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विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध (Science is a Boon or Curse Essay in Hindi)

क्या आप बिजली, टेलीविजन, पंखे, मोबाइल, फ्रिज इत्यादि के बिना जीवन की कल्पना कर सकते है? बिना किसी परिवहन के साधन के मीलों की यात्रा करना पहले आसान नहीं हुआ करता था। लोग अपने करीबियों, रिश्तेदारों, दोस्तों या अन्य किसी के साथ बात नहीं कर पाते थे, क्योंकि उन दिनों पत्र भेजने के आलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। यह केवल विज्ञान के कारण ही संभव हो सका है, जिसने विज्ञान के विशाल प्रौद्योगिकियों के साथ हमारे जीवन को बहुत ही सरल बना दिया है। विज्ञान ने जहां तकनीकियों और प्रौद्योगिकियों से हमारे जीवन को सरल और सुगम बनाया है वही विज्ञान मानव जीवन के विनाश का कारण भी है।

विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर लघु व दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on Science is a Boon or Curse in Hindi, Vigyan Vardan ya Abhishap par Nibandh Hindi mein)

मैंने इस निबंध के माध्यम से विज्ञान के सभी पहलुओं पर चर्चा करने की कोशिश की है जो ये साबित करेगा की विज्ञान अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। यह निबंध सभी छात्रों को निबंध लिखने, प्रोजेक्ट बनाने इत्यादि में अवश्य सहायक सिद्ध होगी।

विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर लघु निबंध – 400 शब्द

विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसका सीमा तथा क्षेत्र दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक तथा किसी वस्तु या प्राणी का क्रमवद्ध ज्ञान, विज्ञान कहलाता है। हम सभी जानते हैं, पानी का उबलना एक प्राकृतिक घटना है, पर पानी सदैव 100 डिग्री पर उबलता है तथा 0 डिग्री पर जमता है यह विज्ञान है।

विज्ञान के अविष्कार जो पृथ्वी के लिए वरदान हैं तो अभिशाप भी हैं

  • रॉकेट बम मिसाइल – विज्ञान की देन रॉकेट बम मिसाइल तथा परमाणु शक्ति हैं, जो हमारे मुसीबत में तो काम आते हैं पर इनकी बढ़ती संख्या विश्व के लिए संकट है। आतंकवाद इसके माध्यम से ससक्त होता है, साथ ही परमाणु शक्ति भी विश्व भर में खतरे का संकेत हैं। यह अत्यधिक खतरनाक शक्तियां है। 6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरीकी वायु सेना ने जापान के शहर हिरोशिमा पर “लिटिल बॉय” परमाणु बम गिराया तथा इसके तीन दिन बाद नागासाकी पर “फैट मैन” परमाणु बम गिराया। जिसका दुष्परिणाम आज भी वहां देखा जा सकता है। परमाणु शक्ति से विश्व परिचित है इसलिए यह प्रावधान है कि, पाँच देशों के अनुमति के बिना, यह किसी भी देश द्वारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।
  • बड़े बड़े कारखाने – विज्ञान के मदद से, विश्व विकास के उच्च आयाम को प्राप्त कर चुँका है पर विश्व में विज्ञान के माध्यम से प्रदुषण भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है। कारखानों से निकता गैस, हवा को दुषित करता है। जीवाश्म ईंधन के निरंतर जलने से यह पर्यावरण पर अपना अनुचित प्रभाव छोड़ रहा है। जिसके वजह से ठण्ड के समय में दक्षिण एशिया पर इसका प्रभाव हम साफ तौर पर देख सकते हैं, जहां अनुमानित समय से कई अधिक समय तक, दूर-दूर तक धुंध फैला होता है।
  • यंत्र व उपकरण – हमारा काम आसान करने के लिए विज्ञान ने उपहार के रूप में हमें, यंत्र व उपकरण तो दिया है। जिसके वजह से यह कई लोगों का काम अकेला और कम समय में कर सकता है। पर इसके परिणाम स्वरूप बड़ी-बड़ी उद्योग कम्पनीयां 100 लोगों के स्थान पर एक मशीन का ही उपयोग कर रही हैं। जिससे रोजगार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है और बेरोजगारी बढ़ी है।
  • कार, फ्रिज आदि – विज्ञान के सराहनीय अविष्कार जो हमारे दैनिक जीवन को सरल बनाते हैं जैसे कार, मोटर सायकिल, फ्रिज आदि इनसें निकलने वाले हानिकारक गैस हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं, तथा यह वातावरण के लिए भी श्राप हैं।

विज्ञान के चमत्कार से हमें अनेकों लाभ हैं। यह हमारे जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ आरामदायक भी बनाता है। पर जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलु होते हैं, उसी प्रकार विज्ञान के भी लाभ तथा हानि दोनों ही व्यक्ति और पर्यावरण को प्राभवित करते हैं।

विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर दीर्घ निबंध – 1450 शब्द

प्राचीन समय में मनुष्य एक खानाबदोश की तरह जीवन व्यतीत करता था, जब की आज वो एक सभ्य नागरिक में परिवर्तित हो गया है। यह सब केवल विज्ञान के उपयोग से ही संभव हो सका हैं। हमारे जीवन की हर घटना में विज्ञान शामिल है। हमारे दिनचर्या के सभी कार्यों से लेकर उपग्रह और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अविष्कार तक विज्ञान की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। अविष्कारों के विकासों से पहले का जीवन बहुत ही कठिन था। विकास में हुए कमी के कारण जीवन के हर काम में समय लगता था। बुद्धिमानों के दिमाग ने इन आवश्यकताओं को सुविधाओं में बदल दिया और इसे ही हम विज्ञान के नाम से जानते है।

विज्ञान एक अविरल जिज्ञासा है

हर दिन हमारे दिमाग में अलग-अलग सोच और विचार आते हैं। इन विचारों को अविष्कार में बदलने के लिए केवल एक चिंगारी की आवश्यकता होती है। विज्ञान का मूल अर्थ है जिज्ञासा का पालन करना। यह हमारे आस-पास घट रही विभिन्न घटनाओं को जानने के बारे में होती है। हमारे विचारों को खोज में परिवर्तित करने को ही विज्ञान कहा जाता है, जो हमारे विचारों और जिज्ञासाओं का उत्तर देती है।

जिज्ञासा और नई खोज हमें एक नई तकनीकी विकास की ओर ले जाती हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को और भी आसान और सुविधाजनक बना दिया है। विज्ञान ने हमारे जीवन की कई बड़ी जटिलताओं को आसान बना दिया है। विज्ञान प्रकृति और उनमें होने वाली घटनाओं, मौसम में विविधता और जलवायु परिस्थितियों और अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियां, इत्यादि सभी में मौजूद है। हमारे मन में उठाने वाले प्रत्येक सवालों का जबाब केवल विज्ञान के द्वारा ही संभव हो सकता है।

कंप्यूटर – विज्ञान का एक महान योगदान

इस वैज्ञानिक युग को कंप्यूटर युग के रूप में भी जाना जाता है, और कंप्यूटर विज्ञान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। चिकित्सा, कृषि, औद्योगिक क्षेत्र, शिक्षण, अनुसंधान, और विकास के हर क्षेत्र ने कंप्यूटर बहुत ही आवश्यक बन गया हैं। हम कंप्यूटर का उपयोग करके हम सभी संदेहों को दूर कर सकते हैं। यह केवल इस उपकरण के उपयोग के कारण ही संभव हो सका है, जिसने दुनिया को संचार के माध्यम से जोड़ा है और दुनिया में हो रही सभी घटनाओं की जानकारी को हम तक पहुंचाया है।

मोबाइल फोन और स्मार्ट कंप्यूटर को आजकल हर किसी के हाथों में देखा जा सकता है। तकनीकी प्रगति में विकास करके मोबाइल फोन का निर्माण किया गया है। ये बहुत ही उपयोगी हैं और इन्हें आसानी से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसके द्वारा किए गए अधिकतर कार्य जैसे – ब्राउज़िंग, मेल, सन्देश भेजना जैसे कई कार्यों को बहुत ही आसानी के साथ सेकंडों में किया जा सकता हैं। यह विज्ञान और विज्ञान के दृष्टिकोण के बिना संभव नहीं हो सकता है।

प्रौद्योगिकी के रूप में विज्ञान के लाभ

1. हमारे जीवन स्तर में सुधार

विज्ञान ने हमारे जीवन को एक सामान्य स्तर से एक शानदार और अच्छे स्तर तक ले आया है। विज्ञान के द्वारा ही हमें बहुत सारी सुविधाएं मिली हैं। पहले के दिनों में परिवहन के साधन सिमित थे और आज हमारे यहां हर घरों में कार या बाइक अवश्य ही होती है। टी.वी., होम थियेटर, लैपटॉप, फ्रिज, वासिंग-मशीन इत्यादि के आने से हमारे जीवन स्तर में बहुत बदलाव आये है।

2. हमारे दैनिक दिनचर्या में शामिल

पंखा, गीजर, फ्रिज, वाशिंग मशीन, टेलीविजन, गैस स्टोव इत्यादि का उपयोग मनुष्य अपने दैनिक जीवन में करता है, जो विज्ञान की अविश्वसनीय खोज के रूप में हैं। आज के दिनों में इन सभी तकनीकियों के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते है। ये सभी चीजें हमारे दैनिक जीवन की जरुरत बन गयी हैं।

3. चिकित्सा विज्ञान और उपचार में

विभिन्न प्रकार के कई रोगों के लिए इलाज और दवाएं बाजारों में उपलब्ध हैं। मानव शरीर के विभिन्न रोगों के निदान के लिए विभिन्न मशीनें विकसित की गयी हैं। जिन रोगों का पहले निदान नहीं किया जा सकता था आज उन रोगों के निदान करना बहुत ही आसान हो गया है। विज्ञान ने ऐसी चीजों को संभव कर दिया हैं, जो एक समय में असंभव मानी जाती थी। विज्ञान के द्वारा ही कई प्रकार की पुरानी बीमारियों का इलाज संभव हो सका हैं।

4. सुगम संचार

आज लोग आसानी के साथ संदेश और मेल इत्यादि भेज सकते हैं। विज्ञान के द्वारा तकनीक कुछ इस कदर बढ़ी है कि एक देश में बैठा व्यक्ति दूसरे देशों के लोगों के साथ आसानी से संपर्क कर सकता है। यह व्यापार और दूसरे देशों से व्यवसाय करने के लिए सम्पर्क और संचार का एक सबसे बेहतर माध्यम बन चूका है। इसके द्वारा ही हमारे राष्ट्र की अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

5. सीखने और सिखाने में सहायक

इस वैज्ञानिक युग में अनेको परिवर्तन हुए हैं। बोर्ड, चाक और डस्टर की जगह इसने स्मार्ट क्लास का रूप ले लिया हैं। उन छात्रों के लिए शिक्षा आसान हो गयी हैं, जो दूर क्षेत्रों में रहते हैं और कक्षाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाते हैं।

प्रौद्योगिकी के रुप में विज्ञान के नुकसान

1. पर्यावरणीय दुर्दशा या नुकसान

औद्योगिक क्षेत्रों और वाहनों से उत्पन्न धुएं और धूल, NOx, SOx जैसे गैसीय प्रदूषक, कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट हमारे पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। ये सभी हमारी हवा, पानी और गुणवत्ता को दिन-ओ-दिन खराब कर रही हैं। ये विभिन्न प्रकार के विकसित अविष्कार विज्ञान की देन हैं और अगर ये सभी हमारे पर्यावरण को नुकसान पंहुचा रहे हैं तो यह पूरी तरह से एक अभिशाप के रूप में हैं।

2. जीवन को समाप्त कर देने वाले हथियारों के निर्माण

विज्ञान और उसकी प्रौद्योगिकियों का नकारात्मक रूप से उपयोग कर जैविक हथियारों का निर्माण, पूरी दुनिया के विनास का कारण बन सकती है। प्रौद्योगिकियों का उपयोग आधुनिक हथियारों को बनाने के लिए किया जा सकता है, जो मानव के विनाश का कारण बन सकती है। यह मानव के अस्तित्व को धरती पर से पूरी तरह खत्म कर सकता हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम के विनासकारी प्रभाव आज तक देखे जा सकते हैं। यह भी विज्ञान की ही एक देन थी।

विज्ञान वरदान है या अभिशाप?

विज्ञान मनुष्यों के लिए एक वरदान के रूप में है। विज्ञान ने कई असंभव चीजों को संभव बना दिया है। इसके द्वारा ही आज विभिन्न तकनीकियों, अंतरिक्ष यान, उपग्रह और परमाणु अस्त्रों का विकास हुआ हैं। इसी तकनीक और विज्ञान ने मानव को चाँद और मंगल तक पंहुचा दिया है। पाषाण युग में जो मनुष्य थे, विज्ञान ने आज उन्हें आधुनिक मनुष्यों में बदल दिया है। देश को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाने और रक्षा की नई प्रणाली और प्रौद्योगिकी का निर्माण विज्ञान के द्वारा ही संभव हो सका हैं।

विज्ञान ने वभिन्न प्रकार के विकासों और अविष्कारों को जन्म दिया है, जो मानव जाति के लिए बहुत ही उपयोगी है। लेकिन दूसरी तरफ इसके कई अभिशाप भी है, क्योंकि यह देखा गया है कि विज्ञान ने मनुष्यों को बहुत ही आलसी और स्वास्थ्य की कई समस्याओं से ग्रसित कर दिया है। मनुष्य अपने लाभ और जीवन को सरल बनाने के लिए विज्ञान का उपयोग करता है और उसी विज्ञान से खतरनाक हथियार और विनाशकारी बम बनाकर दूसरों का विनाश करता है, जो की कई निर्दोष लोगों की मृत्यु का कारण बनती है। विज्ञान के द्वारा एक ही समय में हम पर्यावरण की देखभाल और मानव जाति के लिए विज्ञान का उपयोग अच्छे तरीके से कर सकते है। विज्ञान के सही तरीके से उपयोग से हमें अच्छे परिणाम मिलेंगे, जबकि नकारात्मक तरीके से उपयोग प्रकृति और मानव जीवन के अंत और विनाशकारी हो सकता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग मानव जाति के विकास में सहायता के रूप में किया जाना चाहिए। इससे मानव जाती के विकास में मदद मिलेगी। विज्ञान को हमारे ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। यदि विज्ञान मानव जाति पर हावी हुआ तो इसके विनाशकारी परिणाम देखने को मिलेंगे। इससे प्रकृति के साथ-साथ मानव जाती के ऊपर नकारात्मक प्रभाव और उनका विनाश तक देखने को मिल सकते है। मनुष्य स्वार्थी हो गया है और केवल अपने हित की सोचता है, जो की पर्यावरण की खराब दुर्दशा का कारण है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Science is a Boon or Curse in Hindi

उत्तर – आदिमानव से आधुनिक मानव बनने और वर्तमान में मानव को इतना विकसित बनाने में विज्ञान की ही देन है।

उत्तर – यातायात, चिकित्सा क्षेत्र, बिजली, दूरसंचार, मनोरंजन, मोबाइल और कंप्यूटर आदि कई वैज्ञानिक आविष्कार हमारे लिए वरदान हैं।

उत्तर – विज्ञान के गलत इस्तेमाल से बनाए गए परमाणु बम एवं अन्य खतरनाक हथियार मानवजाति का अंत कर सकते है।

उत्तर – विज्ञान ने मानवजाति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई परन्तु इसके दुरुपयोग ने पर्यावरण पर बुरा असर डाला है।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध-Essay On Science Boon Or Curse In Hindi

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध (essay on science boon or curse in hindi) :.

science curse or boon essay in hindi

भूमिका : आज का युग विज्ञान का युग है। आज के वैज्ञानिक युग ने मनुष्य के जीवन में बहुत ही प्रभाव उत्पन्न किया है। आज मनुष्य के जीवन में जितनी भी गतिविधियाँ हो रही हैं वो सब विज्ञान की वजह से ही संभव हो पायी हैं। आज के समय में पुराने रहस्यों को भी खोज लिया गया है आज विज्ञान की वजह से ही आकाश की उंचाईयों से लेकर पाताल की गहराईयों को नापना संभव हो पाया है।

मनुष्य ने जो प्रगति की है उसका इतिहास इस बात का साक्षी है कि वह किसी समय जानवरों जैसा जीवन जीता था। गुफाओं में रहता था, कच्चा मांस और फल सब्जियां खाता था, पेड़ों और पौधों की पत्तियों और छालों को कपड़े की तरह पहनता था। धीरे-धीरे उसने आग जलाना सिखा और वहाँ से वह निरंतर आगे बढ़ता चला गया और आधुनिक युग में बहुत आगे बढ़ता चला गया है।

विज्ञान की वजह से मनुष्य जीवन हर तरह से बदल गया है। विज्ञान की वजह से ही मनुष्य आज इतनी ऊँचाईयों पर पहुंच पाया है। विज्ञान सुखों के लिए दुःख से जुडकर उसे वरदान और अभिशाप दोनों की तरह प्रस्तुत हुआ है।

विज्ञान का अर्थ : विज्ञान का अर्थ होता है- विशिष्ट ज्ञान। अथार्त किसी वस्तु या विषय के बारे में विशेष और व्यवस्थित ज्ञान होना। जब किसी के पास विशेष ज्ञान होता है तभी विशेष काम किये जाते हैं। विज्ञान शब्द दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में भी अर्थ दे सकता है क्योंकि किसी भी विषय का विशिष्ट ज्ञान होना ही विज्ञान कहलाता है।

आज तक जो भी तरह-तरह के अविष्कार और खोज हुई हैं वे सब विज्ञान के ही परिणाम थे। विज्ञान का हमारे जीवन में इतना महत्व हो गया है कि हम सोते-जागते विज्ञान के आविष्कारों को अपने पास देखते हैं और उन्हें प्रयोग में लाते हैं।

आज के समय में जिस मनुष्य के पास विज्ञान है उसका जीवन सभ्य है लेकिन जिसके पास विज्ञान नहीं है उसका जीवन निरर्थक है। विज्ञान ने अपने बल पर पूरे  संसार को एक परिवार बना दिया है आज के समय में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ पर इसके उपकरण उपलब्ध न हों।

विज्ञान के लाभ : विज्ञान की वजह से मनुष्य जीवन आज बहुत ही सुखमय हो गया है। आज के समय में विज्ञान मनुष्य के जीवन से जुड़ गया है जिसके बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सरल और सुखमय बनाने के लिए बहुत से आविष्कार किये हैं जैसे खेती को सरल बनाने के लिए हैकर, ट्रैक्टर, क्म्पाइन जैसी मशीने, घरेलू कामों को सुखमय बनाने के लिए प्रेस, फ्रिज, मिक्सी जैसी मशीनों का आविष्कार किया है।

कोई ऐसा समय था जब लोगों के अकाल से मरने की खबर को बहुत सुना जाता है लेकिन विज्ञान की वजह से आज के समय में शायद ही कोई ऐसी खबर सुनने को मिलती है जिसमें लोग भूख से मरते हैं। पहले लोग पेड़-पौधों की पत्तियों और जानवरों की खाल से अपने शरीर को ढकते थे लेकिन आज के समय में सभी के पास अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़े हैं।

पहले लोग प्लेग, मलेरिया, डेंगू, हैजा जैसी बीमारियों  से ग्रस्त होकर मर जाते थे लेकिन आज के समय में विज्ञान ने इस सब बीमारियों  को अपने नियंत्रण में कर लिया है। विज्ञान की वजह से हमारे दैनिक जीवन की सुख-सुविधाओं का भी आयोजन हो पाया है।

आज के समय में दुश्मनों से अपनी रक्षा करने के लिए बहुत से साधन उपलब्ध हैं। आज के वैज्ञानिक युग में हमारे लिए सुईं से लेकर बड़े-बड़े जहाजों, ट्रेनों, विमानों और कृत्रिम गृह तक बनाए जा चुके हैं। इन सब का उपयोग हम प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करते हैं।

विज्ञान का प्रयोग : विज्ञान का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जाता है। आज के समय में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ पर विज्ञान का प्रयोग नहीं होता है। विज्ञान के साधन को हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। मानव जीवन के क्षेत्र में विज्ञान एक वरदान की तरह है जिसे वह अपने जीवन में प्रयोग करता है।

1. संचार के क्षेत्र में : संचार के क्षेत्र में विज्ञान की वजह से बेतार के तार देना संभव हो पाया है। विज्ञान की वजह से ही टीवी, रेडियो, तार, टेलीफोन, फैक्स, इमेल और मोबाईलफोन आदि के आविष्कार की वजह से ही आज समाचार एक पल में एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है। जितने भी कृत्रिम उपगृह हैं उन्होंने इस दिशा में और अधिक सफलता प्राप्त की है और नई-नई खबरें पल भर में प्राप्त हो जाती हैं।

2. यातायात के क्षेत्र में : पहले समय में मनुष्य को लंबी और दूर की यात्रा को पूरा करने के लिए वर्षों लग जाते थे लेकिन विज्ञान की मदद से आज मनुष्य ट्रेन, मोटर, पानी के जहाज, हवाई जहाज से दूर-से-दूर की यात्रा को बहुत ही जल्दी पूरा कर लेते हैं। यातायात में उन्नति होने की वजह से व्यापार के क्षेत्र में भी उन्नति हुई है। आज विज्ञान की वजह से ही व्यापार अपनी असीम उंचाईयों तक पहुंच पाया है।

3. दैनिक जीवन में : आज विज्ञान की वजह से मनुष्य की दैनिक जिन्दगी और अधिक सुखमय हो गई है। विज्ञान की वजह से कपड़े धोना, प्रेस करना, भोजन पकाना, सर्दियों में गर्मी और गर्मियों में सर्दी महसूस कराना, गर्मियों में ठंडा पानी करना जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हो पायी हैं। विज्ञान की वजह से ही सर्दी और गर्मी दोनों से ही हमारी रक्षा होती है। आज की सारी औद्योगिक प्रगति इसी पर निर्भर करती है।

4. औषधीय क्षेत्र में : जिस तरह से मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार किये हैं उसी तरह से मानव समाज ने नए-नए रोगों को भी प्राप्त किया है। आज मनुष्य भयानक और संक्रामक रोगों से ग्रस्त होने के बाद भी मौत के मुंह से बच जाता है इन सब का श्रेय विज्ञान को ही जाता है।

विज्ञान की वजह से ही एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड टेस्ट, एंजियोग्राफी, कैट स्केन, सिटी स्कैन जैसी मशीनों की वजह से शरीर के अंदर के रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता हैऔर उस रोग का तुरंत उपचार करना भी संभव हो जाता है। विज्ञान की वजह से ही अंधों को आँखें और बहरों को कान और अंगहीनों को अंग देना संभव हो सका है।

5. औद्योगिक क्षेत्र में : विज्ञान के कारण ही औद्योगिक क्षेत्र की बड़ी-बड़ी मशीनों का निर्माण करना संभव हो पाया है। विज्ञान के कारण कल कारखानों का निर्माण किया गया जिससे मेहनत, समय और धन की बचत होने के साथ-साथ उसका सही मात्रा में उत्पादन भी हो सके। इसकी वजह से लोगों को वस्तुएँ सस्ते मूल्यों में उपलब्ध करायी जा सकती हैं।

6. कृषि क्षेत्र में :  जिस देश की जनसंख्या 121 करोड़ से भी अधिक है अगर वो आज कृषि के क्षेत्र में अग्रसर हो पाया है तो यह विज्ञान की वजह से ही हुआ है। विज्ञान की वजह से ही किसान को उत्तम बीज, विकसित तकनीक, रासायनिक खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर और बिजली मिली है जिसकी वजह से कृषि को करना सरल हो गया है।

छोटे-छोटे बांधों की सहायता से नहरों को निकालना भी विज्ञान के कारण ही संभव हो पाया है जिसकी वजह से किसानों को कृषि में सहायता के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिल सके।

7. शिक्षा के क्षेत्र में : शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान ने अपने आविष्कारों जैसे- इंटरनेट, कंप्यूटर से बहुत बड़ा योगदान दिया है। विज्ञान की वजह से ही शिक्षा के क्षेत्र में मुद्रा के यंत्रों का आविष्कार होना संभव हो पाया है। आज मुद्रण यंत्रों की वजह से ही पुस्तकों को छापना संभव हुआ है। इसके अलावा समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं और किताबों को छापना संभव हो पाया है। मुद्रण यंत्रों की वजह से जो क्रांति हुई है वह घर-घर पहुंचकर लोगों के ज्ञान में वृद्धि कर रही है।

8. मनोरंजन के क्षेत्र में : विज्ञान के कारण ही आज मनोरंजन के अनेक साधन जैसे- टीवी, रेडियो, चलचित्र का आविष्कार होना संभव हुआ है। विज्ञान ने ही मनुष्य को सस्ता और सुलभ साधन दिया है।

वरदान के रूप में : विज्ञान एक वरदान होता है। विज्ञान उस नौकर की तरह होता है जिससे मनुष्य कुछ भी करवा सकता है और आवश्यकता के अनुसार उसके साथ कुछ भी कर सकता है। आज के मनुष्य का पूरा जीवन विज्ञान के वरदानों के आलोक से ही तो आलोकित है।

सुबह से लेकर शाम तक हम जो भी काम करते हैं वो सब सिर्फ विज्ञान के साधनों की वजह से ही संचालित होते हैं। जिन साधनों का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं वे सभी हमें विज्ञान के वरदान के रूप में प्राप्त हुए हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि जो मनुष्य अनुभवी होता है वह विज्ञान के माध्यम से प्रकृति पर जीत प्राप्त कर सकता है।

आज के समय में रोज नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। आज के समय में मनुष्य जितने भी साधनों का प्रयोग करता है वो सभी विज्ञान ने ही हमें दिए हैं।

आधुनिक युग : आज का युग बटन का युग है। आज के समय में विज्ञान की सहायता से बटन दबाने से पंखा चल जाता है और हमें शीतल हवा प्रदान करता है। अगर आप दुबारा बटन दबाते हैं तो पंखा बंद हो जाता है। आपके बस बटन दबाने की वजह से ही टीवी चल जाता है और अपने पर्दे पर सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। टीवी से किसी गायक की सुंदर आवाज को आसानी से सुना जा सकता है। हम लोग गायक को देख भी सकते हैं और उसके गीतों का आनंद भी ले सकते हैं।

विज्ञान की हानियाँ : विज्ञान ने जहाँ पर मनुष्य के जीवन को इतने लाभ दिए हैं वहीं पर हानियाँ भी दी हैं। जहाँ विज्ञान ने मनुष्य जीवन को सभ्य और सहज बनाया है वहीं पर बंदूकों, बम्बों, मिसाइलों और जहरीली गैसों की वजह से मनुष्य के जीवन को बहुत भारी नुकसान भी पहुंचाया है।

विज्ञान ने मनुष्य को अपने भविष्य के प्रति भयभीत कर दिया है। आज के समय में पूरा विश्व एटम बम्बों और मिसाइलों के डर से कांप रहा है। इन सब की वजह से प्रदूषण में वृद्धि हुई है और वायुमण्डल की ओजोनमंडल को भी बहुत नुकसान पहुँचा है।

अभिशाप के रूप में : विज्ञान का एक पक्ष वरदान है तो एक पक्ष अभिशाप भी है। विज्ञान एक ऐसा साधन है जिससे असीम शक्ति प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य जिस तरह से चाहता है उस तरह से इसका प्रयोग कर सकता है। सभी को पता है कि विज्ञान में दैवीय शक्ति के साथ-साथ असुरी शक्ति भी है।

जब किसी मनुष्य की दैवीय शक्ति प्रबल होती है तो वह लोगों के हित के लिए काम करता है। लेकिन जब किसी मनुष्य में राक्षसी शक्ति प्रबल होती है तो वह हिंसक हो जाता है उसी तरह से विज्ञान की राक्षसी शक्ति विध्वंसक और संहारक शक्ति का रूप ले लेती है। जो गत विश्व युद्ध हुआ था उससे लेकर अब तक मनुष्य ने विज्ञान में बहुत उन्नति की है तो यह कहना यथार्त है कि विज्ञान की विध्वंसक शक्ति और अधिक बढ़ गई होगी।

विज्ञान ने विध्वंसक तरीकों के अलावा भी अन्य कई तरीकों से मनुष्य को नुकसान पहुंचाया है। विज्ञान ने भौतिकवादी प्रवृति को प्रेरणा दी है जिसकी वजह से धर्म और अध्यात्म से जो भी संबंधित विश्वास होते हैं वो थोथे और खोखले नजर आते हैं। मानव जीवन के जो भी पारस्परिक संबंध होते हैं वो कमजोर होने लगते हैं।

आज के विज्ञान की वजह से मनुष्य का जीवन और अधिक खतरों से भर गया है। विज्ञान के वरदान मशीनों ने अगर मनुष्य को सुख के साधन उपलब्ध कराये हैं तो साथ ही साथ उसके रोजगार को भी छीन लिया है। बिजली विज्ञान की एक महान देन है लेकिन बिजली का एक झटका ही मनुष्य की जान ले लेता है।

जिस तरह से रोज विज्ञान के आविष्कार हो रहे हैं उस तरीके से मनुष्य पर्यावरण असंतुलित होता जा रहा है। मनुष्य जीवन में सुख सुविधाओं की वजह से मनुष्य आलसी और आराम लेने वाला बन गया है जिसकी वजह से उसकी शारीरिक शक्ति खत्म होती जा रही है। इस वजह से नए-नए रोग उत्पन्न हो रहे हैं और मनुष्य में सर्दी और गर्मी सहने की शक्ति कम होती जा रही है।

उपसंहार : जहाँ पर विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान साबित हुआ है वहीं पर अभिशाप भी शाबित होता है। यह बात मनुष्य पर निर्भर करती है कि वह उसका प्रयोग वरदान के रूप में करता है या फिर अभिशाप के रूप में। विज्ञान एक तलवार की तरह होता है जिससे मनुष्य की रक्षा भी की जा सकती है और अपने आप को हानि भी पहुंचाई जा सकती है।

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science curse or boon essay in hindi

Science Boon or Curse Essay in Hindi

जैसा कि हम सब जानते हैं विज्ञान हमारे लिए एक वरदान साबित हुआ है परंतु किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार विज्ञान अगर मनुष्य के लिए अच्छा है तो यह खतरा भी साबित हो सकता है। प्राचीन समय में जिस प्रकार मनुष्य का जीवन था, उस समय विज्ञान को अपनाना एक बहुत ही समझदारी का कार्य था। विदेशों (Science Boon Or Curse Essay in Hindi) में मनुष्य ने दिमाग लगाकर विज्ञान की मदद से हर चीज को एक सुंदर अविष्कार में बदल दिया। मनुष्य के लिए विज्ञान बहुत ही लाभकारी रहा है। विज्ञान जिस प्रकार अपने स्तर को बढ़ाता गया है लोग हर क्षेत्र में विज्ञान को ला रहे हैं। किसी भी चीज का अधिक उपयोग घातक रूप दिखाने लगता है उसी प्रकार विज्ञान को अगर हद में उपयोग किया जाए तो वह सही है परंतु अगर अति उपयोग किया जाए तो यह भी हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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विज्ञान एक वरदान:-

विज्ञान मनुष्य के लिए एक वरदान बनकर आया। विज्ञान की मदद से आज मनुष्य का जीवन कितना ज्यादा आसान हो गया है यह हम सब देख सकते हैं। आज कोई भी कार्य बिना विज्ञान के आविष्कार के किया जाना असंम्भव हो गया है। विज्ञान की मदद से आज हर देश ऊंचाइयों को छू रहा है। इस पृथ्वी का विकास विज्ञान के कारण ही संभव हुआ है और विज्ञान से ही यह आगे बढ़ रहा है। विज्ञान के द्वारा हमें वह मूल्यवान वस्तु प्राप्त हुई है जिसकी कल्पना प्राचीन काल के लोग अपने सपने में भी नहीं कर सकती थे। विज्ञान (Science Boon Or Curse Essay in Hindi) हर मनुष्य के लिए एक वरदान बनकर आया है विज्ञान का योगदान हमारे सराहनीय है। विज्ञान के मदत से लोग आज हर क्षेत्र में ऊंचे ऊंचे शिखर को छू रहे हैं साथ ही विज्ञान से आज लोगों को कई सारी सीख मिल रही है। विज्ञान के कारण लोगों की मानसिकता भी बदलती नजर आ रही है इस देश और दुनिया में आगे बढ़ने का रास्ता भी विज्ञान द्वारा ही देखा जा सकता है। विज्ञान का लक्ष्य केवल मनुष्य की सहायता करना ही रहा है।

चिकित्सा क्षेत्र में विज्ञान:-

विज्ञान का क्षेत्र हर दिशा में फैला हुआ है परंतु विज्ञान की मदद से सबसे ज्यादा चिकित्सा क्षेत्र में सफलता मिली है बड़े-बड़े रोगों का इलाज विज्ञान के मदद से संभव हो गया है। पहले के समय में बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता था क्योंकि छोटे-मोटे इलाज के लिए औषधि का उपयोग कर दिया जाता था परंतु यह हर बीमारी में काम नहीं आ पाती थी विज्ञान के मदद से कई सारे फॉर्मूला को बनाते हुए दवाइयों (Science Boon Or Curse Essay in Hindi) का आविष्कार किया गया और इसके साथ साथ कम समय में बीमारी का पता लगाने के लिए कई सारी मशीनों को बनाया गया। मनुष्य को देखकर किसी भी बीमारी का पता नहीं लगाया जा सकता इसलिए एक्सरे और अल्ट्रासाउंड जैसे मशीन मनुष्य के लिए दिव्य वरदान साबित हुई। इन सभी से अंदरूनी रोग आसानी से पता लगाया जा सकता हैं और समय पर इसका इलाज चिकित्सक द्वारा किया जा सकता है।

विज्ञान एक अभिशाप :-

विज्ञान हमारे लिए जिस प्रकार वरदान है उसी प्रकार विज्ञान ने मनुष्य के लिए नर्क का द्वार भी खोल दिया है मेरा मतलब है कि विज्ञान के कारण लोगों को अनेक से सुविधाएं तो मिली है परंतु इसका उपयोग अधिक करने से कई सारे खतरों का सामना भी करना पड़ रहा है। विज्ञान की मदद से बहुत सारी शक्तिशाली परमाणु बम जैसे विस्फोटक यंत्र बनाए गए है जो कि हमारे मनुष्य जीवन के लिए विनाशकारी शक्तियों में से एक है। उसी प्रकार नई नई मशीनों की आ जाने से लोगों (Science Boon Or Curse Essay in Hindi) की मांग कम हो गई है और आज के समय में हस्तकला को कोई भी मान्यता नहीं दे पा रहा है। लोग अपने जीवन को विज्ञान में कुछ इस प्रकार बांध दिए हैं जिसके मदद से लोगों का जीवन आसान हो गया है परंतु वह इन सभी चीजों का इस्तेमाल करके आलसी होते जा रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पहले के समय में लोग सबसे ज्यादा कार्य करते थे धीरे-धीरे विज्ञान से मदद से यह सब आसान बनता गया और आज लोगों को अपना सारा कार्य मशीनों पर सौंप देते हैं और कठिन कार्य करने से पीछे हट जाते हैं, यही कारण है कि आज मनुष्य बहुत ही कमजोर बन गए हैं।

भविष्य में विज्ञान का प्रभाव:-

आज विज्ञान की मदद से कई सारे यंत्र और सुविधाएं लाई गई है जो कि मनुष्य के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है इसके साथ ही विज्ञान द्वारा आविष्कार किया गया एक अद्भुत मनुष्य की तरह दिखने वाला रोबोट बनाया गया है जो कि एक मनुष्य की तरह दिखता है और कार्य करता है इसके साथ ही मनुष्य के जैसे बात करने वाला दिमाग भी इनके अंदर डाल दिया गया है विज्ञान का यह चमत्कार देखकर लोग बहुत ही अचंभित रह गए। हालांकि यह बहुत ही अद्भुत आविष्कार है परंतु क्या आपने सोचा है कि यह भविष्य में जाकर कितना खतरनाक साबित हो सकता है। अगर इसी के जैसे बहुत सारे रोबोट बना दिए गए और उनके अंदर भी मनुष्य की तरह दिमाग और सोचने की शक्ति होगी तो वह अपने जैसे अनेक सारे रोबोट इस धरती पर बना देंगे और मनुष्य के लिए धरती पर कोई जगह नहीं रहेगी। यह धीरे-धीरे मनुष्य के ऊपर हावी हो सकते हैं। इसी प्रकार विज्ञान का आविष्कार किसी किसी क्षेत्रों में अभिशाप का रूप ले रहा है। अगर इसका इस्तेमाल सिर्फ लाभकारी कार्यों में किया जाए तो विज्ञान इस धरती पर बना रह सकता है और मनुषये से इससे कोई खतरा भी नहीं।

विज्ञान मनुष्य के लिए जितना ज्यादा अच्छा है उतना ही ज्यादा खतरनाक भी है विज्ञान को अलग-अलग रूप में अपनाना वैज्ञानिक का कार्य होता है परंतु उनकी छोटी सी गलती भी दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकती है चिकित्सा क्षेत्र को ले या फिर दूसरे क्षेत्रों में विज्ञान का आविष्कार सदैव ही बना रहता है और इसमें ध्यान देने की बहुत ही आवश्यकता होती है। आज के समय में विज्ञान क्षेत्र में तरक्की करता जा रहा है परंतु इसका उपयोग जब तक सरलता पूर्वक हो रहा है तब तक यह सही है अधिक उपयोग से विज्ञान मनुष्य पर हावी हो सकता है और इन सब को ध्यान में रखते हुए लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है।

1.प्रश्न:- विज्ञान से मनुष्यो को कितनी मदद मिली है?

उत्तर:- आज व्यक्ति कहीं आ जा पा रहे है तो ये विज्ञान के कारण ही संभव हुआ है, विज्ञान से मनुष्य को बहुत सहायता मिली है।

2.प्रश्न:- क्या हर व्यक्ति विज्ञान को मानता है?

उत्तर:- विज्ञान को मानने वाले हर व्यक्ति का मस्तिष्क बहुत ही साफ होता है हालाकि जो व्यक्ति पुराने खयालात से ताल्लुक रखते है वो कई बातों में विज्ञान को मानने से इंकार कर देते है।

3.प्रश्न:- प्राचीन समय में विज्ञान क्यूं नहीं था?

उत्तर:-  ऐसा कहा नहीं जा सकता की प्राचीन समय में विज्ञान नहीं हुआ करता था, यह केवल मानवीय मस्तिष्क है जो विज्ञान को इस धरती पर लाने के लिए अनेक प्रयास किए और उसपे सफलता पाए।

4.प्रश :- विज्ञान एक वरदान है! स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:-।  विज्ञान मनुष्यो के लिए एक वरदान बनकर आया क्युकी इससे पहले मनुष्य को अपने जीवन शैली चलाने के लिए अनेक क्रिया करनी पड़ती थी। परंतु विज्ञान के आ जाने से सब आसान हो गया।

5.प्रश्न:- विज्ञान एक अभिशाप कैसे?

उत्तर:-   किसी भी चीज का उपयोग अगर सही हो रहा है तो वह हमारे लिए वरदान है परंतु अधिक उपयोग से यह भयानक रूप ले सकता है। इसी प्रकार विज्ञान का अधिक उपयोग मनुष्यो के लिए ही घातक हो सकता है।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | Essay on Science Boon or Curse in Hindi

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विज्ञान आज हमारी हर छोटी से बड़ी जरूरत पूरी कर रहा है विज्ञान की बदोलत ही हम आज इतना सुविधाजनक जीवन जी रहे हैं। लेकिन यह विज्ञान एक सिक्के की तरह है जिसके दो पहलू हैं अगर इसका एक पहलू सृजन है तो दूसरा विनाश।

शायद आपने इनमें से दोनों पहलुओं को देख भी रखा हो। विज्ञान के यह दो स्वरूप लोगों को भ्रम में डाल देते हैं, लेकिन वह या नहीं समझ पाते की आखिर इसका वास्तविक स्वरूप कौन सा है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि विज्ञान के यह स्वरूप हमारी उपयोगिता पर निर्भर करते हैं। हम जिस प्रकार विज्ञान का अनुप्रयोग करेंगे इस प्रकार हमें विज्ञान से परिणाम भी मिलेंगे।

विज्ञान की इस दोहरी प्रकृति के बारे में हम सब जानते हैं। विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। जब तक इसका मानव जीवन के लिए सदुपयोग किया जाएगा तब तब यह एक वरदान की भूमिका निभाएगा लेकिन जब इसी विज्ञान का दुरुपयोग करके मानव जीवन को क्षति पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे तो यह मानव जीवन के लिए अभिशाप बन जाएगा।

विज्ञान के अनुप्रयोगों के प्रति विद्यार्थीयों के भीतर जागरूकता फैलाने के लिए अक्सर विज्ञान: एक वरदान या अभिशाप जैसे विषयों पर निबंध लेखन करवाया जाता है ताकि छात्र जीवन से ही लोग विज्ञान के सदुपयोग के लाभ तथा दुरुपयोग की हानि को समझ सकें।

विभिन्न अन्य कार्यक्रमों में भी विज्ञान वरदान या अभिशाप जैसे महत्वपूर्ण बिंदु पर निबंध लेखन और भाषण की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आइए इस निबंध को समझते हैं।

आज के इस लेख में हम आपके लिए विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध (Science: Blessings Or Curse In Hindi) लेकर आए हैं। इस निबंध लेखन शैली का उपयोग करके आप अपनी परीक्षाओं में विज्ञान वरदान अथवा अभिशाप पर निबंध (Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh) लिख सकते हैं।

विषय–सूची

विज्ञान: एक वरदान या अभिशाप पर निबंध (Essay on Science A Boon or A Curse in Hindi)

प्रस्तावना –.

आज हम जिस दौर में जी रहे हैं यह विज्ञान और तकनीक का दौर है। विज्ञान ने मानव जीवन की उन परिकल्पनाओं को साकार करके दिखाया है, जिन्हें शायद असंभव ही समझा जाता था। संसार का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां विज्ञान ने अपनी उपयोगिता साबित ना की हो।

मानव हमेशा से ही एक जिज्ञासु प्राणी रहा है जिनकी जिज्ञासा समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। और यही जिज्ञासा विज्ञान की जननी मानी जाती है। जैसे-जैसे मानव जीवन की आवश्यकताएं बढ़ती जाएंगी वैसे वैसे नए नए अविष्कार सामने आते रहेंगे।

हालांकि सिक्के के दो पहलुओं की तरह विज्ञान के भी दो पहलू हैं। एक ओर जहां विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान है तो वहीं दूसरी ओर इसे अभिशाप भी माना जाता है। विज्ञान के भीतर सृजन और विनाश दोनों की क्षमताएं हैं। जिनके बल पर विज्ञान नए नए अविष्कार भी कर सकता है और मानव जाति का विनाश भी।

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आज स्वास्थ्य चिकित्सा, दूरसंचार, यातायात, सूचना प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान इन सभी क्षेत्रों में विज्ञान की अपनी विशेष भूमिका है। जिस मानव समाज में हमेशा से केवल चंदामामा की कहानियां सुनाई जाती थी आज वही मानव प्रजाति अंतरिक्ष और चंद्रमा दोनों पर पहुंच भी चुकी है।

विज्ञान की बदोलत ही आज आज दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन से लेकर सुपर कंप्यूटर तक मौजूद हैं।

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विज्ञान का अर्थ और परिभाषा –

विज्ञान शब्द की उत्पत्ति वि + ज्ञान से हुई है। इन दोनों शब्दों में से वि का अर्थ विशिष्ट अथवा विशेष तथा ज्ञान का अर्थ बोध या जानना होता है।

अगर सरल शब्दों में विज्ञान की परिभाषा दी जाए तो विज्ञान और कुछ नहीं बल्कि एक प्रकार का विशिष्ट ज्ञान है। किसी विशेष घटन, विशेष वस्तु का बोध अथवा अनुभव कर लेना ही विज्ञान है।

विज्ञान की परिभाषा कुछ इस प्रकार भी दी जा सकती है कि, “प्रयोग एवं निष्कर्ष पर आधारित क्रमबद्ध, संगठित और व्यवस्थित ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं।”

विज्ञान की बदोलत आज मानव बेहद सरल और सुविधाजनक जीवन व्यतीत कर रहा है। ऐसे में विज्ञान को किसी वरदान और चमत्कार से कम नहीं आंका जा सकता।

विज्ञान की देन ही है कि आज पृथ्वी पर रेंगने वाला प्राणी कृत्रिम पंखों को लगाकर पक्षियों की तरह आकाश में उड़ सकता है। विज्ञान ने मानव जीवन को अनगिनत वरदान दिए हैं। लेकिन विज्ञान की विनाश लीला भी किसी से छुपी हुई नहीं है।

6 अगस्त 1945 और 9 अगस्त 1945 मानव इतिहास के दो ऐसे दिन है, जब विज्ञान की विनाश लीला पूरे विश्व ने देखी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मानव जीवन के लिए अनगिनत वरदान देने वाली विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी को तबाह कर दिया।

विनाश की यह ऐतिहासिक घटना मानव जीवन के लिए एक चुनौती थी। विज्ञान का सदुपयोग इसे वरदान बना सकता है और दुरुपयोग एक अभिशाप। यह दोनों ही चीजें मनुष्य के हाथ में है, इसलिए अब फैसला आपको करना है।

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विज्ञान: एक वरदान (Essay on Science Boon or Curse in Hindi)

विज्ञान की बदोलत मनुष्य ने अपनी मनचाही सुख सुविधाएं प्राप्त कर ली हैं, जो किसी वरदान से कम नहीं है।

मानव जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जो विज्ञान से अछूता हो। विज्ञान ने मानव जीवन के हर क्षेत्र में असंभव की सीमा को लांघ कर चीज़ों को संभव करके दिखाया है। इसलिए आज इस विज्ञान को ईश्वर के वरदान की संज्ञा दी जा रही है।

विज्ञान की बदोलत इंसानों ने विद्युत का आविष्कार किया और अंधकार पर विजय प्राप्त की। विद्युत का आविष्कार केवल प्रकाश के लिए ही नहीं बल्कि विभिन्न यंत्रों के संचालन और ऊर्जा उत्पादन के लिए भी उपयोगी साबित हुआ।

यातायात के क्षेत्र में विज्ञान का पहले कदम की शुरुआत साइकिल से हुई और आज यही विज्ञान अंतरिक्ष यान के जरिए अंतरिक्ष और ब्रम्हांड के कोने कोने में पहुंच गया है।

जिन चांद सितारों ग्रह नक्षत्रों की बात दादी नानी की कहानियों में की जाती थी, आज इंसान ब्रह्मांड के उन सभी पिंडों तक पहुंच सकता है अथवा पहुंचने का प्रयास कर रहा है।

विज्ञान के जरिए ही हवाई जहाज और विमानों का आविष्कार हुआ जिसकी बदोलत आज इंसान पक्षियों की तरह आकाश में उड़ सकता है और कुछ मिनट घंटों का सफर तय करके ही लंबी-लंबी दूरियां तय कर सकता है।

सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के मामले में भी विज्ञान पीछे नहीं है। आज इंटरनेट के जरिए हम दुनिया के हर हिस्से की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। इतिहास की किसी भी घटना को टटोल सकते हैं, और सुनहरे भविष्य के लिए सुनियोजित कदम उठा सकते हैं।

इंटरनेट की दुनिया में विज्ञान की शुरुआत पहले जनरेशन 1G से हुई थी। आज इंटरनेट की यह पीढ़ी 5G Spectrum तक पहुंच चुकी है।

विज्ञान के आने से शिक्षा के क्षेत्र में भी अद्भुत क्रांति आई है। आज दुनिया बहुत तेजी से ऑनलाइन पढ़ाई के पीछे भाग रही है क्योंकि यह ऑफलाइन पढ़ाई के मामले में बेहद सस्ती और सुविधाजनक शैली है। आज विद्यार्थी इंटरनेट की मदद से जो चाहे सीख सकते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान की बदोलत ही दुनियाभर के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तैयार किए गए हैं। इन चीजों के आविष्कार के बाद शिक्षा के क्षेत्र में भीषण क्रांति आई है।

हाल ही में Chat Gpt और Bard AI  जैसे दो बेहतरीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों को विकसित किया गया है जिससे इंसान अपने किसी भी सवाल का जवाब प्राप्त कर सकता है और मुश्किल चीजों को समझ सकता है।

मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान पिछड़ा नहीं है। मोबाइल फोन से लेकर, टेलीविजन और टेलीविजन से लेकर वीडियो गेम्स खेल संसाधन और वाद्य यंत्र यह सभी विज्ञान की ही देन है।

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान के योगदान होने मानव जीवन के जटिल से जटिल समस्याओं का निदान ढूंढ रखा है। आज विज्ञान के पास जटिल से जटिल असाध्य रोगों के लिए भी इलाज और उपचार मौजूद है।

विज्ञान की देन ही है कि आज तमाम रोगों से बचाव के लिए Vaccines और टीकाकरण की अनोखी व्यवस्था उपलब्ध है जो इंसानों में रोग उत्पन्न होने के पहले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है।

कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान ने किसानों को उन्नतशील बीज, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उर्वरक, खेत की जुताई के लिए ट्रैक्टर कटाई के लिए हार्वेस्टर, आदि जैसी तमाम सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की चंद्रयान मिशन  और ISRO का मंगलयान मिशन  जैसे सफल अभियान भी विज्ञान की बदोलत ही संभव हो पाए हैं। भारतीय विज्ञान भी आज पूरी दुनिया में बहुत तेजी से उभर रहा है।

सुरक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने तमाम तकनीकी उपलब्ध कराई हैं। विज्ञान द्वारा बनाए गए हथियार, लड़ाकू विमान जैसी चीजें सुरक्षा व्यवस्था के लिए किसी वरदान से कम नहीं लेकिन जब इन्हीं चीजों का दुरुपयोग किया जाने लगता है तो यही चीजें विज्ञान का अभिशाप बन जाती हैं।

विज्ञान: एक अभिशाप

जिस प्रकार हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं उसी तरह विज्ञान के भी दो पहलू हैं। एक ओर जहां विज्ञान का सदुपयोग वरदान है तो वहीं दूसरी और विज्ञान का दुरुपयोग अभिशाप बन जाता है। विज्ञान के अभिशाप के तमाम उदाहरण आज हमारे सामने मौजूद हैं।

विज्ञान ने सुरक्षा के लिए जिन हथियारों के अविष्कार किए थे आज वही हथियार एक-दूसरे का विनाश करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस समय पूरे विश्व में ध्रुवीकरण हो गया है।

एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई है और इस होड़ में पूरी दुनिया अंधी हो चुकी है। विज्ञान का दुरुपयोग करके आज हाइड्रोजन बम और परमाणु बम जैसे विध्वंसक हथियार बनाए जा चुके हैं जो पल भर में पूरे विश्व का सर्वनाश कर सकते हैं।

विज्ञान की बढ़ती तकनीक ने बेरोजगारी और निर्धनता की समस्या भी खड़ी कर दी है। जैसे-जैसे तकनीकी संसाधन बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे रोजगार घटते जा रहे हैं।

बेरोजगारी और निर्धनता की समस्या से ही जनसंख्या भी अंधाधुंध बढ़ रही है। अगर ऐसे ही विश्व की जनसंख्या बढ़ने लगी तो आने वाले समय ने वह दिन दूर नहीं जब लोग रोटी के लिए एक दूसरे का कत्लेआम कर देंगे।

बढ़ती जनसंख्या से विश्व भर का प्रदूषण भी बढ़ रहा है। एक ओर जहां विज्ञान का उपयोग करके फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है वहीं फसलों की पोषकता में नियमित कमी हो रही है।

पोषक तत्वों की कमी से तरह तरह के रोग जन्म ले रहे हैं। आए दिनों एक से बढ़कर एक जटिल बीमारियां उभरकर सामने आ रही हैं।

विज्ञान उस कच्ची मिट्टी की तरह है, जिससे कुम्हार मिट्टी के बर्तन और जानलेवा हथियार दोनों बना सकता है। वह कुम्हार हम हैं। हमें ही तय करना है कि हम विज्ञान को अपने लिए अभिशाप बनाना चाहते हैं या फिर वरदान।

हालांकि वर्तमान समय में कुछ लोग बिना इस विचार के ही विज्ञान का दुरुपयोग कर रहे हैं। विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव जाति के लिए घातक साबित हो सकता है जिसकी एक झलक पूरी दुनिया ने द्वितीय विश्व युद्ध में देख ली थी।

अगर विज्ञान का दुरुपयोग ऐसे ही बढ़ता रहा तो आने वाले समय में पूरी मानव जाति विनाश की खाई में विलीन हो जाएगी। हमें मिलकर एकजुट होकर विज्ञान के दुरुपयोग को रोकना होगा और विज्ञान के सदुपयोग का संकल्प लेना होगा।

अगर विज्ञान का अनुप्रयोग सही दिशा में किया जाए तो यह जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान बन सकता है और मानव जीवन को सुगम एवं सुविधाजनक बन सकता है।

तो दोस्तों आज इस लेख के जरिए हमने आपके साथ विज्ञान एक वरदान अथवा अभिशाप पर निबंध साझा किया।

उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा

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😊😊😊😊😊Nice 😊

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | Essay on Science Blessing or Curse in Hindi

नमस्कार आज विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध Essay on Science Blessing or Curse in Hindi पढ़ेगे. इस निबंध में जानेगे कि आज के जीवन में विज्ञान हमारे लिए अभिशाप है या वरदान, क्यों और कैसे. परीक्षा के लिहाज से भी छात्र इस निबंध को याद कर सकते हैं.

Essay on Science Blessing or Curse in Hindi

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In this article, we are providing about Essay on Science Blessing or Curse in Hindi . विज्ञान वरदान अभिशाप पर निबंध Essay on Science Blessing or Curse in Hindi, Vigyan Vardan hai ya Abhishap  Nibandh class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 ,12 Students.

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

प्रस्तावना – मनुष्य ही इस सृष्टि का एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसके पास विवेक बुद्धि हैं. विवेक द्वारा वह  उचित  अनुचित  का निर्धारण कर उचित को ग्रहण करता है और अनुचित से बचता हैं.

बुद्धि उसको नवीन बातें सोचने की क्षमता देती हैं. इसी कारण सभ्यता, संस्कृति, विज्ञान आदि का विकास हुआ हैं. विज्ञान प्रस्तुत शताब्दियों की ऐसी मानव उपलब्धि है, जिसने संसार का स्वरूप ही बदल दिया हैं.

कल्पवृक्ष विज्ञान – आज विज्ञान मानव जीवन के लिए हर मनोकामना की पूर्ति करने वाला कल्पवृक्ष बना हुआ हैं. विज्ञान ने मानव को प्रकृति पर निर्भरता से मुक्त करके उसे अकल्पनीय सुख सुविधाएँ और सुरक्षा उपलब्ध कराई हैं.

वही रासायनिक खादों, उन्नत बीजों, कृषि यंत्रों, बांधों, नहरों और कृत्रिम वर्षा से मानव के कृषि भंडार को भर रहा हैं. वही नाना प्रकार की गृह निर्माण सामग्री और शैल्पिक ज्ञान से मानव के विलास भवनों की रचना कर रहा हैं.

वही मानव तन को मन मोहक, कृत्रिम और परम्परागत वस्त्रों से अलंकृत कर रहा हैं. क्षय, कैंसर, कुष्ट तथा एड्स जैसे रोगों पर विजय पाने यह संघर्षरत हैं.

जीन से लेकर क्लोन बनाने तक की मंजिल तय करके वह जीवन के रहस्य को ढूढ़ रहा हैं.प्लास्टिक सर्जरी के कुरूपों को सुरूप बना रहा हैं. मस्तिष्क, ह्रदय और गुर्दों की पुनः स्थापना कर रहा हैं.

भीमकाय यंत्रों को उसी की विद्युत् शक्ति घुमा रही हैं वही जल, थल, नभ में नाना प्रकार के वाहनों में दौड़ लगवा रहा है अंतरीक्ष और ब्रह्मांड के कुंवारे पथों को नाप रहा हैं. मोबाइल फोन, टेलीफोन, टेलीविजन और इंटरनेट जैसे उपकरणों से उसने सारे विश्व को सिकोड़कर छोटा कर डाला हैं.

रेडियो दूरबीनों से यह ब्रह्मांड की छानबीन कर रहा है, वसुंधरा के गर्भ में झाँक रहा हैं,  सागरों के अतल तल को माप रहा हैं. मनोरंजन के अनेक साधनों के साथ व्यापार के क्षेत्र में भी उसने  ई  मेल, ई  बैंकिंग  जैसे   साधन उपलब्ध कराएं हैं.

विज्ञान का अभिशाप – विज्ञान की उपर्युक्त वरदात्री छवि के पीछे उसका अभिशापी चेहरा भी छिपा हुआ हैं. विज्ञान द्वारा अनेक महाविनाशकारी अस्त्र शस्त्रों का आविष्कार हुआ हैं. परमाणु हथियार विध्वंसक गैसें, जीवाणु विषाणु बम आदि मनुष्य का थोक में विनाश करने में सक्षम हैं.

हिरोशिमा और नागासाकी जैसे नगरों को विश्व के मानचित्र से मिटाने का श्रेय  भी  विज्ञान  को  ही जाता हैं. विज्ञान की कृपा से ही आज का यह जगमगाता प्रगतिशील विश्व बारूद के ढेर पर बैठा हुआ हैं.

मानव मूल्यों का हास – विज्ञान के कारण श्रेष्ठ मानव मूल्य ध्वस्त हो गये हैं. प्रेम, त्याग, परोपकार, अहिंसा आदि गुणों को कोई पूछ नहीं पूछ रहा. कवि दिनकर ने विज्ञान की विभूति पर इठलाने वाले आज के मानव को सावधान किया हैं.

सावधान मनुष्य यदि विज्ञान है तलवार तो इसे दे फेंक तजकर मोह स्मृति के पार हो चुका है सिद्ध है तू शिशु अभी नादान फूल काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान

उपसंहार – ज्ञान का ही रूप है विज्ञान, नहीं वह अभिशाप या वरदान. एक ही वस्तु एक पक्ष से देखने पर वरदान प्रतीत होती है और वही दूसरे पक्ष से देखने पर अभिशाप प्रतीत होती हैं. औषधि के रूप में जो विष जीवन रक्षक है, वही विष के रूप में प्राण घातक हैं.

एक ही लोहे से बधिक की तलवार और शल्य चिकित्सक की छुरी बनती है, किन्तु इसमें विष या लोहे को दोषी नहीं बताया जा सकता. ज्ञान का उपयोग ही उसके परिणाम को निश्चित करता हैं.

विज्ञान भी विशिष्ट और क्रमबद्ध ज्ञान ही हैं. हम चाहें तो उसे सत्य, शिव और सुंदर की अर्चना बना दें और चाहें तो उसे महाविनाश, अमंगल और कुरूपता का उपकरण बना दे.

विज्ञान वरदान या अभिशाप निबंध | Long Essay on Science, A Boon or Bane in Hindi

आधुनिक युग विज्ञान का युग है. विज्ञान आज मानव जीवन से इस प्रकार घुल मिल गया है, कि उसे जीवन से अलग करना लगभग असम्भव सा हो गया है.

विज्ञान मानव जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है.और अब हम पग पग पर उसका सहारा लेने लगे है. ऐसें समय में आज यह विचारणीय प्रश्न उत्पन्न हो गया है.

कि विज्ञान मानवता को लाभान्वित कर रहा है अथवा पतन के गर्त की ओर ले जा रहा है. इस सबंध में कई विद्वानों की राय है कि विज्ञान ने मानवता को नष्ट किया है, जबकि अन्य विद्वान चिंतक विज्ञान की मुक्तकंठ से प्रशंसा करने में लगे है. इन प्रश्नों का उतर सही कहा जाए तो अब तक मानव जाति को नही मिल पाया है.

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर कविता (Poem on science)

“”सदुपयोग इसे वरदान बनाता, सुख सुविधा को सम्मुख लाता पलक झपकते होते काम विज्ञान ने दिया हमे यह वरदान पर दरुपयोग है बड़ा विनाशक अभिशाप जैसा यह नाशक””

विज्ञान के बढ़ते कदम (Increasing steps of science)

गत शताब्दी में विज्ञान ने अभूतपूर्व प्रगति और विकास किया है. जहाँ आज से सौ वर्ष पहले मनुष्य बैल गाड़ियों और घोड़ो पर बैठकर यात्रा करता था और सौ मिल की यात्रा करने में उनको कई दिन चलना पड़ता था.

वहां आज सैकड़ो मील की यात्रा वह चुटकियों में तय कर लेता है. और वायु से क्या ध्वनि की गति से भी तीव्र चलने वाले यानों से यात्रा करता है.

विज्ञान के द्वारा प्रदत सुविधाओं से वह सैकड़ों मील दूर के द्रश्य देख लेता है तथा मीलों दूर बैठे व्यक्ति से वार्तालाप कर सकता है. आज हम घर बैठें संसार के सर्वश्रेष्ठ गायक गायिकाओं के गाने सुन सकते है तथा संसार की सर्वश्रेष्ठ सुन्दरियों के नजाकत भरे अभिनय के दर्शन भी कर सकते है., आज आवाज भी टैप में कैद होती है.

सामरिक क्षेत्र में भी विज्ञान की सहायता से ऐसें ऐसें बंम और राकेट बना दिए है कि आज युद्ध प्राचीनकाल से कठिन और विनाशक हो गया है.

आज तो बस बटन दबाने भर की देर है और एक परमाणु सम्पन्न देश दूसरें को नष्ट कर सकता है. विज्ञान की इस असीमित उन्नति आगे भी होती रहेगी, ऐसा पूर्ण विश्वास है.

विज्ञान मानव के लिए वरदान (science ke chamatkar, science boon or bane in hindi)

विज्ञान से मानव को जितना लाभ हुआ है उतना उसे प्राचीन युग में ईश्वर या धर्मों से नही हुआ है. विज्ञान से समाज और व्यक्ति दोनों समान रूप से उपकृत हुए है. व्यक्ति का जीवन पग पग में सरल और उच्च स्तरीय बन गया है.

सौ वर्ष पहले परिवार की कोमलांगी गृहणियों खाना पकाने के लिए लकड़ी जलाती थी. धुंए से उनकी आँखे ओस से भीगे हुए कमल के समान लाल होकर आसुंओ से नम हो जाती थी और कोमल हाथ क्षत विक्षत हो उठते थे.

लेकिन आज विज्ञान की सहायता से उस वीभत्स समस्या का अंत हो गया है. आज गृहणियाँ गैस के चूल्हे या स्टोव पर खाना पकाती है. जिससे उसका कोमल सौदर्यपूर्ण सुरक्षित रहता है. ऐसा ही जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी है.

आज अगर राजस्थान में अकाल पड़ता है तो पंजाब से वहां के लिए गेहूं पहुच जाता है. पहले यह संभव नही था. विश्वभर के समाचारों को समाचार पत्र पढ़ने वाले आधुनिक व्यक्ति के व्यक्तित्व का बौद्धिक विकास हो गया है.

विज्ञान मानव के लिए अभिशाप (vigyan pragati Science curse for human)

लेकिन साथ ही विज्ञान ने मनुष्य के महत्व और कार्यक्षेत्र का असीमित विस्तार करके उसे बहुत ज्यादा व्यस्त बना दिया है. विज्ञान ने मनुष्य के सामने विचार का इतना बड़ा क्षेत्र खोल दिया है. वह ढूढने पर स्वयं को खोज नही पाता है.

वह एक विशाल मशीनरी सभ्यता का स्वचालित यंत्र मात्र बनकर रह गया है. इसी भयंकर व्यस्तता से वह अपने अन्दर की मानवीय भावनाओं को आहिस्ते आहिस्ते भूला बैठा है और वह यंत्रवत होता जा रहा है.

विज्ञान से दूसरी हानि यह है कि विज्ञान द्वारा जुटाये गये सुख के साधन इतने मोहक और लुभावने है कि व्यक्ति उन्हें प्राप्त करने के लिए अपना मनुष्यत्व भूल जाता है. इसी से भ्रष्टाचार की असीमित स्थिति हो गई है. इससे आज भौतिकवादी प्रवृति बढ़ रही है और लोग सुख विलास को ही जीवन का ध्येय मान रहे है.

विज्ञान ने अणु आयुधों एवं विषाक्त गैसों का निर्माण करके मानव जाति के समूल विनाश का भय उत्पन्न कर दिया है. यह मानव जाति के लिए अभिशाप दिखाई दे रहा है. अतः विज्ञान की अति भौतिकवादी प्रयोग हानिकारक ही है.

विज्ञान का सदुपयोग (importance of science essay)

आज इस तरह के चिंतन की जरुरत है कि विज्ञान की प्रगति मानवीय दृष्टि से समन्वित रहे. किसी विद्वान का कथन है कि व्यक्ति को धन का गुलाम नही बनना चाहिए. वरन धन को गुलाम बनाकर उससे काम लेना चाहिए. यही बात विज्ञान के सन्दर्भ में कही जा सकती है. मानवता का स्थान सर्वोपरि है.

विज्ञान हमारी सुविधा के लिए है, हम इसकी सुविधा के लिए नही है. अतः विज्ञान के द्वारा प्रदत सुविधाओं को उसी हद तक महत्व मिलना चाहिए, जिससे मनुष्य की मनुष्यता सुरक्षित रहे, अमानवीय न बन जाए तथा उसकी आत्मा सूखे नाले की तरह नीरस न हो जाए.

विज्ञान को अभिशाप बनाने का उत्तरदायित्व बुद्दिमान और विवेकशील लोगों पर है. इसलिए विज्ञान के सुपरिणामों को सही रूपों में प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है कि लोगों को सही रूप में शिक्षा प्रदान कर उनमे वैज्ञानिक समझदारी बढाई जाए. मूर्खों तथा स्वार्थी लोगों के हाथ में पड़कर कोऊ अच्छी चीज भी बुरी बन जाती है.

  • विज्ञान और तकनीकी पर निबंध
  • अंतरिक्ष में विज्ञान पर निबंध
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और विज्ञान पर निबंध

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विज्ञान : वरदान या अभिशाप पर निबन्ध | Essay on Science : A Boon or Bane in Hindi

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विज्ञान : वरदान या अभिशाप पर निबन्ध | Essay on Science : A Boon or Bane in Hindi!

विज्ञान का अर्थ है किसी विषय का विशेष और व्यवस्थित (Specific and System) ज्ञान । विशेष ज्ञान के बल पर ही विशेष कार्य किये जाते हैं । तरह-तरह के आविष्कार तथा खोज (Inventions and Discoveries) विज्ञान के ही परिणाम (Result) हैं ।

विज्ञान की दी हुई चीजों का उपयोग हम सुबह से लेकर नींद आने तक लगातार करते रहते हैं । यहाँ तक कि नींद आने के बाद भी विज्ञान हमें लाभ पहुँचाता रहता है । आज विज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन सभ्य (Civilised) नहीं कहा जा सकता ।

2. विज्ञान से लाभ:

विज्ञान ने हमारे जीवन को कितना सुखी बना दिया है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है । कपड़े-बुनने के कल-कारखाने अधिक अनाज उगाने के लिए हैकर तथा अन्य मशीनें, मकान बनाने के नये नये उपाय तथा औजार (Tools), ये सब विज्ञान ने हमारे लिए बनाये हैं ।

ADVERTISEMENTS:

किसी समय लोग अकाल (Famine) से मरने को मजबूर थे किन्तु आज किसी के भूख से मरने की खबर शायद ही कभी मिलती हो । आज शरीर ढँकने के लिए कपड़े सबके पास है । किसी समय बड़ी संख्या में हैजा (Cholera) प्लेग आदि बीमारियों से लोगों की मौत हो जाती थी ।

आज ये सब रोग विज्ञान के नियंत्रण (Control) में हैं । इन रोगों का आसानी से इलाज किया जा सकता है । इतना ही नहीं, विज्ञान ने हमारी दैनिक सुख सुवि धा की छोटी-छोटी चीजों के अलावा शिक्षा, सूचना, सम्पर्क (Contact) यात्रा (Travel) तथा शत्रुओं (Enemies) से रक्षा के अनेक उपाय और साधन (Ways and Means) हमें दिये हैं ।

सूई से लेकर कार, ट्रेन, विमान तथा अन्तरिक्ष यान (Space Shuttle) और कृत्रिम उपग्रह (Artificial Satellites) तक विज्ञान के हाथों बन चुके हैं जिनका उपयोग हम प्रत्यक्ष या परोक्ष (Direct or Indirect) रूप से जरूर करते हैं ।

विज्ञान से जहाँ मनुष्य के इतने लाभ (Benefit) हुए हैं और जीवन सभ्य (Civilised) तथा सहज (Easy) बन गया है, वहीं बन्दूक, बम, मिसाइल जहरीली गैसें आदि बनाकर मनुष्य को भारी नुकसान पहुँचाया है और भविष्य (Future) के प्रति भय भीत कर दिया है । आज पूरा संसार एटम बम के भय से काँप रहा है । प्रदूषण (Pollution) भी बढ़ा है और वायुमण्डल (Atmosphere) के ओजोनमंडल को भी नुकसान हुआ है ।

4. उपसंहार:

अत: विज्ञान एक तरफ मनुष्य के लिए वरदान (Boon) है तो अत ओर अभिशाप (Bane or Curse) भी । यह हम पर निर्भर करता है (Depends on us) कि हम विज्ञान का प्रयोग करें ।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | essay on science blessing or curse in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | essay on science blessing or curse in hindi पर निबंध प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) वैज्ञानिक प्रगति और मानव जीवन (2) राष्ट्र के विकास में विज्ञान और उसकी उपयोगिता (3) राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में विज्ञान और उसकी उपयोगिता

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पहले जान लेते है विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | essay on science blessing or curse in hindi  पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) यंत्र विज्ञान की देन (3) मनोरंजन एवं ज्ञानवृद्धि (4) मौसम विज्ञान एवं अंतरिक्ष विज्ञान (5) औषधि विज्ञान एवं सर्जरी की देन (6) मानव कल्याण (7) भारत की आधुनिक उपलब्धियाँ (8) उपसंहार

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“जीवन आजकल विज्ञान के आविष्कारों से नियन्त्रित होता है। जीवन में उनके अनुसार परिवर्तन होता है, और उनके बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना करना कठिन है।”       – पं० जवाहरलाल नेहरू

विज्ञान ने मानव जीवन की काया पलट कर दी है। जो मनुष्य पहले बनों में रहता था, गुफाएँ जिसका घर थीं, वृक्षों की छाल ही जिसके वस्त्र थे, वही मनुष्य आज विशाल अट्टालिकाओं में रहता है, तीव्रगामी वाहनों में यात्रा करता है, बड़े-बड़े भयंकर रोगों से लड़ सकता है, यहाँ तक कि चन्द्रमा और मंगल ग्रह की यात्रा करने की भी शक्ति रखता है।

वास्तविकता यह है कि विज्ञान ने मानव को ऐसी शक्ति दी है कि वह कम से कम समय में, कम से कम शक्ति लगा कर अधिक से अधिक काम कर सकता है।

यन्त्र विज्ञान की देन

विज्ञान ने हमें अनेक प्रकार के यन्त्र दिये जो वाष्पशक्ति एवं विजली की शक्ति से चलते हैं और थोड़ ही समय में बहुत काम कर दिखाते हैं।

बड़े-बड़े कपड़ा मिल, घी वनाने के कारखाने तथा भोजन की अन्य वस्तुओं की फैक्ट्रियां, यात्रा के लिए मोटर, रेलगाड़ियाँ, हवाई जहाज एवं समुद्री यान तथा भारी विद्युत उत्पादक यन्त्र आदि अनेक सुविधाएँ मानव को विज्ञान ने दी हैं।

अब हम रडार की सहायता से अपने देश की रक्षा कर सकते हैं, टैकों की सहायता से शत्रु की मुकाबला कर सकते हैं तथा वायरलैस की सहायता से मिनटों में एक समाचार को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेज सकते हैं।

मनोरंजन एवं ज्ञान में वृद्धि

विज्ञान ने हमें मनोरंजन के अनेक साधन दिये हैं। ग्रामोफोन, रेडियो,टेलीविजन, चित्रपट, टेपरिकार्डर आदि अनेक साधनों से हमें थोड़े खर्चे से श्रेष्ठ मनोरंजन कर सकते है ।

मनोरंजन ही नही, ये सब साधन ज्ञानवृद्धि में भी सहायक होते हैं। विज्ञान ने मुद्रणालय का भी आविष्कार किया है जिससे समाचार-पत्र एवं कीमती पुस्तकें साधारण मनुष्यों को भी सहज उपलब्ध हो गयी हैं।

मौसम एवं अन्तरिक्ष विज्ञान

मौसम विज्ञान के द्वारा हम आने वाले ऑँधी-तूफानों का पहले से अनुमान कर सकते हैं, पहले से ही हम उनको रोकने और उनसे बचाव का प्रयत्न कर सकते हैं।

कम्प्यूटर के द्वारा हम कई दिन आगे तक की मौसम का सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और जनता को आने वाले खतरे से सूचित कर सकते हैं।

अन्तरिक्ष भी विज्ञान के प्रभाव से अछूता नहीं रह गया है। हम अनेक ग्रह-नक्षत्रों के बारे में वेधशालाओं के द्वारा अत्यधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अब तो पृथ्वी पर स्थानाभाव के कारण मनुष्य अन्तरिक्ष में जाकर वहाँ बसने के विषय में सोच रहा है।

औषधि-विज्ञान एवं सर्जरी की देन

विज्ञान से अनेक प्रकार की औषधियों का निर्माण हुआ जो भयंकर से भयंकर रोगों के उपचार में सहायक हैं।

अनेक रोग जो पहले मृत्यु का कारण बनते थे,वे आज साधारण रोग माने जाते हैं, जैसे टी०बी०, टायफाइड, मलेरिया आदि। प्लेग और चेचक आदि अनेक रोगों को तो विज्ञान ने जड़ से ही उखाड़ फेंका है।

अब ऐसे टीकों का आविष्कार हो गया है जिनके द्वारा इन रोगों से पहले से ही बचाब किया जा सकता है।

सर्जरी में इतना विकास हो गया है कि मस्तिष्क और हृदय जैसे कोमल अंगों का सरलता से आप्रेशन किया जा सकता है।

यहाँ तक कि अब कृत्रिम हृदय भी लगाया जा सकता है। इस प्रकार मानव जीवन की सुरक्षा में विज्ञान ने अभुतपूर्व योगदान किया है।

मानव-कल्याण

विज्ञान ने मानव जीवन को संवारने का अभूतपूर्व प्रयास किया है। किन्तु इसके साथ ही विज्ञान ने अनेक विनाशकारी अस्त्र शस्त्रों का निर्माण भी किया है जो मानव और मानव निर्मित सभ्यता को नष्ट करने में सहायक होते हैं।

इस कारण कूछ विचारक विज्ञान के बढ़ते हुए चरणों पर रोग लगाने के पक्ष में है किन्तु उनकी यह सोच उचित नहीं है। बिज्ञान तो मात्र साधन है, उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना मानव के हाथ में है।

यह एक शुभ लक्षण है कि अब संसार भर के विचारक और राजनीतिक नेता इस बात पर सहमत हैं कि विज्ञान का उपयोग केवल शान्तिपूर्ण और विकास कार्यों के लिए करना चाहिए। इस दिशा में अनेक प्रयास हुए भी है।

भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

विज्ञान की उन्नति में भारत का सहयोग सराहनीय है। स्वतन्त्रता के पश्चात आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद भी भारत की जो वैज्ञानिक उपलब्धियाँ है, उन्होंने उन तमाम पश्चिमी शक्तियों को आश्चर्य में डाल दिया है जो वैज्ञानिक आविष्कारों पर अपना अधिकार समझती थीं।

आज भारत की गणना विश्व की छः बड़ी शक्तियों में की जाती है। इसकी वैज्ञानिक प्रगति को देखकर सारा विश्व दांतों तले उंगली दबाता है।

आज हमारे देश में उन सभी छोटी-बड़ी मशीनों और कुलपुजों का निर्माण होता है जिनको हम अपार धन खर्च करके विदेशों से मंगाते थे। चाहे रेल का इंजन हो या हवाई जहाज, स्वचालितछोटे वाहन हों या बड़े-बड़े जलपोत, उत्पादक मशीनें हों या मशीनों का निर्माण करने वाली दैत्याकार बड़ी मशीनें, सब हमारे देश में बनने लगी हैं।

जिन चीजों के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर थे, आज हम उनका निर्यात करते हैं । भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी तथा यमुना-योजना आदि अनेक योजनाएँ लगभग पूर्ण हो चुकी हैं।

इनसे बड़ी-बड़ी नहरों का निर्माण हुआ और विशाल बिजली घरों की स्थापना हुई। इसमे बाढ़ पर नियन्त्रण हुआ, सिंचाई की समस्या बहुत कुछ हल हुई और बिजली का उत्पादन बढ़ा है।

ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत की महत्त्वपूर्ण उपलब्धयाँ हैं। खनिज तेल के कई विशाल क्षेत्र उपलब्ध हो चुके हैं, और आशा ऐसी है कि कुछ दिनों में खनिज तेल के लिए हमें विदेशों का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।

लड़ाकू विमान युद्धपीत, पनडुब्बी, विविध प्रक्षेपास्त्र, विमान भेदी तोपें तथा टैंक आदि विविध युद्ध सामग्री अब हमारे देश में बनती हैं, विगत दो युद्धों में हमारे नेट विमानों, युद्धपोतों तथा प्रक्षेपास्त्रों ने अमेरिका और फ्रांस में बने लड़ाकू विमानों तथा टैंकों की जो द्र्दशा की उसे देखकर अमेरिका और फ्रांस आदि देशों को भी अपनी अभेद्य युद्ध सामग्री के बारे में सोचना पड़ रहा है।

शक्ति के क्षेत्र में तो भारत की उन्नति को देखकर सारा संसार चकित है। राजस्थान और तारापुर में दो विशाल परमाणु बिजली घर संचालित हैं। यूरेनियम और थोरियम धातुओं को शुद्ध करने की भट्टियाँ भी चालू हो चुकी हैं।

परमाणु शक्ति के क्षेत्र में भारत की पहुँच ने उस दिन विश्व को आश्चर्य में डाल दिया जिस दिन राजस्थान के पोखरण स्थान पर भारत ने सफल नाभिकीय विस्फोट कर अणु परीक्षण किया, एक स्पूतनिक छोड़ा जो सफलता से आकाश में उड़ा और 20 मई 1975 ई० को अन्तरिक्ष में आर्यभट्ट का सफल परीक्षण किया। इसके पश्चात् अन्तरिक्ष विज्ञान में भारत ने कई सफल प्रक्षेपण किये हैं। इस दिशा में वह तेजी से आगे बढ़ रहा है।

भारत परमाणु शक्ति का उपयोग मानवसंहारी अस्त्रों के निर्माण पर न करके शान्तिपूर्ण रचनात्मक कार्यों के लिए करना चाहता है।

हमें आशा करनी चाहिए कि विश्वभर के वैज्ञानिक इस बात को समझेंगे और वे केवल शान्तिपूर्ण आविष्कारों पर बल देंगे ताकि विज्ञान मानव का अनुचर बनकर रहे, न कि वह मानव का स्वामी बन जाये।

यदि विज्ञान का प्रयोग अनुचित दिशा में किया गया तो विज्ञान पृथ्वी से मानव का अस्तित्व ही मिटा देगा।

इसलिए विज्ञान के विनाशकारी रूप का त्याग तथा शान्तिपूर्ण विकास-कार्यों के लिए ग्रहण करना ही मानव के लिए हितकर है।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध  हिंदी में ||Essay on Science Boon or curse in Hindi

  • August 3, 2023

विज्ञान वरदान या अभिशाप 

विज्ञान वह शक्ति है जो निरंतर नए-नए आविष्कार करते रहती है। विज्ञान के साथ मानव जीवन का घनिष्ठ संबंध है। आधुनिक युग विज्ञान का युग कहा जाता है। विज्ञान ने मनुष्य को इतने सुख प्रदान किए हैं कि विज्ञान के बिना मनुष्य जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। विज्ञान ने  अपने आविष्कारों से 'समय' और 'दूरी' पर अधिकार कर लिया है। आज विज्ञान द्वारा रेल, मोटर, जलयान, वायुयान, अंतरिक्ष यान, दो एवं चार चक्के वाले वाहन, बनाए जा चुके हैं। जिसके कारण दूरियां कम गई है। जिन स्थानों की यात्रा मनुष्य महीनों और वर्षों के श्रम के बाद पूरी करता था‌ अब इन स्थानों की यात्रा  घंटों और मिनटों में पूरी हो जातीहै। इसके साथ ही विज्ञान ने मनुष्य को कई मनोरंजन के साधन भी प्रदान किए हैं।

आधुनिक युग में मनुष्य वैज्ञानिक सुख– सुविधाओं का इतना अदि हो गया है, कि इस के बिना उनके जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं रह गया है। विज्ञान के बिना मनुष्य जीवन जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सुंदर और दीर्घ बना दिया है। विज्ञान की सहायता से ही हम अपने से दूर व्यक्ति को अपने पास होने का एहसास कर सकते हैं। विज्ञान ने कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़कर हमारे जीवन को बहुत सुविधाजनक बना दिया है। हम घर बैठे– बैठे ही देश–विदेश की जानकारियां आसानी से प्राप्त कर सकते है। कंप्यूटर और स्मार्टफोन उपयोग करने का हमें इतना आदत लग चुका है कि इसके बिना हमें अपना जीवन अधूरा प्रतीत होता है। घर बैठे ही बच्चे कंप्यूटर और स्मार्टफोन की सहायता से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। परंतु आधुनिक युग में विज्ञानिक उपकरणों के बढ़ते हुए उपयोगिता के कारण विज्ञान मानव जीवन में वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी सिद्ध हो रहा है। क्योंकि एक ओर जहां मनुष्य विज्ञान का उपयोग अपने हित में कर रहा है वहीं दूसरी ओर भयंकर विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण हो जाने के कारण मानव जीवन खतरे में फंसता चला जा रहा है।

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विज्ञान से लाभ।

" मनुष्य के अनुभव एवं अवलोकन से प्राप्त क्रमबद्ध एवं सुसंगठित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं। " 'विज्ञान' शब्द का अर्थ है–" विशेष ज्ञान" । मनुष्य आदि काल से ही नए-नए आविष्कार करता आया है। आज हम जिस युग में जी रहे हैं वह विज्ञान का युग है।

 विज्ञान ने अंधे को आंखें दी है। बहरों को सुनने की ताकत दी है। लाइलाज रोगों पर रोकथाम की है। विज्ञान की सहायता से आधुनिक युग बटन युग बन गया है। बिना किसी परिश्रम के बटन दबाते ही वायु देवता हमारी सेवा करने लगते हैं। बटन दबाते ही प्रकाश  जगमगाने लगता है। तो कहीं शीत–उष्ण वायु के झोंके सुख देने लगते हैं। विज्ञान ने विद्युत का आविष्कार कर के मानव जीवन में नई क्रांति ला दी है। विद्युत ने मानव को प्रकाश और शक्ति प्रदान की जिससे वह अनेक यंत्रों को चलाने में सफल रहा है। दूरियों को कम करने के लिए विज्ञान ने बस, रेलगाड़ी, वायुयान, आदि बाहनो का निर्माण कर मनुष्य के जीवन की कीमती समयों को बचाया है। जिस स्थानों पर पहुंचने में कई दिन लग जाते थे अब उस स्थान पर मनुष्य घंटों या मिनटो में पहुंच जाता है। विज्ञान ने मनुष्य को मनोरंजन तथा अपने से दूर व्यक्ति से संपर्क के लिए कई साधन उपलब्ध कराए हैं। टी० वी०, रेडियो, कैमरा, कंप्यूटर आदि में मनुष्य की मनोरंजन के सभी साधन कैद है। स्मार्टफोन और कंप्यूटर द्वारा हम अपने से दूर व्यक्ति को देख भी सकते हैं और बात भी कर सकते हैं। स्मार्टफोन और कंप्यूटर द्वारा हम उन लोगों से अपनी जान पहचान बना लेते हैं जिनसे हम कभी मिले भी नहीं होते हैं। विज्ञान की सहायता से समुंद्र की गहराइयां और आकाश की ऊंचाई माप ली गई है। विज्ञान ने मनुष्य को सुख सुविधा की कई साधन उपलब्ध कराए हैं। उनमें कंप्यूटर का भी मनुष्य के जीवन में विशिष्ट स्थान है। कंप्यूटर से घंटो का काम मिनटों या सेकंड में हो जाता है।  कंप्यूटर के अभाव में मनुष्य को किसी काम के लिए को घंटों लाइन में लगना पड़ता था। कंप्यूटर मानव मस्तिष्क की ही उपज है, किन्तु मानव मस्तिष्क की अपेक्षा इसमें सोचने की क्षमता कई लाख गुना अधिक है। कंप्यूटर मनुष्य के लिए प्राय: सभी क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोगी है। शिक्षा का क्षेत्र हो या कृषि का या उद्योग का मानव जीवन के लिए विज्ञान अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि विज्ञान 'सचमुच' हमारे लिए वरदान है। 

विज्ञान से हानि।

यह तो सर्वमान्य हैं कि विज्ञान ने मानव को आवश्यकतानुसार बहुत अधिक सुख सुविधाएं प्रदान की है। मानव जीवन से संबंध समस्त घटनाओं में यहीं तथ्य परिलक्षित होता है। विज्ञान ने जहां मनुष्य की सुख–सुविधा की सारी साधन जुटाए हैं। वही मनुष्य को विनाश के रास्ते पर भी ला खड़ा कर दिया है।

विज्ञान द्वारा प्राप्त सुख सुविधा का मनुष्य इतना आदि हो गया है कि वह अपने आप को आलसी बना लिया है। वह एक स्थान पर बैठे-बैठे अपना सारा काम कर लेता है। कंप्यूटर और स्मार्टफोन में अपना अधिक समय व्यतीत करने के कारण मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है। लंबे समय तक कंप्यूटर या स्मार्टफोन चलाने के कारण आंखों में बुरा प्रभाव पड़ता है तथा नशे जाम होने लगती है कमर दर्द करने लगता है। इस प्रकार अच्छा खासा मनुष्य रोगी बन जाता है। आजकल अत्यधिकतर मनुष्य अपने स्मार्टफोन में व्यस्त रहता है। इसके कारण वह अपने रिश्तेदारों दोस्तों या अपने परिवारों के साथ अत्यधिक समय व्यतीत नहीं कर पाता है। जिसके कारण रिश्तो में दूरियां आने लगती है। विज्ञान के द्वारा मनुष्यों ने अन्नू बम, परमाणु बम, तथा अन्य ध्वंसकारी अस्त्र–शास्त्रों का निर्माण कर लिया है। विज्ञानिकों के अनुसार अब दुनिया में इतनी विनाशकारी सामग्री का निर्माण हो चुका है जिसकी सहायता से पृथ्वी को अनेकों बार नष्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण की समस्या बहुत बुरी तरह से हमारे बीच फैल गई है। आधुनिक युग में स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा खतरा प्रदूषण से है। नित्य नए असाध्य रोग उत्पन्न होते जा रहे हैं। जो वैज्ञानिक उपकरणों के अंधाधुंध प्रयोग करने के दुष्परिणाम है। 

वैज्ञानिक प्रगति का सबसे ज्यादा दुष्परिणाम मानव मस्तिष्क पर हुआ है। जो मनुष्य पहले नि:स्वार्थी, भोला, मस्त और बेपरवाह था। वह मनुष्य अब स्वार्थी, चलाक, लालची, छली–कपटी, झूठा, भौतिकवादी तथा तनावग्रस्त हो गया है। मनुष्य एक– दूसरे का जानी दुश्मन बन बैठा है। समाज से भाईचारे जैसी अवधारणा खत्म हो गई है। मनुष्य बस धन अर्जित करने में जुट गए हैं।

वास्तव में विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाने वाला मनुष्य है। यदि हम  वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग मानव कल्याण के लिए करे तो वह हमारे लिए वरदान सिद्ध होता है। इसके विपरीत इन उपकरणों का मानव जीवन में गलत उद्देश्य को पूरा करने के लिए किया जाए तो वह हमारे लिए अभिशाप बन जाता है। इसलिए हमें विज्ञान को अभिशाप से बचाना चाहिए इसकी शक्ति को जन कल्याणकारी कार्यों में लगाना चाहिए। हमें वैज्ञानिक उपकरणों का अंधाधुन उपयोग नहीं करना चाहिए। तभी विज्ञान हमारे लिए वरदान सिद्ध होगा।

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विज्ञान वरदान है या अभिशाप? पर निबंध (Is Science a Boon or a Curse Essay in Hindi)

आज का वर्तमान युग विज्ञान का युग है। विज्ञान एक ऐसा हथियार है,जो मानव स्वभाव पर निर्भर करता है।यदी मानव अच्छा है, तो यह वरदान है। यही मानव अच्छा है तो वह अभिशाप है। हम सभी जानते हैं, कि आज कल सुबह से शाम तक घर हो या बाहर, हम जो कुछ भी प्रयोग में लाते हैं। वह सब विज्ञान कि ही देन हैं ।आज मानव जैसा चाहता है, वैसा विज्ञान का प्रयोग कर सकता है। उनका प्रयोग कैसे करना चाहिए,यह मानव के स्वाभाव पर निश्चित होता है।

विज्ञान वरदान है या अभिशाप? पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on Is Science a Boon or a Curse in Is Science a Boon or a Curse par Nibandh Hindi mein)

विज्ञान मानव जाति के लिए एक वरदान माना जाता है। विज्ञान में हमें सुख सुविधाएं प्रदान की है। जैसे, सुबह में नींद से टिक टिक आवाज करके जगाने वाली घड़ी, बिजली, मोबाइल, गैस,बस,कार कंप्यूटर, अस्त्र ,शस्त्र, बम, गोले, आज जो कुछ भी हम रोज इस्तेमाल में लाते हैं। वह सब विज्ञान का वरदान है। उसे मनुष्य का जीवन जीना बहुत आसान हुआ है। कुछ साल पहले असंभव लगने वाली चीज आज विज्ञान की वजह से संभव हो रही है। रोड पर चलने वाले इलेक्ट्रिक गाड़ी,या घर में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं सब विज्ञान से ही बनी है।

विज्ञान में अनेक अविष्कार करके दिखाइए हैं।जो हम सपने में भी नहीं सोचते थे। मानव को हम दूर होते हुए भी एक पलक झपकते ही देख सकते हैं।कुछ भी असंभव नहीं है। विज्ञान के युग में जो हम कर नहीं सकते। विज्ञान के द्वारा बनाए गए वस्तुओं पर ज्यादा निर्भर करता है। मनुष्य की पुर्तीया जो है। विज्ञान ने जो इलेक्ट्रॉनिक वस्तु बनाए उनमें से मोबाइल एक उदाहरण है। जो ज्ञान का खजाना है। उसका प्रयोग हम मनोरंजन करने में या दुनिया का ज्ञान जानने में और दूर रहकर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बातचीत करने में उपयोग होता है।

विज्ञान वास्तविक वरदान है।जब उसका उपयोग छोटे-बड़े, गरीब ,अमीर सबको होता है। पेड़, पौधों और जंतुओं के लिए भी विज्ञान का सदुपयोग मानव करने लगा है। विज्ञान से मानव ने आश्चर्यजनक सुविधाएं प्रदान किया हैं। विज्ञान से माना अंधे को आंखें ,बहरे को सुनने की शक्ति और लंगड़े को पांव मिल रहे हैं। विज्ञान से हस्पताल में अनेक क्षेत्रों में यंत्र प्राप्त किए हैं, जैसे रोगों का ज्ञान होता है। शिक्षा क्षेत्र में भी टाइपिंग,कंप्यूटर की ओर ज्यादा तौर पर जा रहे हैं।विज्ञान एक मानव जाति के लिए भगवान का ही रूप है।

विज्ञान मानव जाति के लिए वरदान है। कई कारणों से सिद्ध भी किया है। परंतु कई कारणों से विज्ञान एक अभिशाप भी कहा गया है, जैसे कि परमाणु, बम, बंदुकें ,तोफे जो युद्ध में इस्तेमाल किए जाते हैं।वह शस्त्र, अस्त्र इसकी वजह से ही। जहां विज्ञान में लोगों को सुख प्रदान किया है।वहीं उसने कई ऐसे भी यंत्र का निर्माण किया है। जिसके प्रयोग से कई लोगों को कष्ट सहना पड़ रहा है। जब लोग यंत्रों का अनावश्यक प्रयोग करते हैं। तब विज्ञान एक अभिशाप बनकर रह जाता है। विज्ञान से बनाए गए कोई भी वस्तु का सदुपयोग करेंगे तो अभिशाप हो जाता है।जैसे बंदूक एक विज्ञान से बनी है। जिसे फौजी सीमा पर चलाते हैं, तो वह वरदान कहलाते हैं। और किसी निर्दोष व्यक्ति की मृत्यु का कारण होती है तो वह अभिशाप है। जहां एक और विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान साबित हुआ वहीं दूसरी और विज्ञान के विध्वंसक का अविष्कार से इसे अभिशाप भी माना गया है। हम विज्ञान का दुरुपयोग ना करें ,जिससे मानव जाति के जीवन सफल होगा और विज्ञान में ज्यादा प्रगति करेगा। उसी में ही मनुष्य की भलाई है।

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Hindi Essay

Essay on Science Boon or Curse in Hindi | विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध PDF

Essay on science boon or curse in hindi.

Essay on Science Boon or Curse in Hindi 1000 Words (Download PDF) विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध – विज्ञानं के अविष्कार ने मानवजाति का भविष्य बदल दिया है। विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध हिंदी में, हम जानेगे की विज्ञानं ने हमारे जीवन पर क्या प्रभाव डाला है। तो आइये शुरू करते है।

आव्श्यक्ता ही आविष्कार की जननी है। अनादि काल से मनुष्य वह सब कुछ प्राप्त करने का साधक रहा है जिसकी मनुष्य को आवश्यकता है। इन नई विधियों और आविष्कारों ने विज्ञान को जन्म दिया। इसी का नतीजा है कि आज विज्ञान इतनी आगे बढ़ चुका है कि इसे चमत्कार कहना गलत नहीं होगा क्योंकि विज्ञान ने जीवन के हर क्षेत्र में अद्भुत आविष्कार करके चमत्कार किए हैं। हर दिन हो रहे वैज्ञानिक आविष्कार दुनिया में एक नई क्रांति ला रहे हैं और मानव जीवन सुविधाजनक होता जा रहा है।

अर्थ और अभिप्राय

विज्ञान शब्द ‘वी + ज्ञान’ से बना है। जिसमें उपसर्ग वि लगा है, वि का अर्थ है विशेष अर्थात संसार का विशेष ज्ञान और विशेष ज्ञान वह कहलाता है जो किसी कल्पना और अंधविश्वास पर आधारित न हो। विज्ञान किसी भी संभावना को तब तक स्वीकार नहीं करता जब तक कि बुद्धि के संज्ञान में कोई कारण न आ जाए।

विश्वसनीय वह है जिसका प्रयोगात्मक अध्ययन संभव हो। इसकी सबसे बड़ी कसौटी उपयोग पर इसकी प्रामाणिकता साबित करना है। आज के समय में जिस देश में विज्ञान है उसका भविष्य उज्ज्वल है लेकिन जिसके पास विज्ञान नहीं है उसका भविष्य अर्थहीन है। विज्ञान के आविष्कार ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोया है, आज के समय में कोई भी ऐसा स्थान नहीं है जहां संपूर्ण विज्ञान न हो।

विज्ञान का क्षेत्र

इस सदी में विज्ञान ने इतनी प्रगति की है जितनी पहले कभी नहीं हुई। इस सदी में विज्ञान ने हर क्षेत्र में चमत्कार किए हैं। फ्रांस, जापान, जर्मनी, इंग्लैंड, रूस, अमेरिका आदि देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में अद्भुत आविष्कार किए हैं और विज्ञान को प्रगति के शिखर पर पहुंचा दिया है और यह दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है।

यातायात के क्षेत्र में

मनुष्य जिस क्षेत्र में दिन और महीनों में यात्रा करता था, वह अब घंटों में करने में सक्षम हो गया है। मोटर कार, ट्रेन, बस, हवाई जहाज, जहाज आदि परिवहन के मुख्य साधन हैं। इन साधनों ने सारे संसार को सीमित कर एक सूत्र में बांध दिया है। अब पूरा विश्व एक राष्ट्र जैसा लगने लगा है। मेट्रो रेल के आविष्कार ने शहरी जीवन को बहुत सुविधाजनक बना दिया है।

बिजली उपकरणों का विकास

पहले सभी कार्य मानव शक्ति और पशु शक्ति द्वारा किए जाते थे, आज भाप, खनिज, तेल, कोयला और बिजली ने मनुष्य को असीमित शक्ति दी है। बिजली के आविष्कार ने हर जगह रोशनी बिखेर दी है। बिजली एक ओर हमें शक्ति देती है और दूसरी ओर प्रकाश देकर रात को दिन के समान उज्ज्वल बनाती है।

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चिकित्सा में विज्ञान

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने मनुष्य को एक नया जीवन दिया है। जिन असाध्य रोगों और महामारियों को मानव स्वभाव ने चुपचाप एक क्रोध या अभिशाप के रूप में सहन किया था, उन्हें विज्ञान ने चुटकियों में दूर भगा दिया है। हैजा, चेचक, प्लेग जैसी महामारियों को विज्ञान ने जड़ से उखाड़ फेंका है।

इंजेक्शन, एक्स-रे, रेडियम और इलेक्ट्रिकल थेरेपी ने मृत इंसान को जीवनदान दिया है। मनुष्य ने शल्य चिकित्सा के द्वारा अद्भुत और आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की है। रोगी के शरीर को फाड़कर उस पर कृत्रिम सामग्री डालकर एक अद्भुत उपचार किया गया है।

संचार के क्षेत्र में

संचार के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अद्भुत प्रगति की है। पहले किसी खबर को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में कई दिन और महीने लग जाते थे। आज उस खबर तक पहुंचने में मिनट या सेकंड लगते हैं। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में घटने वाली कोई घटना मिनटों में बिजली की तरह पूरे विश्व में फैल जाती है। रेडियो और टेलीविजन ने इस दिशा में अपार सफलता हासिल की है, रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के द्वारा इन घटनाओ का प्रचार होता है।

हथियारों के क्षेत्र में

आधुनिक युग में तोप, बम, टैंक और मिसाइल से युद्ध होता है। युद्ध में बमवर्षक विमानों ने अद्भुत भूमिका निभाई है। 10000 किमी तक की मारक क्षमता वाली इंटरकांटिनेंटल मिसाइलें दुनिया को तबाही की ओर ले जा रही हैं। रूस, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन ने इस दिशा में जबरदस्त प्रगति की है। अनु बम विनाश का पर्याय है।

मनोरंजन का विकास

मनोरंजन करना मानव स्वभाव है। विज्ञान की प्रगति के साथ मनोरंजन के साधनों में भी प्रगति हुई है। सिनेमा, वीडियो, टेलीविजन, नए खेल आदि मनोरंजन के आधुनिक वैज्ञानिक साधन हैं। आज इंसान घर बैठे टेलीविजन पर फिल्में और धरावाहिक देखकर अपना मनोरंजन करता है।

विज्ञान के लाभ

विज्ञान के नवीनतम आविष्कारों के कारण आज मानव जीवन बहुत सुविधाजनक हो गया है। मनुष्य का जीवन विज्ञान से इस प्रकार जुड़ा है कि विज्ञान के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। आज के वैज्ञानिक युग में सुई से लेकर बड़े जहाज, ट्रेन, विमान इंसानों के लिए बनाए गए हैं। इन सबका उपयोग हम अपने जीवन में करते हैं।

नवीनतम विज्ञान के आविष्कार ने मानव जीवन को आसान और खुशहाल बनाने के लिए कई आविष्कार किए हैं। खेती के क्षेत्र को सरल बनाने के लिए ट्रैक्टर, कंबाइन आदि कई मशीनों का आविष्कार किया गया है। इसके अलावा घरेलू कामों को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रेस, फ्रिज, मिक्सर आदि घरेलू उपकरणों का आविष्कार किया गया है।

प्लेग, मलेरिया, डेंगू, हैजा आदि कई खतरनाक बीमारियों पर विज्ञान ने काबू पा लिया है। पहले इंसान इन बीमारियों से मरते थे, लेकिन विज्ञान ने उन्हें जड़ से उखाड़ फेंका है।

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विज्ञान अभिशाप के रूप में

किसी चीज की अति विनाश का कारण बनती है। विज्ञान ने मनुष्य को जो भी न्यूनतम संसाधन उपलब्ध कराए हैं, वह बेशक उसकी सुविधा के लिए हैं, लेकिन अगर उनका अनुचित तरीके से उपयोग किया जाए, तो वे हमारे लिए घातक साबित हो सकते हैं।

जहां परिवहन के साधनों ने लोगों के समय की काफी बचत की है, वहीं कई दुर्घटनाएं भी होती हैं। विमानों, ट्रेनों, बसों के हादसों में हर दिन एक पल में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। आजकल इन साधनों ने मनुष्य के जीवन को बिल्कुल क्षणभंगुर बना दिया है।

आज बिजली ने इंसान को अपना गुलाम बना लिया है। हर दिन कार्रवाई बिजली के कारण होती है। जरा सी लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। आधुनिक हथियारों का आविष्कार वैज्ञानिक प्रगति का सबसे बड़ा अभिशाप है।

पहले के युद्धों में केवल सेना को नुकसान होता था, लेकिन अब ऐसे हथियार बन गए हैं, जिससे निर्दोष लोग, जानवर, पक्षी, पूरा पशु जगत मौत के मुंह में पहुंच जाता है।

विज्ञान हमारे लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। विज्ञान द्वारा आविष्कार किए गए साधन हमारे लिए वरदान साबित हुए हैं, लेकिन अगर हम उन उपकरणों का गलत इस्तेमाल करते हैं, तो वे हमारे लिए अभिशाप बन जाते हैं, विनाशकारी युद्धों को रोकना चाहिए। अत: मनुष्य को चाहिए कि वह विज्ञान का प्रयोग स्वयं को बचाने के लिए वरदान के रूप में करे।

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FAQs. Essay on Science Boon or Curse in Hindi

विज्ञान के बारे में इतना महत्वपूर्ण क्या है.

उत्तर – विज्ञान एक ऐसा तरीका है जो हमारे दैनिक जीवन के लिए समाधान बनाता है। यह हमें ब्रह्मांड के महान रहस्यों का जवाब देने में मदद करता है। यह ज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीनतम विचारों को इसे और अधिक न्यायसंगत और सतत विकास द्वारा आगे ले जाना चाहिए।

विज्ञान क्या है और इसके उपयोग ?

उत्तर – विज्ञान हमारे आस-पास के वातावरण को रोशन करने वाले नए उपकरण और विचार बनाकर ब्रह्मांड के बारे में नवीनतम चीजों की खोज करने और ज्ञान का निर्माण करने का एक तरीका है। यह हमें व्यावहारिक समस्याओं को हल करने, नई तकनीकों को विकसित करने और सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।

विज्ञान के जनक कौन है?

उत्तर – महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गैलीलियो को “आधुनिक विज्ञान का जनक” कहा। गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी, 1564 को इटली के पीसा में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश बचपन फ्लोरेंस, इटली में बिताया।

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science curse or boon essay in hindi

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विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर निबंध | Science Is A Boon Or Curse Essay in Hindi | Essay on Science Is A Boon Or Curse in Hindi

admin

   Science Is A Boon Or Curse Essay in Hindi   :   इस लेख में हमने   विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर निबंध के बारे में जानकारी प्रदान की है। यहाँ पर दी गई जानकारी बच्चों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।

विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर निबंध:  मनुष्य एक गुफा के सबसे निचले स्थान से एक अंतरिक्ष यात्री के उच्चतम स्थान पर पहुंच गया है। उसने समय और स्थान को जीत लिया है और प्रकृति की सभी शक्तियों को अपने अधीन कर लिया है। लेकिन जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही विज्ञान के मामले में भी ऐसा ही है।

आप विभिन्न विषयों पर  निबंध  पढ़ सकते हैं।

विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर लंबा निबंध (500 शब्द)

जिस विज्ञान ने मानव जाति की इतनी बड़ी सहायता की है उसका एक और चेहरा भी है। आज हम जिस जीवन का नेतृत्व कर रहे हैं, उसमें स्पष्ट रूप से भारी बदलाव आया है और जो कुछ साल पहले हुआ था। जिस विज्ञान ने हमें विकास, प्रगति, विस्तार और विकास दिया है, उसने हमें शत्रुता, हिंसा, बर्बादी, तबाही और रक्तपात भी किया है।

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने ठीक ही कहा है: “Science… never solves a problem without creating ten more.”

भाप का युग चला गया। अब हम हाइड्रोजन बम और बिजली के युग में हैं। उनके उपन्यास: “द ड्रीम” में एचजी वेल्स के सबसे शानदार सपने सच हो गए हैं। इस अंतरिक्ष युग में, जहां विज्ञान के चमत्कार प्रकृति के चमत्कारों से आगे निकल जाते हैं, विज्ञान हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। विज्ञान ने पौराणिक कथाओं के पुराने जालों को पार कर लिया है और कल का विश्वास विज्ञान के क्रूसिबल में आज का अंधविश्वास साबित हुआ है।

फिर भी समस्या यह है कि विज्ञान समाज के लिए वरदान है या अभिशाप। विज्ञान बुद्धि का पोषण करता है लेकिन इच्छा और भावनाओं की परवाह किए बिना छोड़ देता है। जैसा कि हेलेन केलर ने उद्धृत किया है-“विज्ञान ने भले ही अधिकांश बुराइयों का इलाज खोज लिया हो, लेकिन उनमें से सबसे बुरी बुराई का कोई इलाज नहीं मिला है- वह है इंसानों की उदासीनता।”

विज्ञान स्वचालित प्रक्रियाओं में विजय प्राप्त करता है लेकिन अब यह मनुष्य पर शासन करता है। स्वचालन दिन का क्रम है। युद्ध और विनाश का भूत दुनिया को सता रहा है और कोई भी सुरक्षित नहीं है। नैतिक निर्णय के साथ वैज्ञानिक ज्ञान को नियंत्रित करना इस दुविधा का समाधान हो सकता है। श्रव्य-दृश्य उपकरण समय और दूरियों को मिटा देते हैं। लेकिन इन ठोस उपलब्धियों से अधिक मूल्यवान विज्ञान की भावना है। विज्ञान का अर्थ है व्यवस्थित ज्ञान। यह घटना के कारणों का पता लगाता है, और अवलोकन और प्रयोगों के माध्यम से काम करता है। विज्ञान सभ्यता का पथ प्रदर्शक है।

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क्या विज्ञान वास्तव में अभिशाप है? जिस प्रकार धर्म आस्था का विषय है, उसी प्रकार विज्ञान तथ्य का विषय है। आधुनिक युद्ध हमारे अवैज्ञानिक पूर्ववर्तियों के बेतहाशा सपनों से परे विनाशकारी हैं। मशीनगन, गोले, पनडुब्बी, परमाणु हाइड्रोजन बम और परमाणु हथियार पलक झपकते ही दुनिया को तबाह कर सकते हैं। युद्ध में हवाई जहाज सामूहिक विनाश के इंजन के रूप में कार्य करते हैं। न केवल युद्ध के समय में बल्कि शांति के समय में भी मनुष्य बीमारियों के बीच रहता है। भले ही इलाज का आविष्कार किया जा रहा है, बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

कहा जाता है कि गणित मनुष्य को सूक्ष्म बनाता है और इतिहास मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है। इसी तरह, विज्ञान मानव बुद्धि को उन्नत करता है। यह उसे तीव्र ज्ञान के साथ पूरक करता है और उसके आराम में जोड़ता है। इसे प्रेम के दर्शन से, दूसरों को सहन करने की इच्छा से परिष्कृत किया जाना चाहिए और तभी मनुष्य विज्ञान के दुरुपयोग से होने वाले बुरे प्रभावों को दूर करने में सक्षम होगा। एक एकीकृत शैक्षिक पैटर्न, जो एक वैज्ञानिक को उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों से अवगत कराता है, वर्तमान उथल-पुथल का समाधान हो सकता है। अत्यंत प्रतिभाशाली अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार उद्धृत किया था

“नए प्रश्न, नई संभावनाएं, पुरानी समस्याओं को नए कोण से देखने के लिए रचनात्मक कल्पना की आवश्यकता होती है और विज्ञान में वास्तविक प्रगति को चिह्नित करता है।”

दरअसल, उनके समय से लेकर अब तक विज्ञान ने कई गुना तरक्की की है। पहले से कहीं अधिक, विज्ञान ने अपनी चिकित्सा प्रगति, आनुवंशिक इंजीनियरिंग, जैव प्रौद्योगिकी, विभिन्न आविष्कारों और खोजों के साथ कई लोगों के जीवन में आशा लाई है। विज्ञान ने मनुष्य के लिए अधिक समय तक जीवित रहना, मृत्यु दर को कम करना, जीवन प्रत्याशा को बढ़ाना आदि संभव बना दिया है।

इसके अलावा, विज्ञान की मदद से ही जीवन बेहद आसान हो गया है। स्थानों पर जाना आसान है, लोगों से जुड़े रहना सुविधाजनक है और दुनिया में नवीनतम के साथ अद्यतन रहना है, और मनोरंजन करना विज्ञान के सभी आशीर्वाद हैं। आज एक बच्चा भी कार्टून के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। नवीनतम तकनीक के खिलौने जो उड़ सकते हैं, नृत्य कर सकते हैं, घूम सकते हैं, बात कर सकते हैं, मोबाइल, टेलीविजन, वीडियो गेम, फिल्में और नवीनतम कपड़े विज्ञान के वरदान हैं।

विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर लघु निबंध (200 शब्द)

निस्संदेह, हम बिजली के बिना नहीं रह सकते। हमारे घरों और कार्यालयों में एक घंटे की बिजली कटौती हमें पागल कर देती है और हमारी दिनचर्या और काम को अस्त-व्यस्त कर देती है। टेलीफोन, टेलीविजन, रेडियो, रसोई के उपकरण जैसे मिक्सर, ग्राइंडर, एलपीजी, रेफ्रिजरेटर, ओवन, माइक्रोवेव आदि हमारे जीवन को आसान, आरामदायक और सुखद बनाते हैं। और कंप्यूटर को कौन भूल सकता है! जीवन कभी भी पहले जैसा नहीं रहा जब से आईटी क्रांति ने दुनिया को तूफान से घेर लिया। पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव में सिमट गई है। किसी भी प्रकार की जानकारी माउस के एक क्लिक की दूरी पर है।

वैमानिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान में विज्ञान की छलांग काबिले तारीफ है। विभिन्न कारणों से उपग्रहों के पृथ्वी पर मंडराए बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। वे हमारे दैनिक जीवन की बहुत सी चीजों को संभव बनाते हैं जैसे मौसम का पूर्वानुमान, संचार, मनोरंजन आदि। परमाणु ऊर्जा का उपयोग मानव जाति की भलाई के लिए किया जाए तो यह चमत्कार कर सकता है। लेकिन निषिद्ध रास्तों पर चलने की मनुष्य की प्रवृत्ति उसे मृत्यु, विनाश और क्षय के ब्लैक होल में ले जाती है।

मनुष्य ने मरुस्थलों, पहाड़ियों, पर्वतों, महासागरों, बर्फ से ढके क्षेत्रों, उन सभी को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार हेरफेर किया है; और जानवरों को उनके विलुप्त होने के लिए शोषण किया है। मनुष्य ने अपने लिए नये-नये द्वीपों का निर्माण किया है; लेकिन ग्लोबल वार्मिंग पहले से मौजूद भूमि के लिए एक बड़ा खतरा है। मनुष्य ने विकिरणों और लेसरों का आविष्कार केवल मानव शरीर के लिए लाभकारी होने के बजाय हानिकारक साबित करने के लिए किया है। विज्ञान ने आधुनिक मनुष्य के जीवन को सरल तो बना दिया है लेकिन भारी तनावों और खतरों से भरा हुआ है।

विज्ञान सबसे बड़ा आशीर्वाद है जो मनुष्य को कभी भी मिल सकता है। यह वास्तव में एक वरदान और आशीर्वाद है, अगर इसका उपयोग मानव जाति के लाभ के लिए और रचनात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जब तक कि यह कुछ स्वार्थी और बुरे दिमाग वाले लोगों के हाथ में एक उपकरण न बन जाए। जब विनाश, भय पैदा करने, हिंसा फैलाने और लोगों का सफाया करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो विज्ञान एक दोधारी तलवार बन जाता है जो अपराधी को भी नष्ट कर देता है। इस प्रकार विज्ञान को मानवता के लिए वरदान बनाना या इसे अभिशाप में बदलना और इस ग्रह पर मानव जाति के पदचिन्हों को भी नष्ट करना हमारे हाथ में है।

विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर निबंध | Science Is A Boon Or Curse Essay in Hindi | Essay on Science Is A Boon Or Curse in Hindi

 विज्ञान एक वरदान है या अभिशाप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. विज्ञान का वरदान क्या है?

उत्तर: विज्ञान ने कदम-कदम पर मानव जीवन में हस्तक्षेप किया है और मनुष्य को इतनी सुविधाएँ प्रदान की हैं कि मनुष्य विज्ञान के अधीन होकर रह गया है। विज्ञान ने धरती आकाश और जल क्षेत्र तीनों को प्रभावित किया है। धरती का तो शायद ही कोई कोई कोना हो जहाँ विज्ञान ने कदम न रखा हो। विज्ञान के कारण मनुष्य ने उन्नति की है।

प्रश्न 2. विज्ञान से हमें क्या लाभ है और क्या हानि है?

उत्तर: चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने हमारे लिए बहुत सुविधाएं जुटाई हैं। आज कई असाध्य बीमारियों का इलाज मामूली गोलियों से हो जाता है। कैंसर और एड्‍स जैसे बीमारियों के लिए डॉक्टर्स और चिकित्सा विशेषज्ञ लगातार प्रयासरत हैं। नई-नई कोशिकाओं के निर्माण में भी सफलता प्राप्त कर ली गई है।

प्रश्न 3. विज्ञान एक अभिशाप है कैसे?

उत्तर: अभिशाप के रूप में : विज्ञान का एक पक्ष वरदान है तो एक पक्ष अभिशाप भी है। विज्ञान एक ऐसा साधन है जिससे असीम शक्ति प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य जिस तरह से चाहता है उस तरह से इसका प्रयोग कर सकता है। सभी को पता है कि विज्ञान में दैवीय शक्ति के साथ-साथ असुरी शक्ति भी है।

प्रश्न 4. विज्ञान से हमें क्या हानि है?

उत्तर: विज्ञान या मशीन की मदद से मनुष्य ने कई काम आसान बना लिए हैं, लेकिन इन तमाम उपकरणों से कोई एक चीज बचती है और किसी दूसरी का नुकसान हो जाता है। मशीनी चक्की के आटे से उसकी गर्मी के कारण अनेक तत्व जल जाते हैं, मिल से कुटे चावल में वैसी मिठास नहीं होती, मिक्सी में बनाई गई चटनी कभी सिल-बट्टेवाली चटनी का मुकाबला नहीं कर पाती।

प्रश्न 5. विज्ञान से हमें क्या लाभ है?

उत्तर: नए-नए आविष्कार किए हैं, वे सब विज्ञान की ही देन हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के अनगिनत आविष्कारों के कारण मनुष्य का जीवन पहले से अधिक आरामदायक हो गया है। मोबाइल, इंटरनेट, ईमेल्स, मोबाइल पर 4जी और इंटरनेट के माध्यम से फेसबुक, ट्विटर ने तो मनुष्य की जिंदगी को बदलकर ही रख दिया है।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध । Hindi Essay on Science Boon or Curse

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विज्ञान की हम सबकी ज़िन्दगी में मुख्य भूमिका है और इसी की वजह से इसका हर रूप प्रभावित किया है। पहले यह जीवन शून्य पर था परंतु आज कई ऊंचाईयों तक पहुंच गया है। विश्व का इतना विकासपूर्ण दृश्य केवल विज्ञान की वजह से देखना मुमकिन हो पाया है जो अकल्पनीय है।

विज्ञान से मुमकिन

पुराने समय को वापस देखें तो मनुष्य को लंबी दूरी तय करने में कई घण्टे, दिन व साल लग जाते थे, पर आज रेल, गाड़ी,अस्पताल, हवाई जहाज जैसे आविष्कार की वजह से ये सब लक्ष्य सम्भव हुआ है।

वैज्ञानिक चमत्कार ने मनुष्य की रोज़मर्रा की सुख-सुविधाओं में बहुत तरक्की की है। विज्ञान के कुछ ऐसे ही अविष्कार हैं जो हमारे दैनिक कार्यों को काफ़ी सरल बना दिये हैं जैसे हमारे कपड़े धोने आसान हो गए है, कपड़ों की स्त्री करना आसान हो गया है, भोजन पकाना, ठंडी में गर्म पानी और गर्मियों में ठंडे पानी उपलब्ध हो पाई हैं।

बड़ी-बड़ी मशीनों के बनने के वजह से आज बड़े-बड़े फैक्ट्रीज आये हैं जिससे शारीरिक श्रम कम हो पाया है, समय व पैसे की बचत के अलावा अच्छे  मात्रा में उत्पादन मुमकिन हो पाया है।

इससे आबादी को महत्वपूर्ण वस्तुएं कम दामों पर मुहैया करायी जाती हैं।

कृषि क्षेत्र में विज्ञान

भारत आज वाला करोड़ों की आबादी वाला राष्ट्र बन चुका है जहां हर वर्ग के लोग निवास करते है और हर वर्ग के मुताबिक उनकी वैज्ञानिक ज़रूरतें है।  विज्ञान की सहायता से किसान आज आत्मनिर्भरता को छू पाए हैं दिन-प्रतिदन प्रगति भी कर रहे हैं।  यह सब आज सिर्फ विज्ञान के चमत्कार से ही सम्भव हो पाया है।

विज्ञान ने किसानों के लिए अच्छे प्रकार के बीज, बहुत अधिक विकसित और आधुनिक तकनीक, कीड़े मारने के पदार्थ, बड़ी गाड़ियां खेतों के लिए, बिजली आदि की भेंट की है।

हथियारों की वजह – विज्ञान

जहां पर हमने मनुष्यों के द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की होते देखा है, इस जीवन को सभ्य और खूबसूरत बनते देखा है वहीं इसके गलत हाथों में उपयोग की वजह जैसे  बंदूकों, घातक बोम्बों व हथियारों की वजह से मानव जाति पर आये खतरे को भी देखा है।

इसका सही प्रकार से इस्तेमाल न होना किसी के ज़िन्दगी की कीमत भी होती है। विज्ञान एक ऐसा स्रोत है जिसकी ताकत व शक्ति अपार  है। मनुष्य के ताकतवर व असीमित दिमाग के वजह से वह जैसे चाहें इसका इस्तेमाल कर सकता है।

विज्ञान से हानि

इस बात से सभी परिचित हैं कि  विज्ञान में दैवीय शक्ति की मौजूदगी के अलावा असुरी शक्ति भी होती है। विज्ञान ने कई घातक तरीकों के सिवाय कई तरीकों से इंसान को हानि पहुंच सकता है।

विज्ञान ने भौतिकवाद को बढ़ावा दिया है जिसके कारण धर्म और ज्ञान से जुड़ी विषयों पर विश्वास होता है फ़िर वो दिखावटी व खाली प्रतीत होते हैं। मानव का मानवता से जो सम्बन्ध होता है वो खोखले और कमजोर होने दिखाई देते हैं।

आज यह विज्ञान पूरी दुनिया के लिए वरदान सिद्ध हुआ है पर इसके ग़ैरक़ानूनी उपयोग  भी बहुत हुआ है। विज्ञान के क्षेत्र में तहलका मचा देने वाले कुछ महान लोग तो गुज़र गए पर इसका इस्तेमाल करने वाले की संख्यां आज करोड़ों में पहुंच गयीं हैं।

कुछ मनुष्य इसका सही उयोग कर तरक्की कर रह दुनिया को गौरवशाली बना रहे हैं और कुछ गलत प्रयोग के रूप में।

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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध (Essay On Science Boon Or Curse In Hindi)

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध (essay on science boon or curse in hindi) :.

science curse or boon essay in hindi

भूमिका : आज का युग विज्ञान का युग है। आज के वैज्ञानिक युग ने मनुष्य के जीवन में बहुत ही प्रभाव उत्पन्न किया है। आज मनुष्य के जीवन में जितनी भी गतिविधियाँ हो रही हैं वो सब विज्ञान की वजह से ही संभव हो पायी हैं। आज के समय में पुराने रहस्यों को भी खोज लिया गया है आज विज्ञान की वजह से ही आकाश की उंचाईयों से लेकर पाताल की गहराईयों को नापना संभव हो पाया है।

मनुष्य ने जो प्रगति की है उसका इतिहास इस बात का साक्षी है कि वह किसी समय जानवरों जैसा जीवन जीता था। गुफाओं में रहता था, कच्चा मांस और फल सब्जियां खाता था, पेड़ों और पौधों की पत्तियों और छालों को कपड़े की तरह पहनता था। धीरे-धीरे उसने आग जलाना सिखा और वहाँ से वह निरंतर आगे बढ़ता चला गया और आधुनिक युग में बहुत आगे बढ़ता चला गया है।

विज्ञान की वजह से मनुष्य जीवन हर तरह से बदल गया है। विज्ञान की वजह से ही मनुष्य आज इतनी ऊँचाईयों पर पहुंच पाया है। विज्ञान सुखों के लिए दुःख से जुडकर उसे वरदान और अभिशाप दोनों की तरह प्रस्तुत हुआ है।

विज्ञान का अर्थ : विज्ञान का अर्थ होता है- विशिष्ट ज्ञान। अथार्त किसी वस्तु या विषय के बारे में विशेष और व्यवस्थित ज्ञान होना। जब किसी के पास विशेष ज्ञान होता है तभी विशेष काम किये जाते हैं। विज्ञान शब्द दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में भी अर्थ दे सकता है क्योंकि किसी भी विषय का विशिष्ट ज्ञान होना ही विज्ञान कहलाता है।

आज तक जो भी तरह-तरह के अविष्कार और खोज हुई हैं वे सब विज्ञान के ही परिणाम थे। विज्ञान का हमारे जीवन में इतना महत्व हो गया है कि हम सोते-जागते विज्ञान के आविष्कारों को अपने पास देखते हैं और उन्हें प्रयोग में लाते हैं।

आज के समय में जिस मनुष्य के पास विज्ञान है उसका जीवन सभ्य है लेकिन जिसके पास विज्ञान नहीं है उसका जीवन निरर्थक है। विज्ञान ने अपने बल पर पूरे संसार को एक परिवार बना दिया है आज के समय में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ पर इसके उपकरण उपलब्ध न हों।

विज्ञान के लाभ : विज्ञान की वजह से मनुष्य जीवन आज बहुत ही सुखमय हो गया है। आज के समय में विज्ञान मनुष्य के जीवन से जुड़ गया है जिसके बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सरल और सुखमय बनाने के लिए बहुत से आविष्कार किये हैं जैसे खेती को सरल बनाने के लिए हैकर, ट्रैक्टर, क्म्पाइन जैसी मशीने, घरेलू कामों को सुखमय बनाने के लिए प्रेस, फ्रिज, मिक्सी जैसी मशीनों का आविष्कार किया है।

कोई ऐसा समय था जब लोगों के अकाल से मरने की खबर को बहुत सुना जाता है लेकिन विज्ञान की वजह से आज के समय में शायद ही कोई ऐसी खबर सुनने को मिलती है जिसमें लोग भूख से मरते हैं। पहले लोग पेड़-पौधों की पत्तियों और जानवरों की खाल से अपने शरीर को ढकते थे लेकिन आज के समय में सभी के पास अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़े हैं।

पहले लोग प्लेग, मलेरिया, डेंगू, हैजा जैसी बीमारियों से ग्रस्त होकर मर जाते थे लेकिन आज के समय में विज्ञान ने इस सब बीमारियों को अपने नियंत्रण में कर लिया है। विज्ञान की वजह से हमारे दैनिक जीवन की सुख-सुविधाओं का भी आयोजन हो पाया है।

आज के समय में दुश्मनों से अपनी रक्षा करने के लिए बहुत से साधन उपलब्ध हैं। आज के वैज्ञानिक युग में हमारे लिए सुईं से लेकर बड़े-बड़े जहाजों, ट्रेनों, विमानों और कृत्रिम गृह तक बनाए जा चुके हैं। इन सब का उपयोग हम प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करते हैं।

विज्ञान का प्रयोग : विज्ञान का प्रयोग हर क्षेत्र में किया जाता है। आज के समय में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ पर विज्ञान का प्रयोग नहीं होता है। विज्ञान के साधन को हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। मानव जीवन के क्षेत्र में विज्ञान एक वरदान की तरह है जिसे वह अपने जीवन में प्रयोग करता है।

1. संचार के क्षेत्र में : संचार के क्षेत्र में विज्ञान की वजह से बेतार के तार देना संभव हो पाया है। विज्ञान की वजह से ही टीवी, रेडियो, तार, टेलीफोन, फैक्स, इमेल और मोबाईलफोन आदि के आविष्कार की वजह से ही आज समाचार एक पल में एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है। जितने भी कृत्रिम उपगृह हैं उन्होंने इस दिशा में और अधिक सफलता प्राप्त की है और नई-नई खबरें पल भर में प्राप्त हो जाती हैं।

2. यातायात के क्षेत्र में : पहले समय में मनुष्य को लंबी और दूर की यात्रा को पूरा करने के लिए वर्षों लग जाते थे लेकिन विज्ञान की मदद से आज मनुष्य ट्रेन, मोटर, पानी के जहाज, हवाई जहाज से दूर-से-दूर की यात्रा को बहुत ही जल्दी पूरा कर लेते हैं। यातायात में उन्नति होने की वजह से व्यापार के क्षेत्र में भी उन्नति हुई है। आज विज्ञान की वजह से ही व्यापार अपनी असीम उंचाईयों तक पहुंच पाया है।

3. दैनिक जीवन में : आज विज्ञान की वजह से मनुष्य की दैनिक जिन्दगी और अधिक सुखमय हो गई है। विज्ञान की वजह से कपड़े धोना, प्रेस करना, भोजन पकाना, सर्दियों में गर्मी और गर्मियों में सर्दी महसूस कराना, गर्मियों में ठंडा पानी करना जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हो पायी हैं। विज्ञान की वजह से ही सर्दी और गर्मी दोनों से ही हमारी रक्षा होती है। आज की सारी औद्योगिक प्रगति इसी पर निर्भर करती है।

4. औषधीय क्षेत्र में : जिस तरह से मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार किये हैं उसी तरह से मानव समाज ने नए-नए रोगों को भी प्राप्त किया है। आज मनुष्य भयानक और संक्रामक रोगों से ग्रस्त होने के बाद भी मौत के मुंह से बच जाता है इन सब का श्रेय विज्ञान को ही जाता है।

विज्ञान की वजह से ही एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड टेस्ट, एंजियोग्राफी, कैट स्केन, सिटी स्कैन जैसी मशीनों की वजह से शरीर के अंदर के रोगों के बारे में पता लगाया जा सकता हैऔर उस रोग का तुरंत उपचार करना भी संभव हो जाता है। विज्ञान की वजह से ही अंधों को आँखें और बहरों को कान और अंगहीनों को अंग देना संभव हो सका है।

5. औद्योगिक क्षेत्र में : विज्ञान के कारण ही औद्योगिक क्षेत्र की बड़ी-बड़ी मशीनों का निर्माण करना संभव हो पाया है। विज्ञान के कारण कल कारखानों का निर्माण किया गया जिससे मेहनत, समय और धन की बचत होने के साथ-साथ उसका सही मात्रा में उत्पादन भी हो सके। इसकी वजह से लोगों को वस्तुएँ सस्ते मूल्यों में उपलब्ध करायी जा सकती हैं।

6. कृषि क्षेत्र में : जिस देश की जनसंख्या 121 करोड़ से भी अधिक है अगर वो आज कृषि के क्षेत्र में अग्रसर हो पाया है तो यह विज्ञान की वजह से ही हुआ है। विज्ञान की वजह से ही किसान को उत्तम बीज, विकसित तकनीक, रासायनिक खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर और बिजली मिली है जिसकी वजह से कृषि को करना सरल हो गया है।

छोटे-छोटे बांधों की सहायता से नहरों को निकालना भी विज्ञान के कारण ही संभव हो पाया है जिसकी वजह से किसानों को कृषि में सहायता के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिल सके।

7. शिक्षा के क्षेत्र में : शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान ने अपने आविष्कारों जैसे- इंटरनेट, कंप्यूटर से बहुत बड़ा योगदान दिया है। विज्ञान की वजह से ही शिक्षा के क्षेत्र में मुद्रा के यंत्रों का आविष्कार होना संभव हो पाया है। आज मुद्रण यंत्रों की वजह से ही पुस्तकों को छापना संभव हुआ है। इसके अलावा समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं और किताबों को छापना संभव हो पाया है। मुद्रण यंत्रों की वजह से जो क्रांति हुई है वह घर-घर पहुंचकर लोगों के ज्ञान में वृद्धि कर रही है।

8. मनोरंजन के क्षेत्र में : विज्ञान के कारण ही आज मनोरंजन के अनेक साधन जैसे- टीवी, रेडियो, चलचित्र का आविष्कार होना संभव हुआ है। विज्ञान ने ही मनुष्य को सस्ता और सुलभ साधन दिया है।

वरदान के रूप में : विज्ञान एक वरदान होता है। विज्ञान उस नौकर की तरह होता है जिससे मनुष्य कुछ भी करवा सकता है और आवश्यकता के अनुसार उसके साथ कुछ भी कर सकता है। आज के मनुष्य का पूरा जीवन विज्ञान के वरदानों के आलोक से ही तो आलोकित है।

सुबह से लेकर शाम तक हम जो भी काम करते हैं वो सब सिर्फ विज्ञान के साधनों की वजह से ही संचालित होते हैं। जिन साधनों का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं वे सभी हमें विज्ञान के वरदान के रूप में प्राप्त हुए हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि जो मनुष्य अनुभवी होता है वह विज्ञान के माध्यम से प्रकृति पर जीत प्राप्त कर सकता है।

आज के समय में रोज नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। आज के समय में मनुष्य जितने भी साधनों का प्रयोग करता है वो सभी विज्ञान ने ही हमें दिए हैं।

आधुनिक युग : आज का युग बटन का युग है। आज के समय में विज्ञान की सहायता से बटन दबाने से पंखा चल जाता है और हमें शीतल हवा प्रदान करता है। अगर आप दुबारा बटन दबाते हैं तो पंखा बंद हो जाता है। आपके बस बटन दबाने की वजह से ही टीवी चल जाता है और अपने पर्दे पर सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। टीवी से किसी गायक की सुंदर आवाज को आसानी से सुना जा सकता है। हम लोग गायक को देख भी सकते हैं और उसके गीतों का आनंद भी ले सकते हैं।

विज्ञान की हानियाँ : विज्ञान ने जहाँ पर मनुष्य के जीवन को इतने लाभ दिए हैं वहीं पर हानियाँ भी दी हैं। जहाँ विज्ञान ने मनुष्य जीवन को सभ्य और सहज बनाया है वहीं पर बंदूकों, बम्बों, मिसाइलों और जहरीली गैसों की वजह से मनुष्य के जीवन को बहुत भारी नुकसान भी पहुंचाया है।

विज्ञान ने मनुष्य को अपने भविष्य के प्रति भयभीत कर दिया है। आज के समय में पूरा विश्व एटम बम्बों और मिसाइलों के डर से कांप रहा है। इन सब की वजह से प्रदूषण में वृद्धि हुई है और वायुमण्डल की ओजोनमंडल को भी बहुत नुकसान पहुँचा है।

अभिशाप के रूप में : विज्ञान का एक पक्ष वरदान है तो एक पक्ष अभिशाप भी है। विज्ञान एक ऐसा साधन है जिससे असीम शक्ति प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य जिस तरह से चाहता है उस तरह से इसका प्रयोग कर सकता है। सभी को पता है कि विज्ञान में दैवीय शक्ति के साथ-साथ असुरी शक्ति भी है।

जब किसी मनुष्य की दैवीय शक्ति प्रबल होती है तो वह लोगों के हित के लिए काम करता है। लेकिन जब किसी मनुष्य में राक्षसी शक्ति प्रबल होती है तो वह हिंसक हो जाता है उसी तरह से विज्ञान की राक्षसी शक्ति विध्वंसक और संहारक शक्ति का रूप ले लेती है। जो गत विश्व युद्ध हुआ था उससे लेकर अब तक मनुष्य ने विज्ञान में बहुत उन्नति की है तो यह कहना यथार्त है कि विज्ञान की विध्वंसक शक्ति और अधिक बढ़ गई होगी।

विज्ञान ने विध्वंसक तरीकों के अलावा भी अन्य कई तरीकों से मनुष्य को नुकसान पहुंचाया है। विज्ञान ने भौतिकवादी प्रवृति को प्रेरणा दी है जिसकी वजह से धर्म और अध्यात्म से जो भी संबंधित विश्वास होते हैं वो थोथे और खोखले नजर आते हैं। मानव जीवन के जो भी पारस्परिक संबंध होते हैं वो कमजोर होने लगते हैं।

आज के विज्ञान की वजह से मनुष्य का जीवन और अधिक खतरों से भर गया है। विज्ञान के वरदान मशीनों ने अगर मनुष्य को सुख के साधन उपलब्ध कराये हैं तो साथ ही साथ उसके रोजगार को भी छीन लिया है। बिजली विज्ञान की एक महान देन है लेकिन बिजली का एक झटका ही मनुष्य की जान ले लेता है।

जिस तरह से रोज विज्ञान के आविष्कार हो रहे हैं उस तरीके से मनुष्य पर्यावरण असंतुलित होता जा रहा है। मनुष्य जीवन में सुख सुविधाओं की वजह से मनुष्य आलसी और आराम लेने वाला बन गया है जिसकी वजह से उसकी शारीरिक शक्ति खत्म होती जा रही है। इस वजह से नए-नए रोग उत्पन्न हो रहे हैं और मनुष्य में सर्दी और गर्मी सहने की शक्ति कम होती जा रही है।

उपसंहार : जहाँ पर विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान साबित हुआ है वहीं पर अभिशाप भी शाबित होता है। यह बात मनुष्य पर निर्भर करती है कि वह उसका प्रयोग वरदान के रूप में करता है या फिर अभिशाप के रूप में। विज्ञान एक तलवार की तरह होता है जिससे मनुष्य की रक्षा भी की जा सकती है और अपने आप को हानि भी पहुंचाई जा सकती है।

इसमें तलवार का दोष नहीं होता है मनुष्य का होता है। विज्ञान एक ऐसा साधन जिसने विकास के मार्ग को खोल दिया है जिससे मनुष्य विश्व की बेरोजगारी, भुखमरी, महामारी को खत्म किया जा सकता है लेकिन यह तभी संभव है जब मनुष्य में आध्यात्मिक दृष्टि का विकास हो मानव कल्याण की सात्विक भावना जागे।

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3 Responses

science curse or boon essay in hindi

So amazing…..and this is so helpful for students…and you gave us so many information….🙏🙏

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विज्ञान वरदान या अभिशाप निबंध – Essay On Science boon or curse in Hindi

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध- essay on science boon or curse in hindi.

Vigyan vardaan ya abhishap

इस निबंध के अन्य शीर्षक-

  • विज्ञान का सदुपयोग 
  • हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियां 
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण संतुलित समाज का आधार 
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप 
  • भारत की वैज्ञानिक प्रगति 
  • विज्ञान के बढ़ते चरण 
  • राष्ट्रीय विकास मे विज्ञान का योगदान 
  • भारतीय कृषि मे विज्ञान का योगदान 

रूपरेखा–

  • प्रस्तावना,
  • यन्त्र विज्ञान की देन,
  • मनोरंजन एवं ज्ञान में वृद्धि,
  • मौसम एवं अन्तरिक्ष विज्ञान,
  • औषधि विज्ञान एवं सर्जरी की देन,
  • मानव–कल्याण,
  • भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ,
  • उपसंहार।

प्रस्तावना

यन्त्र विज्ञान की देन, मनोरंजन एवं ज्ञान में वृद्धि, मौसम एवं अन्तरिक्ष विज्ञान, औषधि विज्ञान एवं सर्जरी की देन, मानव–कल्याण, भारत की वैज्ञानिक उपलिब्धयाँ, उपसंहार.

  • श्रीमद्भगवद गीता
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Rebecca Geach

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Large pipes lie on a dirt pathway, disappearing into the distance under a sky of patchy clouds.

Is Guyana’s Oil a Blessing or a Curse?

More than any single country, Guyana demonstrates the struggle between the consequences of climate change and the lure of the oil economy.

With the discovery of offshore oil, Guyana is now building a natural gas pipeline to bring the byproducts of oil production to a planned energy plant. Credit...

Supported by

By Gaiutra Bahadur

Photographs by Keisha Scarville

  • March 30, 2024

Basjit Mahabir won’t let me in.

I’m trying to persuade Mr. Mahabir to open the padlocked gate of the Wales Estate, where he guards the ramshackle remains of a factory surrounded by miles of fallow sugar cane fields. The growing and grinding of sugar on this plantation about 10 miles from Georgetown, Guyana’s capital, ended seven years ago, and parts of the complex, its weathered zinc walls the color of rust, have been sold for scrap.

I plead my case. “I lived here when I was a little girl,” I say. “My father used to manage the field lab.” Mr. Mahabir is friendly, but firm. I’m not getting in.

The ruins are the vestiges of a sugar industry that, after enriching British colonizers for centuries, was the measure of the nation’s wealth when it achieved independence.

Now the estate is slated to become part of Guyana’s latest boom, an oil rush that is reshaping the country’s future. This nation that lies off the beaten track, population 800,000, is at the forefront of a global paradox: Even as the world pledges to transition away from fossil fuels , developing countries have many short-term incentives to double down on them.

Before oil, outsiders mostly came to Guyana for eco-tourism, lured by rainforests that cover 87 percent of its land. In 2009, the effort to combat global warming turned this into a new kind of currency when Guyana sold carbon credits totaling $250 million, essentially promising to keep that carbon stored in trees. Guyana’s leadership was praised for this planet-saving effort.

Six years later, Exxon Mobil discovered a bounty of oil under Guyana’s coastal waters. Soon the company and its consortium partners, Hess and the Chinese National Offshore Oil Corporation, began drilling with uncommon speed. The oil, now burned mostly in Europe, is enabling more global emissions — and producing colossal wealth.

The find is projected to become Exxon Mobil’s biggest revenue source by decade’s end. The deal that made it possible — and which gave Exxon Mobil the bulk of the proceeds — has been a point of public outcry and even a lawsuit, with a seeming consensus that Guyana got the short end of the stick. But the deal has nonetheless generated $3.5 billion so far for the country, more money than it has ever seen, significantly more than it gained from conserving trees. It’s enough to chart a new destiny.

The government has decided to pursue that destiny by investing even further in fossil fuels. Most of the oil windfall available in its treasury is going to construct roads and other infrastructure, most notably a 152-mile pipeline to carry ashore natural gas, released while extracting oil from Exxon Mobil’s fields, to generate electricity.

The pipeline will snake across the Wales Estate, carrying the gas to a proposed power plant and to a second plant that will use the byproducts to potentially produce cooking gas and fertilizer. With a price tag of more than $2 billion, it’s the most expensive public infrastructure project in the country’s history. The hope is that with a predictable, plentiful supply of cheap energy, the country can develop economically.

At the same time, climate change laps at Guyana’s shores; much of Georgetown is projected to be underwater by 2030.

science curse or boon essay in hindi

Countries like Guyana are caught in a perfect storm where the consequences for extracting fossil fuels collide with the incentives to do so. Unlike wealthy countries, they aren’t responsible for most of the carbon emissions that now threaten the planet. “We’re obviously talking about developing countries here, and if there’s so much social and economic development that still needs to happen, then it’s hard to actually demand a complete ban on fossil fuels,” says Maria Antonia Tigre, a director at the Sabin Center for Climate Change Law at Columbia University. Still, she insists, “we’re in a moment in the climate crisis where no one can get a pass.”

This struggle between the existential threats of climate change and the material gains dangled by fossil fuels bedevils rich countries, too. The International Energy Agency predicts that oil demand will peak in five years as big economies transition to renewable sources. But it is a transition of indeterminate length, and in the meantime, the Biden administration approved drilling in the Alaska wilderness just last year, and the United States is producing more oil than ever in its history. A country like Guyana, with an emerging economy, has even more reason to jump at temptation.

The country has already been transformed. Next to its famously elegant but decaying colonial architecture, new houses, hotels, malls, gyms and offices of concrete and glass crop up constantly. Trucks carrying quartz sand for all this construction judder along the highways. While nearly half of Guyanese still live below the poverty line, the country is bustling with possibility, and newcomers arrive from around the world. During a five-month stay there, I met a logistics manager from Sri Lanka, a nightclub singer from Cuba, a Briton developing a shrimp farm and a Nigerian security guard who joked that a sure sign that Guyana had become a hustler’s paradise was that he was there.

As I survey the stranded assets of the sugar works on the Wales Estate, imagining the steel pipes to come, the gleaming future Guyana’s government promises feels haunted by its past as a colony cursed by its resources. The potential for the petroleum boom to implode is in plain sight next door, where Venezuela — which has recently resurrected old claims to much of Guyana’s territory — is a mess of corruption, authoritarian rule and economic volatility.

For centuries, foreign powers set the terms for this sliver of South America on the Atlantic Ocean. The British, who first took possession in 1796, treated the colony as a vast sugar factory. They trafficked enslaved Africans to labor on the plantations and then, after abolition, found a brutally effective substitute by contracting indentured servants, mainly from India. Mr. Mahabir, who worked cutting cane for most of his life, is descended from those indentured workers, as am I.

Fifty-seven years ago, the country shook off its imperial shackles, but genuine democracy took more time. On the eve of independence, foreign meddling installed a leader who swiftly became a dictator. Tensions between citizens of African and Indian descent, encouraged under colonialism, turned violent at independence and set off a bitter contest for governing supremacy that continues to this day. Indigenous groups have been courted by both sides in this political and ethnic rivalry.

It wasn’t until the early 1990s that Guyana held its first free and fair elections. The moment was full of possibility. The institutions of democracy, such as an independent judiciary, began to emerge. And the legislature passed a series of robust environmental laws.

Now that Exxon Mobil has arrived to extract a new resource, some supporters of democracy and the environment see those protections as endangered. They criticize the fossil-fuel giant, with global revenue 10 times the size of Guyana’s gross domestic product, as a new kind of colonizer and have sued their government to press it to enforce its laws and regulations. The judge in one of those cases has rebuked the country’s Environmental Protection Agency as being “submissive” toward the oil industry.

Addressing some of these activists at a recent public hearing, Vickram Bharrat, the minister of natural resources, defended the government’s oversight of oil and gas. “There’s no evidence of bias toward any multinational corporations,” he said. Exxon Mobil, in an emailed statement, said its work on the natural gas project would “help provide lower-emissions, reliable, gas-powered electricity to Guyanese consumers.”

The world is at a critical juncture, and Guyana sits at the intersection. The country of my birth is a tiny speck on the planet, but the discovery of oil there has cracked open questions of giant significance. How can wealthy countries be held to account for their promises to move away from fossil fuels? Can the institutions of a fragile democracy keep large corporations in check? And what kind of future is Guyana promising its citizens as it places bets on commodities that much of the world is vowing to make obsolete?

Along a sandy beach, people take photographs with their phones alongside large rocks, one painted with a smiley face.

A land of new possibilities

Oil has created a Guyana with pumpkin spice lattes. The first Starbucks store appeared outside the capital last year; it was such a big deal that the president and the American ambassador attended the opening. People still “lime” — hang out — with local Carib beer and boomboxes on the storied sea wall, but those with the cash can now go for karaoke and fancy cocktails at a new Hard Rock Cafe.

The influx of wealth has introduced new tensions along economic lines in an already racially divided country. Hyperinflation has made fish, vegetables and other staples costlier, and many Guyanese feel priced out of pleasures in their own country. A new rooftop restaurant, described to me as “pizza for Guyana’s 1 percent” by its consultant chef from Brooklyn, set off a backlash on social media for serving a cut of beef that costs $335, as much as a security guard in the capital earns in a month.

This aspirational consumerist playground is grafted onto a ragged infrastructure. Lexus S.U.V.s cruise new highways but must still gingerly wade through knee-deep floods in Georgetown when it rains, thanks to bad drainage. Electricity, the subject of much teeth-sucking and dark humor, is expensive and erratic. It’s also dirty, powered by heavy fuel, a tarlike residue from refining oil. In 2023, 96 blackouts halted activity across the country for an average of one hour each. A growing number of air-conditioners taxing aging generators are partly to blame, but the system has been tripped up by weeds entangling transmission lines, backhoes hitting power poles and once, infamously, a rat.

The country’s larger companies — makers of El Dorado rum, timber producers — generate their own electricity outside the power grid. Small companies, however, don’t have that option. This year, the Inter-American Development Bank cited electrical outages as a major obstacle to doing business in Guyana.

The government’s investment in a natural gas pipeline and power plant offers the prospect of steady and affordable power. The gas, a byproduct of Exxon Mobil’s drilling, tends not to be commercialized and is often flared off as waste, emitting greenhouse gases in the process. But at the government’s request, Exxon Mobil and its consortium partners agreed to send some of the natural gas to the Wales site. The consortium is supposed to supply it without cost, but no official sales agreement has been made public yet.

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At international conferences, rich countries have pledged to help poorer, lower-emitting ones to raise their living standards sustainably with renewable energy, but the money has fallen short . Natural gas is cleaner than the heavy fuel Guyana now uses, and the country’s leaders claim that it will serve as an eventual bridge to renewable energy. The fact that it’s not as clean as solar or other renewable sources seems, to some local manufacturers, beside the point because the status quo is so challenging.

During blackouts, Upasna Mudlier, who runs Denmor Garments, a textile company that makes uniforms, fire safety jackets and lingerie, has to send home the two dozen seamstresses she employs. That means a big hit in productivity. A chemist in her late 30s, she inherited the company from her father. Ms. Mudlier was nervous about networking in the burly crush of the male-dominated local business elite, but she nonetheless attended an event hosted by a business development center funded by Exxon Mobil. She leaned in, and it paid off: She won a contract to make a thousand coveralls for workers building an oil production vessel headed for Guyana’s waters.

It was a bright spot nonetheless dimmed by her electric bill. An astounding 40 percent of her operating budget goes to paying for power. Ms. Mudlier is eager for the natural gas plant. Cheaper, reliable energy could allow her to price her products to compete internationally.

Textiles are a tiny niche in Guyana, but hers is the kind of manufacturing that experts say Guyana needs to avoid becoming a petroleum state. Ms. Mudlier agrees with the government’s messaging on the gas project. “It will create more jobs for people and bring more investments into our country and more diversity to our economy,” she said.

Widespread anxiety that the best new jobs would go to foreigners led to a law that sets quotas for oil and gas companies to hire and contract with locals. Komal Singh, a construction magnate in his mid-50s, has benefited from the law. Mr. Singh, who directs an influential government advisory body on business policy, works as a joint partner with international companies building the Wales pipeline and treating toxic waste from offshore oil production.

“We say to them, ‘It’s you, me and Guyanese,’” he told me. “If Guyanese are not part of the show, end of conversation.”

Guyana has lost a greater share of its people than any other country, with two in five people born there living abroad. So the oil boom and the local partner requirement have set off something of a frenzy for passports and have fueled debate over who, exactly, is Guyanese. I met a British private equity manager with a Guyanese mother who obtained citizenship shortly after his second visit to the country. One local partner’s contested citizenship became a matter for the High Court.

With the value of land and housing skyrocketing, some local property owners have profited by becoming landlords to expats or by selling abandoned fields at Manhattan prices for commercial real estate. But to many Guyanese, it has seemed as if “comebackees,” the term for returning members of the diaspora, or the politically connected elite are the most poised to benefit from the boom.

Sharia Bacchus returned to Guyana after two decades living in Florida. Ms. Bacchus, who has family connections in the government and private sector, started her own real estate brokerage. She rents apartments and houses to expats for as much as $6,000 a month.

I shadowed her as she showed a prospective buyer — a retired U.S. Marine of Guyanese descent — a duplex condo in a coveted new gated community. She eagerly pointed out amenities that comebackees want: air-conditioning, a pool and, of course, an automatic backup generator.

“If you lose power at any time, you don’t have to worry about that,” she said, reassuringly.

The ghosts of the past

As glimpses of this new Guyana emerge, the ghosts of the past linger. A year ago, a Georgetown hotel, hustling like so many to take advantage of the new oil money, staged a $170-a-head rum-tasting event called “Night at the Estate House.” I’d been trying, unsuccessfully, to interview Exxon Mobil’s top brass in Guyana. When I heard rumors that its country manager would attend, I bought a ticket and, though he was a no-show, I found a seat with his inner circle.

As we sipped El Dorado rum in the garden of a colonial-style mansion, one of the event’s hosts gave a speech that invoked a time when “B.G.,” the insider’s shorthand for British Guiana, the country’s colonial name, also stood for Booker’s Guiana. Now, the speaker observed matter-of-factly, “it’s Exxon’s Guyana.”

Booker McConnell was a British multinational originally founded by two brothers who became rich on sugar and enslaved people. At one point, the company owned 80 percent of the sugar plantations in British Guiana, including the Wales Estate. The Exxon Mobil executive sitting next to me didn’t know any of this. His face reddened when I told him that the speaker had just placed his employer in a long line of corporate colonialism.

Independence came in 1966, but the U.S. and British governments engineered into power Guyana’s first leader, Forbes Burnham, a Black lawyer whom they deemed more pliable than Cheddi Jagan, a radical son of Indian plantation laborers, who was seen as a Marxist peril. But Burnham grew increasingly dictatorial as well as, in a twist of geopolitical fate, socialist.

Booker, which would later give its name to the Booker Prize in literature, still owned Wales at independence. But in the mid-1970s, Burnham took control of the country’s resources, nationalizing sugar production as well as bauxite mining. Like other former colonies, Guyana wanted to make its break with imperialism economic as well as political.

Burnham pushed the idea of economic independence to the breaking point, banning all imports. Staples from abroad, such as cooking oil, potatoes, wheat flour and split peas, had to be replaced with local substitutes. But Guyana didn’t have the farms and factories to meet the demand, so people turned to the black market, waited in ration lines and went hungry.

Guyana was 15 years free when my family arrived on the Wales Estate, by then part of the nationalized Guyana Sugar Company; my parents, then in their 20s, were young, too. My father, the son of plantation laborers, had just earned a natural sciences degree from the University of Guyana, founded at independence to educate the people who would build the new nation. As field lab manager, he tested sucrose in the cane to determine harvest time and oversaw the trapping of rats and snakes in the fields.

We lived in a former overseer’s house two doors from the estate’s main gate, where Mr. Mahabir now stands sentinel, and my mother taught high school in the guard’s village. My parents had only ever studied by kerosene lamp or gas lantern — but this house had electricity, generated on the estate by burning sugar cane trash.

I can remember at age 6 the cold delicacy of a refrigerated apple, a Christmas present from American aunts. It wouldn’t be long before we joined them.

Rigged elections kept Burnham in power for two decades of hardship and insecurity, both ethnic and economic. As soon as our long-awaited green cards allowing entry to the United States were approved, we left, participating in an exodus that created a “barrel economy,” with many communities sustained by money and care packages sent in barrels from relatives abroad. That exodus gutted Guyana: Today, less than 3 percent of the population is college educated.

Burnham’s death in 1985 touched off a series of events that began to change the country. Within seven years, Guyana held its first free and fair elections. Jagan, by then an old man, was elected president. Soon, a younger generation of his party took office and wholeheartedly embraced capitalism. Private companies could once again bid for Guyana’s vast resources. Corruption, endemic in the Burnham era, took new forms.

Then came proof of the dangers of unchecked extraction. In 1995, a dam at a Canadian-owned gold mine gave way. The 400 million gallons of cyanide-laced waste it had held back fouled two major rivers. Simone Mangal-Joly, now an environmental and international development specialist, was among the scientists on the ground testing cyanide levels in the river. The waters had turned red, and Indigenous villagers covered themselves in plastic to protect their skin. “It’s where they bathed,” Ms. Mangal-Joly recalled. “It was their drinking water, their cooking water, their transportation.”

The tragedy led to action. The next year, the government passed its first environmental protection law. Seven years later, the right to a healthy environment was added to the Constitution. Guyana managed to enshrine what the United States and Canada, for instance, have not.

For a moment, Guyana’s natural capital — the vast tropical rainforests that make it one of the very few countries that is a net carbon sink — was among its most prized assets. Bharrat Jagdeo, then president, sold the carbon stored in its forests to Norway to offset pollution from that country’s own petroleum production in 2009. Indigenous groups received $20 million from that deal to develop their villages and gain title to their ancestral lands, though some protested that they had little input. Mr. Jagdeo was hailed as a United Nations “Champion of the Earth.”

And then Exxon Mobil struck oil.

The vision of a green Guyana now vies with its fast-rising status as one of the largest new sources of oil in the world. The country’s sharply divided political parties stand in rare accord on drilling. Mr. Jagdeo, who is now Guyana’s vice president but still dictates much government policy, is a fervent supporter of the Wales project.

But a small, steadfast, multiracial movement of citizens is testing the power of the environmental laws. David Boyd, the U.N. special rapporteur on human rights and the environment, describes the country as a front line for litigation using innovative rights arguments to fight climate change. It includes the first constitutional climate change case in the region, brought by an Indigenous tour guide and a university lecturer.

Not all critics of the petroleum development are environmentalists. What unites them is the belief that the nation’s hard-won constitutional protections should be stronger than any corporation.

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‘The rule of law is the rule of law.’

Liz Deane-Hughes comes from a prominent family. Her father founded one of Georgetown’s most respected law firms, and in the 1980s, back in Burnham’s time, he fought against repressive changes to the constitution. She remembers her parents taking her to rousing rallies led by a multiracial party battling Burnham’s rule. When she was 13, she came home one day to find police officers searching their home. “I lived through the 1980s in Guyana,” says Ms. Deane-Hughes, who practiced at the family firm before quitting the law. “So I do not want to go back there on any level.”

I talked to Ms. Deane-Hughes, now an artist and jewelry designer, on the sprawling veranda of a colonial-style house built on land that has been in her family for five generations. The government has claimed part of it for the natural gas pipeline, which crosses private property as well as the Wales Estate. But the issue, she told me, is bigger than her backyard.

Last month, Ms. Deane-Hughes joined other activists, virtually, at a hearing before the Inter-American Commission on Human Rights, making the argument that oil companies have compromised environmental governance in Guyana. This coterie of activists have spoken out and filed suits to bring the corporation under the scrutiny of the country’s laws and regulations.

Ms. Mangal-Joly, who responded to the cyanide disaster that prompted those environmental laws, says the government has failed to fulfill its oversight duties. As part of her doctoral research at University College London, she found that Guyana’s Environmental Protection Agency had waived the environmental assessments for every facility treating toxic waste or storing radioactive materials produced by offshore oil production.

The gas plant, too, has been given a pass. In January, the E.P.A. waived the environmental assessment for the proposed Wales plant because Exxon Mobil, although it isn’t building the plant, had done one for the pipeline.

The E.P.A. defended the decision. “It is good and common practice” to rely on existing environmental assessments “even when done by other project developers,” wrote an agency spokeswoman on behalf of its executive director. The agency asserted its right to waive assessments as it sees fit and noted that the courts hadn’t overturned its exemptions, saying, “This no doubt speaks to the E.P.A.’s high degree of technical competence and culture of compliance within the laws of Guyana.”

Ms. Mangal-Joly notes that the power plant sits above an aquifer that supplies drinking water to most of the country. “Our water table is shallow,” she says. “There’s a generation, and generations to come, that will not inherit clean water. We are despoiling a resource far more valuable than oil.”

The waiver infuriated Ms. Deane-Hughes. And the independence of the board that hears citizen concerns struck her as a sham. Its chairman, Mahender Sharma, heads Guyana’s energy agency, and his wife directs the new government company created to manage the power plant. At a hearing of the board, Ms. Deane-Hughes cited the mandate against conflicts of interest in the Environmental Protection Act and asked Mr. Sharma to recuse himself. “I would like you not to make a decision,” she told him.

Six weeks later, the board did make a decision: It allowed the power company to keep its environmental permit without doing an impact statement.

Mr. Sharma, the energy director, dismissed the critics as a privileged intellectual elite sheltered from the deprivations that have led many Guyanese to welcome the oil industry.

At the Inter-American commission meeting, Mr. Bharrat, the minister of natural resources, argued that it is his government’s right as well as its responsibility to balance economic growth with sustainability. “Our country’s development and environmental protection are not irreconcilable aims,” he told them. And he reminded them that they can turn to the courts with their complaints.

Guyana’s highest court has dealt the activists both setbacks and victories. In one of the more consequential cases, activists have thus far prevailed. Frederick Collins, who heads the local anti-corruption group Transparency Institute of Guyana, sued the E.P.A. for not requiring Exxon Mobil’s local subsidiaries to carry a more substantial insurance policy. Mr. Collins argued that the existing $600 million policy was inadequate in the extreme. Major oil spills aren’t rare — two happen worldwide every year. The biggest blowout ever, at BP’s Deepwater Horizon, cost that company $64 billion. The deepwater drilling in Guyana is the riskiest kind.

A retired insurance executive and Methodist preacher, Mr. Collins had been feeling pessimistic about the case ever since the judge allowed Exxon Mobil, with its daunting resources, to join the E.P.A. as a defendant a year ago. In legal filings, the defendants had dismissed him as a “meddlesome busybody” without legal standing to bring the suit.

But in May, the judge, Sandil Kissoon, pilloried the E.P.A. as “a derelict, pliant” agency whose “state of inertia and slumber” had “placed the nation, its citizens and the environment in grave peril.” He found that the insurance held by Exxon Mobil’s local subsidiary failed to meet international standards and ordered the parent company to guarantee its unlimited liability for all disaster costs — or stop drilling. The case is being appealed.

An Exxon Mobil spokesperson said by email that the company’s insurance is “adequate and appropriate” and that a $2 billion guarantee it recently provided, at the order of the court considering the appeal, “exceeds industry precedent and the estimate of potential liability.”

At a news conference, Mr. Jagdeo, the vice president, criticized the ruling and called on Guyana’s courts to make “predictable” decisions. “We are playing in the big leagues now,” he said. “We are not a backwater country where you can do whatever you want and get away with it.”

To Melinda Janki, the lawyer handling most of the activists’ suits and one of the few local lawyers willing to take on the oil companies, the question is whether Exxon Mobil can get away with doing whatever it wants. She helped shape some of Guyana’s strongest environmental laws. “Even though this is a massive oil company,” she said, “they still have to obey the law. The rule of law is the rule of law.”

The dissidents are deploying the law in their fight against the oil giant and the government, but with billions on the line, they’re also combating the currents of public opinion.

A fossil fuel economy in a changing world

For all the misery wrought by sugar during the colonial era, its legacy as an economic powerhouse lingers in local memory.

In Patentia, the village closest to Wales, where I attended first grade, laid-off sugar workers remember the estate as the center of the community. When its 1,000 workers lost their jobs, thousands more were sent reeling, as businesses from rum shops to mom-and-pop groceries folded.

The Guyana Sugar Corporation, then the country’s largest employer, eliminated a third of its work force, leaving about a fifth of the population coping with the effects of unemployment.

The timing of the closures, a year after the oil discovery, raised hopes that the petroleum industry might somehow fill the void. Seven years after the closures, however, most sugar workers haven’t found new jobs. Certainly, very few are employed by the petroleum industry.

Their struggle raises a crucial question for Guyana as it wrestles with the transition from the old economy to the new: How can Guyanese without the skills or education for petroleum jobs benefit? Nested within that quandary ticks another: What if the new economy isn’t so new? What if its petroleum-driven vision of progress is actually already outdated?

Thomas Singh, a behavioral economist who founded the University of Guyana’s Green Institute, has argued for transforming the still-active sugar industry’s waste into cellulosic ethanol, a cutting-edge biofuel. But Mr. Sharma, the energy agency head, says the industry is too small for its cane husks to power very much. Some of the jackpot from Norway for carbon offsets has been earmarked for eight small solar farms, but Mr. Sharma, who drives an electric car and has solar panels at his house, maintains that solar energy is too expensive to be a primary power source, despite arguments to the contrary . The giant hydroelectric project the Norway deal was supposed to fund, powered by a waterfall, has long been stalled.

What dominates the local imagination now is oil and gas. During my stay in Guyana, I kept hearing the calypso song “ Not a Blade of Grass ” on the radio. Written in the 1970s as a patriotic rallying cry and a stand against Venezuela, which threatened to annex two-thirds of Guyana, it has made a comeback with a new cover version. (So, too, have Venezuela’s threats .) The lyrics, to an outsider’s ear, sound like an anthem against Exxon Mobil: “When outside faces from foreign places talk about takin’ over, we ain’t backin’ down.” But in Guyana, it has been invoked recently to assert the nation’s right to pump its own oil. The voices against drilling, however outspoken, remain isolated; the more passionate debate is over whether Guyana should renegotiate its contract to get a bigger take of the oil proceeds.

Oil is seen as such a boon that even questioning how it’s regulated can be branded unpatriotic. Journalists, academics, lawyers, workers at nongovernmental organizations and even former E.P.A. employees confided their fear of being ostracized if they spoke against petroleum.

Since becoming an adult, I’ve returned to Guyana every few years to research the country’s past and its legacies. During this recent trip, an elder statesman I interviewed told me that it was time I moved back permanently. The thought points to a hope, reawakened by oil, that Guyana can reclaim its lost people. But from my recent trips back to the country, it’s hard to tell now what Guyana is becoming, and who will thrive there as it evolves.

The house my family lived in on the Wales Estate still stands. It has been freshly painted and refurbished, with a daunting sign outside threatening trespassers with closed-circuit television, dogs and drone surveillance. It has passed into private hands. Exactly who owns it is a matter of speculation. The rumor in Patentia? A former sugar worker from Wales repeated it to me: “Exxon owns that house.”

Do you have a connection to Guyana?

It’s still early days in Guyana’s transformation, and the events unfolding in Guyana will have a notable impact worldwide. We’d like to hear your perspectives on where the country is heading. We especially want to engage Guyanese people and those with family or ancestral connections to the country.

The Headway initiative is funded through grants from the Ford Foundation, the William and Flora Hewlett Foundation and the Stavros Niarchos Foundation (SNF), with Rockefeller Philanthropy Advisors serving as a fiscal sponsor. The Woodcock Foundation is a funder of Headway’s public square. Funders have no control over the selection, focus of stories or the editing process and do not review stories before publication. The Times retains full editorial control of the Headway initiative.

Gaiutra Bahadur is the author of “Coolie Woman: The Odyssey of Indenture.” She teaches English and journalism as an associate professor at Rutgers University in Newark.

A Guide to Sugar and Other Sweeteners

One of the best things you can do for your health is to cut back on foods with added sugar . Here’s how to get started .

A W.H.O. agency  has classified aspartame as a possible carcinogen . If the announcement has you worried, consider these alternatives to diet soda .

A narrative that sugar feeds cancer has been making the rounds for decades. But while a healthy diet is important, you can’t “starve a tumor.”

Sugar alcohols are in many sugar-free foods. What are they, and are they better than regular sugar ?

Many parents blame sugar for their children’s hyperactive behavior . But the myth has been debunked .

Are artificial sweeteners a healthy alternative to sugar? The W.H.O. warned against using them , saying that long-term use could pose health risks.

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  23. Essay On Science Is Curse Or Boon In Hindi

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  24. Is Guyana's Oil a Blessing or a Curse?

    As glimpses of this new Guyana emerge, the ghosts of the past linger. A year ago, a Georgetown hotel, hustling like so many to take advantage of the new oil money, staged a $170-a-head rum-tasting ...