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pradushan rahit diwali essay in hindi

इको फ्रेंडली बनें और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएं – Eco Friendly Diwali Essay in Hindi

प्रदूषण मुक्त दिवाली पर निबंध | essay on eco friendly diwali in hindi | प्रदूषण रहित दिवाली पर निबंध .

Eco Friendly Diwali in Hindi - Essay

Pollution free diwali essay in hindi | Diwali without crackers essay in hindi | Eco Friendly Diwali Essay in Hindi

Eco Friendly Diwali in Hindi – पांच दिवसीय पर्व दिवाली भारत में बहुत ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन ज्योति के महासागर में पूरा देश अनेक असंख्य दीपकों और लड़ियों से जगमगाता है। इस अवसर पर लोग अपनी खुशियों का इजहार पटाखों से भी करते है। लेकिन इन पटाखों से कितना प्रदूषण फैलता है क्या आप को पता है ? इतना ही नहीं पटाखों की वजह से अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। पटाखों के विषैले धुएँ से मरीजों को सबसे अधिक दिक्कत होती है। इसके अलावा आम दिनों में जितना प्रदुषण कई महीनों में होता है उतना प्रदूषण दीवाली के दिन होता है। 

कुछ लोगो का ये भी कहना होता है कि पटाखों के अलावा और अन्य कई ऐसी चीजें भी है जिसने प्रदूषण फैलता है। हाँ आप की बात बिल्कुल सही है, बेशक सिर्फ पटाखों से प्रदूषण नहीं फैलता, लेकिन हर साल दीपावली से पहले कई वजहों से प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि उस पर अंकुश लगाना आवश्यक हो जाता है। यानि हमारी प्रकृति, पर्यावरण और मानव इस स्थिति में नहीं हैं कि ये बढ़ते प्रदूषण का दबाव सह सके।

वर्तमान में पटाखों के दाम भी आसमान छू रहे हैं जो हमारे monthly budget को भी हिला देता है। जो पटाखे आज से 10 साल पहले 10 रुपए में मिल जाते थे उनके दाम अब 70 से 80 रुपए तक पहुँच गए है। आज से 10 साल पहले जो लोग झोले भर – भर के पटाखे फोड़ते थे  उनको भी इस महंगाई के दौर में कुछ डिब्बों से ही संतोष करना पड़ता है।

यह भी बात बिल्कुल सही है कि पटाखों को फोड़ने से जितना नुकसान होता है उससे कही ज्यादा इसे न फोड़ने से लाभ होता है। इसलिए जिस प्रकार रौशनी का पर्याय दीपक अपना सर्वस्व जलाकर, अपने प्राणों को बिखेरकर, पुरे आशा तथा उमंग के साथ जलता है वैसे ही क्यों न हम लोग भी थोड़ी सूझ – बूझ के साथ इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने की ज्योति जलाए।  यह काम मुश्किल नहीं है आप थोड़ी सूझ बूझ और समझदारी से प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने की कोशिश कर, दिवाली की खुशियों को दोगुनी कर सकते है।

चूकी दिवाली रौशनी का त्यौहार है इसलिए सबसे अच्छा विकल्प यह हो सकता है कि पटाखे न ही खरीदे। पटाखे न खरीदने का फैसला आपका जेब खर्च बचाने के साथ – साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी आपका योगदान होगा। पर कभी – कभी परिवार की खुशी के लिए या बच्चों के जिद करने पर पटाखे खरीदने पड़ जाते है। लेकिन कुछ ऐसे भी तरीके है जिन्हें अपनाकर पटाखों (Crackers) पर होने वाले खर्चो को बचाकर दिवाली का आन्दोत्सव पर्व मनाया जा सकता है।

तो आयिए जानते है कि पैसे बचाकर कैसे मनाएं खुशियों से भरपूर इको फ्रेंडली दिवाली – 5 Ways To Become Eco Friendly (Pradushan Rahit Diwali) & Save Money this Diwali In Hindi 

अपनी जरूरत को समझें 

आखिरी समय में करें खरीदारी , सामूहिक रूप से पटाखे जलाए , दूसरों को पटाखे जलाते हुए देख हो आनन्दित .

Pradushan Mukt Diwali Par Nibnadh

हर इंसान की आर्थिक स्थिति एक समान नहीं होती है। किसी के पास पटाखों को खरीदने के लिए पैसे होते है लेकिन समय नहीं होता तो कहीं किसी के पास समय होता है तो पैसा नहीं होता है। लेकिन समझदारी तो यही है कि कोई भी अपनी मेहनत की कमाई को बर्बाद नहीं  करना चाहेगा।

इसलिए आप चाहे पटाखे खरीद सके या न खरीद से पर जेब बचत का एक अच्छा तरीका हो सकता है कि आप दूसरों को पटाखे जलाते हुए भी तो देखकर आनंदित हो सकते है। उसके लिए आपको कोई नहीं रोक सकता है। कुछ पटाखे तो ऐसे होते है जो ऊपर आसमान में जगमगाते है और सभी के मन को मोहने वाले होते है।

अवैध आतिशबाजी से बचे 

Pradushan Mukt Diwali Essay-Nibnadh

Diwali में कुछ सावधानियां :

  • पटाखों को किसी खुली जगह पर ही जलाएं।
  • पटाखों को दूर से ही जलाए। बेहतर होगा कि किसी लम्बे डंडे में मोमबत्ती या अगरबत्ती बांध कर पटाखों को जलाएं।
  • बच्चो को अकेले पटाखे न जलाने दे।
  • किसी अकस्मात घटना के समय उपयोग करने हेतु 2-3 बाल्टी पानी का इन्तेजाम रखे।

विनम्र निवदेन –

माँ पर 10 लाइन Click Here दशहरे पर 10 लाइन Click Here

होली पर निबंध Click Here दशहरा पर निबंध Click Here दिवाली पर निबंध Click Here वसंत पंचमी पर निबंध Click Here

आशा करती हूँ कि ये निबंध छोटे और बड़े सभी स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। अगर आपके पास इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो वो भी आमंत्रित हैं। आप अपने सुझाव को इस लिंक   Facebook Page के जरिये भी हमसे साझा कर सकते है. और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं.

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One thought on “ इको फ्रेंडली बनें और प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएं – Eco Friendly Diwali Essay in Hindi ”

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दीपावली पर निबंध – Diwali Essay In Hindi

pradushan rahit diwali essay in hindi

Essay On Diwali In Points

1. दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। 2. हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार दीपावली का त्यौहार श्री राम भगवान, सीता माता और लक्ष्मण के 14 वर्ष 2 महीने के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। 3. दीपावली का त्योहार अक्टूबर या नवम्बर के महीने में कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। 4. इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं इसलिए इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। दीपावली को तद्भव भाषा में दीवाली भी कहा जाता है। 5. इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था इसी वजह से दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है और घर में धन-धान और एश्वर्य की कामना की जाती है।। 6. दीपावली की तैयारियां लोग दशहरे से ही करने लग जाते हैं। दीपावली से पहले सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर की लिपाई-पुताई करवाते हैं। 7. दीपावली के अवसर पर लोग अपने लिए नए कपड़े, मोमबत्तियां, खिलौने, पटाखे, मिठाईयां, रंगोली बनाने के लिए रंग और घरों को सजाने के लिए बहुत सामान खरीदते हैं। 8. इस शुभ अवसर पर, बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। बाजारों में खूब चहल पहल होती है। 9. इस दिन लोग अपने ईष्ट बन्धुओं और मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृदधि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएं नए कपड़े पहनकर मिठाईयां बांटते हैं। 10. बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। 11. यह त्यौहार नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी काम और व्यवहार से किसी को भी दुःख न पहुंचे तभी दीपावली का त्यौहार मनाना सार्थक होगा।

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Essay On Diwali In Details

भारत को त्यौहारों का देश माना जाता है। भारत के प्रमुख त्यौहार होली, रक्षाबंधन, दशहरा और दीपावली हैं पर इन सभी त्यौहारों में दीपावली सबसे अधिक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार दीपों का पर्व है। जब हम अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश प्रज्ज्वलित करते हैं तो हमें एक असीम और आलौकिक आनन्द का अनुभव होता है। दीपावली भी ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक है।

इस दिन दीप जलाये जाते हैं इसलिए इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। दीपावली को तद्भव भाषा में दीवाली भी कहा जाता है। दीपावली को हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। दीपावली को लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है।

दीपावली का त्यौहार पांच दिन तक मनाया जाता है। दशहरे के त्यौहार के बाद से ही दीपावली की तैयारियां की जाने लगती हैं। जो लोग नौकरियां करते हैं उन्हें दीपावली का पर्व मनाने के लिए कुछ दिनों की छुट्टियाँ भी दी जाती हैं ताकि वे अपने परिवार के साथ खुशी से दीपावली मना सकें।

दीपावली को अक्टूबर या नवम्बर के महीने में मनाया जाता है।  इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीपों की पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं ऐसा लगता है मानो रात दिन में बदल गयी हो।

दीपावली का अर्थ

दीपावली शब्द संस्कृत से लिया गया है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना होता है दीप और आवली जिसका अर्थ होता है दीपों से सजा। दीपावली को रोशनी का त्यौहार और दीपोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन चारों और दीपों की रोशनी होती है। इस दिन हम सभी दीपों की पंक्ति बनाकर अंधकार को मिटाने में जुट जाते हैं और अमावस्या की अँधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है।

दीपावली का यह पावन पर्व कार्तिक मांस की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। गर्मी और वर्षा ऋतू को विदा कर शीत ऋतू के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है। उसके बाद शीत के चन्द्र की कमनीय कलाएं सबके चित्त-चकोर को हर्ष विभोर कर देती है। शरद पूर्णिमा को ही भगवान कृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

दीपावली का इतिहास

जब भगवान श्री राम लंकापति रावण को मारकर और चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर प्रसन्नता प्रकट करने के लिए और उनका स्वागत करने के लिए दीपक जलाए थे। उसी दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है।

इस दिन के अवसर पर भगवान राम की स्मृति बिलकुल ताजा हो जाती है। इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था इसी वजह से दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है और घर में धन-धान और एश्वर्य की कामना की जाती है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी किया था।

दीपावली की तैयारियां

दीपावली की तैयारियां लोग दशहरे से ही करने लग जाते हैं। दीपावली से पहले सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर की लिपाई-पुताई करवाते हैं। दीपावली के अवसर पर लोग अपने लिए नए कपड़े, मोमबत्तियां, खिलौने, पटाखे, मिठाईयां, रंगोली बनाने के लिए रंग और घरों को सजाने के लिए बहुत सामान खरीदते हैं।

दीपावली के दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाईयां बनाई जाती हैं। घरों को सजाने के लिए बिजली से जलने वाली झालर लगाई जाती है। दीपावली भारत का सबसे अधिक प्रसन्नता और मनोरंजन का पर्व है। इस दिन बच्चों से लेकर बूढों तक में खुशी की लहर उत्पन्न हो उठती है।

आतिशबाजी और पटाखों की आवाज से सारा आकाश गूंज उठता है। लोग शरद ऋतू के आरम्भ में घरों की लिपाई पुताई करवाते हैं तथा कमरों को चित्रों से सजवाते हैं। अच्छी तरह से साफ-सफाई करने की वजह से मक्खी-मच्छर भी दूर हो जाते हैं।

दीपावली पर्व का महत्व

दीपावली का भारत देश में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को बहुत ही सुंदर और बड़े पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है।

हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार दीपावली का त्यौहार श्री राम भगवान, सीता माता और लक्ष्मण के 14 वर्ष 2 महीने के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। भारत के कुछ क्षेत्रों में महाकाव्य महाभारत के अनुसार दीपावली त्यौहार को पांडवों के 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद लौटने की खुशी में भी मनाया जाता है।

ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन देवी-देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन करते समय माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। भारत के कुछ पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में नव हिंदी वर्ष के रूप में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है।

दीपावली का वर्णन

दीपावली त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दीपावली से तीन दिन पहले धनतेरस आती है इस दिन अहोई माता का पूजन किया जाता है। इस दिन के अवसर पर लोग पुराने बर्तनों को बेचते हैं और नए बर्तनों को खरीदते हैं।

सभी बर्तनों की दुकानें बर्तनों से बहुत ही अनोखी दिखाई देती है। चतुर्दशी के दिन लोग घरों के कूड़े-करकट को बाहर निकालते हैं। कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। धनतेरस के दिन व्यापारी अपने नए बहीखाते बनाते हैं।

अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। पूजा में खील-बताशे का प्रसाद चढाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियाँ मन को मोह लेती हैं।

दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएँ दी जाती हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेदभाव भूलकर आपस में मिलकर इस त्यौहार को मनाते हैं।

महापुरुषों का निर्वाण दिवस

दीपावली के दिन ही जैनियों के तीर्थकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसी वजह से यह दिन जैन भाईयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्वामी दयानन्द और स्वामी रामतीर्थ भी इसी दिन निर्वाह को प्राप्त हुए थे। ऋषि निर्वाणोत्सव का दिन आर्य समाजी भाईयों के लिए विशेष महत्व रखता है। सिक्ख भाई भी दीपावली को बड़े समारोह के साथ मनाते हैं। इस प्रकार यह दिन धार्मिक दृष्टि से बड़ा पवित्र होता है।

लक्ष्मी पूजन

यह पर्व शुरू में महालक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता था। कार्तिक अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन में महालक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। आज भी इस दिन घरों में महालक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।

इस दिन लोग अपने ईष्ट बन्धुओं और मित्रों को बधाई देते हैं और नूतन वर्ष में सुख-समृदधि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएं नए कपड़े पहनकर मिठाईयां बांटते हैं। रात के समय में आतिशबाजी चलाते हैं। बहुत से लोग रात के समय लक्ष्मी पूजन भी करते हैं। कहीं-कहीं पर दुर्गा सप्तमी का पाठ किया जाता है। जो लोग तामसिक वृत्ति के होते हैं वे जुआ खेलकर बुद्धि नष्ट करते हैं।

स्वच्छता का प्रतीक

दीपावली जहाँ पर अंत:करण के ज्ञान का प्रतीक है वहीं पर बाह्य स्वच्छता का भी प्रतीक है। घरों में मच्छर, खटमल, पिस्सू आदि धीरे-धीरे अपना घर बना लेते हैं। मकड़ी के जाले लग जाते हैं इसीलिए दीपावली से कई दिन पहले से ही घरों की सफाई, लिपाई, पुताई और सफेदी होने लग जाती है। सारे घर को चमकाकर स्वच्छ किया जाता है। लोग अपनी परिस्थिति के अनुकूल घरों को सजाते हैं।

किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर बने त्यौहार में भी कालान्तर में विकार पैदा हो जाते हैं। जिस लक्ष्मी की पूजा लोग धन-धान्य की प्राप्ति हेतु बड़ी श्रद्धा से करते थे उनकी पूजा बहुत से लोग जुआ खेलने के लिए भी करते हैं। जुआ खेलना एक प्रथा बन गयी है जो समाज व पावन पर्वों के लिए एक कलंक के समान है।

इसके अलावा आधुनिक युग में बम्ब पटाखों से हुए कई दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। आज के समय में पुरे भारत में पटाखों का प्रयोग बहुत ही जोर-शोर से होता है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन भारत के प्रदुषण की मात्रा 50% बढ़ जाती है। पटाखों का उपयोग करके हम थोड़ी देर के मजे के लिए अपने पर्यावरण को बहुत हद तक बर्बाद कर देते हैं।

आतिशबाजी हमारे शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए बहुत ही हानिकारक होती है। दीपावली में पटाखों का प्रयोग करके हम भारतीय केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का प्रदुषण बढ़ाते हैं। पटाखों के कारण ऐसे बहुत से हादसे होते हैं जिनका शिकार बच्चे से लेकर बड़े तक हो जाते हैं।

पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा और कई प्रकार की अन्य बीमारियाँ हो जाती हैं। पटाखों की वजह से सभी तरह का प्रदुषण होता है जैसे – धुएं के कारण वायु प्रदुषण, पटाखों की आवाज के कारण ध्वनि प्रदुषण, जहरीले पदार्थ धरती पर गिर जाने से भूमि प्रदुषण, पटाखों का जहरीला पदार्थ पानी में मिल जाने की वजह से जल प्रदुषण आदि।

दीपावली हमारा धार्मिक त्यौहार है। दीपावली का पर्व सभी पर्वों में एक विशिष्ट स्थान रखता है। हमें अपने पर्वों की परम्पराओं को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए। परम्पराओं से हमें उसके आरम्भ और उसके उद्देश्य को याद करने में आसानी होती है।

परम्पराएँ हमें उस पर्व के आदिकाल में पहुंचा देती हैं जहाँ पर हमें अपनी आदिकालीन संस्कृति का ज्ञान होता है। आज हम अपने त्यौहारों को भी आधुनिक सभ्यता का रंग देकर मनाते हैं लेकिन हमें उसके आदि स्वरूप को बिगाड़ना नहीं चाहिए। इसे हमेशा यथोचित रीति से मनाना चाहिए।

जुआ और शराब का सेवन बहुत ही बुरा होता है हमें सदैव इससे बचना चाहिए। आतिशबाजी पर अधिक व्यय नहीं करना चाहिए। हम सभी का कर्तव्य होता है कि हम अपने पर्वों की पवित्रता को बनाये रखें। इस दिन लोग व्याख्यान देकर जन साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं।

यह त्यौहार नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। हमें  इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी काम और व्यवहार से किसी को भी दुःख न पहुंचे तभी दीपावली का त्यौहार मनाना सार्थक होगा।

Essay On Diwali In English

Bharat ko tyauharon ka desh mana jata hai. Bharat ke pramukh tyauhar Holi, Rakshabandhan, Dashhara or Dipawali hain par in sabhi tyauharon me Dipawali sabse adhik pramukh tyauhar hai. Yah tyauhar dipon ka parv hai. Jab ham agyan rupi andhkar ko hatakar gyan rupi prakash prajjvalit karte hain to hamen ek aseem or aalaukik aanand ka anubhav hota hai. Dipawali bhi gyan rupi prakash ka pratik hai.

Is din deep jalaye jate hain isliye ise dipon ka parv bhi kaha jata hai. Dipawali ko tadbhav bhasha me Diwali bhi kaha jata hai. Dipawali ko hinduon ka sabse pramukh tyauhar mana jata hai. Dipawali ko log bahut hi utsah ke sath manate hain.

Dipawali ka tyauhar panch din tak manaya jata hai. Dashhare ke tyauhar ke baad se hi Dipawali ki taiyariyan ki jane lagti hain. Jo log naukriyan karte hain unhen Dipawali ka parv manane ke liye kuch dinon ki chhuttiyan bhi di jati hain taki ve apne parivar ke sath khushi se Dipawali mana saken.

Dipawali ko october ya november ke mahine me manaya jata hai. Is parv ke din log raat ko apni prasannta prakat karne ke liye dipon ki panktiyan jalate hain or prakash karte hain. Nagar or ganv dipon ki panktiyon se jagmagane lagte hain aesa lagta hai mano raat din me badal gayi ho.

Dipawali ka arth 

Dipawali shabd Sanskrat se liya gaya hai. Dipawali do shabdon se milkar bana hota hai dip or aavli jiska arth hota hai dipon se saja. Dipawali ko roshni ka tyauhar or dipotsav bhi kaha jata hai kyonki is din charon or dipon ki roshni hoti hai. Is din ham sabhi dipon ki pankti banakar andhkar ko mitane me jut jate hain or amavasya ki andheri raat jagmag asankhya dipon se jagmagane lagti hai.

Dipawali ka yah pavan parv kartik mans ki amavasya ke din manaya jata hai. Garmi or varsha ritu ko vida kar sheetritu ke svagat me yah parv manaya jata hai. Uske baad sheet ke chandra ki kamniya kalayen sabke chitt-chakor ko harsh vibhor kar deti hai. Sharad purnima ko hi bhagvan Krishna ne maharas leela ka aayojan kiya tha. Ise burayi par achhayi ki jeet ka pratik mana jata hai.

Dipawali ka itihas 

jab bhahvan Shree Ram Lankapati Ravan ko markar or chaudah varsh ka vanvas katkar Ayodhya laute the to ayodhyavasiyon ne unke aagman par prasannta prakat karne ke liye or unka svagat karne ke liye deepak jalaye the. Usi din ki pavan smrati me yah din bade hi utsah se manaya jata hai.

Is din ke avsar par bhagvan Ram ki smrati bilkul taja ho jati hai. Is din samudra manthan ke samay Lakshmi ji ka janam huaa tha isi vajah se Dipawali par Lakshmi ji ki pooja ki jati hai or ghar me dhan-dhaan or aeshvarya ki kamna ki jati hai. Isi din bhagvan Shree Krishna ne narkasur namak rakshas ka vadh bhi kiya tha.

Dipawali ki taiyariyan 

Dipawali ki taiyariyan log Dashahare se hi karne lag jate hain. Dipawali se pahle sabhi log apne gharon ki safayi karte hain or ghar ki lipayi-putayi karvate hain. Dipawali ke avsar par log apne liye naye kapde, mombattiyan, khilaune, patakhe, mithayiyan, rangoli banane ke liye rang or gharon ko sajane ke liye bahut saman kharidte hain.

Dipawalli ke in pahanane ke liye naye kapde banvaye jate hain, mithayiyan banayi jati hain. Gharon ko sajane ke liye bijli se jalne vali jhalar lagayi jati hai. Dipawali Bharat ka sabse adhik prasannta or manoranjan ka parv hai. Is din bacchon se lekar budhon tak me khushi ki lahar utpann ho uthti hai.

Aatishbaji or patakhon ki aavaj se sara aakash guunj uthta hai. Log sharad ritu ke aarmbh me gharon ki lipayi putayi karvate hain tatha kamron ko chitrin se sajvate hain. Achhi tarah se saaf-safayi karne ki vajah se makkhi-macchar bhi door ho jate hain.

Dipawali parv ka mahatva 

Dipawali ka bharat desh me bahut adhik mahatva hai. Is din ko andhkar par prakash ki vijay ka pratik mana jata hai. Is din ko bahut hi sundar or bade parnparik tarike se manaya jata hai. Dipawali ke din dhan ki devi Lakshmi ji, Saraswati ji or Ganesh bhagvan ki pooja ki jati hai.

Hindu Mahakavya Ramayana ke anusar Dipawali ka tyauhar Shree Ram bhagvan, Seeta mata or Lakshman ke 14 varsh 2 mahine ke vanvas ke baad Ayodhya lautne ki khushi me manaya jata hai. Bharat ke kuch kshetron me Mahakavya Mahabharat ke anusar Dipawali tyauhar ko Pandavon ke 12 varsh ke vanvas or 1 varsh ke agyatvas ke baad lautne ki khushi me bhi manaya jata hai.

Aesa bhi mana jata hai ki is din devi-devtaon or rakshason dvara samudra manthan karte samaya mata Lakshami ka janam huaa tha. Bharat ke kuch purvi or uttari kshetron me nav Hindi varsh ke rup me bhi is tyauhar ko manaya jata hai.

Dipawali ka varnan 

Dipawali tyauhar kartik maah ki amavasya ke din manaya jata hai. Dipawali ka tyauhar panch dinon tak chalne vala sabse bada tyauhar hota hai. Dipawali se teen din pahle Dhanteras aati hai is din Ahoyi Mata ka pujan kiya jata hai. Is din ke avsar par log purane bartanon ko bechte hain or naye bartanon ko kharidte hain.

Sabhi bartanon ki dukanen bartanon se bahut hi anokhi dikhayi deti hai. Chaturdashi ke din log gharon ke kude-karkat ko bahar nikalte hain. Kartik maah ki amavasya ko Dipawali ka tyauhar badi dhumdham se manaya jata hai. Dhanteras ke din vyapari apne naye bahikhate banate hain.

Agle din narak chaudas ke din suryoday se pahle snan karna accha mana jata hai. Amavasya ke din Lakshmi ji ki pooja ki jati hai. Pooja me kheel-batashe ka prasad chadhaya jata hai. Naye kapde pahne jate hain. Asankhya dipon ki rang-birangi roshniyan man ko moh leti hain.

Dukanon, bajaron or gharon ki sajavat darshniya rahti hai. Agla din parspar bhent ka din hota hai. Ek-dusre ke gale lagkar Dipawali ki shubhkamnayen di jati hain. Grahiniyan mehmanon ka svagat karti hain. Log chhote-bade, ameer-garib ka bhedbhav bhulkar aapas me milkar is tyauhar ko manate hain.

Mahapurushon ka nirvan divas 

Dipawali ke din hi jainiyon ke tirthkar mahaveer Swami ne nirvan prapt kiya tha. Isi vajah se yah din jain bhayiyon ke liye bahut mahatvapurn hai. Swami Dayanand or Swami Ramtirth bhi isi din nirvah ko prapt huye the. Rishi Nirvanotsav ka din aarya samaji bhayiyon ke liye vishesh mahatva rakhta hai. Sikkha bhai bhi Dipawali ko bade samaroh ke sath manate hain. Is prakar yah din sharmik drashti se bada pavitra hota hai.

Lakshmi Pujan 

Yah parv shuru me mahalakshmi pooja ke name se manaya jata tha. Kartik amavasya ke din hi smudra manthan me Mahalakshmi ji ka janam huaa tha. Aaj bhi is din gharon me Mahalakshmi ji ki pooja ki jati hai.

Is din log apne yisht bandhuon or mitron ko badhayi dete hain or nutan varsh me sukh-samraddhi ki kamna karte hain. Balak-balikayen naye kapde pahankar mithayiyan bantte hain. Raat ke samay me aatishbaji chalate hain. Bahut se log raat ke samay Lakshmi pujan bhi karte hain. Kahin-kahin par Durga Saptmi ka paath kiya jata hai. Jo log tamsik vratti ke hote hain ve juaa khelkar buddhi nasht karte hain.

Swachhta ka pratik 

Dipawali jahan par antahkaran ke gyan ka pratik hai vahin par bahay swachhta ka bhi pratik hai. Gharon me macchar, khatmal, pissu aadi dheere-dheere apna ghar bana lete hain. Makdi ke jaale lag jate hain isliye Dipawali se kayi din pahle se hi gharon ki safayi, lipayi, putayi or safedi hone lag jati hai. Sare ghar ko chamkakar swachh kiya jata hai. Log apni paristhiti ke anukul gharon ko sajate hain.

Kisi acche uddeshya ko lekar bane tyauhar me bhi kalantar me vikar paida ho jate hain. Jis Lakshmi ki pooja log dhan-dhanya ki prapti hetu badi shraddha se karte the unki pooja bahut se log juaa khelne ke liye bhi karte hain. Juaa khelna ek pratha ban gayi hai jo samaj va pavan parvon ke liye ek kalank ke saman hai.

Iske alava adhunik yug me bamb patakhon se huye kayi dushparinam bhi dekhne ko milte hain. Aaj ke samay me pure Bharat me patakhon ka prayog bahut hi jor-shor se hota hai. Aesa mana jata hai ki Dipawali ke din Bharat ke pradushan ki matra 50% badh jati hai. Patakhon ka upyog karke ham thodi der ke maje ke liye apne paryavaran ko bahut had tak barbad kar dete hain.

Aatishbaji hamare shrir or pryavaran donon ke liye bahut hi hanikarak hoti hai. Dipawali me patakhon ka prayog karke ham Bhartiya keval Bharat ka hi nhin balki pure vishva ka pradushan badhate hain. Patakho ke kaaran aese bahut se hadse hote hain jinka shikar bachhe se lekar bade tak ho jate hain.

Patakhon ke dhuyen ki vajah se asthma or kayi prakar ki anya bimariyan ho jati hain. Patakhon ki vajah se sabhi tarah ka pradushan hota hai jaise – dhuyen ke kaaran vaayu pradushan, patakhon ki aavaj ke kaaran dhvani pradushan, jahrile padarth dharti par gir jane se bhoomi pradushan, patakhon ka jahrila padarth pani me mil jane ki vajah se jal pradushan aadi.

Dipawali hamara dharmik tyauhar hai. Dipawali ka parv sabhi parvon me ek vishisht sthan rakhta hai. Hamen apne parvon ki parmparaon ko har sthiti me surakshit rakhna chahiye. Parmparaon se hamen uske aarambh or uske uddeshya ko yaad karne me aasani hoti hai.

Parmparayen hamen us parv ke aadikal me pahuncha deti hain jahan par hamen apni aadikalin sanskrati ka gyan hota hai. Aaj ham apne tyauharon ko bhi aadhunik sabhyata ka rang dekar manate hain lekin hamen uske aadi svarup ko bigadna nhin chahiye. Ise hamesha yathochit riti se manana chahiye.

Juaa or sharab ka sevan bahut hi bura hota hai hamen sadaiv isse bachna chahiye. Aatishbaji par adhik vyay nhin karna chahiye. Ham sabhi ka kartavya hota hai ki ham apne parvon ki pavitrata ko banaye rakhen. Is din log vyakhyan dekar jan sadharan ko shubh marg par chala sakte hain.

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Hindi Essay

प्रदूषण मुक्त दिवाली पर 10 वाक्य | 10 Lines on Pollution Free Diwali in Hindi

10 lines on pollution free diwali in hindi.

10 Lines on Pollution Free Diwali in Hindi – प्रदूषण मुक्त दिवाली पर 10 वाक्य कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 के लिए। | दिवाली खुशियों का त्यौहार है, इसको प्रदूषित करके नहीं मनाना चाहिए। कुछ लोग पर्यावरण को त्यौहार के नाम पर दूषित करते है और कुछ लोग प्रदुषण मुक्त दिवाली मानते है। आइये 10 लाइन में जाने प्रदूषण मुक्त दिवाली कैसे मनाए।

Set (1) 10 Lines on Pollution Free Diwali in Hindi

1. दिवाली हमारा एक सबसे मुख्य पर्व हैं।

2. दिवाली एक  ऐसा त्यौहार है जिसे हम अपने परिवार के साथ मनाते है।

3. दिवाली के दिन दिये की रोशनी से घर को सजाना चाहिए।

4. इस पवित्र दिन बेसहारा और ज़रूरतमंदो की सहायता करनी चाहिए।

5. इससे हमारी दीपावाली शुभ और अत्यधिक खुशियों से भर जायेगी।

6. ज़रूरत मंद और मजबूर लोगो को कपड़े और मिठाईयाँ उपहार में देना चाहिए।

7. फूलों और रंगो का प्रयोग करके रंगोली बना सकते है।

8. अनाथ आश्रम जाकर बच्चो को मिठाई और कपड़े तौफे में दे।

9. रंगो और सजावट की चीज़ो से घर को सजा सकते है।

10. घर की शांति के लिए लक्ष्मी देवी की पूजा करे।

ये भी देखें – 10 Lines on lockdown effects in Hindi

******************************************

Set (2) 10 Lines on Pollution Free Diwali in Hindi

1. आजकल सभी इको फ्रेंडली दिवाली कहकर शुभकामनाय देते है।

2. भारतवार्ष में दिवाली लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं।

3. दीपावली को प्रदूषण मुक्त मनाना चाहिए।

4. इको फ्रेंडली दिवाली होनी चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हो।

5. न ध्वनि प्रदुषण और न ही पर्यावरण प्रदुषण होना चाहिए। 

6. दिवाली खुशियों का त्यौहार है. न की प्रदूषण फैलाकर दुखी करने का.

7. पटाखों जलाने से दिवाली की खूबसूरती बर्बाद हो जाती है।

8. इससे वायु और भूमि प्रदूषित फैलता है।

9. पटाखों की ध्वनि से मरीजों और बुजुर्ग लोगो तकलीफ होती है।

10. प्रदुषण से मनुष्य और जीव -जंतुओं दोनों को अत्यधिक परेशानी होती है।

ये भी देखें – 10 Lines on cyber crime and safety in Hindi

************************************

FAQs. on Pollution Free Diwali in Hindi

पटाखों से होने वाले प्रदूषण क्या है .

उत्तर – पटाखों से कई तरह के प्रदुषण उत्पन होते है जैसे वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, भूमि प्रदुषण, ये सभी कारक मनुष्य और पर्यावरण के लिए नुकसान दायक होते है। इससे कई तरह की बीमारी पैदा होती है और लम्बे समय तक प्रदुषण पर्यावरण और भूमि में रहता है।

पटाखे क्यों नहीं फोड़ने चाहिए?

उत्तर – पटाखे लोग मनोरंजन के लिए त्योहारों और सादियो में इस्तेमाल करते है परन्तु इससे निकलने वाले हानिकारक गैस मनुष्य के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होते है। पटाखे मरीजों और जानवरो के लिए हानिकारक है क्यूंकि अत्यधिक ध्वनि से परेशानी उत्पन होती है।

प्रदूषण मुक्त त्यौहार के क्या फायदे है?

उत्तर – त्यौहार कई तरह के होते है कुछ त्योहारो में पटाखे इस्तेमाल होते है तो कुछ में रंग और कुछ त्योहारों से नदी और तालाब दूषित होते है जब अधिक मात्रा में साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता। प्रदुषण मुक्त त्यौहार से पर्यावरण स्वच्छ रहता है और बीमारिया दूर रहती है।

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दीपावली 2023 पर निबंध 800 शब्दों में: महत्व, इतिहास, और अनूठे तरीके से मनाने का अवसर

DiwaliShare

Diwali Essay in Hindi 800 Words

  • दीपावली 2023 पर निबंध 800 शब्दों में

इस पोस्ट मे शुभ दिवाली के शुभ अवसर पर  Happy Diwali   के लिए  Diwali Essay In Hindi 800 Words   शेयर कर रहे है ,  जिस निबंध को C lass 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर  कर सकते है ,   तो चलिये अब  800 Words On Diwali In Hindi Essay  –  दीपावली पर निबंध 800 शब्दों में  को जानते है।

  • दिवाली पर निबंध 800 शब्दों में
  • Essay on Diwali In Hindi 800 Words

दिवाली जो की हमारे भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे बडा़ त्यौहार है। यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षो के वनवास के पश्चात अयोध्या मे वापस लौटने की खुशी मे पूरे अयोध्या मे घर घर, गली मुहल्ले, हर जगह दीये जलाए गए थे, जिससे पूरा अयोध्या स्वर्ग के समान जगमगाने लगा था, इस तरह हर साल दीये इस शुभ दिन दीये जलाया जाने लगा, जिसे हम सभी दिवाली के त्योहार के रूप मे मनाते है।

दीवाली के कुछ हफ्ते पहले से ही लोग आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। फिर दिवाली के दिन नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं, और एक दूसरे को दिवाली की मिठाई बांटते है, और एक दूसरे को दिवाली की शुभकामना देते है, और मिलजुलकर इस तरह दिवाली का त्योहार मनाते है,

Table of Contents

दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है, दीपावली का ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है,

दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.

Diwali Essay In Hindi 800 Words

दिवाली का त्योहार कुल 5 दिनो के लिए मनाया जाता है, जो की दिवाली के दो दिन फले से दिवाली के दो दिन बाद तक रहता है, जिसे हर दिन अलग अलग नामो से दिवाली के इस त्योहार को मनाया जाता है, दिवाली त्यौहार के इन सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।

दरअसल दिवाली का पर्व एक दिन का न होकर पंचदिवसीय पर्व हैं. इसका प्रथम दिवस धनतेरस के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन कुबेर और धन्वन्तरि का जन्म हुआ था. मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से धन 13 गुणा बढ़ जाता हैं. इसका दूसरा दिन छोटी दीपावली का होता हैं इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाई थी.

दीपावली भी इसी तरह का त्यौहार है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम अथार्त ज्ञान ने रावण रूपी अज्ञान को पराजित किया था। राम जी के वनवास से वापसी के लिए लोगों ने पूरी अयोध्या नगरी को फूलों, दीपों और रंगों से बहुत ही अच्छी तरह से सजाया था। जिसकी वजह से इसे दीपावली नाम दे दिया गया और हर साल मनाया जाने लगा।

दिवाली के पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं, दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था,

विजयादशमी के दिन रावण का वध कर वे सीता समेत कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पहुँचते हैं. वहां की जनता अपने राजा का स्वागत घी के दिए जला कर करती हैं. इस तरह से यह दीपों का त्योहार बन गया जिसे हर हिन्दू प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाता हैं.

दीवाली  की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत की नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है।

दीपावली के दिन सभी लोग बहुत से मजेदार खेल खेलते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं और पटाखे जलाकर इस दिन को बहुत ही खास बना देते हैं। इस दिन सभी जगहों चाहे वह सरकारी कार्यालय हो या सडक सभी को साफ करके अच्छी तरह से सजाया जाता है। इस दिन सभी लोग दिए, मोमबत्ती, लड़ी लगाकर अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, मिठाईयां खिलाते हैं और दीपावली की बधाई देते हैं।

बच्चें बूढ़े बालक स्त्रियाँ सभी आयु के लोग दिवाली पर्व को मनाते हैं. भारत में इस पर्व के मौके पर लम्बी सरकारी छुट्टियाँ भी रहती हैं जिससे नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं. अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह पर्व अक्टूबर अथवा नवम्बर माह में पड़ता हैं. इसके आगमन से कई दिन पूर्व से ही लोग घर की साफ़ सफाई रंग रोगन तथा खरीददारी में लग जाते हैं.

दिवाली की शाम को घर घर घी के दिए लाइट आदि से जगमगाहट की जाती हैं. शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी, श्रीगणेश तथा सरस्वती जी की पूजा आराधना कर सुख सम्रद्धि की कामना की जाती हैं.  दिवाली को पूरे भारत में खूब धूमधाम से मनाया जाता है, यहा तक कि   दिवाली  सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर रहने वाले विदेशो मे भी भारतीय और अन्य धर्म के लोग भी बहुत धूम धाम से मनाते हैं…

उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम हर साल दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.

इसके अतिरिक सिख धर्म में भी दिवाली के दिन का ऐतिहासिक महत्व हैं इस दिन छठे सिख गुरु हर गोबिंद जी को मुगलों ने रिहा किया था, अतः सिख लोग इसे बंदी छोड़ पर्व के रूप में भी मनाते हैं.

हिन्दू धर्म की कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि जब रावण सीता का हरण का लंका ले गया तो भगवान राम ने लंका की चढ़ाई की और दशहरा के दिन रावण का वध कर सीता के साथ अयोध्या रवाना हुए थे. माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या की रात को ही प्रभु राम सरयू के तट अयोध्या पहुंचे थे. अपने प्रिय राम के आगमन पर वहां के निवासियों ने घी के दिए जलाए तथा खुशियों के साथ राम को गले लगाया. 

दिवाली की रात धन दात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान हैं. सुख सम्पदा के लिए लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती तथा गणपति का भी पूजन किया जाता हैं. इस रात को घर में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को पावन पर्व की बधाई के साथ उपहार भी आदान प्रदान किये जाते हैं.

तीसरे दिन मुख्य दिवाली के रूप में जाना जाता है दिवाली की शाम को चरो तरफ दिये जलाए जाते है, और फिर शाम को रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है,

तो आप सभी को यह  दिवाली के लिए निबंध – Essay on Diwali in Hindi 800 Words  खूब पसंद आया होगा, तो आप अपने विचार कमेंट मे जरूर बताए और  दिवाली पर निबंध 800 शब्दों में –  Diwali Essay In Hindi 800 Words  को शेयर भी लोगो के साथ जरूर करे। और अंत मे आप सभी को  हैप्पी दिवाली…

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Bahut hi Best दीपावली 2021 पर निबंध 800 शब्दों में

Thanks Ranjana. aise hi Diwalishare visit karte rahiye

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Diwali Essay in Hindi- दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में

In this article, we are providing Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों हमने Deepawali Par Nibandh | Essay on Diwali in Hindi लिखा है दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। 8 Simple Essay on Diwali in Hindi language.

Diwali Essay in Hindi- दिवाली पर निबंध हिंदी में

दीपावली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन- Diwali Essay in Hindi 10 lines for Child & Kids ( 100 words )

1. दीपावली हिंदुओं का पावन त्योहार है।

2. यह अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता है।

3. दीपावली के दिन ही श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।

4. उनके आने पर पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था।

5. दीपावली के आने की तैयारी घर और दुकानों की साफ़-सफ़ाई और रंग-रोगन से होती है।

6. दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के अवसर पर लोग अपने घरों के लिए नया सामान खरीदते हैं।

7. सभी मित्र-संबंधी आपस में मुँह मीठा करवाते हैं।

8. दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी का पूजन होता है।

9. सभी रात में अपने घर को दीपों से सजाते हैं और पटाखे चलाते हैं।

10. दीपावली की रात रोशनी की रात होती है।

10 lines दीपावली पर निबंध कक्षा 3

जरूर पढ़े- 10 Lines on Diwali in Hindi

दीपावली पर निबंध 150 शब्द- Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi 150 words

परिचय : दीपावली हिन्दू जाति का प्रधान पर्व है। इसकी प्रतीक्षा लोग बड़ी उत्सुकता से करते हैं।

वर्णन : यह कार्तिक की अमावस्या को खूब धूम-धाम से मनायी जाती है। सबलोग इस दिन संध्या को अपने-अपने घरों को रंग-बिरंगी बत्तियों से सजाते हैं। आज के दिन व्यापारी लोग अपना कार्य शुरू करना शुभ मानते हैं।

लाभ : दीपावली सफाई का त्योहार है। दीपावली के पहले ही घरों एवं दुकानों की लिपाई-पुताई की जाती है। दुकानदारों के पुरान बकाए वसूल हो जाते हैं। लोग मित्रों और संबंधियों से मिलते-जुलते हैं। इससे प्रेम और भाई-चारा बढ़ता है।

हानि : कुछ लोग दीपावली के दिन जुआ खेलना अच्छा समझते हैं लेकिन यह गन्दी आदत है। वे लोग जुआ खेलकर अपना सब कुछ गँवा बैठते हैं। आतिशबाजी के कारण लड़के जल जाते हैं एवं कहीं-कहीं आग लगने की दुर्घटना घट जाती है।

उपसंहार : दीपावली हमारे जीवन में नवीन प्रकाश लाती है। यह हमें भाई-चारा, सहयोग, सुख और शान्ति का सन्देश देती है।

जरूर पढ़े- Hindi Essay Topics

Short Essay on Diwali in Hindi – दीपावली पर निबंध हिंदी में ( 180 words )

दीपावली हिन्दुओं का एक मुख्य त्योहार है। यह कार्तिक मास की अमावास्या के दिन मनाया जाता है।

भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या के लोगों ने खुशी में घी के दीपक जलाए। तब से दीपावली मनाते हैं।

दीपावली आते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। घरों और दुकानों की साफ सफाई की जाती है। उन्हें सुन्दर तरीके से सजाया जाता है। घर में अनेक तरह के पकवान और मिठाईयाँ बनती हैं। नए कपड़े खरीदे जाते हैं। इस दिन गाँव एवं नगर दीयों और रंगीन बल्बों के प्रकाश से जगमग करते हैं।

बच्चों को दीपावली बहुत पसंद है। परिक्षाएँ खत्म हो चुकी रहती है और पाठशालाओं में छुट्टियाँ हो जाती है। बच्चे पटाखे खरीदते हैं जैसे -अनार, रॉकेट, फुलझड़ी, चरखी आदि। दीपावली के दो-चार दिन पहले से ही वे पटाखे जलाने लगते हैं । कुछ पटाखे खतरनाक होते हैं। पटाखे सदा बड़ों के संरक्षण में जलाने चाहिए।

दीपावली खुशियों और प्रेम का त्योहार है। इसे हिलमिलकर मनाना चाहिए।

Deepawali Essay in Hindi

Diwali Essay in Hindi

दिवाली पर निबंध हिंदी में- Hindi Essay on Diwali in 200 words

दीपावली या दीवाली हिन्दुओं का एक बहुत पवित्र तथा महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह सारे भारत में बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।

दीपों, मिठाइयों, लक्ष्मीपूजन और पटाखों का यह दिन सचमुच अद्भुत है। इस दिन के लिए बहुत पहले से ही तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। घर-द्वार की सफाई, रंग-रोगन, दूकानों की सजावट, नये वस्त्रों, बरतनों, गहनों आदि की खरीद इस अवसर पर की जाती है। लोग-बाग उदारता से धन खर्च करते हैं और आनन्द मनाते हैं।

इसी दिन भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के पश्चात सीता के साथ अयोध्या लौटे थे। राम ने दुष्ट रावण का वध किया था। उन्होंने संतों, सज्जनों और दूसरे सभी अच्छे लोगों को रावण के भय से मुक्त किया था। इसी याद में सारी रात दीपक मालायें जलाई जाती हैं, सजावट की जाती है, मिलन मनाया जाता है और पकवान पकाये जाते हैं।

धनी और व्यापारी वर्ग इस दिन धन की देवी लक्ष्मी तथा विद्या के देवता गणेश का पूजन करते हैं। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह एक बड़ी सामाजिक बुराई है। हमें इससे बचना चाहिये। जैन धर्म के महान प्रवर्तक वर्धमान महावीर का देहावसान इसी दिन हुआ था।

इसी दिन आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने देह त्याग किया था।

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दिवाली पर निबंध हिंदी में- Essay on Diwali in Hindi Language ( 250 words )

दिवाली या दीपावली एक मुख्य त्योहार है। यह केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी मनायी जाती है। लोग’ आश्वयुज अमावास्या के दिन यह पर्व मनाते हैं। दिवाली का अर्थ दीपों की पंक्ति है।

उत्तर भारत में यह पर्व पाँच दिनों का है। आन्ध्र प्रदेश में यह तीन दिन मनाया जाता है। दिवाली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी पर्व और दिवाली के बाद दूसरे दिन भैया-दूज पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी पर्व मनाने के सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है। श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरक नामक राक्षस का वध किया था। उस घटना की स्मृति में नरक चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर्व के सम्बन्ध में यह कथा प्रचलित है। रावण-वध के बाद जब राम अयोध्या लौटे तब पुरजनों ने उनके स्वागत में दीपों का आयोजन किया था। तब से दिवाली प्रचलित हुई। यह पर्व बूढ़े-बच्चे, स्त्री-पुरुष सब बड़े आनंद से मनाते हैं। इस दिन सब स्नान करके नये कपड़े पहनते हैं। वे मीठे पकवान खाते हैं। वे पटाखे जलाते हैं। रात को दीप जलाते हैं और लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

भैया-दूज भाई-बहन का त्योहार है। भाई बहन के घर जाकर खाना खाता है। बहन भाई को कपड़े देती है। भाई बहन को उपहार देता है। इस प्रकार यह पर्व भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाने वाला है।

संक्षेप में दिवाली प्रकाश का पर्व है। यह आनंद का त्यौहार है। यह पर्व हमें यह सन्देश देता है कि ज्ञान रुपी प्रकाश अज्ञान रुपी अन्धकार कि दूर करता है।

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Satsangati Essay in Hindi

दिवाली पर निबंध- Diwali Essay in Hindi for Class 10 ( 300 to 350 words )

दीपावली हिन्दुओं का अत्यन्त प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार कार्तिक मास। के कष्ण पक्ष की अमावस्या को समारोह पूर्वक समस्त भारत में मनाया जाता है। यह धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा का पर्व है, इस कारण भी इसका अधिक महत्त्व है।

यह त्यौहार कब से और क्यों मनाया जाता है ? इस सम्बन्ध में एक विचार यह है कि श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात् इसी दिन अयोध या लौटे थे। नगर निवासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे, तभी से यह पर्व मनाया जाता है। वैसे यह एक ऋतु पर्व है। वर्षा ऋतु में जो अन्न बोए जाते हैं, वे इस समय तक पक कर तैयार हो जाते हैं। किसानों के घर नए अन्न से भर जाते हैं, उन्हें इसकी प्रसन्नता होती है। किसान के साथ ही व्यापारी और जनता को भी इसकी प्रसन्नता होती है। अतः अन्न और धन-लक्ष्मी के स्वागत का ही यह त्यौहार है।

इसी दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और समुद्र मंथन से लक्ष्मी की उत्पत्ति भी इसी दिन हुई थी। दीपावली अपने साथ कई त्यौहार लेकर आती है। दीपावली से दो दिन पूर्व धन त्रयोदशी होती है। इसके पश्चात् नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) आती है। अमावस्या को दीपावली का मुख्य उत्सव होता है। अगले दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का उत्सव होता है और उससे अगले दिन द्वितीया को भैया दूज का उत्सव मनाया जाता है।

दीपावली से पूर्व लोग घरों की सफाई करवाते हैं। इस दिन प्रातः काल से ही घरों में बड़ी चहल-पहल होती है। लोग बाजार से मिठाइयाँ, फल, खील-बताशे और दीवे लाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे खरीदते हैं।

सायं होते ही लोग घर की मुंडेरों पर सरसों के तेल के दीपकों की पंक्तियाँ जलाते हैं। बिजली के लटू या मोमबत्ती भी जलाये जाते हैं। दीपकों के प्रकाश से अन्धेरी राम भी पूर्णिमा की राम की तरह चमक उठती है। रात को लोग घरों और दुकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। लक्ष्मी पूजन के पश्चात् प्रसाद वितरण होता है। बच्चे फुलझड़ी और पटाखे चलाते हैं। इस अवसर पर मित्रों और सम्बन्धियों को भी मिठाई दी जाती है।

वास्तव में यह आनन्द और उत्साह का अनुपम पर्व है।

दिवाली पर निबंध- Deepawali par Nibandh Hindi mein ( 350 to 400 words )

भारत वास्तव में त्यौहारों तथा मेलों का देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति तथा सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं। ये लोग समय-समय पर अपने त्यौहार तथा पर्व मनाते हैं। ये पर्व ही भारत की संस्कृति की असली तस्वीर हैं। दीपावली भारतीय त्यौहारों में अपना प्रमुख स्थान रखता है। यह हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। पूरे भारत वर्ष में यह अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार श्रीरामचन्द्रजी के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि जब श्रीराम ने लंका के राक्षसपति रावण को हरा दिया तथा सीता माता को उसके चंगुल से मुक्त करा लिया तब वह अपने भाई लक्ष्मण तथा सेवक हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे। तब जनता ने खुशी में घी के दिये जलाकर प्रकाश किया तथा उनका अयोध्या में स्वागत किया। श्री राम के आने से अयोध्या की जनता अत्यंत प्रसन्न थी।

दीपावली आने से पहले लोग अपने घरों में साफ-सफाई तथा पुताई करते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व का दिन धनतेरस माना जाता है। इस दिन बर्तन खरीदना, जेवर या अन्य कोई नयी चीज खरीदना शुभ माना जाता है। दीपावली की रात को लोग लक्ष्मी देवी तथा गणेश की पूजा करते हैं। घरों में दिये, लैम्प आदि जलाये जाते हैं। पकवान बनते हैं तथा मिठाईयाँ पड़ोसियों व रिश्तेदारों में बाँटी जाती हैं। दीपावली की रात को बच्चों की तो मौज होती है। वे मिठाई, पकवान खाते घूमते हैं तथा पटाखे, अनार, फुलझड़ियाँ चलाते हैं। अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। उसके बाद भाई दौज आता है। इस दिन बहनें भाइयों के तिलक लगाती हैं। भाई बहनों को कुछ रुपये उपहार स्वरूप देते हैं।

दीपावली एक पावन पर्व है। लेकिन कुछ लोग जुआ और शराब में अपना पूरा त्यौहार निकाल देते हैं। वे इस दिन डटकर शराब पीते हैं तथा जुआ खेलते हैं। जुए में बहुत सी रकम हार जाते हैं। क्रोध में बीवी, बच्चों को मारते-पीटते हैं। इस पवित्र दिन यह अपिवत्र बातें नहीं करनी चाहिये। मर्यादा और गरिमा की सीमा में रहकर त्यौहार का आनन्द उठाना चाहिये। अत्यधिक धन खर्च करके पटाखे फोड़ना भी गलत है। इसमें से कुछ धन बचाकर दान दे देना चाहिये। ताकि निर्धन लोग भी खुशी के साथ त्यौहार का आनन्द उठा सकें।

दीपों का त्यौहार दिवाली पर निबंध- Essay on Diwali in Hindi with Headings (500 words )

भारतवर्ष त्यौहारों-पर्वो तथा उत्सवों का देश है। भारतीय त्यौहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह इस देश का सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। दीपावली का बिगड़ा हुआ रूप है ‘दीवाली’। इसका अर्थ है दीपों की अवली अर्थात् दीपों की कतार (पंक्ति)। इस दिन हिन्दू लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ तथा बिजली के बल्बों को जलाकर, उनकी पंक्तियाँ अर्थात् कतार लगा देते हैं।

दीपावली कब मनाई जाती है? Diwali ka tyohar kab manaya jata hai

यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी ओर इतनी अधिक रोशनी की जाती है जिससे अमावस्या की काली रात भी पूर्णमासी की तरह जगमगाने लगती है। दीपावली से पूर्व ‘धनतेरस’ तथा इसके बाद ‘गोवर्धन पूजा’ और ‘भैया दूज’ के त्यौहार मनाए जाते हैं।

दीपावली क्यों मनाई जाती है? Diwali kyon manai jati hai

इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों का वनवास काटकर तथा लंका पर विजय प्राप्त करके सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इस तिथि को श्रीरामचन्द्र जी का राजतिलक किया गया था। अतः इस दिन सारे अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में आनन्दोत्सव मनाया था तथा अपने हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए दीप जलाए थे और मिठाइयाँ बाँटी थीं। जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को भी इसी दिन मुक्ति मिली थी। इसीलिए जैनी तथा आर्य समाज के लोग भी इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ भी इसी तिथि को सम्पन्न हुआ था।

दीपावली कैसे मनाई जाता हैं? Diwali Kaise manai jaati hai

इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। गलियों तथा बाजारों को भी सजाया जाता है बाजारों में हलवाइयों की दुकानें खूब सजी होती हैं और सभी लोग मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस दिन बाजारों से सुन्दर-सुन्दर खिलौने व बर्तन आदि भी खरीद कर लाए जाते हैं। इस दिन स्त्रियाँ अपने घरों में पकवान भी बनाती हैं। बच्चे व युवक आतिशबाजी चलाते हैं। घरों में आस्थावान लोग गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लोग दीवाली पूजन के बाद अपने इष्ट मित्रों व सम्बन्धियों के घर मिठाइयाँ भेजते हैं। व्यापारी बन्धु इस दिन अपना नए वर्ष का नया बहीखाता बनाते हैं।

दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलना व शराब पीना अच्छा मानते हैं। यद्यपि इस कारण से अनेक घर बर्बाद हो जाते हैं। एक ओर लक्ष्मी की पूजा करके लोग उससे धन-प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं तो दूसरी ओर बहुत से लोग जुआ खेल कर धन हार जाते हैं। फिर भी यह पर्व धनी-निर्धन, राजा-रंक एवं शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिए हर्षोल्लास प्रदान करने वाला त्यौहार है।

दिवाली पर निबंध- Long Essay on Diwali in Hindi with Headings (650 words )

भारत वर्ष में अनेक धर्मो, विश्वासों और आस्थावाले लोग रहते हैं। इसलिए यहाँ अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत में पर्वो की गौरवशाली परंपरा है। सभी लोग अपने-अपने त्यौहार उल्लास और आनंद से मनाते हैं। हिन्दू बहुसंख्यक हैं, इसलिए उनके त्यौहार भी अधिक हैं। कुछ त्यौहार क्षेत्रीय हैं और कुछ राष्ट्रीय। हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार हैं— दीपावली, विजयदशमी (दुर्गापूजा) रक्षा बन्धन और होली। दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह कहना असंगत न होगा कि दीपावली भारत का राष्ट्रीय पर्व है।

परिचय | Dipawali ka arth 

दीपावली मनाने के बारे में एक कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि इसी दिन श्री रामचन्द्र जी लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्या-वासियों ने घर-घर दीप जलाए थे और आनंद मनाया था। तभी से यह त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Dipawali ka Itihas

दीपावली पर्वो का समूह है। यह शरद ऋतु में मनाई जाती है। दीपावली का त्यौहार कार्तिक कृष्ण पक्ष 13 से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक अर्थात 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार का पहला दिन ‘धन तेरस’ कहलाता है। इस दिन लोग नए-नए बर्तन खरीदते हैं। घर-घर में यमराज की पूजा होती हैं और दीप जलाकर घर के द्वार पर रखा जाता है। चतुर्दशी का दिन ‘नरक चौदस’ कहलाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अत्याचारी राजा हिरण्य कश्यप का वध किया था और भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। एक अन्य घटना के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारा था। इस दिन घरों की सफाई की जाती है। मुख्य पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। उस दिन शाम को लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है और घर-घर दीप जलाये जाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे छोड़ते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन करते हैं। बच्चे प्रेम से मिठाइयाँ खाते हैं। चौथा दिन ‘गोवर्द्धन पूजन’ का होता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत उठाकर इन्द्र के कोप से गोकुल के लोगों की रक्षा की थी। दीपावली का पाँचवाँ दिन ‘भैया दूज’ या ‘यम द्वितीया’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और मिठाइयाँ खिलाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से यमराज के चक्कर से बचा जा सकता है।

पर्व की विशेषता | Dipawali parv ka mahatva 

यह पर्व वर्षा समाप्त होने के बाद आता है। बरसात के कारण अनेक मकान टूट-फूट जाते हैं इनकी लोग मरम्मत करते हैं। महीनों पहले से घरों की लिपाई-पुताई और सफाई होने लगती है। सभी घर तरह-तरह से सजाए जाते हैं। बाजारों को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। रंग-बिरंगे फूल-पत्तियों और बल्बों से शहर वाले अपने मकानों, दुकानों और गलियों को सुसज्जित करते हैं। हर ओर प्रसन्नता और आपसी वैर-भाव भूलकर प्रेमपूर्वक लोग एक दूसरे से मिलते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। सभी के मन और हृदय शुद्ध और स्वच्छ हो जाते हैं। सफाई से रोग फैलाने वाले कीड़ों-पतंगों का नाश हो जाता है। आतिशबाजी और पटाखों की गंध और धुएँ से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

पर्व के दुरुपयोग से हानियाँ

वह लोग जो जोश में आकर अपनी हैसियत से अधिक खर्च कर देते हैं, वे कर्ज से लद जाते हैं। वे वर्ष भर कष्ट पाते हैं। कई लोग दीपावली पर जुआ खेलना आवश्यक समझते हैं। जुआ खेलने से धन-दौलत हार जाते हैं। इससे उन्हें बहुत आर्थिक हानि हो जाती है, जिससे उनका जीवन दुःखी हो जाता है। कतिपय लोग इस अवसर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जो उनके लिए हानिप्रद होता है। लापरवाही से आतिशबाजी छोड़ने से कभी-कभी आग लग जाती है, जिससे जन-धन का बहुत नुकसान होता है।

दीपावली आनंद का पर्व है। इसे प्रेम पूर्वक और सावधानी से मनाना चाहिए। साज-सज्जा, आतिशबाजी आदि पर व्यर्थ पैसे खर्च करना बुरा है। जुआ खेलने तथा दूसरे दुर्व्यसनों से बचना चाहिए। आतिशबाजी छोड़ते समय सावधानी बरतनी चाहिए जिससे दुर्घटनाएँ न हों। यह त्यौहार हमें अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है। इसलिए हमें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो हमारे लिए हानिप्रद हो।

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इस लेख के माध्यम से हमने Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Bio Medical Engineer

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Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

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An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

pradushan rahit diwali essay in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

दीवाली पर अनुच्छेद | Paragraph on Diwali in Hindi

pradushan rahit diwali essay in hindi

प्रस्तावना:

दीवाली भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है । दीवाली शब्द दीपावली का अपभ्रश है, जिसका अर्थ दीपों की पंक्ति होता है । यह त्यौहार कार्तिक मारन के मध्य में अर्थात् कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है । इसी समय जाड़े का प्रारम्भ होने लगता है ।

क्यों मनाया जाता है:

इस त्यौहार के बारे में भी लोगों के विभिन्न मत हैं । जैनियो का विश्वास है कि इस दिन महावीर स्वामी स्वर्ग गए थे । वहाँ देवताओं ने उनका हार्दिक स्वागत किया था । इस दिन उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था इसी यादगार में यह त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ।

हिन्दुओं का मत है कि इस दिन रावण पर विजय प्राप्त करके श्रीरामचन्द्र जी अयोध्या पहुंचे थे । अयोध्यावासियो ने अपने घरों को खूब सजाया और दीपो की पंक्ति से जगमगा कर श्रीरामचन्द्र जी का बड़े आदर और सम्मान से स्वागत किया । इसी याद में हर वर्ष लोग दीवाली का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाते हैं ।

त्यौहार की तैयारी:

यह त्यौहार बड़े शान और शौकत से मनाया जाता है । लोग काफी समय पहले से अपने-अपने घरों और दुकानों की सफाई करते है, दीवारों पर सफेदी कराते हैं तथा दरवाजो, खिड़कियो और फर्नीचर आदि पर रग-रोगन करते हैं । त्यौहार के दिन लोग घरो औरं दुकानो को खूब सजाते हैं । तरह-तरह के पकवान और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं । शाम को लोग बिजली के बच्चो, मोमबत्तियों और तेल के दियो से घर का कोना-कोना सजा देते हैं ।

त्यौहार कैसे मनाया जाता है:

दीवाली की रात लोग अपने-अपने घरों और दुकानो को खूब रोशन करते हैं । साधारण लोग मिट्टी के दीपकों और मोमबत्तियों से तथा बड़े और समृद्ध लोग बिजली के रंगीन बच्चों की झालर से रोशनी करते हैं । तरह-तरह के पटाखे और आतिशबाजी पर बड़ी धनराशि व्यय की जाती है । शाम से ही हर तरफ से पटाखों का शोर सुनाई पड़ने लगता है । सभी लोग नए और अच्छे-अच्छे वस्त्र और परिधान पहने बडी प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देते हैं ।

रात्रि के समय घरों और दुकानो में धन की देवी लक्ष्मी जी का पूजन बड़ी श्रद्धा से किया जाता है । खील-बताशों का इस दिन विशेष महत्त्व होता है । तरह-तरह के पकवान और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है और लक्ष्मी जी की आरती उतारी जाती है ।

पूजन के बाद घर के लोग प्रसाद के रूप में खील-बताशे तथा मिठाइयाँ खाते हैं । अपने-अपने रिश्तेदारों और मित्रों के घर मिठाई और खील-बताशे भेजे जाते है । नौकरों को बख्शीश दी जाती है और भिखारियों को दान दिया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

व्यापारी वर्ग इस दिन अपने पुराने खाते बन्द करके नया खाता प्रारंभ करते हैं । इसी दिन उनका नया लेखा वर्ष प्रारम्भ होता है । हिन्दुओं का विश्वास है कि इस दिन लक्ष्मी जी सभी घरों का चक्कर लगाती हैं और जिस घर में अंधेरा देखती हैं और बन्द पाती हैं, वही से नाराज होकर चली जाती हैं । इसलिए हिन्दू अपने-अपने घरों में रात भर खूब रोशनी करते हैं और जागते रहते हैं ।

लाभ और हानियाँ:

इस त्यौहार के अनेक लाभ है । यह त्यौहार वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद आता है । बरसात में मक्खी, मच्छर और तमाम तरीके के कीडे-मकौडे पैदा हो जाते है । इस त्यौहार के कारण घरों की खूब सफाई और सफेदी आदि होने से कीडो-मकोडों का सफाया हो जाता है और घर फिर साफ-सुधरे हो जाते है ।

व्यापारी, कुम्हार, खिलौने बनाने वाले आदि लोगों को इस त्यौहार के कारण अच्छी खासी आमदनी हो जाती है । यद्यपि इस त्यौहार के अनेक लाभ हैं, लेकिन यह बुराइयों से परे नहीं है । लोग पटाखों और आतिशबाजी तथा सजावट और रोशनी पर अनाप-नाप धन व्यय कर देते हैं और बाद में पछताते हैं । जुआ खेलना इस त्यौहार की सबसे बडी बुराई है ।

अनेक लोगों का अंधविश्वास है कि यदि वे दीवाली के अवसर पर जुए में कुछ धन जीत जायें तो, सारे साल उन्हें धन मिलता रहेगा । इस कारण वे अपने भाग्य की परीक्षा करते हैं और कभी-कभी बहुत-सा धन गवां बैठते हैं ।

दीवाली बड़ा उपयोगी त्यौहार है । इस अवसर पर जुआ खेलने पर पाबन्दी लगानी चाहिए । जुआ इस पुनीत त्यौहार पर कलंक है । दीपावली जैसे त्यौहारों के अवसर पर ही राष्ट्र की सामाजिक और धार्मिक भावना व्यक्त होती हैं ।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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Hindi Essay on “Pradushan ki Samasya”, “प्रदूषण की समस्या ”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

प्रदूषण की समस्या , pradushan ki samasya, total essay 9.

निबंध नंबर : 01

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। प्रदूषण विज्ञान की देन है, रोगों को निमंत्रण है और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण- ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओजोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं।

प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाले धुएँ वायु की शुद्धता को निगल रहे हैं। नगर और महानगरों की गंदगी स्वच्छ पानी देने वाले स्रोतों में बहाई जा रही है। कारखानों का गंदा पानी नदियों में बहाया जा रहा है जिससे जल प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। यातायात के आधुनिक साधन जहाँ एक तरफ़ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो शोर उभरता है वह कर्णभेदी तो होता ही है साथ ही सुनने की शक्ति की कमजोर कर देता है। भूमि प्रदुषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। प्रदूषण की समस्या मानव ने पैदा की है और यदि मानव अपना भला चाहता है तो इस भूल को सुधारने का उसे जल्द से जल्द प्रयास करना होगा। इसके लिए सबसे पहले वनों के कटाव को रोकना होगा और नदियों-नालों में गंदे पानी को बहने से रोकना होगा। ध्वनि प्रदूषण न के लिए इंसान को अपने मन पर नियंत्रण करना होगा। प्रदषण पर नियंत्रण पाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास “होगा। यदि मनुष्य फिर से प्रकृति के साथ अपना तालमेल बैठा लेता है तो प्रदूषण जैसे राक्षस पर अंकुश लगाया। जा सकता है। नहीं तो प्रदषण रूपी अजगर कब समस्त सृष्टि को निगल जाए, कहा नहीं जा सकता।

निबंध नंबर : 02

प्रदूषण की समस्या.

मनुष्य प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ रचना है। जब तक वह प्रकृति के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता तब तक उसका जीवन सहज और स्वाभाविक गति से चलता रहता है। जहां विज्ञान आज दाता है वहीं जीवन हरने वाला भी बन गया है। प्रदूषण की समस्या आज विश्व के समस्त देशों के सामने खड़ी है और इस समस्या का हल भी निकाला गया है। पहले प्रदूषण की कोई समस्या न थी। औद्योगिक विकास के साथ-साथ जन वृद्धि के विकास तथा वैज्ञानिक प्रयोगों के आविष्कार के साथ-साथ इस समस्या ने जन्म लिया। ।

प्रदूषण का अर्थ

प्रदूषण का अर्थ है शुद्ध रूप का दूषित हो जाना अथवा उसमें मिलावट या अशुद्धियों का उत्पन्न होना। आज अनेक कारणों से प्राकृतिक वस्तुएं भी शुद्ध रूप में उपलब्ध नहीं हो पाती है। जैसे वायु ही आज इस रूप से दूषित हो गई है कि निरन्तर यदि इसी प्रकार प्रदूषित वायु का सांस के द्वारा सेवन किया जाए तो अन्ततः मृत्यु ही संभव है। भोपाल में हुई गैस त्रासदी एक ऐसा उदाहरण है जो हमारे सामने है। इसी प्रकार जल तथा ध्वनि भी प्रदूषित होते हैं और इनसे प्राणिमात्र को हानि उठानी पड़ती है।

प्रदूषण के कारण

प्रकृति की हर चीज शुद्ध थी। जलवायु भी शुद्ध था। फिर यह प्रदूषण की समस्या क्यों पैदा हुई। इसके कुछ कारण हैं। प्रदूषण अनेक रूपों में होता है लेकिन मुख्य रूप से वायु का प्रदूषण, जल का प्रदूषण तथा ध्वनि का प्रदूषण है। आज के युग में मोटर वाहनों, रेलों तथा कल कारखानों की संख्या अत्याधिक बढ़ गई है। उद्योग जितने बढ़ेंगे, उतनी ही ज्यादा गर्मी फैलेगी। धुएं में से कार्बनमोनोऑक्साइड काफी मात्रा में निकली है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। सभी देश विज्ञान के नए-नए आविष्कारों का प्रयोग करते हैं। इन आविष्कारों के प्रयोगों से जहरीली गैस बनती है, जहरीला धुआं ऊपर उठता है जो वायुमण्डल को विषाकत करता है।

पहले 90% लोग गाँवों में रहते थे। गांव उजडकर शहर बढ़ने लगे। एक-एक घर में तीन-चार परिवार रहने | लगे। प्रत्येक परिवार की गन्दी वायु या उनके रोग के कीटाणु दूसरे परिवारों में भी जाने लगे। इस तरह से शहर की घनी आबादी का स्थल और जलवायु सब दुषित हो गया और बीमारियाँ बढ़ने लगी। शहरों को बढ़ाने के लिए आज देहात उजड़ रहे हैं और वृक्ष बहुत बेरहमी से काटे जा रहे हैं। देहातों में स्वच्छ जलवायु मिलता था और वृक्ष हमें शद वाय देते थे और गन्दी वायु खींचते थे। आज के बड़े शहरों में कारखाने बहुत बढ़ गए हैं। उनकी चिमनियों का उठता हुआ धुआं वायु मण्डल को खराब करता है और उनका कचरा पानी को खराब करता है।

प्रदूषण से बहुत हानियां होती हैं। मनुष्य बिना मतलब के रोगों का शिकार बन जाता है। अब विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्त्तव्य है कि वह अपनी सीमा में इस मौत की लीला को रोकने का प्रयास करें। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई बन्द होनी चाहिए। प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योगों को शहर से दूर लगाया जाना चाहिए।

निबंध नंबर : 03

मनुष्य प्रकृति को सर्वश्रेष्ठ रचना है। जब तक वह प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता तब तक उसका जीवन पहज और स्वाभावि गति से चलता रहता है। आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। आज मनुष्य ने पृथ्वी, आकाश तथा जल पर अपना आधिपत्य जमा लिया है तथा मनुष्य की सुख-सुविधा के लिए अनेक मशीनों एवं आविष्कारों को जन्म दिया है। समय की गति के साथ-साथ जनसंख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। वृद्धि के कारण अपने प्राकृतिक वनों को काट-काट कर या त उद्योग धन्धों का विस्तार किया है या रहने के लिए स्थान बनाए हैं। वनों की अन्धाधुन्ध कटाई के कारण सन्तुलन बिगड़ गया है। वर्षा, जलवायु तथा भूमि पर इसका दुष्प्रभाव पड़ा है। वनों के कारण वातावरण शुद्ध रहता था, पर आज मिलों की चिमनियों से निकलते धुएँ तथा मिलों से वहने वाले पदार्थों से वातावरण प्रदूषित हो गया है। नगरों में बसों, ट्रकों तथा अन्य वाहनों से धुआँ निकलता है जिससे अनेक प्रकार के रोग हो रहे हैं। फेफड़ों के रोग, रक्त या चर्म के रोग बढ़ते जा रहे हैं। धुएँ में जहरीले पदार्थ होते हैं जो सांस के द्वारा हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार मिलों से बैकार हो जाने वाला पदार्थ नदियों में बहा दिया जाता है। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है, जिसे पीने से अनेक प्रकार के रोग हो रहे हैं। प्रदूषण की समस्या बहुत भयंकर समस्या है। वनों की अन्धाधुंध कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए। वृक्षारोपण की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे प्रदूषण कम होता जाएगा क्योंकि वृक्ष दूषित वायु (कार्बनडाईआक्साइड) कोलेकर शुद्ध वायु (आक्सीजन) प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार को चाहिए कि उद्योग-धन्धों को शहरों की घनी आबादी से दूर स्थापित करने के लिए कानून बनाए, क्योंकि प्रदूषण का दुष्प्रभाव शहरों पर ही अधिक पड़ता है। हम सबका यह भी कर्त्तव्य है कि हम वृक्षारोपण के महत्त्व को समझे तथा नए-नए वृक्ष लगाएं।

निबंध नंबर : 04

प्रदूषण की समस्या एवं समाधान

Pradushan ki samasya evm samadhan.

आज सबसे बड़ी समस्या है-प्रदूषण। इस समस्या की ओर आजकल सभी देशों का ध्यान केन्द्रित है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़े-कचरे के ढेर से पृथ्वी, हवा, पानी सभी प्रदूषित हो रहे हैं। आज के वातावरण में कई प्रकार का प्रदूषण है, जैसे जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधा प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण आदि।

आज वृक्षों का अत्यधिक कटाव हो रहा है। इससे ऑक्सीजनौर का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदक्षित हो गई है। जो मनुष्य के फेफड़ों के लिए अत्यंत घातक है। इसी प्रकार जीवन का मुख्य आधार जल भी प्रदूषित हो गया है। बड़े-बड़े नगरों के गंदे नाले नदियों में डाल दिए जाते हैं। सीवरों को नदी से जोड़ दिया जाता है। इससे जल प्रदूषित हो जाता है और उससे पीलिया, पेचिस, हैजा आदि। अनेक प्रकार की भयानक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इससे लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।

आज के युग में ध्वनि प्रदूषण की भी एक समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर, कार, ट्रैक्टर, जैट विमान, कारखानों के साइरन, मशीनें, लाऊडस्पीकर आदि ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। अत्यधिक ध्वनि-प्रदूषण से श्रवण-शक्ति पर बुरे प्रभाव पड़ने के साथ ही मानसिक विकृति तक हो सकती है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक परीक्षणों के कारण रेडियोधर्मी पदार्थ संपूर्ण वायुमंडल में फैलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं जो जीवन को अत्यंत क्षति पहुँचा रहे हैं।

इसके अलावा कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट पदार्थों, रोगनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी प्रदूषण फैल रहा है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। यही नहीं, कारखानों के धुएँ, विषैले कचरे के बहाव तथा जहरीली गैसों के रिसाव। से आज मानव जीवन का वायुमंडल अत्यंत प्रदूषित हो गया है।

अत: वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। इसी प्रकार वृक्षों के अधिक कटाव पर भी रोक लगाई जानी  चाहिए। कारखानों और मशीनें लगाने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब उनके धुएँ निकालने की समुचित व्यवस्था हो। इसी प्रकार नालों को नदी में न डालकर उनकी अन्य व्यवस्था करनी चाहिए तभी प्रदूषण की समस्या का समाधान संभव हो सकता है।

निबंध नंबर : 05

प्रदूषण: एक समस्या

(problem of pollution).

आज का युग विज्ञान का युग कहा जाता है। विज्ञान में हमें अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं, जिसके कारण हमारी धरती नंदनवन बन गई है। विज्ञान में जहाँ हमें अनेक प्रकार के वरदान दिए हैं, वहीं कुछ ऐसी समस्याएं भी पैदा की हैं, जो आज भीषणतुम अभिशाप बनकर हमारे अस्तित्व को ही समाप्त करने पर तुली हुई हैं। प्रदूषण भी उनमें से एक है।

प्रदूषण का अर्थ है- ‘दोषयुक्त’। आज का दूषित वातावरण, पर्यावरण या वायुमंडल भी प्रदूषित है। मनुष्य ने प्रकृति से जिस प्रकार छेड़-छाड़ की है, जिस प्रकार उसका अंधाधुंध दोहन किया है, उसी का दुष्परिणाम है-प्रदूषण।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। वायु प्रदूषण-वायु प्रदूषण का सर्वाधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है। आज जिस तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ है, उसी गति से वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ तथा राख से वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है तथा नगरों में लोग शुद्ध वायु में साँस लेने को तरसते हैं।

इन कारखानों से निकलने वाले दूषित पदार्थो, कचरे एवं विषैले रसायनों को कुछ नदी, नालों में बहा दिया जाता है जिससे उनका जल प्रदूषित हो जाता है। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल भी आज प्रदूषित हो गया है। जब जल प्रदूषित होगा तो शुद्ध जल कहाँ से उपलब्ध होगा। प्रदूषित जल का सेवन करने से घातक रोग लग जाते हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज के महानगरों में वाहनों, मशीनों और कल-कारखानों के शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। तेजी से आते-जाते वाहनों के शोर के कारण मानसिक तनाव तथा हृदय रोग, रक्तचाप जैसी व्याधियाँ जन्म लेती हैं।

भूमि प्रदूषण

भूमि प्रदूषण के लिए भी आज का विज्ञान ही उत्तरदायी है। अधिक अन्न उगाने के लिए जिस प्रकार की रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है, उससे भूमि प्रदूषित हो रही है। कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से अनेक प्रकार की बीमारियाँ मानव को सता रही हैं।

प्रदूषण का दुष्प्रभाव

प्रदूषण एक घातक समस्या है। जनसंख्या की अधिकता तथा इसके लिए आवास की समस्या को हल करने के लिए वृक्षों की जिस प्रकार अंधाधुंध कटाई की जा रही है, उससे प्रकृति भी नाराज़ होकर हमसे बदला लेती है। आज शुद्ध जल, शुद्ध वायु का नितांत अभाव होता जा रहा है। वायुमंडल में मिली जहरीली गैसें एक ऐसे विष का काम कर रही हैं जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य को घुन की तरह खाए जा रही हैं।

प्रदूषण से बचाव

प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षों का लगाया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जाना आवश्यक है। सरकार को ऐसे उद्योगों को आवासीय स्थानों से दूर लगाना चाहिए जो प्रदूषण फैलाते हैं। वनों की कटाई पर रोक लगाना भी परमावश्यक है। सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिएँ कि जो उद्योग प्रदूषण फैलाएगा, उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।

आज हम सबका कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित तथा स्वच्छ रखें। अधिक से अधिक वृक्ष लगाएँ तथा हरे-भरे पेड़ों को कभी न काटें। साथ ही सरकार को चाहिए कि नगरों में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को आबादी से दूर स्थानांतरित करने के लिए कड़े कदम उठाएँ। हर्ष का विषय है कि सरकार ने बड़े-बड़े नगरों में वाहनों के प्रदूषण को रोकने के लिए पैट्रोल के स्थान पर सी.एन.जी. गैस का प्रयोग करवाने के लिए कानून बनाए हैं।

निबंध नंबर : 06

Pollution Problem

प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है । यह समस्या धीरे-धीरे और बड़ी और भयानक होती जा रही है । प्रदूषण के मुख्य तीन रूप हैं – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । वायु प्रदूषण वायु में खतरनाक और विषैली गैसों के मिलने से उत्पन्न होता है । ये गैसें मोटर वाहनों, कारखानों तथा अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण भारी मात्रा में निकलती हैं । वायु प्रदूषण का दूसरा कारण वनों का कटाव है। पेड़ लगाकर तथा प्रदूषण रहित ईंधनों का प्रयोग कर हम वायु-प्रदूषण में कमी ला सकते हैं । जल-प्रदूषण की समस्या भी बहुत जटिल है । धरती पर पीने योग्य साफ जल का अभाव हो गया है । नदिया. तालाबों और झीलों के पानी में शहरों और कारखानों से निकला गंदा पानी छोड़ने से यह समस्या उत्पन्न हुई है । कीटनाशकों तथा खतरनाक रसायनों का बढ़ता प्रयोग भी जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है । ध्वनि प्रदूषण हमारे चारों ओर शोर-गुल बढ़ने से होता है। इन तीनों ही प्रकार के प्रदूषण से निबटने के लिए उचित प्रयास करने की आवश्यकता है।

निबंध नंबर : 07

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है-वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदूषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूभर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें भमि दूषित हो रही हैं। परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसलें मिलती हैं और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपुओं, फैक्टरियों और मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति के उपाय हैं-आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को कम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनयापन करना। घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना आदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।

(100 Words)

निबंध नंबर : 08

प्रदूषण की समस्या आज की सबसे विकट समस्या है। इस समस्या के कारण मनुष्य सहित सभी जीवधारियों का जीवन संकट में पड़ गया है। जल में, जमीन में, वायु और भोजन तक में ऐसे पदार्थ घुल-मिल गये हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इस कारण अनेक नयी-नयी बीमारियाँ पैदा हो रही हैं।

जनसंख्या वृद्धि इस समस्या का एक महत्वपूर्ण कारण है। शहरों में जहाँ आबादी अधिक सघन है, वहाँ इस समस्या का रूप विकराल है। शहरों में तरह-तरह के कारखाने होते हैं, वाहनों की भीड़ होती है। इनसे निकलने वाले धुएँ में जहरीली गैसें होती हैं। ये गैसें हवा में घुलकर वायु प्रदूषण उत्पन्न करती हैं।

घरों से निकलने वाले मल-जल और कल-कारखानों से निकलने वाले अपद्रव्य नाले-नालियों से होते हुए नदी-तालाबों आदि जल स्रोतों में मिलकर जल-प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। भूमि में फसल वृद्धि और बचाव के लिए डाले गये रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक भी जल में पहुंचकर उसे प्रदूषित करते हैं। ये भूमि की उर्वरा शक्ति भी घटाते हैं।

हमारे शरीर में प्रदूषित वायु, प्रदूषित जल तथा प्रदूषित भोजन के कारण, हानिकारक पदार्थों का जमाव बढ़ता जा रहा है। इस कारण अनेक नये-नये रोगों का खतरा बढ़ा है।

रेफ्रिजरेटर जैसे आधुनिक उपकरणों और विधियों के प्रयोग से एरोसोल नामक पदार्थ वायुमण्डल में घुलते हैं। ये पदार्थ वायुमण्डल में पृथ्वी के सुरक्षा कवच ‘ओजोन परत’ को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सूर्य की पराबैगनी किरणों का पृथ्वी तक सकती हैं। ये किरणें पृथ्वी के जीवों में कैंसर जैसे घातक रोग पैदा कर सकती हैं।

प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा। इन समस्याओं से निपटने के लिए सबको अकेले और समूह में मिलकर कारगर उपाय करने होंगे अन्यथा प्रदूषण के दुष्परिणाम सबको भोगना होंगे।

वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएँ को हवा में मिलने से रोकने के लिए नवीन तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिये। मल-जल और घरेलू गंदगी को जल-स्रोतों में मिलने से पहले उपचारित किया जाना चाहिये।

जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश पाना भी प्रदूषण को रोकने में सहायक होगा। फसलों में प्राकृतिक खादों तथा जैविक उर्वरकों का प्रयोग करके भूमि को बंजर होने से बचाया जा सकता है।

हमें मिल-जुलकर संगठित होकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के प्रयास में जुटना होगा। इस हेतु समाज में चेतना और जाग्रति फैलाना होगी। तभी इस समस्या से निपटा जा सकता है।

निबंध नंबर : 09

भारत में प्रदूषण की समस्या

Bharat me pradushan ki samasya .

प्रदूषण का अर्थ है-प्रकृति के स्वस्थ, सर्वजन, सुलभ कोष में असंतुलन, पृथ्वी अपना संतुलन बनाए रखती है, परंतु आज विज्ञान ने प्रकृति के संतुलन में भी हस्तक्षेप आरंभ कर दिया है। समय की गति के साथ-साथ जहाँ मानव ने अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है, वहाँ जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है। जनसंख्या वृद्धि, नगरों एवं शहरों का विकास, होने का कारण वनों को काटकर उद्योग धंधे स्थापित किए जा रहे हैं। इस शहरीकरण के बढने से व वनों के कम होने से धुआँ, गैस तथा मिलों से निकलने वाले पदार्थ जल, थल तथा वायु तीनों को प्रदूषित कर रहे हैं, प्रकृति का इस प्रकार प्रदूषित होना, प्रदूषण कहलाता है। वायु मंडल के प्रदूषण से जनसाधारण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वायुमंडल में एक ओर तो आक्सीजन कम हो रही है तथा दूसरी ओर विषैली गैसों की मात्रा बढ़ रही है। शहरों में कल कारखाने निरंतर धुआँ तथा अन्य जहरीली गैसें वायुमंडल में फेंकते रहते हैं। ऐसी विषैली वायु मे सांस लेने के कारण फेफड़ों के, गले के तथा श्वांस संबंधी अनेक रोग बढ़ जाते है। यातायात के साध नों के विकास से, गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ और धूल वायु को प्रदूषित करते हैं। शहरों के कल-कारखाने, लगातार धुआँ तथा अन्य जहरीली गैसें, वायुमंडल को प्रदूषित कर देती हैं।

गंदी वायु में सांस लेने से न केवल फेफड़ों के रोग पनपते है, अपितु रक्त शुद्ध नहीं रह पाता, चर्म रोग हो जाते हैं, आंखों की रोशनी कम होने लगती हैं, ध्वनि विस्तार के यंत्रों, चमकदार बत्तियों, औषधियों एवं सौन्दर्य प्रसाधनों, वाहनों के शोर, रसायनों से बने खाद्य, बहु-मंजिले मकानों, वस्त्र तथा वाहनों की अधि कता से प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। गंगा जैसी पवित्र नदी प्रदूषण का शिकार है। यमना का जल भयंकर रूप से प्रदषित हो चका है। कल-कारखानों के विषैली अवशेषों का नदी में छोड़े जाने से नदियों का जल प्रदूषित हो गया है, नदियों के जल में इतना अधिक जहर घुल गया है, कि उसमें पाए जाने-वाले जलीय-जीवन नष्ट होते जा रहे हैं।

प्रदूषण की एक और समस्या है-ध्वनि प्रदूषण यानि कल-कारखानों, मोटर गाड़ियों के अकारण शोर की मात्रा बहुत बढ़ गई है। शोर में रहने और काम करने से मानव के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे सुनने (श्रवणशक्ति) की शक्ति कम हो जाती है।

प्रदूषण से बचने के लिए आवश्यक है कि प्राकृतिक एवं मानव निर्मित वातावरण में तालमेल बना रहे। मानव उद्योग-धंधो का विकास जरूर करे, लेकिन प्राकृतिक सुंदरता को नुकसान न पहुचाएँ, नदियों, वनों पर्वतों, जलाशयों आदि को नष्ट न किया जाए। शहरों में प्रदूषण अधिक होता है, अत: उद्योग ध धों को शहरों से दूर रखा जाए। महानगरों में चिकित्सा, निवास, जलमल निष्कासन की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। वृक्षारोपण इस दिशा में बहुत उपयोगी सिद्ध होते है। अधिक वृक्ष होने से वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। गांव में छोटे-धंधो का विकास करके गांवों की जनसंख्या का शहरों में अतिक्रमण रोका जाना चाहिए।

प्रदूषण की समस्या से सारा विश्व चितिंत है, इससे बचने के लिए प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, सड़कों के दोनों ओर वृक्ष लगाये जाने चाहिए। हरियाली बनाए जाने के लिए पार्क बनाए जाने चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में कार्य हो रहा है। भारत में भी प्रदूषण नियंत्रण की योजनाएँ बनाती हैं।

अधिक वन लगाए जा रहे हैं। गंगा, यमुना के पानी के प्रदूषण को कम करने की योजना बनाई जा रही है। हिमालय को नष्ट होने से बचाने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं। आशा की जानी चाहिए कि जिस समस्या को मनुष्य ने स्वयं जन्म दिया है, उससे वह स्वयं सफलतापूर्वक निपट भी लेगा।

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली

दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।

दिवाली पर 10 वाक्य   || दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध

दीपावली 2021 पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Diwali 2021 in Hindi, Deepawali par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्रभु राम के चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाया गया, तब से प्रति वर्ष दिवाली मनाया जाने लगा। स्कंद पुराण के अनुसार दिवाली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। अतः आध्यात्मिक दृष्टि से दिवाली हिंदुओं का बहुत अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीपावली (Deepawali) के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रचलित कथाएं (इतिहास)

दिवाली का इतिहास बहुत पुराना है, इससे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जैसे कुछ लोगों के अनुसार सतयुग में भगवान नृसिंह ने इस दिन हिरण्यकश्यप का वध किया था इस उपलक्ष्य में दिवाली मनाया जाता है। कुछ लोगों का मानना है द्वापर में कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक आमवस्या को किया था इसलिए मनाया जाता है। कुछ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी दूध सागर से प्रकट हुई थी, एवं अन्य के अनुसार माँ शक्ति ने उस दिन महाकाली का रूप लिया था इसलिए मनाया जाता है।

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दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा

दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।

दीपावली कब मनाई जाती है

उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) का महत्व

दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दिवाली के साथ जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां इसके महत्व को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस त्योहार से हम सभी को सच के राह पर चलने की सीख प्राप्त होती है।

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निबंध – 2 (400 शब्द)

दीपावली (Deepawali), स्वयं में अपनी परिभाषा व्यक्त करने वाला एक शब्द है, जिसे हम सब त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह दीपों और रोशनी का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को हम दीवाली के रुप में मनाते हैं। इसे सभी हिंदू देशों जैसे की भारत, नेपाल, आदि में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष कोरोना के कारण दीवाली की परिभाषा थोड़ी अलग होगी। खुशियां तो आएंगी परंतु अभी लोगों से दूरी बनाने में ही समझदारी है।

2020 की कोरोना वाली दीवाली

इस वर्ष जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से लड़ रहा है तो वही त्योहारों का मौसम भी ज़ोर पर है। त्योहारों का आनंद जरूर उठाये परन्तु यह याद रखें की सावधानी हटी, दुर्घटना घटी अर्थात कोरोना किसी भी रूप में आप तक पहुंच सकता है इस लिये कुछ नियमों का पालन करें जैसे:

  • बाज़ार आवश्यक होने पर ही जाएं।
  • सामान लेने के बाद घर आकर सामान को सैनिटाइज जरूर करें।
  • मास्क पहनना न भूलें और एक छोटा सैनिटाइजर भी साथ में अवश्य रखें।
  • दीवाली अपने साथ ठंडक को भी दस्तक देती है तो अपनी सेहत का भी ध्यान दें।
  • एक जिम्मेदार नागरिक बनें और बच्चों को भी पटाखों से होने वाले नुकसान बताएं।
  • मौसम बदलने पर ज्यादातर लोग बीमार पड़ते हैं इस लिये त्योहार की भागा दौड़ी में खुद का ख्याल रखना न भूलें।
  • घरों में डस्टिंग और सफाई आदि करने से कई बार श्वास संबंधी रोग से पीड़ित लोगों को दिक्कत होने लगती है, इस लिये इसे करने से बचें क्यों की किसी भी तरह की श्वास संबंधी बीमारी होने पर लोगों में बेमतलब कोरोना की आशंका हो जाती है।
  • स्वास्थ्य के अतिरिक्त लोकल सामानों को खरीदें और लोकल के लिये वोकल बनें और भारतीय उत्पाद अपनाएं।
  • दीयों से खूबसूरत कुछ नहीं लगते, इस लिये विदेशी लाइटों की जगह घरों को मिट्टी के दीयों से सजाएँ और देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में मदद करें।

अपकी दीवाली केवल परिवार के साथ

दीवाली रोशनी का त्योहार तो है ही, साथ में खुशियां भी लाती है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इस दिन का बेसबरी से इंतजार करता है। नए कपड़ों, रंग-बिरंगी मिठाइयों और रंगोली के सामान से बाजारों में रौनक आ जाती है। लोग जम कर खरीदारी करते हैं और अपने-अपने घरों को भी सजाते हैं। इस दिन पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है।

इस दीवाली खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी रखें इस लिये इस वर्ष किसी के घर न जाएं सब को फ़ोन पर ही बधाई दे दें। अच्छा भोजन खाएं, ज्यादा बाज़ार के उत्पाद न खाएं घर पर बना खाना खाएं और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें और परिवार के साथ इसका आनंद लें।

हर त्योहार की अपनी खासियत होती है, ठीक इसी प्रकार रोशनी के इस पर्व को समृद्धि का सूचक माना जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। इस वर्ष पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक शांत और रोशनी से भरपूर त्योहार अपने-अपने परिवार के साथ मनाएं।

Diwali Essay

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निबंध – 3 (500 शब्द)

दीपावली (Deepawali) धन, धान्य, सुख, चैन व ऐश्वर्य का त्योहार है। भारत के विभिन्न राज्य इस अवसर पर पौराणिक कथाओं के आधार पर विशेष तरह की पूजा करते हैं। दिवाली, भारत तथा नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर दिपावली मानाने की वजह

भारत के विभिन्न राज्यों में दिवाली मानाने की अलग-अगल वजह है। उन में से कुछ प्रमुख निम्नवत् हैं-

  • भारत के पूर्वी भाग में स्थित उड़ीसा, बंगाल इस दिन माता शक्ति को, महाकाली का रूप धारण करने के वजह से मनाते हैं। और लक्ष्मी के स्थान पर काली की उपासना करते हैं।
  • भारत के उत्तरी भाग में स्थित पंजाब के लिए दिवाली बहुत महत्व रखता है क्योंकि 1577 में इसी दिवस पर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी। और इसी दिन पर सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को जेल से रिहा किया गया था।
  • भारत के दक्षिण भाग में स्थित राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि दिवाली पर, द्वापर में कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के खुशी में कृष्ण की पूजा करके मनाते हैं।

विदेश में दिपावली का स्वरूप

  • नेपाल – भारत के अलांवा भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दिपावली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिवस पर नेपाली कुत्तों को सम्मानित करते हुए उनकी पूजा करते हैं। इसके अलांवा वह संध्याकाल में दीपक जलाते हैं तथा एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं।
  • मलेशिया – मलेशिया में हिंदुओं की संख्या ज्यादा होने के वजह से इस दिन पर सरकारी अवकाश दिया जाता है। लोग अपने घरों में पार्टी आयोजित करते हैं। जिसमें अन्य हिंदू व मलेशियाई नागरिक सम्मिलित होते हैं।
  • श्रीलंका – इस द्वीप में रह रहे लोग दिवाली के सुबह उठ कर तेल से स्नान करते हैं और पूजा के लिए मंदिर जाते हैं। इसके अतिरिक्त यहां दिवाली के मौके पर खेल, आतिशबाजी, गायन, नृत्य, भोज आदि आयोजित किया जाता है।

इन सब के अतिरिक्त अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर, रीयूनियन, फिजी में बसे हिंदुओं द्वारा यह पर्व मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) पर ध्यान रखने योग्य बातें

विशेषकर लोग दीपावली (Deepawali)पर पटाखे जलाते हैं, यह पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं। मस्ती में होने के वजह से अनचाही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अतः त्योहार के धूम-धाम में व्यक्ति को सुरक्षा का भी पूर्ण खयाल रखना चाहिए।

दीपावली (Deepawali)पर अभद्र व्यवहार न करें

कई लोगों का मानना है, दिपावली के अवसर पर जुआ खेलने से घर में धन की बाढ़ आ जाती है। इस कारणवश अनेक लोग इस अवसर पर जुआ खेलते हैं। यह उचित व्यवहार नहीं है।

अत्यधिक पटाखो का जलाया जाना

पटाखों के आवाज से अनेक बेजुबान जानवर बहुत अधिक डरते हैं। इसके अलांवा बड़े-बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज़ भी इन ध्वनि से परेशानियों का सामना करते हैं। इसके साथ ही दिवाली के दूसरे दिन प्रदुषण में वृद्धि हो जाती है।

दिवाली खुशीयों का त्योहार है। इससे जुड़ी प्रत्येक चीज हमें खुशी देती है। हम सभी को समाज के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है की हमारे मस्ती और आनंद के वजह से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न होने पाए।

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प्रदूषण की समस्या पर निबंध। pradushan ki samasya par nibandh.

विश्व की सबसे गंभीर समस्या है “प्रदूषण” भारत में भी वायु प्रदूषण दिन -प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। आज भारत और कई देशों में वायु, जल, और मिटटी का प्रदूषण सर चढ़कर बोल रहा है। भारत में बड़ी -बड़ी सड़कों का निर्माण करने की वजह से वृक्षों को नियमित रूप से काटा जा रहा है। सड़कों पर प्रति दिन और रात भागते हुए वाहन और गाड़ियां जहरीली गैस छोड़ती है। यह जहरीली गैस वायु को प्रदूषित कर देता है। यह वायु में जलीय वाष्प के साथ मिलकर वायु को भयंकर रूप से प्रदूषित करता है। रोज़ हम इसी वातावरण में सांस लेते है और जीते है। वायु प्रदुषण से हमारे शरीर को काफी नुक्सान पहुँचता है। बड़े-बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भारी मात्रा में वायु और जल प्रदूषण के नतीजे मिल रहे है। दिल्ली प्रदूषण के मामले में सबसे ऊपर है।

इससे जीव-जंतुओं और मनुष्य को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां मनुष्य को हो रही है। ध्वनि प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है। सड़कों में बढ़ते हुए गाड़ियों की ध्वनियों से मनुष्य को घुटन और सरदर्द जैसी बीमारियां होती रहती है। मनुष्य की स्वार्थ भावना की वजह से प्रदूषण जैसी समस्याएं उतपन्न हो रही है। मनुष्य बड़ी -बड़ी इमारतें और कारखाने बनाने के लिए वनो और वृक्षों को निर्दयता पूर्वक काट रहे है। वृक्षों की वजह से वर्षा होती है। वर्षा की मात्रा पृथ्वी पर प्रदूषण की वजह से कम होती जा रही है। वृक्ष और पेड़ पौधे अगर जीवित रहेंगे तो प्रदूषण की समस्या से हम निपट सकते है।

कल-कारखानों से बढ़ता हुआ धुंआ प्रदूषण में आग में घी की तरह काम कर रहा है। इस पर मनुष्य जाति को आवश्यक कदम उठाने होंगे। मनुष्य को समझना होगा की सिर्फ तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास के लिए वह प्रकृति को दाव पर लगा रहा है। हमे अपने प्राकृतिक संसाधनों की कदर करनी चाहिए। हम प्राकृतिक संस्धानों को बिना सोचे समझे उसका गलत उपयोग कर रहे है और नतीजा हम सबके समक्ष है।

जल प्रदूषण भी एक घोर गंभीर मनुष्य द्वारा उतपन्न की हुई समस्या है। भारत की कई नदियाँ फ़ैक्टरिओं के कचड़े और प्रदूषित, नुकसानदेह रसायन तत्वों को झेल रही है। इसके साथ गांव और कई जगह पर लोग खुले में शौच, कपड़े धोना और पशुओं को नहलाते है। जिससे नदियाँ और पोखर का पानी असवभाविक रूप से प्रदूषित हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो नदियों का स्वच्छ जल प्रदूषित होने के कारण मनुष्य बिमारियों से घिर जाएगा। जल प्रदूषण से कई तरह की पेट की बीमारियां हो रही है और होती आयी है। किसान खेतों में कई रासायनिक पदार्थों का उपयोग करता ताकि फसल बहुत अच्छे पैमाने पर विकसित हो। लेकिन यह रासायनिक तत्व जल के नालो के माध्यम से नदियों तक पहुँच कर जल को दूषित कर देता है। जल के प्रदूषित होने से जल में रहने वाले जीव मर जाते है।

जनसंख्या वृद्धि और विज्ञान और तकनीकी उन्नति ने प्रदूषण जैसे संकट को पृथ्वी पर निमंत्रण दिया है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों की बीमारियां होती है और लोगों को सांस लेने में दिक्क्त होती है। लाउड स्पीकर और बसों के ऊँचे ध्वनियों के कारण लोगों को सुनने में तकलीफ होती है और इससे तनाव उतपन्न होता है।

प्रदूषण की वृद्धि में फ्रिज, वातानुकूलित यन्त्र और कई प्रकार इलेक्ट्रॉनिक मशीन ज़िम्मेदार है। प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान की वृद्धि हो रही है। अंटार्टिक में जमी हुई बर्फ पिगल रही है जिससे समंदर का स्तर विश्वभर में बढ़ रहा है। इससे प्राकृतिक आपदाएं यानी बाढ़ जैसी समस्याएं उतपन्न हो रही है।

जितनी पृथ्वी पर हरियाली और पेड़ -पौधे खत्म होंगे उतना ही यह प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर होगा। प्रदूषण को रोकने लिए अभी मानव जाति जागरूक हुई है लेकिन और जागरूक होने की आवश्यकता है।

जहाँ हम वृक्ष काटे वहां पांच पौधे अवश्य लगाए। वृक्षारोपण बहुत ही एहम माध्यम है। लोगों में प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाये। कल -कारखानों का निर्माण मनुष्यों के घरों और सार्वजनिक जगहों से दूर हो ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। कल-कारखानों को ज़रूरी सुचना दी जाए की वह रसायनभरे तत्वों को  सीमित मात्रा से प्रवाहित करे ताकि प्रकृति और उनके जीवो को कोई नुक्सान ना पहुंचे। हम सभी को यह निश्चित रूप से एक जुट होकर प्रदूषण कोजड़ से मिटाने की हर मुमकिन छोटी से छोटी कोशिश करनी चाहिए। प्रदूषण पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए मनुष्य को वह सारे कार्य बंद करने होंगे जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। पृथ्वी और प्रकृति के हित के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करने की आवशयकता है।

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प्रदूषण की समस्या 400 शब्दों में Pradushan ki samasya Hindi mai

वैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता या औद्योगीकरण के चक्कर में अनेक छोटे-बड़े, कल-कारखानों और उद्योगों की स्थापना की गई। जनसंख्या में अनवरत् वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों का विस्तार हुआ। बिना किसी पूर्वनिर्धारित योजना के नगर बसने लगे। इसके लिए जंगलों को काटकर साफ कर दिया गया। कल-कारखाने दिन-रात धुआँ उगलने लगे जिससे प्रदूषण होने लगा। इन उद्योगों में उत्पादित बेकार पदार्थों को नदियों में डाला जाने लगा। फलस्वरूप दूषित वातावरण का निर्माण होने लगा और जन स्वास्थ्य में भारी गिरावट आने लगी।

कल-कारखानों के निरंतर स्थापित होते जाने और जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव-जन्तु समाप्त हो रहे हैं, कुछ प्राणी तो प्रायः लुप्त हो गए हैं। यही कारण है कि प्रकृति की स्वभाविक क्रिया में असंतुलन उत्पन्न होने लगा है और उसकी शोधक क्षमता शिथिल हो गई है। कारखाने दूषित और अनियन्त्रित जल तथा अन्य बेकार पदार्थ बाहर निकाल, दुर्गन्धयुक्त गैस फैलाकर वायु को दूषित कर रहे हैं।

वायु-प्रदूषण से मानव के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है। दूषित वायु में साँस लेने के कारण फेंफड़ों के रोग पनपते हैं, आँखे खराब होती हैं। यातायात के साधनों और मशीनों के शोर से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। जिससे कान बहरे हो जाते है। इस तरह मनुष्य कई मानसिक एवं शारीरिक रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है।

वैज्ञानिक उन्नति और औद्योगिकरण के वर्तमान वातावरण में हम एक तरफ तो प्राकृतिक साधनों को नियन्त्रित कर रहे हैं और दूसरी ओर स्वयं कृत्रिमता की चकाचौध से अंधे होकर उसके पीछे भागते जा रहे है, अतः इससे बचने के लिए हमें प्राकृतिक और मानव-निर्मित कृत्रिम वातावरण में संतुलन कायम करना होगा, ताकि प्रकृति का सुन्दर स्वरूप बना रहे और मानव सभ्यता के विकास की सम्भावनाए भी बनी रहे।

ग्रामीण जीवन की खुशहाली पर महानगरों का जीवन आश्रित है। ग्रामीण संस्कृति को भी नगरीय संस्कृति के सामने फलने-फूलने का अवसर प्राप्त होना चाहिए। कारखानों को शहरों, नगरों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जिससे उनसे निकलने वाला धुआँ, जहरीली गैस का प्रभाव लोगों तक न पड़े। मानव को साँस लेने के लिए शुद्ध आक्सीजन मिलती रहे। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए खाली भूमि पर अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करना चाहिए। लोगों को अपने आवास के आस-पास पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सौर ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अनावश्यक शोर न हो। यह सब तरीके अपनाने के बाद हम अपनी पृथ्वी को प्रदूषण से मुक्त कर सकेंगे और साथ ही साथ इसे स्वच्छ भी रख सकेंगे।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in hindi)

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (essay on environment pollution in hindi) या प्रदूषण पर निबंध (paryavaran pradushan par nibandh) मुझे विश्वास है की आपलोगो को आज का आर्टिकल प्रदूषण पर निबंध (pollution essay in hindi) पढ़ कर अच्छा लगेगा |

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प्रस्तावना – विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ कुक्ष वरदान मिले है, वहाँ कुक्ष अभिशाप भी मिले है। प्रदुषण एक ऐसा अभिशाप है जो विज्ञान की कोख में से जन्मा है और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है | प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका यह सिर्फ हमारे देश की नहीं बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है| जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है।

प्रदूषण का अर्थ (pollution meaning in hindi) –

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति सतुलन खराब होना, जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना ।

एथम हैरी   के अनुसार – “पर्यावरणीय प्रदूषण जो मानवीय समस्याओं को प्रगति के ताने-बाने तक पहुँचाता है, स्वयमेव सामान्य सामाजिक संकट का प्रमुख अंग है। यदि सभ्यता को लौटाकर बर्बर सभ्यता तक नहीं लाना है तो उस पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है।”

लार्ड केनेट के अनुसार –  “जो मनुष्य द्वारा बिना चाहे उत्पादित किये गये हों जिनके उत्पादन का उद्देश्य अब समाप्त हो गया हो या जिनका मनुष्य के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता हो।पर्यावरण में उन तत्वों उपस्थिति को प्रदूषण कहते हैं,|”

ओडम के अनुसार – ” वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।” 

National Environmental Research Institutes (NERC) के अनुसार – “मनुष्यों के क्रिया-कलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों के रूप में पदार्थों एवं ऊर्जा के विमोचन से प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution in hindi) –

प्रदूषण मुख्य रूप से 5 प्रकार के होते हैं |

  • वायु प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • आधुनिक युग में आर्थिक प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार के छोटे-बड़े कल-कारखानों और उद्योगों का विकास मानव ने अपनी भौतिक सुख सुविधा को प्राप्त करने के लिए कर लिया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ग्राम नगर और महानगरों का आकार बढ़ता जा रहा है।वन क्षेत्रों को काटकर आवास की समस्या का समाधान किया जा रहा है। उत्पादन और सुरक्षा के लिए ऐसे यंत्रों का निर्माण किया जा रहा है जो रात दिन ध्वनि और धुआं उगलते रहते है। नदियों पर बांध बनाया जा रहा है इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है।

वायु प्रदूषण (air pollution essay in hindi)-

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है | इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआ वाला है। इन स्त्रोतों से निकलने हानिकारक धुंआ लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनो ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रव का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे (लम्बे) समय  के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती है।

जल प्रदूषण (water pollution essay in hindi)

जल प्रदूषण भी सीधे समुद्री जीवन को प्रभावित करने वाला एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि वे केवल अपने जीवित रहने के लिए पानी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर रहते हैं। समुद्री जीवन का धीरे-धीरे गायब होना वास्तव में इंसानों और जानवरों की आजीविका को प्रभावित करेगा। कारखानों, उद्योगों, सीवेज, सिस्टम, आदि से निकलने वाले हानिकारक कचरे का सीधे पानी के मुख्य स्त्रोतों जैसे नदियों, झीलों और महासागरो मे डाला जाता है जिससे पानी दूषित हो जाता है । इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है| इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

मिट्टी प्रदूषण (land pollution essay in hindi)

मिट्टी प्रदूषण उर्वरकों, फफूंदनाशकों, कीटनाशको और अन्य रासायनिक यौगिकों के अत्यधिक उपयोग कारण होता है। घरों, होटलों और औद्योगिक इकाईयों द्वारा निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, लकड़ी, धातु, काँच, सेरामिक, सीमेंट आदि सम्मिलित हैं यह मिट्टी पर पैदा होने वाली को भी दूषित करता  इनका सेवन किया जाता है तो इससे स्वास्थ को खतरे हो सकते| भूमि प्रदूषण से धीरे धीरे कृषि योग्य भूमि की कमी हो रही है

ध्वनि प्रदूषण (sound pollution essay in hindi)

ध्वनि प्रदूषण का स्त्रोत भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि से उत्पन्न ध्वनि है | जिससे श्रवण शक्ति का कमजोर होना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, उच्चरक्तचाप, मनोवैज्ञानिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं। लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से बहरापन का भी सामना करना पड़ सकता है।

प्रकाश प्रदूषण (light pollution essay in hindi)

प्रकाश प्रदूषण का कारण गाड़ियों हाई वोल्ट के बल्ब का उपयोग करना | किसी कार्यक्रम में बहुत ही ज्यादा लाइटिंग डेकोरेशन करना । इन सभी की वजह से ही आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है और हाईवे पर गाड़ी एक्सीडेंट करती हैं सिर में भी दर्द होता है।

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय

वायु प्रदूषण को रोकने के हमें अधिक मात्रा लिए मे पेड़ लगाने चाहिए | साथ ही जहां पर पेड़ों की अधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए

जल प्रदूषण को कम करने के लिए साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा | जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियों और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वाराही किया जाता है इसलिए अगर उम स्वयं हॉर्न बजाना बर्द और मशीनो की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उनसे आवान  नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण मे कमी आएगी । कृषि के लिए रसायनिक  खाद के स्थान पर जैविक खाद, गोबर खाद  आदि इस्तेमाल करना चाहिए ।

निष्कर्ष- प्रदूषण  एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या बनती जा रही है। जो ईश्वर रूपी प्रकृति व मानवीय जीवन को विनाश की खाई मे ढ़केल रही हैं यदि इसके निवारण व नियंत्रण को नजरअंदान किया तो यह मानव जीवन व अन्य प्राणियों के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरेगी।

जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी शुद्ध भोजन, हवा, पानी आदि अनेक चीनों के लिए तरसेगी इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण की कदम बढ़ाने होगे कथा हमें जन-जन में प्रदूषण नियंत्रण संबंधित जानकारी के प्रति जागरूकता फैलानी होगी।

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pradushan rahit diwali essay in hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध – पर्यावरण में शुद्ध वायु, जल, मिट्टी और शुद्ध वातावरण का न मिलना प्रदूषण कहलाता है। वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है जो हमारी पृथ्वी को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है। वाहनो और कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुँआ हवा को दूषित कर रहा है, वहीँ दूसरी ओर कल कारखानों से निकले दूषित जल और कचरे को समुद्र और नदी नालों में फेंक दिया जाता है जिससे जल प्रदूषण हो रहा है।

मानव जीवन को स्वस्थ और लम्बे समय तक जीने के लिए शांत और स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्तमान समय में प्रदूषण जिस तेजी से फैल रहा है। उससे शुद्ध खाद्य पदार्थ और शुद्ध वातावरण की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने कई सारे नियम लागू किये लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है।

pradushan rahit diwali essay in hindi

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प्रदूषण क्या है (What is Pollution in Hindi)

प्राकृति ने हमें पानी, हवा भूमि और कई महत्पूर्ण संसाधन प्रदान किये है जो जीवनयापन करने के लिए बहुत आवश्यक होता है। लेकिन जब इन प्राकृतिक संसाधनो में गन्दगी या दूषित तत्व मिलने से इनका संतुलन बिगड़ जाता है तो उसे प्रदूषण कहते हैं।

प्राकृतिक संसाधनो का संतुलन बिगड़ने से कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। वर्तमान समय में सभी चीजें दूषित होने की वजह से छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने फायदे के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है जो पर्यावरण असंतुलित होने का एक प्रमुख कारण है।

प्राकृतिक का असंतुलन होना सम्पूर्ण मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। इसलिए सभी लोगो की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी के साथ प्रदूषण को दूर करने में अपना सहयोग दें।

अगर हम लोग अपने आने वाली पीढ़ी के उज्वल भविष्य के कामना करते हैं तो हमें एक साफ-सुथरा, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण का निर्माण करना पड़ेगा। और बढ़ते प्रदूषण को रोकना पड़ेगा नहीं तो सम्पूर्ण पृथ्वी का विनास होने में ज्यादा वर्ष नहीं लगेंगे।

प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution in Hindi)

प्रदूषण के मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण। तो चलिए इन सभी प्रदूषण को एक-एक कर विस्तार से जानते हैं।

1. वायु प्रदूषण

वाहनों और कारखानों से निकंलने वाला हानिकारक और जहरीला धुँआ हवा को दूषित करता है जिससे वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण के होने लोगो को लोगों को सांस लेने के लिए दिक्कत और दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है।

वायु प्रदूषण केवल मानवीय कार्यों द्वारा नहीं होता बल्कि प्राकृतिक रूप से भी होता हैं। जैसे-ज्वालामुखी फटने से हानिकारक गैसे बाहर निकलती हैं और वायु प्रदूषण करती हैं। इसके अलावा आँधी से चलने से धूल के कणवातावरण को दूषित करते हैं। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि प्राकृतिक स्रोतो से वायु प्रदूषण मानवीय स्रोत की तुलना में सीमित मात्रा में हानि पहुंचाते हैं।

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए स्वच्छ ईंधनों, जैसे सी.एन.जी. का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ऊर्जा के स्वच्छ संसाधनोंजैसे सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और जल ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
  • प्रदूषण करने वाली चीजों के उत्पादन और उपभोग में रोक लगानी चाहिए।
  • ऐसे उद्योग ज्यादा मात्रा में प्रदूषण फैलाते हों, उन्हें रिहायशी इलाकों से काफी दूर रखना चाहिए।

2. जल प्रदूषण

घरों और कारखानों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है जिससे जल प्रदूषण होता है। इसके अलावा कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक मिलाने से भी जल दूषित होता जाता है।

जल प्रदूषण होने से लोगो को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलता है और लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं जिसके कारण लोगो को हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पीने वाले जल स्त्रोत जैसे तालाब, नदी, इत्यादि के चारो ओर दीवार बनाकर गंदगी जाने से रोका जाना चाहिए।
  • रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग कम से कम होना चाहिए।
  • घरों और कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को जल स्त्रोत में मिलने से रोकना चाहिए।
  • हर घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए।
  • नदी तथा तालाबो मे पशुओं को नहलाने और कपड़ा धोने से रोकना चाहिए।

3. मृदा प्रदूषण

जब मानवीय और प्राकृतिक कारणों से मृदा की गुणवत्ता में ह्रास को मृदा-प्रदूषण कहते हैं। घरों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा जमीन पर ही फैला रहता है, और वह मिट्टी को दूषित करता है जिससे मृदा प्रदूषण होता है। इसके अलावा खेती में ज्यादा मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों का इस्तेमाल करने से भी मृदा प्रदूषण होता है।

मृदा प्रदूषण होने से मच्छर, मक्खियाँ और अन्य तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्य कई तरह की गंभीर बीमारियाँ से ग्रसित होने लगता हैं। संक्रमित मिट्टी में उगाई जाने वाली सब्जियों का सेवन करने से लोगो को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय

  • मृदा प्रदूषण को रोकने के वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • फसलों पर छिड़कने वाली उर्वरकों और कीट-नाशकों का इस्तेमाल कम होना चाहिए।
  • गाँव और शहरों में मल एवं गन्दगी को एकत्रित करने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • पेड़ और वनों के विनाश पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  • खेती करने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।

4. ध्वनि प्रदूषण

तेल शोर या ध्वनि जो मानव के लिए हानिकारक होता है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण होने के कारण लोगो को मानसिक तनाव बढ़ता है, उनकी सुनने की क्षमता कमजोर होती है और कभी-कभी इतनी तेज आवाज होने की वजह से उनकी सुनने की ताकत हमेंशा के लिए चली जाती है।

ध्वनि प्रदूषण होने के कई कारण होते हैं जैसे कारखानों में चलने वाली मशीनों और दूसरे उपकरण से, सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और तेज लाउड स्पीकर बजने से होता है।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय

  • ज्यादा शोर करने वाले वाहन, मोटर, ट्रक, आदि पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
  • उद्योगों, कल-कारखानों में शोर उत्पन्न करने वाली मशीनों का इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए।
  • लम्बे और घने वृक्ष ध्वनि को शोषित करते हैं इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए।
  • तेज लाउड स्पीकर बजने पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए है।
  • टी.वी. रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन्स आदि को धीमी गति से चलाना चाहिए।

इन्हें भी पढ़े –

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • सदाचार पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

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Hindi Essay on “Vatavaran me Pradushan” , ”वातावरण प्रदूषण” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

वातावरण प्रदूषण

Vatavaran me Pradushan

वातावरण हमारा आस-पास का स्थान है जहां हम रहते हैं। इसमें हवा, पानी और आवाज तथा गंध शामिल है। वातावरण दूषित हो रहा है। जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह अब शुद्ध नहीं है। जो पानी हम पीते हैं वह कीटाणुओं से भरा हुआ है। आवाज़ तथा रोशनी भी प्रदूषण से भरी हुई है। हमें अपने आस पास गंदी गंध आती है।

हवा का प्रदुषण इसमें जहरीली गैसों के मिश्रण से होता है। फैक्टरियों से धुआं निकलता है। धुएं में कार्बन के कण शामिल होते हैं। ये कण हवा को प्रदूषित करते हैं। पेड़ हवा को साफ़ करते हैं, किन्तु बदकिस्मती से पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है। फैक्टरियों द्वारा जल प्रदूषण भी फैल रहा है। फैक्टरी अलग प्रकार के रसायन प्रयोग करती है। इन रसायनों का व्यर्थ भाग पानी में बहा दिया जाता है। पानी पीने योग्य नहीं रहा। प्रदूषित हवा तथा पानी अनेक बीमारियों को जन्म देते हैं।

रेडियो तथा लाऊड स्पीकरों द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। धार्मिक स्थलों पर लाऊड स्पीकरों का बहुत उपयोग होता है। पश्चिमी गीतों की कैसेटें बजाई जाती हैं। यह संगीत केवल शोर के अलावा और कुछ भी नहीं होता। यह हमारी तंत्र प्रणाली पर गहरा असर डालते हैं। यह व्यक्ति की सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँचाते हैं। कागज़ प्रदूषण भी एक समस्या है। समाचार पत्र कई प्रकार की खबरें छापते हैं। कई प्रकार की व्यर्थ मशहूरियां छापी जाती हैं। इससे लोगों के दिमाग खराब होते हैं। इस प्रकार के प्रदूषण को मनोदशा प्रदूषण कहा जाता है।

चाहे प्रदूषण की कोई भी प्रकार हो, यह व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। इसलिए इसे रोकना चाहिए। औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण की योजना बनानी चाहिए। औद्योगिक क्षय को जमीन में दबा देना चाहिए। अधिक हानिकारक रसायन इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। हवा को शुद्ध करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। लाऊड-स्पीकरों के इस्तेमाल को रोकना चाहिए। अखबारों को भी गलत प्रकार की, लोगों को भड़काने वाली खबरें नहीं लगानी चाहिए।

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  • NCC Diwas – 28 November “एन.सी.सी. दिवस – 28 नवम्बर” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.
  • Example Letter regarding election victory.
  • Example Letter regarding the award of a Ph.D.
  • Example Letter regarding the birth of a child.
  • Example Letter regarding going abroad.
  • Letter regarding the publishing of a Novel.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

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  1. Essay on Diwali in Hindi दिवाली पर निबंध

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  2. दिवाली पर निबंध

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  3. Essay on Diwali in Hindi

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  4. Essay on Diwali in Hindi

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  5. Diwali Essay in Hindi

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  6. दीपावली पर निबंध 15 line

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  1. 10 lines on Diwali in hindi/Diwali essay in hindi/दिवाली पर निबंध/Essay on Diwali/Diwali par nibandh

  2. 5 Lines On Diwali in Hindi

  3. diwali par 10 line

  4. दीपावली पर निबंध 20 लाइन

  5. दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर 10 निबंध || Diwali ke karan hone wale pradushan par nibandh

  6. Diwali Essay In Hindi 10 Lines

COMMENTS

  1. दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध (Pollution Due to Diwali

    दीपावली के कारण होने वाले प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pollution Due to Diwali in Hindi, Diwali Ke karan hone wale Pradushan par Nibandh Hindi mein) यह भी पढ़ें: भाई दूज (Bhai Dooj)

  2. दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi)

    दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दिवाली पर हिंदी में निबंध लिखने की प्रक्रिया की जानकारी आप इस लेख में दिए गए दिवाली पर नमूने निबंध के माध्यम से प्राप्त कर ...

  3. मनाएं दिवाली प्रदूषण रहित और साथ में बचत भी

    तो आयिए जानते है कि पैसे बचाकर कैसे मनाएं खुशियों से भरपूर इको फ्रेंडली दिवाली - 5 Ways To Become Eco Friendly (Pradushan Rahit Diwali) & Save Money this Diwali In Hindi

  4. दीपावली पर निबंध

    Also Read : Essay On Diwali In Hindi For Class 5,6,7 And 8. ... Patakhon ki vajah se sabhi tarah ka pradushan hota hai jaise - dhuyen ke kaaran vaayu pradushan, patakhon ki aavaj ke kaaran dhvani pradushan, jahrile padarth dharti par gir jane se bhoomi pradushan, patakhon ka jahrila padarth pani me mil jane ki vajah se jal pradushan aadi. ...

  5. दीपावली पर निबंध: 150 शब्दों में जानिए दिवाली का महत्व और खास तरीके

    दिवाली पर निबंध 150 शब्दों में Essay on Diwali In Hindi 150 Words Diwali Essay In Hindi 150 Words. दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस ...

  6. प्रदूषण मुक्त दिवाली पर 10 वाक्य

    Set (2) 10 Lines on Pollution Free Diwali in Hindi. 1. आजकल सभी इको फ्रेंडली दिवाली कहकर शुभकामनाय देते है।. 2. भारतवार्ष में दिवाली लोग हर्षोल्लास से मनाते हैं।. 3 ...

  7. दीपावली 2023 पर निबंध 800 शब्दों में: महत्व, इतिहास, और अनूठे तरीके से

    Diwali Essay In Hindi 800 Words. ऐसा भी कहा जाता है कि दीपावली के दिन साफ सफाई रखने से लक्ष्मी का वास होता है। इसीलिए दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी माँ और गणेश जी की पूजा ...

  8. Diwali Essay in Hindi- दीपावली

    दीपावली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन- Diwali Essay in Hindi 10 lines for Child & Kids ( 100 words ) 1. दीपावली हिंदुओं का पावन त्योहार है।. 2. यह अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता ...

  9. प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)

    प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)- छात्रों की सहायता और जानकारी के लिए हम प्रदूषण पर निबंध लेकर आए हैं। छात्र इस लेख की सहायता से प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh ...

  10. दिवाली निबंध 500 शब्द इन हिंदी

    दिवाली निबंध इन हिंदी - Diwali par nibandh Hindi me, 150, 200, 300 500 शब्दों में दीपावली पर निबंध, हिंदी में बच्चों के लिए दीपावली पर निबंध यहां पाएं!

  11. दिवाली पर निबंध

    दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi. दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता ...

  12. प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on

    मेरा स्कूल पर निबंध - 10 lines (My School Essay in Hindi) Long and Short my school Essay 100, 150, 200, 250, 500, शब्दों मे दिवाली पर निबंध - 10 lines long and short Essay on Diwali 2024 in Hindi (150, 200, 250 , 400, 500 शब्दों में)

  13. दीवाली पर अनुच्छेद

    त्यौहार कैसे मनाया जाता है: दीवाली की रात लोग अपने-अपने घरों और दुकानो को खूब रोशन करते हैं । साधारण लोग मिट्टी के दीपकों और ...

  14. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में

    पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में. प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ ...

  15. वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

    स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi) गणतंत्र दिवस पर 10 वाक्य (10 Lines on Republic Day 2024 in Hindi) गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध (Republic Day Parade Essay in Hindi)

  16. Hindi Essay on "Pradushan ki Samasya", "प्रदूषण की समस्या ", for Class

    प्रदूषण की समस्या Pradushan ki Samasya Total Essay 9. निबंध नंबर : 01 . प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। प्रदूषण विज्ञान ...

  17. दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

    दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के ...

  18. प्रदूषण की समस्या पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    प्रदूषण की समस्या 400 शब्दों में Pradushan ki samasya Hindi mai. वैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिए ...

  19. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in hindi)

    दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (essay on environment pollution in hindi) या प्रदूषण पर निबंध (paryavaran pradushan par nibandh) मुझे विश्वास है की आपलोगो को आज का आर्टिकल ...

  20. प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

    प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi. May 4, 2023 by Vijay Singraul. प्रदूषण पर निबंध - पर्यावरण में शुद्ध वायु, जल, मिट्टी और शुद्ध वातावरण का न मिलना प्रदूषण ...

  21. Hindi Essay on "Vatavaran me Pradushan ...

    वातावरण प्रदूषण . Vatavaran me Pradushan. वातावरण हमारा आस-पास का स्थान है जहां हम रहते हैं। इसमें हवा, पानी और आवाज तथा गंध शामिल है। वातावरण दूषित हो रहा है। जिस हवा ...