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चार्ली चैप्लिन का जीवन परिचय | charlie chaplin biography in hindi.

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चार्ली चैप्लिन का जीवन परिचय (Charlie Chaplin Biography In Hindi, early life, Career, Death, Method, Filmography)

चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल, 1889 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण बचपन का अनुभव किया, क्योंकि उनके माता-पिता कलाकार थे, और उनके पिता शराब की लत से जूझ रहे थे, जिसके कारण उनके माता-पिता अलग हो गए। चैपलिन की माँ, उनकी देखभाल करने में असमर्थ थीं, अंततः उन्हें मानसिक शरण में जाना पड़ा।

नौ साल की उम्र में, चैपलिन ने क्लॉग-डांसिंग मंडली में शामिल होकर शो बिजनेस की दुनिया में प्रवेश किया। प्रदर्शन के प्रति उनकी स्वाभाविक प्रतिभा ने उन्हें विभिन्न थिएटर भूमिकाओं और अंततः वाडेविल की दुनिया तक पहुँचाया। 1913 में, उन्होंने हॉलीवुड में कीस्टोन स्टूडियो के साथ अनुबंध किया और इससे फिल्म में उनके शानदार करियर की शुरुआत हुई।

चैपलिन ने अपने गेंदबाज टोपी, बेंत और विशिष्ट मूंछों के साथ अपना प्रतिष्ठित चरित्र, “द ट्रैम्प” बनाया। ट्रैम्प लचीलेपन और करुणा का प्रतीक बन गया, जो दुनिया भर के दर्शकों के बीच गूंजता रहा।

अपने पूरे करियर में, चैपलिन ने कई क्लासिक मूक फिल्में बनाईं, जिनमें “द किड” (1921), “सिटी लाइट्स” (1931), “मॉडर्न टाइम्स” (1936), और “द ग्रेट डिक्टेटर” (1940) शामिल हैं। फ़िल्मों में ध्वनि के आगमन के बावजूद, उन्होंने अपने कुछ बाद के कार्यों में ध्वनि को शामिल करते हुए, सफल फ़िल्मों का निर्माण जारी रखा।

अभिनय के अलावा, चैपलिन ने अपनी फिल्मों के लिए लेखन, निर्देशन और संगीत रचना भी की। उनकी कलात्मक प्रतिभा ने उन्हें आलोचनात्मक प्रशंसा और व्यापक लोकप्रियता अर्जित की। हालाँकि, उनका निजी जीवन विवादों और संघर्षों से भरा रहा, जिसमें अशांत रिश्ते और राजनीतिक विवाद भी शामिल थे।

चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, चैपलिन ने फिल्में बनाना और नए कलात्मक उद्यम तलाशना जारी रखा। 1972 में, सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें मानद अकादमी पुरस्कार मिला। मनोरंजन की दुनिया पर एक समृद्ध विरासत और स्थायी प्रभाव छोड़कर चार्ली चैपलिन का 25 दिसंबर 1977 को निधन हो गया।

प्रारंभिक जीवन

चार्ली चैपलिन का प्रारंभिक जीवन कष्टों और कठिनाइयों से भरा था। उनका जन्म 16 अप्रैल, 1889 को वॉलवर्थ, लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके माता-पिता, चार्ल्स चैपलिन सीनियर और हन्ना चैपलिन, दोनों संगीत हॉल मनोरंजनकर्ता थे, लेकिन उनके करियर अस्थिर थे, जिससे परिवार को वित्तीय संघर्ष करना पड़ा।

जब चैपलिन सिर्फ एक बच्चे थे, तो उनके पिता की शराब की लत बिगड़ गई और उनके माता-पिता की शादी टूटने लगी। जब चार्ली लगभग नौ वर्ष का था, तब उसकी माँ, हन्ना, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थी और अंततः उसे मानसिक शरण में जाना पड़ा। परिणामस्वरूप, चैपलिन और उनके बड़े सौतेले भाई, सिडनी को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी पड़ी और गरीबी में रहना पड़ा।

पाँच साल की उम्र में, चैपलिन ने पहली बार मंच पर उपस्थिति दर्ज कराई और उनके एक प्रदर्शन के दौरान अपनी माँ की जगह ली। अपने प्रारंभिक जीवन में कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने प्रदर्शन कला में गहरी रुचि विकसित की। लंदन की मलिन बस्तियों में बड़े होने और गरीबी के संघर्षों को देखने के चैपलिन के अनुभवों ने बाद में उनकी फिल्मों में उनके कुछ सबसे प्रतिष्ठित पात्रों और विषयों को प्रभावित किया।

कॉमेडी और अभिनय के लिए चैपलिन की प्रतिभा उनकी किशोरावस्था के दौरान स्पष्ट हो गई जब वह “द आठ लंकाशायर लैड्स” नामक क्लॉग-डांसिंग मंडली में शामिल हुए। बाद में उन्हें विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिकाएँ मिलीं, जो अंततः उन्हें वाडेविल की दुनिया में ले गईं।

1910 में, उन्होंने फ्रेड कार्नो थिएटर कंपनी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की, और उनके हास्य कौशल ने उन्हें प्रशंसा और पहचान दिलाई। यह यात्रा उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, क्योंकि इसने उनके लिए उभरते फिल्म उद्योग के दरवाजे खोल दिए।

चैपलिन के शुरुआती जीवन के संघर्षों और अनुभवों ने उनके काम को बहुत प्रभावित किया और उनके प्रतिष्ठित “ट्रैम्प” चरित्र के विकास में योगदान दिया, जो अक्सर हास्य और अनुग्रह के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले एक सहानुभूतिपूर्ण व्यक्ति को चित्रित करता था।

अपने पूरे जीवन में, चैपलिन अपने कठिन अतीत से जुड़े रहे, अक्सर इसे अपनी कला और परोपकारी प्रयासों में प्रेरणा के स्रोत के रूप में उपयोग किया। अपने शुरुआती वर्षों में कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, चार्ली चैपलिन के दृढ़ संकल्प, प्रतिभा और रचनात्मकता ने उन्हें सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक बनने की अनुमति दी।

1889-1913: (प्रारंभिक वर्ष) पृष्ठभूमि और बचपन की कठिनाइयाँ

चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल, 1889 को लंदन, इंग्लैंड के एक गरीब इलाके में हुआ था। वह चार्ल्स चैपलिन सीनियर और हन्ना चैपलिन के पुत्र थे, दोनों संगीत हॉल मनोरंजनकर्ता थे। चार्ली के माता-पिता का करियर अस्थिरता से भरा था, जिसके कारण परिवार को वित्तीय संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता की शराब की लत बिगड़ गई, और उनकी माँ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो गईं, जिसके कारण अंततः उन्हें मानसिक शरण में जाना पड़ा।

बहुत कम उम्र में, चार्ली चैपलिन ने काफी कठिनाई और गरीबी का अनुभव किया। उनके माता-पिता के अशांत रिश्ते और व्यक्तिगत चुनौतियों ने उन्हें और उनके बड़े सौतेले भाई, सिडनी को अपने दम पर जीवन जीने के लिए छोड़ दिया। वे अक्सर अत्यधिक गरीबी में रहते थे और बुनियादी आवश्यकताओं के लिए उन्हें दान की मदद पर निर्भर रहना पड़ता था।

कठिन परिस्थितियों के बावजूद, चैपलिन ने प्रदर्शन कला में प्रारंभिक रुचि दिखाई। उन्होंने पांच साल की उम्र में अपनी मां की एक प्रस्तुति के दौरान उनकी जगह लेते हुए पहली बार मंच पर प्रस्तुति दी। कॉमेडी और मनोरंजन के लिए उनकी प्रतिभा किशोरावस्था के दौरान चमकने लगी जब वह “द आठ लंकाशायर लैड्स” नामक क्लॉग-डांसिंग मंडली में शामिल हुए।

1908 में, चैपलिन फ्रेड कार्नो की वाडेविले मंडली में शामिल हो गए, जो उन्हें 1910 में संयुक्त राज्य अमेरिका ले आई। मंडली के साथ उनके प्रदर्शन ने उन्हें पहचान और प्रशंसा दिलाई, जिससे मनोरंजन की दुनिया में उनके भविष्य के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मिला।

चैपलिन के शुरुआती जीवन के अनुभवों, लंदन की मलिन बस्तियों में बड़े होने और गरीबी और शराब की लत के संघर्ष को देखने का उनके काम पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन अनुभवों को बाद में उनकी फिल्मों में अभिव्यक्ति मिली, क्योंकि वे अक्सर वंचितों के सामने आने वाली कठिनाइयों को चित्रित करने के लिए हास्य और व्यंग्य का इस्तेमाल करते थे।

1913 में, चार्ली चैपलिन को हॉलीवुड में मैक सेनेट के कीस्टोन स्टूडियो द्वारा अनुबंधित किया गया, जिससे मूक फिल्मों में उनके शानदार और प्रभावशाली करियर की शुरुआत हुई। अपने पूरे जीवन में, चैपलिन अपने कठिन अतीत से जुड़े रहे, और उनके काम में अक्सर लचीलापन, करुणा और प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ मानवीय संघर्ष के विषय प्रतिबिंबित होते थे।

चुनौतीपूर्ण बचपन से लेकर सिनेमा के इतिहास में सबसे मशहूर हस्तियों में से एक बनने तक की उनकी यात्रा उनकी असाधारण प्रतिभा, रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। मनोरंजन की दुनिया में एक स्थायी विरासत छोड़ने वाले चार्ली चैपलिन के जीवन और कार्य को आज भी याद किया जाता है और संजोया जाता है।

Young performer (युवा कलाकार)

एक युवा कलाकार के रूप में, मनोरंजन की दुनिया में चार्ली चैपलिन के शुरुआती प्रदर्शन ने मनोरंजन उद्योग में उनकी भविष्य की सफलता की नींव रखी। प्रदर्शन कला में उनकी रुचि बहुत कम उम्र से ही स्पष्ट हो गई थी, और उन्होंने बचपन के वर्षों के दौरान एक कलाकार के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।

पाँच साल की उम्र में, चैपलिन ने पहली बार मंच पर उपस्थिति दर्ज कराई और उनके एक प्रदर्शन के दौरान अपनी माँ की जगह ली। मंच पर इस शुरुआती अनुभव ने प्रदर्शन के प्रति उनके जुनून को प्रज्वलित किया और शो व्यवसाय में उनके भविष्य के लिए मंच तैयार किया।

चैपलिन का बचपन कठिनाइयों और गरीबी से भरा था, लेकिन उन्हें मनोरंजन की दुनिया में सांत्वना मिली। एक कलाकार के रूप में अपने कौशल को निखारते हुए, वह अपनी किशोरावस्था के दौरान “द आठ लंकाशायर लैड्स” नामक एक क्लॉग-डांसिंग मंडली में शामिल हुए।

1908 में, चैपलिन फ्रेड कार्नो की वाडेविल मंडली में शामिल हो गए, जिससे उन्हें अपनी हास्य प्रतिभा दिखाने के बहुमूल्य अवसर मिले। मंडली के साथ उनके प्रदर्शन ने उन्हें पहचान और प्रशंसा अर्जित की, और इस समय के दौरान उन्होंने अपना हस्ताक्षरित “ट्रैम्प” चरित्र विकसित किया, जो बाद में सिनेमा इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक बन गया।

1910 में, वाडेविले मंडली चैपलिन को संयुक्त राज्य अमेरिका ले आई, जिससे एक कलाकार के रूप में उनके क्षितिज का और विस्तार हुआ। दो साल बाद, 1912 में, वह हॉलीवुड में कीस्टोन स्टूडियो में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने फिल्म उद्योग में अपनी शुरुआत की। उनकी हास्य क्षमता और अनूठी शैली ने उन्हें जल्द ही मूक फिल्मों में एक उभरता हुआ सितारा बना दिया।

एक युवा कलाकार के रूप में चार्ली चैपलिन के शुरुआती अनुभवों ने न केवल उनके हास्य कौशल और कलात्मकता को आकार देने में मदद की, बल्कि उन्हें दर्शकों और उनकी प्राथमिकताओं के बारे में गहरी समझ विकसित करने का अवसर भी प्रदान किया। एक संघर्षरत युवा कलाकार से एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म सनसनी तक की उनकी यात्रा उनकी प्रतिभा, लचीलेपन और मनोरंजन की कला के प्रति समर्पण का प्रमाण है।

स्टेज कॉमेडी और वाडेविल

एक कलाकार के रूप में चार्ली चैपलिन के शुरुआती करियर को आकार देने में स्टेज कॉमेडी और वाडेविल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1900 के दशक की शुरुआत में, वाडेविल संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड दोनों में विविध मनोरंजन का एक लोकप्रिय रूप था, जिसमें कॉमेडी स्केच, संगीत, नृत्य और बहुत कुछ सहित विविध कृत्यों की एक श्रृंखला शामिल थी।

अपनी किशोरावस्था में, चैपलिन “द आठ लंकाशायर लैड्स” नामक एक क्लॉग-डांसिंग मंडली में शामिल हो गए, जहां उन्होंने एक कलाकार के रूप में अनुभव प्राप्त किया और नृत्य और शारीरिक कॉमेडी में अपने कौशल को निखारा। मंच के इस शुरुआती प्रदर्शन ने उन्हें समय निर्धारण, दर्शकों से बातचीत और हास्य प्रस्तुति की समझ विकसित करने की अनुमति दी।

1908 में, चैपलिन फ्रेड कार्नो की वाडेविल मंडली में शामिल हो गए, जो उस समय की सबसे प्रतिष्ठित और सफल टूरिंग कंपनियों में से एक थी। कार्नो की कंपनी के साथ काम करने से चैपलिन को अपनी हास्य क्षमताओं को निखारने और शारीरिक कॉमेडी और हास्य की अपनी अनूठी शैली विकसित करने के अमूल्य अवसर मिले।

वाडेविले मंडली के साथ अपने समय के दौरान, चैपलिन को हास्य पात्रों के चित्रण के लिए जाना जाता था, जो अक्सर दर्शकों को हंसाने के लिए अतिरंजित शारीरिक गतिविधियों और चेहरे के भावों का उपयोग करते थे। उन्हें अपने प्रदर्शन के लिए पहचान और प्रशंसा मिली और वे मंडली के एक असाधारण सदस्य बन गए।

1910 में, फ्रेड कार्नो की मंडली ने संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की, और अमेरिकी मंच पर चैपलिन के प्रदर्शन ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया। उनकी हास्य प्रतिभा अमेरिकी दर्शकों को पसंद आई और मूक फिल्मों की दुनिया में उनके अंतिम प्रवेश के लिए मंच तैयार किया।

वाडेविले में चैपलिन के अनुभव ने उनके बाद के फिल्मी करियर में कॉमेडी के प्रति उनके दृष्टिकोण को काफी प्रभावित किया। जब वह 1913 में कीस्टोन स्टूडियो में शामिल हुए और मूक फिल्में बनाना शुरू किया, तो वे अपने साथ वाडेविल मंच पर निखारे गए कौशल और हास्य संवेदनाएं लेकर आए।

वाडेविले से मूक फिल्मों में परिवर्तन ने चैपलिन को अपने प्रदर्शन के साथ अन्वेषण और नवीनता लाने की अनुमति दी, जिससे उन्होंने अपने प्रतिष्ठित चरित्र “द ट्रैम्प” को दुनिया के सामने पेश किया। ट्रैम्प का व्यक्तित्व वाडेविले में चैप्लिन के अनुभवों से काफी प्रभावित था, जिसमें स्लैपस्टिक, शारीरिक कॉमेडी और मार्मिक क्षणों के तत्व शामिल थे जो दर्शकों को गहरे स्तर पर प्रभावित करते थे।

कुल मिलाकर, स्टेज कॉमेडी और वाडेविले में चैपलिन के शुरुआती अनुभवों ने उनकी हास्य प्रतिभा को आकार देने और उन्हें सिनेमा के इतिहास में सबसे महान मनोरंजनकर्ताओं में से एक के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हास्य और सहानुभूति के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता उनकी स्थायी विरासत की पहचान बनी हुई है।

1914-1917: फ़िल्मों में प्रवेश ,प्रधान सिद्धांत

1914 में, चार्ली चैपलिन ने मूक फिल्म युग के दौरान एक प्रमुख फिल्म स्टूडियो, कीस्टोन स्टूडियो के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करके फिल्मों की दुनिया में प्रवेश किया। यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और उनके लिए सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध शख्सियतों में से एक बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

मैक सेनेट द्वारा स्थापित कीस्टोन स्टूडियो, स्लैपस्टिक कॉमेडी फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता था और हॉलीवुड के शुरुआती वर्षों में अग्रणी स्टूडियो में से एक था। सेनेट के निर्देशन में, स्टूडियो ने बड़ी संख्या में हास्य अभिनय और शारीरिक हास्य वाली लघु फिल्में बनाईं।

कीस्टोन में चैपलिन की पहली फिल्म “मेकिंग अ लिविंग” (1914) थी, जिसमें उन्होंने स्वैन नामक एक बेईमान और चालाक अखबार रिपोर्टर का किरदार निभाया था। हालाँकि फिल्म को ठंडी प्रतिक्रिया मिली, लेकिन यह उनके शानदार करियर की शुरुआत थी।

कुछ ही समय बाद, उसी वर्ष, चैपलिन के प्रतिष्ठित “ट्रैम्प” चरित्र ने फिल्म “किड ऑटो रेसेस एट वेनिस” में अपनी शुरुआत की। ट्रैम्प, अपनी बॉलर हैट, मूंछों, बेंत और विशिष्ट चाल के साथ, जल्दी ही एक प्रिय व्यक्ति बन गया और चैपलिन के भविष्य के अधिकांश कार्यों को परिभाषित करेगा।

चैपलिन की प्राकृतिक हास्य प्रतिभा और द ट्रैम्प चरित्र की सार्वभौमिक अपील दर्शकों को पसंद आई, जिससे उनकी फिल्मों की मांग बढ़ गई। उन्होंने अधिक विस्तृत कहानी विकसित करना शुरू कर दिया और अपने कामों में सामाजिक टिप्पणी शामिल करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी फिल्मों को महज फूहड़ कॉमेडी से ऊपर उठाया गया।

कीस्टोन में अपने समय के दौरान, चैपलिन ने “द ट्रैम्प” (1915) और “द बैंक” (1915) जैसी कई लघु फिल्मों में अभिनय किया, जिसने फिल्म उद्योग में एक स्टार के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया। उन्होंने अपनी कुछ फिल्मों का लेखन और निर्देशन करते हुए अधिक रचनात्मक नियंत्रण भी लेना शुरू कर दिया।

1917 में, कीस्टोन में सफल प्रदर्शन के बाद, चैपलिन ने एस्सेन स्टूडियो के साथ अनुबंध करने के लिए स्टूडियो छोड़ दिया, जहां उन्होंने अपनी कलात्मकता को निखारना और विस्तार करना जारी रखा। अपने करियर के दौरान, चैपलिन का काम विकसित हुआ, जिसमें अधिक जटिल कथाएँ और भावनात्मक गहराई शामिल थी, जबकि अभी भी उनके ट्रेडमार्क हास्य और आकर्षण को बरकरार रखा गया था।

कीस्टोन स्टूडियो में चार्ली चैपलिन के समय ने उन्हें अपनी हास्य प्रतिभा और रचनात्मकता दिखाने के लिए मंच प्रदान किया। यह एक उल्लेखनीय फ़िल्मी करियर की शुरुआत थी जिसने सिनेमा के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी और उन्हें सभी समय के सबसे प्रिय और प्रभावशाली फ़िल्म निर्माताओं में से एक बना दिया।

एस्सेन स्टूडियो

1915 में कीस्टोन स्टूडियो छोड़ने के बाद, चार्ली चैपलिन ने मूक फिल्म युग के एक अन्य प्रमुख फिल्म स्टूडियो, एस्सेन स्टूडियो के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। एस्सेन के कदम ने चैपलिन के फिल्मी करियर में एक नया अध्याय जोड़ा और उन्हें अपनी कलात्मक दृष्टि और कहानी कहने की क्षमताओं को और विकसित करने की अनुमति दी।

एस्सेन में, चैपलिन ने सफल लघु फिल्मों की एक श्रृंखला में अपने प्रतिष्ठित “ट्रैम्प” चरित्र को चित्रित करना जारी रखा। उन्होंने स्टूडियो के लिए कुल 14 फिल्में बनाईं, जिससे एक हास्य प्रतिभा और बॉक्स ऑफिस पर एक प्रमुख आकर्षण के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई।

एस्सेन में अपने समय के दौरान चैपलिन द्वारा बनाई गई कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में “द ट्रैम्प” (1915), “द चैंपियन” (1915), और “द बैंक” (1915) शामिल हैं। इन फिल्मों ने चैपलिन की शारीरिक कॉमेडी, भावनात्मक गहराई और सामाजिक टिप्पणी के विशिष्ट मिश्रण को प्रदर्शित किया, जिससे उन्हें दर्शकों और आलोचकों से समान रूप से प्रशंसा मिली।

एस्सेन स्टूडियोज में चैपलिन के कार्यकाल ने उन्हें अधिक रचनात्मक स्वतंत्रता भी दी, जिससे उन्हें कहानी कहने की तकनीकों के साथ प्रयोग करने और अपनी फिल्मों में गहरे विषयों का पता लगाने की अनुमति मिली। इस अवधि के दौरान, वह एक फिल्म निर्माता के रूप में विकसित होते रहे, अपनी कला को निखारते रहे और अपनी विशिष्ट शैली को निखारते रहे।

हालाँकि, चैपलिन और एस्सेन प्रबंधन के बीच तनाव पैदा हो गया, विशेष रूप से रचनात्मक नियंत्रण और संविदात्मक मुद्दों पर। इन असहमतियों के कारण चैपलिन को 1916 में अपने संविदात्मक दायित्वों को पूरा करने के बाद एस्सेन स्टूडियो छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।

चुनौतियों के बावजूद, एस्सेन में चैपलिन का समय उनके करियर और कलात्मक विकास को आकार देने में सहायक था। स्टूडियो में उनके काम ने फिल्म उद्योग में सबसे बड़े सितारों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत कर दिया, और उन्हें एक प्रतिभाशाली अभिनेता, लेखक और निर्देशक के रूप में बढ़ती पहचान मिली।

एस्सेन से प्रस्थान करने के बाद, चैपलिन ने म्यूचुअल फिल्म कॉर्पोरेशन के साथ अनुबंध किया, जहां उन्होंने अपने कुछ सबसे यादगार और स्थायी कार्यों का निर्माण जारी रखा। एस्सेन और उसके बाहर अपने कार्यकाल के दौरान सिनेमा में उनके योगदान ने फिल्म के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है और दुनिया के महानतम फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में उनकी विरासत को मजबूत किया है।

म्यूचुअल फिल्म कॉर्पोरेशन

एस्सेन स्टूडियो से निकलने के बाद, चार्ली चैपलिन ने 1916 में म्यूचुअल फिल्म कॉर्पोरेशन के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। म्यूचुअल में जाने से चैपलिन के फिल्मी करियर में एक महत्वपूर्ण अवधि चिह्नित हुई, जिसके दौरान उन्होंने अपने कुछ सबसे प्रतिष्ठित और स्थायी कार्यों का निर्माण किया।

म्यूचुअल के साथ अनुबंध के तहत, चैपलिन को अभूतपूर्व स्तर की रचनात्मक स्वतंत्रता और पर्याप्त वेतन की पेशकश की गई, जिससे वह अपने समय के सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं में से एक बन गए। इससे उन्हें स्टूडियो अधिकारियों के हस्तक्षेप के बिना अपनी फिल्मों पर पूर्ण नियंत्रण लेने और अपनी कलात्मक दृष्टि को आगे बढ़ाने की अनुमति मिली।

म्यूचुअल में अपने समय के दौरान, चैपलिन ने बारह लघु फिल्मों की एक श्रृंखला बनाई, जिन्हें उनके कुछ बेहतरीन कार्यों में से एक माना जाता है। इन फिल्मों को मूक सिनेमा की क्लासिक फिल्में माना जाता है और दुनिया भर के दर्शक इन्हें पसंद करते हैं।

म्यूचुअल में अपने कार्यकाल के दौरान चैपलिन द्वारा बनाई गई कुछ उल्लेखनीय लघु फिल्में शामिल हैं:

म्यूचुअल में चैपलिन की फिल्मों ने शारीरिक कॉमेडी में उनकी महारत, भावनात्मक गहराई के साथ हास्य को मिश्रित करने की उनकी क्षमता और उनकी गहरी सामाजिक टिप्पणियों को प्रदर्शित किया। उन्होंने अपनी कहानी कहने की तकनीक को परिष्कृत करना जारी रखा, वास्तविक करुणा और हृदयस्पर्शी भावनाओं के क्षणों के साथ स्लैपस्टिक का संयोजन किया।

पारस्परिक वर्ष चैपलिन के लिए वित्तीय और रचनात्मक रूप से फायदेमंद थे, और इस अवधि के दौरान एक वैश्विक सुपरस्टार के रूप में उनकी लोकप्रियता आसमान छू गई। हालाँकि, जैसे ही 1917 में म्युचुअल के साथ उनका अनुबंध समाप्त हुआ, उन्होंने और भी अधिक रचनात्मक स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की ओर बढ़ने का फैसला किया।

1918 में, चैपलिन ने साथी फिल्म दिग्गजों मैरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और डी.डब्ल्यू के साथ अपने स्टूडियो, यूनाइटेड आर्टिस्ट्स की सह-स्थापना की। ग्रिफ़िथ. यूनाइटेड आर्टिस्ट्स ने चैपलिन को अपनी फिल्मों पर पूर्ण नियंत्रण रखने और अपने काम का स्वामित्व बनाए रखने की अनुमति दी, एक ऐसा निर्णय जो उनके असाधारण फिल्मी करियर को आकार देगा।

म्यूचुअल फिल्म कॉर्पोरेशन के वर्ष चार्ली चैपलिन की विरासत में एक महत्वपूर्ण और पोषित अध्याय बने हुए हैं, जिन्होंने एक फिल्म निर्माता के रूप में उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और सिनेमा के इतिहास में अग्रणी के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।

1918-1922: प्रथम राष्ट्रीय

वर्ष 1918-1922 के दौरान चार्ली चैपलिन का फ़र्स्ट नेशनल से कोई सीधा संबंध नहीं था। इसके बजाय, इस अवधि के दौरान, चैपलिन ने अपने स्टूडियो, यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के तहत स्वतंत्र रूप से काम करना जारी रखा, जिसकी उन्होंने 1919 में सह-स्थापना की थी।

1917 में म्यूचुअल फिल्म कॉर्पोरेशन छोड़ने के बाद, चैपलिन ने अधिक रचनात्मक नियंत्रण और स्वतंत्रता हासिल करने का फैसला किया। साथी फिल्मी हस्तियों मैरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और डी.डब्ल्यू. के साथ। ग्रिफ़िथ के साथ मिलकर उन्होंने एक अग्रणी फ़िल्म वितरण कंपनी यूनाइटेड आर्टिस्ट्स की स्थापना की।

यूनाइटेड आर्टिस्ट्स ने चैपलिन को पूर्ण कलात्मक स्वतंत्रता और अपनी फिल्मों का स्वामित्व बनाए रखने की अनुमति दी, जिससे उन्हें अपने काम पर अद्वितीय नियंत्रण मिला। वह न केवल स्टार बन गए बल्कि अपनी फिल्मों के लेखक, निर्देशक और निर्माता भी बन गए।

1918 और 1922 के बीच, चैपलिन ने यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के माध्यम से कई सफल फीचर-लेंथ फिल्में जारी कीं, जिसने सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया। इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में शामिल हैं:

इस अवधि के दौरान, चैपलिन की फिल्मों को आलोचनात्मक प्रशंसा और व्यावसायिक सफलता मिलती रही, जिससे एक वैश्विक सुपरस्टार और एक अग्रणी फिल्म निर्माता के रूप में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई। यूनाइटेड आर्टिस्ट्स में उनके काम ने उन्हें अद्वितीय और नवीन तरीकों से हास्य, नाटक और सामाजिक टिप्पणियों के संयोजन से भावनाओं और विषयों की एक श्रृंखला का पता लगाने की अनुमति दी।

कुल मिलाकर, 1918 और 1922 के बीच के वर्ष चार्ली चैपलिन के लिए एक उपयोगी और रचनात्मक रूप से संतुष्टिदायक अवधि थे, जिसके दौरान उन्होंने मूक सिनेमा की सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखा और खुद को मनोरंजन की दुनिया में एक स्थायी आइकन के रूप में स्थापित किया।

यूनाइटेड आर्टिस्ट्स, मिल्ड्रेड हैरिस और द किड

1920 के दशक की शुरुआत में, चार्ली चैपलिन का करियर उनके स्टूडियो, यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के तहत फल-फूल रहा था, जिसकी स्थापना उन्होंने 1919 में मैरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और डी.डब्ल्यू. के साथ की थी। ग्रिफ़िथ. यूनाइटेड आर्टिस्ट्स ने चैपलिन को अपनी फिल्मों पर अद्वितीय रचनात्मक नियंत्रण और स्वामित्व प्रदान किया, जिससे उन्हें समीक्षकों द्वारा प्रशंसित और व्यावसायिक रूप से सफल कार्यों का निर्माण जारी रखने की अनुमति मिली।

लगभग इसी समय चैपलिन के निजी जीवन में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आये। 1918 में उन्होंने अभिनेत्री मिल्ड्रेड हैरिस से शादी की। उनकी शादी के समय हैरिस 16 साल की थीं और चैपलिन 29 साल के थे। उनका रिश्ता उतार-चढ़ाव वाला था और उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 1920 में उनका तलाक हो गया।

इन व्यक्तिगत अनुभवों के बीच, चैपलिन ने 1921 में अपनी सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक, “द किड” पर काम किया और रिलीज़ किया। यह हार्दिक और अभिनव कॉमेडी-ड्रामा चैपलिन द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित पहली पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म थी। इसमें चैपलिन ने प्रतिष्ठित ट्रैम्प की भूमिका निभाई, और इसने दर्शकों को प्रतिभाशाली बाल कलाकार, जैकी कूगन से भी परिचित कराया।

“द किड” एक दयालु आवारा की मर्मस्पर्शी कहानी बताती है जो एक परित्यक्त बच्चे (जैकी कूगन द्वारा अभिनीत) को अपने बच्चे के रूप में खोजता है और उसका पालन-पोषण करता है। फिल्म में हास्य और करुणा के क्षणों का खूबसूरती से मिश्रण किया गया है, जो चैपलिन की अपने दर्शकों में वास्तविक भावनाएं जगाने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। यह एक त्वरित सफलता बन गई, जिसने दुनिया भर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और एक मास्टर कहानीकार और एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता के रूप में चैपलिन की प्रतिष्ठा को मजबूत किया।

“द किड” चैपलिन के सबसे स्थायी और प्रिय कार्यों में से एक है। इसकी अभिनव कथा, भावनात्मक गहराई और विशेष रूप से युवा जैकी कूगन का असाधारण प्रदर्शन आज भी दर्शकों को पसंद आता है।

कुल मिलाकर, 1920 के दशक की शुरुआत चार्ली चैपलिन के करियर में एक महत्वपूर्ण अवधि थी, क्योंकि उन्होंने यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के माध्यम से मूक सिनेमा की सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखा, व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना किया और “द किड” जैसी कालजयी उत्कृष्ट कृतियों का निर्माण किया, जिन्होंने इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

1923-1938: मूक विशेषताएँ ,पेरिस की एक महिला और द गोल्ड रश

1923 से 1938 की अवधि के दौरान, चार्ली चैपलिन ने अपनी कलात्मकता का प्रदर्शन करते हुए और एक सिनेमाई प्रतिभा के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत करते हुए, उल्लेखनीय मूक फीचर फिल्मों की एक श्रृंखला बनाना जारी रखा।

1923 में, चैपलिन ने “ए वूमन ऑफ़ पेरिस” रिलीज़ की, जो उनके सिग्नेचर ट्रैम्प चरित्र से अलग हटकर थी। यह फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा थी और एक महत्वपूर्ण सफलता थी, जिसने चैपलिन की उनके प्रतिष्ठित हास्य व्यक्तित्व से परे एक फिल्म निर्माता और अभिनेता के रूप में बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। हालाँकि फिल्म को इसकी कहानी और प्रदर्शन के लिए प्रशंसा मिली, लेकिन यह उनके पिछले कामों की तरह व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रही, आंशिक रूप से प्रिय ट्रम्प चरित्र की अनुपस्थिति के कारण।

“ए वूमन ऑफ़ पेरिस” के बाद, चैपलिन 1925 में रिलीज़ हुई अपनी सबसे प्रसिद्ध फ़िल्मों में से एक, “द गोल्ड रश” के साथ अपने प्रिय ट्रैम्प चरित्र में लौट आए। इस कॉमेडी-एडवेंचर फ़िल्म में, ट्रैम्प उस दौरान समृद्ध होने की कोशिश करता है क्लोंडाइक गोल्ड रश। फिल्म में चैपलिन के हास्य, शारीरिक कॉमेडी और हार्दिक क्षणों का विशिष्ट मिश्रण दिखाया गया है, जो इसे एक स्थायी क्लासिक बनाता है।

“द गोल्ड रश” के सबसे प्रतिष्ठित दृश्यों में से एक में दो डिनर रोल के साथ ट्रम्प का नृत्य दिखाया गया है, जिसे अक्सर “रोल डांस” कहा जाता है। यह क्रम फिल्म इतिहास में सबसे यादगार और अनुकरणीय क्षणों में से एक है।

“द गोल्ड रश” अत्यधिक आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही, जिससे मूक फिल्म युग के मास्टर के रूप में चैपलिन की स्थिति मजबूत हो गई। 1920 के दशक के उत्तरार्ध में साउंड फिल्मों में बदलाव के बावजूद, चैपलिन ने “द गोल्ड रश” को एक मूक फिल्म के रूप में रखने का फैसला किया, और 1942 में इसके पुन: रिलीज के लिए सिंक्रनाइज़ संगीत और ध्वनि प्रभाव जोड़ा।

इस पूरी अवधि के दौरान, चैपलिन की फिल्में उनकी अद्वितीय कहानी कहने की क्षमताओं और सार्वभौमिक, भावनात्मक रूप से गूंजने वाली कहानियों को बनाने के उनके उपहार को प्रदर्शित करती रहीं। उनकी फिल्में न केवल उनके हास्य के लिए बल्कि उनकी सामाजिक टिप्पणी, करुणा और मानवीय स्थिति पर अंतर्दृष्टि के लिए भी मनाई गईं।

“ए वूमन ऑफ पेरिस” और “द गोल्ड रश” के अलावा, इस युग की अन्य उल्लेखनीय मूक विशेषताओं में “सिटी लाइट्स” (1931) और “मॉडर्न टाइम्स” (1936) शामिल हैं। दोनों फिल्मों ने एक प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता के रूप में चैपलिन की स्थिति को और मजबूत किया, और वे सिनेमा के इतिहास में प्रिय क्लासिक्स बनी रहीं।

1923 से 1938 तक चार्ली चैपलिन की मूक विशेषताएं उनकी असाधारण प्रतिभा, रचनात्मकता और फिल्म निर्माण की दुनिया पर स्थायी प्रभाव का प्रमाण बनी हुई हैं। इस अवधि के दौरान उनके काम को दर्शकों और फिल्म निर्माताओं द्वारा समान रूप से मनाया और सराहा जाता रहा, जिससे वह सिनेमा के इतिहास में सबसे स्थायी और प्रभावशाली शख्सियतों में से एक बन गए।

लिटा ग्रे और द सर्कस

1920 के दशक की शुरुआत में, चार्ली चैपलिन का निजी जीवन उनके पेशेवर करियर के साथ उलझ गया। 1924 में, 35 साल की उम्र में, चैपलिन 16 वर्षीय अभिनेत्री लिटा ग्रे के साथ रिश्ते में आये। दोनों की मुलाकात “द गोल्ड रश” के फिल्मांकन के दौरान हुई, जहां लिटा को गोल्ड रश एक्स्ट्रा के रूप में एक छोटी सी भूमिका मिली थी।

चैपलिन और लिटा ग्रे के बीच का रिश्ता उम्र के अंतर और उस समय के सामाजिक मानदंडों के कारण विवादों से भरा था। फिर भी, उन्होंने अंततः 1924 में शादी कर ली। उनकी शादी को चुनौतियों और तनावों का सामना करना पड़ा, और इसे कानूनी मुद्दों और सार्वजनिक जांच से चिह्नित किया गया।

इस अवधि के दौरान, चैपलिन ने 1928 में फिल्म “द सर्कस” पर काम किया और रिलीज़ किया। यह फिल्म एक मनोरंजक कॉमेडी है जो ट्रम्प के सर्कस में शामिल होने और स्टार आकर्षण बनने की कहानी बताती है। “द सर्कस” ने हार्दिक क्षणों के साथ हास्य के मिश्रण की चैपलिन की विरासत को जारी रखा और दर्शकों को हंसी और मानवीय जुड़ाव के मार्मिक क्षण प्रदान किए।

“द सर्कस” को समीक्षकों और दर्शकों दोनों ने खूब सराहा, जिससे मोशन पिक्चर उद्योग में उनके बहुमुखी योगदान के लिए चैपलिन को विशेष अकादमी पुरस्कार मिला। फिल्म की सफलता ने चैपलिन की अपनी कहानी कहने और हास्य प्रतिभा के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की निरंतर क्षमता को प्रदर्शित किया।

हालाँकि, पर्दे के पीछे चैपलिन का निजी जीवन तेजी से उथल-पुथल भरा होता जा रहा था। लिटा ग्रे के साथ उनकी शादी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, और वे 1927 में अलग हो गए। 1928 में उनके तलाक को अत्यधिक प्रचारित किया गया और इससे चैपलिन को लेकर और भी विवाद पैदा हो गए।

व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद, “द सर्कस” चैपलिन की प्रसिद्ध मूक फिल्मों में से एक है और उनकी कालातीत कलात्मकता का प्रमाण है। फिल्म की स्थायी लोकप्रियता और आलोचनात्मक प्रशंसा चैप्लिन की सार्वभौमिक और प्रासंगिक कहानियां बनाने की क्षमता का प्रमाण है जो दशकों तक दर्शकों के बीच गूंजती रहती है।

1920 के दशक के दौरान चार्ली चैपलिन का जीवन उनके फिल्म निर्माण में विजय और उनके रिश्तों में व्यक्तिगत संघर्ष दोनों से चिह्नित था। “द सर्कस” उनकी रचनात्मक प्रतिभा और सिनेमा की दुनिया पर स्थायी प्रभाव छोड़ने की उनकी क्षमता का एक शानदार उदाहरण है।

शहर की रोशनी

“सिटी लाइट्स” 1931 की एक मूक रोमांटिक कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जो चार्ली चैपलिन द्वारा लिखित, निर्देशित, निर्मित और अभिनीत है। इसे चैपलिन की सबसे बेहतरीन और सबसे प्रिय कृतियों में से एक माना जाता है और अक्सर इसे मूक सिनेमा की उत्कृष्ट कृति के रूप में सराहा जाता है।

फिल्म चैपलिन द्वारा अभिनीत ट्रैम्प की कहानी बताती है, जिसे वर्जिनिया चेरिल द्वारा अभिनीत एक अंधी फूल वाली लड़की से प्यार हो जाता है। ट्रैम्प फूल वाली लड़की की मदद करने की कोशिश करता है और एक अमीर, शराबी आदमी से दोस्ती करता है जो उसे केवल तभी पहचानता है जब वह नशे में होता है।

“सिटी लाइट्स” हास्य, मर्मस्पर्शी क्षणों और सामाजिक टिप्पणियों का उत्कृष्ट मिश्रण है, जो दर्शकों में हंसी और आंसू दोनों पैदा करने की चैपलिन की अद्वितीय क्षमता को प्रदर्शित करता है। ध्वनि फिल्मों में परिवर्तन के बाद अच्छी तरह से रिलीज होने के बावजूद, चैपलिन ने देखने के अनुभव को बढ़ाने के लिए सिंक्रनाइज़ संगीत और ध्वनि प्रभावों का उपयोग करते हुए “सिटी लाइट्स” को एक मूक फिल्म के रूप में रखने का फैसला किया।

यह फिल्म अपने भावनात्मक रूप से आवेशित और मार्मिक अंत के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो सिनेमा इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित और मार्मिक क्षणों में से एक है। अंतिम दृश्य गहरी भावना और अर्थ व्यक्त करने के लिए मूकाभिनय और चेहरे के भावों का उपयोग करने की चैपलिन की क्षमता का एक आदर्श उदाहरण है।

“सिटी लाइट्स” अपनी रिलीज के बाद एक महत्वपूर्ण और व्यावसायिक सफलता थी, जिसे व्यापक प्रशंसा मिली और एक अग्रणी फिल्म निर्माता के रूप में चैपलिन की स्थिति की पुष्टि हुई। इसे अक्सर अब तक बनी सबसे महान फिल्मों में से एक माना जाता है और इसने फिल्म निर्माण की कला पर अमिट प्रभाव छोड़ा है।

इन वर्षों में, “सिटी लाइट्स” को एक कालातीत क्लासिक के रूप में मान्यता दी गई है, जिसने कई “सभी समय की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों” की सूची में अपना स्थान अर्जित किया है और दर्शकों और फिल्म निर्माताओं द्वारा समान रूप से मनाया जाता रहा है। फिल्म की स्थायी लोकप्रियता चैपलिन की असाधारण प्रतिभा और सभी पीढ़ियों के लोगों को प्रभावित करने वाली फिल्में बनाने की उनकी क्षमता का प्रमाण है।

ट्रेवल्स, पॉलेट गोडार्ड, और मॉडर्न टाइम्स

1930 के दशक की शुरुआत में, चार्ली चैपलिन का जीवन महत्वपूर्ण यात्राओं, अभिनेत्री पॉलेट गोडार्ड के साथ उनके संबंधों और उनकी सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक, “मॉडर्न टाइम्स” के निर्माण से चिह्नित था।

यात्राएँ: 1931 में, चार्ली चैपलिन अपनी फिल्म “सिटी लाइट्स” के प्रचार के लिए और फ्रांस में प्रतिष्ठित लीजन ऑफ ऑनर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए यूरोप की यात्रा पर निकले। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने लंदन का भी दौरा किया, जहाँ उन्हें अपने ब्रिटिश प्रशंसकों से उत्साहपूर्ण स्वागत मिला।

पौलेट गोडार्ड: 1930 के दशक के मध्य में, चैपलिन अभिनेत्री पॉलेट गोडार्ड के साथ जुड़ गये। फिल्म “मॉडर्न टाइम्स” पर काम करने के दौरान उनकी मुलाकात हुई और उनके बीच घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध बन गए। उनकी रोमांटिक भागीदारी के कारण 1936 में उनकी शादी हो गई। गोडार्ड ने चैपलिन की कई फिल्मों में अभिनय किया, जो उनके निजी जीवन और पेशेवर करियर दोनों में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति बन गई।

“आधुनिक समय”: 1936 में रिलीज़ हुई, “मॉडर्न टाइम्स” चार्ली चैपलिन द्वारा लिखित और निर्देशित एक क्लासिक मूक कॉमेडी फिल्म है। यह आखिरी फिल्म थी जिसमें चैपलिन का प्रतिष्ठित ट्रैम्प चरित्र प्रदर्शित किया गया था। यह फिल्म महामंदी के दौर में समाज के औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण पर व्यंग्यात्मक दृष्टि डालती है।

“ मॉडर्न टाइम्स” में, ट्रैम्प तेज़-तर्रार, यंत्रीकृत दुनिया के अनुकूल ढलने के लिए संघर्ष करता है, खुद को हास्यप्रद और अनिश्चित परिस्थितियों में पाता है। फिल्म में एक युवा अनाथ महिला का किरदार भी पेश किया गया है, जिसे पॉलेट गोडार्ड ने निभाया है, जिससे ट्रैम्प दोस्ती करता है और उसकी मदद करता है।

“मॉडर्न टाइम्स” ने औद्योगीकरण के अमानवीय प्रभावों, श्रमिक वर्ग के संघर्ष और तेजी से बदलती दुनिया में प्यार और खुशी की खोज के विषयों को छूते हुए सामाजिक टिप्पणियों के साथ फूहड़ कॉमेडी को कुशलतापूर्वक मिश्रित किया है। फिल्म यादगार दृश्यों से भरी है, जिसमें वह प्रसिद्ध दृश्य भी शामिल है जहां ट्रैम्प एक विशाल मशीन के गियर में फंस जाता है।

ऐसे समय में रिलीज होने के बावजूद जब ध्वनि फिल्में प्रचलित थीं, “मॉडर्न टाइम्स” मुख्य रूप से एक मूक फिल्म थी, जिसमें समकालिक ध्वनि प्रभाव और चैपलिन का अपना संगीत स्कोर था। यह फिल्म आलोचनात्मक और व्यावसायिक रूप से सफल रही, जिसने व्यापक प्रशंसा अर्जित की और एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता के रूप में चैपलिन की प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।

संक्षेप में, 1930 के दशक की शुरुआत चार्ली चैपलिन के लिए महत्वपूर्ण यात्राओं का समय था, पॉलेट गोडार्ड के साथ उनके संबंधों की शुरुआत और प्रतिष्ठित फिल्म “मॉडर्न टाइम्स” का निर्माण। इन घटनाओं ने चैपलिन के जीवन और कार्य की समृद्ध छवि में योगदान दिया, जिससे सिनेमा की दुनिया पर स्थायी प्रभाव पड़ा।

1939-1952: विवाद और घटती लोकप्रियता ,महान तानाशाह

1939 से 1952 की अवधि के दौरान, चार्ली चैपलिन का जीवन और करियर विवादों और उनकी लोकप्रियता में बदलाव के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण फिल्म, “द ग्रेट डिक्टेटर” के निर्माण से चिह्नित था।

“महान तानाशाह”: 1940 में, चार्ली चैपलिन ने एक व्यंग्यपूर्ण राजनीतिक कॉमेडी-ड्रामा “द ग्रेट डिक्टेटर” रिलीज़ किया। यह फिल्म महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह चैपलिन की पहली सच्ची बोलती तस्वीर के साथ-साथ उनकी पहली पूर्ण लंबाई वाली ध्वनि फिल्म भी थी।

“द ग्रेट डिक्टेटर” में चैपलिन ने दोहरी भूमिकाएँ निभाईं: एडेनोइड हिंकेल, एडॉल्फ हिटलर की पैरोडी, और एक यहूदी नाई, जो ट्रैम्प चरित्र से काफी मिलता-जुलता है। फिल्म में एडॉल्फ हिटलर, फासीवाद और यहूदी-विरोध की आलोचना करने के लिए हास्य का इस्तेमाल किया गया, साथ ही शांति और मानवीय गरिमा के लिए हार्दिक दलील भी दी गई।

“द ग्रेट डिक्टेटर” एक साहसी और शक्तिशाली फिल्म थी, जिसमें कॉमेडी को सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणियों के साथ जोड़ने की चैपलिन की क्षमता का प्रदर्शन किया गया था। हालांकि इसे दर्शकों और कुछ आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया, लेकिन इसे कुछ विवादों का भी सामना करना पड़ा, खासकर जर्मनी और अन्य देशों में जहां हिटलर का शासन था। बहरहाल, इतिहास में फिल्म का प्रभाव और महत्व पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है, और अब इसे चैपलिन के सबसे स्थायी और महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है।

विवाद और घटती लोकप्रियता: 1940 और 1950 के दशक की शुरुआत में, चैपलिन को पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से कई विवादों का सामना करना पड़ा। संयुक्त राज्य अमेरिका में कम्युनिस्ट विरोधी भावना के बढ़ने के दौरान उनके राजनीतिक विचारों और संघों की जांच की गई। 1947 में, चैपलिन को उनकी कथित कम्युनिस्ट सहानुभूति के कारण हाउस अन-अमेरिकन एक्टिविटीज़ कमेटी (एचयूएसी) के समक्ष गवाही देने के लिए बुलाया गया था, हालांकि वह सीधे तौर पर किसी भी विध्वंसक गतिविधियों में शामिल नहीं थे।

विवादों और राजनीतिक तनावों के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका में चैपलिन की लोकप्रियता घटने लगी। उनकी मुखर राजनीतिक मान्यताओं और व्यक्तिगत मामलों के कारण उन्हें एक विवादास्पद व्यक्ति के रूप में देखा जाने लगा। परिणामस्वरूप, उनकी बाद की कुछ फिल्मों को उनके पहले के कार्यों के समान प्रशंसा और सफलता नहीं मिली।

अंततः , 1952 में, संयुक्त राज्य अमेरिका से मोहभंग महसूस करते हुए, चैपलिन ने देश छोड़ने और स्विट्जरलैंड जाने का फैसला किया, जहां वे जीवन भर रहे।

चुनौतियों और विवादों के बावजूद, चार्ली चैपलिन का सिनेमा में योगदान और फिल्म निर्माण की कला पर उनका प्रभाव निर्विवाद रहा। “द ग्रेट डिक्टेटर” एक कलाकार के रूप में उनकी निर्भीकता और महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपने मंच का उपयोग करने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भले ही इस अवधि के दौरान अमेरिका में उनकी लोकप्रियता कम हो गई हो, लेकिन इतिहास के महानतम फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में उनकी विरासत मजबूती से बरकरार है।

कानूनी परेशानियाँ और ओना ओ’नील

1940 के दशक की शुरुआत में, चार्ली चैपलिन को कई कानूनी परेशानियों और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसने उनके जीवन और करियर को और जटिल बना दिया। इस अवधि के दौरान महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक जोन बैरी के साथ उनकी कानूनी लड़ाई थी।

जोन बैरी के साथ कानूनी परेशानियाँ: 1942 में, चैपलिन अभिनेत्री जोन बैरी द्वारा लाए गए अत्यधिक प्रचारित पितृत्व मुकदमे में शामिल हो गए। उसने दावा किया कि चैपलिन उसके बच्चे का पिता था। चैपलिन के इनकार और प्रस्तुत किए गए सबूतों के बावजूद, अदालत ने बैरी के पक्ष में फैसला सुनाया, और चैपलिन को बच्चे के भरण-पोषण के लिए भुगतान करने का आदेश दिया।

यह कानूनी लड़ाई चैपलिन के लिए भावनात्मक रूप से कठिन थी और इससे उनके निजी जीवन से जुड़े विवाद भी जुड़ गए। इस मामले को व्यापक मीडिया कवरेज मिला और इससे उनकी प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

ऊना ओ’नील से विवाह: कानूनी परेशानियों के बीच, चार्ली चैपलिन को अमेरिकी नाटककार यूजीन ओ’नील की बेटी ओना ओ’नील के साथ अपने रिश्ते में सांत्वना मिली। ओना एक युवा महत्वाकांक्षी अभिनेत्री थीं और उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद (चैपलिन की उम्र 50 के आसपास थी और ओना किशोरावस्था में थीं), उन्हें प्यार हो गया और 1943 में उन्होंने गुपचुप तरीके से शादी कर ली।

चैपलिन और ओना का प्रेमपूर्ण और लंबे समय तक चलने वाला विवाह हुआ, जो तीन दशकों तक चला और आठ बच्चे पैदा हुए। ओना चैप्लिन के लिए उथल-पुथल भरे समय में स्थिरता और समर्थन का स्रोत बन गया।

संयुक्त राज्य अमेरिका से निर्वासन: संयुक्त राज्य अमेरिका में कानूनी परेशानियों, विवादों और बदलते राजनीतिक माहौल के बीच, चैपलिन ने 1952 में देश छोड़ने और स्विट्जरलैंड जाने का फैसला किया। उनका अमेरिका से मोहभंग हो गया और उनका मानना था कि उन्हें विदेश में बेहतर व्यवहार मिलेगा।

चैपलिन के संयुक्त राज्य अमेरिका छोड़ने के निर्णय ने उनके हॉलीवुड करियर का अंत कर दिया। उन्होंने स्विट्जरलैंड में रहते हुए फिल्में बनाना जारी रखा, लेकिन 1972 में मानद अकादमी पुरस्कार मिलने तक वे अमेरिका नहीं लौटे।

अपने बाद के वर्षों में, चैपलिन ने अपनी आत्मकथा, “माई ऑटोबायोग्राफी” लिखने पर ध्यान केंद्रित किया, जो 1964 में प्रकाशित हुई थी। सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले और फिल्म निर्माण की कला पर उनके जबरदस्त प्रभाव के लिए उन्हें मनाया गया।

अपने जीवन के इस दौर में कानूनी परेशानियों और विवादों के बावजूद, इतिहास में सबसे महान फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में चार्ली चैपलिन की विरासत मजबूती से स्थापित है। उनकी कलात्मक उपलब्धियों का जश्न और प्रशंसा जारी है और उनकी फिल्मों ने सिनेमा की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

महाशय वर्डौक्स और कम्युनिस्ट आरोप

1940 के दशक के उत्तरार्ध के दौरान, चार्ली चैपलिन को आगे की चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा, जिसमें साम्यवाद के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप और उनकी व्यंग्यपूर्ण ब्लैक कॉमेडी फिल्म “मॉन्सिएर वर्डौक्स” की रिलीज शामिल थी।

कम्युनिस्ट आरोप: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग में, संयुक्त राज्य अमेरिका में कम्युनिस्ट विरोधी भावना का माहौल बढ़ गया था। इसे सेकंड रेड स्केयर और हॉलीवुड में कथित कम्युनिस्ट प्रभावों की जांच में हाउस अन-अमेरिकन एक्टिविटीज़ कमेटी (एचयूएसी) की गतिविधियों से बढ़ावा मिला था।

चार्ली चैपलिन, जो अपनी फिल्मों में अपनी मुखर राजनीतिक मान्यताओं और सामाजिक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, संदेह का निशाना बन गए। हालाँकि वह सीधे तौर पर किसी भी विध्वंसक गतिविधियों में शामिल नहीं थे, लेकिन वामपंथी उद्देश्यों के साथ उनके जुड़ाव और प्रचलित कम्युनिस्ट विरोधी भावनाओं के अनुरूप होने से इनकार ने सरकारी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया।

1947 में, चैपलिन को उनकी राजनीतिक मान्यताओं और संघों के संबंध में एचयूएसी के समक्ष गवाही देने के लिए बुलाया गया था। अपनी गवाही के दौरान, उन्होंने दृढ़तापूर्वक विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का बचाव किया। हालाँकि, जाँच को लेकर दबाव और जाँच से विवाद और बढ़ गया और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनकी प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

“महाशय वर्डौक्स”: 1947 में, विवादों और कानूनी परेशानियों के बीच, चैपलिन ने “मॉन्सिएर वर्डौक्स” रिलीज़ की। यह फिल्म एक डार्क कॉमेडी है जो चैपलिन द्वारा निभाए गए हेनरी वर्डौक्स के चरित्र पर केंद्रित है, जो एक सौम्य और आकर्षक सीरियल किलर है। वर्डौक्स अमीर महिलाओं से शादी करता है और फिर उनके पैसे के लिए उनकी हत्या कर देता है।

यह फिल्म चैपलिन की उनके प्रतिष्ठित ट्रैम्प चरित्र से पहली विदाई थी और इसने उनकी फिल्म निर्माण शैली में बदलाव को चिह्नित किया। यह एक साहसी और साहसिक परियोजना थी जिसने नैतिक रूप से अस्पष्ट विषयों और सामाजिक मानदंडों पर व्यंग्य किया।

“महाशय वर्डौक्स” को इसकी रिलीज पर मिश्रित समीक्षाएं मिलीं, कुछ आलोचकों ने चैपलिन के साहसी दृष्टिकोण की प्रशंसा की, जबकि अन्य ने फिल्म को नैतिक रूप से परेशान करने वाला और अत्यधिक अंधकारमय पाया। फिल्म की रिलीज एचयूएसी जांच के साथ भी हुई, जिसने इसके स्वागत और संयुक्त राज्य अमेरिका में चैपलिन की स्थिति को और प्रभावित किया।

संयुक्त राज्य अमेरिका से निर्वासन: विवादों और कानूनी चुनौतियों के बीच, चार्ली चैपलिन ने 1952 में संयुक्त राज्य अमेरिका छोड़ने और स्विट्जरलैंड जाने का निर्णय लिया। राजनीतिक माहौल से उनका मोहभंग होता गया और उन्हें लगा कि उन्हें अमेरिका में उचित व्यवहार नहीं मिलेगा।

चैपलिन के जाने से उनके हॉलीवुड करियर का अंत हो गया, लेकिन उन्होंने यूरोप में फ़िल्में बनाना जारी रखा, हालाँकि बहुत धीमी गति से। उन्होंने अपने जीवन के शेष वर्ष स्विट्ज़रलैंड में बिताए, जहां उन्होंने अधिक गोपनीयता का आनंद लिया और उन विवादों से मुक्ति पाई, जिन्होंने उन्हें अमेरिका में घेर लिया था।

चुनौतियों और आरोपों का सामना करने के बावजूद, चार्ली चैपलिन के कलात्मक योगदान और सिनेमा पर प्रभाव का दुनिया भर में जश्न मनाया जाता रहा। 1972 में, वह फिल्म में अपनी असाधारण प्रतिभा और उपलब्धियों के लिए मानद अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका लौट आए। इतिहास के महानतम फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में उनकी विरासत आज भी कायम है।

लाइमलाइट और संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रतिबंध

1952 में, चार्ली चैपलिन ने फिल्म “लाइमलाइट” रिलीज़ की, जिसे उन्होंने लिखा, निर्देशित किया और इसमें अभिनय किया। यह फिल्म एक मार्मिक नाटक है जो चैपलिन के जीवन और करियर, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में उनकी घटती लोकप्रियता पर उनके प्रतिबिंबों को दर्शाता है।

“लाइमलाइट”: “लाइमलाइट” में, चैपलिन ने एक लुप्तप्राय संगीत हॉल कॉमेडियन कैल्वरो की भूमिका निभाई है, जो थेरेज़ा नामक एक युवा बैले डांसर (क्लेयर ब्लूम द्वारा अभिनीत) से दोस्ती करता है। फिल्म प्रसिद्धि, उम्र बढ़ने और प्रदर्शन कला के संघर्ष के विषयों की पड़ताल करती है। कैल्वरो के चैप्लिन के चित्रण को व्यापक रूप से उनके सबसे भावनात्मक और हार्दिक प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।

“लाइमलाइट” चैपलिन के लिए एक व्यक्तिगत और आत्मनिरीक्षण कार्य होने के कारण उल्लेखनीय था, जिसमें उन्होंने अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए अपने स्वयं के अनुभवों और भावनाओं को चित्रित किया था। फिल्म को आलोचकों की प्रशंसा मिली और चैपलिन को सर्वश्रेष्ठ मूल स्कोर के लिए अकादमी पुरस्कार मिला।

संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रतिबंध: “लाइमलाइट” की महत्वपूर्ण सफलता के बावजूद, चैपलिन के व्यक्तिगत और राजनीतिक विवाद उन्हें परेशान करते रहे। कम्युनिस्ट विरोधी भावनाओं, उनकी कानूनी परेशानियों और उनके वामपंथी राजनीतिक विचारों के अनुरूप होने से इनकार करने के कारण अमेरिकी अधिकारियों और जनता की राय में शत्रुता बढ़ गई।

1952 में, जब चैपलिन “लाइमलाइट” के प्रीमियर के लिए लंदन की यात्रा पर थे, तो अमेरिकी अटॉर्नी जनरल, जेम्स पी. मैकग्रेनरी ने, चैपलिन के संयुक्त राज्य अमेरिका में पुनः प्रवेश परमिट को रद्द कर दिया। अटॉर्नी जनरल ने कार्रवाई के कारण के रूप में चैपलिन के कथित “नैतिक आरोप” (जोआन बैरी पितृत्व मुकदमे का जिक्र करते हुए) का हवाला दिया।

संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रतिबंध चैपलिन के लिए एक महत्वपूर्ण झटका था, क्योंकि इसने उन्हें अपने हॉलीवुड करियर और उस देश में अपने दर्शकों से प्रभावी रूप से दूर कर दिया, जहां उन्होंने बड़ी सफलता और पहचान हासिल की थी।

निर्वासन और बाद का जीवन: प्रतिबंध के बाद, चार्ली चैपलिन ने स्विट्जरलैंड में स्थायी रूप से बसने का निर्णय लिया। उन्होंने यूरोप में फ़िल्में बनाना जारी रखा, हालाँकि बहुत धीमी गति से। उन्होंने “ए किंग इन न्यूयॉर्क” (1957) और “ए काउंटेस फ्रॉम हॉन्गकॉन्ग” (1967) फिल्मों का निर्देशन और अभिनय किया, लेकिन उन्हें उनके पहले के कामों के समान प्रशंसा नहीं मिली।

चैप्लिन ने अपना शेष जीवन स्विट्जरलैंड में बिताया और उन विवादों से दूर अधिक गोपनीयता और कलात्मक स्वतंत्रता का आनंद लिया, जिन्होंने उन्हें अमेरिका में घेर लिया था। 1972 में, 20 वर्षों के निर्वासन के बाद, चैप्लिन को मानद अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में आमंत्रित किया गया था। सिनेमा में उनका योगदान. यह समारोह उनके करियर का एक मार्मिक क्षण था और दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिनंदन किया।

चार्ली चैपलिन का 25 दिसंबर, 1977 को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया, और वे अपने पीछे इतिहास के महानतम फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में एक स्थायी विरासत छोड़ गए। विवादों और चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उनकी फिल्मों को दुनिया भर में सराहा और सराहा जाता रहा है और वह मनोरंजन की दुनिया में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बने हुए हैं।

1953-1977: यूरोपीय वर्ष, स्विट्ज़रलैंड और न्यूयॉर्क में ए किंग का रुख करें

1953 से 1977 की अवधि के दौरान, चार्ली चैपलिन यूरोप में रहे, मुख्य रूप से स्विट्जरलैंड में रहे। उनके जीवन के इस समय को अक्सर उनके “यूरोपीय वर्ष” के रूप में जाना जाता है, जहां उन्होंने फिल्मों और अन्य रचनात्मक परियोजनाओं पर काम करना जारी रखा।

स्विट्ज़रलैंड चले जाएँ: 1952 में संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रतिबंधित होने के बाद, चैपलिन ने स्विट्जरलैंड में बसने का फैसला किया, जहां उन्हें उन विवादों और कानूनी परेशानियों से दूर एक अधिक शांतिपूर्ण और निजी वातावरण मिला, जिनका उन्हें अमेरिका में सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपना घर, मनोइर डी बान, स्थापित किया। जिनेवा झील की ओर देखने वाला कॉर्सिएर-सुर-वेवे गांव।

स्विट्जरलैंड में, चैपलिन ने कलात्मक स्वतंत्रता और अधिक आरामदायक जीवन शैली का आनंद लिया। उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन पर ध्यान केंद्रित किया, फिल्मों और स्क्रिप्ट पर काम करना जारी रखा और अपनी आत्मकथा, “माई ऑटोबायोग्राफी” लिखने में समय समर्पित किया, जो 1964 में प्रकाशित हुई थी।

न्यूयॉर्क में एक राजा: 1957 में, चैपलिन ने अपनी अंतिम फिल्म, “ए किंग इन न्यूयॉर्क” रिलीज़ की, जिसे उन्होंने लिखा, निर्देशित किया और इसमें अभिनय किया। यह फिल्म एक व्यंग्यात्मक कॉमेडी है जो अमेरिकी समाज, राजनीति और मीडिया की बेतुकी बातों की पड़ताल करती है। शीत युद्ध।

“ए किंग इन न्यूयॉर्क” में चैपलिन ने राजा शाहदोव की भूमिका निभाई है, जो एक निर्वासित राजा है जो न्यूयॉर्क शहर में आता है। फिल्म आधुनिक दुनिया में उनके सामने आने वाली चुनौतियों और गलतफहमियों को हास्यपूर्वक चित्रित करती है। इसमें मैककार्थीवाद और उस युग की राजनीति की आलोचना भी शामिल है।

जबकि “ए किंग इन न्यूयॉर्क” को कुछ आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया, लेकिन यह चैपलिन के पहले के कार्यों की तरह व्यावसायिक रूप से सफल नहीं था। फिर भी, यह फिल्म समसामयिक मुद्दों पर चैपलिन के अपने दृष्टिकोण और अपनी कला के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक विषयों की उनकी निरंतर खोज का एक दिलचस्प प्रतिबिंब बनी हुई है।

अपने यूरोपीय वर्षों के दौरान, चैपलिन को सिनेमा में उनके योगदान के लिए मनाया और सम्मानित किया जाता रहा। 1972 में, दो दशक से अधिक के निर्वासन के बाद, उन्हें फिल्म की दुनिया में उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए मानद अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आमंत्रित किया गया था।

चार्ली चैपलिन के यूरोपीय वर्षों में उनके जीवन और कार्य में अधिक चिंतनशील और आत्मनिरीक्षण चरण की विशेषता थी। स्विटज़रलैंड में बिताए गए समय ने उन्हें व्यक्तिगत गतिविधियों और रचनात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दी, जबकि उन्हें सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक के रूप में पहचाना जाता रहा।

अंतिम कार्य और नवीनीकृत सराहना

अपने जीवन के उत्तरार्ध के दौरान, 1950 के दशक के उत्तरार्ध से लेकर 1977 में अपने निधन तक, चार्ली चैपलिन ने कुछ अंतिम परियोजनाओं पर काम करना जारी रखा और सिनेमा में उनके योगदान के लिए नए सिरे से सराहना का अनुभव किया।

“हांगकांग से एक काउंटेस”: 1967 में, चैपलिन ने अपनी अंतिम पूर्ण फीचर फिल्म, “ए काउंटेस फ्रॉम हांगकांग” रिलीज़ की। इस रोमांटिक कॉमेडी में मार्लन ब्रैंडो और सोफिया लॉरेन ने अभिनय किया और यह एकमात्र फिल्म थी जिसमें चैपलिन अभिनेता के रूप में दिखाई नहीं दिए। उन्होंने प्रेम, वर्ग भेद और मानवीय संबंधों के विषयों की खोज करते हुए फिल्म का लेखन, निर्देशन और निर्माण किया। अपनी रिलीज़ पर मिली-जुली समीक्षा मिलने के बावजूद, “ए काउंटेस फ्रॉम हॉन्ग कॉन्ग” ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ पुनर्मूल्यांकन प्राप्त किया है और एक फिल्म निर्माता के रूप में चैपलिन की निरंतर प्रतिभा के प्रमाण के रूप में इसकी सराहना की जाती है।

नवीनीकृत प्रशंसा और सम्मान: अपने जीवन के बाद के वर्षों में, चार्ली चैपलिन ने सिनेमा में अपने योगदान के लिए सराहना और मान्यता में पुनरुत्थान का अनुभव किया। कई युवा फिल्म निर्माताओं और फिल्म प्रेमियों ने उनके क्लासिक कार्यों को दोबारा देखा और उनका जश्न मनाया, उनकी कलात्मक प्रतिभा और स्थायी प्रभाव को स्वीकार किया।

1972 में, चैपलिन को मानद अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस आमंत्रित किया गया था। फिल्म निर्माण की कला पर उनके व्यापक प्रभाव को पहचानते हुए, दर्शकों ने उन्हें भावभीनी सराहना दी। यह घटना चैपलिन के उल्लेखनीय करियर के लिए स्वीकृति और सम्मान का एक महत्वपूर्ण क्षण था।

1970 के दशक के दौरान, चैपलिन की फिल्मों की समीक्षा दुनिया भर में की गई और उन्हें विभिन्न फिल्म समारोहों में सम्मानित किया गया। उनकी शाश्वत कलात्मकता और सिनेमाई उपलब्धियों के लिए नए सिरे से सराहना को प्रदर्शित करते हुए उन्हें कई प्रशंसाएं और पुरस्कार मिले।

उत्तीर्णता और विरासत: 25 दिसंबर 1977 को चार्ली चैपलिन का 88 वर्ष की आयु में स्विट्जरलैंड में निधन हो गया। उनकी मृत्यु से एक युग का अंत हो गया और मूक सिनेमा के महानतम अग्रदूतों में से एक का निधन हो गया।

चैपलिन की विरासत समय के साथ और मजबूत होती गई है। उनकी फ़िल्में उत्कृष्ट कृति मानी जाती हैं और सभी पीढ़ियों के दर्शकों द्वारा मनाई और प्रशंसित की जाती हैं। उनका प्रतिष्ठित चरित्र, ट्रैम्प, फिल्म के इतिहास में सबसे अधिक पहचाने जाने योग्य शख्सियतों में से एक है।

चैप्लिन का सिनेमा पर गहरा प्रभाव उनके निधन के बाद भी लंबे समय तक बना रहा। उन्हें एक प्रर्वतक, दूरदर्शी और एक प्रतिभाशाली कलाकार के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने हास्य और मानवता का इस्तेमाल करके दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों को छू लिया। फिल्म निर्माण की कला में उनके योगदान ने मनोरंजन की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है और फिल्म निर्माताओं और दर्शकों को समान रूप से प्रेरित करते रहे हैं। चार्ली चैपलिन का नाम हमेशा सिनेमा के जादू और कहानी कहने की शक्ति का पर्याय रहेगा।

Death (मौत)

चार्ली चैपलिन का 25 दिसंबर, 1977 को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु स्विट्जरलैंड के कॉर्सियर-सुर-वेवे में उनके घर, मनोइर डी बान में नींद में ही हो गई। उनके निधन से सिनेमा के एक युग का अंत हो गया और मनोरंजन जगत को एक गहरी क्षति हुई।

उनके निधन पर, साथी कलाकारों, प्रशंसकों और सार्वजनिक हस्तियों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने चैपलिन पर शोक व्यक्त किया। उनका अंतिम संस्कार एक निजी मामला था, जिसमें करीबी परिवार और दोस्त शामिल हुए।

चार्ली चैपलिन की मृत्यु उनके असाधारण जीवन और करियर पर प्रतिबिंब का क्षण थी। उन्होंने सिनेमाई प्रतिभा, बेजोड़ रचनात्मकता और फिल्म निर्माण की कला पर स्थायी प्रभाव की विरासत छोड़ी। उनकी फिल्में दुनिया भर के दर्शकों द्वारा मनाई और पसंद की जाती रही हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि सिनेमा में उनका नाम और योगदान आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।

फिल्म निर्माण को प्रभावित

चार्ली चैपलिन का फिल्म निर्माण जीवन भर विभिन्न कारकों और व्यक्तियों से प्रभावित रहा। यहां कुछ प्रमुख प्रभाव दिए गए हैं जिन्होंने फिल्म निर्माण के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार दिया:

चार्ली चैपलिन की फिल्म निर्माण शैली इन प्रभावों का एक अनूठा मिश्रण थी, और वह दुनिया भर के दर्शकों को आकर्षित करने वाली भाषा और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करने में सक्षम थे। उनकी फिल्में सदाबहार क्लासिक्स बनी हुई हैं जो सभी उम्र के लोगों का मनोरंजन, प्रेरणा और उत्साह बढ़ाती रहती हैं।

चार्ली चैपलिन की फिल्म निर्माण की पद्धति में विस्तार पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना, शारीरिक कॉमेडी और दृश्य कहानी कहने पर जोर देना और मानवीय स्थिति की गहरी समझ थी। वह लेखन और निर्देशन से लेकर अभिनय और संपादन तक, फिल्म निर्माण प्रक्रिया के हर पहलू पर अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे।

चार्ली चैपलिन की फिल्म निर्माण पद्धति के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

अपनी अनूठी फिल्म निर्माण पद्धति के माध्यम से, चैपलिन ने समय और भाषा से परे काम का एक समूह बनाया, जिससे वह सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं में से एक बन गए। उनकी फिल्में मनोरंजन की दुनिया में एक स्थायी विरासत छोड़कर दुनिया भर के दर्शकों को प्रेरित और मनोरंजन करती रहती हैं।

शैली और विषयवस्तु

चार्ली चैपलिन की फिल्म निर्माण शैली और विषय सिनेमा की दुनिया में उनकी अनूठी और स्थायी विरासत का अभिन्न अंग थे। उनकी फिल्मों में कॉमेडी, करुणा, सामाजिक टिप्पणी और मानवीय स्थिति की गहन समझ का मिश्रण था। यहां चैपलिन की फिल्म निर्माण शैली और आवर्ती विषयों के कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं:

शारीरिक कॉमेडी: चैपलिन की हास्य प्रतिभा शारीरिक कॉमेडी में उनकी महारत में स्पष्ट थी। उनके अभिव्यंजक चेहरे के भाव, सुंदर चाल और त्रुटिहीन समय ने उन्हें संवाद की आवश्यकता के बिना प्रफुल्लित करने वाले और यादगार क्षण बनाने की अनुमति दी। विजुअल स्टोरीटेलिंग: चैपलिन की फिल्में विजुअल स्टोरीटेलिंग पर बहुत अधिक निर्भर करती थीं। उन्होंने भावनाओं, रिश्तों और कथानक के विकास को व्यक्त करने के लिए छवियों और इशारों की शक्ति का उपयोग किया, जिससे उनकी फिल्में भाषाई बाधाओं के बावजूद दुनिया भर के दर्शकों के लिए सुलभ और प्रासंगिक बन गईं। मूकाभिनय और इशारे: म्यूजिक हॉल और वाडेविले में चैपलिन की पृष्ठभूमि ने उनकी मूकाभिनय शैली और अतिरंजित इशारों को काफी प्रभावित किया। उनके अभिव्यंजक आंदोलनों के उपयोग ने उनके चरित्र चित्रण और हास्य दृश्यों में गहराई और सूक्ष्मता जोड़ दी। भावुकता: अपनी कॉमेडी के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद, चैपलिन की फिल्मों में अक्सर गहरी भावुकता के क्षण शामिल होते थे। उन्होंने कुशलतापूर्वक मार्मिक और मर्मस्पर्शी दृश्यों के साथ हास्य का मिश्रण किया, जिससे दर्शकों में सहानुभूति और भावना जागृत हुई।

विषय-वस्तु:

चार्ली चैपलिन की फिल्म निर्माण शैली और विषय आज भी दर्शकों को पसंद आ रहे हैं। मानवीय स्थिति में गहन अंतर्दृष्टि के साथ हास्य का मिश्रण करने की उनकी क्षमता ने फिल्म निर्माण की कला पर एक अमिट छाप छोड़ी है और सिनेमा इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रिय शख्सियतों में से एक के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली है।

Composing (लिखना)

चार्ली चैपलिन एक बहु-प्रतिभाशाली कलाकार थे और उनकी फिल्मों के लिए संगीत रचना करना उनकी रचनात्मक प्रतिभा का एक और पहलू था। संगीत के प्रति उनमें स्वाभाविक प्रतिभा थी और वे अक्सर वायलिन और पियानो सहित संगीत वाद्ययंत्र बजाते थे। एक संगीतकार के रूप में, चैपलिन ने यादगार और भावनात्मक संगीत रचनाएँ बनाईं जो उनकी फिल्मों की कहानी को पूरक बनाती थीं। रचना के प्रति चैपलिन के दृष्टिकोण के बारे में कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

चार्ली चैपलिन की संगीत रचनाएँ, उनकी फिल्मों की तरह, समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं और आज भी मनाई जाती हैं। मौलिक, भावनात्मक और हास्यपूर्ण स्कोर बनाने की उनकी क्षमता ने उनके फिल्म निर्माण में एक और आयाम जोड़ा, जिससे एक सच्चे सिनेमाई प्रतिभा के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई।

चार्ली चैपलिन की विरासत सिनेमा और लोकप्रिय संस्कृति की दुनिया पर स्थायी और गहरा प्रभाव डालने वाली विरासत में से एक है। इतिहास के महानतम फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में, फिल्म निर्माण की कला में उनके योगदान और उनकी प्रतिष्ठित कृतियों को दुनिया भर में मनाया और सराहा जाता है। यहां चैपलिन की स्थायी विरासत के कुछ पहलू दिए गए हैं:

चार्ली चैपलिन की विरासत उनकी फिल्मों से परे मनोरंजन के व्यापक परिदृश्य और फिल्म निर्माण की दुनिया तक फैली हुई है। लोकप्रिय संस्कृति पर उनके स्थायी प्रभाव, कलात्मक अखंडता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और दर्शकों के साथ गहरे भावनात्मक स्तर पर जुड़ने की उनकी क्षमता ने सिनेमा के इतिहास में एक कालातीत और प्रिय व्यक्ति के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी है। उनका प्रभाव कहानी कहने की कला में आज भी महसूस किया जाता है और दुनिया भर के कलाकारों और फिल्म निर्माताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।

स्मरणोत्सव एवं श्रद्धांजलि

चार्ली चैपलिन को विभिन्न तरीकों से स्मरण और सम्मानित किया गया है, दुनिया भर में फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, संगठनों और प्रशंसकों द्वारा उन्हें कई श्रद्धांजलि दी गई हैं। कुछ उल्लेखनीय स्मरणोत्सवों और श्रद्धांजलियों में शामिल हैं:

चार्ली चैपलिन की स्थायी श्रद्धांजलि और स्मरणोत्सव सिनेमा के इतिहास में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को दर्शाते हैं। उनकी फिल्में सभी उम्र के दर्शकों द्वारा मनाई और पसंद की जाती रही हैं, और कहानी कहने और मनोरंजन की कला में उनका योगदान कालातीत और प्रभावशाली बना हुआ है।

Characterisations (निस्र्पण)

चरित्र चित्रण चार्ली चैपलिन के फिल्म निर्माण का एक केंद्रीय पहलू था। वह यादगार और प्रतिष्ठित किरदारों को बनाने और चित्रित करने में माहिर थे, जो दुनिया भर के दर्शकों को पसंद आए। यहां कुछ प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं जिन्हें चैपलिन ने सिल्वर स्क्रीन पर जीवंत किया:

चैपलिन का चरित्र-चित्रण इन विशिष्ट भूमिकाओं तक ही सीमित नहीं था; अपने पूरे करियर में, उन्होंने हास्य और नाटकीय दोनों तरह के विभिन्न व्यक्तित्वों और भावनाओं वाले पात्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को चित्रित किया। चाहे उन्होंने मनमोहक ट्रैम्प की भूमिका निभाई हो या अधिक चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हों, चैपलिन के चरित्र-चित्रण ने सिनेमा की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी और आज भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।

पुरस्कार और मान्यता

सिनेमा की दुनिया में चार्ली चैपलिन के योगदान को उनके करियर के दौरान और मरणोपरांत कई पुरस्कारों और सम्मानों के साथ पहचाना और मनाया गया। यहां उन्हें प्राप्त कुछ प्रमुख पुरस्कार और मान्यताएं दी गई हैं:

चार्ली चैपलिन के पुरस्कार और मान्यता उनकी फिल्मों के स्थायी प्रभाव और एक सिनेमाई अग्रणी के रूप में उनकी स्थिति का प्रमाण हैं। फिल्म निर्माण की कला में उनके योगदान ने मनोरंजन की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है, और उनका नाम सिनेमा के जादू और आकर्षण का पर्याय बना हुआ है।

फिल्मोग्राफी

चार्ली चैपलिन का फिल्म निर्माण में एक शानदार करियर था, उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय और निर्देशन किया। यहां उनके कुछ सबसे उल्लेखनीय कार्यों की सूची दी गई है:

ये चार्ली चैपलिन की फिल्मोग्राफी की कुछ झलकियाँ हैं, जो एक अभिनेता, निर्देशक, लेखक और संगीतकार के रूप में उनकी असाधारण प्रतिभा को दर्शाती हैं। सिनेमा के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ने वाली उनकी फिल्मों को उनके शाश्वत हास्य, भावनात्मक गहराई और सामाजिक टिप्पणियों के लिए मनाया और सराहा जाता रहा है।

निर्देशित विशेषताएं:

एक निर्देशक के रूप में, चार्ली चैपलिन ने अपने पूरे करियर में कई उल्लेखनीय फीचर फिल्मों का निर्देशन किया। यहां उन फीचर फिल्मों की सूची दी गई है जिनका उन्होंने निर्देशन किया:

चार्ली चैपलिन द्वारा निर्देशित ये फीचर फिल्में कॉमेडी, ड्रामा और सामाजिक टिप्पणियों के मिश्रण में उनकी महारत को प्रदर्शित करती हैं। प्रत्येक फिल्म अपनी विशिष्ट कहानी कहने की शैली और हास्य के अनूठे ब्रांड को पेश करती है, जो सिनेमा की दुनिया पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ती है। एक निर्देशक के रूप में उनके काम ने इतिहास में सबसे प्रभावशाली और प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया है।

लिखित कार्य

सिनेमा की दुनिया में अपने अभूतपूर्व योगदान के अलावा, चार्ली चैपलिन ने कई उल्लेखनीय रचनाएँ भी लिखीं। यहाँ उनकी कुछ लिखित रचनाएँ हैं:

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि “माई ऑटोबायोग्राफी” चैपलिन की सबसे महत्वपूर्ण लिखित कृतियों में से एक है, जो सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध शख्सियतों में से एक के जीवन और दिमाग पर एक अंतरंग नज़र डालती है। उनकी लिखी कृतियाँ, उनकी फिल्मों की तरह, उनकी बुद्धि, बुद्धिमत्ता और उनकी कहानी कहने और जीवन और कला पर प्रतिबिंबों के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की क्षमता को प्रदर्शित करती हैं।

books (पुस्तकें)

चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों में शामिल हैं:

कुछ कम ज्ञात तथ्य

चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ कम ज्ञात तथ्य इस प्रकार हैं :

• प्रारंभिक वाडेविल कलाकार : मूक फिल्म स्टार बनने से पहले, चार्ली चैपलिन ने अपने मनोरंजन करियर की शुरुआत ब्रिटिश संगीत हॉल और अमेरिकी वाडेविल शो में एक कलाकार के रूप में की थी।

• लिटिल ट्रैम्प की उत्पत्ति : चैपलिन का प्रतिष्ठित चरित्र, लिटिल ट्रैम्प, कीस्टोन स्टूडियो में उनके समय के दौरान बनाया गया था। बॉलर हैट, टूथब्रश मूंछें, बेंत और बड़े आकार के जूतों वाला यह किरदार फिल्म इतिहास में सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले शख्सियतों में से एक बन गया।

• स्व – सिखाया संगीतकार : चैपलिन एक स्व-सिखाया संगीतकार थे और उन्होंने अपनी कई फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था। उनमें संगीत की स्वाभाविक प्रतिभा थी और वे वायलिन और सेलो सहित कई वाद्ययंत्र बजाते थे।

• मूक फ़िल्मों से टॉकीज़ में संक्रमण : चैपलिन ने लंबे समय तक मूक फिल्मों से टॉकीज़ में संक्रमण का विरोध किया। उनकी पहली ध्वनि फिल्म, “सिटी लाइट्स” (1931), सिनेमा में ध्वनि की शुरुआत के कई साल बाद रिलीज़ हुई थी। हालाँकि, फ़िल्म अधिकतर मूक ही रही।

• त्रासदी का प्रभाव : चैपलिन का बचपन कठिनाइयों और त्रासदी से भरा था। जब वह छोटे थे तब उनके पिता का निधन हो गया और उनकी मां मानसिक बीमारी से जूझती रहीं। इन अनुभवों ने उनके बाद के काम और विपरीत परिस्थितियों में लचीलेपन और हास्य के विषयों को प्रभावित किया।

• एकाधिक विवाह : चैपलिन की चार बार शादी हुई थी और उनके 11 बच्चे थे। उनकी शादियाँ कभी-कभी विवादास्पद होती थीं और उनके रिश्ते अक्सर मीडिया का ध्यान आकर्षित करते थे।

• अंतर्राष्ट्रीय अपील : चैपलिन की फिल्मों में भाषा और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करते हुए एक सार्वभौमिक अपील थी। उनके किरदार और कहानियाँ दुनिया भर के दर्शकों को पसंद आईं, जिससे वे एक वैश्विक आइकन बन गए।

• मानद ऑस्कर : 1972 में, चार्ली चैपलिन को “मोशन पिक्चर्स को इस सदी की कला बनाने में अतुलनीय प्रभाव” के लिए मानद अकादमी पुरस्कार मिला। यह फिल्म उद्योग में उनके योगदान की हार्दिक मान्यता थी।

• राजनीतिक सक्रियतावाद : बाद में अपने करियर में, चैपलिन अपनी राजनीतिक सक्रियता के लिए जाने गए। उनकी फिल्म “द ग्रेट डिक्टेटर” (1940) एडॉल्फ हिटलर और फासीवाद पर एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी है। चैपलिन सत्तावाद और अन्याय के मुखर आलोचक थे।

• विवादास्पद एफबीआई फ़ाइल : चैपलिन के राजनीतिक विचारों के कारण मैक्कार्थी युग के दौरान एफबीआई द्वारा उनकी जांच की गई। उन पर कम्युनिस्ट समर्थक होने का आरोप लगाया गया और परिणामस्वरूप, उन्होंने स्विट्जरलैंड में वर्षों तक निर्वासन में जीवन बिताया।

• अनोखी सैर : थोड़े से फेरबदल और बाहर की ओर निकले हुए पैरों के साथ चैपलिन की विशिष्ट चाल, उनकी हास्य शैली का ट्रेडमार्क बन गई। इससे उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व में आकर्षण और हास्य जुड़ गया।

• गुप्त सोसायटी पैरोडी : फिल्म “द आइडल क्लास” (1921) में, चैपलिन ने क्लैन्समेन के एक समूह में घुसपैठ करके गुप्त समाजों की नकल की। फिल्म में उस समय के सामाजिक मुद्दों पर उनके व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया गया।

• बहुमुखी प्रतिभा : अभिनय और निर्देशन से परे, चैपलिन एक बहुमुखी कलाकार थे। उन्होंने पटकथाएँ लिखीं, संगीत तैयार किया और यहाँ तक कि अपनी फ़िल्मों का संपादन भी किया। फिल्म निर्माण के प्रति उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण ने उनके काम के अद्वितीय आकर्षण में योगदान दिया।

“हम सोचते बहुत अधिक हैं और महसूस बहुत कम करते हैं।” “वास्तव में हंसने के लिए, आपको अपना दर्द सहने और उसके साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए।” “मैं केवल एक चीज और केवल एक चीज बनकर रह जाता हूं, और वह है एक विदूषक। यह मुझे किसी भी राजनेता की तुलना में बहुत ऊंचे स्तर पर रखता है।” “आपको शक्ति की आवश्यकता तभी होती है जब आप कुछ हानिकारक करना चाहते हैं; अन्यथा, प्यार ही सब कुछ करवाने के लिए काफी है।” “यदि आप इससे नहीं डरते तो जीवन अद्भुत है।” “हम सभी एक-दूसरे की मदद करना चाहते हैं। इंसान ऐसे ही हैं। हम एक-दूसरे की खुशी के लिए जीना चाहते हैं, एक-दूसरे के दुख के लिए नहीं।” “हमें प्रकृति की शक्तियों के विरुद्ध अपनी असहायता के सामने हंसना चाहिए – या पागल हो जाना चाहिए।” “आईना मेरा सबसे अच्छा दोस्त है क्योंकि जब मैं रोता हूं तो वह कभी नहीं हंसता।” “मैं ईश्वर के साथ शांति में हूं। मेरा संघर्ष मनुष्य के साथ है।”

ये उद्धरण चार्ली चैपलिन की बुद्धि, बुद्धिमत्ता और जीवन, हास्य और मानवीय स्थिति पर दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। वे दुनिया भर के लोगों को प्रेरित और प्रभावित करते रहते हैं।

सामान्य प्रश्न

चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) यहां दिए गए हैं:

ये चार्ली चैपलिन, उनके जीवन और उनके काम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न हैं। मनोरंजन की दुनिया में उनके योगदान ने सिनेमा के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है, और उनकी फिल्में सभी पीढ़ियों के दर्शकों द्वारा मनाई और सराही जाती रही हैं।

सामान्य ज्ञान

यहां चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ सामान्य तथ्य दिए गए हैं :

  • छोटा कद और शारीरिकता : स्क्रीन पर अपनी लार्जर दैन लाइफ उपस्थिति के बावजूद, चार्ली चैपलिन केवल 5 फीट 5 इंच (1.65 मीटर) लंबे थे।
  • प्रतिष्ठित टूथब्रश मूंछें : चैपलिन की टूथब्रश मूंछें उनकी छवि का एक प्रतिष्ठित हिस्सा बन गईं। इसे मूल रूप से उनके चरित्र, लिटिल ट्रैम्प, को उस समय के अन्य अभिनेताओं से अलग करने के लिए अपनाया गया था।
  • प्राकृतिक माइम : चैपलिन एक स्वाभाविक स्वांग थे और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत “द आठ लंकाशायर लैड्स” नामक एक किशोर क्लॉग-डांसिंग समूह के सदस्य के रूप में की थी। उनके माइम कौशल ने लिटिल ट्रैम्प चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • प्रारंभिक वाडेविल प्रदर्शन : वाडेविले में चैपलिन के प्रदर्शन में चौकीदार या शराबी जैसी शख्सियतों का अभिनय करना शामिल था। इन शुरुआती अनुभवों ने एक कलाकार के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा में योगदान दिया।
  • रचनात्मक प्रक्रिया : चैपलिन अक्सर सेट पर दृश्यों को सुधारते हुए, अपनी फिल्मों को विकसित करते थे। इस पद्धति ने उन्हें अपनी रचनात्मक प्रवृत्ति का उपयोग करने की अनुमति दी और इसके परिणामस्वरूप सहजता आई जो उनके कई कार्यों की विशेषता है।
  • माइकल जैक्सन पर प्रभाव : पॉप किंग माइकल जैक्सन चार्ली चैपलिन से काफी प्रभावित थे। ऐसा कहा जाता है कि जैक्सन की प्रसिद्ध मूनवॉक चैपलिन की अनोखी वॉक से प्रेरित है।
  • “द किड” में अनेक भूमिकाएँ : फिल्म “द किड” (1921) में चैपलिन ने न केवल फिल्म का निर्देशन और निर्माण किया, बल्कि ट्रम्प और बच्चे के पिता की मुख्य भूमिका भी निभाई। इससे फिल्म निर्माण में उनकी मल्टीटास्किंग क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ।
  • केवल बोलने की भूमिका : मूक फिल्मों के लिए जाने जाने के बावजूद, चैपलिन ने पहली बार स्क्रीन पर फिल्म “द ग्रेट डिक्टेटर” (1940) में एक शक्तिशाली फासीवाद विरोधी भाषण दिया।
  • अग्रणी विशेष प्रभाव : “सिटी लाइट्स” (1931) में, चैपलिन ने उस दृश्य के लिए अभूतपूर्व विशेष प्रभावों का उपयोग किया जहां ट्रम्प एक सीटी निगलता है। यह प्रभाव एक नकली सीटी में छेद करके प्राप्त किया गया, जिससे वह चैपलिन के मुंह में गायब हो गई।
  • रोलर स्केटिंग के प्रति प्रेम : चैपलिन एक उत्साही रोलर स्केटर थे और उन्हें रोलर रिंक पर समय बिताना अच्छा लगता था। यह शौक उनकी कुछ फिल्मों में भी दिखाई दिया।
  • ट्रम्प के रूप में अंतिम उपस्थिति : चैपलिन ने फिल्म “मॉडर्न टाइम्स” (1936) में लिटिल ट्रैम्प के रूप में अपनी आखिरी उपस्थिति दर्ज की। फिल्म ने ध्वनि युग में एक बदलाव को चिह्नित किया, और हालांकि ट्रम्प ने बात नहीं की, चैपलिन ने ध्वनि प्रभाव और संगीत का इस्तेमाल किया।
  • अधूरी आत्मकथा : चैपलिन ने 1950 के दशक में अपनी आत्मकथा, “माई ऑटोबायोग्राफी” लिखना शुरू किया, लेकिन इसे अधूरा छोड़ दिया। इसे 1964 में मरणोपरांत प्रकाशित किया गया था, जिससे उनके जीवन और करियर के बारे में अंतर्दृष्टि का पता चलता है।
  • विरासत और मान्यता : चार्ली चैपलिन को अपने पूरे करियर में कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिसमें 1972 में लाइफटाइम अचीवमेंट ऑस्कर भी शामिल है। सिनेमा और कॉमेडी पर उनके प्रभाव को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।

चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं :

     फ़िल्म अग्रणी : चार्ली चैपलिन को फिल्म उद्योग में अग्रणी माना जाता है, जिन्होंने सिनेमाई कॉमेडी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह मूक और बाद की ध्वनि दोनों प्रकार की फिल्मों के विशेषज्ञ थे।

     एकाधिक प्रतिभाएँ : चैपलिन न केवल एक अभिनेता थे बल्कि एक निर्देशक , निर्माता , संगीतकार और यहां तक कि एक लेखक भी थे। फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं में उनकी भागीदारी ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।

     वैश्विक चिह्न : चैपलिन का लिटिल ट्रैम्प चरित्र एक वैश्विक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया। चरित्र की सार्वभौमिक अपील ने भाषा की बाधाओं को पार कर लिया, जिससे चैपलिन पहले अंतर्राष्ट्रीय फिल्म सितारों में से एक बन गए।

     सदाबहार कॉमेडी : चैपलिन की फिल्मों का हास्य कालजयी है। आज भी, दुनिया भर के दर्शक उनके अभिनय की हास्य प्रतिभा का आनंद लेते हैं और उसकी सराहना करते हैं।

     रचनात्मक नियंत्रण : चैपलिन ने अपनी फिल्मों पर उच्च स्तर का रचनात्मक नियंत्रण बनाए रखा। इससे उन्हें अपनी अनूठी दृष्टि को आकार देने और अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति की अखंडता को बनाए रखने की अनुमति मिली।

     पात्रों से व्यक्तिगत जुड़ाव : चैपलिन की कई फिल्में, विशेष रूप से लिटिल ट्रैम्प वाली फिल्में, उनके कठिन बचपन और गरीबी में बड़े होने के अनुभवों से प्रेरणा लेती हैं।

     लंबा करियर : चैपलिन का मनोरंजन उद्योग में 75 वर्षों से अधिक का अविश्वसनीय रूप से लंबा और सफल करियर था। उन्होंने ध्वनि युग में भी अच्छी फिल्में बनाना जारी रखा और सिनेमा में एक प्रासंगिक व्यक्ति बने रहे।

     मानद नाइटहुड : 1975 में, चार्ली चैपलिन को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा मानद नाइटहुड से सम्मानित किया गया था। उन्हें मनोरंजन की दुनिया में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पहचाना गया।

     मूक फ़िल्म मील का पत्थर : चैपलिन की मूक फिल्मों में से एक “द गोल्ड रश” (1925) को सिनेमा में एक मील का पत्थर माना जाता है। इसमें प्रतिष्ठित दृश्य शामिल हैं, जैसे कि डिनर रोल का नृत्य, और उनकी कहानी कहने की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

     विवादास्पद निजी जीवन : चैपलिन का निजी जीवन अक्सर विवादों से घिरा रहा, जिसमें बहुत कम उम्र की महिलाओं से विवाह और कानूनी परेशानियां शामिल थीं। इसके बावजूद फिल्म इतिहास पर उनका प्रभाव निर्विवाद है।

     प्रतिरोध का प्रतीक : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चैपलिन की फिल्म “द ग्रेट डिक्टेटर” (1940) में एडोल्फ हिटलर और नाज़ीवाद पर व्यंग्य किया गया था। फिल्म का अंतिम भाषण, जो चैपलिन द्वारा एक यहूदी नाई के रूप में दिया गया था, प्रतिरोध का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया।

     शैलियों में बहुमुखी प्रतिभा : मुख्य रूप से कॉमेडी के लिए जाने जाने वाले चैपलिन ने नाटक और व्यंग्य जैसी अन्य शैलियों में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। “लाइमलाइट” (1952) उनके अधिक नाटकीय काम का एक उदाहरण है।

     फिजिकल कॉमेडी के प्रति प्रेम : चैपलिन शारीरिक कॉमेडी के उस्ताद थे। अभिव्यंजक हावभाव और गतिविधियों के माध्यम से हास्य व्यक्त करने की उनकी क्षमता ने आने वाले वर्षों में हास्य कलाकारों के लिए एक मानक स्थापित किया।

     आधुनिक कॉमेडी पर प्रभाव : कई समकालीन हास्य अभिनेता और फिल्म निर्माता चार्ली चैपलिन को अपने काम पर एक प्रमुख प्रभाव के रूप में उद्धृत करते हैं। उनका प्रभाव आधुनिक युग तक फैला हुआ है, उनकी हास्य शैली की गूँज मनोरंजन के विभिन्न रूपों में पाई जाती है।

चार्ली चैपलिन के जीवन में कुछ विवाद और विवादास्पद घटनाएं थीं, जो निम्नलिखित थीं:

  • संबंध विवाद : चार्ली चैपलिन के संबंधों में विवाद था, जो उनके चौथे पति ओona O’Neill के साथ थे। चार्ली चैपलिन ने ओना के साथ शादी की जब वह 18 और वह 54 साल के थे। इससे एक अच्छूत अंतर के कारण चर्चा हुई और इसने उनके करियर पर भी प्रभाव डाला।
  • पॉलिटिकल कंट्रोवर्सी : चार्ली चैपलिन को उनके विचारों के लिए भी कभी-कभी विवादों में फंसा देखा गया। उनकी फिल्म “मॉडर्न टाइम्स” में उन्होंने सामाजिक न्याय और कामकाजी अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की थी, जिससे उन्हें कम्यूनिस्ट पक्ष के समर्थन में आना शुरू हो गया। इसके बाद, अमेरिका में उन्हें अपने विचारों के लिए खतरे का सामना करना पड़ा और उन्हें विभिन्न कम्यूनिस्ट दलों के साथ जुड़ा होने का आरोप लगा। यह उनके लिए मुश्किल दौर था और उन्होंने अपने प्रतिक्रियात्मक फिल्म “लिमेलाइट” की प्रस्तुति की जिसमें उन्होंने इस आरोप का खंडन किया।
  • परिवारिक विवाद : उनके बच्चों के साथ संबंधों में कुछ विवाद भी थे। उनके बड़े बेटे Charles Chaplin Jr. ने अपने पिता के साथ विवादों का सामना किया और बाद में उन्होंने अपने पिता के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाए।

चार्ली चैपलिन के जीवन के उपरांत, उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया है, लेकिन उनके जीवन में कुछ विवाद भी थे जो उनके साथ जुड़े थे।

बार बार पूंछे जाने वाले प्रश्न

चार्ली चैपलिन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

उनकी मजेदार फिल्मों के बारे में :

  • सवाल : चार्ली चैपलिन की कौन सी हास्य फिल्म सबसे मशहूर है?
  • उत्तर : : चुनना मुश्किल है, लेकिन ‘द गोल्ड रश’, ‘सिटी लाइट्स’, और ‘मॉडर्न टाइम्स’ उनकी बेताज बादशाह फिल्मों में से हैं!

जीवन का अंतिम अध्याय :

  • सवाल : चार्ली चैपलिन का निधन कब हुआ और कितने साल की उम्र में हुआ?
  • उत्तर : : क्रिसमस के दिन 1977 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा, उस समय वे 88 साल के थे।

प्यार का सफ़र :

  • सवाल : चैपलिन ने कितनी बार शादी की और उनकी जीवनसाथी कौन थीं?
  • मिल्टेंट मान (युवावस्था में रोमांस)
  • लिटा ग्रे (पहली पत्नी)
  • पॉलेट गोडार्ड (तीसरी पत्नी)
  • ओना ओ’नील (आखिरी पत्नी)

दौलत की चकाचौंध :

  • सवाल : चैपलिन की मृत्यु के समय उनकी कुल संपत्ति कितनी थी?
  • उत्तर : : अनुमानों के मुताबिक, वो अपने समय के सबसे अमीर कलाकारों में से एक थे, उनकी संपत्ति कई करोड़ रुपये में थी!

पहचान का असली रूप :

  • सवाल : चैपलिन का असली नाम क्या था?
  • उत्तर : : उनके जन्म का प्रमाणपत्र चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन का नाम बताता है!
  • सवाल : चैपलिन के कितने बच्चे थे?
  • उत्तर : : उनके कुल ग्यारह बच्चे थे!

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चार्ली चैप्लिन की जीवनी- Charlie Chaplin Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको चार्ली चैप्लिन की जीवनी- Charlie Chaplin Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

Charlie Chaplin अपने अभिनय से लोगों को हंसाने वाले एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता और फिल्म निर्देशक थे।

इसके अलावा में सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक होने के साथ-साथ अमेरिकी सिनेमा के क्लासिकल हॉलीवुड युग के प्रारंभिक से मध्य तक एक महत्वपूर्ण फिल्म निर्माता संगीतकार और संगीत गए थे।

उनका करियर लगभग 75 साल का रहा।

6 जुलाई 1925 को वे ‘टाइम मैगजीन’ के कवर पर आने वाले पहले एक्टर बने थे।

चार्ली चैपलिन को 1973 में फिल्म लाइमलाइट में बेस्ट म्यूजिक के लिए ऑस्कर अवार्ड से नवाजा गया था।

1975 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उनको नाइटहुड से नवाजा दुनिया का तमाम फिल्मी जगत उनसे प्रेरित रहा है

चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल,1889 को ईस्ट स्ट्रीट, वॉलवर्थ, लंदन, इंग्लैंड में हुआ था।

उनके पिता का नाम चार्ल्स स्पेंसर चैंपियन था और उनकी माता का नाम हैना चैंपियन था।

वे दोनों सीनियर म्यूजिक हाल में गाते और अभिनय करते थे।

चार्ली के पिता की मौत के वक़्त उनकी उम्र केवल 10 वर्ष की थी और उनकी माँ की बीमारी के चलते उन्हें और उनके भाई को बहुत ही कम उम्र में काम करने पर मजबूर कर दिया था | अपने माता-पिता से विरासत में प्राकृतिक प्रतिभा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने करियर के लिए सबसे अच्छे अवसर के रूप में मंच को चुना। चार्ली ने “द आठ लंकाशायर लाड्स” नामक एक किशोर समूह के सदस्य के रूप में अपनी काम की शुरुआत की और तेजी से एक उत्कृष्ट टैप नर्तक के रूप में अपनी पहचान बना ली।

1910 में, चार्ली ने अमेरिका की यात्रा की और रोमांचकारी फिल्म उद्योग में अनुभव प्राप्त किया। यह अमेरिका में यहां था कि वह अपने पहले प्रसिद्ध पात्रों जैसे ट्रम्प – ट्रेडमार्क चार्ली चैपलिन के गेंदबाज टोपी, मूंछ और बीमार फिटिंग कपड़ों के चरित्र को विकसित करना था। इसी चरित्र के चलते चार्ली चैपलिन मूक युग का महान सितारा बन गया, और उसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में फैलीी

चार्ली चैप्लिन की पत्नियों के नाम-

  • हेट्टी केली -1908 में शादी और 1918 की महान फ्लू महामारी में इन्फ्लूएंजा की वजह से हेट्टी की मौत हो गई थी।
  • मिल्ड्रेड हैरिस (वि। 18 1918–21)
  • लिटा ग्रे (वि 24 1924–27)
  • पॉलेट गोडार्ड (वि। Lette 1936–42)
  • ऊना ओ’नील (वि। O’1943–77) –

ऊना ओ’नील बैरी के मामले में चैप्लिन के कानूनी मुसीबत के दौरान, वह यूजीन ओ’नील की बेटी, ऊना ओ’नील से मिले और उन्होंने 16 जून 1943 में शादी की।उस समय वे 54 साल के थे;और ऊना सिर्फ अठारह साल की थी।

ओ’नील के बड़ों ने सगाई को दृढ़ता से अस्वीकृत किया और शादी के बाद, 1977 में उनकी मौत तक, ऊना के साथ किसी भी संपर्क से इनकार कर दिया। आठ बच्चों के साथ, उनकी शादी लंबी और खुशहाल थी।

उनके तीन बेटे थे: क्रिस्टोफर, यूजीन और माइकल चैप्लिन और पाँच बेटियाँ थी: गेराल्डिन, जोसफीन, जेन, विक्टोरिया और अन्नेट-एमिली चैप्लिन. चैप्लिन के 73 साल में उनका आखिरी बच्चा पैदा हुआ था। ऊना ने चैप्लिन के साथ चौदह वर्ष बिताए. 1991 में अग्नाशयी कैंसर की वजह से उनकी मौत हो गई।

चार्ली चैप्लिन को अपनी पत्नियों से हुए बच्चों के नाम और जन्म तिथि

  • नॉर्मन स्पेन्सर चैप्लिन -7 जुलाई 1919
  • चार्ल्स स्पेन्सर चैप्लिन जूनियर -5 मई 1925
  • सिडनी अरले चैप्लिन- 31 मार्च 1926
  • गेराल्डिन लेह चैप्लिन -1 अगस्त 1944
  • माइकल जॉन चैप्लिन- 7 मार्च 1946
  • जोसफीन हैन्ना चैपलिन -28 मार्च 1949
  • विक्टोरिया चैपलिन- 19 मई 1951
  • यूजीन एंथनी चैपलिन -23 अगस्त 1953
  • जेन सेसिल चैपलिन- 23 मई 1957
  • अन्नेट एमिली चैपलीन -3 दिसंबर 1959
  • क्रिस्टोफर जेम्स चैपलीन -6 जुलाई 1962

प्रसिद्ध फिल्म – चार्ली चैप्लिन की जीवनी

यूट्यूबर अरमान मलिक की जीवनी.

सिटी लाइट्स (City Lights- 1931) और द ग्रेट डिक्टेटर (The Great Dictator-1940) । द ग्रेट डिक्टेटर हिटलर और मुसोलिनी के कुलपति तानाशाहों पर व्यंग्यवान फिल्म थी। चैपलिन ने खुद इसमें दो भूमिकाएं निभाई – जिसमे से एक यहूदी नाई की, जिस पर भेदभाव किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने “एडोनॉयड हिंकेल – टॉमियाना के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर की स्पष्ट पैरोडी की भूमिका निभाई।

यह फिल्म जर्मनी के खिलाफ युद्ध में प्रवेश करने से एक साल पहले बनाई गई थी, जब अमेरिका में विरोधी-विरोधीवाद प्रभावित था, उस समय यह विवादास्पद था | इस फिल्म में हिटलर के विडंबना के बावजूद, चैपलिन ने सार्वजनिक रूप से 1942 में युद्ध के प्रयास का समर्थन करने से इंकार कर दिया – जिससे अधिकारियों ने अपने राजनीतिक झुकावों पर संदेह पैदा कर दिया।

पुरस्कार – चार्ली चैप्लिन की जीवनी

1972 में फिल्म संगीत के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया गया था | उन्हें इस ऑस्कर पुरस्कार के लिए जनता द्वारा इतिहास में सबसे लंबे समय तक खड़े होकर अभिवादन से नवाजा गया ।

यह पुरस्कार चैपलिन की अंतिम फिल्म, हांगकांग (A Countess from Hong Kong-1967) से ए काउंटीस, फिल्म निर्माता की पहली और एकमात्र रंगीन फिल्म के पांच साल बाद उन्हें मिला था |

इस फिल्म में सोफ़िया लॉरेन और मार्लन ब्रैंडो जैसे कलाकारों के होने के बावजूद, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल नहीं कर पायी | जब उन्हें 1975 में क्वीन एलिज़ाबेथ द्वारा नाइट की उपाधि से नवाजा गया।

इस के अलावा उन्हे दिये गए पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है –

  • अकादमी मानद पुरस्कार -1972, 1929 · The Circus
  • सर्वश्रेष्ठ मूल संगीत स्कोर के लिए अकादमी पुरस्कार  -1973 · Limelight
  • BAFTA Fellowship(बाफ्टा फैलोशिप) -1976
  • सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए किनेमा जूनो पुरस्कार -1925 · A Woman of Paris
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक्स सर्कल अवार्ड -1940 · The Great Dictator
  • लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए गोल्डन लायन -1972
  • सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी फिल्म का बोडिल पुरस्कार -1949 · Monsieur Verdoux
  • इरास्मस पुरस्कार -1965
  • सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म निर्माता का जुस्सी पुरस्कार -1974 · The Great Dictator, Modern Times
  • बोडिल मानद पुरस्कार -1959
  • DGA मानद जीवन सदस्य पुरस्कार -1974
  • सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए किनेमा जूनो पुरस्कार -1961, 1953, 1927 ·The Great Dictator, Monsieur Verdoux, The Gold Rush
  • सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म के लिए ब्लू रिबन पुरस्कार -1953 ·Monsieur Verdoux

चार्ली चैप्लिन के विचार

  • मैं हमेशा बरसात में घूमना पसंद करता हूं, ताकि कोई मुझे रोते हुए ना देख सके।
  • हंसी के बिना बिताया हुआ दिन, बर्बाद किया हुआ दिन हैं।
  • यदि आप केवल मुस्कुराएंगे तो आप पाएंगे कि जीवन अभी भी मूल्यवान हैं।
  • असल में हंसी का कारण वही चीज़ बनती है जो कभी आपके दुख का कारण होती हैं।
  • बिना कुछ किए, सिर्फ कल्पना करने का कोई मतलब नही हैं।
  • सबसे दुखद जिसकी मैं कल्पना कर सकता हूं वो है विलासता का आदी होना।
  • किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है. जब वो नशे में होता हैं।
  •  ज़िंदगी करीब से देखने में एक त्रासदी है और दूर से देखने में कॉमेडी।
  • मैं पैसों के लिए बिजनेस में गया, और वहीं से कला पैदा हुई. यदि इस टिप्पणी से लोगों का मोह भंग होता है तो मैं कुछ नहीं कर सकता. यही सच हैं।
  • शीशा मेरा सबसे अच्छा मित्र है क्योंकि जब मै रोता हूं तो वह कभी नहीं हँसता।
  • दुष्ट दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, हमारी मुसीबतें भी नहीं।
  • मेरा दर्द किसी के हंसने का कारण हो सकता है पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द कारण नहीं होनी चाहिए।
  • अपने अहम के प्रकाश में हम सब सम्राट है।
  •  ज़िन्दगी में एक बार अपने बारे में अवश्य सोचे अन्यथा आप संसार की सबसे बड़ी कॉमेडी मिस कर सकते है।
  •  हम सोचते बहुत हैं और महसूस बहुत कम करते हैं।
  •  असफलता महत्त्वहीन है। अपना मजाक बनाने के लिए हिम्मत चाहिए होती है।
  •  इंसानों की नफरत ख़तम हो जाएगी, तानाशाह मर जायेंगे, और जो शक्ति उन्होंने लोगों से छीनी वो लोगों के पास वापस चली जायेगी। और जब तक लोग मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी ख़त्म नहीं होगी।

मृत्यु – चार्ली चैप्लिन की जीवनी

चार्ली चैपलिन की मृत्यु 25 दिसंबर,1977 की क्रिसमस वाले दिन के शुरुआती समय में,स्विट्ज़रलैंड के वॉड वेवी में अपने घर में ही हुई थी।

इसे भी पढ़े – सचिन पायलट की जीवनी – Sachin Pilot Biography Hindi

Sonu Siwach

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चार्ली चैप्लिन जीवनी - Charlie Chaplin biography in hindi

Charlie Chaplin – English Comic Actor, Filmmaker, and Composer / चार्ली चैप्लिन

चार्ली चैप्लिन जीवनी – Charlie Chaplin biography in hindi – एक बार महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन चार्ली चैपलिन से मिले। उन्होंने चार्ली चैपलिन से कहा कि

“मैं आपका और आपके अंदाज का मुरीद हो गया हूं आप मुंह से एक शब्द तक नहीं कहते, पर फिर भी पूरी दुनिया आपको समझ जाती है।  चार्ली चैपलिन ने  जवाब दिया यह बात सच है लेकिन मैं इस बात से हैरान हूं कि आप अपने सिद्धांतों  के बारे में कितना कुछ कहते हैं और सब आपकी तारीफ भी करते हैं, पर फिर भी किसी की समझ में कुछ नहीं आता कि आप कहना क्या चाहते हैं।”

चार्ली चैप्लिन (Charlie Chaplin) दुनिया के सबसे मशहूर कॉमेडियन बने। जिन्होंने बिना कुछ कहे अपने अभिनय और अपनी  कॉमेडी से मनोरंजन की  दुनिया में ऐसी चमक बिखेरी, जो शायद कभी नहीं मिटेगी। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके  मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे कितना दर्द छुपा है। उनका जीवन कितना संघर्ष पूर्ण तरीके से बीता। गरीबी व बदहाली की भट्टी में पककर वह ऐसा सोना बने जिस की चमक ने करोड़ों  लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरी है।

चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) का जन्म 16 अप्रैल 1869 को लंदन में हुआ था।  इनके पिता  “ चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन ” और मां “ हीना चैपलिन ” सीनियर म्यूजिक हॉल में सिंगर और जूनियर आर्टिस्ट थे।  चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) का जीवन बहुत ही मुश्किल से गुजरा।  एक बार चार्ली की मां स्टेज पर गाना गा रही थी तभी उनकी आवाज बंद हो गई और  वहां के दर्शक हंगामा करने लगे और स्टेज पर जूते चप्पल फेंकने लगे। अपनी मां को बचाने के लिए 5 वर्ष के चार्ली चैपलिन स्टेज पर आ गए और उन्होंने अपनी भोली आवाज में  मां के गाने की नकल की।  जिसमे दर्शकों को काफी मजा आने लगा, दर्शकों ने उन्हें उसे बहुत सराहा और स्टेज पर सिक्कों की बारिश होने लगी। 5 वर्ष की उम्र में  चार्ली की यह  पहली कमाई थी। तभी से चार्ली ने यह गांठ बांध ली कि वह मनोरंजन की दुनिया में ही अपनी किस्मत आजमाएंगे। जिंदगी में जो गरीबी उनके दुख का कारण थी,  वही स्टेज पर लोगों को कॉमेडी लगती है।  यही वजह थी कि आगे जाकर चार्ली की फिल्मों में दुख, गरीबी, अकेलेपन और  बेरोजगारी को उन्होंने कॉमेडी के रूप में प्रस्तुत किया।

इसके कुछ दिनों बाद चार्ली चैपलिन  के माता-पिता तलाक लेकर अलग हो गए।  चार्ली को अपनी मां व भाई के साथ एक अनाथालय में रहना पड़ा क्योंकि उसकी मां के पास कोई रोजगार नहीं था। उसके बाद उनकी मां एक मानसिक रोगी बनकर पागल हो गई। जिसके बाद कोर्ट ने चार्ली  व उसके भाई को पिता के साथ रहने का आदेश दे दिया।  पिता ने दूसरी शादी कर ली थी और सौतेली मां ने चार्ली  व उसके भाई पर अनेकों अत्याचार किए।  इसके कुछ दिन बाद जब उनकी मां पागल खाने से ठीक हो कर वापिस आई तो उनके जीवन में खुशियां वापस लौटने लगी। परंतु उनका का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वह एक अभिनेता बनना चाहते थे। वह पैसे कमाने के लिए स्टेज शो करते और अपनी रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए छोटा  मोटा काम भी करने लगे।

उनके जीवन का लक्ष्य एक अभिनेता बनना था। वह  नियमित रूप से “ Black Theater ” जाने लगे। एक बार वह स्टेज शो  कर रहे थे  तभी एक डायरेक्टर  की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने चार्ली चैपलिन की अभूतपूर्व क्षमता को उसी समय पहचान लिया। उस डायरेक्टर के माध्यम से चार्ली चैपलिन की मुलाकात “ E- Hamelton ” से हुई। Hamelton ने चार्ली को नाटक में रोल दे दिया। चार्ली को पढ़ना नहीं आता था तो उन्होंने डायलॉग को रटना शुरू कर दिया। यहां चार्ली ने खूब शोहरत कमाई लेकिन फिर भी चार्ली का जीवन गर्दिशों से भरा रहा।  चार्ली 5 फुट 5 इंच के दुबले-पतले इंसान थे। जो लोगों को अपने एक्टिंग से गरीबी में भी खुश मिजाजी भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते थे। इतिहास गवाह है कि दुनिया विश्वयुद्ध व आर्थिक मंदी की तबाही के दौर से गुजर रहा था। चारों तरफ तानाशाहो का आतंक था। ऐसे में उनसे लड़ने के लिए चाली ने कॉमेडी का सहारा लिया। चार्ली के जीवन मे ऐसा दौर भी आया कि जब वह इंटरव्यू में वामपंथियों का पक्ष लेते हुए भी दिखे, जिसके बाद मीडिया ने चार्ली पर रूसी एजेंट होने का आरोप लगाया।

 10 सालों तक अमेरिकी सरकार व मीडिया, चार्ली चैपलिन के लिए आफत बनी रही। 1952 मे चार्ली चैप्लिन की फिल्म “ Lime Lite ” रिलीज हुई लेकिन अमेरिका मे उस फिल्म को “ Bann ” बंद कर दिया गया। चार्ली चैपलिन को अमेरिका से बहुत लगाव था और यहीं पर उन्होंने अपनी पहली शादी “ ओना ओनिल ” से की थी। लेकिन अमेरिका की बेरुखी से वह अंदर तक टूट चुके थे। उन्होंने अपनी और अपनी पत्नी की नागरिकता अमेरिका को वापस लौटा दी और स्विजरलैंड आकर बस गए। यहां पर चार्ली चैपलिन की मुलाकात जवाहरलाल  नेहरू व उनकी बेटी इंदिरा गांधी से भी हुई थी।

चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) ने  अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरित हुए हैं। एक बार चार्ली चैपलिन ने  ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान गांधी जी से मिलने की इच्छा जाहिर की। संयोग से उस समय गांधी जी “ गोलमेज सम्मेलन ” के लिए लंदन आए हुए थे। जहां चार्ली चैप्लिन की मुलाकात गांधी जी से बहुत ही रोमांचक ढंग से हुई।  गांधीजी एक झुग्गी वाले इलाके में डेरा डाले हुए थे। जहां चार्ली चैपलिन स्वयं गांधी से मिलने चले गए। चार्ली ने भारत की आजादी पर हो रहे आंदोलनों पर अपना नैतिक समर्थन दिया।

चार्ली चैप्लिन   को अपने अभिनय में  कॉमेडी के लिए अनेकों अवॉर्ड्स मिले –

  •  1940 में “The Great Dictator” के लिए The Best Actor
  •  1952 मैं उनकी फिल्म Lime Lite में, म्यूजिक के लिए “Oscar Award” जीता ।

चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) की प्रसिद्धि इतनी है कि उनसे 1995 में ऑस्कर अवॉर्ड (Oscar Award) के दौरान, एक अखबार ने एक सर्वे किया था, जो यह जानना चाहता था कि दर्शकों का पसंदीदा अभिनेता कौन है? चार्ली चैपलिन अधिकतर लोगों की पसंद थे। आज भी वह सभी के दिलों में बसते हैं। उनके अभिनय से आज की पीढ़ी भी सीख ले रहे रही है और आज भी कई अभिनेता उनकी एक्टिंग की नकल करते हैं। माइकल जैक्सन ने चार्ली चैपलिन के लिए कहा था कि वह उनके जैसा बनना चाहते हैं। उनका जीवन एक ऐसी कहानी है जो दुख, दर्द और आंसुओं के साए में भी खुशियों से हंसना सिखाती है।  1977 को जब दुनिया 25 दिसंबर को “ Jesus Christ ” का जन्मदिन मना रही थी, उसी दिन कॉमेडी के महानायक चार्ली चैपलिन इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। आज भले ही चार्ली चैपलिन इस दुनिया में ना हो, पर उनका अभिनय आज भी उदास चेहरों पर मुस्कुराहट ला देता है चार्ली चैप्लिन  ने कहा था –

“मेरा दर्द किसी के लिए हंसने की वजह हो सकता है पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द का कारण नहीं बननी चाहिए।”

चार्ली चैपलिन एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने सफलता की इतनी ऊंची उड़ान भरी फिर भी उनके पैर जमीन से जुड़े रहे।

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चार्ली चैपलिन की जीवनी Charlie Chaplin Biography in Hindi

चार्ली चैपलिन की जीवनी Charlie Chaplin Biography in Hindi

इस लेख में आप चार्ली चैपलिन की जीवनी Charlie Chaplin Biography in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म व प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, कैरियर, निजी जीवन, फिल्में तथा मृत्यु के विषय में जानकारी दी गई है।

Table of Content

कहते हैं कि किसी कलाकार को अपने विचार और भावनाओं को प्रकट करने के लिए किसी विशेष भाषा की जरूरत नहीं होती। कला स्वयं में ही एक ऐसा अनोखा माध्यम होती है, जो हर किसी को आनंदित कर देती है।

जब आनंद और हंसी की बात आती है, तो चार्ली चैपलिन जैसे महान कलाकार का नाम ज़रूर लिया जाता है। चार्ली चैपलिन मूक अर्थात बिना ध्वनि वाले फिल्मों में काम करने वाले एक सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता, संगीतकार एवं फिल्म निर्माता थे।

सदियों में एक बार ही ऐसे कलाकार का जन्म होता है, जो अपने टैलेंट से पूरी दुनिया का दिल जीत लेता है। अपने अनोखे और शानदार करियर के लिए पहचाने जाने वाले चार्ली चैपलिन आज भी हास्य कला की दुनिया में एक अद्वितीय नाम है। 

सर चार्ली चैपलिन के सफलता के पीछे उनकी कई दुख भरी कहानी भी है। गरीबी की दलदल से उठकर आसमान छूने वाले चार्ली आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

चार्ली चैपलिन का जन्म इंग्लैंड में हुआ था, जहां पिता की अनुपस्थिति में उनकी परवरिश माता के द्वारा किया गया। मात्र 9 वर्ष की आयु में ही अपना पेट पालने के लिए चार्ली ने अपनी माता के साथ काम करना शुरू कर दिया था। 

संघर्ष के बदौलत चार्ली चैपलिन ने लोगों के बीच जगह बनानी शुरू कर दी, इसके बाद से उनकी शोहरत दिन-ब-दिन बढ़ती चली गई। अपने जीवन में उन्होंने कई फिल्मों में किरदार निभाए हैं और इसके अलावा चार्ली चैपलिन के जीवन पर भी कई फिल्में बनाई गई हैं।

चार्ली चैपलिन का जन्म और प्रारंभिक जीवन Charlie Chaplin Birth & Early Life in Hindi

16 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड की राजधानी लंदन में चार्ली चैपलिन का जन्म हुआ था। उनकी माता का नाम हन्ना चैपलिन और पिता का नाम चार्ल्स चैपलिन सीनियर था। 

उनका पूरा नाम चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन जूनियर था। चार्ली की माता हन्ना एक असफल शोमेकर की बेटी थी और उनके पिता एक कसाई के बेटे थे, जो एक गायक भी थे।

जब चार्ली चैपलिन का जन्म हुआ था, उनकी घर की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। उनके माता-पिता के रिश्ते काफी समय से खराब चल रहे थे। जिसके पश्चात 1891 के साल में दोनों अलग रहने लगे। 

परिवारिक और आर्थिक परेशानियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि बचपन में चार्ली के जन्म का कोई भी अधिकारीक रिकॉर्ड नहीं बनवाया गया। तलाक़ के बाद चार्ली की माता के पास ड्रेस मेकिंग तथा नर्सिंग के अलावा दूसरा कोई भी कमाई का जरिया नहीं था।

पिता की तरफ से चार्ली और उनकी मां के लिए कोई भी वित्तीय सहायता नहीं प्राप्त हुई थी। घर के बिगड़ते हालातों के कारण मात्र सात वर्ष की आयु में चार्ली को लैम्बेथ वर्क हाउस, इसके पश्चात नॉरवूड स्कूल जैसे कई अन्य ऐसे संस्थानों में भेजा गया, जो बेसहारा बच्चों की परवरिश करते थे। 

कुछ सालों बाद चार्ली एवं उनके भाई सिडनी दोनों को अपने पिता के पास रहने के लिए भेज दिया गया। चार्ली चैपलिन के पिता एक शराबी थे, और खराब स्वास्थ्य के चलते 38 साल की उम्र में ही उनकी मृत्यु हो गई।

चार्ली की मां बहुत बीमार पड़ने लगी थी, इसके बाद उनके अलावा घर में कोई कमाने वाला भी नहीं बचा था। इसी वजह से चार्ली अपनी माता को अस्पताल ले जाने के लिए दर-दर भटकने लगे। 

जैसे तैसे मां का इलाज करवाने के बाद कुछ साल बाद ही हन्ना की बीमारियां वापस लौटा आई। चार्ली चैपलिन अपने प्रारंभिक जीवन में अपनी माता के लिए कहते थे, कि उस समय हमारी स्थिति इतनी खराब थी, कि हम अपने मां के दुर्भाग्य को स्वीकार करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे। 

चार्ली चैपलिन का कैरियर Charlie Chaplin Career in Hindi

बेहद कम उम्र में ही चार्ली चैपलिन ने माता के साथ काम करना शुरू कर दिया था। जब वह 9 साल के थे, तब अक्सर अपनी मां हन्ना के साथ उनके मंच प्रदर्शन को देखने जाया करते थे।

एक दिन भरी भीड़ में उनकी माता की आवाज प्रदर्शन के बीच में ही थोड़ी खराब हो गई, जिसके बाद वह आगे प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी। पैसे देकर बैठी लोगों की भीड़ अब वहां के मैनेजमेंट डायरेक्टर पर गुस्सा करने लगी। 

इसी बीच चार्ली अपनी माता के पास आकर प्रदर्शन करने में अपनी दिलचस्पी जताते हैं, उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था इसलिए न चाहते हुए भी उन्होंने इसकी हामी भर दी।

यही वह शुरूआत था जब चार्ली चैपलिन पहली बार मंच पर आए। 10 साल की उम्र में चार्ली को वह कॉन्ट्रैक्ट मिलने लगे, जो उनकी माता को मिला करते थे। 

जिम्मेदारियों के कारण इस बीच चार्ली की पढ़ाई लिखाई भी पूरी तरह से बंद हो गई। पिता के गुजरने के बाद अपनी बीमार मां के हालातों को देखकर चार्ली चैपलिन अब पैसे कमाने में जुट गए। 

एक मशहूर अभिनेता बनने की दिशा में चार्ली चैपलिन का झुकाव हुआ। एक प्रभावी महत्वकांक्षा के साथ चार्ली ने कई छोटी-बड़ी नौकरियां की लेकिन उसमें उन्हें कोई फायदा नहीं दिखा। 

लंदन के एक थिएटर एजेंसी के साथ 14 साल की आयु में उन्होंने काम करने का पंजीकरण करवाया। लेकिन दुर्भाग्यवश उनका काम असफल रहा । 

चार्ली चैपलिन को जब शर्लक होम्स के प्रोडक्शन में ‘बिली द पेज बॉय’ की भूमिका मिली, तो यह उनके लिए एक सुनहरा अवसर साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने कई कॉमेडी कंपनियों के साथ काम किया और एक हास्य अभिनेता के रूप में लोगों के बीच आते रहे। 

उसी दौरान 1906 में चार्ली चैपलिन एक बेहद प्रसिद्ध कार्लो की कंपनी में शामिल हो गए। इसके बाद 1910 में एक नए अभिनय ‘जिमी द फीयरलेस’ की भूमिका निभाने के बाद वे बेहद प्रसिद्ध हो गए।

लोगों को उनके अभिनय की बारीकियां इतनी पसंद आई, कि एकाएक बड़े-बड़े फिल्म में काम करने लगे और सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों में से एक बन गए। 

चार्ली चैपलिन का फ़िल्मी कैरियर Charlie Chaplin Acting Career in Hindi

charlie chaplin standing with his stick

चार्ली चैपलिन के फिल्मी कैरियर में एक बड़ा बदलाव तब आया, जब उन्होंने न्यूयॉर्क मोशन पिक्चर कंपनी में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 

कीस्टोन कॉमेडी स्टूडियो के एक अभिनेता फ्रेड मेस के स्थान पर काम करने के लिए चार्ली चैपलिन राजी हो गए। इसके बाद अगले कुछ सालों में उन्होंने कई फिल्में की और प्रसिद्धिया बटोरते गए। 

उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब 4 मई 1914 के दिन ‘कॉट इन द रेन’ फ़िल्म रिलीज हुई। यह उनके निर्देशन में बनी पहली और सफल फिल्म साबित हुई। ‘टिलीज पंक्चर्ड रोमांस’ जोकि एक फीचर लेंथ कॉमेडी फिल्म थी, उसमें चार्ली चैपलिन  की सहायक भूमिका ने उन्हें व्यवसायिक सफलता प्रदान की। 

अप्रैल 1915 में पर्दे पर आई एक फिल्म ‘द ट्रैम्प’ ने चार्ली के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। चार्ली चैपलिन प्रत्येक किरदार में इस प्रकार खो जाते थे, की फिल्म में जो अभिनय किया जाता था, वह दर्शकों को असली लगता था। कहा जाता है कि चार्ली चैपलिन के आलोचक भी उनकी कला का बखान करने से नहीं चूकते थे। 

बेहद कम समय में ही चार्ली चैपलिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म की दुनिया में सबसे बड़े अभिनेताओं में से एक बन चुके थे। 26 साल की उम्र में वे ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें म्यूच्यूअल कंपनी में काम करने के लिए $670000 प्रतिवर्ष दिया जाता था।

आने वाले कुछ सालों में चार्ली ने अपने किरदारों में कुछ कमी महसूस की और उसे स्वीकार करके कुछ नया और बेहतरीन करने का निर्णय लिया। 

बीसवीं सदी में चार्ली निरंतर प्रगति करते गए और अपने जीवन में उन्होंने कुछ ऐसे ऐतिहासिक फिल्मो में किरदार निभाए जो लोगों के दिल और दिमाग में छा गए। ‘दी किड, ‘दी पिलग्रिम’, ‘अ वुमन इन पैरिस’, ‘द गोल्ड रश’ इसके बाद 1928 में ‘सर्कस’ फिल्म पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुई।

चार्ली चैपलिन का निजी जीवन Charlie Chaplin Personal Life in Hindi

चार्ली चैपलिन ने अपने जीवन में कम समय में ही बहुत कुछ प्राप्त कर लिया था। वह लोगों के इतने पसंदीदा थे, की जब भी उनकी फिल्में रिलीज होती थी, तो उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ जाती थी।  

सफलताओं के अलावा चार्ली चैपलिन कई विवादों के कारण भी प्रसिद्धि में रहते हैं। खासकर उनके असल जिंदगी में अजीबोगरीब कारनामों से वह मीडिया का एक मुद्दा बन चुके थे।

1918 में तब पहली बार वे विवाद में आए जब उन्होंने 16 वर्षीय अभिनेत्री मिल्ड्रेड हैरिस से लॉस एंजेलिस में अचानक से शादी कर ली। लोगों की नजर में तब वे एक विवादित व्यक्ति के रूप में उभरे जब मिल्ड्रेड हैरिस ने चार्ली से अवैवाहिक संबंधों के बावजूद गर्भवती होने का दावा किया। 

इसी वजह से शायद चार्ली चैपलिन ने बिना किसी को बताए अपना पहला विवाह विवादों से बचने के लिए किया। चार्ली चैपलिन अपने शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थे, जिसके परिणाम स्वरुप 2 साल बाद ही 1920 में दोनों का तलाक हो गया।

इसके अलावा ‘द गोल्ड रश’ फिल्म के दौरान चार्ली ने एक किशोरी अभिनेत्री लिटा ग्रे के साथ दूसरी शादी कर ली। एक बार फिर वे तब सुर्ख़ियों में आये जब 16 साल की लिटा ग्रे ने अपने गर्भावस्था का चौकाने वाला खुलासा किया। जिसके बाद चार्ली को उनसे शादी करनी पड़ी। 

लेकिन लिटा ने जब चार्ली चैपलिन पर घरेलु हिंसा का आरोप लगाया, तो वे फिरसे विवाद में आये,1926 के बाद दोनों अलग रहने लगे और कुछ समय बाद ही उनका तलाक हो गया।

इसके बाद सन 1936 में चार्ली चैपलिन ने फिर एक शादी की जिसके बाद 1942 में एक मशहूर अभिनेत्री जोआन बेरी से उनके नाजायज संबंध का खुलासा हुआ। आखिर में 1943 में 18 वर्ष की युवती ‘ऊना ओ’नील’ से शादी की जो उनका एक सफल विवाह साबित हुआ। 

चार्ली चैपलिन की प्रमुख फिल्में Charlie Chaplin Popular Films

जिस तरह चार्ली चैपलिन ने एक सामान्य अभिनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया था, उसके पश्चात वे एक मशहूर हास्य अभिनेता के रूप में उभरे। उन्होंने एक निर्देशक, संगीतकार, पटकथा लेखक और संपादक के रूप में कार्य किया। 1899 से लेकर 1976 के बीच चार्ली चैपलिन ने कई बड़ी फिल्में बनाई। 

चार्ली चैपलिन के सबसे मशहूर और सफल फिल्मों में ‘द किड’ (1921), ‘अ वूमेन इन पेरिस’ (1923), ‘द गोल्ड रश’ (1925), ‘सर्कस’ (1928), ‘सिटी लाइट्स’ (1931), ‘मॉडर्न टाइम्स’ (1936), ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ (1940), ‘महाशय वर्डौक्स’ (1947), ‘लाइमलाइट’ (1952), ‘अ किंग इन न्यूयॉर्क’ (1957), ‘हांगकांग से एक काउंटेस’ (1967) का नाम आता है। 

चैपलिन की फिल्मों में विशेष चमत्कार क्या है? What is Special about Chaplin’s Films?

चार्ली चैपलिन को फिल्मों की दुनिया का बादशाह यूं ही नहीं कहा जाता है। आज भी फिल्म की दुनिया में नए अविष्कार और कलाकार आने के बावजूद भी चार्ली चैपलिन जैसे महान अभिनेता की जगह कोई नहीं ले पाया है और शायद कोई ले भी नहीं पाएगा। 

कहा जाता है, कि जब उनकी फिल्में लगती थी, तो उनके प्रशंसकों से लेकर आलोचकों तक हर कोई उसे देखना पसंद करता था।

वे फिल्म के किरदार में इस प्रकार लीन हो जाते थे, कि सामने बैठे दर्शक अपने जीवन के पलों को उनके अभिनय से जोड़ कर देखते थे। हर कोई चार्ली चैपलिन के किरदारों को अपने असली जीवन में उतार कर महसूस कर सकता था। 

बहुत कम कलाकार होते हैं, जो दर्शकों के साथ इतना गहरा तालमेल बना पाते हैं। चार्ली चैपलिन भी उन्हीं महान लोगों में से एक थे, जिनकी फ़िल्में किसी चमत्कार से कम नहीं होती थी। 

शायद वे अपनी फिल्मों में इतनी सटीकता और गहराई इसलिए ला पाते थे, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ देखा और सहा है। वह हर एक किरदार को अपने जीवन की सच्चाई से जोड़कर लोगों को परोसते थे, जिसके कारण ही कम समय में ही उन्हें बड़ी सफलता प्राप्त हुई। 

चार्ली चैपलिन की मृत्यु Charlie Chaplin Death in Hindi

फिल्मों की दुनिया में सर चार्ली चैपलिन एक अमर नाम बन हैं। अपने अंतिम फिल्म ‘A Countess from Hong Kong’ में अभिनय करने के बाद चार्ली चैपलिन का स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होने लगा था। 

1977 के पश्चात वे शारीरिक रूप से बेहद कमजोर पड़ गए थे। खराब स्वास्थ्य की वजह से वह चलने में भी असमर्थ थे। जिसके कारण उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। 

काफी समय से बीमार चल रहे चार्ली चैपलिन ने अपने अंतिम समय में किसी से भी मुलाकात करना बंद कर दिया था। 25 दिसंबर 1977 के दिन उनका देहांत हो गया। जिसके पश्चात उनके शव को स्विजरलैंड के कोर्सिअर-सुर-वेवे कब्रिस्तान में दफनाया गया। 

जीवन के बाद भी चार्ली चैपलिन एक बड़े विवाद में पड़ गए थे, जब उनके शव को कुछ फिरौती मांगने वाले लोगों द्वारा चोरी कर लिया गया। लगभग ग्यारह सप्ताह के बाद चार्ली चैपलिन के शव को वापस उनके परिवार को सौंपा गया।

आशा करते हैं चार्ली चैपलिन की जीवनी से आपको उनके विषय में अधिक से अधिक जानने को मिला होगा।

Featured Image Credit – Wikimedia

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biography of charlie chaplin in hindi

चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय

सही मायने में एक हास्य कलाकार वही है, जो बिना आवाज के अपने चेहरों के बलबूते लोगों को हंसा दे और यह गुण चार्ली चैंपियन में भली-भांति थे। इसीलिए तो चार्ली चैंपियन प्रख्यात भी हुए। बीसवीं शताब्दी के दौर में चार्ली चैंपियन एक बड़े कलाकार हुआ करते थे।

जिस दौर में फिल्मों में आवाज नहीं हुआ करती थी, उस दौर में चार्ली चैंपियन अपने कला के दम पर लोगों को बिना आवाज के हंसाने का कौशल रखते थे। यह अपने ट्रम्प करके चलने के अभिनय के लिए बहुत थी प्रसिद्ध थे। आज फिल्मों में आवाज आ चुकी है, लेकिन आज भी इनके कॉमेडी को लोग उतना ही पसंद करते हैं, जितना उस दौर में किया करते थे।

फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में एक अलग से नाम लिखवाने वाले चार्ली चैंपियन के बारे में क्या आप अच्छी तरीके से जानते हैं? इनका जीवनकाल 75 साल तक चला और अपने जीवन काल में इन्होंने दर्शकों को खूब हंसाने का कार्य किया। यह जितने प्रख्यात हुए इसी के साथ यह विवादों में भी घिरे रहे।

Charlie Chaplin Biography in Hindi

आखिर पूरे विश्व में लोगों के दिलों पर राज करने वाले चार्ली चैंपियन का जीवन कैसा था? यदि आप चार्ली चैंपियन के जीवन के बारे में जानने की रुचि रखते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। क्योंकि आगे इस लेख में हम चार्ली चैंपियन के प्रारंभिक जीवन के परिवार, उनके करियर और चार्ली चैपलिन बायोग्राफी इन हिंदी के बारे में जानने वाले हैं।

चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय (जन्म, परिवार, संघर्ष, कामयाबी, फ़िल्में, पुरस्कार, मृत्यु)

चार्ली चैप्लिन जीवनी एक नज़र में, चार्ली चैपलिन का प्रारंभिक जीवन.

चार्ली चैंपियन का जन्म लंदन में 16 अप्रैल 1889 को हुआ था। इनकी माता का नाम हैना चैप्लिन और पिता का नाम चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन था। इनके माता-पिता दोनों ही सीनियर म्यूजिक हॉल में गाया करते थे और अभिनय करते थे। चार्ली चैंपियन ने अपने माता-पिता से गाना भी सीखा और अभिनय करने की भी रूचि बचपन से ही इनमें जागृत हुई।

प्रारंभिक के 3 साल तक तो इनके जीवन में सब कुछ ठीक था, लेकिन 3 साल के बाद इनके माता-पिता अलग हो गए। जिसके बाद इनके जीवन में कई परेशानियां आए और कई संघर्ष करने पड़े। 1892 तक ही अपनी मां और अपने सौतेले बड़े भाई के साथ सिडनी में रहा करते थे।

इनकी मां एक बार किसी स्टेज पर गाना गा रही थी कि तभी अचानक से उनकी आवाज बंद हो गई, जिससे बैठे दर्शक जोर जोर से चिल्लाने लगे तब उस शो के मैनेजर ने 5 साल के लिए चार्ली को स्टेज पर खड़ा कर दिया। यह पहली बार था, जब चार्ली ने दर्शकों के बीच स्टेज का सामना किया था।

इन्होंने स्टेज पर पहली बार अपनी भोली आवाज में अपने मां के गाने की नकल उतारी थी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और स्टेज पर सिक्के की बारिश करने लगी। यह चार्ली चैंपली की पहली कमाई थी।

आगे चलकर इनकी मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब होने लगी और वह पागल हो गई। गरीबी और बदहाली की वजह से चार्ली चैंपियन को यतीमखाने में अपनी मां और भाई के साथ रहना पड़ता था। मां के पागल होने पर कोर्ट के आदेश के अनुसार इनके भाई और इन्हें इनके पिता के कस्टडी में डाल दिया गया।

इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली, जिससे इन्हें अपनी सौतेली मां की बहुत प्रताड़ना भी सहसहनी पड़ती थी। लेकिन बाद में इनकी मां पागल खाने से ठीक हो कर आ गई, जो इनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी।

चार्ली के पिता शराब के नशे में रहते थे, जिनके कारण कुछ सालों में इनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनका जीवन तो और भी ज्यादा परेशानियों से भर गया। अपने बचपन के जीवन में इतना संघर्ष देखने के बाद भी ये एक कामयाब अमेरिकी एक्टर बने, जिन्होंने अपने कला के दम पर हर किसी के दिल में अपनी छाप छोड़ी।

चार्ली चैपलिन का संघर्ष

आज के समय में लोग सफल व्यक्ति के कामयाबी को देखती है, लेकिन उस कामयाबी के पीछे उसे कितने संघर्ष करने पड़े इसके बारे में कोई जानने में रुचि नहीं रखता है। आज हम जिस चार्ली चैपलिन को जानते हैं, जो विश्व भर में प्रख्यात है, लेकिन एक ऐसा भी समय था जब उन्हें कोई नहीं पूछता था, ये काम धंधे की तलाश में मारे मारे फिरते थे।

पिता शराबी होने के कारण और बाद में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद चार्ली चैपलिन का जीवन और भी ज्यादा संघर्ष से भर गया। छोटी उम्र में ही इन्होने काम की तलाश करनी शुरू कर दी, जिसके कारण यह अपने पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। गरीबी और बेसहारे की हालत में इनके पास रहने का भी जगह नहीं हुआ करता था।

हालांकि इनमें धंधा करने की जबरदस्त समझ थी। जब यह खाली दुकानों को देखा करते थे। हमेशा इनके मन में यह प्रश्न उठता था कि आखिर इन दुकानों में ऐसा कौन सा बिजनेस स्थापित किया जाए, जिससे ढेर सारा पैसा कमाया जा सके। कभी यह मछली बेचने का व्यवसाय के बारे में सोचते तो कभी चिप्स बेचने से लेकर अन्य तरह की दुकान को खोलने के बारे में सोचते। लेकिन समस्या थी पूंजी की।

अंत में तो इन्होंने अपनी मां से कहकर अपनी पढ़ाई भी बंद करवा दी, क्योंकि जब घर में खाने को नहीं रहेगा तो पढ़ाई कहां से कर पाएंगे। पढ़ाई छोड़ने के बाद इनके पास पूंजी तो इकट्ठा नहीं हुई, लेकिन उनके पास वक्त काफी ज्यादा था। इसीलिए इन्होंने अलग-अलग तरह के काम करने शुरू किए।

इन्होंने अखबार बेचना, प्रिंटर का काम करना, ग्लास ब्लॉअर का काम करना, खिलौना बनाना से लेकर जूते चमकाने का काम करना, कपड़ों पर ब्रश करना, साफ कॉलर लगाना जैसे ना जाने कितने ही काम इन्होंने अपने जीवन में किए और अंत: इन कामों को करते हुए ये अपने लक्ष्य तक पहुंच गए।

चार्ली चैपलिन की कामयाबी

जब चार्ली चैपलिन 12 साल के थे, तब उन्हें एक लेजीमेंट मंच के कार्यक्रम में नाटक प्रस्तुत करने का मौका मिला। इसके बाद 1908 में चार्ली ने वौडेविल्ले कंपनी में हास्य कलाकार के रूप में अपने करियर को बनाने की शुरुआत की। 1910 में चार्ली चार्ली को “फ्रेड कार्नो रेपेर्टिरे कंपनी” के साथ प्रधान अभिनेता बना दिया गया। 1914 में चार्ली चैपली ने अपनी किस्मत को फिल्म में भी आजमाया।

चार्ली जानते थे कि यदि यह दूसरे अभिनेताओं की तरह ही कैरियर की शुरुआत करेंगे तो शायद इन्हें कोई भी अलग से पहचान ना मिल पाए। इसीलिए हजारों अभिनेताओं के बीच अपने आपको अलग रखने के लिए चैप्लिन एक विशेष तरह के चरित्र में काम करने का फैसला किये और फिर ट्रंम्प करके चलने के अभिनय करना शुरू किया, जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया।

1 साल में चार्ली चैपलिन ने लगभग 35 फिल्मों में काम किया। फिर 1915 में “इस्सानय कंपनी” के साथ काम करना शुरू किया, जहां इन्हें हर सप्ताह 1250 डोलर दिया जाता था। इस कंपनी में चार्ली चैपलिन ने लगभग 14 फिल्में की।

अब तक तो चार्ली चार्ली के जीवन में सब कुछ सही चल रहा था, वे कामयाबी हासिल कर रहे थे। उनकी कई सारी फिल्में भी रिलीज हुई, जो दर्शकों द्वारा बहुत सराहा गया। लेकिन फिर धीरे-धीरे वे विवादों में फंस गए। लगभग 10 सालों तक के कालखंड में भी अमेरिकी सरकार और मीडिया के लिए आफत का कारण बने रहे।

फिर 1952 में चार्ली चैप्लिन की लाइमलाइट फिल्म रिलीज हुई, जिस पर अमेरिका में प्रतिबंध लगा दिया गया। चार्ली चैपलिन को अमेरिका से बहुत लगाव था, इसीलिए वे अपने शहर लंदन छोड़कर अमेरिका आए थे। लेकिन, यहां पर अमेरिका में भी उनके प्रति बेरुखी उन्हें अंदर से हिला दिया।

इसके बाद उनकी पत्नी ने भी अमेरिका की नागरिकता को छोड़ दिया और फिर चार्ली और उनकी पत्नी वापस लंदन चले गए। उसके बाद वहां से वे कुछ समय के बाद स्विजरलैंड में जाकर बस गए। स्विट्जरलैंड में चार्ली की मुलाकात हमारे देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू से हुई थी।

चार्ली चैपलिन को प्राप्त पुरस्कार

चार्ली चार्ली ने अपने जीवन में अपनी योग्यता के दम पर बहुत कामयाबी हासिल की और इनके कामयाबी के लिए इन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। सबसे पहले 1929 में इन्हें अकादमी मानद पुरस्कार द सर्कस से सम्मानित किया गया।

1952 में इन्हें इनकी फिल्म लाइमलाइट के लिए सर्वोत्तम ओरिजिनल म्यूजिक स्कोर पुरस्कार दिया गया। 1940 में द ग्रेट डिक्टेटर में अच्छा अभिनय करने के लिए सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक सर्कल अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

फिर 1972 में इन्हें लाइफटाइम अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी साल इन्हें करिअर गोल्डन लायन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

चार्ली चैपलिन के जीवन के बारे में रोचक तथ्य

  • चार्ली चैपलिन का असली पूरा नाम चार्ल स्पेंसर चैपलिन था।
  • चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल 889 को लंदन में हुआ था। लेकिन उन्हे अमेरिका से बहुत लगाव था, इसीलिए अपने शहर को छोड़ अमेरिका आ गए। लेकिन अंत में अमेरिका ने भी उनके साथ बेरुखी दिखाई, जिस कारण दोबारा वे वापस अपने पत्नी के साथ अमेरिका को छोड़ अपने शहर छोड़ आना पड़ा।
  • चार्ली चैप्लिन ने अपने जीवन में कुल चार शादियां की और इन शादियों से उनके कुल 11 बच्चे हुए। चार्ली चैपलिन की पहली शादी 1918 में मिल्ड्रेड हैरिस से हुई थी। लेकिन 2 साल के बाद यह शादी टूट गई। इसके बाद उन्होंने लिटा ग्रे से शादी की। उसके बाद पॉलेट गॉडर्ड से शादी की और फीर 1943 में जब चार्ली 54 वर्ष के थे तब 18 साल की उना ओनील से शादी की। हालांकि यह शादी काफी विवादों में भी रही थी।
  • चार्ली चैपलिन के माता-पिता बचपन में अलग हो गए, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बचपन में इनकी मां ने मानसिक संतुलन खो दिया था। 9 साल की उम्र में ही इन्हें पेट पालने के लिए काम करना पड़ा और 13 साल की उम्र में तो अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी।
  • चार्ली चैपलिन बेहद कम उम्र से ही स्टेज शो करना शुरू कर दिया था। मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने एक अमेरिकन कंपनी के साथ काम करना शुरू किया।
  • दुनिया के महान हस्तियां चार्ली चैप्लिन के प्रशंसक थे। ब्रिटेन की महारानी और मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन ब्रेन के प्रशंसक थे।
  • चार्ली चैंपियन ने दोनों विश्वयुद्ध को अपने जीवन काल में देखा था। ऐसे भयानक पल में भी चार्ली चैंपलिन लोगों के दुखों को दूर कर उन्हें हंसाने का कार्य किये।
  • चार्ली चैंपियन की मृत्यु के बाद इनके शाम को दफनाने की कुछ दिन के बाद कुछ लुटेरों ने उनके परिवार से फिरौती मांगने के उद्देश्य से इनके शव को चुरा लिया था। हालांकि बाद में चोर पकड़े गए और उनका शव भी बरामद कर लिया गया था।
  • चार्ली चैपलिन भारत स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका से काफी प्रभावित थे, इसीलिए महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करते थे।
  • चार्ली चैंपियन संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग अपने जीवन के 40 वर्षों तक रहे थे। लेकिन फिर भी इन्हें अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल सकी और अंत समय में तो किसी विवाद के कारण अमेरिका में प्रवेश पर मना कर दिया गया था।
  • चार्ली चैपलिन कहते थे मेरा दर्द किसी के हंसी की वजह हो सकता है। लेकिन मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द का कारण नहीं बननी चाहिए।
  • चार्ली चैपलिन को एक बार अमेरिका की टाइम पत्रिका ने अपने कवर पेज पर जगह दी थी।

चार्ली चैपलिन की मृत्यु

साल 1960 को चार्ली चैपलिन की आखिरी फिल्म अ काउंटेस फ्र्म हांगकांग रिलीज हुई। इसी साल चार्ली चैपलिन की तबीयत खराब हो गई। फिर 1972 में अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के दौरान भी उनकी तबीयत खराब थी। उस साल तो उनकी तबीयत और भी ज्यादा खराब होने लगी थी।

1977 तक तो उन्हें बोलने में भी तकलीफ होता था और अंत में वे व्हीलचेयर को पकड़ लिए। फिर अंत में उन्हें इस जीवन को छोड़कर जाना ही पड़ा। 25 दिसंबर 1977 को मौत की गहरी नींद में सो गए। उसके बाद उनके लाश को कोर्सिअर-सुर-वेवे कब्रिस्तान, वौड़, स्विट्जरलैंड में दफनाया गया था।

उसके कुछ दिनों बाद कुछ लुटेरे इनके परिवार से पैसे ऐट्ठने के चक्कर में इनके लाश को चुरा लेगए। लेकिन वह विफल रहे। वे अंत में पकड़े गए। 11 सप्ताह के बाद चार्ली चैप्लिन की लाश जिनीवा के एक झील के पास बरामद किया गया। फिर से कोई भी लुटेरे इस तरह का प्रयास ना कर सके, इसलिए दोबारा उनके लाश को 2 मीटर की कंक्रीट के नीचे दफनाया गया।

चार्ली चैपलिन की फिल्म उस दौर की थी, जब फिल्मों में आवाज नहीं हुआ करती थी और उनकी फिल्मों की यही खासियत हुआ करती थी कि आवाज ना होने के बावजूद भी उनकी कला में इतना दम होता था कि वे दर्शकों को हंसा देते थे। चार्ली चैपलिन की कला ने देश सीमाओं को लांघते हुए विश्व भर में लोगों को हंसाने का कार्य किया।

चार्ली चैपलिन एक अंग्रेजी हास्य कलाकार, संपादक,संगीतकार, पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता थे, जो उस दौर के फिल्मों में काफी ज्यादा प्रसिद्ध ।थे जब फिल्म में आवाज नहीं हुआ करती थी, फिर भी वह अपने कला के माध्यम से बिना आवाज के लोगों को हंसाने की काबिलियत रखते थे।

राज कपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर और आवारा जिन्होंने चार्ली चैपलिन से प्रभावित होकर उनके किरदार को दोबारा पर्दे पर जीवंत करने का कार्य किया और वे इसमें सफल भी हुए। इन फिल्मों को देखकर दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया। इन फिल्मों में राज कपूर की मजेदार एक्टिंग देख कर इन्हें चार्ली चैप्लिन का भारतीय करण कहा गया।

चार्ली चैप्लिन की आखिरी फिल्म अ काउंटेस फ्र्म हांगकांग थी, जो 1960 के दशक में रिलीज हुई थी।

फिल्म ‘किड आटो रेसेस एट वेनिस’ जो 1914 में रिलीज हुई थी। यह चार्ली चैपलिन की प्रथम फिल्म थी। इस फिल्म में चार्ली चैपलिन का “द ट्रैम्प” किरदार काफी ज्यादा मशहूर हुआ।

16 अप्रैल 1889, लंदन (इंग्लैंड)

चार्ली के मृत्यु के दो दशक बाद भी ये अधिकतर लोगों के पसंदीदा हीरो थे। आज भले ही चार्ली चैप्लिन लोगों के बीच नहीं हैं लेकिन आज भी यह दर्शकों के दिलों में राज करते हैं। आज भी इनकी कॉमेडी शो लोगों को बेहद पसंद आती है।

हमें यही लगता है कि एक कॉमेडियन व्यक्ति जिस तरह लोगों को अपने काबिलियत से हंसाता है, उसके जीवन में भी इसी तरह की खुशियां होती होगी। एक कॉमेडियन अपने चेहरे पर भले ही हंसी का मुखौटा पहन के रखता हो, लेकिन उसके पीछे कई दुख, परेशानियां और संघर्ष रहते हैं, जिसे वह छुपा कर रखता है।

चार्ली चैपलिन विश्व भर में प्रसिद्ध कॉमेडियन थे, लेकिन इन्होंने अपने जीवन में कई संघर्ष देखें। इनका जीवन पूरी तरीके से परेशानियों से भरा था, लेकिन हर परेशानियों का सामना करते हुए वे इस मुकाम तक पहुंचे, जहां लोग आज भी इन्हें सम्मान से याद करते हैं।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख चार्ली चैपलिन इन हिंदी को पढ़कर आपको चार्ली चैपलिन के जीवन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा। यदि लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।

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Charlie Chaplin Biography In Hindi | चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय

Charlie Chaplin Biography In Hindi | चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय

आज दुनिया के सबसे महान हास्य कलाकार Charlie Chaplin Biography In Hindi बताएँगे। हम अपने अभियनय से लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाले चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय देने वाले है। 

अंग्रेजी हास्य कलाकार के साथ साथ चार्ली चैपलिन फ़िल्म निर्माता और संगीतकार थे। वह जब फिल्मों में आवाज नहीं होती थी। उस Silent era (मौन युग) 20 वीं शताब्दी के चार्ली चैपलिन बहुत बड़े कलाकार थे। आज हम Charlie Chaplin cartoon, Charlie Chaplin drawing  और Quotes of Charlie Chaplin  की माहिती के साथ उनसे जुडी सभी माहिती की जानकारी बताने वाले है। 

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Charlie Chaplin Biography: चार्ली चैपलिन की 132वीं जयंती पर जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें

चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा स्विट्जरलैंड में बिताया और साल 1977 में क्रिसमस के दिन उनका निधन हो गया था।.

Arfa Javaid

चार्ली चैपलिन का बचपन

चार्ली चैपलिन का करियर .

जब वे बारह वर्ष के थे, तब उन्हें एक स्टेज शो में अभिनय करने का पहली बार मौका मिला। इस शो में चैपलिन ने 'बिली' पेज बॉय का किरदार निभाया। इसके बाद उन्होंने विलियम जिलेट का किरदार निभाया। इसके बाद चार्ली ने वूडविले में एक हास्य अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और 1910 में फ्रेड कार्नो रिपर्टोयर कंपनी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में उन्होंने काम करना शुरू किया।

अमेरिकी दर्शकों को उनका अभिनय बेहद पसंद आया, विशेषकर "ए नाइट इन ए इंग्लिश म्यूजिक हॉल" में। जब फ्रेड कार्नो की मंडली पुनरावृत्ति दौरे के लिए पर 1912 में संयुक्त राज्य अमेरिका आई, तो चैपलिन को मोशन पिक्चर अनुबंध की पेशकश की गई।

वूडविले प्रतिबद्धताओं की समाप्ति के बाद नवंबर 1913 में चैपलिन कैमरों के सामने आने को तैयार हो गए और सिनेमा जगट में उनका प्रवेश इसी महीने मैक सेनेट और कीस्टोन फिल्म कंपनी में शामिल होने के बाद हुआ। एक सप्ताह में उनका शुरुआती वेतन $150 था, लेकिन स्क्रीन पर रातों-रात सफलता हासिल करने के बाद अन्य प्रोड्यूसर उनके साथ काम करने के लिए इच्छुक थे।  

अपने सेनेट अनुबंध के पूरा होने पर चैपलिन एक बड़ी वृद्धि पर एस्सेन कंपनी (1915) में चले गए। सिडनी चैपलिन तब इंग्लैंड से आए थे और चार्ली चैपलिन की जगह कीस्टोन के साथ प्रमुख हास्य कलाकार के रूप में कार्य करने लगे। 

अगले वर्ष चार्ली चैपलिन की मांग और ज्यादा बढ़ गई और उन्होंने म्यूचुअल फिल्म कॉरपोरेशन के साथ 12 दो-रील कॉमेडी बनाने के लिए बहुत बड़ी राशि पर हस्ताक्षर किए। इनमें "द फ्लोरवॉकर", "द फायरमैन", "द वैगाबोंड", "वन ए.एम." (एक ऐसा प्रोडक्शन जिसमें वह शुरुआती दृश्य में एक कैब ड्राइवर के प्रवेश के अपवाद के साथ पूरे दो रीलों के लिए एकमात्र पात्र थे), "द काउंट", "द पान शॉप", "बिहाइंड द स्क्रीन", "द रिंक", " इजी स्ट्रीट "(उस समय तक के उनके सबसे बड़े उत्पादन के रूप में प्रसिद्ध)," द क्योर"," द इम्मीग्रेंट" और "द एडवेंचरर "।

1917 में जब म्यूचुअल के साथ उनका अनुबंध समाप्त हो गया, तो चैप्लिन ने स्वतंत्र फिल्म निर्माता बनने का फैसला किया, जिससे उन्हें फिल्में बनाते वक्त अधिक स्वतंत्रता और अधिक आराम मिला। उन्होंने अपने स्टूडियो का भी निर्माण किया। यह स्टूडियो हॉलीवुड के आवासीय खंड ला ब्रेवन एवेन्यू में स्थित था।

1918 की शुरुआत में चैपलिन ने पहले राष्ट्रीय प्रदर्शकों के सर्किट के साथ अनुबंध किया, एक ऐसा संगठन जो विशेष रूप से उनकी तस्वीरों का शोषण करने के लिए बनाया गया था। इस नए अनुबंधन के तहत उनकी पहली फिल्म "ए डॉग्स लाइफ" थी। इसके बाद उन्होंने युद्ध के प्रयासों की ओर एक राष्ट्रीय दौरे पर अपना ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद उन्होंने अमेरिकी सरकार के लिए एक फिल्म बनाई। इस फिल्म को अमेरिकी सरकार ने लिबर्टी ऋण ड्राइव: "द बॉन्ड" को लोकप्रिय बनाने के लिए इस्तेमाल किया।

उनका अगला प्रोडक्शन युद्ध से निपटने वाली कॉमेडी का निर्माण था। "शोल्डर आर्म्स" 1918 में एक ऐसे समय पर रिलीज़ हुई, जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर एक सार्थक चमत्कार किया जिससे चैपलिन की लोकप्रियता में बहुत इजाफा हुआ। उन्होंने 1919 में रिलीज़ हुई "सनीसाइड" और "अ डेस प्लेज़र" अनुसरण किया। 

इससे पहले कि वह यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभा पाते, चैपलिन को फर्स्ट नेशनल के साथ अपना अनुबंध पूरा करना पड़ा। 1921 की शुरुआत में वह एक छह-रील मास्टरपीस: 'द किड' रिलीज की, जिसमें उन्होंने दुनिया के महानतम बाल कलाकारों में से एक, जैकी कूगन को दुनिया से रूबरू कराया।

बाद में 1921 में उन्होंने "द आइडल क्लास" रिलीज़ की, जिसमें उन्होंने एक दोहरे चरित्र को चित्रित किया। तब, मोशन पिक्चर गतिविधियों से पूर्ण आराम की आवश्यकता महसूस करते हुए चैपलिन सितंबर 1921 में यूरोप के लिए रवाना हो गए। लंदन, पेरिस, बर्लिन और अन्य राजधानियों ने उनका जबरदस्त स्वागत किया।

एक विस्तारित छुट्टी के बाद, चैपलिन हॉलीवुड में अपने काम को फिर से शुरू करने और यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के साथ अपना सक्रिय जुड़ाव शुरू करने के लिए लौट आए। यूए के साथ चैपलिन ने आठ फिल्में बनाईं। ये इस प्रकार हैं:

1- अ वूमन ऑफ पैरिस (1923) 2- द गोल्ड रश (1925) 3- द सर्कस (1928) 4- सिटी लाइट्स (1931) 5- मॉडर्न टाइम्स (1936) 6- द ग्रेट डिक्टेटर (1940) 7- मॉनसियर वर्डोक्स (1947) 8- लाइमलाइट (1952)

'द किड' में चैपलिन ने लिलिटा मैकमरे को कास्ट किया था और बाद में 'द गोल्ड रश' के वक्त उनका नाम लिटा ग्रे कर दिया गया। लिटा अभी 16 साल की भी नहीं हुईं थीं और उनका चैपलिन के साथ अफेयर चलने लगा। कुछ दिनों बाद लिटा ने खुद को गर्भवती पाया और चैप्लिन को लिटा से मजबूरन शादी करनी पड़ी। दोनों ने दो बेटों, चार्ल्स जूनियर और सिडनी चैपलिन को जन्म दिया।

'द सर्कस' ने चैप्लिन को उनका पहला अकादमी पुरस्कार दिलाया। यह पुरस्कार उन्हें सन् 1929 में पहली प्रस्तुति समारोह में दिया गया था। द सर्कस की शूटिंग के वक्त चैपलिन और लिटा का तलाक हो रहा था और लिटा के वकीलों ने चैपलिन की छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।  

1931 और 1932 में उन्होंने 18 महीने के विश्व दौरे पर जाने के लिए हॉलीवुड छोड़ दिया था। यूरोप में वह बेरोजगारी और स्वचालन के राष्ट्रवाद के उदय और अवसाद के सामाजिक प्रभावों को देखकर परेशान थे।

1939 में द ग्रेट डिक्टेटर लिखते समय, चैपलिन हिटलर की तरह दुनिया भर में प्रसिद्ध थे। इस फिल्म में उनके ट्रम्प चरित्र की हिटलर जैसी ही मूंछें थीं। उन्होंने तानाशाह की हस्ती और बुराई के खिलाफ अपनी हस्ती और हास्य का पिटारा का आलेखन किया। इस फिल्म में चैपलिन दोहरी भूमिका में हैं।

1940 में अमेरिका का शीत युद्ध अपने चरम पर पहुंच गया था और चैपलिन एक विदेशी के रूप में राजनीतिक टार्गेट थे। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में चैपलिन की आखिरी और अनपेक्षित अवधि की शुरुआत थी, जिसे उन्होंने 1952 में छोड़ दिया था। लाइमलाइट के लंदन प्रीमियर के दौरान चैपलिन को पता चला कि अमेरिका में उनका पुन: प्रेवेश पास राजनीतिक और नैतिकता कारणों  की वजह से रद्द कर दिया गया था।   

इसके बाद चैपलिन यूरोप में ही रहे और अपने परिवार के साथ स्विटज़रलैंड के Corsier sur Vevey के  Manoir de Ban में बस गए। उनके और ओना कुल आठ बच्चे थे।

'अ किंग इन न्यू यार्क' के माध्यम से चैपलिन व्यंग्य और उपहास, व्यामोह और राजनीतिक असहिष्णुता को उजागर करने का साहस करने वाले पहले फिल्म निर्माता थे। उन्होंने 1966 में 'अ काउंटलेस फ्रोम हॉंग-कॉंग' में बनाई थी, जो उनकी आख़री और एकमात्र रंगीन फिल्म थी। 

1972 में चैपलिन ने 1972 के ऑस्कर समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के लिए, दो दशकों के बाद अमेरिका में वापसी की। वहां मौजूद दर्शेकों की तालियों की गड़गड़ाहट रिकॉर्ड 12 मिनट तक चली, जो अकादमी पुरस्कार इतिहास में अब तक सबसे लंबा समय है। 

मोंट्रेक्स से थोड़ी दूर पर, वेवे में चैपलिन का संग्रहालय स्थित है जो उनके काम और जीवन पर समर्पित है। प्रतिष्ठित स्टार के प्रशंसक मन्नोर डे बान जा सकते हैं जहां चैपलिन ने अपने परिवार के साथ 1953 से 1977 तक (मृत्यु ) तक का वक्त गुजारा। उनका पूर्व घर, पुनर्निर्मित और कुछ साल पहले एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यह चैपलिन की जिंदगी के कई पहलुओं की झलक दिखाता है।

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Charlie Chaplin Biography | चार्ली चैपलिन की जीवनी

You are currently viewing Charlie Chaplin Biography | चार्ली चैपलिन की जीवनी

  • Post author: Pushpendra Patel
  • Post published: July 21, 2021
  • Post comments: 0 Comments
  • Post category: जीवनी / प्रमुख व्यक्तित्व

Gk Skill की इस पोस्ट में चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस पोस्ट में दिए गए चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin ) से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी और आप इनके बारे में अपनी जानकारी बड़ा पाएंगे । Charlie Chaplin Biography and Interesting Facts in Hindi.

चार्ली चैपलिन की जीवनी (Charlie Chaplin Biography ):-

पूरा नाम- चार्ली चैपलिन

जन्म ( Born) – 16 अप्रैल 1889

मृत्यु (Died) – 25 दिसंबर 1977

जन्म स्थान- लंदन

पिता – चार्ल्स चैपलिन सीनियर

माता – हन्ना चैपलिन 

चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin )

  • चार्ली चैपलिन इतिहास के सबसे महान अभिनेताओं में से एक हैं चार्ली चैपलिन एक जटिल और भ्रमित जीवन के साथ एक बहुत ही मुश्किल व्यक्ति थे वह उदास चेहरे वाला कॉमेडियन कहलाता थे
  • अपने दमदार अभिनय और प्रतिभा से लोगों को हंसने पर मजबूर करने वाले अमेरिकी अभिनेता चार्ली चैप्लिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था
  • चार्ली पहली बार मंच पर दिखाई दिए जब वह केवल 5 साल के थे
  • चैपलिन के पिता जिप्सी समुदाय से थे और इस बात पर उन्हें बहुत गर्व था उन्होंने स्वयं इस तथ्य का उल्लेख अपनी जीवनी में किया है
  • चार्ली चैपलिन का जीवन शुरू से ही आसान नहीं था उनके पिता ने बहुत पीना शुरू कर दिया, और शराब के कारण जल्दी मर गये, और उनकी माँ पहले गंभीर रूप से बीमार थी, और फिर उसका दिमाग खराब हो गया
  • युवा अभिनेता को जल्दी से एक जीविकोपार्जन शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा जिसके कारण वह स्कूल की पढाई ढंग से नहीं कर पाए
  • चार्ली ने समाचार पत्रों के एक पेडलर, एक प्रिंटिंग सहायक और एक डॉक्टर के सहायक के रूप में पैसा कमाया
  • नौसिखिए अभिनेता के रूप में, युवा चार्ली चैपलिन लगभग अनपढ़ थे
  • एक बार, जब उन्हें एक ऑडिशन के लिए बुलाया गया, तो उन्हें डर था कि उन्हें अपनी भूमिका की स्क्रिप्ट से पाठ पढ़ने के लिए कहा जाएगा, क्योंकि वे लगभग नहीं पढ़ सकते थे
  • किशोर के रूप में, चार्ली ने वायलिन में महारत हासिल करना शुरू कर दिया, जो रोजाना कई घंटे अभयास करते थे इसके बाद, वह कई वर्षों तक विभिन्न प्रकार के संगीतकार रहे
  • उन्हें तीन ऑस्कर मिले, लेकिन उनमें से एक को भी अभिनय के लिए सम्मानित नहीं किया गया
  • 1954 में, चार्ली चैपलिन को अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया
  • मंच के अलावा, चार्ली चैपलिन ने फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, पटकथाएं लिखीं और निर्माता के रूप में काम किया
  • फिल्म “द ग्रेट डिक्टेटर” के लिए, जिसमें उन्होंने एडोल्फ हिटलर का उपहास किया और इस कारण उन्हें अपने व्यक्तिगत दुश्मनी का भी सामना करना पड़ा
  • चैपलिन बाएं हाथ के थे वायलिन पर भी, वह अपने दाहिने हाथ से नहीं, बल्कि अपने बाएं हाथ से बजाते थे
  • 1975 में इंग्लैंड की महारानी ने चार्ली चैपलिन को नाइटहुड प्रदान किया
  • स्क्रीन पर चार्ली चैपलिन की सबसे लोकप्रिय छवि ट्रम्प, एक गेंदबाज टोपी और विशाल जूते में एकछोटा अनाड़ी आदमी था उन्होंने कई दशकों में 70 से अधिक फिल्मों में इसका इस्तेमाल किया है
  • चैपलिन को नृत्य करना पसंद था, और उनकी पसंदीदा शैली टैंगो थी
  • 40 वर्षों तक, संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते थे, चार्ली चैपलिन को अमेरिकी नागरिकता कभी नहीं मिली
  • 50 के दशक में एक समय में, उन्हें अपने वामपंथी राजनीतिक विचारों और “नैतिक लाइसेंस” के कारण इस देश में प्रवेश से पूरी तरह से मना कर दिया गया था
  • 1917 में, वे $1 मिलियन के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले इतिहास के पहले अभिनेता बन गए
  • 1928 में, चार्ली चैपलिन ने स्टॉक एक्सचेंज के पतन की भविष्यवाणी की, जिसने ग्रेट डिप्रेशन की शुरुआत में शुरुआत की, और वह सभी शेयरों को बेच दिया जो वह पहले से उनके पास थे
  • चार्ली चैपलिन की पूर्व पत्नियों में से एक व्लादिमीर नाबोकोव की पत्नी बनीं, जो एक प्रसिद्ध लेखक, लोलिता की लेखिका और कई अन्य उल्लेखनीय रचनाएँ हैं
  • चार्ली चैपलिन दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में एक साथ दो सितारे हैं
  • उन्होंने अपने जीवन के बारे में एक आत्मकथा लिखी, इसे सरल और संक्षिप्त रूप से कहा – “मेरी आत्मकथा”
  • चार्ली चैपलिन की अधिकांश फ़िल्मों का संगीत स्वयं द्वारा लिखा गया था
  • क्या आप जानते है चार्ली की बायोपिक में उनकी बेटी ने उनकी माँ का रोल किया था ये मूवी 1992 में आयी थी
  • चार्ली की कॉफीन चोरी हो गयी थी और चोरों ने लगभग 600,000 Swiss frank की मांग की थी बाद में ये लोग पकड़ में आ गए
  • चार्ली के नाम पर एक asteroid भी है जिसका नाम 3623 chaplin है 4oct 1981 को खोजा गया और चार्ली के सम्मान में इसे ये नाम दिया गया
  • चार्ली ने एक बार स्वीकार किया था के उनके लगभग 2000 औरतों के साथ शाररिक सम्बन्ध रहे है वास्तव में उनकी चार बीवियां थी और 11 बच्चे थे
  • अभिनेता का अंतिम बेटा तब पैदा हुआ था जब वह 72 साल के थे
  • पहले ऐसे एक्टर थे जिनका फोटो Time Magazine के कवर पर 1925 में छापा गया
  • चार्ली की आंखे नीले रंग की थी पर लोगो को ये बात पता नहीं चल पाई क्योंकि इस समय ब्लैक एंड वाइट का दौर था
  • चैप्लिन की मृत्यु 25 दिसंबर, 1977 को स्विटज़रलैंड के वेवे में हुई 88 वर्ष की आयु में उनकी नींद में एक स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो गई
  • चैपलिन की मृत्यु के बाद, उनकी कब्र की खुदाई की गई, और उनके शरीर को चुरा लिया गया अंडरटेकर ने उनके लिए फिरौती की मांग की, लेकिन पुलिस उन्हें हिरासत में लेने में कामयाब रही

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चार्ली चैप्लिन का जीवन परिचय | Charlie Chaplin Biography in Hindi

August 7, 2023 by Editor Leave a Comment

चार्ली चैप्लिनका जीवनी , चार्ली चैप्लिनका जीवन परिचय , बायोग्राफी , कौन है , चार्ली चैप्लिन के बारे में,  विकी , उम्र , रोचक तथ्य, लंबाई , गर्ल फ्रेंड , पत्नी, चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा , चार्ली चैप्लिन यानी हम सब पाठ का सारांश ( Charlie Chaplin Biography in Hindi, Jivani, Charlie Chaplin biography, Family, Charlie Chaplin age, Charlie chaplin biography in hindi essay, charlie chaplin ki lokpriyata ka varnan kijiye )

Charlie चैप्लिन एक विश्वस्तरीय मूवी स्टार, कॉमेडियन, और फिल्म निर्माता थे। उनके जीवन की एक अधिगम्य कहानी है, जिसमें उनके कॉमेडी के कला के साथ साथ उनके जीवन के संघर्ष और सफलता की कहानी भी शामिल है। चार्ली चैपलिन बचपन से ही नाटक में रुचि रखते थे और उनकी पहली फिल्म “Making a Living” 1914 में रिलीज़ हुई। उन्होंने अपने बाद के करियर में कई प्रसिद्ध फिल्में बनाई, जिनमें “The Kid,” “City Lights,” “Modern Times,” “The Great Dictator,” “Limelight,” और अन्य शामिल हैं।

चार्ली चैप्लिन जन्म, परिवार और शिक्षा (Charlie Chaplin Birth, Family and Education) चार्ली चैपलिन का जन्म कब हुआ

Charlie Chaplin का जन्म 16 अप्रैल, 1889 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम चार्ली चैप्लिन सीनियर (Charles Chaplin Sr.) और माँ का नाम हाना हॉल (Hannah Hall) था। चार्ली के माँ-पापा का विवादपूर्ण विवाह था और उनके जन्म के समय उनके पिता ने उनकी माँ को छोड़ दिया था। इसके बाद, चार्ली और उनकी बहन सिडनी को उनकी माँ ने पाला था।

चार्ली चैप्लिन का बचपन बहुत संघर्षमय रहा। उनके परिवार का आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर था और वे गरीबी की वजह से बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, चार्ली एक जीवनशैली के साथ और विद्या की भूखे रहते हुए अभिनय में रुचि रखते थे।

उनकी शिक्षा काफी हटकर थी, और उन्होंने एक म्यूजिक हॉल कंपनी में काम करना शुरू किया था। वहां उन्हें अभिनय का मौका मिला और वे इसमें माहिर हो गए। उनका पहला फिल्मी सफलता “किडो” (Kid) 1921 में आई थी और इसके बाद से उनकी फिल्मी करियर की उड़ान भरी।

चार्ली चैप्लिन करियर (Charlie Chaplin Career)

उनका करियर एक उत्कृष्ट फिल्मी करियर था जो अभिनय, निर्माता, और निर्देशक के रूप में उन्हें दुनिया भर में मशहूर बना दिया। उनकी फिल्मी करियर को तीन बड़े युगों में विभाजित किया जा सकता है

1. मानवता के चार्ली (1914-1923):

चार्ली चैप्लिन का पहला अवधि “मानवता के चार्ली” के रूप में जानी जाती है, जिसमें उन्होंने दुर्भाग्यशाली और असमर्थ लोगों के लिए कॉमेडी के जरिए समर्थन प्रदान किया। उनकी प्रसिद्ध फिल्में इस युग में “The Kid” (1921), “The Gold Rush” (1925) और “City Lights” (1931) शामिल हैं। इन फिल्मों में चार्ली ने अपनी भव्य कॉमेडी और संवेदनशील अभिनय के लिए खूबसूरत प्रशंसा प्राप्त की।

2. शांति के युग (1925-1940):

चार्ली चैप्लिन ने इस युग में “Modern Times” (1936) और “The Great Dictator” (1940) जैसी फिल्में निर्माण की, जिनमें उन्होंने समाज, राजनीति और राष्ट्रीयता के मुद्दों पर विचार किया। “The Great Dictator” में उनका लोगों के बीच एक ऐसे भाषण के लिए भी प्रशंसा हुई, जिसमें उन्होंने धर्मनिरपेक्षता, शांति, और समरसता का संदेश दिया।

3. अंतिम युग (1950-1977):

चार्ली चैप्लिन की इस अंतिम अवधि में उनके करियर में कुछ उपहार करने के लिए उन्होंने फिल्म निर्माण से सन्नाटा किया। यदि भी उन्होंने फिल्म निर्माण में अपनी भूमिकाओं को देखा, तो उन्होंने चित्रकला में अपने कला का उधारण किया। उन्हें इस अवधि में सिनेमा के साथ साथ टेलीविजन और व्यावसायिक नाटक में भी काम करने का अवसर मिला।

चार्ली चैप्लिन का करियर एक अनूठा और अविस्मरणीय रहा और उन्होंने फिल्म उद्यम के क्षेत्र में व्यापक और सफलतमय काम किया। उनके अभिनय, कॉमेडी, और समाज सेवा की अद्भुत प्रशंसा विश्वभर में थी और उन्हें आज भी एक महान चलचित्र कलाकार के रूप में याद किया जाता है।

चार्ली चैपलिन के विचार

चार्ली चैपलिन एक विचारशील व्यक्तित्व थे जिनके विचार उनके अभिनय, लेखन और समाज सेवा के कार्य में प्रकट होते थे। उनके विचार में उस समय की समाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान और समाज की सुधार के लिए जिम्मेदारी महसूस करने का महत्वपूर्ण स्थान था। चार्ली चैपलिन के विचारों का एक संक्षेपण निम्नलिखित है:

1. मानवता के प्रति समर्पण: चार्ली चैपलिन ने अपने अभिनय और फिल्मों में मानवता के प्रति समर्पितता को प्रकट किया। उनके अभिनय में अनेक अवसरों पर वे एक दरिद्र व्यक्ति की भूमिका निभाते थे जो समाज के दरिद्र और असहाय लोगों के संघर्षों को दिखाते थे और उनके मुद्दे को समझाने की कोशिश करते थे।

2. सामाजिक सुधार के पक्षपात के विरोध: चार्ली चैपलिन ने अपने फिल्मों के माध्यम से सामाजिक सुधार के लिए उठे मुद्दों पर भी विचारधारा प्रस्तुत की। उन्होंने शोषण, न्याय, व्यावसायिक पक्षपात, और आर्थिक विषमता जैसे मुद्दों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।

3. आधुनिकता और तकनीकी प्रगति के पक्ष में: चार्ली चैपलिन ने फिल्मों में आधुनिकता के साथ-साथ तकनीकी प्रगति को भी समर्थित किया। उनके फिल्म “Modern Times” में उन्होंने औद्योगिकरण और मशीनों के प्रभाव को उठाया था और वे मानवता के समर्थक और मोडर्न तकनीक के समर्थक रहे।

4. साहसिक विचारधारा: चार्ली चैपलिन ने अपने विचारों और कला में साहसिकता का परिचय किया। उन्होंने समाज के परंपरागत नियमों के खिलाफ खड़ा होने के लिए धैर्य और साहस दिखाया।

चार्ली चैप्लिन की पत्नी (Charlie Chaplin wife)

चार्ली चैप्लिन की पत्नी का नाम ओोना ओ’नील (Oona O’Neill) था। ओोना ओ’नील एक अमेरिकी अभिनेत्री और नाटककार ईजुन ओ’नील (Eugene O’Neill) की बेटी थीं।

चार्ली चैप्लिन और ओोना ओ’नील का प्रेम पक्षी पकड़ लेने जैसा था। चार्ली को उस समय 54 वर्ष की उम्र में और ओोना को सिर्फ 18 वर्ष की उम्र में मिला था। इसके बावजूद उन्होंने 1943 में शादी कर ली।

यह शादी चार्ली चैप्लिन की जिंदगी के एक विवादपूर्ण कथन बनी, क्योंकि ओोना उनसे 36 साल छोटी थीं। लेकिन चार्ली ने उनके संबंधों की खबरों और आलोचनाओं के बावजूद उनके साथ रहने का फैसला किया और उन्हें अपने जीवन के सार्थक हिस्से बनाया। वे मिल-जुलकर आठ बच्चों के माता-पिता बने और अपने जीवन के अंत तक एक-दूसरे के साथ रहे। चार्ली चैप्लिन और ओोना ओ’नील के बीच का यह अनूठा जोड़ी लोगों के दिलों में अजेय रहा है।

चार्ली की मौत कैसे हुई Charlie Chaplin Biography in Hindi

चार्ली चैप्लिन की मृत्यु 25 दिसम्बर, 1977 को वेवर्ली हिल्स, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्यों में हुई थी। उनकी मृत्यु की वजह नेटुरोपेनी का निरोध (Natural Causes) घोषित की गई थी। वह उस समय 88 वर्ष के थे।

Charlie Chaplin Biography in Hindi

चार्ली चैप्लिन फ़िल्में, चार्ली चैप्लिन मूवी

चार्ली चैप्लिन एक अनूठे अभिनेता, निर्माता, और निर्देशक थे, जिन्होंने कई प्रसिद्ध फिल्में बनाई और दर्शकों को मनोरंजन का अनुभव प्रदान किया। उनकी फिल्में अद्भुत कॉमेडी, संवेदनशीलता, और सोच-विचार को जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं से जोड़ती थीं। नीचे कुछ प्रसिद्ध चार्ली चैप्लिन फिल्मों के नाम हैं:

  • The Kid (1921)
  • City Lights (1931)
  • Modern Times (1936)
  • The Great Dictator (1940)
  • Limelight (1952)
  • The Gold Rush (1925)
  • A Woman of Paris (1923)
  • Monsieur Verdoux (1947)
  • The Circus (1928)
  • A King in New York (1957)

चार्ली चैप्लिनके बारे में रोचक तथ्य (Charlie Chaplin Facts)

  • उनका वास्तविक नाम चार्ली चैपलिन सीनियर था। वे अपने पिता के नाम पर नहीं बल्कि माता-पिता के व्यवसायिक नाम “The Chaplin Comedy Film Corporation” के नाम पर चार्ली चैप्लिन के रूप में मशहूर हुए।
  • चार्ली चैप्लिन को भाषा की भावनाएं समझने में दिक्कत होती थी, क्योंकि उनका मूख सामान्य आवज़ में नहीं बल्कि कंप्यूटर के आवाज़ से बहुत अलग था। इसीलिए उन्होंने अपने फिल्मों में नाटकीय हस्ताक्षर अभिनय का बड़ा इस्तेमाल किया।
  • वह  साल 1929 में पहली बार अकैडेमी अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था। वे अपनी फिल्म “The Circus” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नॉमिनेट हुए थे। इसके बाद वे 1972 में अपने जीवन के अंत तक जिन फिल्मों के लिए नॉमिनेट हुए थे, उनमें से किसी भी फिल्म के लिए अवार्ड नहीं मिला।
  • चार्ली चैप्लिन एक शानदार निर्माता और निर्देशक भी थे। उन्होंने अपनी फिल्में स्वयं निर्माण और निर्देशन किया और उन्हें सफलता मिली। उन्होंने फिल्म “The Great Dictator” में दिक्तेटर अडोल्फ हिटलर की तरह किरदार निभाकर लोगों के दिलों में जगह बना ली।
  • उनको वर्ष 1972 में “सर्किल के बाहर” (A King in New York) फिल्म ने विलंबित कर दिया था, क्योंकि उस समय उन्हें संघर्ष करना पड़ा जिसमें उनके साथ सांघिक विरोध था। यह फिल्म उनके अंतिम स्क्रीन अभिनय की फिल्म थी।

चार्ली चैपलिन का भारतीयकरण Charlie Chaplin Biography in Hindi

चार्ली चैपलिन का भारतीयकरण एक रोचक पहलू है, जो उनकी प्रसिद्धता को भारतीय मंचों तक पहुंचाने में सहायक हुआ। चार्ली चैपलिन की फिल्में भारत में अपने अनोखे अभिनय और कॉमेडी के लिए भी जानी जाती हैं।

भारत में उनकी पहचान 1950-60 के दशक में प्रसारित हुई थी, जब भारतीय सिनेमा और टेलीविजन पर उनकी फिल्में दिखाई जाने लगीं। उनकी फिल्म “मॉडर्न टाइम्स” (Modern Times) भारतीय दर्शकों के बीच बड़े पसंदीदा हुई थी। इस फिल्म में चार्ली ने आधुनिकता, औद्योगिकरण, और मशीनों के प्रभाव को दिखाया था, जो भारत में उस समय के समाजिक संवेदनशील विचारधारा के साथ अनुरूप थे।

चार्ली चैपलिन के कॉमेडी और अभिनय की भारतीय संस्कृति में भी बड़ी प्रतिष्ठा है। भारतीय नाटक में उनके कलाकारी का अद्भुत प्रभाव देखा जा सकता है और भारतीय अभिनेता और नाटककारों को उनसे प्रभावित होने का अनुभव हुआ है।

चार्ली चैपलिन का भारतीयकरण उनके कलाकारी को भारत में अपने आप में एक विशेष स्थान प्रदान करता है और उन्हें भारतीय दर्शकों के दिलों में सदैव यादगार बना देता है।

Charlie Chaplin Biography in Hindi, Wiki, Height, Age, Family, Facts

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Charlie Chaplin Biography in Hindi

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Charlie Chaplin Biography in Hindi | चार्ली चैपलिन की जीवनी

चार्ली चैप्लिन मौनी युग के जाने-माने हास्य कलाकार थे इसके अलावा वह पेशे से संगीतकार और फिल्म निर्माता भी थे। मौनी युग में आमतौर पर फिल्मों का निर्माण बिना आवाज़ के किया जाता था। चार्ली बीसवीं सदी के बहुत प्रसिद्ध कलाकारों में से एक माने जाते थे। इन्होंने अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त की और इनका कैरियर 75 साल तक चला। चार्ली की बचपन से ही एक्टिंग के क्षेत्र में रुचि थी इसलिए इन्होंने अपने करियर की शुरुआत बचपन में ही कर दी थी।

मौनी युग में हास्य कलाकार के रुप में चार्ली बहुत प्रसिद्ध थे, अपनी हास्य कला की वजह से चार्ली बहुत जाने जाते थे और इस कला के ज़रिए उन्होंने अपनी पहचान पूरी दुनिया में बना ली थी। हास्य कलाकार होने के अलावा वह संपादक, लेखक, पटकथा लेखक और निर्माता भी थे। इस पोस्ट में हम चार्ली चैपलिन का जन्म, प्रारंभिक जीवन, फिल्मी करियर, रचित फिल्में, मृत्यु आदि से संबंधित जानकारी देंगे।

चार्ली चैपलिन का जन्म और प्रारंभिक जीवन

मशहूर हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अप्रैल 1889 में इंग्लैंड के लंदन में हुआ था। बचपन से चार्ली की डांस में रुचि थी इसलिए उन्होंने बचपन से ही डांस करना शुरू कर दिया था। इनके पिता का नाम चार्ल्स चैपलिन सीनियर और इनके पिता बहुत अच्छे गायक और अभिनेता थे। इनकी माता का नाम हैन्ना चैपलिन था। चार्ली की माता पेशे से अभिनेत्री और एक गायिका थी।

इनकी माता प्रसिद्ध मंच ‘लिली हार्ले’ की गायिका और अभिनेत्री थी। इनकी माता ने अपने जीवन में बहुत सफलता हासिल की और अपने काम के माध्यम से ओपरा फ़ील्ड में नाम कमाया। चार्ली ने अपने जीवन में चार बार विवाह किया उनकी कुल चार पत्नियाँ रह चुकी हैं जिनके नाम मिल्ड्रेड हैरिस, लिलिता मैकमुरे, पौलेट्टे गोद्दार्ड और ऊना ओ’नील था। उनको उनकी पत्नियाँ से कुल 11 बच्चे हुए।

चार्ली के माता की मानसिक स्थिति धीरे-धीरे खराब रहने लगी इसलिए उन्होंने अभिनेत्री का काम छोड़ने का सोचा। एक प्रदर्शन में अपने बेटे चार्ली को उन्होंने बड़े-बड़े दिग्गज कलाकारों से मिलवाया। चार्ली की माता ने अपनी आवाज़ एक प्रदर्शन में अचानक से खो दी। इनकी माता ने प्रोडक्शन हाउस से प्रार्थना की और कहा कि उनके स्थान पर उनके बेटे को ले लिया जाए।

तब चार्ली केवल 5 वर्ष के थे। यहाँ से चार्ली ने अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय बाद चार्ली हास्य कलाकार के रुप में जाने जाने लगे। लेकिन चाली की माता का कैरियर पूरी तरह से खत्म हो चुका था और उनकी आवाज़ वापस आना नामुमकिन था। कुछ समय में चार्ली और उनके भाई ने मिलकर लंदन में ही एक घर ले लिया।

चार्ली चैपलिन की सफलता की कहानी

चार्ली ने 1897 में सोचा कि माता की जान पहचान के सहारे उनका काम आगे बढ़ाएंगे और नाम कमाएंगे। लेकिन इन्हें इसमें कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई इसलिए उन्हें अभिनेता बनने का सपना छोड़ना पड़ा। चार्ली ने अपने जीवन मैं कई छोटे काम भी किए। उन्होंने अभी भी अभिनेता बनने की उम्मीद को नहीं छोड़ा था। उनके परिवार में चल रही परेशानियो के कारण केवल 10 साल की उम्र में उन्होंने अपनी शिक्षा को छोड़ दिया। जिसके कारण उन्हें कई आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी और माता बीमार रहने लगी थी जिसके कारण उनके पास कोई नहीं था जो उनकी देखभाल कर सके।

चार्ली को 12 साल की उम्र में ‘लेजिटिमेट मंच’ के कार्यक्रम के माध्यम से नाटक प्रस्तुत करने का अवसर मिला ‘शर्लाक होल्म्स’ में इन्हें विलियम जिल्लेट की मदद से पेज बॉय ‘बिल्ली’ के रुप में प्रस्तुत होने का मौका मिला। वौडेविल्ले कंपनी में इन्होंने सन् 1908 हास्य कलाकार के रुप में अपने करियर की शुरुआत की। चार्ली को सफलता हासिल होने लगी और कुछ समय बाद उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स का ‘फ्रेड कार्नो की प्रतिष्ठित कॉमेडी कंपनी’ का प्रधान अभिनेता का पद प्राप्त हो गया।

हास्य कलाकार के रुप में उन्होंने बहुत नाम कमाया और सफलता हासिल की। अमेरिका में उन्होंने अपनी जान पहचान बनाई और लोगों ने उन्हें बहुत प्यार दिया। इनको फिल्मों के ऑफर भी आने लगे। 1912 में इन्हे मोशन पिक्चर करने का मौका मिला। फिल्मों के करियर की शुरुआत करने से पहले उन्हें वौडेविल्ले कंपनी की जिम्मेदारी को त्यागना पड़ा। इस जिम्मेदारी को त्यागने के पश्चात उन्होंने सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। चार्ली मैक सेनेट नामक फिल्म कंपनी से जुड़े, इन्होंने सिनेमा की दुनिया में भी बहुत नाम कमाया इनकी शुरुआती आय $150 हुआ करती थी।

सन् 1914 में जब चार्ली ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की तब इन्होंने शुरुआत में ही बहुत सफ़लता हासिल की। केवल एक वर्ष में इन्होंने कुल 35 फिल्में की। इन्होंने अपनी एक्टिंग का एक अलग अंदाज़ बनाया जो लोगों को बहुत पसंद आया। शुरूआत में चार्ली ने ‘ट्रंप करके चलने वाला छोटा बच्चा’ नामक एक अनोखे चरित्र में काम किया जो लोगों को बहुत पसंद आया। इन्होंने लाइनअप की टिल्लिस पंकचर्ड रोमांस नामक फिल्म में भी काम किया और यह फ़िल्म पुरी तरह से एक हास्य फिल्म थी। इसके पश्चात चार्ली ने इस्सानय कंपनी के साथ काम किया। इस कंपनी के साथ काम करने के दौरान इन्होंने हर सप्ताह कम से कम $1250 कमाए।

26 वर्ष की उम्र तक आते आते चार्ली एक सुपरस्टार बन चुके थे। वह एक म्यूचुअल कम्पनी से जुड़े और यहाँ उन्होंने प्रति वर्ष $6,70,000 कमाए। धीरे धीरे चार्ली चैपलिन करोड़पति बन गए।

चार्ली चैपलिन के निजी जीवन से संबंधित जानकारी

चार्ली चैपलिन की निज़ी जिंदगी में भी कई गंभीर परेशानियां थी, उन्होंने कई बार शादी की और डायवोर्स लिए। सन् 1918 में इन्होंने 16 साल की उम्र की लड़की मिल्ड्रेड हैरिस से शादी की। परंतु उनकी यह शादी सफल नही हुई। यह शादी केवल 2 वर्ष चली और फिर इनका तलाक हो गया।

इसके पश्चात इन्होंने 16 साल की लड़की लिलिता मैकमुरे से सन् 1924 में शादी की। इन्होंने साथ मिलकर ‘दि गोल्ड रश’ में काम किया। शादी के कुछ समय पश्चात लिलिता मैकमुरे गर्भवती हो गई और उनके दो बच्चे हो गए। लेकिन उनकी शादी ज़्यादा समय तक नहीं चल पाई और उनका तलाक हो गया।

चार्ली ने सन् 1936 पौलेट्टे गोद्दार्ड से विवाह किया। चार्ली के सन् 1942 में जोआन बेरी से प्रेम संबंध थे और इनकी एक बेटी भी थी। लेकीन कुछ समय बाद परीक्षण से पता चलता है कि वह बेटी चार्ली चैपलिन की नहीं है।

इसके पश्चात इन्होंने पौलेट्टे गोद्दार्ड से तलाक लेकर 18 वर्ष की एक लड़की ऊना ओ’नील से विवाह किया। उनकी यह शादी सफल रही और इनके और ऊना ओ’नील के 8 बच्चे हुए।

चार्ली चैपलिन के फिल्मों की सूची

■ द ट्रंप (1915)

■ द इम्मीग्रांट वर्ष (1917)

■ A dog’s life (1918)

■ द किड (1921)

■ द गोल्डन रस (1925)

■ सिटी लाइट वर्ष (1931)

■ द सर्कस (1928)

■ मॉडर्न टाइम (1936)

■ द ग्रेट डायरेक्टर वर्ष (1940)

■ एक किंग इन न्यू यॉर्क (1957)

■ चैप्लिन (1992)

चार्ली चैपलिन की मृत्यु 25 दिसंबर 1977 में हुई।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा  चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय (Biography of Charlie Chaplin In Hindi),  उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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biography of charlie chaplin in hindi

भावना, मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में ग्रैजुएशन कर रही हूँ, मुझे लिखना पसंद है।

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चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय। Charlie Chaplin ki Jivani in Hindi

चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय। Charlie Chaplin ki Jivani in Hindi. दुनिया के सबसे बड़े हास्‍य अभिनेताओं में से एक चार्ली चैपलिन का जन्‍म 16 अप्रैल, 1889 को इंग्‍लैंड के लंदन में हुआ था। उनके पिता का नाम चार्ल्‍स चैपलिन था, जो एक असफल गायक थे। उनकी मां हन्‍नास चैप्लिन छोटी-मोटी अभि‍नेत्री थीं। हन्‍नास को उनके पति ने छोड़ दिया। चैपलिन की मां को बार-बार मानसिक अस्‍पताल ले जाना पड़ता था। चैप्लिन ने अपना बचपन गरीबी में बिताया। जब वह दस साल के थे, तब स्‍कूल छोड़ दिया और एक ट्रेवलिंग शो, ‘वौडेविल्‍ले सर्किट’ से नकल उतारने वाले अभिनेता के रूप में जुड़ गये। जब हम ‘चार्ली चैपलिन’ नाम सुनते हैं, तो हमारे मस्‍तिष्‍क में चमकती हे, द ट्रैम्‍प की इमेज, गंदी और सिलवटदार डिनर ड्रेस एक हैट और चलने में सहायता देने वाली छड़ी। यह परिधान उनका ट्रेडमार्क बन गया।

चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय। C harlie Chaplin ki Jivani in Hindi

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महान हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन.

Last Updated: April 6, 2017 By Gopal Mishra 16 Comments

जर्मनी में जब हिटलर की तानाशाही से सभी खौफजदा थे तब उस दौर में एक कलाकार लोगों में व्याप्त डर को मिटाकर उनमें सुंदर कल्पना को साकार करने निकल पङा था। राह आसान नही थी पर हौसला बुलंद था। गरीबी और बदहाली की

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चार्ली चैप्लिन

भट्टी में पक कर वो कुंदन बना चुका था। जिसकी चमक ने करोङों लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। ऐसे हास्य महानायक का जन्म आज से 125 वर्ष पूर्व हुआ था और आज भी उनकी फिल्में पूरे विश्व को हँसा रही हैं। वो कोई और नहीं बल्कि हम सबका प्रिय हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन है। वर्ष 2014 में पूरी दुनिया चार्ली चैप्लिन की 125वीं जयंती मना रही है। चार्ली ने लोगों को सिखाया कि मखौल को खौफ के खिलाफ बतौर हथियार कैसे इस्तेमाल किया जाता है। चार्ली ने लोगों के दिमाग में घर कर गए डर को मिटाकर उनमें बेहतर भविष्य की उम्मीदें भरी।

ऐसे हास्य महानायक का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। माँ हैना चैप्लिन और पिता चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन, सीनियर म्युजिक हॉल में गाते और अभिनय करते थे। शुरुवात के तीन वर्षों को छोङकर चार्ली का बचपन बहुत ही मुश्किलों से गुजरा था। एक बार जब माँ गाना गा रही थी तभी उसकी आवाज बंद हो गई वो स्टेज पर गाना न गा सकी। बाहर बैठे दर्शक जोर-जोर चिल्लाने लगे, ऐसे में मैनेजर ने लगभग पाँच साल के चार्ली को स्टेज पर खाङा कर दिया। इस प्रकार पहली बार चार्ली दर्शकों से मुखातिब हुआ। उसने अपनी भोली आवाज में माँ के गाने की नकल की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और स्टेज पर सिक्कों की बारिश होने लगी। यही चार्ली की पहली कमाई थी। शायद तभी चार्ली के बाल मन ने हास्य के उस सिद्धान्त को गढ लिया था कि असल में जो बातें दुःख का कारण होती हैं वो नाट्य या फिल्म में हास्य का कारण बनती हैं। यही वजह है कि आगे चलकर चार्ली की फिल्मों में दुःख, दरिद्रता, अकेलापन तथा बेरोजगारी का चित्रण किया गया है।

माता-पिता के अलग हो जाने से चार्ली का बचपन बहुत मुश्किलों में गुजरा। गरीबी और बदहाली की वजह से चार्ली को अपनी माँ और भाई के साथ यतीमखाने में भी रहना पङा था। माँ के पागल हो जाने की वजह से उसे एंव उसके भाई को कोर्ट के आदेशानुसार पिता चार्ल्स स्पेंसर चैप्लिन के साथ रहना पङा, जहाँ उसे सौतीली माँ की प्रताङना भी सहनी पङी। जब पागलखाने से माँ ठीक होकर वापस आई तो जीवन में माँ के लौटने से खुशियाँ वापस आने लगी थी। स्कूल जाना भी नियमित हुआ किन्तु चार्ली का मन पढ़ाई में नही लगता था। चार्ली की अदाकारी को सही आकार जैक्सन से मिलने के बाद मिला। जैक्सन भले आदमी होने के साथ-साथ रंगमंचीय कला के पारखी थे। एक बार उन्होने चार्ली को द ओल्ड क्यूरोसिटी शॉप नाटक में बुढे का रोल करते देखा था, तभी पहचान लिया था कि चार्ली में अभूतपूर्व क्षमता है। रोजगार मिल जाने से चार्ली के जीवन की गाङी थोङी पटरी पर आ गई थी। परंतु अभी भी जीवन मझधार में हिलोरे ले रहा था। रोजमर्रा के जीवन संर्घषों से जूझने के लिये चार्ली तरह-तरह के कामों में किस्मत आजमाता रहा। लेकिन उसके जीवन का लक्ष्य अभिनेता बनना था इसलिये वो नियमित रूप से ब्लैक मोर थियेटर जाता रहता था। वहाँ पर कार्यरत क्लर्क के माध्यम से चार्ली को ई हैमिल्टन से मिलने का मौका मिला, उसके बाद तो चार्ली की जिंदगी का काया-कल्प ही हो गया। चार्ली को पढना नही आता था, तो उसे उसके संवाद रटवाये जाते थे। शरलॉक होम्स नाटक में भूमिका करके चार्ली ने कई महीनो तक धूम मचाई। हालांकी इसके बाद भी कुछ समय तक चार्ली का जीवन गर्दिश में गुजरा। कुछ समय खाली रहने के बाद चार्ली ने फोरेस्टर म्युजिक हॉल में एक ट्रॉयल परफॉर्मेंस की योजना बनाई, हालांकि फोरेस्टर की निराशा के बावजूद कार्नों के पहले ट्रायल शो ने चार्ली के उत्साह को बुलंद किया।

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19 वर्ष की उम्र में चार्ली और उसके भाई की माली हालत अच्छी हो गई थी। चार्ली अपनी ज्यादातर फिल्मों में ट्रैप नामक किरदार का चित्रण करते थे, जो चार्ली का अपना ही अतीत था। दुबले, ठिगने और फटेहाल ट्रैंप की मुफलिसी और बेफिक्री ने फिल्मी दर्शकों को खूब हँसाया। आज भी चार्ली का जादू कायम है। ट्रैप के बहाने चार्ली ने पुराने मानकों को तोङते हुए एक ऐसे सौंदर्यबोध को गढने की कोशिश की जिसमें गरीबी और अभाव में भी खुशमिजाजी है। चार्ली ने अपने जीवन के संघर्षों से एक ऐसा नजरिया हासिल कर लिया था, जिससे वह अपनी फिल्मों में मेहनतकश आवाम की भावनाओं को बुलंदी के साथ जाहिर करता था। चार्ली की सफलता का राज अभिनय की एक अनोखी शैली को विकसित करना था।

चार्ली की पहली बोलती फिल्म द ग्रेट डिक्टेटर में उसका संवाद था, “हैना, जहाँ कहीं भी तुम हो, यहाँ देखो। धूप पसर रही है। अँधियारे से निकलकर हम लोग प्रकाश में आ रहे हैं। हम लोग अपनी नफरत, अपनी हवस और वहशत से ऊपर उठेंगे। देखो हैना! इंसानी रुह को पंख लग गये हैं और आखिरकार उसने उङान भरना शुरु कर दिया है। वह इन्द्रधनुष में उङ रहा है…उम्मीदों के उजाले में…भविष्य की ओर…महान भविष्य की ओर, जो कि तुम्हारा है, मेरा है और हम सबका है।“ चर्ली के ये शब्द भले ही हैना के लिये कहे गये हों, परंतु इन शब्दों को पुरी दुनिया ने बङे ध्यान से सुना था। इतिहास साक्षी है कि, उस दौर में पुरा युरोप आर्थिक महामंदी की तबाही से गुजर रहा था। चारो ओर तानाशाहों का आतंक था। ऐसे में चार्ली के पास हिटलर के नाजीवाद से लङने के लिये हास्य और व्यंग  के हथियार थे। चार्ली ने लोगों को सिखाया कि हास्य को डर के खिलाफ हथियार कैसे बनाया जा सकता है। इस तानाशाही दौर में चार्ली के संवाद, दृश्य और पटकथा, मानवीय हितों की रक्षा की ढाल बनकर सामने आये।

चार्ली के जीवन में एक ऐसा दौरा भी आया जब वह सभाओं-गोष्ठियों में वामपंथी पक्ष लेते हुए दिखता था। प्रेस ने चार्ली पर रूसी एंजेंट होने का आरोप मढा। चार्ली के जीवन में दस सालों का एक ऐसा कालखंड रहा, जिसमें अमेरिकी सरकार और मिडिया हमेशा चार्ली के लिये आफत का कारण रही। चार्ली की फिल्म लाइमलाइट 1952 में रिलीज हुई लेकिन उसे अमेरीका में प्रतिबंधित कर दिया गया। अमेरिका से चार्ली को बहुत लगाव था इसिलिये वह अपने वतन इंग्लैंड से भी दूर गया किन्तु अमेरिका की बेरुखी ने उसे अंदर तक हिला दिया था। उसकी पत्नी ऊना ओनिल ने भी अमेरिका की नागरिकता को छोङ दिया और चार्ली के साथ लंदन चली आई परंतु वहाँ सही घर न मिलने की वजह से वे लोग स्विट्जर लैंड में जाकर रहने लगे। यहीं पर चार्ली की मुलाकात जवाहरलाल नेहरु और इंदिरा गाँधी से हुई थी। उस समय नेहरु जी भारत के प्रधानमंत्री थे।

चार्ली ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह गाँधी जी की राजनीतिक स्पष्टवादिता और मजबूत मनोबल का सदा कायल रहा। एक बार चर्चिल से मुलाकात के दौरान चार्ली ने गाँधी जी से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। संजोगवश उस समय गाँधी जी गोलमेज सम्मेलन हेतु लंदन में ही थे। लंदन में गाँधी जी से चार्ली की मुलाकात बहुत रोमांचक रही। गाँधी जी झोपङ-पट्टी इलाके में डेरा डाले हुए थे, चार्ली उनसे मिलने वहीं पहुँचे। मुलाकात के दौरान भारत में आजादी के लिये हो रहे आंदोलनो पर चार्ली ने गाँधी जी से अपने नैतिक सर्मथन को स्पष्ट किया। साक्ष्य बताते हैं कि दोनो के बीच काफी देर तक राजनितिक विषय पर बातचीत चली। ये वाक्या 1931 का है, इसी दौरान चार्ली की मुलाकात बर्नार्ड शॉ, एच.जी.वेल्स, श्रीमती एस्टर और प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड से भी हुई। 1931 में चार्ली दस वर्षों बाद अपने वतन लंदन आया था, अवसर था सिटी लाइट फिल्म का मुहर्त शो इस उपलक्ष्य पर उसका भव्य स्वागत हुआ था।

चार्ली को जीवन में अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। 1929 में अकादमी मानद पुरस्कार द सर्कस के लिये दिया गया। 1972 में लाइफ टाइम अकादमी पुरस्कार से अलंकृत किया गया। 1952 में सर्वोत्तम ओरिजनल म्युजिक स्कोर पुरस्कार लाइमलाइट के लिये प्राप्त हुआ। 1940 में द ग्रेट डिक्टेटर में किये अभिनय के लिये सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार, न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक सर्कल अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1972 में करिअर गोल्डन लायन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

चार्ली की प्रसिद्धी का आलम ये है कि, वर्ष 1995 में ऑस्कर अवार्ड के दौरान द गार्जियन अखबार ने एक सर्वेक्षण करके ये जानना चाहा कि फिल्म समिक्षकों और दर्शकों का सबसे पसंदीदा हीरो कौन है, तो सर्वे रिपोर्ट देखकर आश्चर्य हुआ कि, चार्ली की मृत्यु के दो दशक बाद भी चार्ली अधिकतर लोगों के पसंदीदा हीरो थे। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि चार्ली आज भी लगभग सभी के दिलों में बसते हैं, उनके अभिनय से आज की पीढी भी आंनदित होती है। आज भी कई कलाकार उनके अभिनय की नकल करते हैं।

चार्ली चैप्लिन का जीवन एक ऐसी कहानी है जो दर्द के साये में भी हास्य का सबक सिखाती है। 1977 में जब दुनिया 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार हर्ष उल्लास के साथ मना रही थी, उसी दिन हास्य का महानायक चार्ली चैप्लिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया । आज भले ही चार्ली इस दुनिया में न हो परंतु उनका अभिनय आज भी कई उदास चेहरे पर मुस्कराहट ला देता है। उन्होने अपने जीवन के आधार पर बहुत ही सार्थक और सटिक संदेश दुनिया को दिया। उनका कहना था कि,

“My pain may be the reason for somebody’s laugh. But my laugh must never be the reason for somebody’s pain. “

“मेरा दर्द किसी के लिए हंसने की वजह हो सकता है। पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द की वजह नहीं होनी चाहिए। “

फिल्मी हास्य और प्रहसन की दुनिया के इस सिरमौर ने हास्य का ऐसा स्वरूप रचा, जिसमें विनोद के साथ-साथ संवेदनशीलता, विचार, व्यंग्य और क्रूर व्यवस्था पर प्रहार भी था। चार्ली चैप्लीन हास्य की दुनिया के इकलौते ध्रुवतारा हैं जिसका कोई विकल्प नही है।

अनिता शर्मा

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  • आत्मनिर्भर बनने की इच्छा को दृष्टीबाधिता भी रोक न सकी…..
  • बेटी है तो कल है
  • अंगदान जीवन दान

  ——————- चार्ली चैपलिन के अनमोल विचार   ———————

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Charlie Chaplin

Charlie Chaplin

(1889-1977)

Who Was Charlie Chaplin?

Charlie Chaplin worked with a children's dance troupe before making his mark on the big screen. His character "The Tramp" relied on pantomime and quirky movements to become an iconic figure of the silent-film era. Chaplin went on to become a director, making films such as City Lights and Modern Times , and co-founded the United Artists Corporation.

Famous for his character "The Tramp," the sweet little man with a bowler hat, mustache and cane, Charlie Chaplin was an iconic figure of the silent-film era and was one of film's first superstars, elevating the industry in a way few could have ever imagined.

Born Charles Spencer Chaplin in London, England, on April 16, 1889, Chaplin's rise to fame is a true rags-to-riches story. His father, a notorious drinker, abandoned Chaplin, his mother and his older half-brother, Sydney, not long after Chaplin's birth. That left Chaplin and his brother in the hands of their mother, a vaudevillian and music hall singer who went by the stage name Lily Harley.

Chaplin's mother, who would later suffer severe mental issues and have to be committed to an asylum, was able to support her family for a few years. But in a performance that would introduce her youngest boy to the spotlight, Hannah inexplicably lost her voice in the middle of a show, prompting the production manager to push the five-year-old Chaplin, whom he'd heard sing, onto the stage to replace her.

Chaplin lit up the audience, wowing them with his natural presence and comedic angle (at one point he imitated his mother's cracking voice). But the episode meant the end for Hannah. Her singing voice never returned, and she eventually ran out of money. For a time, Chaplin and Sydney had to make a new, temporary home for themselves in London's tough workhouses.

Early Career

Armed with his mother's love of the stage, Chaplin was determined to make it in show business himself, and in 1897, using his mother's contacts, he landed with a clog-dancing troupe named the Eight Lancashire Lads. It was a short stint, and not a terribly profitable one, forcing the go-getter Chaplin to make ends meet any way he could.

"I (was) newsvendor, printer, toymaker, doctor's boy, etc., but during these occupational digressions, I never lost sight of my ultimate aim to become an actor," Chaplin later recounted. "So, between jobs I would polish my shoes, brush my clothes, put on a clean collar and make periodic calls at a theatrical agency."

Eventually, other stage work did come his way. Chaplin made his acting debut as a pageboy in a production of Sherlock Holmes . From there, he toured with a vaudeville outfit named Casey's Court Circus and in 1908 teamed up with the Fred Karno pantomime troupe, where Chaplin became one of its stars as the Drunk in the comedic sketch A Night in an English Music Hall .

With the Karno troupe, Chaplin got his first taste of the United States, where he caught the eye of film producer Mack Sennett, who signed Chaplin to a contract for a $150 a week.

Film Career

In 1914, Chaplin made his film debut in a somewhat forgettable one-reeler called Make a Living . To differentiate himself from the clad of other actors in Sennett films, Chaplin decided to play a single identifiable character, and "The Little Tramp" was born, with audiences getting their first taste of him in Kid Auto Races at Venice (1914).

Over the next year, Chaplin appeared in 35 movies, a lineup that included Tillie's Punctured Romance , film's first full-length comedy. In 1915, Chaplin left Sennett to join the Essanay Company, which agreed to pay him $1,250 a week. It is with Essanay that Chaplin, who by this time had hired his brother Sydney to be his business manager, rose to stardom.

During his first year with the company, Chaplin made 14 films, including The Tramp (1915). Generally regarded as the actor's first classic, the story establishes Chaplin's character as the unexpected hero when he saves the farmer's daughter from a gang of robbers.

By the age of 26, Chaplin, just three years removed from his vaudeville days, was a superstar. He'd moved over to the Mutual Company, which paid him a whopping $670,000 a year. The money made Chaplin a wealthy man, but it didn't seem to derail his artistic drive. With Mutual, he made some of his best work, including One A.M. (1916), The Rink (1916), The Vagabond (1916) and Easy Street (1917).

Through his work, Chaplin came to be known as a grueling perfectionist. His love for experimentation often meant countless takes, and it was not uncommon for him to order the rebuilding of an entire set. Nor was it uncommon for him to begin filming with one leading actor, realize he'd made a mistake in his casting and start again with someone new.

But the results were hard to refute. During the 1920s Chaplin's career blossomed even more. During the decade he made some landmark films, including The Kid (1921), The Pilgrim (1923), A Woman in Paris (1923), The Gold Rush (1925), a movie Chaplin would later say he wanted to be remembered by, and The Circus (1928). The latter three were released by United Artists, a company Chaplin co-founded in 1919 with Douglas Fairbanks, Mary Pickford, and D.W. Griffith.

Later Films

Chaplin kept creating interesting and engaging films in the 1930s. In 1931, he released City Lights , a critical and commercial success that incorporated music Chaplin scored himself.

More acclaim came with Modern Times (1936), a biting commentary about the state of the world's economic and political infrastructures. The film, which did incorporate sound, was, in part, the result of an 18-month world tour Chaplin had taken between 1931 and 1932, a trip during which he'd witnessed severe economic angst and a sharp rise in nationalism in Europe and elsewhere.

But Chaplin was not universally embraced. His romantic liaisons led to his rebuke by some women's groups, which in turn led to him being barred from entering some U.S. states. As the Cold War age settled into existence, Chaplin didn't withhold his fire from injustices he saw taking place in the name of fighting Communism in his adopted country of the United States.

Chaplin soon became a target of the right-wing conservatives. Representative John E. Rankin of Mississippi pushed for his deportation. In 1952, the Attorney General of the United States obliged when he announced that Chaplin, who was sailing to Britain on vacation, would not permit him to return to the United States unless he could prove "moral worth." The incensed Chaplin said good-bye to the United States and took up residence on a small farm in Corsier-sur-Vevey, Switzerland.

Final Years and Death

Nearing the end of his life, Chaplin did make one last visit to the United States in 1972, when he was given an honorary Academy Award. The trip came just five years after Chaplin's final film, A Countess from Hong Kong (1967), the filmmaker's first and only color movie. Despite a cast that included Sophia Loren and Marlon Brando , the film did poorly at the box office. In 1975, Chaplin received further recognition when he was knighted by Queen Elizabeth II .

In the early morning hours of December 25, 1977, Chaplin died at his home in Corsier-sur-Vevey, Vaud, Switzerland. His wife, Oona, and seven of his children were at his bedside at the time of his passing. In a twist that might very well have come out of one of his films, Chaplin's body was stolen not long after he was buried from his grave near Lake Geneva in Switzerland by two men who demanded $400,000 for its return. The men were arrested and Chaplin's body was recovered 11 weeks later.

Wives and Children

Chaplin became equally famous for his life off-screen. His affairs with actresses who had roles in his movies were numerous. Some, however, ended better than others.

In 1918, he quickly married 16-year-old Mildred Harris. The marriage lasted just two years, and in 1924 he wed again, to another 16-year-old, actress Lita Grey, whom he'd cast in The Gold Rush . The marriage had been brought on by an unplanned pregnancy, and the resulting union, which produced two sons for Chaplin (Charles Jr. and Sydney) was an unhappy one for both partners. They divorced in 1927.

In 1936, Chaplin married again, this time to a chorus girl who went by the film name of Paulette Goddard. They lasted until 1942. That was followed by a nasty paternity suit with another actress, Joan Barry, in which tests proved Chaplin was not the father of her daughter, but a jury still ordered him to pay child support.

In 1943, Chaplin married 18-year-old Oona O'Neill, the daughter of playwright Eugene O'Neill. Unexpectedly the two would go on to have a happy marriage, one that would result in eight children.

QUICK FACTS

  • Name: Charlie Chaplin
  • Birth Year: 1889
  • Birth date: April 16, 1889
  • Birth City: London, England
  • Birth Country: United Kingdom
  • Gender: Male
  • Best Known For: Charlie Chaplin was a comedic British actor who became one of the biggest stars of the 20th century's silent-film era.
  • Astrological Sign: Aries
  • Death Year: 1977
  • Death date: December 25, 1977
  • Death City: Corsier-sur-Vevey, Vaud
  • Death Country: Switzerland

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CITATION INFORMATION

  • Article Title: Charlie Chaplin Biography
  • Author: Biography.com Editors
  • Website Name: The Biography.com website
  • Url: https://www.biography.com/actors/charlie-chaplin
  • Access Date:
  • Publisher: A&E; Television Networks
  • Last Updated: May 5, 2021
  • Original Published Date: April 3, 2014
  • I want to see the return of decency and kindness. I'm just a human being who wants to see this country a real democracy.
  • I am for people. I can't help it.
  • The Zulus know Chaplin better than Arkansas knows Garbo.
  • The saddest thing I can imagine is to get used to luxury.
  • All I need to make a comedy is a park, a policeman and a pretty girl.
  • I remain just one thing, and one thing only—and that is a clown. It places me on a far higher plane than any politician.
  • I am known in parts of the world by people who have never heard of Jesus Christ.
  • I went into the business for the money, and the art grew out of it.
  • The summation of my character is that I care about my work. I care about everything I do. If I could do something else better, I would do it, but I can't.
  • I've always related to a sort of a comic spirit, something within me, that said, I must express this. This is funny.
  • Cruelty is a basic element in comedy. What appears to be sane is really insane, and if you can make that poignant enough they love it.
  • I don't think one can do humor without having great pity and a sense of sympathy for one's fellow man.
  • I think life is a very wonderful thing, and must be lived under all circumstances, even in misery.
  • All my pictures are built around the idea of getting in trouble and so giving me the chance to be desperately serious in my attempt to appear as a normal little gentleman.
  • Failure is unimportant. It takes courage to make a fool of yourself.
  • Life is a tragedy when seen in close-up, but a comedy in long-shot.
  • A day without laughter is a wasted day.

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    चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) का जन्म 16 अप्रैल 1869 को लंदन में हुआ था। इनके पिता " चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन " और मां " हीना चैपलिन " सीनियर ...

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    चार्ली चैपलिन का जन्म और प्रारंभिक जीवन Charlie Chaplin Birth & Early Life in Hindi. 16 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड की राजधानी लंदन में चार्ली चैपलिन का जन्म हुआ था ...

  6. Charlie Chaplin Biography in Hindi

    चार्ली चैपलिन का प्रारंभिक जीवन. चार्ली चैंपियन का जन्म लंदन में 16 अप्रैल 1889 को हुआ था। इनकी माता का नाम हैना चैप्लिन और पिता का नाम ...

  7. Charlie Chaplin Biography In Hindi

    Charlie Chaplin Biography In Hindi -. Real Name (पूरा नाम) चार्ली स्पेंसर चैपलिन. Nick name (उपनाम) चार्ली. Date of birth (जन्म तिथि) 16 अप्रैल 1889. Birth Place (जन्मस्थान) लंदन (इंग्लैंड)

  8. चार्ली चैप्लिन जीवनी

    प्रारंभिक जीवन : चार्ली चैप्लिनजन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ ...

  9. Charlie Chaplin Biography: चार्ली चैपलिन की 132वीं जयंती पर जानें उनकी

    Charlie Chaplin Biography. गोल टोपी, मूंछ और एक बेंत के सहारे एक ऐसा शख्स जिसने दुनिया को एक ...

  10. Charlie Chaplin Biography

    Gk Skill की इस पोस्ट में चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin ) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित ...

  11. Charlie Chaplin Biography in Hindi

    Charlie Chaplin का जन्म 16 अप्रैल, 1889 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम चार्ली चैप्लिन सीनियर (Charles Chaplin Sr.) और माँ का नाम हाना हॉल (Hannah Hall) था ...

  12. Charlie Chaplin Biography in Hindi

    ब्रूस ली की जीवनी. तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय (Biography of Charlie Chaplin In Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा ...

  13. चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय। Charlie Chaplin ki Jivani in Hindi

    SHARE: Admin. चार्ली चैपलिन का जीवन परिचय। Charlie Chaplin ki Jivani in Hindi. दुनिया के सबसे बड़े हास्‍य अभिनेताओं में से एक चार्ली चैपलिन का जन्‍म 16 अप्रैल, 1889 को ...

  14. Charlie Chaplin Life Essay Biography In Hindi चार्ली चैप्लिन

    चार्ली चैप्लिन जीवनी निबंध आत्मकथा .Charlie Chaplin Life Essay Biography In Hindi . इस हास्य महानायक का जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ था। माँ हैना चैप्लिन...

  15. Charlie Chaplin

    Sir Charles Spencer Chaplin KBE (16 April 1889 - 25 December 1977) was an English comic actor, filmmaker, and composer who rose to fame in the era of silent film.He became a worldwide icon through his screen persona, the Tramp, and is considered one of the film industry's most important figures.His career spanned more than 75 years, from childhood in the Victorian era until a year before his ...

  16. Charlie Chaplin Biography in hindi

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  17. चार्ली चैपलिन : : ऑस्कर्स में चार्ली के लिए 12 मिनट बजीं तालियां

    चार्ली चैपलिन : ऑस्कर्स में चार्ली के लिए12 मिनट बजीं तालियां Charlie Chaplin Biography in Hindi ...

  18. Charlie Chaplin की वो कहानी जो ...

    Video Title : Charlie Chaplin की वो कहानी जो किसी को नहीं पता ? | Real Story Of Charlie ChaplinLanguage : Hindi Disclaimer ☛ The objective of this ...

  19. Charlie Chaplin Biography in Hindi

    चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन (Charlie Chaplin) का जन्म 16 अप्रैल 1889 लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता एक बहुमुखी गायक और अभिनेता थे; और लिली हार्ले के मंच नाम के तहत ...

  20. Charlie Chaplin

    Charlie Chaplin, British comedian, producer, writer, director, and composer who is widely regarded as the greatest comic artist of the screen and one of the most important figures in motion-picture history. He is known for films such as The Gold Rush (1925), City Lights (1931), and Modern Times (1936).

  21. Charlie Chaplin

    During the 1920s Chaplin's career blossomed even more. During the decade he made some landmark films, including The Kid (1921), The Pilgrim (1923), A Woman in Paris (1923), The Gold Rush (1925), a ...

  22. Charlie Chaplin Biography Documentary in Hindi ...

    a complete biography in an interesting way... special program History Live. Anchor Dr. Praveen Tiwari Producer Ravi Awasthi #Charlie_Chaplin #Comedy #Biograp...

  23. Charlie Chaplin Life Story in Hindi

    Some how Charlie got some small roles in theater plays and because of his hard work and natural talent he became a great actor. Sir Charles Spencer Chaplin KBE (16 April 1889 - 25 December 1977) was an English comic actor, filmmaker, and composer who rose to fame in the era of silent film. He became a worldwide icon through his screen persona ...