक साथ होने पर सुंदर। राष्ट्रीय एकता हमारे देश और एक-दूसरे के प्रति प्यार दिखाने का हमारा तरीका है। तो, आइए अच्छे दोस्त बनें और अपने देश को चमकाएँ!

राष्ट्रीय एकता पर हिंदी में 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on National Integration in Hindi)

राष्ट्रीय एकता: विविधता में एकता का निर्माण

राष्ट्रीय एकीकरण एक अवधारणा है जो विभिन्न पृष्ठभूमियों, संस्कृतियों और क्षेत्रों के लोगों को एक एकजुट राष्ट्र के रूप में एक साथ लाती है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय एकता महत्वपूर्ण है कि सभी नागरिक सद्भाव से रहें और राष्ट्र की प्रगति के लिए काम करें।

विविधता को समझना: एक सुंदर मोज़ेक

भारत विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के साथ एक रंगीन पच्चीकारी की तरह है। किसी पेंटिंग में अलग-अलग रंगों की तरह, ये विविध तत्व हमारे देश को अद्वितीय और सुंदर बनाते हैं। प्रत्येक भाग हमारे देश की पहचान की समृद्ध टेपेस्ट्री में योगदान देता है।

उत्सवों में एकता: त्यौहार जो हमें जोड़ते हैं

देशभर में दिवाली, ईद, होली और क्रिसमस जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। ये उत्सव विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाते हैं। हम मिठाइयाँ बाँटते हैं, शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे की परंपराओं का आनंद लेते हैं। यह दर्शाता है कि हमारे मतभेदों के बावजूद, हम एक बड़े परिवार के रूप में जश्न मना सकते हैं।

विविधता में ताकत: एक साथ सीखना

हमारी कक्षाएँ छोटी दुनिया की तरह हैं जहाँ हम एक साथ सीखते हैं और खेलते हैं। जब हम एक टीम के रूप में अध्ययन करते हैं और समस्याओं का समाधान करते हैं, तो हम मजबूत बनते हैं। स्कूलों में, हमारे मित्र विभिन्न स्थानों और संस्कृतियों से होते हैं। एक-दूसरे के रीति-रिवाजों और भाषाओं के बारे में सीखना हमें अधिक समझने और स्वीकार करने योग्य बनाता है।

समान अधिकार: हर कोई मायने रखता है

राष्ट्रीय एकता का अर्थ सभी के साथ उचित व्यवहार करना भी है। हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार की गारंटी देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहां से आते हैं, कौन सी भाषा बोलते हैं, या किस धर्म का पालन करते हैं – कानून की नजर में हम सभी समान हैं। यह हमें अपने राष्ट्र के मूल्यवान सदस्यों की तरह महसूस कराता है।

नेताओं की भूमिका: एकता को बढ़ावा देना

हमारे नेता राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ऐसी नीतियां बनाते हैं जो सुनिश्चित करती हैं कि सभी क्षेत्रों और समुदायों के साथ समान व्यवहार किया जाए। वे किसी भी प्रकार के भेदभाव को हतोत्साहित करते हैं और सभी नागरिकों के कल्याण की दिशा में काम करते हैं।

निष्कर्ष: हमारा साझा भविष्य

निष्कर्षतः, राष्ट्रीय एकीकरण लोगों को एक साथ लाने, हमारे मतभेदों का जश्न मनाने और एक सामान्य लक्ष्य – हमारे राष्ट्र की प्रगति – की दिशा में काम करने के बारे में है। जिस प्रकार एक बगीचा विभिन्न प्रकार के फूलों से अधिक सुंदर होता है, उसी प्रकार जब हम सभी एकजुट होते हैं तो हमारा देश अधिक चमकता है। एक-दूसरे की संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को समझकर और उनका सम्मान करके, हम एक मजबूत और अधिक सामंजस्यपूर्ण भारत का निर्माण करते हैं। युवा छात्रों के रूप में, हमारे पास राष्ट्रीय एकता के संदेश को आगे बढ़ाने और अपने देश को गौरवान्वित करने की शक्ति है।

राष्ट्रीय एकता पर निबंध हिंदी में 500 शब्द (500 Words Essay on National Integration in Hindi)

राष्ट्रीय एकता: विविधता में एकता को बढ़ावा देना.

राष्ट्रीय एकीकरण एक सामंजस्यपूर्ण और एकजुट राष्ट्र बनाने के लिए विविध पृष्ठभूमि, संस्कृतियों, भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाने की प्रक्रिया है। यह नागरिकों के बीच साझा मूल्यों, आपसी समझ और अपनेपन की भावना के महत्व पर जोर देता है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, राष्ट्रीय एकता का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यही वह नींव है जिस पर एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र का निर्माण होता है।

विविधता: एक खजाना निधि

भारत को अक्सर संस्कृतियों का “पिघलने वाला बर्तन” कहा जाता है। अपनी असंख्य भाषाओं, धर्मों, परंपराओं और जातीयताओं के साथ, यह देश विविधता का एक नमूना है। इस विविधता पर काबू पाना कोई चुनौती नहीं है, बल्कि एक खजाना है जो राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को समृद्ध करता है। राष्ट्रीय एकता इस विविधता को स्वीकार करती है और लोगों को अपने मतभेदों के बीच आम जमीन खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सद्भाव

राष्ट्रीय एकता के स्तंभों में से एक सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। दिवाली, ईद, क्रिसमस, होली और कई अन्य त्यौहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। ये उत्सव न केवल अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देते हैं बल्कि एकता की भावना को भी मजबूत करते हैं। वे दिखाते हैं कि विभिन्न मान्यताओं और प्रथाओं के बावजूद, लोग साझा उत्सवों का आनंद लेने के लिए एक साथ आ सकते हैं।

उत्प्रेरक के रूप में शिक्षा

शैक्षणिक संस्थान युवा दिमाग को आकार देने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कूल और कॉलेज ऐसे मंच हैं जहां विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्र एक साथ बातचीत करते हैं, सीखते हैं और बढ़ते हैं। एक सर्वांगीण पाठ्यक्रम जिसमें विभिन्न क्षेत्रों का इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियाँ शामिल हों, विविधता के प्रति सराहना पैदा करता है। यह रूढ़ियों को तोड़ने में मदद करता है और हमारी सामान्य राष्ट्रीय पहचान पर जोर देकर एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

सभी के लिए समान अवसर

राष्ट्रीय एकीकरण में सभी नागरिकों को शिक्षा, रोजगार और विकास के समान अवसर प्रदान करना भी शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी अपनी पृष्ठभूमि के आधार पर हाशिए पर या भेदभाव महसूस न करे। ऐसी नीतियां जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक न्याय, सकारात्मक कार्रवाई और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देती हैं, समावेशिता और एकता की भावना में योगदान करती हैं।

साझा आर्थिक हित

आर्थिक परस्पर निर्भरता एक और पहलू है जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है। जब क्षेत्र या समुदाय व्यापार, संसाधनों या आर्थिक विकास के लिए एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, तो यह सहयोग और साझा नियति की भावना को बढ़ावा देता है। आर्थिक प्रगति क्षेत्रीय या सांप्रदायिक सीमाओं से परे एक सामूहिक लक्ष्य बन जाती है।

नेतृत्व और शासन की भूमिका

राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में नेतृत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे नेता जो विभाजन पर एकता को प्राथमिकता देते हैं, जो नफरत भरे भाषण और भेदभाव को हतोत्साहित करते हैं, और जो राष्ट्र के समग्र कल्याण के लिए काम करते हैं, एक सामंजस्यपूर्ण समाज में योगदान करते हैं। शासन जो कानून के शासन को कायम रखता है, न्याय सुनिश्चित करता है और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, विश्वास और अपनेपन की भावना का पोषण करता है।

निष्कर्ष: हम एकजुट हैं

निष्कर्षतः, राष्ट्रीय एकता वह गोंद है जो विविध राष्ट्रों को एक साथ बांधे रखती है। यह उन मूल्यों पर जोर देते हुए हमारे मतभेदों का जश्न मनाता है जो हमें एक इकाई के रूप में बांधते हैं। भारत की ताकत विविधता के बीच इसकी एकता में निहित है, और राष्ट्रीय एकता वह दिशासूचक यंत्र है जो हमें इस एकता की ओर ले जाती है। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, हमारा कर्तव्य है कि हम एकजुटता की भावना, सभी के प्रति सम्मान और इस समझ को बढ़ावा दें कि हमारी विविधता हमारी सामूहिक ताकत है। केवल राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देकर ही हम अपने राष्ट्र के लिए एक उज्ज्वल और सामंजस्यपूर्ण भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

हिंदी में राष्ट्रीय एकता पर 1000 शब्दों का निबंध (1000 Words Essay on National Integration in Hindi)

राष्ट्रीय एकता एक सामंजस्यपूर्ण और एकजुट समाज की आधारशिला के रूप में खड़ी है, जो विभिन्न देशों में स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाले मतभेदों को पार करती है। भारत जैसे बहुआयामी राष्ट्र के संदर्भ में, राष्ट्रीय एकता सर्वोपरि महत्व रखती है। यह निबंध राष्ट्रीय एकता के सार को स्पष्ट करता है, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता और भाषाई मतभेदों द्वारा उत्पन्न लगातार चुनौतियों को स्वीकार करते हुए विविधता की जटिलताओं को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।

राष्ट्रीय एकता की परिभाषा:  राष्ट्रीय एकीकरण को उस एकजुट बंधन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को एक सामूहिक इकाई में एकजुट करता है, पहचान, उद्देश्य और अपनेपन की साझा भावना को बढ़ावा देता है। इसमें संकीर्ण संबद्धताओं को पार करना और एक सामान्य राष्ट्रीय पहचान को अपनाना शामिल है जो आपसी सम्मान और समझ पर पनपती है। यह एकता विविधता को नकारती नहीं है; बल्कि, यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की आवश्यकता पर बल देते हुए इसे मनाता है।

विविध समाज में राष्ट्रीय एकता का महत्व:  भारत जैसे विविध भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं की विशेषता वाले विषम समाज में, राष्ट्रीय एकता वह आधार है जिस पर सामाजिक सामंजस्य और प्रगति का निर्माण होता है। यह सामाजिक स्थिरता, आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक एकता की नींव प्रदान करता है। राष्ट्रीय एकता एकता की भावना पैदा करती है जो नागरिकों को सामूहिक रूप से चुनौतियों का सामना करने, साझा मूल्यों को बढ़ावा देने और देश के हितों की रक्षा करने के लिए सशक्त बनाती है।

क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता और भाषाई मतभेदों से उत्पन्न चुनौतियाँ:

  • क्षेत्रवाद:  भारत के भौगोलिक विस्तार ने विशिष्ट क्षेत्रीय पहचानों को जन्म दिया है, जो अक्सर स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व की आकांक्षाओं के साथ जुड़ी होती हैं। जबकि क्षेत्रीय विविधता देश को समृद्ध बनाती है, अनियंत्रित क्षेत्रवाद राष्ट्रीय ताने-बाने को कमजोर कर सकता है, जिससे संभावित रूप से संघर्ष और विभाजन हो सकता है।
  • साम्प्रदायिकता:  साम्प्रदायिक दोष रेखाएँ जिन्होंने कभी-कभी भारत की एकता को नुकसान पहुँचाया है, एक गंभीर चुनौती हैं। धार्मिक मतभेदों से उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव, सामाजिक सद्भाव को बाधित करने और उन धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर करने की क्षमता रखते हैं जिन पर राष्ट्र की स्थापना हुई थी।
  • भाषाई मतभेद:  भारत की भाषाई विविधता इसकी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, फिर भी यह अनजाने में विभाजन का स्रोत बन सकती है। भाषा-संबंधी मुद्दे, जिनमें भाषाई राज्यों की मांग भी शामिल है, संघर्ष में बदल सकते हैं जो देश की एकता को चुनौती देते हैं।

संक्षेप में, राष्ट्रीय एकता की दिशा में यात्रा एक सतत प्रयास है, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र की आत्मा को संरक्षित करने का अभिन्न अंग है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकारी नीतियों, शैक्षिक पहलों और सामूहिक सामाजिक चेतना सहित समाज के सभी क्षेत्रों से ठोस प्रयास की आवश्यकता है। आपसी सम्मान, समावेशिता और विविधता के लिए सराहना के माहौल का पोषण करके, भारत इन चुनौतियों पर काबू पा सकता है और एक एकजुट और लचीले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सकता है।

सांस्कृतिक विविधता और एकता:

सांस्कृतिक विविधता भारत की पहचान की पहचान है, इसकी सीमाओं के भीतर असंख्य भाषाएँ, परंपराएँ और जातीयताएँ सह-अस्तित्व में हैं। विभाजन का स्रोत बनने के बजाय, इस विविधता का उपयोग एकता और ताकत के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में किया जा सकता है।

1. विविध संस्कृतियों को राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में मनाना:  सांस्कृतिक विविधता को एक चुनौती के रूप में देखने के बजाय, भारत के पास इसे एक अद्वितीय संपत्ति के रूप में पहचानने का अवसर है। विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व सामाजिक ताने-बाने को समृद्ध करता है, विचारों, दृष्टिकोणों और प्रथाओं के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस विविधता को अपनाने से राष्ट्र को परंपराओं की समृद्ध टेपेस्ट्री से लाभ उठाने, समावेशिता और साझा विरासत की भावना को बढ़ावा देने की अनुमति मिलती है।

2. एकता को बढ़ावा देने में त्योहारों, कला और परंपराओं की भूमिका:  त्योहार, कला रूप और परंपराएं सांस्कृतिक सीमाओं के पार लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिवाली, ईद, क्रिसमस और पोंगल जैसे त्यौहार विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, जो जीवन के सामूहिक उत्सव के विचार को मजबूत करते हैं। नृत्य, संगीत और रंगमंच जैसे कला रूप भाषाई बाधाओं को पार करते हुए सामान्य पहचान की भावना पैदा करते हैं। पारंपरिक प्रथाएं अक्सर करुणा, सम्मान और समुदाय जैसे मूल्यों पर जोर देती हैं, जो एक मजबूत सामाजिक ताने-बाने को बुनने वाले धागे के रूप में कार्य करती हैं।

3. सांस्कृतिक विविधता को सफलतापूर्वक अपनाने वाले देशों के उदाहरण:  कई देशों ने प्रदर्शित किया है कि कैसे सांस्कृतिक विविधता को अपनाने से राष्ट्रीय एकता और प्रगति हो सकती है:

  • कनाडा:  अपनी बहुसांस्कृतिक नीतियों के लिए जाना जाने वाला कनाडा अपनी विविध आबादी का जश्न मनाता है। कनाडाई मॉडल नागरिकता और वफादारी की साझा भावना को बढ़ावा देते हुए अप्रवासियों की सांस्कृतिक प्रथाओं को शामिल करने पर प्रकाश डालता है।
  • सिंगापुर:  अपने छोटे आकार के बावजूद, सिंगापुर संस्कृतियों का मिश्रण है। राष्ट्र उन नीतियों के माध्यम से सांस्कृतिक एकीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है जो सामूहिक राष्ट्रीय पहचान पर जोर देते हुए सांस्कृतिक संरक्षण को प्रोत्साहित करती हैं।
  • दक्षिण अफ्रीका:  रंगभेद की समाप्ति के बाद, दक्षिण अफ्रीका ने राष्ट्रीय सुलह और उपचार के साधन के रूप में अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत को अपनाने की नीति अपनाई। इस दृष्टिकोण ने ऐतिहासिक विभाजनों को पाटने और एकता को बढ़ावा देने में मदद की।

भारत के संदर्भ में, एकता का मार्ग ताकत के स्रोत के रूप में सांस्कृतिक विविधता की सराहना करने, समझ को बढ़ावा देने और अंतर-सांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा देने में निहित है। यह पहचानकर कि प्रत्येक संस्कृति राष्ट्र के निर्माण में योगदान देती है, भारत एक मजबूत और अधिक एकजुट समाज बनाने के लिए इस विविधता का उपयोग कर सकता है। त्योहारों, कला और परंपराओं के माध्यम से, भारत पहचान की एक साझा भावना को बढ़ावा दे सकता है जो मतभेदों से परे है और विविधता में एकता के बैनर तले अपने नागरिकों को एकजुट करती है।

सामाजिक और आर्थिक समानता:

सामाजिक एवं आर्थिक समानता राष्ट्रीय एकता के मूलभूत आधार हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि सभी व्यक्तियों को, उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, समान अवसरों और संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो, जिससे एक अधिक न्यायपूर्ण और एकजुट समाज का निर्माण हो सके।

1. विभिन्न क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना:  क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानताएं उपेक्षा और हाशिए की भावनाओं को जन्म दे सकती हैं। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए, सरकारों को ऐसी नीतियां लागू करनी चाहिए जो संसाधनों, बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के समान वितरण को प्राथमिकता दें। समृद्ध और हाशिए पर मौजूद क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटकर साझा प्रगति की भावना पैदा की जा सकती है।

2. शिक्षा और रोजगार के लिए समान अवसर प्रदान करना:  शिक्षा और रोजगार सामाजिक गतिशीलता और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण रास्ते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी के लिए सुलभ हो, भले ही उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। इसके अतिरिक्त, समान रोजगार के अवसर प्रदान करके कार्यस्थल में विविधता को बढ़ावा देने से बाधाओं को तोड़ने और एकता की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

3. सामाजिक और आर्थिक समावेशिता के सकारात्मक प्रभाव को प्रदर्शित करने वाले केस अध्ययन:

  • रवांडा:  1994 में विनाशकारी नरसंहार के बाद, रवांडा ने राष्ट्र के पुनर्निर्माण और एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियां लागू कीं। एक सफल पहल “उमुगांडा” थी, जो एक मासिक सामुदायिक सेवा दिवस है जहां नागरिक उन परियोजनाओं पर काम करने के लिए एक साथ आते हैं जो पूरे समुदाय को लाभ पहुंचाती हैं। इस अभ्यास ने सामाजिक एकता के पुनर्निर्माण में मदद की है और देश की उल्लेखनीय बहाली में योगदान दिया है।
  • ब्राज़ील:  ब्राज़ील में बोल्सा फ़ैमिलिया कार्यक्रम आर्थिक असमानताओं को दूर करने का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। यह कम आय वाले परिवारों को सशर्त नकद हस्तांतरण प्रदान करता है, बच्चों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल को प्रोत्साहित करता है। इस पहल ने गरीबी दर में उल्लेखनीय रूप से कमी की है और सामाजिक संकेतकों में सुधार किया है, जिससे अधिक एकजुट समाज में योगदान मिला है।
  • जर्मनी:  आप्रवासियों के लिए सामाजिक एकीकरण के लिए जर्मनी के दृष्टिकोण में भाषा प्रशिक्षण, व्यावसायिक शिक्षा और सांस्कृतिक आत्मसात के लिए समर्थन शामिल है। इन प्रयासों ने आप्रवासियों को कार्यबल और समाज में एकीकरण की सुविधा प्रदान की है, जिससे अपनेपन की भावना को बढ़ावा मिला है।

सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करके, देश एक अधिक समावेशी समाज बना सकते हैं जहां सभी पृष्ठभूमि के व्यक्ति मूल्यवान और सशक्त महसूस करते हैं। ये पहल न केवल राष्ट्रीय एकता में योगदान करती हैं बल्कि समग्र प्रगति और समृद्धि को भी बढ़ावा देती हैं। भारतीय संदर्भ में, आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुंच सुनिश्चित करना और सफल केस स्टडीज से प्रेरणा लेना एक अधिक एकजुट और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

एकीकरण के एजेंट के रूप में शैक्षणिक संस्थान:

शैक्षणिक संस्थान भावी पीढ़ियों के दृष्टिकोण, दृष्टिकोण और मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समावेशिता और विविधता के माहौल को बढ़ावा देकर, वे राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं।

1. स्कूलों और विश्वविद्यालयों में बहुसांस्कृतिक पाठ्यक्रम को बढ़ावा देना:  पाठ्यक्रम डिजाइन जो किसी देश की संस्कृति, इतिहास और योगदान की विविधता को दर्शाता है, महत्वपूर्ण है। बहुसांस्कृतिक दृष्टिकोण को शामिल करने से छात्रों को विभिन्न पृष्ठभूमियों की समृद्धि की सराहना करने, रूढ़िवादिता को तोड़ने और समझ को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। साहित्य, इतिहास और अन्य विषयों में विविध आवाज़ों को शामिल करने से राष्ट्र की पहचान के बारे में अधिक व्यापक दृष्टिकोण में योगदान मिल सकता है।

2. विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करना:  शैक्षणिक संस्थान पिघलने वाले बर्तन के रूप में कार्य कर सकते हैं जहां विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्र एक साथ आते हैं। सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक सीमाओं तक फैली सहयोगात्मक शिक्षा, समूह परियोजनाओं और पाठ्येतर गतिविधियों को प्रोत्साहित करने से सार्थक बातचीत और मित्रता की सुविधा मिल सकती है। यह, बदले में, बाधाओं को तोड़ने और एकता की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।

3. राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाले शैक्षणिक संस्थानों की सफलता की कहानियां साझा करना:

  • जम्मू और कश्मीर, भारत:  जम्मू और कश्मीर सरकार ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के स्कूलों के बीच “छात्र विनिमय कार्यक्रम” शुरू किया। इस कार्यक्रम ने विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों को अपने गृह जिलों के बाहर के स्कूलों में अध्ययन करने में समय बिताने में सक्षम बनाया। इस आदान-प्रदान ने छात्रों के बीच दूरियों को पाटने और आजीवन बंधन बनाने में मदद की।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका:  अमेरिका में कई विश्वविद्यालयों में छात्र संगठन और कार्यक्रम हैं जो विभिन्न संस्कृतियों का जश्न मनाने और विविधता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं। ये पहल न केवल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिए जगह प्रदान करती हैं बल्कि अधिक समावेशी परिसर वातावरण में भी योगदान देती हैं।
  • सिंगापुर:  सिंगापुर की जातीय एकीकरण नीति के अनुसार सार्वजनिक आवास में विभिन्न जातीय समूहों के निवासियों का एक निश्चित प्रतिशत होना आवश्यक है। इस नीति ने विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को निकट निकटता में रहने, सामाजिक संपर्क और समझ को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है।

विविधता, बातचीत और समझ को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक प्रणाली का उपयोग करके, देश यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि युवा पीढ़ी व्यापक विश्वदृष्टि और एकता के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता के साथ बड़ी हो। ये पहल न केवल अपनेपन की भावना को बढ़ावा देती हैं बल्कि छात्रों को तेजी से परस्पर जुड़े वैश्विक समाज में आगे बढ़ने के कौशल से भी लैस करती हैं। भारत में, शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से विविध सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय पहलुओं को अपनाकर और उनका जश्न मनाकर, राष्ट्र अपनी समृद्ध विविधता का जश्न मनाते हुए एकता की भावना का पोषण कर सकता है।

मीडिया और संचार की भूमिका:

मीडिया और संचार शक्तिशाली उपकरण हैं जो या तो विभाजन को बढ़ा सकते हैं या राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में योगदान दे सकते हैं। इन प्लेटफार्मों का जिम्मेदार उपयोग सार्वजनिक धारणा को आकार दे सकता है, समझ को बढ़ावा दे सकता है और एकता की भावना पैदा कर सकता है।

1. मतभेदों को बढ़ाने से बचने के लिए जिम्मेदार मीडिया कवरेज:  मीडिया आउटलेट्स की जिम्मेदारी है कि वे समाचारों को निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करें और सनसनीखेज से बचें जो विभाजन को गहरा कर सकता है। जो कवरेज मतभेदों को उजागर करने या संघर्षों को बढ़ाने पर केंद्रित है, वह पूर्वाग्रहों को बढ़ावा दे सकता है और ‘हम बनाम वे’ की भावना पैदा कर सकता है। जिम्मेदार रिपोर्टिंग में संदर्भ, संतुलित दृष्टिकोण और तथ्य-आधारित विश्लेषण प्रदान करना शामिल है, जो अधिक सूचित और एकजुट समाज में योगदान देता है।

2. एकता और सहयोग की कहानियों को उजागर करने के लिए मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करना:  मीडिया विभिन्न समुदायों के बीच समान आधार और सहयोग पर जोर देने वाली कहानियों को प्रदर्शित करके सकारात्मक बदलाव के लिए उत्प्रेरक हो सकता है। व्यक्तियों और समूहों के एक साथ काम करने के उदाहरणों को उजागर करके, मीडिया दूसरों को एकता अपनाने और विभाजनकारी आख्यानों को अस्वीकार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

3. मीडिया द्वारा समझ और सद्भाव को बढ़ावा देने के उदाहरण:

  • नॉर्वे:  नॉर्वे में 2011 के आतंकवादी हमलों के बाद, मीडिया आउटलेट्स ने सामूहिक रूप से आगे के नुकसान को रोकने के लिए हमलावर के घोषणापत्र को प्रकाशित नहीं करने का फैसला किया। इसने जिम्मेदार रिपोर्टिंग के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने से परहेज किया।
  • भारत:  प्राकृतिक आपदाओं या संकट जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, भारतीय मीडिया ने अक्सर राहत और सहायता प्रदान करने के लिए समुदायों के एक साथ आने की कहानियों पर ध्यान केंद्रित किया है। ये कहानियाँ एकता की ताकत और सामान्य मानवता को प्रदर्शित करती हैं जो लोगों को बांधती है।
  • सोशल मीडिया अभियान:  समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देने के लिए कई सोशल मीडिया अभियान शुरू हुए हैं। “#TalkToAMuslim” जैसी पहल ने लोगों को विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के साथ बातचीत में शामिल होने, समझ को बढ़ावा देने और रूढ़िवादिता को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।

जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देकर, एकता की कहानियों को उजागर करके और मीडिया प्लेटफार्मों की पहुंच का लाभ उठाकर, समाज सार्वजनिक चर्चा को इस तरह से आकार दे सकता है कि विभाजन को पाट दिया जाए और साझा पहचान की भावना को बढ़ावा दिया जाए। मीडिया, समाज के प्रतिबिंब के रूप में, विविधता को विभाजन के बजाय ताकत और एकता के स्रोत के रूप में चित्रित करके राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

साम्प्रदायिकता और क्षेत्रवाद का मुकाबला:

सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं जो किसी देश की एकता को खंडित कर सकती हैं और प्रगति में बाधा डाल सकती हैं। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सद्भाव और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए सरकारों, नागरिक समाज और नागरिकों के ठोस प्रयास की आवश्यकता है।

1. धार्मिक और क्षेत्रीय विभाजन के नकारात्मक प्रभाव:  सांप्रदायिकता, जो अक्सर धार्मिक मतभेदों से प्रेरित होती है, समुदायों के बीच तनाव, हिंसा और अलगाव की भावना पैदा कर सकती है। दूसरी ओर, क्षेत्रवाद, देश के विभिन्न हिस्सों में अलगाववाद और असमान विकास की भावना को बढ़ावा दे सकता है। दोनों सामाजिक एकता, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय प्रगति में बाधा डाल सकते हैं।

2. विभाजनकारी राजनीति को हतोत्साहित करने वाली सरकारी नीतियां:  सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद को रोकने में सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। धर्मनिरपेक्षता, समानता और समावेशिता पर जोर देने वाली नीतियां विभाजनकारी आख्यानों का मुकाबला करने में मदद कर सकती हैं। कुशल कानून प्रवर्तन के साथ-साथ घृणास्पद भाषण और भेदभाव के खिलाफ सख्त कानून उन लोगों को रोक सकते हैं जो राजनीतिक लाभ के लिए विभाजन का फायदा उठाने का प्रयास करते हैं।

3. सांप्रदायिक और क्षेत्रीय तनावों का मुकाबला करने के सफल उदाहरण:

  • मलेशिया:  देश के विविध जातीय और धार्मिक समूहों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया का “1मलेशिया” कार्यक्रम शुरू किया गया था। यह अंतरसांस्कृतिक समझ को प्रोत्साहित करता है, सामान्य मूल्यों पर जोर देता है और विभाजन को पाटने का लक्ष्य रखता है।
  • जर्मनी:  पुनर्मिलन के बाद, जर्मनी ने पूर्वी और पश्चिमी जर्मनों को एकीकृत करने के उद्देश्य से नीतियां लागू कीं, जिसमें पूर्व में बुनियादी ढांचे का विकास और सामाजिक अंतर को पाटने की पहल शामिल है। इससे क्षेत्रवाद को संबोधित करने और अधिक एकजुट देश को बढ़ावा देने में मदद मिली।
  • रवांडा:  1994 में दुखद नरसंहार के बाद, रवांडा ने राष्ट्रीय उपचार की यात्रा शुरू की। जमीनी स्तर की पहल और शिक्षा अभियानों की एक श्रृंखला के माध्यम से, रवांडावासियों को विभाजनकारी जातीय भेदों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रवांडा के रूप में अपनी सामान्य पहचान को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

समावेशिता के माहौल को बढ़ावा देकर, अंतरसांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देकर और विभाजनकारी राजनीति को हतोत्साहित करने वाली नीतियों को लागू करके, देश सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं। उन देशों की सफलता की कहानियां जो इन चुनौतियों पर काबू पाने में कामयाब रहे हैं, यह दर्शाती है कि ठोस प्रयासों से, विभाजन पर एकता कायम की जा सकती है, जिससे मजबूत और अधिक एकजुट समाज का निर्माण हो सकता है। भारतीय संदर्भ में, धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देकर, क्षेत्रीय असमानताओं को संबोधित करके और देश की विविधता का जश्न मनाकर, देश सांप्रदायिक और क्षेत्रीय तनाव के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला कर सकता है और अधिक एकजुट भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

कानूनी और राजनीतिक ढांचा:

किसी राष्ट्र की कानूनी और राजनीतिक संरचनाएं न्याय, प्रतिनिधित्व और साझा मूल्यों का पालन सुनिश्चित करके राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एक विविध समाज में एकता बनाए रखने के लिए एक न्यायपूर्ण कानूनी प्रणाली और समावेशी राजनीतिक प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है।

1. राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में न्यायपूर्ण कानूनी प्रणाली का महत्व:  एक न्यायपूर्ण कानूनी प्रणाली राष्ट्रीय एकता की रीढ़ के रूप में कार्य करती है। यह विवादों को सुलझाने, कानून के शासन को कायम रखने और सभी नागरिकों के लिए उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना समान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। जब लोगों को एक निष्पक्ष कानूनी प्रणाली में विश्वास होता है, तो यह विश्वास को बढ़ावा देता है, शिकायतों को कम करता है और साझा न्याय की भावना में योगदान देता है।

2. सभी समुदायों और क्षेत्रों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व:  प्रभावी राजनीतिक प्रतिनिधित्व यह सुनिश्चित करता है कि विविध समुदायों और क्षेत्रों को शासन में आवाज मिले। यह किसी भी समूह को हाशिए पर जाने से रोकता है और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में देश की जनसंख्या की विविधता को दर्शाता है। समावेशी प्रतिनिधित्व विभिन्न समूहों के बीच दूरियों को पाटने में मदद करता है और नागरिकों और राज्य के बीच बंधन को मजबूत करता है।

3. एकता सुनिश्चित करने में संवैधानिक प्रावधानों की प्रभावशीलता का विश्लेषण:  संवैधानिक प्रावधान किसी देश के सिद्धांतों और मूल्यों की नींव के रूप में कार्य करते हैं। वे शासन की रूपरेखा की रूपरेखा तैयार करते हैं और नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्थापित करते हैं। एकता सुनिश्चित करने में इन प्रावधानों की प्रभावशीलता का विश्लेषण करने में अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने, सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने और भेदभाव को रोकने की उनकी क्षमता का मूल्यांकन करना शामिल है।

संवैधानिक प्रावधानों और उनके प्रभाव के उदाहरण:

  • भारत:  भारतीय संविधान विविधता में एकता के महत्व को स्वीकार करता है। यह सभी नागरिकों को उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर जोर देता है, और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए विधायी निकायों में सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। इन प्रावधानों ने समावेशिता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • दक्षिण अफ़्रीका:  रंगभेद की समाप्ति के बाद, दक्षिण अफ़्रीका के संविधान में गैर-भेदभाव, समानता और मानवाधिकारों के मूल्यों को प्रतिष्ठापित किया गया। सत्य और सुलह आयोग की स्थापना ने राष्ट्रीय उपचार और सुलह की प्रक्रिया को और सहायता प्रदान की।
  • स्विट्जरलैंड:  स्विट्जरलैंड की अनूठी राजनीतिक व्यवस्था विभिन्न भाषाई और सांस्कृतिक क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है। इसकी प्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रणाली नागरिकों को स्वामित्व और एकता की भावना को बढ़ावा देते हुए निर्णय लेने में भाग लेने की अनुमति देती है।

निष्कर्षतः, एक न्यायसंगत कानूनी प्रणाली, समावेशी राजनीतिक प्रतिनिधित्व और प्रभावी संवैधानिक प्रावधान राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के अभिन्न अंग हैं। वे शिकायतों को संबोधित करने, समान भागीदारी सुनिश्चित करने और साझा मूल्यों को बनाए रखने के लिए रूपरेखा प्रदान करते हैं। इन सिद्धांतों को बरकरार रखते हुए, एक राष्ट्र एक ऐसा वातावरण बना सकता है जहां विविधता को अपनाया जाता है, एकता का पोषण किया जाता है, और नागरिक सामूहिक रूप से प्रगति और समृद्धि के लिए प्रयास कर सकते हैं।

आर्थिक परस्पर निर्भरता:

आर्थिक परस्पर निर्भरता एक शक्तिशाली शक्ति है जो सीमाओं को पार करती है और क्षेत्रों और राष्ट्रों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देती है। व्यापार, सहयोग और साझा आर्थिक हितों के लाभों पर प्रकाश डालकर, देश अपने संबंधों को मजबूत कर सकते हैं और एक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक समुदाय को बढ़ावा दे सकते हैं।

1. क्षेत्रों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग के लाभों को प्रदर्शित करना:  व्यापार और आर्थिक सहयोग से वस्तुओं, सेवाओं और संसाधनों का आदान-प्रदान होता है, जिससे विकास और समृद्धि बढ़ती है। यह परस्पर निर्भरता एक-दूसरे की शक्तियों और संसाधनों पर निर्भरता की भावना पैदा करती है, जो सहयोग से प्राप्त पारस्परिक लाभों पर जोर देती है।

2. कैसे साझा आर्थिक हित अपनेपन की भावना को बढ़ावा देते हैं:  जब क्षेत्र और राष्ट्र आर्थिक साझेदारी में संलग्न होते हैं, तो यह अक्सर एक बड़े समूह से जुड़े होने की भावना पैदा करता है। यह अहसास कि समृद्धि आपस में जुड़ी हुई है, नियति की साझा भावना पैदा करती है, सहयोग को प्रोत्साहित करती है और संघर्षों को कम करती है।

3. विभिन्न देशों में एकता को बढ़ावा देने वाली आर्थिक परस्पर निर्भरता के उदाहरण:

  • यूरोपीय संघ (ईयू):  यूरोपीय संघ एकता को बढ़ावा देने वाली आर्थिक परस्पर निर्भरता का एक प्रमुख उदाहरण है। सदस्य देश व्यापार, विनियमों और नीतियों पर सहयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप साझा आर्थिक लाभ होते हैं। इस साझेदारी ने न केवल क्षेत्र को आर्थिक रूप से मजबूत किया है बल्कि राजनीतिक स्थिरता और सहयोग में भी योगदान दिया है।
  • उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (नाफ्टा, अब यूएसएमसीए):  संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको के बीच इस समझौते ने एक त्रिपक्षीय व्यापार ब्लॉक बनाया। इसमें दिखाया गया कि कैसे परस्पर निर्भरता से इन देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देते हुए आर्थिक गतिविधि और रोजगार सृजन में वृद्धि हो सकती है।
  • आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ):  आसियान सदस्य देश आसियान आर्थिक समुदाय जैसी पहल के माध्यम से आर्थिक एकीकरण में संलग्न हैं। आर्थिक सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देकर, आसियान क्षेत्र के विभिन्न देशों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय एकीकरण के संदर्भ में, आर्थिक परस्पर निर्भरता एक एकीकृत शक्ति हो सकती है, क्योंकि यह सहयोग, साझा हितों और संयुक्त विकास को प्रोत्साहित करती है। यह एक पुल के रूप में काम कर सकता है जो लोगों और क्षेत्रों को जोड़ता है, साथ मिलकर काम करने के सामूहिक लाभों को उजागर करता है। आपसी लाभ और समृद्धि पर जोर देने वाले आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देकर, देश वैश्विक स्तर पर एकता और सहयोग की अपनी भावना को मजबूत कर सकते हैं।

राष्ट्रीय पहचान का महत्व:

राष्ट्रीय पहचान एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करती है जो व्यक्तियों को एक साथ बांधती है, उनके मतभेदों को पार करती है और एक साझा समुदाय से संबंधित होने की भावना को बढ़ावा देती है। विविध समाज में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पहचान के महत्व को पहचानना महत्वपूर्ण है।

1. एक सामान्य राष्ट्रीय पहचान के मूल्य को पहचानना:  एक सामान्य राष्ट्रीय पहचान एकजुटता की भावना प्रदान करती है, जो लोगों को उनकी व्यक्तिगत पृष्ठभूमि से परे जुड़ने में सक्षम बनाती है। यह इस विचार को रेखांकित करता है कि अलग-अलग भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं के बावजूद, साझा मूल्य और आकांक्षाएं हैं जो एक राष्ट्र को परिभाषित करती हैं।

2. किसी के राष्ट्र में देशभक्ति और गौरव को प्रोत्साहित करना:  नागरिकों को अपने राष्ट्र पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करना वफादारी और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है। देशभक्ति राष्ट्र और उसके लोगों की भलाई के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देती है। यह साझा गौरव व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर व्यापक भलाई को प्राथमिकता देने में मदद कर सकता है।

3. ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करें जहां एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान ने एकता को जन्म दिया:

  • भारत का स्वतंत्रता आंदोलन:  महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट किया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के साझा लक्ष्य ने क्षेत्रीय, धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों से परे राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा दिया।
  • 9/11 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका:  11 सितंबर 2001 की दुखद घटनाओं के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय एकता में वृद्धि देखी गई। विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग विपरीत परिस्थितियों में एकजुट हुए, यह दर्शाता है कि चुनौतीपूर्ण समय के दौरान एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान कैसे उभर सकती है।
  • जापान का आधुनिकीकरण:  19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में, जापान में तेजी से आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण हुआ। एक आधुनिक राष्ट्र बनने की साझा दृष्टि ने नागरिकों के बीच एकता को प्रेरित किया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति हुई।

एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान न केवल व्यक्तियों को एक साथ बांधती है बल्कि सामाजिक स्थिरता, आर्थिक प्रगति और राजनीतिक सद्भाव के लिए एक आधार भी प्रदान करती है। यह साझी विरासत, मूल्यों और आकांक्षाओं की याद दिलाता है जो विविध आबादी को एकजुट करता है। अपने राष्ट्र पर गर्व को प्रोत्साहित करके और साझा पहचान की शक्ति को पहचानकर, समाज एकता की भावना को बढ़ावा दे सकता है जो मतभेदों से परे है और एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध भविष्य में योगदान देता है।

निष्कर्षतः, राष्ट्रीय एकता हमारी विविध दुनिया में आशा और प्रगति की किरण के रूप में खड़ी है। इस पूरे निबंध में, हमने विभिन्न आयामों का पता लगाया है जो इस महत्वपूर्ण प्रयास में योगदान करते हैं। सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने से लेकर आर्थिक असमानताओं को दूर करने तक, जिम्मेदार मीडिया कवरेज से लेकर संवैधानिक प्रावधानों तक, प्रत्येक पहलू विविधता के बीच एकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत जैसे बहुआयामी राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह एक सामंजस्यपूर्ण समाज की कुंजी है जहां विभाजन के बजाय मतभेदों का जश्न मनाया जाता है। सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और अन्य चुनौतियाँ बनी रह सकती हैं, लेकिन एकता का मार्ग निरंतर प्रयासों में निहित है।

राष्ट्रीय एकता की दिशा में निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर जोर:  राष्ट्रीय एकता एक गंतव्य नहीं बल्कि एक यात्रा है जिसके लिए निरंतर प्रतिबद्धता और कार्रवाई की आवश्यकता होती है। समाज विकसित होते हैं और उनकी चुनौतियाँ भी विकसित होती हैं। इसलिए विविधता में एकता की भावना को पोषित करने की जिम्मेदारी निरंतर बनी रहती है। सरकारों, संस्थानों और नागरिकों सभी को इस नेक काम में योगदान देना चाहिए।

व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों के लिए कार्रवाई का आह्वान:  जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें याद रखना चाहिए कि हमारी सामूहिक ताकत एकता में निहित है। व्यक्ति दूसरों के प्रति सहानुभूति, समझ और सम्मान अपनाकर अपनी भूमिका निभा सकते हैं। समुदायों को अंतर-सांस्कृतिक संपर्क और सहयोग को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी और कायम रखनी चाहिए जो सभी के लिए समावेशिता, समानता और न्याय को बढ़ावा दें।

अंततः, अपनी विविधता में एकजुट राष्ट्र को अथाह लाभ मिलता है। यह साझा आकांक्षाओं पर पनपता है, अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोता है और अटूट दृढ़ संकल्प के साथ प्रगति की ओर बढ़ता है। आइए हम एकता के आह्वान पर ध्यान दें, एक ऐसे भविष्य को बढ़ावा दें जहां मतभेद बाधाओं के बजाय पुल हों, और जहां राष्ट्रीय एकता की भावना हमें एक उज्जवल कल की ओर ले जाए।

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National integration essay in hindi : राष्ट्रीय एकता पर निबंध, what is national integration in hindi essay on national integration in hindi.

एक देश में रह रहे लोगों के बीच एकता की शक्ति के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये ‘राष्ट्रीय एकता’ एक तरीका है। अलग संस्कृति, नस्ल, जाति और धर्म के लोगों के बीच समानता लाने के द्वारा राष्ट्रीय एकता की जरुरत के बारे में ये लोगों को जागरुक बनाता है।

आपने डीडी चैनल पर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाला एक देशभक्ति गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” सुना होगा। भारत संस्कृति, भाषा, धर्म, जाति, लोग, भोजन और भी बहुत कुछ के संदर्भ में एक विविध राष्ट्र है। इसलिए आजादी के बाद राजनीतिक नेताओं के लिए राष्ट्रीय एकता की अवधारणा को मुख्य कार्यों में से एक थी। यह अवधारणा और भी महत्वपूर्ण बन गयी, क्योंकि 1956 में भारत में राज्यों की स्थापना भाषा के आधार पर की जाती थी। इसके अलावा भारत के अभिन्न अंग पंजाब, जम्मू और कश्मीर जैसे कुछ राज्यों ने एक अलग देश बनने के लिए कहा था। हालांकि ये भारत के अभिन्न अंग थे।

यदि हम प्राचीन भारत के इतिहास में झाँकते हैं। तो धर्म ने ही लोगों और राष्ट्र को एकजुट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सामान्य निष्ठा से लोगों में आत्मीयता की भावना पैदा हुई जिससे राष्ट्र का एकीकरण करने में मदद मिली। दो मुख्य भाषाओं, संस्कृत और पाली ने भी एक ही भूमिका निभाई थी। विदेशी शासकों के आक्रमण से, देश में और अधिक धर्म और भाषाएं जुड़ गईं, जो देश में पहले से कहीं अधिक विविधता का कारण बना। ईर्ष्या की भावनाएँ और धर्म आधारित पृथक्करण ने अपने सिर को ऊपर उठाना शुरू कर दिया और देश की एकता को भंग कर दिया। ब्रिटिश शासन के तहत “फूट डालो और शासन करो” की नीति आ गयी। उन्होंने धर्म के आधार पर हिंदू और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा कर दिया और यह भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ा झटका था। इसके साथ ही शासन करने के लिए, अमीर-गरीब, ग्रामीण-शहरी और ऊंच-नीच के बीच में मतभेद पैदा किया गया। लेकिन इन सबके बावजूद लोग एक थे और हमारी राष्ट्रीय एकता के कारण ही हमें स्वतंत्रता मिली। आजादी के बाद सरकार सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता के पक्ष में रही। भारत का संविधान विभिन्न जाति, धर्म, पंथ, जन्म स्थान आदि के बावजूद सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करता रहा। हिंदी को देश की राष्ट्रीय भाषा बनाया गया। सभी प्रयासों के बावजूद अभी भी एक मतभेद बना हुआ है जो एकता की भावना को नष्ट कर रहा है। मातृभूमि के प्रति समर्पण से धर्म और भाषा की निष्ठा अधिक महत्वपूर्ण है। भाषाओं मे मतभेद, सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे गंभीर खतरे हैं। असहिष्णुता और स्वार्थ जैसे मुद्दे भी देश की एकता के लिये बड़े खतरे के रूप में काम कर रहे हैं।

भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को कैसे दें बढ़ावा?

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वयं को बंगाली, पंजाबी, दक्षिण भारतीय या उत्तरी भारतीय के रूप में नहीं पहचानना चाहिए। वर्तमान समय में यह पहचान देश के आधार पर न होकर पहचान राज्य, भाषा, धर्म, जाति और संस्कृति के आधार पर है। भारतीय होना हमारी आम पहचान है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए। सांप्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती है जो हमारे देश को विभाजित करती है। ब्रिटिश शासन के दौरान सांप्रदायिकता को बहुत अधिक बढ़ावा मिला वे अपनी “फूट डालो और शासन करो” नीति के साथ देश पर शासन करना चाहते थे। 1947 के विभाजन में सांप्रदायिकता ने दोबारा अपनी बदसूरत भूमिका निभाई जिससे हजारों निर्दोष लोगों की हत्या की गई थी। इसलिए हर किसी को राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सांप्रदायिकता और धर्म से ऊपर उठकर सोंचना चाहिए। हमें सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

हमें यह समझना चाहिए भाषा केवल संवाद करने का एक तरीका है लेकिन इसका अर्थ किसी के व्यक्तित्व को परिभाषित करना नहीं है। मेरा जन्म एक विशेष परिवार में हुआ है इसलिए मैंने उस परिवार के सभी गुणों को हासिल कर लिया है। लेकिन अगर मैं एक दूसरे परिवार और दूसरे धर्म में पैदा होता तो? मुझे हर किसी के विश्वास और भाषा का पालन करना चाहिये। आपका जन्म आपके धर्म को परिभाषित करता है न कि आप। हमें एक दूसरे की भाषा और धर्म का सम्मान करना चाहिए। हमारे संविधान द्वारा कई भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। लेकिन हम सभी केवल उसी भाषा का सम्मान करते है जो हम बोलते हैं एवं अन्य सभी भाषाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें भारत में बोली जाने वाली हर भाषा का सम्मान करना चाहिए।

बच्चों को बचपन से सिखाना चाहिए कि वे भारतीय हैं, उनके अन्दर देशभक्ति की गहरी भावना को विकसित करना चाहिए।

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसमें विभिन्न धर्म, भाषा, वस्त्र, भोजन आदि शामिल हैं। भारत में राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए, विविधता का सम्मान करना चाहिए। ये कुछ नहीं सिर्फ लोगों की मानसिकता हैं। हम सोचते हैं जिस तरीके से हमारा समाज चाहता है हम इस तरीके से सोंचे और कार्य करें। हमें सभी सामाजिक सिद्धांतों को हल करने और जाँच करने की आवश्यकता है ताकि हम सही रास्ते का अनुसरण कर सकें। शिक्षा लोगों की मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विद्यालयों में दी गई शिक्षा के साथ-साथ, माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों का सही मार्गदर्शन करें। माता-पिता को शिक्षा की नियमित रूप से निगरानी करने की आवश्यकता है। माता-पिता को सांप्रदायिक सौहार्द पर काम करना चाहिए और अपने बच्चों को राष्ट्रीय एकीकरण और एकता का महत्व सिखाना चाहिए। राष्ट्रीय एकीकरण वास्तव में एक सामंजस्यपूर्ण स्थिति है जो भारत के लोगों को एक साथ जोड़ती है। राष्ट्र अपने लोगों द्वारा बनाया गया है, देश के विकास के लिए सभी को एकता के साथ रहना चाहिए। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिये भारतीय के रूप में हम सभी के पास एक समान आम पहचान होती है।

राष्ट्रीय एकता का अर्थ- राष्ट्रीय एकता की परिभाषा

लोगों में जाति, धर्म, भाषा, नस्ल आदि में विविधता का एक देश है भारत हालाँकि अंग्रेजी शासन से आजादी के लिये सामान्य क्षेत्र, इतिहास और लगातार लड़ने के प्रभाव के तहत बहुत बार एकता यहाँ भी देखी गयी है। भारत पर राज करने के लिये अंग्रेजों ने यहाँ पर कई वर्षों तक बाँटो और राज करो की नीति अपनायी। हालाँकि विभिन्न धर्म, जाति, नस्ल का होने के बावजूद भी भारतीयों की एकता ने अंग्रेजों को यहाँ से खदेड़ दिया। लेकिन आजादी के बाद अलगाव ने जगह ले ली जिसने भारत को भारत और पाकिस्तान में बाँट दिया।

भारत विभिन्न धार्मिक समुदायों जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों की एक भूमि है। यहाँ पर राष्ट्रीय एकीकरण तभी संभव है जब सभी समुदाय एक-साथ शांतिपूर्वक रहें, एक-दूसरे समुदाय की सराहना करें, प्यार करें तथा एक-दूसरे की संस्कृति और परंपरा का सम्मान करें। हरेक समुदाय को उनके मेले, उत्सवों और दूसरे अच्छे दिनों को शांतिपूर्वक देखना चाहिये। हरेक समुदाय को एक दूसरे की मदद के साथ ही धार्मिक त्योंहारो की खुशियों को बाँटना चाहिये। किसी भी धार्मिक समुदाय को कुछ भी ऐसा बुरा नहीं करना चाहिये जो किसी दूसरे धर्म को ठेस पहुँचाये या उस धर्म में मनाही हो।

विभिन्न धर्मों के लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, ऊर्दू, उड़ीया, पंजाबी, बंगाली, मराठी आदि। सभी धर्मों के बीच समानता और सभी जाति के विद्यार्थीयों के लिये समान सुविधा होनी चाहिये। देश के मुख्य विकास के लिये सभी समुदायों के बराबर वृद्धि और विकास और सभी नस्लों के लोगों के बीच समानता लाने के लिये आधुनिक समय में भारत में राष्ट्रीय एकीकरण की तुरंत जरुरत है। भारतीय सरकार ने इस आशा में राष्ट्रीय एकीकरण की परिषद का गठन किया है कि इसके सभी कार्यक्रमों के उद्देश्यों को पूरा करने में यहाँ रहने वाले लोग सहयोग करेंगे।

एक पहचान बनाने के लिये राष्ट्र के रहने वाले सभी लोगों का एक संघठित समूह राष्ट्रीय एकीकरण है। राष्ट्रीय एकीकरण एक खास मनोभाव है जो धर्म, जाति, भाषा या पृष्ठभूमि को बिना ध्यान दिये राष्ट्र को एक सामान संबंध में जोड़ता है। हमलोगों को खदु को भारतीय के रुप में पहचानना चाहिये ना कि किसी खास धर्म या जाति के व्यक्ति के रुप में। ये विरासत से समृध देश है हालांकि हमलोग ये नहीं कह सकते कि यहाँ लोगों में पूरी तरह से एकता है। ये देश के युवाओं में जागरुकता फैलने से ही संभव हो पायेगा। एक युवा के रुप में, हम देश का भविष्य हैं इसलिये हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिये और राष्ट्रीय एकीकरण के लिये जरुरी सभी कदम उठाने चाहिये।

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इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |

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