1Hindi

स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi

स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi

इस लेख में आप स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi पढ़ेंगे। जिसमें आप उनका जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, महान कार्य तथा मृत्यु के विषय में पढ़ेंगे।

स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू सन्यासी थे जो श्री रामकृष्ण के प्रत्यक्ष शिष्य थे। उन्हें भगवान का रूप माना जाता है। विवेकनद जी का भारतीय योग और पश्चिम में वेदांत दर्शन के ज्ञान को बांटने का बहुत ही अहम योगदान है। वर्ष 1893 में उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद के उद्घाटन में एक बहुत ही शक्तिशाली भाषण दिया जिसमें उन्होंने विश्व के सभी धर्मों में एकता का मुद्दा उठाया।

Table of Content

विवेकानंद ने पारंपरिक ध्यान का दर्शन दिलाया और निस्वार्थ सेवा को समझाया जिसे कर्म योग कहा जाता है। विवेकनद ने भारतीय महिलाओं के लिए मुक्ति और बुरे और बुरे जाती व्यवस्था को अंत करने का वकालत किया।

भारतीय लोगों और भारत देश का आत्मविश्वास बढाने में उनका बहुत ही अहम हाथ रहा और बाद मैं बहुत सारे राष्ट्रवादी नेताओं ने यह भी बताया की वे विवेकनद जी के सुविचारों और व्यक्तित्व से बहुत ही प्रेरित थे।

विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन Early life of Vivekananda in Hindi

स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 कलकत्ता, बंगाल, ब्रिटिश भारत मैं एक परम्परानिष्ठ हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। एक बच्चे के रूप में भी विवेकानंद में असीम उर्जा था और वह जीवन के कई पहलुओं से मोहित हो गए थे।

उन्होंने इश्वर चन्द्र विद्यासागर मेट्रोपोलीटैंट इंस्टीट्यूशन से अपनी पश्चिमी शिक्षा प्राप्त की। पढाई में वह अच्छी तरह से पश्चिमी और पूर्वी दर्शनशास्त्र में निपुण हो गये। उनके शिक्षक यह टिप्पणी किया करते थे की विवेकानंद में एक विलक्षण स्मृति और जबरदस्त बौद्धिक क्षमता थी।

स्वामी विवेकानंद बहुत बुद्धिमान थे और वे पूर्व – पश्चिमी दोनों प्रकार के साहित्य में निपूर्ण थे। विवेकानंद विशेष रूप से पश्चिम के तर्कसंगत तरीके को पसंद करते थे जिसके कारण धार्मिक अंधविश्वासियों को निराशा भी हुई। इस चीज के कारण स्वामी विवेकानंद ब्राह्मो समाज से जुड़े।

ब्राह्मो समाज एक आधुनिक हिन्दू अन्दोलत था जिसमें उससे जुड़े लोगों ने भारतीय समाज और जीवन को पुनर्जीवित करने की मांग की और अध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ावा दिया। उन्होंने चित्र और मूर्ति पूजा जा विरोध किया।

हालाकिं ब्राह्मो समाज की समजदारी विवेकानंद को उतना आध्यात्मिकता नहीं दे सका। बहुत ही छोटी उम्र से हीउनके जीवन में अध्यात्मिक अनुभवों की शुरुवात हो गयी थी और 18 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने मन में “भगवान के दर्शन” पाने का एक भारी इच्छा बना लिया था।

श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद Ramakrishna Paramahansa and Swami Vivekananda

शुरुवात में कई बातों में रामकृष्ण परमहंस जी के विचार विवेकनंद से अलग थे। रामकृष्ण परमहंस जी एक अशिक्षित और साधारण ग्रामीण व्यक्ति थे जिन्होंने एक स्थानीय काली मंदिर में एक पद को लिया और वहां रहते थे तब भी उनके साधारण रूप में भी एक अत्याधुनिक अध्यात्मिक तेज़ दीखता था।

वे अपने मंदिर के माता काली के समक्ष तीव्र साधना करते थे और रामकृष्ण जी ने ना सिर्फ हिन्दू रसम रिवाज़ का पालन किया बल्कि सभी मुख्य धर्मों के आध्यात्मिक पथ को भी अपनाया। उनका यह मानना था कि सभी धर्मों का एक ही लक्ष्य है वो है एकता के साथ अनंत की खोज।

विवेकानंद के अध्यात्मिक शक्ति के विषय में रामकृष्ण को जल्द यह पता चल गया और जल्द ही उनका ध्यान विवेकानंद के ऊपर हुआ जो पहले रामकृष्ण के विचारों को सही तरीके से समझ नहीं पाते थे। विवेकानंद शुरुवात में रामकृष्ण के विचारों का विश्वास भी नहीं करते थे और उनके उपदेशों को बार-बार पूछते थे और उनकी शिक्षा के प्रति बहस भी करते थे।

हलाकि बाद में श्री रामकृष्ण परमहंस जी के सकारात्मक विचारों ने विवेकानंद के हृदय को पिघला दिया और वो भी रामकृष्ण से उत्पन्न होने वाले वास्तविक आध्यात्मिकता का अनुभव करने लगे। लगभग 5वर्षों के अवधि के लिए, विवेकनद को सीधे मास्टर श्री रामकृष्ण जी से सिखने का मौका मिला। उनसे शिक्षा लेने के बाद स्वामी विवेकानंद को चेतना और समाधी के गहरे स्थिति का अनुभव हुआ।

विवेकानंद ने अपने गुरु से जीवन भर इस प्रकार के निर्वाण के परमानंद का अनुभव प्रदान करने के लिए पुछा। परन्तु श्री रामकृष्ण का उत्तर आया – मेरे लड़के, मुझे लगता है तुम्हारा जन्म कुछ बहुत बड़ा ही करने के लिए हुआ है।

रामकृष्ण के मृत्यु के बाद, अन्य शिष्यों ने विवेकानंद को उनका नेतृत्व करने के लिए कहा ताकि वे भी रामकृष्ण जी के अध्यात्मिक  विचारों से अवगत हो सकें। हलाकि विवेकानंद के लिए व्यक्तिगत मुक्ति काफी नहीं था उनका ध्यान तो गरीब, भूखे लोगों की और था। विवेकानंद जी का कहना था मात्र मानवता से ही इश्वर या भगवान् को पाया जा सकता है।

कई वर्षों के तप और ध्यान के पश्चात् स्वामी विवेकानंद ने भारत के कई पवित्र स्थानों का भ्रमण करना शुरू कर दिया। उसके बाद वे अमेरिका – विश्व धर्म संसद, सन्यासी का भेस धारण कर गेरुआ वस्त्र पहन कर गए।

विश्व धर्म संसद में विवेकानंद का भाषण Vivekananda Speech– World Parliament of Religions.

स्वामी विवेकानंद ने साल 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद के उद्घाटन में एक बहुत ही शक्तिशाली भाषण दिया जिसमें उन्होंने विश्व के सभी धर्मों में एकता का मुद्दा उठाया।

उद्घाटन समारोह में विवेकानंद आखरी के कुछ भाषण देने वालों में से एक थे।  उनसे पहले भाषण देने वाले व्यक्ति ने अपने स्वयं के धर्म का अच्छाई और विशेष चीजों के बारे में बताया परन्तु स्वामी विवेकानंद ने सभी दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण मात्र  इश्वर के समक्ष सभी धर्मों की एकता है।

. ( see Speech to Parliament )

उन्होंने अपना भाषण कुछ इन शब्दों में शुरू किया –

Sisters and Brothers of America, It fills my heart with joy unspeakable to rise in response to the warm and cordial welcome which you have given us. I thank you in the name of the most ancient order of monks in the world; . . .

स्वामी विवेकानंद हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए चीन गए थे। लेकिन विवेकानंद ने अपने धर्म को बड़ा और अच्छा दिखाने का कोई कोशिश नहीं किया बल्कि उन्होंने वहां विश्व धर्म सद्भाव और मानवता के प्रति आध्यात्मिकता भाव को व्यक्त किया।

The New York Herald ने विवेकानंद के विषय में कहा –

He is undoubtedly the greatest figure in the Parliament of Religions. After hearing him we feel how foolish it is to send missionaries to this learned nation. निश्चित रूप से वो धर्म संसद में सबसे ज़बरदस्त व्यक्ति थे। उन्हें सुनने के बाद हम यह एहसास कर सकते हैं कि यह कितना मुर्खता है की हम अपने धर्म-प्रचारक इतने शिक्षित देश में भेजते हैं।

अमरीका में विवेकानंद ने अपने कुछ करीबी शिष्यों को ट्रेनिंग भी देना शुरू किया ताकि वे वेदांत की शिक्षाओं का प्रचार कर सकें। उन्होंने अपने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अमरीका और ब्रिटेन दोनों जगह छोटे सेंटर शुरू कर दिए। विवेकानंद को ब्रिटेन में भी कुछ ऐसे लोग मिले जो वेदांत की शिक्षा को लेने में इच्छुक हुए।

मिस मार्गरेट नोबल उन्ही में से एक ध्यान देने वाला नाम था जिसका नाम बाद में मिस निवेदिता पड़ा। वह आयरलैंड की रहनेवाली थी जो विवेकनद की एक शिष्या थी। उन्होंने आपना पूरा जीवन भारतीय लोगो के लिए समर्पण कर दिया। पश्चिमी देशों में कुछ वर्ष समय बिताने के बाद विवेकानंद भारत वापस आगए। सभी लोगों ने उनका उत्साहपूर्ण स्वागत किया।

भारत लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद ने भारत में अपने मठों का पुनर्गठन किया और अपने वेदान्तिक सिधान्तों के सच्चाई का उपदेश देना शुरू कर दिया। उन्होंने निःस्वार्थ सेवा के फायदों के बारे में भी बताया।

मृत्यु Death

4 जुलाई , 1902, बेलूर, भारत में 39 वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद निधन हो गया। पर अपने इस जीवन के छोटे अवधि में भी वो बहुत कुछ सिखा कर गए जो आज तक पूरे विश्व को याद है। इसी कारण स्वामी विवेकानंद जी को आधुनिक भारत के संरक्षक संत का नाम दिया गया।

4 thoughts on “स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi”

He is real hero of world

Yes he Is a real hero of world

very nice, bhut hi badiya trike se btaya aapne thanks

You have written a very good article. You have given very interesting information about Swami Vivekananda. Here you have explained all the facts very beautifully.

Leave a Comment Cancel reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

स्वामी विवेकानंद जीवनी फ्री PDF | Swami Vivekananda Biography in Hindi Pdf Download

Swami vivekananda biography in hindi pdf download.

स्वामी विवेकानंद   का नाम दुनिया भर में ख्याति प्राप्त हैं. आज सम्पूर्ण भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं, और इसके पीछे वजह यही हैं की स्वामी विवेकानंद  हमेशा युवाओं को उनके लक्ष्य के लिए प्रेरित किया करते थे. और आज भी उनके विचार करोडो युवा को प्रेरित करता हैं. आज आपको इस आर्टिकल में स्वामी विवेकानंद जीवनी या स्वामी विवेकानंद की बायोग्राफी का संग्रहित PDF दिया गया हैं.

Swami Vivekananda Biography in Hindi Pdf Download

स्वामी विवेकानंद जीवनी PDF में निम्न को दर्शाया गया हैं– 

  • स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय 
  • स्वामी विवेकानंद का जन्म व नामकरण 
  • स्वामी विवेकानंद जी का बचपन व निष्ठां 
  • स्वामी विवेकानंद जी की पूर्ण शिक्षा 
  • स्वामी विवेकानंद जी की ज्ञान प्राप्ति 
  • स्वामी विवेकानंद जी की यात्रा और सम्मलेन 
  • स्वामी विवेकानंद जी के विचार और अनमोल वचन 

Swami Vivekananda Biography in Hindi pdf Download

Swami Vivekananda Biography Hindi Pdf   में स्वामी विवेकानंद जी की जीवन की सिख और घटनाओं का संग्रह हैं. svami vivekanand Biography pdf में आपको अपने जीवन की सच्चाईयो और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करता हैं.

स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य दूसरे जरूरतमन्दो मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद स्वामी विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया।

इस Swami Vivekananda Biography Hindi Pdf में हमने स्वामी विवेकानंद जी का जन्म, नाम कारण, शिक्षा, उनके भाषण, सम्मेलन और प्रमुख कहानियो के साथ-साथ उनके विचारो को भी दर्शाया गया हैं.

DOWNLOAD PDF – CLICK NOW

आपसे निवेदन हैं की इस Swami Vivekananda Biography in Hindi Pdf  को अपने सभी दोस्तों और करीबियों को शेयर जरूर करें और उन्हें भी बताए महान क्रान्ति के प्रणेता और युवाओं के प्रेरणाश्रोत   Swami Vivekananda की Biography के बारे में.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

PdFree

Swami Vivekananda biography in Hindi PDF{स्वामी विवेकानन्द की जीवनी हिंदी में PDF}

इस लेख Swami Vivekananda biography in Hindi के माध्यम से स्वामी विवेकानंद के जन्म , शिक्षा , मृत्यु , स्वामी वेवकानद जी का भ्रमण , स्वामी विवेकानन्द की श्री रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात और उनके ऐतिहासिक कार्यो को बताया गया जिससे उनके बचपन से लेकर मृत्यु तक सभी महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में हम विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं शुरू उनके बचपन से करते हैं क्युकी उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक प्रसिद्ध वकील थे। नरेंद्र के दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फ़ारसी के विद्वान थे। 25 वर्ष की आयु में नरेंद्र ने अपना परिवार छोड़ दिया और साधु बन गये। उनकी मां, भुवनेश्वरी देवी, दृढ़ धार्मिक विश्वास वाली एक धर्मनिष्ठ महिला थीं, जो मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा के प्रति समर्पित थीं। नरेंद्र के पिता और उनके परिवार की प्रगतिशील और बौद्धिक मानसिकता ने उनके विचारों और व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Swami Vivekananda biography in Hindi

Swami Vivekananda Biography in Hindi

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका पूरा नाम नरेंद्र नाथ विश्वनाथ दत्त था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। उनके 9 भाई-बहन थे और घर पर वे सभी उन्हें नरेंद्र कहकर बुलाते थे।

स्वामी विवेकानन्द के पिता कोलकाता उच्च न्यायालय के एक प्रसिद्ध और सफल वकील थे, जो अंग्रेजी और फ़ारसी दोनों भाषाओं में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते थे। स्वामी विवेकानन्द की माँ एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिन्हें रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों की अच्छी समझ थी। वह एक प्रतिभाशाली और बुद्धिमान महिला भी थीं जिन्हें अंग्रेजी भाषा का ज्ञान था। अपने माता-पिता के पालन-पोषण और दिए गए मूल्यों की बदौलत स्वामी विवेकानन्द ने अपने जीवन में उच्च स्तर की सोच विकसित की। उनका मानना ​​था, “अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए तब तक प्रयास करते रहें जब तक आप उन्हें प्राप्त नहीं कर लेते।

  • 1871 में नरेंद्र नाथ को ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मार्गदर्शन में मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन में भर्ती कराया गया।
  • 1877 में कुछ कारणों से नरेंद्र नाथ के परिवार को रायपुर आना पड़ा। इस कदम से तीसरी कक्षा में उनकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हुई।
  • 1879 में, अपने परिवार के कोलकाता लौटने के बाद, नरेंद्र नाथ ने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में पहला स्थान हासिल किये |
  • नरेंद्र जी हमेशा पारंपरिक भारतीय संगीत में निपुण थे, शारीरिक व्यायाम, खेल और सभी प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होते थे। उन्हें वेद, उपनिषद, भगवद गीता, रामायण, महाभारत और पुराण जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि थी।
  • स्वामी विवेकानन्द ने 1881 में ललित कला की परीक्षा पूरी की और 1884 में कला के क्षेत्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
  • 1884 में उन्होंने बी.ए. पास किया। की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की और बाद में कानून की पढ़ाई शुरू की।
  • 1884 में, स्वामी विवेकानन्द के पिता के निधन के बाद, उनके नौ भाई-बहनों की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनके कंधों पर आ गई। हालाँकि, वह इस चुनौती के सामने न तो डगमगाये और न ही डगमगाये। वह अपने निश्चय पर दृढ़ रहे और अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाया।
  • 1889 में नरेन्द्र जी का परिवार कोलकाता लौट आया। अपनी तीव्र बुद्धि के कारण वह एक बार फिर स्कूल में प्रवेश पाने में सफल रहे और उन्होंने तीन साल का पाठ्यक्रम केवल एक वर्ष में पूरा कर लिया।
  • स्वामी विवेकानन्द को दर्शन, धर्म, इतिहास और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में गहरी रुचि थी। इसी लगन के कारण उन्होंने इन विषयों का अध्ययन बड़े मनोयोग से किया। यह समर्पण ही था जिसने उन्हें न केवल पारंगत बनाया बल्कि शास्त्रों और ग्रंथों का प्रकांड विद्वान भी बनाया।
  • उन्होंने जनरल असेंबली इंस्टीट्यूशन में यूरोपीय इतिहास का अध्ययन किया।
  • स्वामी विवेकानन्द बांग्ला भाषा में पारंगत थे। वह हर्बर्ट स्पेंसर के लेखन से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने स्पेंसर की पुस्तक “एजुकेशन” का बंगाली में अनुवाद किया।
  • स्वामी विवेकानन्द को अपने गुरुओं से बहुत प्रशंसा मिली, यही कारण है कि उन्हें “श्रुतिधर” भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है पवित्र ज्ञान रखने वाला और प्रदान करने वाला।

स्वामी विवेकानन्द की श्री रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात:

स्वामी विवेकानन्द की सहज जिज्ञासा उनके प्रारंभिक वर्षों से ही स्पष्ट थी। इसी जिज्ञासा से प्रेरित होकर, उन्होंने एक बार महर्षि देवेन्द्रनाथ से एक गहन प्रश्न पूछा, “क्या आपने कभी भगवान को देखा है?” इस पूछताछ ने महर्षि देवेन्द्रनाथ को आश्चर्यचकित कर दिया, जिससे उन्होंने सुझाव दिया कि स्वामीजी अपनी ज्ञान की प्यास को शांत करने के लिए श्री रामकृष्ण परमहंस से उत्तर मांगें।

स्वामी विवेकानन्द की श्री रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात

इस सलाह पर कार्य करते हुए, स्वामी विवेकानन्द ने श्री रामकृष्ण को अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार किया और उनके द्वारा प्रकाशित मार्ग पर चलने की यात्रा शुरू की। इस महत्वपूर्ण मुलाकात ने स्वामी विवेकानन्द को गहराई से प्रभावित किया, जिससे उनके मन में अपने गुरु के प्रति अटूट भक्ति और गहरा सम्मान पैदा हुआ जो समय के साथ विकसित होता रहा।

1885 में रामकृष्ण परमहंस कैंसर से बीमार पड़ गये। इसके बाद स्वामी विवेकानन्द ने स्वयं को अपने गुरु की सेवा में समर्पित कर दिया। इससे उनका रिश्ता और भी गहरा हो गया. रामकृष्ण जी के निधन के बाद नरेंद्र नाथ ने वाराणसी में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। बाद में इसका नाम बदलकर रामकृष्ण मठ कर दिया गया। रामकृष्ण मठ की स्थापना के बाद, नरेंद्र नाथ ने ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और वह स्वामी विवेकानन्द में परिवर्तित हो गये।

25 वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने गेरुआ वस्त्र धारण किया और उसके बाद वे पैदल ही पूरे भारत की यात्रा पर निकल पड़े। इस तीर्थयात्रा के दौरान, उन्होंने आगरा, अयोध्या, वाराणसी, वृन्दावन, अलवर और कई अन्य स्थानों का दौरा किया। रास्ते में, उन्होंने प्रचलित सामाजिक पूर्वाग्रहों और पूर्वाग्रहों का सामना किया और उन्हें मिटाने के प्रयास किये|

23 दिसंबर, 1892 को स्वामी विवेकानन्द ने कन्याकुमारी में तीन दिन गहन ध्यान में बिताए। इसके बाद, वह वापस लौटे और राजस्थान में अपने गुरु-भाइयों, स्वामी ब्रह्मानंद और स्वामी तूर्यानंद से मिले।

इस लेख Swami Vivekananda biography in Hindi के माध्यम से उनके कुछ प्रमुख योगदान के बारे में बताया गया हैं|

  • 30 वर्ष की आयु में, स्वामी विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व धर्म संसद में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
  • सांस्कृतिक भावनाओं के माध्यम से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया गया।
  • जातिवाद से जुड़ी प्रथाओं को खत्म करने और निचली जातियों के महत्व पर जोर देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया।
  • स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय धार्मिक रचनाओं के सार को सही ढंग से समझने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • स्वामी विवेकानन्द ने दुनिया को हिंदू धर्म का महत्व समझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • स्वामी विवेकानन्द ने धार्मिक परम्पराओं का सामंजस्यपूर्ण एकीकरण स्थापित किया।

4 जुलाई 1902 को 39 वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द का निधन हो गया। उनके शिष्यों के अनुसार वे महासमाधि में लीन हो गये थे। अपनी भविष्यवाणी में, उन्होंने उल्लेख किया था कि वह 40 वर्ष की आयु से अधिक जीवित नहीं रहेंगे। इस महान आत्मा का अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट पर किया गया था।

स्वामी विवेकानन्द का इतिहास:

इस लेख Swami Vivekananda biography in Hindi के माध्यम से उनके इतिहास के बारे में यह कहा जाता हैं की उन्होंने अपने गुरु के निधन के बाद, ट्रस्टियों से वित्तीय सहायता कम हो गई, और कई शिष्यों ने अधिक पारंपरिक जीवन चुनते हुए, अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं को छोड़ दिया। हालाँकि, स्वामी विवेकानन्द इस स्थान को एक मठ में बदलने के अपने दृढ़ संकल्प पर दृढ़ रहे। वहां, वह और कुछ समर्पित अनुयायी लंबे समय तक ध्यान में लगे रहे और अपनी धार्मिक प्रथाओं को जारी रखा।

दो साल बाद, 1888 से 1893 तक, उन्होंने पूरे भारत में एक व्यापक यात्रा शुरू की, अपने साथ केवल एक बर्तन और दो किताबें – भगवद गीता और द इमिटेशन ऑफ क्राइस्ट – ले गए। उन्होंने भिक्षा मांगकर अपना भरण-पोषण किया और खुद को राजाओं सहित विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमि के विद्वानों और नेताओं की संगति में समर्पित कर दिया।

उन्होंने लोगों द्वारा अनुभव की गई गहन गरीबी और पीड़ा को देखा और इससे उनके भीतर अपने साथी प्राणियों के प्रति सहानुभूति की गहरी भावना जागृत हुई। इसके बाद, उन्होंने 1 मई, 1893 को पश्चिम की यात्रा शुरू की। उनकी यात्रा उन्हें जापान, चीन, कनाडा तक ले गई और अंततः 30 जुलाई, 1893 को शिकागो पहुंचे। धर्म संसद में सितंबर 1893 में हार्वर्ड के प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट की सहायता से आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने हिंदू धर्म और भारतीय मठ में की जाने वाली आध्यात्मिक प्रथाओं की बहुत ही स्पष्टता से व्याख्या की। उल्लेखनीय रूप से, उन्होंने खुद को नरेंद्रनाथ के बजाय विदेश में विवेकानंद के रूप में प्रस्तुत किया, यह सुझाव खेतड़ी के अजीत सिंह ने दिया था, जिन्होंने मठ में अपने शिक्षण के दिनों के दौरान पहली बार उनसे मुलाकात की थी और उनके ज्ञान से गहराई से प्रभावित हुए थे। विवेकानन्द नाम संस्कृत के शब्द “विवेक” से लिया गया है, जिसका अर्थ है ज्ञान और “आनंद”, जिसका अर्थ है आनंद।

Swami Vivekananda Biography in Hindi PDF Download:

स्वामी विवेकानन्द की जीवनी हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे:

Swami Vivekananda Biography in Hindi PDF Download करने के लिए यहां दबाये

स्वामी विवेकानंद का परिचय कैसे दें?

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 (विद्वानों के अनुसार वर्ष 1920 की मकर संक्रांति को) को कोलकाता में एक प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन के घर का नाम “विश्वेश्वर” था, लेकिन उनका औपचारिक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, कोलकाता उच्च न्यायालय में एक प्रसिद्ध वकील थे।

स्वामी विवेकानंद कौन से धर्म के थे?

स्वामी विवेकानन्द दिन और रात दोनों समय लगभग डेढ़ से दो घंटे ही सोते थे। हर चार घंटे में वह 15 मिनट की झपकी लेते थे।

स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म के बारे में क्या कहा?

स्वामी विवेकानन्द ने हिंदू धर्म के बारे में कहा है कि हिंदू धर्म का सच्चा संदेश लोगों को अलग-अलग धार्मिक संप्रदायों में बांटना नहीं है, बल्कि पूरी मानवता को एक सूत्र में बांधना है। इसी तरह, भगवद गीता में, भगवान कृष्ण भी संदेश देते हैं कि परम प्रकाश, अपने विभिन्न मार्गों के बावजूद, एक ही है।

इस लेख Swami Vivekananda biography in Hindi के आलावा और भी लेख लिखे गए हैं जिसको अवश्य पढ़ें:

Praggnanandhaa Biography In Hindi PDF(प्रज्ञानानंद की जीवनी हिंदी में)

5 thoughts on “Swami Vivekananda biography in Hindi PDF{स्वामी विवेकानन्द की जीवनी हिंदी में PDF}”

Pingback: Abc Book With Pictures Pdf Free Download(2023)

Pingback: Nisha Lamba Biography in Hindi | निशा लांबा का जीवन परिचय

Pingback: Simple Short Bio Example Yourself: An Art of Writing

Pingback: The Inspiring Journey of Dr. APJ Abdul Kalam Biography in English

Pingback: Swami Vivekananda Biography in English Pdf free Download

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

Swami vivekananda biography in Hindi

स्वामी विवेकानंद जी की सम्पूर्ण जीवनी, Swami Vivekananda jivani

स्वामी विवेकानंद जी का संपूर्ण जीवन परिचय, उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों तथा घटनाओं का भी अध्ययन करेंगे।

यह जीवन परिचय युवा प्रेरणा स्रोत , ऊर्जावान स्वामी विवेकानंद जी के जीवन पर आधारित है। इस लेख के माध्यम से आप नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बनाने की कहानी जान सकेंगे। उनकी स्मरण शक्ति और उनके जीवन शैली को इस लेख के माध्यम से विस्तृत अध्ययन का प्रयत्न किया गया है।

प्रस्तुत लेख स्वामी विवेकानंद जी के संकल्प शक्ति, विचारों के ऊर्जा, अध्यात्म, आत्मविश्वास आदि का विस्तार है। उन्होंने अल्पायु से लेकर अपने जीवन काल तक जिस मार्ग को अपनाया, उसे आज युवा प्रेरणा के रूप में ग्रहण करते हैं। स्वामी जी आज करोड़ों देशवासियों के मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत हैं। उनको पसंद करने वाले देश ही नहीं अभी तो विदेश में भी है। उनकी विचारधारा ऐसी थी जिसे भारत ही नहीं विदेश में भी पसंद किया गया।

यह लेख स्वामी जी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालने में सक्षम है.

Table of Contents

स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय – Swami Vivekananda biography in Hindi

स्वामी विवेकानंद जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है, उनकी स्मरण शक्ति और दृढ़ प्रतिज्ञा बेजोड़ है। बचपन में उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त हुआ करता था। उनकी कुशाग्र बुद्धि ने उन्हें स्वामी विवेकानंद बनाया। एक छोटे से जगह पर जन्मे और देश-विदेश में अपनी ख्याति को सिद्ध करने वाले स्वामी आज करोड़ों देशवासियों के लिए आदर्श व्यक्ति हैं। देश-विदेश में उनकी ख्याति है , उनको पसंद करने वाले किसी एक सीमा में बंधे नहीं है। स्वामी जी की स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि, उन्होंने आधुनिक वेद-वेदांत धर्म आदि की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकों का अध्ययन किया था।

Read Swami Vivekananda biodata below  which includes birth date, birth place, mother and father’s name, education, early life, full name, nationality, religion, famous quotes, stories, and some unknown facts.

स्वामी विवेकानंद जी का पारिवारिक जीवन – Swami Vivekananda family life

Swami Vivekananda jivani and family life

स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता के कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ। कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जन्म मकर संक्रांति के दिन हुआ था। यह दिन हिंदू मान्यता का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। सूर्य की दिशा कुछ इस प्रकार होती है जो , वर्ष भर में मात्र एक बार अनुभव करने को मिलती है। विवेकानंद जी का परिवार मध्यमवर्गीय था।

जन्म के उपरांत उन्हें वीरेश्वर के नाम से जाना जाता था। 

शिक्षा शिक्षा के लिए औपचारिक नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया। विवेकानंद उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का दिया हुआ नाम था।

जैसा कि उपरोक्त विदित हुआ स्वामी जी का परिवार मध्यमवर्गीय था।

पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट के मशहूर वकीलों में से एक थे। उनकी वकालत काफी लोकप्रिय थी, अधिवक्ता समाज उन्हें आदरणीय मानता था। विवेकानंद जी के दादा दुर्गा चरण दत्त काफी विद्वान थे। उन्होंने कई भाषाओं में अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई थी। उन्हें संस्कृत , फारसी, उर्दू का विद्वान माना जाता था। उनकी रुचि धार्मिक विषयों में अधिक थी, जिसका परिणाम यह हुआ उन्होंने अपने युवावस्था में सन्यास धारण किया।

पच्चीस वर्ष की युवावस्था में दुर्गा चरण दत्त अपना परिवार त्याग कर सन्यासी बन गए।

स्वामी जी की माता भुवनेश्वरी दत्त धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।

वह विशेष रूप से शिव की उपासना किया करती थी। यही कारण है उनके घर में निरंतर पूजा-पाठ, हवन, कीर्तन-भजन आदि का कार्यक्रम हुआ करता था। रामायण, महाभारत और कथा वाचन नित्य प्रतिदिन का कार्य था।

स्वामी विवेकानंद जी का पालन पोषण इस परिवेश में हुआ।

उनकी जिज्ञासु प्रवृत्ति और धर्म के प्रति लगाव , घर में बने वातावरण के कारण था । वह सदैव जानने की प्रवृत्ति को अपने भीतर रखते थे। वह अपने माता-पिता या कथावाचक आदि से नित्य प्रतिदिन ईश्वर, धर्म और संस्कृति के बारे में प्रश्न पूछा करते थे।

कई बार उनके प्रश्न इस प्रकार हुआ करते थे , जिसका जवाब किसी के पास नहीं होता। स्वामी जी मे दिखने वाली कुशाग्र बुद्धि और जिज्ञासा धर्म-संस्कृति आदि की समझ परिवार की देन ही माना जाएगा।

नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद जी कैसे बने – Swami Vivekananda Childhood

नरेंद्र नाथ दत्त बचपन से खोजी प्रवृत्ति के थे, उन्हें किसी एक विषय में रुचि नहीं थी। वह विषय के उद्गम और विस्तार को कारणों सहित जानने के जिज्ञासु थे । नरेंद्र नाथ कि इसी प्रवृत्ति के कारण शिक्षक उनसे प्रभावित रहते थे।

उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस थे बालक नरेंद्र नाथ के जिज्ञासा और उनकी उत्सुकता को अपना प्रेम देते थे।

नरेंद्र नाथ दत्त में बहुमुखी प्रतिभा थी, यह सामान्य बालक से बिल्कुल अलग थे। सामान्य बालक जहां एक विषय के अध्ययन में वर्षों निकाल दिया करते थे। नरेंद्र नाथ पूरी पुस्तक का अध्ययन कुछ ही क्षण में कर लिया करते थे। उनका यह अध्ययन सामान्य नहीं था वह पृष्ठ संख्या और अक्षरसः हुआ करता था। इस प्रतिभा से रामकृष्ण परमहंस प्रसन्न होकर नरेंद्र नाथ दत्त को विवेकानंद कहकर पुकारते थे।

यही विवेकानंद भविष्य में स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। जो विवेक का स्वामी हो वही विवेकानंद।

स्वामी विवेकानंद की शिक्षा – Swami Vivekananda Education

Swami vivekananda education in Hindi - स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा

स्वामी विवेकानंद की आरंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई। विद्यालय से पूर्व उनका ज्ञान संस्कार घर पर ही किया गया। दादा तथा माता-पिता की देख-रेख में उन्होंने विद्यालय से पूर्व ही, सामान्य बालकों से अधिक जानकारी प्राप्त कर ली थी।

आठ वर्ष की आयु में, उन्हें ईश्वर चंद्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन संस्थान कोलकाता में प्राथमिक ज्ञान के लिए विद्यालय भेजा गया। यह समय 1871 का था। कुछ समय पश्चात 1877 में परिवार किसी कारणवश रायपुर चला गया। दो वर्ष के पश्चात 1879 मे कोलकाता वापस आ गया।  यहां स्वामी विवेकानंद ने प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त किए।

यह बेहद ही सराहनीय सफलता थी, अन्य विद्यार्थियों के लिए यह सपना हुआ करता था।

स्वामी विवेकानंद इस समय तक

  • राजनीति विज्ञान
  • समाजिक विज्ञान
  • अनेक हिंदू धर्म के ग्रंथ तथा साहित्य का अक्षरसः गहनता से अध्ययन कर लिया था।

स्वामी जी ने पश्चिमी साहित्य के धार्मिक और विचारों तथा क्रांतिकारी घटनाओं का व्याख्यात्मक विश्लेषण भी सूक्ष्मता से अध्ययन किया था।

स्वामी विवेकानंद शास्त्रीय कला में भी निपुण थे , उन्होंने शास्त्रीय संगीत में परीक्षा को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया। वह शास्त्रीय संगीत को जीवन का अभिन्न अंग मानते हुए स्वीकार करते हैं। वह जीवन के किसी भी क्षेत्र को नहीं छोड़ना चाहते थे।

यही कारण है उनका स्वयं के शरीर से काफी लगाव था।

वह योग, कसरत, खेल, संगीत आदि को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार किया करते थे। उनका मानना था अगर मस्तिष्क को संतुलित रखना है तो, शरीर को स्वस्थ रखना ही होगा। जिसके लिए वह योग और कसरत पर विशेष बल दिया करते थे। स्वामी जी खेल में भी निपुण थे, वह विभिन्न प्रकार के खेलों में भाग लेते तथा प्रतियोगिता को अपने बाहुबल से जितते भी थे।

स्वामी विवेकानंद ने पश्चिमी देश के धर्म, संस्कृति, विचारधारा और महान लेखकों के साहित्य का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया था। उन्होंने यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, रूस, जर्मनी आदि विकसित देशों के महान दार्शनिकों की पुस्तकें और उनके शोध को गहनता से अध्ययन किया था।

1881 में विवेकानंद जी ने ललित कला की परीक्षा दी, जिसमें वह सफलतापूर्वक उच्च अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए।

1884 में उनका स्नातक भी सफलतापूर्वक पूर्ण हो गया था।

स्वामी जी का शिक्षा के प्रति काफी लगाव था, जिसके कारण उन्होंने संस्कृत के साहित्य को विकसित किया। क्षेत्रीय भाषा बांग्ला में अनेकों साहित्य का अनुवाद किया। संभवत उपन्यास, कहानी, नाटक और महाकाव्य हिंदी साहित्य में बांग्ला साहित्य के माध्यम से ही आया था।

Swami vivekananda biography in Hindi - स्वामी विवेकानंद

सामाजिक दृष्टिकोण – Swami Vivekananda views towards society

स्वामी विवेकानंद की सामाजिक दृष्टि समन्वय भाव की थी। वह सभी जातियों को एक समान दृष्टि से देखते थे। यही कारण है सभी जाती और मानव कल्याण के लिए ब्रह्म समाज की स्थापना की। उन्होंने वेद-वेदांत, धर्म, संस्कृति आदि की शिक्षा प्राप्त की थी। वह ईश्वर को एक मानते थे। उनका मानना था कि ईश्वर एक है, उसे पूजने और मानने का तरीका अलग-अलग है। उन्होंने अनेक मठ की स्थापना धर्म के विकास के लिए ही किया था।

स्वामी जी मूर्ति पूजा का विरोध किया करते थे, उन्होंने अपने भीतर ईश्वर की मौजूदगी का एहसास दिलाया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि ब्रह्मांड की सभी सार्थक शक्तियां व्यक्ति के भीतर निहित होती है। अपनी साधना और शक्ति के माध्यम से उन सभी दिव्य शक्तियों को जागृत किया जा सकता है।

इसलिए वह सदैव कर्मकांड और बाह्य आडंबरों, पुरोहितवाद पर चोट करते थे।

समाज के कल्याण के लिए वह जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे थे। जहां एक और समाज में जाति-धर्म व्यवस्था आदि की पराकाष्ठा थी। वही स्वामी जी ने उन सभी जाति धर्म और वर्ण में समन्वय स्थापित करने के लिए अथक प्रयास किया। स्वामी जी ने समाज कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर सराहनीय कार्य किया। ब्रह्म समाज की स्थापना कर उन्होंने समाज में बहिष्कृत जाति आदि को मान्यता दी।

स्वामी विवेकानंद एक ऐसे समाज का सपना देखते थे जहां भेदभाव जाति के आधार पर ना हो। वह इसीलिए ब्रह्मावाद, भौतिकवाद, मूर्ति पूजा पर, अंग्रेजों द्वारा फैलाए गए धर्म और अनाचार के विरुद्ध वह सदैव कार्य कर रहे थे। उन्होंने समाज में युवाओं द्वारा किया जा रहा मदिरापान तथा अन्य व्यसनों को दूर करने के लिए कार्य किया। कई उपदेश दिए और अपने सहयोगियों के साथ उन सभी केंद्रों को बंद करवाया।

वह अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच आदि को समाज से दूर करना चाहते थे।

उन्होंने सेठ महाजन ओ आदि के द्वारा किया जा रहा , सामान्य जनता पर अत्याचार आदि को भी दूर करने का प्रयत्न किया । स्वामी जी ने नर सेवा को ही नारायण सेवा मानकर समाज के प्रति अपना सम्मान जनक दृष्टिकोण रखा।

स्वामी विवेकानंद जी की स्मरण शक्ति – Swami Vivekananda memory powers

Swami Vivekananda memory power

स्वामी जी की स्मरण शक्ति अतुलनीय थी। वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे, अपनी कक्षा की पाठ्य सामग्री को कुछ ही दिनों में समाप्त कर दिया करते थे। जहां उसके अध्ययन में अन्य बच्चों को पूरा वर्ष लग जाया करता था। बड़े से बड़े धार्मिक ग्रंथ और साहित्य की पुस्तकों को उन्होंने अक्षर से याद किया हुआ था। उनकी स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि उनसे पढ़ी हुई पुस्तक को पूछने पर पृष्ठ संख्या सहित प्रत्येक शब्द बता दिया करते थे।

स्मरण शक्ति के पीछे उनके आरंभिक जीवन के ज्ञान का अहम योगदान है।

स्वामी विवेकानंद के दादाजी धार्मिक प्रवृत्ति के थे, उन्होंने संस्कृत और फारसी पर अच्छी पकड़ बनाई हुई थी। वह इन साहित्यों का गहन अध्ययन कर चुके थे। विवेकानंद जी की माता जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। उन्होंने पूजा-पाठ, कीर्तन-भजन और धार्मिक पुस्तकों, वेद आदि को नित्य प्रतिदिन पढ़ना और सुनना अपनी दिनचर्या में शामिल किया हुआ था। पिता प्रसिद्ध वकील थे, उनकी वकालत कोलकाता हाईकोर्ट में उच्च श्रेणी की थी।

इन सभी संस्कारों के कारण स्वामी विवेकानंद कुशाग्र बुद्धि के हुए। उन्होंने ईश्वर के प्रति जानने की इच्छा और स्वयं अपने भीतर के ईश्वर को पहचानने का यत्न किया। जिसके कारण उनकी स्मरण शक्ति अतुलनीय होती गई।

स्वामी विवेकानंद जी की तार्किक शक्ति – Swami Vivekananda Logical thinking

जैसा कि हम जानते हैं स्वामी जी का आरंभिक जीवन वेद-वेदांत, भगवत गीता, रामायण आदि को पढ़ते-सुनते बीता था। वह कुशाग्र बुद्धि के थे, उन्होंने अपने घर आने वाले कथा वाचक को ऐसे-ऐसे प्रश्न जाल में उलझाया था।  जिनका जवाब उनके पास नहीं था। वह जीव, माया, ईश्वर, जगत, दुख आदि के विषय में अनेकों ऐसे प्रश्न जान लिए थे जिनका कोई तोड़ नहीं था।

इस कारण स्वामी जी की बौद्धिक शक्ति का विस्तार हुआ। वह सभ्य समाज में बैठने लगे, उनकी ख्याति दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। उनके जवाब इस प्रकार के होते, जिसके आगे सामने वाला व्यक्ति निरुत्तर हो जाता। उसे संतुष्टि हो जाती, इस जवाब के अतिरिक्त कोई और जवाब नहीं हो सकता।

उनकी तर्कशक्ति इतनी प्रसिद्ध थी कि, बड़े से बड़े विद्वान, नीतिवान और चिंतकों ने स्वामी विवेकानंद से शास्त्रार्थ किया।

योग के प्रति स्वामी विवेकानंद जी का दृष्टिकोण – Swami Vivekananda view towards Yoga

Swami Vivekananda views on Yoga in Hindi

स्वामी जी का स्पष्ट मानना था स्वस्थ मस्तिष्क के लिए , स्वस्थ शरीर का होना अति आवश्यक है। योग साधना पर उन्होंने विशेष बल दिया था। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर के भीतर निहितदिव्य शक्तियों को जागृत कर बड़े से बड़ा कार्य कर सकता है। स्वयं स्वामी विवेकानंद प्रतिदिन काफी समय तक योग किया करते थे। उनकी बुद्धि और शरीर सभी उनके नियंत्रण से कार्य करती थी। इस प्रकार की दिव्य साधना स्वामी जी ने एकांतवास में किया था।

वह समाज में योग को विशेष महत्व देते हुए, योग के प्रति प्रेरित करते थे। संसार जहां व्यभिचार और व्यसनों में बर्बाद हो रहा है, वही योग का अनुकरण कर ईश्वर की प्राप्ति होती है। योग के द्वारा माया को दूर भी किया जा सकता है। एक सिद्ध योगी अपने शक्तियों के माध्यम से सांसारिक मोह-माया से बचता है, आत्मा-परमात्मा के बीच का भेद मिटाता है।

स्वामी विवेकानंद जी की दार्शनिक विचारधारा – Swami Vivekananda Philosophy

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही धर्म-संस्कृति में विशेष रूचि रखते थे। स्वामी जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग धर्म – संस्कृति तथा जीव , माया , ईश्वर आदि को जानने में प्रयोग किया। वह अद्वैतवाद को मानते थे, जिसका संस्कृत में अर्थ है एकतत्ववाद या जिसका दो अर्थ नहीं हो । जो ईश्वर है वही सत्य है, ईश्वर के अलावा सब माया है।

यह संसार माया है, इसमें पडकर व्यक्ति अपना जीवन बर्बाद कर देता है। ईश्वर उस माया को दूर करता है, इस माया को दूर करने का एक माध्यम ज्ञान है। जिसने ज्ञान को हासिल किया वह इस माया से बच गया।

इस प्रकार के विचार स्वामी विवेकानंद के थे, इसलिए उन्होंने अद्वैत आश्रम का मायावती स्थान पर किया था। अनेक मठों की स्थापना उन्होंने स्वयं की। देश-विदेश का भ्रमण करके उन्होंने ईश्वर सत्य जग मिथ्या पर अपना संदेश लोगों को सुनाया।

लोगों ने इसे स्वीकार करते हुए स्वामी जी के विचारों को अपनाया है।

स्वामी जी मूर्ति पूजा के विरोधी थे, उन्होंने युक्ति संगत बातों को समाज के बीच रखा। वेद-वेदांत, धर्म, उपनिषद आदि का सरल अनुवाद लोगों के समक्ष प्रकट किया। उनके साथ उनकी पूरी टोली कार्य किया करती थी।

संभवत वह केशव चंद्र सेन और देवेंद्र नाथ टैगोर के नेतृत्व में भी कार्य करते थे।

1881 – 1884 के दौरान उन्होंने धूम्रपान, शराब और व्यसन से दूर रहने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। उनके दुष्परिणामों को उनके समक्ष रखा। जिससे काफी संख्या में युवा प्रभावित हुए, आज से पूर्व उन्हें इस प्रकार का ज्ञान किसी और ने नहीं दिया था। देश में फैल रहे अवैध रूप से ईसाई धर्म को भी उन्होंने प्रबल इच्छाशक्ति के साथ रोकने का प्रयत्न किया। ईसाई मिशनरी देश की भोली-भाली जनता को प्रलोभन देकर धर्मांतरण करा रही थी।

इसका विरोध भी स्वामी जी ने किया था।

स्वामी विवेकानंद ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी जिसका मूल उद्देश्य वेदो की ओर लोटाना था।

स्वामी विवेकानंद जी थे धर्म-संस्कृति के प्रबल समर्थक

विवेकानंद जी का बाल संस्कार धर्म और संस्कृति पर आधारित था। उन्हें बाल संस्कार के रूप में वेद – वेदांत, भगवत, पुराण, गीता आदि का ज्ञान मिला था। जिस व्यक्ति के पास इस प्रकार का ज्ञान हो वह व्यक्ति महान हो जाता है। समाज में वह पूजनीय स्थान प्राप्त कर लेता है। इस ज्ञान की प्राप्ति के बाद वह किसी और ज्ञान का आश्रित नहीं रह जाता।

उन्होंने विद्यालय शिक्षा अवश्य प्राप्त की थी, किंतु उन्हें विद्यालयी शिक्षा सदैव बोझ लगा। यह केवल समय बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं था।  विद्यालयी शिक्षा अंग्रेजी शिक्षा नीति पर आधारित थी। जहां केवल ईसाई धर्म आदि का महिमामंडन किया गया था। यह शिक्षा समाज के लिए नहीं थी।समाज का एक बड़ा वर्ग जहां अशिक्षित था।

शिक्षा की कमी के कारण वह समाज निरंतर विघटन की ओर जा रहा था। 

अतः समाज में ऐसी शिक्षा की कमी थी जो समाज को सन्मार्ग पर ले जाए।

निरंतर सामाजिक मूल्यों का ह्रास हो रहा था, धर्म की हानि हो रही थी। स्वामी जी ने अपने बुद्धि बल का प्रयोग कर समाज को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने सभी मोतियों को एक माला में पिरोने का कार्य किया।

विवेकानंद जी ने जगह-जगह घूमकर धर्म-संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।

लोगों को, समाज को यह विश्वास दिलाया कि वह महान और दिव्य कार्य कर सकते हैं। बस उन्हें इच्छा शक्ति जागृत करनी है। उन्होंने माया और जगत मिथ्या हे लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया।

ईश्वर की सत्ता को परम सत्य के रूप में प्रकट किया।

स्वामी जी ने मठ तथा आश्रम की स्थापना कर धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया। उन्होंने ऐसे सहयोगी तथा शिष्य को तैयार किया। जो समाज के बीच जाकर, उनके बीच फैली हुई अज्ञानता को दूर करते थे।

धर्म तथा संस्कृति के वास्तविक मूल्यों को सामने रखने का प्रयत्न किया।

शरीर के प्रति स्वामी विवेकानंद जी के विचार

स्वस्थ शरीर होने की वकालत सदैव स्वामी विवेकानंद जी करते रहे। वह हमेशा कहते थे , स्वस्थ शरीर के रहते हुए ही स्वस्थ कार्य अर्थात अच्छे कार्य किए जा सकते हैं। अच्छी शक्तियां शरीर के भीतर तभी जागृत होती है, जब मन और शरीर स्वच्छ हो। वह स्वयं खेल-कूद और शारीरिक प्रतियोगिता में भाग लिया करते थे।

शारीरिक कसरत उनकी दिनचर्या में शामिल थी। उनका शरीर, कद-काठी उनके ज्ञान की भांति ही मजबूत और शक्तिशाली थी।

स्वामी विवेकानंद जी का वेदों की और लोटो से आशय

स्वामी जी के समय समाज में व्याप्त आडंबर, पुरोहितवाद, मूर्ति पूजा और विदेशी धर्म संस्कृति, भारतीय सनातन संस्कृति की नींव खोद रही थी। उन्होंने स्वयं वेद-वेदांत, पुराण तथा अन्य प्रकार के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया था। इस अध्ययन में वह निपुण हो गए थे। उन्होंने ईश्वर और जगत के बीच माया-मोह का अंतर जाने लिया था। वह सभी लोगों को ईश्वर की ओर अपना ध्यान लगाने के लिए प्रेरित किया। इसीलिए उन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा बुलंद किया।

इस नारे को लेते हुए वह विदेश भी गए, वहां उन्हें काफी सराहना मिली। अमेरिका, यूरोप, रूस, फ्रांस आदि विकसित देशों ने भी स्वामी जी के विचारों को सराहा। उनके विचारों से प्रेरित हुए, जिसके कारण वहां आश्रम तथा मठ की स्थापना हो सकी। वहां ऐसे शिक्षक तैयार हो सके जो स्वामी जी के विचारों को आगे लेकर जाए।

स्वामी विवेकानंद जी की प्रसिद्धि

स्वामी जी की प्रसिद्धि देश ही नहीं अपितु विदेश में भी थी। उनकी कुशाग्र बुद्धि और तर्कशक्ति का लोहा पूरा भारत तो मानता ही था। जब उन्होंने अमेरिका के शिकागो में अपना ऐतिहासिक भाषण धर्म सम्मेलन में दिया।

उनकी ख्याति रातो-रात विदेश में भी बढ़ गई।

स्वामी जी की प्रसिद्धि अब विदेशों में भी हो गई थी।

उनसे मिलने के लिए विदेश के बड़े से बड़े दार्शनिक, चिंतक, आदि लालायित रहा करते थे।

स्वामी जी से मुलाकात किसी भी विद्वान के लिए सौभाग्य की बात हुआ करती थी। स्वामी जी भारतीय सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते थे। सनातन धर्म से अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने वाले अनेकों दूसरे धर्म के प्रचारक भेंट करने को आतुर रहते। स्वामी जी के तर्कशक्ति के आगे बड़े से बड़ा विचारक, दार्शनिक आदि धाराशाही हो जाते। वह किसी भी साहित्य को बिना खोले बाहर सही अध्ययन करने की क्षमता रखते थे।

इस प्रतिभा ने स्वामी जी को और प्रसिद्धि दिलाई।

फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका तथा अन्य देशों की ऐसी घटनाएं यह साबित करती है कि उनकी प्रसिद्धि किस स्तर पर थी।

फ़्रांस के महान दार्शनिक के घर जब वह आतिथ्य हुए तब उनकी पंद्रह सौ से अधिक पृष्ठ की पुस्तक को एक घंटे में बिना खोलें अध्ययन किया। यह अध्ययन पृष्ठ संख्या सहित, अक्षरसः था।

इस प्रतिभा से फ्रांस का वह दार्शनिक स्वामी जी का शिष्य हो गया।

अंग्रेजी भाषा के प्रतिस्वामी विवेकानंद जी का दृष्टिकोण

स्वामी विवेकानंद अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित थे। वह बांग्ला, संस्कृत, फ़ारसी आदि भाषाओं को जानते थे। इन भाषाओं में वह काफी अच्छा ज्ञान रखते थे। अंग्रेजी भाषा के प्रति उनका दृष्टिकोण अलग था। वह अंग्रेजी भाषा को कभी भी हृदय से स्वीकार नहीं करते थे। उनका मानना था जिन लुटेरों और आतंकियों ने उनकी मातृभूमि को क्षति पहुंचाई है।

उनकी भाषा को जानना भी पाप है।

इस पाप से वह सदैव बचते रहे।

जब आभास हुआ, भारतीय संस्कृति को तथाकथित अंग्रेजी विद्वानों के सामने रखने के लिए उनकी भाषा की आवश्यकता होगी। स्वामी जी ने उनकी भाषा में, उनको समझाने के लिए अंग्रेजी का अध्ययन किया। वह अंग्रेजी में इतने निपुण हो गए, उन्होंने अंग्रेजी के महान दार्शनिक, चिंतकों और विचारकों के साहित्य को विस्तारपूर्वक अक्षर से अध्ययन किया। इतना ही नहीं उनकी महानता को बताने वाले, सभी धार्मिक साहित्य का भी गहनता से अध्ययन किया। जिसका परिणाम हम अनेकों धर्म सम्मेलनों में देख चुके हैं।

मतिभूमि के प्रति स्वामी विवेकानंद जी का प्रेम

विवेकानंद जी की देशभक्ति अतुलनीय थी। एक समय की बात है ,स्वामी जी विदेश यात्रा कर समुद्र मार्ग से अपने देश लौटे। यहां जहाज से उतर कर उन्होंने मातृभूमि को झुककर प्रणाम किया। यह संत यहीं नहीं रुका।जमीन में इस प्रकार लौटने लगा, जैसे प्यास से व्याकुल कोई व्यक्ति। यह प्यास अपनी मातृभूमि से मिलने की थी, जो उद्गार रूप में प्रकट हुई थी। स्वामी जी अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठा और सम्मान की भावना संभवत अपने बाल संस्कारों से लिए थे।

बालक नरेंद्र ने अपने दादा को देखा था।

जिन्होंने पच्चीस वर्ष की अल्पायु में ही अपने परिवार का त्याग कर सन्यास धारण किया था। ऐसा कौन युवा होता है जो इतनी कम आयु में संन्यास लेता है।

संभवत नरेंद्र ने भी राष्ट्रभक्ति का प्रथम अध्याय अपने घर से ही पढ़ा था।

स्वामी विवेकानंद जी के अद्भुत सुविचार

१.  कोई तुम्हारी मदद नहीं कर सकता अपनी मदद स्वयं करो तुम खुद के लिए सबसे अच्छे मित्र हो और सबसे बड़े दुश्मन भी। ।

स्वामी जी कहते हैं तुम्हारी मदद कोई और नहीं कर सकता , जब तक तुम स्वयं की मदद नहीं करते। मनुष्य को यहां तक कि किसी के मदद की आवश्यकता नहीं होती। वह स्वयं अपनी मदद कर सकता है। व्यक्ति स्वयं का जितना अच्छा मित्र होता है, उतना ही बड़ा दुश्मन भी। यह उसके व्यवहार पर निर्भर करता है कि, वह स्वयं से दोस्ती करना चाहता है या दुश्मनी।

२.  हम जितना ज्यादा बाहर जाएंगे और दूसरों का भला करेंगे हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होता जाएगा और परमात्मा उसमें निवास करेंगे। ।

भारत में नर सेवा को नारायण सेवा माना गया है। स्वामी जी इसका पुरजोर समर्थन करते हैं, उन्होंने कहा है व्यक्ति जितना बाहर निकल कर दीन – दुखीयों  और आवश्यक लोगों की सेवा करेगा। उस व्यक्ति का हृदय उतना ही पवित्र होगा। पवित्र हृदय में ही परमात्मा का सच्चा निवास होता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए वह दिन दुखियों की सेवा करे।

३. कुछ ऊर्जावान व्यक्ति एक साल में इतना कर देता है , जितना भीड़ एक हजार साल में नहीं कर सकती। ।

बड़ी सफलता और उपलब्धि हासिल करने वाले कुछ ही लोग होते हैं।

ऐसे ऊर्जावान व्यक्ति कुछ ही समय में ऐसा कार्य कर दिखाते हैं, जो बड़े से बड़ा जनसमूह हजारों साल में नहीं कर सकता। वर्तमान समय में भी ऐसे लोग विद्यमान है।

ऐसे ही लोगों के कारण आज का विज्ञान सूरज और चांद से आगे निकल चुका है।

४. कोई एक विचार लो , और उसे ही जीवन बना लो उसी के बारे में सोचो , उसके सपने देखो उसे मस्तिष्क में , मांसपेशियों में , नसों में और शरीर के हर हिस्से में डूब जाने दो। दूसरे सभी विचारों को अलग रख दो यही सफल होने का तरीका है। ।

स्वामी जी का मानना था किसी एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसके पीछे दिन-रात की मेहनत लगानी पड़ती है। उसे अपने प्रत्येक इंद्रियों में समाहित करना पड़ता है। उसके प्रति लगन समर्पण का भाव रखना पड़ता है , तब जाकर सफलता प्राप्त होती है। जो इस प्रकार के यत्न नहीं करते उन्हें सफलता दुष्कर लगती है।

५.  विकास ही जीवन है और संकोच ही मृत्यु प्रेम ही विकास है और स्वार्थपरता ही संकोच एतव प्रेम ही जीवन का एकमात्र नियम है जो प्रेम करता है , वह जीता है जो स्वार्थी है , वह मरता है एतव प्रेम के लिए ही प्रेम करो क्योंकि प्रेम ही , जीवन का एकमात्र नियम है। ।

माना जाता है प्रेम से शुद्ध और कोई चीज नहीं होती। व्यक्ति के जीवन में प्रेम अहम भूमिका निभाती है , प्रेम जितना शुद्ध होगा व्यक्ति उतना ही योग्य होगा। जिस व्यक्ति के मन में स्वार्थ और संकोच की भावना होती है , वह मृत्यु के समान बर्ताव करती है। जीवन का एक मात्र सत्य प्रेम है प्रेम के प्रति व्यक्ति को समर्पण भाव रखते हुए स्वीकार करना चाहिए।

सुवीचार के अन्य लेख पढ़ें

स्वामी विवेकानंद जी के सुविचार

Motivational Hindi quotes for students to get success

Best Suvichar in hindi

Best Anmol vachan in Hindi

स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की महत्वपूर्ण तिथियां

  • 12 जनवरी 1863 – कोलकाता (वर्तमान पश्चिम बंगाल) में जन्म ।
  • 1871 प्राथमिक शिक्षा के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन संस्था कोलकाता में दाखिला।
  • 1877 परिवार रायपुर चला गया।
  • 1879 प्रेसिडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में अव्वल हुए।
  • 1880 जनरल असेंबली इंस्टिट्यूट में प्रवेश।
  • 1881 ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की
  • नवंबर 1881 रामकृष्ण परमहंस से भेंट।
  • 1882 – 86 रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में रहे
  • 1884  स्नातक की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया
  • 1884 पिता का स्वर्गवास
  • 16 अगस्त 1886 रामकृष्ण परमहंस का निधन
  • 1886 वराहनगर मठ की स्थापना किया
  • 1887 वडानगर मठ से औपचारिक सन्यास धारण किया
  • 1890-93 परिव्राजक के रूप में भारत भ्रमण किया
  • 25 दिसंबर 1892 कन्याकुमारी में निवास किया
  • 13 फरवरी 1893 प्रथम व्याख्यान सिकंदराबाद में दिया
  • 31 मई 1893 मुंबई से अमेरिका के लिए जल मार्ग से रवाना हुए
  • 25 जुलाई 1893 कनाडा पहुंचे
  • 30 जुलाई 1893 शिकागो शहर पहुंचे
  • अगस्त 1893 हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन राइट से मुलाकात हुई
  • 11 सितंबर 1893 विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो में ऐतिहासिक व्याख्यान
  • 16 मई 1894 हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान
  • नवंबर 1894 न्यूयॉर्क में वेदांत समिति की स्थापना
  • जनवरी 1895 न्यूयॉर्क में धार्मिक कक्षाओं का संचालन आरंभ

अगस्त 1895 वह पेरिस गए

  • अक्टूबर 1895 लंदन में अपना व्याख्यान दिया
  • 6 दिसंबर 1895 न्यूयॉर्क वापस आए
  • 22-25 मार्च 1886 वह पुनः लंदन आ गए
  • मई तथा जुलाई 1896 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया
  • 28 मई 1896 ऑक्सफोर्ड में मैक्स मूलर से भेंट किया
  • 30 दिसंबर 1896 नेपाल से भारत की ओर रवाना हुए
  • 15 जनवरी 1897 कोलंबो श्री लंका पहुंचे
  • जनवरी 1897 रामेश्वरम में उनका जोरदार स्वागत हुआ साथ ही एक व्याख्यान भी
  • 6- 15 1897 मद्रास में भ्रमण किया
  • 19 फरवरी 1897 वह कोलकाता आ गए
  • 1 मई 1897  रामकृष्ण मिशन की स्थापना की
  • मई- दिसंबर 1897 उत्तर भारत की महत्वपूर्ण यात्रा की
  • जनवरी 1898 कोलकाता वापस हो गए
  • 19 मार्च 1899 अद्वैत आश्रम की स्थापना की
  • 20 जून 1899 पश्चिम देशों के लिए दूसरी यात्रा का आरंभ किया
  • 31 जुलाई 1899 न्यूयॉर्क पहुंचे
  • 22 फरवरी 1900 सैन फ्रांसिस्को में वेदांत की स्थापना की
  • जून 1900 न्यूयॉर्क में अंतिम कक्षा का आयोजन हुआ
  • 26 जुलाई 1900 यूरोप के लिए रवाना हुए
  • 24 अक्टूबर 1900 विएना , हंगरी , कुस्तुनतुनिया , ग्रीस , मिश्र आदि देशों की यात्रा किया
  • 26 नवंबर 1900 भारत को रवाना हुए
  • 6 दिसंबर 1900 बेलूर मठ में आगमन हुआ
  • 10 जनवरी 1901 अद्वैत आश्रम में भ्रमण किया
  • मार्च – मई1901 पूर्वी बंगाल और असम की तीर्थ यात्रा की
  • जनवरी-फरवरी1902 बोधगया और वाराणसी की यात्रा की
  • मार्च 1902 बेलूर मठ वापसी हुई
  • 4 जुलाई 1902 स्वामी विवेकानंद जी ने महासमाधि धारण की

स्वामी विवेकानंद जी पर आधारित कहानी

बालक नरेंदर बुद्धि का धनी था। वह अन्य विद्यार्थियों से बिल्कुल अलग था, जानने की जिज्ञासा उसके भीतर सदैव जागृत रहती थी।

स्वभाव से वह खोजी प्रवृत्ति का था।जब तक किसी विषय के उद्गम-अंत आदि का विस्तार से अध्ययन नहीं करता, चुप नहीं बैठा करता ।

यही कारण है उसका नाम  नरेंद्र नाथ दत्त  से  स्वामी विवेकानंद  हो गया ।

विवेकानंद कहलाने के पीछे भी उनके गुरु की अहम भूमिका है।

नरेंद्र बचपन से ही कुशाग्र और तीक्ष्ण बुद्धि के थे। वह किसी भी विषय को बेहद ही सरल और कम समय में अध्ययन कर लिया करते थे। उनका ध्यान विद्यालय शिक्षा पर अधिक नहीं लगता था।

वह उन्हें अरुचिकर विषय जान पड़ता था। 

विद्यालय पाठ्यक्रम को वह कुछ दिन में ही समाप्त कर लिया करते थे। इसके कारण उन्हें फिर भी अन्य विद्यार्थियों के साथ वर्ष भर इंतजार करना पड़ता था , यह उन्हें बोझिल लगता था।

नरेंद्र की स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी , वह कुछ क्षण में पूरी पुस्तक का अध्ययन अक्षरसः कर लिया करते थे। उनकी इस प्रतिभा से उनके  गुरु रामकृष्ण परमहंस  काफी प्रभावित थे। नरेंद्र की इस प्रतिभा को देखते हुए वह प्यार से  विवेकानंद  पुकारा करते थे।

भविष्य में यही नरेंद्र स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

अल्पायु में स्वामी विवेकानंद ने वेद-वेदांत, गीता, उपनिषद आदि का विस्तार पूर्वक अध्ययन कर लिया था।

यह उनके स्मरण शक्ति का ही परिचय है।

अन्य हिंदी कहानियां पढ़ें

स्वामी विवेकानंद जी की कहानियां

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय

महात्मा ज्योतिबा फुले | biography jyotiba foole

B R AMBEDKAR biography in hindi

Manohar parrikar biography and facts

महाभारत कर्ण की संपूर्ण जीवनी – Mahabharat Karn Jivni

अभिमन्यु का संपूर्ण जीवन परिचय – Mahabharata Abhimanyu jivni in hindi

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय संपूर्ण जानकारी | वाल्मीकि जयंती

लता मंगेशकर जी की संपूर्ण जीवनी – Lata Mangeshkar biography

डॉ. मनमोहन सिंह जी की सम्पूर्ण जीवनी

महात्मा गाँधी की संपूर्ण जीवनी 

अमित शाह जीवन परिचय

लालकृष्ण आडवाणी जी की संपूर्ण जीवनी

हिन्दू सम्राट बाजीराव की जीवनी

Madan lal dhingra biography

स्वामी विवेकानंद जी की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। मनुष्य होते हुए भी उनमें आलौकिक गुण विद्यमान थे जो उन्हें औरों से अलग बनाता था। भारतीय ही नहीं बल्कि पुराने जमाने में विदेश में भी उनकी प्रशंसा की जाती थी और वहां के लोग विवेकानंद जी पर किताब लिखते थे और उनकी प्रशंसा करते थे।

ऐसे महान व्यक्ति सदी में एक बार जन्म लेते हैं। इनसे जितना हो सके उतना लोगों को सीखना चाहिए और अपने जीवन को बदलना चाहिए। आशा है यह लेख आपको काफी पसंद आया होगा और आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। आप अपने विचार हम तक कमेंट सेक्शन में लिखकर पहुंचा सकते हैं।

आप हमारे द्वारा लिखी अन्य महान लोगों पर जीवनी भी पढ़ सकते हैं नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से

Follow us here

Follow us on Facebook

Subscribe us on YouTube

इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

अगर आपके मन में कोई भी प्रश्न या फिर दुविधा है इस लेख से संबंधित तो आप हमें नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर सूचित कर सकते हैं।

4 thoughts on “स्वामी विवेकानंद जी की सम्पूर्ण जीवनी, Swami Vivekananda jivani”

महान व्यक्तियों में स्वामी विवेकानंद जी को मैं काफी फॉलो करता हूं और वह मेरे लिए काफी बड़े प्रेरणा के स्रोत हैं. उनके द्वारा कहा गया एक एक शब्द एक किताब के बराबर है जिसके मूल्य को नापना बहुत मुश्किल है. उनकी जीवनी लिखकर आपने बहुत अच्छा काम किया है

स्वामी विवेकानंद जी एक महान व्यक्ति थे जिनका चरित्र चित्रण आपने बहुत अच्छे तरीके से किया है. परंतु इसमें कुछ बातें नहीं लिखी जो मैं चाहता हूं कि आप यहां पर लिखें जैसे कि उन्होंने कौन सी स्पीच दी थी।

स्वामी विवेकानंद जी के गुरू रामकृष्ण परमहंस जी थे जो काली के उपासक थे

बहुत बहुत साधुवाद आपकी पुरी टीम को जिन्होंने इतनी मेहनत कर के हम सभी तक स्वामी जी के जीवन की अमुल्य बातें पहुचाई

Leave a Comment Cancel reply

हिंदी साहित्य मार्गदर्शन

  • Chanakya Neeti
  • Mahabharata Stories
  • प्रेमचंद्र
  • Panchatantra
  • लियो टोल्स्टोय
  • बेताल पच्चीसी
  • Rabindranath Tagore
  • Neeti Shatak
  • Vidur Neeti
  • Guest Posts

Header$type=social_icons

  • twitter-square
  • facebook-square

स्वामी विवेकानंद की जीवनी ~ Biography Of Swami Vivekananda In Hindi

Swami Vivekananda Biography In Hindi,All Information About Swami Vivekananda In Hindi Language With Life History, स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय,Biography Of Swami Vivekananda In Hindi.

biography of swami ji,biography of swami vivekananda in hindi

शिकागो वक्तृता [ स्वामी विवेकानन्द,विश्व धर्म सभा, शिकागो ] | Swami Vivekananda's Complete Speech In Hindi At World's Parliament Of Religions, Chicago

Categories:.

Twitter

Nice post meri bhi blog hai http://www.hindihint.com is par bhi aap hindi me biography ke saath bhut kuch pad skte hai

Aapne sawami ji ke baare me bahut achhi jankari di hai.

biography of swami vivekananda in hindi pdf

bhai ek baat bolna tha.... pura to wikipedia ko he chhaap diya uska bhin link dene bolte na.....

You have written a very good article. You have given very interesting information about Swami Vivekananda. Here you have explained all the facts very beautifully.

bahut achha lekh

Very good information about sawami vivekananda

सारगर्भित और ज्ञान से ओत-प्रोत जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !

Very nice information

It is very good biography on my idel Swami Vivekananda

अद्भुत ज्ञान के भंडार हैं स्वामी विवेकानंद जी

Very nice biography

Bahut achha likha hai aapne Swami ji ke bare main

swami ji 1 din me 700 page yaad kar lete the

Bhut hi shandar likha sir aapne bhut si bate nahi janta jo ab jan gya

Great 🙏🙏🙏🙏🙏 ❤❤❤❤❤❤❤❤

kashto se bhara jiban apne laskh or Hindu dharm ko bataye

Swami ji ka lekh pada bahut acchha laga

◦•●◉✿Great man✿◉●•◦

Swami vivekanand ji ko mera namaskar kitne vidvaan hai swami vivekanand ji

Thanku so much this information

संक्षिप्त में बहुमूल्य जानकारी।

आपको हमारे तरफ से बहुत धनबाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

बहुत-बहुत धन्यवाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े व्यक्ति के जीवन के बारे में बताने के लिए।

if a real good we can talk to anyone that is vivakanand, my hero good is thru but vivakanand is master of everyone. his word to protact other befor himself , i real like

very nice sir

very informational and high quality article about Swami Vivekananda

आपने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन के बारे में अच्छी जानकारी दी है

I am able to write my project with it

Bahut hi sundar raha hai ye anubhav mere liye

नए पोस्ट मुफ्त पाएँ

/fa-fire/ सदाबहार$type=list.

  • सम्पूर्ण चाणक्य नीति [ हिंदी में ] | Complete Chanakya Neeti In Hindi आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य...
  • चाणक्य नीति [ हिंदी में ]: प्रथम अध्याय | Chanakya Neeti [In Hindi]: First Chapter Acharya Chanakya Neeti First Chapter in Hindi चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय | Chanakya Neeti In Hindi : First Chapter १.   तीनो ...
  • Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi ~ सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi श्रीमद्भगवद्‌गीता हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध मे...
  • चाणक्य नीति [ हिंदी में ] : द्वितीय अध्याय | Chanakya Neeti [In Hindi]: Second Chapter Chankya Hindi Quotes चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय | Chanakya Neeti In Hindi : Second Chapter 1.  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, ब...
  • Top 250+ Kabir Das Ke Dohe In Hindi~ संत कबीर के प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥ भावार्थ: कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि अगर ह...
  • सफलता की कुंजी | Hindi Quotes About Success Success Quotes In Hindi "एक विचार लें. उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें. उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचा...
  • भारत का संविधान हिंदी और अंग्रेजी में डाउनलोड करें मुफ्त!!|Download Constitution Of India FREE In Hindi & English !! Constitution Of India किसी भी  देश के नागरिक का ये कर्त्तव्य है की वो अपने संविधान को  ठीक से जाने और समझे। " Download Hindi,Sans...
  • Complete Panchatantra Stories In Hindi ~ पंचतंत्र की सम्पूर्ण कहानियाँ! Complete Panchatantra Tales/Stories In Hindi संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है।   इस ग्रंथ के रचयिता पं. वि...
  • Great Quotations By Swami Vivekananda In Hindi ~ स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचार Swami Vivekananda Quotes in Hindi स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान | स्वामी विवेकानन्द के वचन | स्वामी विवेकानन्द के सुविचार § ...
  • Best Shiv Khera Quotes In Hindi ~ शिव खेड़ा के अनमोल विचार | Shiv Khera Quotes in Hindi~ Inspirational Quotes By Shiv Khera In Hindi जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को  अलग तरह से ...

सर्वश्रेष्ठ श्रेणियाँ!

  • अलिफ लैला (64)
  • कहावतें तथा लोकोक्तियाँ (11)
  • पंचतंत्र (66)
  • महाभारत की कथाएँ (60)
  • मुंशी प्रेमचंद्र (32)
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर (22)
  • रामधारी सिंह दिनकर (17)
  • लियो टोल्स्टोय (13)
  • श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (19)
  • सिंहासन बत्तीसी (33)
  • Baital Pachchisi (27)
  • Bhartrihari Neeti Shatak (48)
  • Chanakya Neeti (70)
  • Downloads (19)
  • Great Lives (50)
  • Great Quotations (183)
  • Great Speeches (11)
  • Great Stories (613)
  • Guest Posts (114)
  • Hindi Poems (143)
  • Hindi Shayari (18)
  • Kabeer Ke Dohe (13)
  • Panchatantra (66)
  • Rahim Ke Done (3)
  • Sanskrit Shlok (91)
  • Self Development (43)
  • Self-Help Hindi Articles (72)
  • Shrimad Bhagwat Geeta (19)
  • Singhasan Battisi (33)
  • Subhashitani (37)

Footer Logo

  • All The Articles
  • Write For Us
  • Privacy Policy
  • Terms Of Use

Footer Social$type=social_icons

Swami vivekananda biography in hindi

Swami vivekananda biography in hindi | स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

स्वामी विवेकानंद जीवनी हिंदी में, आयु, जन्म, मृत्यु, परिवार, इतिहास, तथ्य, स्वामी विवेकानंद जयंती (Swami vivekananda biography in hindi, Age, Birth, Death, Family, History, Fact, Swami vivekananda jayanti)

नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका मेरे इस ब्लॉग पर।आज मैं आपको भारत के एक महान व्यक्ति की जीवनी के बारे मैं बताऊँगा। आपको जानकर खुशी होगी कि उनका जन्म भारत के कलकत्ता बंगाल मे हुआ था। जी हां दोस्तों आपने सही सोचा उनका नाम है स्वामी विवेकानंद जो भारत में बहुत लोकप्रिय है। आज हम इस लेख में देखेंगे Swami vivekananda biography in hindi . इस लेख को पूरा पढ़े जिससे आप Swami vivekananda जेसे आध्यात्मिक गुरु से रूबरू हो पाएंगे।

Table of Contents

General Information:- (Swami vivekananda biography in hindi)

स्वामी विवेकानंद जन्म और परिवार (swami vivekananda birth & family).

इनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था जिनको आज हम स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते है। आज के इस गोर कलयुग मैं युवा पीढ़ी को अपना जीवन सफल बनाने के लिए उनको आविष्कार और नई विचारों की जरूरत रहती है। इसलिए हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद जीकी जीवन की गाथा ले कर आये है। जिससे आप प्रेरित होंगे। इनका पूरा नाम नरेंद्रनाथ दत्त है।

आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जुलाई 1902 को हुआ था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का  नाम भुवनेश्वरी दत्त था। सन्यास धारण करने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र दत्त था। नरेंद्र के पिता जी विश्वनाथ दत्त पाश्रात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे और वे अपने पुत्र को अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्रात्य सभ्यता के रास्ते पर चलाना चाहते थे। नरेंद्र के पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता के उच्च न्यायलय मे (Attorney-at-law) थे और उच्च न्यायलय में वकालत करते थे।

स्वामी विवेकानंद प्रारंभिक जीवन और बचपन (Swami vivekananda early life & childhood)

स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही सब बच्चों से अलग थे। इसलिए ही सायद उनको सब बच्चों से अलग तरह के सपने आते थे। एक बार जब स्वामी जी छोटे बच्चे थे तब उनको एक सपना आया था, उस सपने में उनको एक चमकता हुआ एक सुंदर गोला दिख रहा था। उस गोले से बहुत प्रकार की रोशनी की किरणें उन पर आ रहीं थीं। उस गोले का रंग और आकार धीरे धीरे बदल रहा था। एक समय के बाद वह गोला विस्फोट हो गया और वह फुट गया।

इस गोले मैं से सफेद किरण निकल रहीं थी। वो सफेद रोशनी स्वामी जी पर गिरने लगी। उस रोशनी ने स्वामी विवेकानंद को पूरी तरह अपने अंदर ढक लिया था। छोटी सी उम्र मैं स्वामी जी भिन्न भिन्न धर्मों के लिए जेसे की हिंदू-मुस्लिम और अमीर-गरीब, सफेद-काला रंग जेसे भेदभाव करने के लिए सवाल उठा ते थे।

एकबार जब स्वामी जी छोटे बच्चे थे तब उन्होंने अपने पिता से एक बार एक प्रश्न पूछा था कि आपने मेरे लिए क्या किया है। उनके पिता ने उनको आईना देखने के लिए कहा। उनके पिता जी ने कहा अपने आप को इस आइने मैं देखो, तुम खुद समझ जाओगे की मेने तुम्हारे लिए क्या-क्या किया है। फिर स्वामी जी ने एक बार अपने पिताजी से पूछा कि मुझको दुनिया के सामने अपनी केसी छबि रखनी चाहिए। पिताजी ने हस्ते हुए कहा बेटा कभी भी किसी चीज को देख के आश्चर्य चकित मत होना। यही कारण था कि स्वामी जी सब का आदर करते थे और किसी को भी चोट नहीं देते थे।

Maharana pratap biography in hindi

रामकृष्ण परमहंस से पहली मुलाकात (First meeting with Ramakrishna Paramhansa)

स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही बुद्धिमान बच्चे थे और परमात्मा में वे बहुत मानते थे इनके पास बहोत आध्यात्मिक ज्ञान था इसीलिए ये पहले ब्रह्म समाज में गए परन्तु वहा इनका मन संतुस्ट ना हुआ और उसी समय वह अपने धार्मिक व आध्यात्मिक संशयो की निवारण हेतु अनेक लोगो से मिले लेकिन कही भी इनकी शंकाओ का समाधान ना मिला।

एक दिन स्वामी विवेकानंद के रिश्तेदार ने उनको रामकृष्ण परमहंस के बारे मैं बताया तब स्वामी विवेकानंद जी को उनमे रुचि होने लगी और उनसे मिलने की इच्छा हुई, तो उनके एक रिश्तेदार ने उनको रामकृष्ण परमहंस के पास ले गए।

रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र को देखते ही एक प्रश्न पूछ कि लिया “क्या तुम धर्मं विषयक कुछ भजन गा सकते हो?” इसका उत्तर देते हुए नरेंद्र दत्त ने कहा कि हाँ, मैं धर्मं विषयक भजन गा सकता हूँ। फिर नरेंद्र ने कुछ भजन अपने मधुर स्वर से सुनाए। नरेंद्रनाथ के भजन सुन कर रामकृष्ण परमहंस बहुत ही ज्यादा खुश हो गए। तभी से नरेंद्र दत्त रामकृष्ण परमहंस सत्संग करने लग गए और उनके शिष्य बन गए।

नरेंद्र दत्त रामकृष्ण परमहंस के साथ रह कर दृढ़ अनुयायी बन गए थे। रामकृष्ण परमहंस का 16 अगस्त 1886 को वो परलोक सिधार गये। उसके बाद स्वामी विवेकानंद सन 1887 से 1892 तक अज्ञातवास मैं रहे। अज्ञातवास मैं रहने के बाद स्वामी विवेकानंद जीने वेदांत और हिंदी संस्कृति को प्रचलित करने के लिए योगदान देना चाहते थे। इसलिए स्वामी विवेकानंद एक बहुत बड़े ज्ञानी महा-पुरुष थे। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन मैं कहीं सारे मंत्र दिए है। जो आपको सफल बनने के लिए आपके जीवन मैं बहुत काम आयेंगे। 

स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक जागृति (Swami Vivekananda Spiritual Awakening)

साल 1884 में, स्वामी विवेकानंद ने अपने पिता की मृत्यु के बाद खुद को काफी वित्तीय कठिनाई में पाया, क्योंकि उन्हें अपनी मां और उनके छोटे भाई-बहनों का समर्थन करना पड़ा था। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस से अपने परिवार की वित्तीय भलाई के लिए देवी से प्रार्थना करने को कहा। रामकृष्ण परमहंस के सुझाव पर वे स्वयं मंदिर में प्रार्थना करने गए। लेकिन जैसे ही उन्होंने देवी का सामना किया, वे धन या संपति नहीं मांग सके, बल्कि “विवेक” और “बैराग्य” (एकांत) मांगे। उस दिन से नरेंद्रनाथ के पूर्ण आध्यात्मिक जागरण को चिह्नित किया गया था और वे एक तपस्वी जीवन शैली के लिए तैयार हो गए थे।

स्वामी विवेकानंद का जीवन बदलने वाला मंत्र (Swami vivekananda life changing mantra)

मंत्र 1:-  उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाये।

मंत्र 2:-  तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता नाही कोई तुम्हें सीखा सकता है, तुमको सब कुछ खुद अपने आत्मा से सीखना होगा।

मंत्र 3:- दुनिया मे खुद को कमजोर समझना, सबसे बड़ा पाप हैं।

मंत्र 4:- बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप होता हैं।

मंत्र 5:- सत्य को हम हज़ार तरीकों से बता सकते हैं, फिर भी वह सत्य ही रहेगा।

मंत्र 6:- विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

मंत्र 7:- ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।

मंत्र 8:- शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।

मंत्र 9:- दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा दिल की सुनो।

मंत्र 10:- किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये तो आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।

स्वामी विवेकानंद शिकागो धर्म परिषद (Swami vivekananda chicago dharma parishad)

दोस्तो 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो शहर मैं विश्व धर्म परिषद का कार्यक्रम होने वाला था। जिसमें आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी, उस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

जेसे ही स्वामी विवेकानंद जी ने अपने मधुर स्वर और तेजस्वी वाणी से भाषण की शुरुआत की और कहा  “मेरे अमेरिकी भाईयो और बहनो”  वो शब्द सुनते ही पूरा सभाकक्ष तालियों की शोर से गूंज उठा, 5 मिनिट तक तालियां की गड़गड़ाहट सभाकक्ष मैं चलती रहीं इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण मैं भारतीय सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति के विषय मैं अपने उच्चस्तरीय विचार प्रगट किए।

इस भाषण से न केवल अमेरिका ब्लकि विश्वभर मैं स्वामी विवेकानंद जी का सन्मान और गौरव बड़ गया था। स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा यह भाषण इतिहास के पन्नों मैं अमर बन गया है। शिकागो धर्म परिषद के बाद स्वामी विवेकानंद 3 वर्षा तक कई देशों में प्रचार किया जेसे की अमेरीका और ब्रिटेन मैं शिक्षा का प्रचार करते रहे। 15 अगस्त 1897 को स्वामी विवेकानंद जी श्रीलंका पहुंचे वंहा पर उनका शानदार स्वागत हुआ था।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना (Foundation of Ramakrishna Mission)

स्वामी विवेकानंद साल 1897 में भारत वापिस लौट आए और उनका आम और शाही लोगों द्वारा समान रूप से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। वह देश भर में व्याख्यानों की एक श्रृंखला के बाद कलकत्ता आए और 1 मई 1897 को कलकत्ता के पास बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन की स्थापना शुरू की थी। रामकृष्ण मिशन के लक्ष्य कर्म योग के आदर्शों पर आधारित थे और इसका मुख्य लक्ष्य देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना ही था।

रामकृष्ण मिशन ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक सेवा की थी जैसे कि स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना और प्रबंधन, व्याख्यान, सेमिनार और कार्यशालाओं के माध्यम से वेदांत के व्यावहारिक सिद्धांतों का प्रसार और देश भर में राहत और पुनर्वास कार्य की शुरुआत की थी।

उनकी धार्मिक जागरूकता दैवीय अभिव्यक्ति पर श्री रामकृष्ण की आध्यात्मिक शिक्षाओं और अद्वैत वेदांत दर्शन के उनके व्यक्तिगत आंतरिककरण का मिश्रण था। उन्होंने निस्वार्थ कर्म, पूजा और आध्यात्मिक अनुशासन के माध्यम से आत्मा की दिव्यता प्राप्त करने के लिए खुद को निर्देशित किया था। स्वामी विवेकानंद के अनुसार अंतिम लक्ष्य आत्मा की स्वतंत्रता प्राप्त करना है और इसमें संपूर्ण धर्म शामिल है।

स्वामी विवेकानंद एक प्रमुख राष्ट्रवादी थे और अपने हमवतन लोगों के सामान्य कल्याण को ध्यान में रखते थे। उसने अपने हमवतन लोगों से आग्रह किया था कि “उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते।”

स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी (Swami vivekananda life story in hindi)

जब स्वामी विवेकानंद के नाम का डंका विश्वभर में बज चुका था तब स्वामी विवेकानंद जी से प्रभावित होकर एक विदेशी महिला को, उनसे मिलने की इच्छा हुई और वो तुरंत स्वामी जी को मिलने चली आई। उस विदेशी महिला ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा कि मैं आपसे प्रेम करती हूं और आपसे शादी करना चाहती हूँ। स्वामी जी ने इसका उत्तर देते हुए कहा की है देवी मैं तो ब्रह्मचारी पुरुष हूं, आपसे में केसे शादी कर सकता हूँ? 

Swami vivekananda biography in hindi

वह विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद जी से इसलिए शादी करना चाहती थी क्योंकि उनको भी स्वामी विवेकानंद के जेसा पुत्र चाहिए था और वो बड़ा होके विश्व में अपने ज्ञान और विचार को फेला सके और उसका नाम रोशन कर सके।

यह बात जब स्वामी विवेकानंद को पता चली तब उन्होंने उस विदेशी महिला को नमस्ते किया और कहा “है माँ लीजिए, आज से आप मेरी माँ है” स्वामी जी ने कहा आपको मेरे जेसा पुत्र भी मिल गया और मेरे ब्रह्मचारी नियम का पालन भी हो गया। यह सुनते ही वह विदेशी महिला स्वामी जी के चरणों पर आ गई। 

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Swami vivekananda death)

स्वामी विवेकानंद सन 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ मैं पूजा अर्चना किया और उसके बाद योग किया। फिर उन्होंने अपने छात्रों को योग, वेद, धर्म और संस्कृति विषय के बारे मैं पढ़ाया। जब संध्याकाल का समय हुआ तब स्वामी विवेकानंद अपने कमरे मैं योग करने गए और उनके शिष्यों को उनकी शान्ति को भंग करने के लिए मना किया और वो अपने कमरे में चले गए। योग करते समय उनकी मृत्यु हो गई। मात्र 39 वर्ष की उम्र मैं स्वामी जी जेसे अदभुद और प्रेरणा पुंज आध्यात्मिक गुरु प्रभु से मिलन हो गया।

स्वामी विवेकानंद की किताबें (Swami vivekananda books)

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन मैं बहुत सी अच्छी किताबे लिखी हुई है। जो आपको अपना जीवन आसान बनाने ने के लिए अवश्य पढ़नी चाहिए।

किताब 1:-  कर्मयोग 

किताब 2:-  स्वामी विवेकानंद उपदेश 

किताब 3:-  मेरा जीवन तथा ध्येय

किताब 4:-  जाग्रति का संदेश 

किताब 5:-  भारतीय नारी 

किताब 6:-  वर्तमान भारत 

किताब 7:-  जाती संस्कृति और समाजवाद

स्वामी विवेकानंद युवा दिवस (Swami vivekananda youth Day)

पूरे विश्व में स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदू संस्कृति का प्रचार अपने तेजस्वी वाणी और आध्यात्मिक ज्ञान से किया और भारत का पूरे विश्व में डंका बजा दिया। इस तरह भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद को अपना आध्यात्मक और बुद्धिवादी व्यक्ती माना और देश के युवा को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की याद मैं राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। 

स्वामी विवेकानंद की जीवनी के बारे में अज्ञात तथ्य (Unknown Facts About Swami vivekananda biography in hindi)

  • स्वामी विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था। वे योगियों के स्वभाव के साथ पैदा हुए थे और बहुत कम उम्र में ही ध्यान करते थे।
  • स्वामी विवेकानंद के पिता का बचपन में ही आकस्मिक निधन हो गया था। इससे उनके परिवार की आर्थिक रीढ़ टूट गई और पूरा परिवार गरीबी में धकेल दिया गया।
  • एक भिक्षु के रूप में दीक्षा लेने से पहले, नरेंद्रनाथ ने कई क्षेत्रों से दैवीय प्रभाव मांगा था। वह 1880 में ब्रह्म समाज के संस्थापक और रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर से मिले। जब उन्होंने टैगोर से पूछा कि क्या उन्होंने भगवान को देखा है, तो टैगोर ने जवाब दिया, “मेरे लड़के, आपके पास योगी की आंखें हैं”
  • स्वामी विवेकानंद वह व्यक्ति थे जिन्होंने वेदांत दर्शन को पश्चिम में ले लिया और हिंदू धर्म में भारी सुधार किया।
  • स्वामी विवेकानंद जी को खिचड़ी बहुत पसंद थी और यह उनके मठ में नियमित रूप से परोसा जाता था।
  • स्वामीजी ने हमेशा कहा था कि वह 40 वर्ष की आयु तक जीवित नहीं रहेंगे और 39 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
  • जब शिक्षाविदों की बात आती है, नरेंद्र नाथ दत्ता अंक प्राप्त करने में महान नहीं थे। उन्होंने तीन विश्वविद्यालय परीक्षाएं दीं – प्रवेश परीक्षा, प्रथम कला मानक (एफए, जो बाद में इंटरमीडिएट कला या आईए बन गया) और कला स्नातक (बीए)। अंग्रेजी भाषा में उनके अंक प्रवेश स्तर पर 47 प्रतिशत, एफए में 46 प्रतिशत और बीए में 56 प्रतिशत थे।

Frequently Asked Question About Swami Vivekananda biography in hindi

स्वामी विवेकानंद कौन हैं.

स्वामी विवेकानंद एक साधु, हिंदू आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक और एक युवा नेता थे जो हर प्राणी के बीच समानता में विश्वास करते थे और उनकी शिक्षाएं और दर्शन उसी को दर्शाते हैं। एक धनी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने ईश्वर को महसूस करने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया और दुनिया को सिखाते हैं कि ईश्वर की सेवा करने का तरीका मानव जाति की मदद करना है। वह नेता जिसने किसी का पक्ष नहीं लिया और उसकी शिक्षाओं ने हमेशा मदद करने और हर एक की भलाई करने की बात कही।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई थी?

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी।

स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ था?

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जुलाई 1902 को हुआ था।

स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम क्या है?

स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।

स्वामी विवेकानंद किस लिए जाने जाते हैं?

स्वामी विवेकानंद को 1893 की विश्व धर्म संसद में उनके अभूतपूर्व भाषण के लिए जाना जाता है जिसमें उन्होंने अमेरिका में हिंदू धर्म का परिचय दिया और धार्मिक सहिष्णुता का आह्वान किया।

आशा कर्ता हूं दोस्तों आपको Swami vivekananda biography in hindi को पढ़कर बहुत अच्छा लगा होगा और इससे कुछ सीखने को मिला होगा। अगर हो सके तो हमारी वेबसाइट Biographyindian.in को अपने दोस्तों और अपने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर शेयर करे और हमको Facebook पर फॉलो करे। धन्यवाद।

About The Author

biography of swami vivekananda in hindi pdf

Chirag kotak

Related posts.

Sardar vallabhbhai patel biography

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी | Sardar Vallabhbhai Patel Biography, Jayanti Date 2022, Death

Vikram Batra Biography

विक्रम बत्रा की जीवनी | Vikram Batra biography, Kargil War, Death

biography of swami vivekananda in hindi pdf

Steve jobs biography in hindi -स्टीव जॉब्स जीवनी हिंदी में

biography of swami vivekananda in hindi pdf

Stephen hawking biography in hindi – स्टीफन हॉकिंग जीवनी हिंदी मे

1 thought on “swami vivekananda biography in hindi | स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय”.

Pingback: Akshara Singh Biography In Hindi | Hottest Actress, Struggle Story, Networth, Age In 2022 - Biography Indian

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Hindiknowlege.com

भारत के महान फिलॉस्फर स्वामी विवेकानंद की जीवनी | Swami Vivekananda Biography in Hindi

Swami Vivekananda Biography in Hindi, swami vivekanand ki jivani, swami vivekananda information in hindi, swami vivekananda history in hindi, swami vivekananda life story in hindi, Age, height, weight, birth, family, education, career

भारत के सबसे महान तेजस्वी प्रतिभा वाले व्यक्ति स्वामी विवेकानंद जी ने अपने अध्यात्मिक, धार्मिक ज्ञान के मध्यम से समस्त मानव जाति को अपने रचना ज्ञान से सिख दी। जिन्होंने पूरी दुनिया को भारत के संस्कृति से अवगत करवाया। उनका कहना था की अपने लक्ष्य को पाने के लिए तब तक कोशिश करनी चाइए, जबतक आपको आपका लक्ष्य प्राप्त न हो। वे हमेशा कर्म पर विश्वाश करते थे, उनका कहना था की जो जैसा कर्म केरेंगे कल आपको वैसा ही फल मिलेगा। स्वामी विवेकानंद के विचार को जो वेक्ति जो फॉलो करेगा, उसे सफलता हासिल करने से कोई नही रोक सकता.

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान में से एक स्वामी विवेकानंद की जीवनी परिचय | Swami Vivekananda Biography in Hindi

स्वामी विवेकानंद की जीवनी परिचय (Swami Vivekananda Biography in Hindi)

संक्षप्त परिचय, स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन(swami vivekananda biography in hind).

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को मकरसंक्रति के दिन कलकत्ता एक कायस्थ जाति के परिवार में हुए था। इनके पिता जी का नाम विश्वनाथ दत्त को कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे और मां का नाम भुनेश्वरी देवी जो एक धार्मिक विचार की महिला थी, और हिंदू धर्म के प्रति कफि यास्था रखती थी। नरेंद्र को 9 भाई बहन थे। दादा जी का नाम दुर्गाचरण दत्त   फारसी और संस्कृत के विद्वान वक्ति थे। वे भी अपने घर परिवार को छोड़कर साधु बन गए।

यह भी पढ़े: महात्मा गांधी की जीवनी, परिचय

स्वामी विवेकानन्द जी का बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था प्यार से लोग उन्हें नरेंद्र बुलाया करते थे। ये बचपन से अत्यंत कुशाग्र और दुधिमान के साथ बहुत नटखट भी थे। बचपन में अपने सहपाठियों के साथ बहुत किया करते थे, कभी-कभी मौका मिलने पर अधियापको से भी सरारत करने से नहीं चूकते थे।

उनकी मां धार्मिक विचार की महिला थी इसलिए उनके घर में नियमित रूप से पूजा पाठ होता रहता और साथ ही रामायण, गीता, महाभारत जैसे पुरानो की पढ़ होते रहता था। इस कारण से उन्हें बचपन से ही ईश्वर के प्रति जानने की इच्छा उनके मन में जागृत होने लगा। भगवान को जानने की उत्सुकता में माता पिता कुछ ऐसे सवाल पूछ देते की जानने के लिऐ उन्हे ब्रहमणो के यहा जाना परता। 1984 में उन्होंने अपने पिता जी साथ छूट गया और परिवार की सारी जिमेदार उन्ही पर आ गया

स्वामी विवेकानंद का शिक्षा( teachings of swami vivekananda)

स्वामी विवेकानन्द का प्रारम्भ शिक्षा उनके घर में ही हुआ। 1871 में 8 साल की उम्र में ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन सस्थान में नामांकन करवाए, जहां से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई की। 1877 अपने परिवार के साथ रायपुर चले गए फिर एक साल बाद 1877 में अपने घर या गए। कलकत्ता के प्रसिडेंसी कॉलेज   के परवेश परीक्षा में प्रथम डिविजन से पास होने वाला एक मात्रछात्र थे। कॉलेज के समय स्कूल में हो रहे खेल कूद प्रतियोगिता में हमें भाग लेते थे।

उन्होंने दर्शनसास्त्र, धर्म, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, काला और साहित्य जैसे विषयों की शिक्षा प्राप्त किए थे। 

यह भी पढ़े: भारत के सबसे कम उम्र के महिला जासूस सरस्वती राजमणि का जीवनी 

इसके अलाव वेद , उपनिषद, भागवत, गीता, रामायण , महाभारत और कई हिंदू सस्त्रो का गहन अधियान किए थे। उसके बाद भारतीय सस्ती संगीत का भी प्रशिक्षण ग्रहण किए। स्कांतिश चर्च कॉलेज असेंबली इस्टीट्यूशन से पश्चिमी तर्क , पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास अध्ययन किए। 1884 में उन्हे काला स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

1860 में उन्होंने स्पेंसर का किताब एजुकेशन को बंगाली में अनुवाद किए। उसके बाद उन्होंने 1984 में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। महासभा सस्थां के प्रधाना अध्यापक ने लिखा नरेंद्र सच में एक बहुत बुद्धिमान वेक्ति हैं।

मैने कई सारे अलग अलग जगहों   यात्रा किए है, पर उनके जैसा प्रतिभाशाली वेक्ति कभी नही देख यहां ताकि वे जर्मन विश्वविद्यालय के दार्शनिक छात्रों में भी नहीं देखें। इसलिए उन्हें श्रुतिधर भी कहा जाता था। इसका अर्थ है विलक्षण स्मृति वाला व्यक्ति होता है।

  स्वामी विवेकानंद ने david Hume, lmmanuel Kant, Johann Gottlieb fichte, Baruch spinoza, Georg W.F. Hegel, arthu schopenhauer, aguste comte, John Stuart mill और चार्ल्स डार्विन के कामों का अभ्यास किए थे।

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस ( Swami Vivekananda and Ramakrishna Paramhansa)

स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से ही ईश्वर के प्रति जानने का जिज्ञासा था इसीलिए उन्होंने एक बार महा ऋषि देवेंद्र नाथ से उन्होंने एक सवाल पूछा ‘क्या आपने कभी भगवान को देखा है?’ उनके इस सवाल को सुनकर महर्षि देवेंद्र आश्चर्य में पड़ गए। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दिए। उसके बाद स्वामी जी ने रामकृष्ण परमहंस को ही अपना गुरु बना लिए। उनके बताए सदमार्ग पर चलने लगे।

यह बी पढ़े: राष्ट्र कवी रामधारी सिंह दिनकर जीवनी परिचय

विवेकानंद जी अपने गुरु से इतना प्रभावित हुए की उनके प्रति उनके मन में कर्तव्यनिष्ठा और श्रद्धा की भावना बढ़ती गई। 1885 में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस कैंसर की बीमारी से ग्रसित थे।इसलिए उन्होंने उनके बहुत सेवा की और अंत में उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह से गुरु और शिष्य के बीच में एक मजबूत रिश्ता बन चुका था।

रामकृष्ण मठ की स्थापना (Ramakrishna Math Establishment)

उसके बाद उन्होंने अपने ग्रुप रामकृष्ण परमहंस के मृत्यु के बाद उन्होंने 12 नगरों में रामकृष्ण संघ की स्थापना की बाद में इनका नाम रामकृष्ण संघ से बदलकर रामकृष्ण मठ कर दिया गया। रामकृष्ण मठ की स्थापना के बाद   मात्र 25 वर्ष के उम्र में उन्होंने अपना घर परिवार त्याग दिया और ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे और और गेरुआ वस्त्र धारण करने लगे। तभी से उनका नाम विवेकानंद स्वामी हो गया।

विवेकानंद स्वामी का भारत भ्रमण (Vivekananda Swami’s India tour)

स्वामी विवेकानन्द पूरे भारतवर्ष का भ्रमण पैदल यात्रा के दौरान काशी, प्रयाग, अयोध्या, बनारस, आगरा, वृंदावन इसके अलावा और कई जगह का भ्रमण किए। इस दौरान वे कई सारे राजा, गरीब, संत और ब्रहमणों के घर में ठहरे। इस यात्रा के दौरान कई सारे अलग अलग क्षेत्रों में जाति प्रथा और भेद भाव ज्यादा प्रचलित है। जाति प्रथा को हटाने के लिए बहुत कोशिश किए।

23 दिसंबर 1892 को भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी जा पहुंचे वहा पर उन्होंने तीन दिन तक समाधी में रहे। उसके बाद वे अपने गुरु भाई से मिलने के लिए राजस्थान के अबू रोड जा पहुंचे जहां अपने गुरु भाई स्वामी ब्रह्मानंद और स्वामी तूर्यानंद से मिले। भारत की पूरी यात्रा देश की गरीबी और दुखी लोगो को देख कर इसेसे पुरे देश को मुक्त करने और दुनिया को भारत के प्रति सोच को बदलने का फैसला किया।

स्वामी विवेकानन्द अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन का भाषण (Swami Vivekananda’s speech at the World Conference of Religions of America)

1893 में स्वामी विवेकानन्द   भारत के ओर से अमेरिका के विश्व धर्म समेलन में हिस्सा लिए। इस धर्म समेलान में पूरी दुनिया के धर्म गुरु ने हिस्सा लिया था। इसमें में भाग लेने वाले सभी लोगो ने अपना धार्मिक किताब रखे और भारत के ओर से भागवत गीता को रखा गया। इस सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द जी को देख कर विदेश लोग काफी मजाक उड़ाते थे। पर उन्होंने कुछ भी नही बोले।

यह भी पढ़े : कबीर दास का जीवन परिचय 

जब वे मंच पर जाकर MY BROTHER’S AND SISTER’S OF AMERICA   से संबोधित कर भाषण देना शुरू केए। तब पूरा सभागार उन्हे तालियों की ग्रग्राहट से उनका स्वागत किया। अगले दिन अमेरिका के अखबारों उन्ही की चर्चा था।

एक पत्रकार ने लिखा था, वैसे तो धर्म सम्मेलन के सभी विद्वान ने बहुत अच्छी भाषण दी पर भारत के विद्वान ने पूरे अमेरिका का दिल जीत लिया। इसी तरह उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिससे उस समय के नई लोकप्रिये छवि बनकर उभरे। और आज भी उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विद्वान माने जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद का विश्व भ्रमन (Swami Vivekananda’s world tour)

धर्म सम्मेलन खत्म होने के बाद 3 साल तक अमेरिका में ही रह गए और वह हिंदू धर्म के वेदंग का प्रचार अमेरिका में अलग अलग जगहों पर जाकर किए। वही अमेरिका के प्रेस ने उन्हें   “ Cylonic Monik From India ” का नाम दिया था। उसके बाद   दो साल तक शिकागो, न्यूयॉर्क, डेट्रइट और बोस्टन   में उन्होंने लेकर दिए थे।

1894 को न्यूयॉर्क में वेदाँग सोसाइटी की स्थापना की। 1896 में अक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मैक्स मूलर से हुआ जिन्होंने उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस की आत्मकथा लिखे थे। 1879 में उन्होंने अमेरिका से श्रीलंका गए और वहां के लोगो ने उनका स्वागत खुलकर किया। उस समय वे काफी प्रचलित थे। वहां से रामेश्वरम चले गए और फिर 1 मई 1897 को अपना घर कोलकाता चले गए।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना(Establishment of Ramakrishna Mission)

1897 मैं स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जिसका उद्देश्य यह था कि नव भारत निर्माण के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और साफ सफाई के क्षेत्र में बढ़ावा देना। वेद , साहित्य , शास्त्रदर्शन और इतिहास के ज्ञानेश्वर स्वामी विवेकानंद ने अपनी विनोद प्रतिभा से सभी को अपनी ओर आकर्षित किया और उस समय के नौजवान लोगों के लिए एक आदर्श बने रहे थे।

1898 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना जो अभी भी चल रही है इसके अलावा और 2 मठ की स्थापना की।

स्वामी विवेकानंद का दूसरा विश्व यात्रा (Swami Vivekananda’s Second World Tour)

20 जून 1899 को फिर अमेरिका गए और वहां कैलिफोर्निया में शांति आश्रम का निर्माण किए और फ्रांसिस्को और न्यूयॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की।

जुलाई 1900 में विवेकानंद जी पेरिस गए जहां उन्होंने कांग्रेस ऑफ द हिस्ट्री रिलेशंस में भाग लिए और करीब 3 महीने तक वहां रहे थे इस दौरान उनका 2 शिष्य वहां बन गया था भगिनी निवेदिता और स्वामी त्रियानंद

1900 के आखरी माह में स्वामी जी भारत लौट आए। इसके बाद उन्होंने फिर से भारत की यात्रा की बोधगया और बनारस यात्रा की। इस दौरान उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा था, वे अस्थमा और डायबिटीज जैसी बीमारियों से ग्रसित थे।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (swami vivekananda death)

4 जुलाई 1992 को मात्र 39 साल की उम्र में स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हो गई। उनके शिष्य का में तो उन्होंने महासमाधि ली थी। आरोही इस महापुरुष का अंतिम संस्कार गंगा नदी के तट के किनारे किया गया था।

दोस्तो मैं उम्मीद करता हूं की आपको “ swami vivekananda biography in hindi ” जीवनी आपको पसंद आया होगा, अगर आपको मेरा आर्टिकल पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तो और सोशल मीडिया पर शेयर करे ताकि लोगो को भी यह जानकारी मिल सके, और आपको स्वामी विवेकानंद की जीवनी की जानकारी कैसा लगा कॉमेंट में जरूर बताएं। धन्यवाद!

  अन्य पढ़े : 

  • महाकाव्य रचेता तुलसीदास की जीवनी परिचय 
  • लाल बहादुर शास्त्री जीवन परिचय
  • मुंशी प्रेमचंद की जीवनी
  • डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम आजाद की जीवनी परिचय

Related Posts

शिवम मवी का जीवनी परिचय | Shivam mavi biography in hindi

शिवम मवी का जीवनी परिचय | Shivam mavi biography in hindi

न्यूज एंकर पत्रकार रुबिका लियाकत की जीवनी | Rubika Liyaquat Biography in Hindi

न्यूज एंकर पत्रकार रुबिका लियाकत की जीवनी | Rubika Liyaquat Biography in Hindi

हरियाणवी सिंगर रेणुका पंवार की जीवनी परिचय - Renuka panwar biography in Hindi

हरियाणवी सिंगर रेणुका पंवार की जीवनी परिचय |Renuka panwar biography in Hindi

अनंत अंबानी की जीवनी परिचय | Anant Ambani biography in Hindi

अनंत अंबानी की जीवनी परिचय | Anant Ambani biography in Hindi

IAS Aryaka Akhoury Biography in Hindi | आईएएस आर्यका अखौरी का जीवन परिचय 

IAS Aryaka Akhoury Biography in Hindi | आईएएस आर्यका अखौरी का जीवन परिचय 

नेहा सिंह राठौड़ का जीवन परिचय | Neha Singh Rathore biography in Hindi 

नेहा सिंह राठौड़ का जीवन परिचय | Neha Singh Rathore biography in Hindi 

Leave a comment cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Easy Hindi

केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय | Swami Vivekananda Biography in Hindi (पृष्ठभूमि, इतिहास और मृत्यु)

Swami Vivekananda Biography

Swami Vivekananda Biography in Hindi- स्वामी विवेकानन्द एक ऐसा नाम है जिसे किसी भी प्रकार के परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं जिन्होने पश्चिमी दुनिया को हिंदू धर्म के बारे में व्यापक जानकारी उपलब्ध करवाई थी। उन्होंने 1893 में शिकागो की धर्म संसद में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया जहां पर उनके द्वारा दिया गया भाषण विश्व प्रसिद्ध हुआ था।स्वामी विवेकानन्द की जयंती के उपलक्ष्य में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानन्द ने विश्व के कल्याण के लिए 1 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन स्थापना की थी, जिसकी शाखाएं दुनिया के कई देशों में हैं। स्वामी विवेकानंद के बारे में गुरुदेव रविंद्र ठाकुर ने कहा था यदि भारत को आप करीब से जाना चाहते हैं’ तो आप विवेकानंद के जीवन को पढ़िए। उनमें आपको सभी चीज केवल सकारात्मक ही मिलेंगे नकात्मक कुछ भी नहीं मिलेगा।

ऐसे में विवेकानंद के जीवन परिचय के बारे में जानने की  जिज्ञासा हर एक व्यक्ति  के मन में आ रही है इसलिए आज के लेख में स्वामी विवेकानन्द विकिपीडिया हिंदी में,स्वामी विवेकानन्द हिंदी में | Swami vivekananda in Hindi, स्वामी विवेकानन्द का परिचय | introduction of swami vivekananda, स्वामी विवेकानन्द का जीवन | life of swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द का बचपन | Childhood of Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द शिक्षा | Swami Vivekanandaeducation,स्वामी विवेकानन्द इतिहास | Swami Vivekananda History, स्वामी विवेकानन्द पत्नी | Swami vivekananda Wife, स्वामी विवेकानन्द संगठनों की स्थापना | vivekananda organizations founded,books written by swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु संबंधित जानकारी प्रदान करेंगे इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।                    

स्वामी विवेकानंद का जन्म (Swami Vivekanand Birth)

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था । उनके पिता का नाम श्री विश्वनाथ दत्त था। उनके पिता हाईकोर्ट (High Court) के एक प्रसिध्द वकील (Lawyer) थे। नरेंद्र के पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता (western) के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। नरेंद्र की माता भुवनेश्वरी देवी जी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका ज्यादातर समय भगवान शिवजी की आराधना में ही बीतता था। नरेंद्र बचपन से ही तीव्र बुध्दि के थे और उनके अंदर परमात्मा को पाने की लालसा काफी प्रबल थी। इसी वजह से वे पहले ‘ब्रह्रा समाज’ (Brahmo Samaj) में गए, लेकिन वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ। वे वेदांत और योग को पश्चिम संस्कृति में प्रचलित करने के लिए जरूरी योगदान देना चाहते थे। 

स्वामी विवेकानन्द विकिपीडिया हिंदी में | Swami Vivekananda wikipedia in Hindi

दैवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेंद्र पर आ गया। घर की स्थिति बहुत खराब थी। बहुत गरीब होने के बाबजूद भी नरेंद्र बड़े ही अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रात भर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते थे और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते थे। स्वामी विवेकानंद अपना जीवन गुरुदेव श्रीरामकृष्ण को समर्पित कर चुके थे। गुरुदेव के शरीर त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत की चिंता किए बिना, खुद भोजन की बिना चिंता के गुरू की सेवा में सतत संलग्न रहे। गुरुदेव का शरीर अत्यन्त रुग्ण हो गया था।

Also Read: राष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाया जाता है, कारण, थीम जाने

स्वामी विवेकानंद की जीवनी | Swami Vivekananda Jivani

विवेकानंद बड़े स्वप्न द्रष्टा थे। उन्होंने एक नए समाज की कल्पना की थी। ऐसा समाज जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद नहीं रहे। विवेकानंद जी को युवकों से बड़ी आशा थी। आज के युवकों के लिए ही इस ओजस्वी सन्यासी का यह जीवन वृत्त लेखक उनके समकालीन समाज एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में उपस्थित करने का प्रयत्न किया है यह भी प्रयास रहा है कि इसमें विवेकानंद के सामाजिक दर्शन एवं उनके मानवीय रूप का प्रकाश पड़े। 

बचपन से ही नरेंद्र अत्यंत कुशाग्र बुध्दि के और नटखट थे। परिवार में आध्यात्मिक माहौल होने से उनके अंदर बचपन से ही आध्यात्म (spiritual) का बीज पड़ चुका था। उनके मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखाई देने लगी थी। वे कभी-कभी ऐसे प्रश्न पूछते कि माता-पिता और कथावाचक पंडित जी भी चक्कर में पड़ जाते थे। 

Also Read: स्वामी विवेकानंद का भाषण

स्वामी विवेकानन्द हिंदी में | Swami Vivekananda in Hindi

स्वामी विवेकानन्द हमारे देश के एक महान धार्मिक सुधारक थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था। उनके पिता बिस्वनाथ दत्ता एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माँ भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। वह बहुत बुद्धिमान और असाधारण थे। आध्यात्मिक विचारों में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन से प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की। 1884 में  स्वामी विवेकानंद ने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए की पढ़ाई को पूरा किया था। श्री रामकृष्ण परमहंस से मिलना उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ वह रामकृष्ण के शिष्य बन गए और पैदल ही पूरे भारत का भ्रमण किया था।  स्वामी विवेकानंद पश्चिमी देशों में भारतीय हिंदू धर्म दर्शन का प्रचार और प्रसार भी किया था।

उन्होंने जाति व्यवस्था और छुआछूत का डटकर विरोध किया। 1893 में शिकागो में धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया और दुनिया भर में मानवता का संदेश दिया। गरीबों को सामाजिक सेवा प्रदान करने के लिए उन्होंने 1897 में बेलूर मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उन्होंने भारत में विभिन्न स्थानों पर कई अस्पताल, पुस्तकालय, स्कूल भी स्थापित किए। स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के युवाओं को प्रेरित किया। स्वामी विवेकानन्द की जयंती भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है।  स्वामीजी ने 4 जुलाई 1902 को 39 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।  आज स्वामी विवेकानंद वाले इस संसार में नहीं है लेकिन उनकी स्मृति सदैव हमारे दिलों में जीवंत रहेगी

स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम

स्वामी जी के गुरू का नाम रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhans) था । एक बार किसी ने गुरुदेव की सेवा में निष्क्रियता दिखायी और घृणा से नाक-भौं सिकोड़ी। यह देखकर स्वामी जी क्रोधित हो गए थे। उस गुरू भाई को पाठ पढाते हुए स्वामी जी गुरू की प्रत्येक वस्तु से प्रेम दर्शाते हुए उनके बिस्तर के पास रक्त, कफ आदि से भरी थूकदानी उठाकर फेंकते थे। गुरू के प्रति ऐसी अनन्य भक्ति और निष्ठा के प्रताप से ही वे स्वयं के अस्तित्व को गुरूदेव के स्वरूप में विलीन कर सके।   

 स्वामी विवेकानंद क्यों प्रसिद्ध है?

25 वर्ष की आयु में नरेंद्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिए। इसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की । सन् 1893 में शिकागो में विश्व धर्म परिषद हो रही थी। स्वामी विवेकानंद उसमें भारत के प्रतिनिधि बनकर पहुंचे। यूरोप और अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत कोशिश की कि स्वामी को परिषद में बोलने का मौका नहीं मिले। 

एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला, किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चौंक गए। अमेरिका में उनका बहुत स्वागत सत्कार हुआ। वहां स्वामी जी के भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया। वे अमेरिका में तीन साल तक रहे और लोगों को तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे। उनकी बोलने की शैली और ज्ञान को देखते हुए वहां के मीडिया ने उन्हें ‘साइक्लॉनिक हिंदू नाम’ दिया। 

स्वामी विवेकानंद इतने घंटे करते थे ध्यान (Meditation)

स्वामी जी रोज ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर तीन घंटे ध्यान करते थे। इसके बाद वे अन्य रोजना के काम में व्यस्त होते और यात्रा पर निकलते । इसके बाद वे दोपहर और शाम को भी घंटों तक ध्यान में रहते थे। रात के वक्त उन्होंने तीन-चार घंटे तक ध्यान किया है। “आध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बगैर विश्व अनाथ हो जाएगा।” वे वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू थे। 

स्वामी विवेकानंद के सिध्दांत

स्वामी जी ने भारत में ब्रम्हा समाज, रामकृष्ण मिशन और मठों की स्थापना करके लोगों को आध्यात्म से जोड़ा। उनका एक ही सिध्दांत था कि भारत देश के युवा इस देश को काफी आगे ले जाएं। उन्होंने कहा था कि अगर मुझे सौ युवा मिल जाएं, जो पूरी तरह समर्पित हों तो वे भारत की तस्वीर बदल देंगे। शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास हो सके। शिक्षा से बच्चे के चरित्र का निर्माण और वह आत्मनिर्भर बने। उन्होंने कहा था कि धार्मिक शिक्षा, पुस्तकों द्वारा ना देकर आचरण और संस्कारों द्वारा देनी चाहिए।

स्वामी विवेकानन्द का बचपन | Childhood of Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानन्द का जन्म सन 1863 में 12 जनवरी के दिन हुआ था। उनका जन्म कोलकाता के बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। स्वामी विवेकानन्द को बचपन में इनकी माता भुवनेश्वरी देवी ने इनका नाम वीरेश्वर रखा था जो बाद में इनका नाम को बदलकर नरेंद्र नाथ दत्त रख दिया गया था। जिन्हें प्यार से नरेन भी पुकारा जाता था। उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति की एक विद्वान महिला थी। ऐसे में स्वाभाविक था कि उनके घर में ही अपने मां के द्वारा हिंदू धर्म और संस्कृति को करीब से समझने का मौका मिला। स्वामी विवेकानंद जी पर उनकी मां का इतना प्रभाव पड़ा कि वह घर में ही भगवान के भक्ति और ध्यान में खो जाया करते थे। स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से ही ईश्वर के बारे में जानने की काफी इच्छा थी। स्वामी विवेकानंद जी अन्य बच्चों से बिल्कुल ही अलग थे। छोटी उम्र में ही, वह अलग-अलग religion जैसे हिंदू-मुस्लिम और अमीर-गरीब में भेदभाव करने के लिए सवाल उठाते थे।जब स्वामी विवेकानन्द छोटे थे तो उन्हें दो तरह के सपने आए थे, एक बहुत पढ़ा लिखा आदमी है जिसके पास काफी धन संपत्ति है समाज में उसका नाम काफी प्रचलित है। एक सुंदर घर है और परिवार बच्चे हैं।जबकि दूसरे तरफ एक साधु है जो एक जगह से दूसरे जगह यात्रा करते रहता है उन्हें साधारण जीवन पसंद है पैसा एवं दूसरी सुख सुविधा देने वाली चीज उन्हें खुश नहीं करती है।

स्वामी विवेकानंद जी का इच्छा ताकि वह भगवान को जाने और उनके पास चले जाए। स्वामी विवेकानंद जी जानते थे कि इनमें से वह कुछ भी नहीं बन सकते हैं। इसलिए उन्होंने साधु का रूप धारण कर लिया।

Also Read: स्वामी विवेकानंद के विचार

स्वामी विवेकानन्द शिक्षा | Swami Vivekananda Education

  • स्वामी विवेकानन्द  को 1871 में ईश्वर चंद विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था।
  • 1877 में जब स्वामी विवेकानन्द तीसरी कक्षा में थे तभी उनकी पढ़ाई बाधित हो गयी, दरअसल उनके परिवार को किसी कारणवश अचानक रायपुर जाना पड़ा।
  • 1879 में, अपने परिवार के कलकत्ता लौटने के बाद, वह प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने वाले पहले छात्र बने।
  • वह दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य जैसे विभिन्न विषयों के जिज्ञासु पाठक थे। उन्हें वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण जैसे हिंदू धर्मग्रंथों में भी गहरी रुचि थी। नरेंद्र भारतीय पारंपरिक संगीत के विशेषज्ञ थे और हमेशा शारीरिक योग, खेल और सभी गतिविधियों में भाग लेते थे।
  • 1881 में उन्होंने ललित कला परीक्षा उत्तीर्ण की;1884 में उन्होंने कला से स्नातक की डिग्री पूरी की।
  • इसके बाद उन्होंने 1884 में अच्छी योग्यता के साथ बीए की परीक्षा पास की और फिर उन्होंने कानून की पढ़ाई की।
  • 1884 का समय, जो स्वामी विवेकानन्द के लिए बेहद दुखद था, क्योंकि इसी समय उन्होंने अपने पिता को खोया था। पिता की मृत्यु के बाद उनके ऊपर अपने 9 भाई-बहनों की जिम्मेदारी आ गयी, लेकिन वे घबराये नहीं और अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहने वाले विवेकानन्द ने यह जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
  • 1889 में नरेंद्र का परिवार कोलकाता लौट आया। बचपन से ही विवेकानन्द कुशाग्र बुद्धि के थे, जिसके कारण उन्हें एक बार फिर स्कूल में प्रवेश मिल गया। दूरदर्शी समझ और कठोरता के कारण उन्होंने 3 साल का कोर्स एक साल में पूरा कर लिया।

स्वामी विवेकानन्द पत्नी | Swami Vivekananda Wife

स्वामी विवेकानन्द एक ब्रह्मचारी सन्यासी थे। क्योंकि जब यह  विदेश दौरे पर थे और भिन्न-भिन्न जगहों पर अपना व्‍याख्‍यान देने का कार्य करते थे इसी बीच के भाषण को सुनकर एक महिला काफी प्रभावित हुई और महिला उनके आप पास आकर उनसे बोली की मैं आपसे शादी करना चाहती हूं ताकि उसे भी उनकी तरह प्रतिभाशाली पुत्र प्राप्त हो। तब स्वामी विवेकानंद जी इनके बातों को सुनकर उन्हें कहा कि मैं एक संन्यासी हूं इस वजह से मैं शादी के बंधन में बंध नहीं सकता हूं। लेकिन मैं आपका पुत्र बनना स्वीकार कर सकता हूं ऐसा करने से नहीं मेरा सन्यास टूटेगा और आपको पुत्र की प्राप्ति हो जाएगा। महिला इनके बातों को सुनकर स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ी और बोली आप महान है। आप ईश्वर के ही एक रूप है जो किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते हैं।

स्वामी विवेकानन्द संगठनों की स्थापना | Swami vivekananda Organizations Founded

मई 1897 को स्वामी विवेकानन्द कलकत्ता लौट आए और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य नए भारत का निर्माण करने के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और स्वच्छता की ओर बढ़ना था।

साहित्य, दर्शन और इतिहास के रचयिता स्वामी विवेकानन्द ने अपनी प्रतिभा का लोहा सभी को मनवाया और अब वे युवाओं के लिए आदर्श बन गये।

1898 में स्वामी जी ने बेलूर मठ की स्थापना की – Belur Math जिसने भारतीय जीवन दर्शन को एक नया आयाम दिया।

इसके अलावा स्वामी विवेकानन्द जी ने दो अन्य मठों की स्थापना एवं स्थापना की।

स्वामी विवेकानन्द संगठनों की स्थापना | Books Written by Swami Vivekananda

पवित्र और दिव्य आत्मा स्वामी विवेकानन्द को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वैश्विक गांव उन्हें एक हिंदू संत, एक योग गुरु, एक दार्शनिक, एक शिक्षक, एक लेखक और एक असाधारण वक्ता के रूप में जानता है। स्वामी विवेकानन्द की पुस्तकों की सूची नीचे दी गई है:-

  • ज्ञान योग: ज्ञान का योग 
  • कर्म योग: क्रिया का योग 
  • राजयोग: आंतरिक प्रकृति पर विजय 
  • माई मास्टर 
  • स्वामी विवेकानन्द स्वयं पर कोई उत्पाद नहीं मिला।
  • स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएँ 
  • ध्यान और उसकी विधियाँ 
  • द मास्टर एज़ आई सॉ हिम: द लाइफ़ ऑफ़ द स्वामी विवेकानन्द
  • विवेकानन्द 

स्वामी विवेकानन्द इतिहास | Swami Vivekananda History

महापुरुष स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था। असाधारण प्रतिभा के धनी व्यक्ति का जन्म कोलकाता में हुआ था और उन्होंने अपनी जन्मभूमि को पवित्र बनाया था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, लेकिन बचपन में वे सभी को नरेंद्र के नाम से ही बुलाते थे।स्वामी विवेकानन्द के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था, जो उस समय कलकत्ता उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित और सफल वकील थे जिनकी वकालत के साथ-साथ अंग्रेजी और फ़ारसी भाषाओं पर भी उनकी अच्छी पकड़ के चर्चे खूब होते थे।

विवेकानन्द की माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था, जो धार्मिक विचारों वाली महिला थीं, वह भी बहुत प्रतिभाशाली महिला थीं, जिन्होंने रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का महान ज्ञान प्राप्त किया था। साथ ही वह एक प्रतिभाशाली और बुद्धिमान महिला थीं जिन्हें अंग्रेजी भाषा की भी अच्छी समझ थी।वहीं स्वामी विवेकानन्द पर उनकी माँ का इतना गहरा प्रभाव था कि वह घर में ही ध्यान में लीन रहते थे और इसके साथ ही उन्होंने अपनी माँ से ही शिक्षा भी प्राप्त की थी। इसके साथ ही स्वामी विवेकानन्द पर उनके माता-पिता के गुणों का गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा अपने घर से ही मिली।

स्वामी विवेकानन्द के माता और पिता के अच्छे संस्कारों और अच्छी परवरिश के कारण स्वामीजी के जीवन को एक अच्छा आकार और उच्च स्तर की सोच मिली।ऐसा कहा जाता है कि नरेंद्रनाथ बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और बुद्धिमान व्यक्ति थे, वह अपनी प्रतिभा के इतने धनी थे कि एक बार जो व्यक्ति उनकी आंखों के सामने से गुजर जाता था वह उन्हें कभी नहीं भूलता था और दोबारा उन्हें वह काम नहीं करना पड़ता था। दोबारा। मुझे पढ़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी

युवा दिनों से ही उनकी रुचि अध्यात्म के क्षेत्र में थी, वे हमेशा शिव, राम और सीता जैसे भगवान के चित्रों के सामने ध्यान का अभ्यास करते थे। ऋषि-मुनियों और सन्यासियों की कहानियाँ उन्हें सदैव प्रेरणा देती हैं। आगे चलकर यही नरेन्द्र नाथ पूरे विश्व में ध्यान, अध्यात्म, राष्ट्रवाद, हिन्दू धर्म और संस्कृति के वाहक बने और स्वामी विवेकानन्द के नाम से प्रसिद्ध हुए।

स्वामी विवेकानन्द का परिचय | introduction of Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानन्द का परिचय निम्न वाक्य द्वारा प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे आप लोग ध्यानपूर्वक पढ़े:-

  • स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म कोलकाता के कायस्‍थ परिवार में हुआ था। इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।
  • इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता जो एक पेशे से कोलकाता हाई कोर्ट के वकील थे और उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था जो धार्मिक विचारधारा वाली महिला थी।
  • स्वामी विवेकानन्द जी 1871 में 8 साल के उम्र में स्कूल गए थे। 1879 में प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किए थे।
  • स्वामी विवेकानंद जी केवल 25 साल की उम्र में सांसारिक मोह माया को त्याग कर संयासी बन गए।
  • स्वामी विवेकानंद जी का मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से 1881 में कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर में हुआ था।
  • स्वामी विवेकानन्द जब रामकृष्ण परमहंस मिले तो एक सवाल किया था जो कई लोगों से कर चुके थे, क्या आपने भगवान को देखा है रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया कि हमने देखा है ‘मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना तुम्हें’फर्क सिर्फ इतना है कि उन्हें में तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।
  • अमेरिका में हुई धर्म संसद में जब स्वामी विवेकानन्द जी अमेरिका के भाइयों और बहनों संबोधन से भाषण शुरू किया तो 2 मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में तालियां बजती रही।
  • स्वामी विवेकानन्द 1 मई 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना किए थे। और गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना 9 दिसंबर 1898 में किए थे।
  • स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के तारीख यानी 12 जनवरी को भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
  • स्वामी विवेकानन्द केवल 39 साल की उम्र में 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्‍ण मठ में ध्‍यानमग्‍न अवस्‍था में महासमाध‍ि धारण कर प्राण त्‍याग द‍िए।

स्वामी विवेकानन्द का जीवन | Life of Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता एक कायस्थ परिवार में हुए था। इनके पिता जी का नाम विश्वनाथ दत्त को कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रसिद्ध वकील थे और मां का नाम भुनेश्वरी देवी जो एक धार्मिक विचार की महिला थी, और हिंदू धर्म के प्रति कफि आस्था रखती थी। नरेंद्र को 9 भाई बहन थे। दादा जी का नाम दुर्गाचरण दत्त फारसी और संस्कृत के विद्वान वक्ति थे। वे भी अपने घर परिवार को छोड़कर साधु बन गए। स्वामी विवेकानन्द जी का बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था प्यार से लोग उन्हें नरेंद्र बुलाया करते थे। ये बचपन से अत्यंत कुशाग्र और बुद्धिमान के साथ बहुत नटखट भी थे। बचपन में अपने सहपाठियों के साथ मिलकर काफी शरारत किया करते थे, कभी-कभी मौका मिलने पर अधियापको से भी सरारत करने से नहीं चूकते थे।घर में नियमित रूप से पूजा पाठ होता रहता और साथ ही रामायण, गीता, महाभारत जैसे पुरानो की पढ़ होते रहता था। इस कारण से उन्हें बचपन से ही ईश्वर के प्रति जानने की इच्छा उनके मन में जागृत होने लगा। भगवान को जानने की उत्सुकता में माता पिता कुछ ऐसे सवाल पूछ देते की जानने के लिऐ उन्हे ब्रहमणो के यहा जाना पढ़ता था। 1984 में उनके पिता की मृत्यु के बाद  पिता जी साथ छूट गया और परिवार की सारी दायित्व उन्ही पर आ गया।

 स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • जब तक तुम अपने आप में विश्वास नहीं करोगे, तब तक भगवान में विश्वास नहीं कर सकते। 
  •  हम जो भी हैं हमारी सोच हमें बनाती है, इसलिए सावधानी से सोचें, शब्द व्दितीय हैं पर सोच                          रहती है और दूर तक यात्रा करती है। 
  • उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त ना कर सको। 
  •  हम जितना बाहर आते हैं और जितना दूसरों का भला करते हैं, हमारा दिल उतना ही शुध्द होता है और उसमें उतना ही भगवान का निवास होता है। 
  • सच हजारों तरीके से कहा जा सकता है, तब भी उसका हर एक रूप सच ही है। 
  • संसार एक बहुत बड़ी व्यायामशाला है, जहां हम खुद को शक्तिशाली बनाने आते हैं।
  • बाहरी स्वभाव आंतरिक स्वभाव का बड़ा रूप है।
  • भगवान को अपने प्रिय की तरह पूजना चाहिए। 
  • ब्रम्हांड की सारी शक्तियां हमारी हैं। हम ही अपनी आंखों पर हाथ रखकर रोते हैं कि अंधकार है।

स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु | Swami Vivekananda Death

4 जुलाई 1902 को, स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु उस समय हो गई जब वे अन्य दिनों की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, अपने अनुयायियों को शिक्षा दे रहे थे और वैदिक विद्वानों के साथ शिक्षाओं पर चर्चा कर रहे थे। ध्यान करने और अंतिम सांस लेने के लिए रामकृष्ण मठ में अपने कमरे में गए, यह मठ उन्होंने अपने गुरु के सम्मान में बनाया था। उनके अनुयायियों का मानना ​​था कि मृत्यु का कारण उनके मस्तिष्क में रक्त वाहिका का टूटना था, जो तब होता है जब कोई व्यक्ति निर्वाण प्राप्त करता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान का उच्चतम रूप है जब 7 वां चक्र यानी मुकुट चक्र जो सिर पर स्थित होता है, खुलता है और फिर लाभ प्राप्त करता है। ध्यान करते समय महा समाधि। उनकी मृत्यु का समय रात्रि 9:20 बजे था। उनका अंतिम संस्कार उनके गुरु के सामने गंगा के तट पर चंदन की चिता पर किया गया।

Conclusion:

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल Swami  Vivekanand ka  Jivan Parichay आप लोगों को काफी पसंद आया होगा ऐसे में आप हमारे आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न एवं सुझाव है तो आप तो हमारे कमेंट बॉक्स में आकर अपने प्रश्नों को पूछ सकते हैं हम आपके प्रश्नों का जवाब जरूर देंगे।

FAQ’s Swami Vivekananda Biography in Hindi

Q. स्वामी विवेकानंद की उनके गुरू से पहली भेंट कब हुई थी .

Ans.  नवंबर 1881 में स्वामी विवेकानंद की उनके गुरू से पहली भेंट हुई थी

Q. स्वामी विवेकानंद ने प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान कहां दिया था ?

Ans.  सिकंदराबाद में स्वामी विवेकानंद ने प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान दिया था । 

Q. स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सम्मेलन शिकागों में पहला भाषण कब दिया ?

Ans.  11 सितंबर 1893 में स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सम्मेलन शिकागों में पहला भाषण दिया 

Q. स्वामी विवेकानंद के माता-पिता का नाम क्या था ?

Ans.  माता का नाम भुवनेश्वरी देवी और पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था।

Q.स्वामी विवेकानन्द किस लिये प्रसिद्ध थे?

Ans.स्वामी विवेकानन्द (1863-1902) द्वारा 1893 विश्व धर्म संसद के दौरान दिया गया सबसे प्रसिद्ध भाषण, जिसमें उन्होंने अमेरिका में हिंदू धर्म का परिचय दिया और धार्मिक सहिष्णुता और उग्रवाद को समाप्त करने की अपील की, यही बात उन्हें  प्रसिद्ध बनती हैं।

Q.विवेकानन्द ने भारत के लिए क्या किया?

Ans.विवेकानन्द ने धर्मार्थ, सामाजिक और शैक्षिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भारत में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, साथ ही रामकृष्ण मठ की स्थापना की, जो भिक्षुओं और आम भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है।

Q विवेकानंद का नारा क्या है?

Ans. स्वामी विवेकानन्द का एक नारा है ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।

Q. विवेकानन्द की मृत्यु किससे हुई?

Ans.4 जुलाई, 1902 को स्वामी विवेकानन्द का अचानक निधन हो गया, जब वे ध्यान में थे।  उनके मस्तिष्क में रक्त वाहिका का टूटना मृत्यु का संभावित कारण बताया गया था।

Q.स्वामी विवेकानन्द के गुरु कौन थे?

Ans. रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानन्द के गुरु थे।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Related News

Who Is Durlabh Kashyap, Durlabh Kashyap History In Hindi, Durlabh Kashyap Story दुर्लभ कश्यप कौन है

Who Is Durlabh Kashyap, Durlabh Kashyap History In Hindi, Durlabh Kashyap Story/ दुर्लभ कश्यप कौन है

Sonu Sharma Biography In Hindi मोटिवेशनल स्पीकर सोनू शर्मा बायोग्राफी जान चौंक जाएंगे आप, पढ़ें पूरी खबर

Sonu Sharma Biography In Hindi : मोटिवेशनल स्पीकर सोनू शर्मा बायोग्राफी जान चौंक जाएंगे आप, पढ़ें पूरी खबर

Amitabh Bachchan Quotes

Amitabh Bachchan Quotes : सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के कोट्स पढ़े और बनाएं अपने जीवन को पॉजिटिव

Shivaji Maharaj Biography

छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी | Shivaji Maharaj Biography in Hindi

Biography GURU

Biographies of Famous People

Swami Vivekananda Biography in Hindi | स्वामी विवेकानंद की जीवनी & Swami Vivekananda Quotes

Word_Wizard

स्वामी विवेकानंद एक हिंदू साधु (Monk) और दार्शनिक (Philosopher) थे। यह ऐसे इंसान थे जिन्होंने देश में ग़रीबी और भेद भाव को कम करा। इन्होंने जो भारत देश के लिए करा वो अविस्मरणीय है। आज भी यह करोड़ों भारतीयों के दिलों में बस्ते है और इनका जीवन बहुत ही प्रेरणा दायक है। आइये जानने स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय के बारे में | Swami Vivekananda biography in Hindi

Swami Vivekananda biography in Hindi | स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

Swami vivekananda age, guru, education and family.

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863, मकर संक्रांति के दिन बंगाल में हुआ था। इनके माता पिता ने बचपन में इनका नाम नरेंद्रनाथ (Narendranath) रखा था और सब इनको नरेन बुलाते थे।

बचपन से ही यह बहुत तेज और बाक़ी बच्चों से अलग थे। यह हमेशा पूछते थे की हिंदू-मुस्लिम में भेद भाव क्यों करा जाता है और इसकी प्रकार के अन्य प्रशन यह पूछा करते थे।

Swami Vivekananda family | स्वामी विवेकानंद का परिवार

विवेकानंद का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनका परिवार बहुत ही अच्छा था और सारे व्यक्ति पढ़े लिखे थे। परिवार के सभी लोग हमेशा सबकी मदद करते थे और बहुत सारे लोग इनके परिवार को जानते थे व पसंद भी करते थे।

विवेकानंद की माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। यह एक धार्मिक महिला थी। विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता था और यह कलकत्ता हाई कोर्ट (High Court) में वकील थे।

Swami Vivekananda Education | स्वामी विवेकानंद की पढ़ाई

स्वामी विवेकानंद पढ़ाई में बहुत ही होशियार और बुद्धिमान थे। इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज (Scottish Church College), विद्यासागर कॉलेज (Vidyasagar College), कलकत्ता विश्वविद्यालय (University of Calcutta), प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय (Presidency University) से पढ़ाई की हुई है।

बुद्धिमान होने के कारण यह हमेशा प्रथम श्रेणी से पास होते। इन्हें किताबों से बहुत लगाओ था इसलिए यह हमेशा लाइब्रेरी की सारी किताबों को पड़ देते थे। समय के साथ-साथ इन्हें हर एक क्षेत्र का अच्छा ख़ासा ज्ञान हो गया था।

Swami Vivekananda Guru | स्वामी विवेकानंद के गुरु

स्वामी विवेकानंद को एक दिन सपना आता है जिसमें वो एक आमिर आदमी जिसके पास सारी सुख सुविधा होती है और वो एक साधु को भी देखते है जो प्रभु की भगती में लीन होता है। उस दिन यह साधु से बहुत प्रभावित होते है और विवेकानंद भी साधु बन्ने का फ़ेस्ला करते है।

लेकिन इनको कोई दिशा दिखाने वाला नही मिल रहाँ था जिसने भगवान को देखा हो। तो यह एक दिन राम कृष्णा (Ram krishna Paramahamsa) से दक्षिणेश्वर (Dikshineswar) मंदिर में मिलते है।

राम कृष्णा को विवेकानंद सबसे अलग लगते है और यह इन्हें अपना शिष्य बना लेते है और सिर्फ़ इनसे ही अपनी मन की बातों को बताते है। स्वामी विवेकानंद इन्हें अपना गुरु मान लेते है। ऐसा भी माना जाता है की श्री राम कृष्णा भगवान के ही अवतार थे।

इनके चले जाने के बाद विवेकानंद ने 23 साल की उम्र में मठ को सम्भाला और बाक़ी साधुओं को भी पूजा, ध्यान और पढ़ाई का ज्ञान दिया।

विवेकानंद चाहते थे कि बाक़ी साधुओं के पास भी सारी चीज़ों की जानकारी हो इसलिए विवेकानंद इन्हें बाक़ी देशों के राजनीतिक व्यवस्था और इतिहास के बारे के बारे में भी बताते थे। विवेकानंद ने इन्हें प्लांटों, एरिस्टोटल, बुद्धा और बाक़ी प्रशिद्ध इंसानो के बारे में भी बताते थे।

Swami Vivekananda parliament of religion | स्वामी विवेकानंद धर्म की संसद

स्वामी विवेकानंद भारत के कई हिस्सों में गए और समानता की भावना को फैलाया। लेकिन कुछ समय के बाद इन्हें अमेरिका में मौक़ा दिखा की वो वहाँ अपना प्रचार कर सकते है क्योंकि वहाँ धर्मों में भेद भाव नही है।

स्वामी जी ने 1893 में होने वाली धर्म की संसद (Parliament of Religion), जिसमें सारी दुनिया से हर एक धर्म के नेता आने वाले थे। उसमें विवेकानंद भारत की तरफ़ से गए थे और सभी इनके भाषण को सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।

विवेकानंद चार साल अमेरिका में भी रहे और अमेरिका के न्यू यॉर्क (New York), बॉस्टन (Boston), वॉशिंटॉन (Washington) आदि शहरों में धर्म का प्रचार किया।

यह भी पढ़े  -: जाने कैसे बने जेफ़ बेजोस सदी के सबसे सफल व्यक्ति (Jeff Bezos biography)

Swami Vivekananda books | स्वामी विवेकानंद की किताबें

स्वामी जी ने अपने समय में अनेक प्रकार की किताबी लिखी जो आज भी हम सबके लिए बहुत मूल्य वान है। यह किताबे इनके जीवनकाल में प्रकाशित हुई थी।

  • कर्म योग (Karma Yoga )
  • राज योग (Raja Yoga)
  • वेदांत दर्शन (Vedanta Philosophy)
  • कोलंबो से अल्मोड़ा तक व्याख्यान (Lectures from Colombo to Almora )
  • बार्टमन भारती (Bartaman Bharat)
  • मेरे गुरु (My Master)
  • वेदांत दर्शन: ज्ञान योग पर व्याख्यान (Vedânta philosophy: On Jnâna Yoga)
  • ज्ञान योग (Jnana yoga)

यह भी पढ़े  -: Hardik Pandya biography in Hindi

Swami Vivekananda Quotes in Hindi | स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन

“दिल और दिमाग के टकराव में, अपने दिल का अनुसरण करें”

“आपको अंदर से बाहर की ओर बढ़ना है। कोई आपको सिखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा शिक्षक नहीं है।”

“किसी की निंदा न करें: यदि आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ऐसा करें। यदि तुम नहीं कर सकते, तो अपने हाथ जोड़ो, अपने भाइयों को आशीर्वाद दो, और उन्हें अपने रास्ते जाने दो”

“एक समय में एक काम करो, और इसे करते समय बाकी सब को छोड़कर अपनी पूरी आत्मा को उसमें डाल दो।”

“हम वही काटते हैं जो हम बोते हैं। हम अपने भाग्य के विधाता स्वयं हैं। किसी और का दोष नहीं है, किसी की प्रशंसा नहीं है।”

“अगर मैं अपने अनंत दोषों के बावजूद खुद से प्यार करता हूं, तो मैं कुछ दोषों की झलक में किसी से कैसे नफरत कर सकता हूं।”

“हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।”

“यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।”

“जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं”

“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।”

“जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।”

“चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो। स्वामी विवेकानंद के कोट्स”

“किसी का या किसी चीज का इंतजार न करें। आप जो कुछ भी कर सकते हैं वह करें, किसी पर भी अपनी आशा का निर्माण न करें”

“जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।”

Was Swami Vivekananda married ?

नहीं। अपने जीवन मे स्वामी जी ने शादी नहीं की वो हमेशा महिलाओ को अपनी माँ समान मानते थे इसलिए उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपनी भक्ति मे लिन रहे।

Was Swami Vivekananda enlightened ?

स्वामी विवेकानंद enlighted है यह समाधि मे बहुत-बहुत देर तक चले जाते थे।

Does  Swami Vivekananda  believe in god ?

स्वामी जी भगवान मे विशवास रखते थे और यह भी माना गया है की वो भगवान को देख भी सकते थे।

Did  Swami Vivekananda  believe in astrology ?

स्वामी जी astrology मे विशवास नहीं रखते थे। उनका मानना था की यह सब एक कमजोर व्यक्ति के काम होते है।

Did  Swami Vivekananda  wrote any book ?

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन मे अनेक किताबे लिखी और इनकी बहुत से किताबे तो इनकी मृत्यु के बाद छापी गई।

' src=

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Sign in to your account

उपयोगकर्ता नाम या ईमेल पता

मुझे याद रखें

Msin.in

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • April 23, 2024
  • Shortcut Tricks

NEET JEE Medical Engineering

TNPSC Civil Services Exam Notification (Group-IV) 2024: Official Notifications | Exam Dates | Exam Pattern | Syllabus | Mock Test Papers | Study Materials & Results

Best books for rrb technician exam: latest books for rrb technician exam 2024, rrb technician result: check your rrb technician exam result 2024 now (link to be activated), rrb technician admit card: download rrb technician 2024 admit card now (link to be activated), rrb technician salary structure 2024: rrb technician in hand salary, perks, allowances, job profile.

  • GK/GS Notes

Swami Vivekananda – Modern Indian History Notes PDF in English & Hindi for all Competitive Exams

  • October 13, 2023

Swami Vivekananda: Swami Vivekananda’s life and teachings continue to inspire individuals in India and around the world. His emphasis on the unity of all religions and the importance of service to humanity remains highly relevant in today’s multicultural and interconnected world.

Swami Vivekananda

Swami Vivekananda (1863-1902) was a renowned Indian Hindu monk and spiritual leader who played a crucial role in the introduction of Indian philosophies of Vedanta and Yoga to the Western world. He was a key figure in the late 19th and early 20th-century Indian renaissance and the broader global spread of Indian spirituality and philosophy. Here are some key aspects of Swami Vivekananda’s life and contributions:

Early Life:

  • Swami Vivekananda was born as Narendranath Datta in Kolkata, India, on January 12, 1863. He came from a well-educated and culturally rich family.

Meeting Ramakrishna:

  • In his youth, Narendranath was deeply interested in philosophy and spirituality. He met the mystic and spiritual teacher Sri Ramakrishna Paramahamsa, who would become his guru and greatly influence his life and teachings.

Spiritual Journey:

  • After the passing of Sri Ramakrishna, Narendranath (now known as Swami Vivekananda) embarked on a profound spiritual journey, seeking to realize the truths of spirituality through meditation and self-discovery.

Chicago World’s Parliament of Religions (1893):

  • One of Swami Vivekananda’s most iconic moments was his address at the World’s Parliament of Religions held in Chicago in 1893. His speech began with the famous words, “Sisters and brothers of America,” and he went on to promote the ideals of religious tolerance, universal acceptance, and the harmony of world religions. This speech made him an international sensation and is still remembered for its message of interfaith understanding.

Formation of the Ramakrishna Mission:

  • After his return to India, Swami Vivekananda founded the Ramakrishna Math and the Ramakrishna Mission, organizations dedicated to the propagation of his guru’s teachings, as well as education, social service, and spiritual development.

Social Service and Education:

  • Swami Vivekananda emphasized the importance of selfless service to humanity. His teachings inspired numerous social service activities, including the establishment of schools, colleges, hospitals, and orphanages. He believed that education and knowledge were essential for individual and societal progress.

Writings and Lectures:

  • Swami Vivekananda was a prolific writer and speaker. His lectures and writings on a wide range of topics, including Vedanta, spirituality, and social issues, have been widely read and continue to influence people worldwide.

Philosophy:

  • He promoted Vedanta as a way of life and believed in the divinity of every individual. He taught that the true nature of the self is divine and that realizing this divinity is the goal of human life.
  • Swami Vivekananda’s legacy endures through the global spread of the Ramakrishna Mission and the Vedanta Society, as well as his writings and teachings. He is celebrated as a spiritual and philosophical luminary who contributed to the harmonious coexistence of different faiths and the betterment of humanity.

Download Swami Vivekananda Notes PDF in Hindi

Download Swami Vivekananda Notes PDF in English

Follow on Facebook

By Team  Learning Mantras

biography of swami vivekananda in hindi pdf

Privacy Overview

prateekshivalik-new-logo

Free Educational Notes

Educational Philosophy Of Swami Vivekananda In Hindi (PDF)

Educational-Philosophy-Of-Swami-Vivekananda-In-Hindi

Educational Philosophy Of Swami Vivekananda In Hindi

(स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक दर्शन).

आज हम आपको Educational Philosophy Of Swami Vivekananda In Hindi (स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक दर्शन) के नोट्स देने जा रहे है जिनको पढ़कर आपके ज्ञान में वृद्धि होगी और आप अपनी कोई भी टीचिंग परीक्षा पास कर सकते है | ऐसे हे और नोट्स फ्री में पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर रेगुलर आते रहे हम नोट्स अपडेट करते रहते है | तो चलिए जानते है,स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक दर्शन के बारे में विस्तार से |

“शिक्षा मनुष्य में पहले से ही पूर्णता की अभिव्यक्ति है।” स्वामी विवेकानंद (1863 – 1902)

यह उद्धरण बताता है कि शिक्षा केवल ज्ञान या कौशल प्राप्त करने के बारे में नहीं है, बल्कि प्रत्येक मनुष्य के भीतर मौजूद जन्मजात क्षमता को प्रकट करने और विकसित करने के बारे में है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति में महानता की क्षमता होती है और शिक्षा को इस क्षमता को बाहर लाने में मदद करनी चाहिए और लोगों को उनकी पूर्ण क्षमताओं का एहसास कराने में सक्षम बनाना चाहिए। इस अर्थ में, शिक्षा केवल अंत का साधन नहीं है, बल्कि आत्म-खोज और आत्म-साक्षात्कार की एक प्रक्रिया है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि हर इंसान में निहित पूर्णता को पहचानकर शिक्षा एक अधिक प्रबुद्ध और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने में मदद कर सकती है, जिसमें हर व्यक्ति अधिक अच्छे में योगदान दे सकता है।

Educational-Philosophy-Of-Swami-Vivekananda-In-Hindi

हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो चरित्र का निर्माण करे, मन की शक्ति को बढ़ाए, बुद्धि का विकास करे और व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाए। इस तरह की शिक्षा हमें सभी जीवों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण, दयालु और सार्वभौमिक दृष्टिकोण रखने की शिक्षा भी देनी चाहिए। यह हमें न केवल ज्ञान बल्कि ज्ञान और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए।

संक्षेप में, हमें एक ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो हमें पूर्ण मानव में बदल सके और हमें एक उद्देश्यपूर्ण और परिपूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाए।

स्वामी विवेकानंद का जीवन और शिक्षा

(life and teachings of swami vivekananda), i. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (early life and education).

  • 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्म हुआ |
  • उनका असली नाम नरेंद्रनाथ था |
  • बचपन से प्रतिभाशाली, साहित्य, इतिहास, दर्शन, कविता, संगीत, व्यायाम, संगीत वाद्ययंत्र और तैराकी में उत्कृष्ट |

II. आध्यात्मिक जागृति (Spiritual Awakening)

  • स्वामी रामकृष्ण परमहंस के भक्त बन गए |
  • आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया और नरेंद्रनाथ से विवेकानंद बन गए |

III. यात्राएं और शिक्षाएं (Travels and Teachings)

  • अपने विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में भ्रमण किया |
  • 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित धर्म सम्मेलन में भाग लिया |
  • अपने व्याख्यान से सभी को प्रभावित किया और पश्चिमी मंच से वेदांत के सत्य का वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति बने |
  • वेदांत के माध्यम से विश्व बंधुत्व की लहर पैदा की |
  • पूरे विश्व में भारत के स्वाभिमान और प्रतिष्ठा का विकास किया |

IV. विरासत और मृत्यु (Legacy and Death)

  • 04 जुलाई, 1902 को निधन हो गया |
  • उन्होंने अपनी शिक्षाओं और लेखन के माध्यम से एक स्थायी विरासत छोड़ी, जो दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रही है |
  • रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो जरूरतमंद लोगों को शिक्षा और मानवीय सेवाएं प्रदान करता है |
  • भारत और विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना हुआ है |

उदाहरण: आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास के महत्व पर स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं। सार्वभौमिक भाईचारे और सभी धर्मों की एकता के उनके संदेश ने विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन और मठ, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आपदा राहत जैसी मानवीय सेवाएं प्रदान करना जारी रखे हुए हैं। उनकी विरासत भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है और उनके योगदान को दुनिया भर में पहचाना और मनाया जाना जारी है।

Also Read: CTET COMPLETE NOTES IN HINDI FREE DOWNLOAD

स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक दर्शन

(educational philosophy of swami vivekananda).

स्वामी विवेकानंद एक भारतीय हिंदू भिक्षु और एक प्रमुख दार्शनिक थे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका शैक्षिक दर्शन वेदों और उपनिषदों पर आधारित है, जो प्राचीन भारत में ज्ञान के प्राथमिक स्रोत थे। नीचे उनके शैक्षिक दर्शन के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

  • ज्ञान मनुष्य के भीतर है (Knowledge is within man): स्वामी विवेकानन्द का मानना था कि समस्त ज्ञान मनुष्य के भीतर पहले से ही विद्यमान है। यह ज्ञान बाहरी स्रोतों से नहीं आता बल्कि हर इंसान में निहित है। उनके अनुसार, शिक्षा की भूमिका व्यक्तियों को इस आंतरिक ज्ञान की खोज में मदद करना है। उदाहरण: एक बच्चे में संगीत या पेंटिंग के लिए एक अंतर्निहित प्रतिभा हो सकती है, और उस प्रतिभा को पहचानना और उसका पोषण करना शिक्षक का काम है।
  • शिक्षा आंतरिक ज्ञान का अनावरण करती है (Education unveils inner knowledge): शिक्षा ज्ञान प्रदान करने के बारे में नहीं है बल्कि उस ज्ञान को उजागर करने के बारे में है जो पहले से ही एक व्यक्ति के भीतर मौजूद है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को व्यक्ति की बुद्धि और चरित्र के विकास पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण: एक छात्र का विज्ञान के प्रति स्वाभाविक झुकाव हो सकता है। शिक्षा की भूमिका उसे विज्ञान में अपनी रुचि को आगे बढ़ाने और विकसित करने के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन प्रदान करना है।
  • आंतरिक शिक्षक सीखने को प्रेरित करता है (Inner teacher inspires learning): स्वामी विवेकानंद के अनुसार बाहरी शिक्षक केवल सुझाव देता है, लेकिन आंतरिक शिक्षक ही व्यक्ति को समझने और सीखने की प्रेरणा देता है। उनका मानना था कि शिक्षक की भूमिका एक सूत्रधार के रूप में कार्य करना है जो व्यक्तियों को अपने भीतर के शिक्षक को खोजने में मदद करता है। उदाहरण: एक शिक्षक एक छात्र को मार्गदर्शन और संसाधन प्रदान कर सकता है, लेकिन यह छात्र की आंतरिक प्रेरणा और जुनून है जो उसे सीखने के लिए प्रेरित करता है।
  • शिक्षा प्रणाली की आलोचना (Criticism of the education system): स्वामी विवेकानंद अपने समय की शिक्षा प्रणाली के आलोचक थे। उनका मानना था कि उस समय की शिक्षा मनुष्य में कोई गुण पैदा नहीं करती थी और व्यक्तियों को मशीन बना रही थी। उन्होंने इस शिक्षा को नकारात्मक शिक्षा कहा। उदाहरण: स्वामी विवेकानंद का मानना था कि उनके समय की शिक्षा प्रणाली आलोचनात्मक सोच कौशल और रचनात्मकता विकसित करने के बजाय याद करने और रटने पर केंद्रित थी।
  • व्यावहारिक शिक्षा पर जोर (Emphasis on practical education): स्वामी विवेकानंद व्यावहारिक शिक्षा में विश्वास करते थे जो वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए प्रासंगिक कौशल और ज्ञान विकसित करने पर केंद्रित थी। उनका मानना था कि संपूर्ण व्यक्तियों के निर्माण के लिए केवल सैद्धांतिक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है। उदाहरण: एक छात्र कक्षा की सेटिंग में सैद्धांतिक अवधारणाओं को सीख सकता है, लेकिन यह उन अवधारणाओं का व्यावहारिक अनुप्रयोग है जो उसे किसी विशेष क्षेत्र में कौशल और विशेषज्ञता विकसित करने में सक्षम बनाता है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य

(aims of education according to swami vivekananda).

एक भारतीय दार्शनिक और शिक्षक स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है बल्कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को विकसित करना भी है। नीचे स्वामी विवेकानंद के अनुसार शिक्षा के कुछ प्रमुख उद्देश्य दिए गए हैं:

  • पूर्णता का प्रकटीकरण (Manifestation of the Perfection): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का अंतिम उद्देश्य व्यक्तियों को उनकी आंतरिक पूर्णता को प्रकट करने में मदद करना है। उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति के पास कौशल और प्रतिभा का एक अनूठा समूह होता है जिसे शिक्षा के माध्यम से पहचानने और पोषित करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण: एक छात्र जो संगीत में रूचि रखता है उसे संगीत करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, और शिक्षा को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
  • शारीरिक विकास (Physical Development): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शारीरिक विकास शिक्षा का एक अनिवार्य पहलू है। उनका मानना था कि शिक्षा को व्यक्तियों को एक मजबूत और स्वस्थ शरीर विकसित करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: स्कूलों और कॉलेजों में शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम जो शारीरिक फिटनेस और तंदुरूस्ती को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • असली आदमी बनाना (Making the Real Man): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं सहित संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास पर ध्यान देना चाहिए। उनका मानना था कि शिक्षा को व्यक्तियों को “असली आदमी” बनने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो व्यक्तियों को उनके महत्वपूर्ण सोच कौशल, रचनात्मकता और समस्या को सुलझाने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  • मानसिक विकास (Mental Development): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि मानसिक विकास उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक विकास। शिक्षा को व्यक्तियों को अपने मानसिक संकायों को विकसित करने और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो महत्वपूर्ण सोच कौशल, रचनात्मकता और समस्या को सुलझाने की क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • चरित्र निर्माण (Character Development): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को व्यक्ति के चरित्र के विकास पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को ईमानदारी, अखंडता और आत्म-अनुशासन जैसे गुणों को विकसित करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और आत्म-अनुशासन जैसे मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।
  • धार्मिक विकास (Religious Development): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को धार्मिक विकास को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को विभिन्न धर्मों को समझने और उनकी सराहना करने और सहिष्णुता और सद्भाव की भावना विकसित करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो धार्मिक सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देते हैं।
  • राष्ट्रवाद का विकास (Development of Nationalism): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को उनकी संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को समझने और उनकी सराहना करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो राष्ट्रीय इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के अध्ययन को बढ़ावा देते हैं।
  • सार्वभौमिक भाईचारे की भावना का विकास (Development of the Feeling of Universal Brotherhood): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को सार्वभौमिक भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को दुनिया की विविधता को समझने और उसकी सराहना करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो सांस्कृतिक विविधता और बहुसंस्कृतिवाद को बढ़ावा देते हैं।
  • आत्मविश्वास की विकास भावना (Development Feeling of Self-Confidence): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को व्यक्तियों में आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करनी चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने और उनकी क्षमताओं में आत्मविश्वास बनने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • व्यावसायिक दक्षता का विकास (Development of Vocational Efficiency): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को व्यावसायिक दक्षता को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षा को व्यक्तियों को उनके चुने हुए पेशे में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए। उदाहरण: शिक्षा कार्यक्रम जो व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार पाठ्यक्रम

(curriculum according to swami vivekananda).

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं सहित छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देना चाहिए। नीचे स्वामी विवेकानंद के अनुसार पाठ्यक्रम के कुछ प्रमुख बिंदु हैं:

  • सत्य को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए (Truth should be included in the Curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम में सत्य का समावेश होना चाहिए। सत्य सभी सीखने की नींव होना चाहिए। उदाहरण: पाठ्यक्रम में नैतिकता और नैतिकता पर पाठ्यक्रम शामिल करना।
  • पाठ्यक्रम में न हो कोई रोक-टोक (There should be no Prohibition in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम में क्या पढ़ाया जा सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। शिक्षा किसी भी प्रकार की सेंसरशिप से मुक्त होनी चाहिए। उदाहरण: छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और विश्वासों के बारे में जानने की अनुमति देना, भले ही वे स्वयं से भिन्न हों।
  • पाठ्यक्रम को छात्रों की आवश्यकताओं के अनुसार बदलना चाहिए (The curriculum should be changed according to the needs of the students): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए और छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उदाहरण: छात्रों की बदलती जरूरतों के आधार पर नए पाठ्यक्रम शुरू करना या मौजूदा पाठ्यक्रम को संशोधित करना।
  • पाठ्यक्रम को छात्रों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों के विकास में मदद करनी चाहिए (The curriculum should help in the development of the physical, mental, and spiritual powers of the students): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम को छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उदाहरण: शारीरिक शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास पर पाठ्यक्रम शामिल करना।
  • पाठ्यक्रम में विज्ञान शिक्षा को मिले महत्वपूर्ण स्थान (Science education should get an important place in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि विज्ञान शिक्षा समाज की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है और इसे पाठ्यक्रम में प्रमुख स्थान दिया जाना चाहिए। उदाहरण: जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक विषयों पर पाठ्यक्रम सहित।
  • गतिविधियों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए (Activities should be included in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम में ऐसी व्यावहारिक गतिविधियाँ शामिल होनी चाहिए जो छात्रों को अनुभव के माध्यम से सीखने में मदद करें। उदाहरण: पाठ्यक्रम में परियोजनाओं, प्रयोगों और क्षेत्र यात्राओं को शामिल करना।
  • पाठ्यक्रम में अतीत, वर्तमान और भविष्य की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए (Past, present, and future should not be neglected in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम में मानव इतिहास और ज्ञान के सभी पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। उदाहरण: इतिहास, वर्तमान घटनाओं और भविष्य के रुझानों पर पाठ्यक्रम शामिल करना।
  • पाठ्यचर्या में उन सभी विषयों को शामिल किया जाना चाहिए जिनसे छात्रों की आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ भौतिक उन्नति भी होती है (All those subjects should be included in the curriculum through which there is spiritual progress as well as material progress of the students): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि पाठ्यक्रम में आध्यात्मिक और भौतिक प्रगति दोनों को बढ़ावा देने वाले विषयों को शामिल किया जाना चाहिए। उदाहरण: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग या व्यवसाय प्रबंधन जैसे व्यावहारिक कौशल के साथ-साथ योग, ध्यान और दिमागीपन पर पाठ्यक्रम शामिल करना।
  • आध्यात्मिक प्रगति के लिए वेद, पुराण, दर्शन, धर्म और उपदेश आवश्यक हैं (Vedas, Puranas, Darshana, Dharma, and Updesh are necessary for spiritual progress): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि आध्यात्मिक विकास के लिए प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों का अध्ययन आवश्यक है। उदाहरण: वेदों, पुराणों और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों पर पाठ्यक्रम सहित।
  • सांसारिक उन्नति के लिए भाषा, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीति, कला, गणित, व्यावसायिक विषय, व्यायाम, खेलकूद, समाजसेवा आदि विषयों का होना आवश्यक है। (For worldly progress, subjects like language, science, history, geography, economics, politics, art, mathematics, vocational subjects, exercise, sports, social service, etc. are necessary):  स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक पूर्ण शिक्षा में भौतिक प्रगति को बढ़ावा देने वाले विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होनी चाहिए। उदाहरण: भाषा, विज्ञान, अर्थशास्त्र और अन्य व्यावहारिक विषयों पर पाठ्यक्रम सहित।
  • पाठ्यक्रम में संगीत के अध्ययन को महत्वपूर्ण माना गया (The study of music was considered important in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि रचनात्मकता और आध्यात्मिक विकास के विकास के लिए संगीत महत्वपूर्ण था। उदाहरण: संगीत सिद्धांत, रचना और प्रदर्शन पर पाठ्यक्रम सहित।
  • धार्मिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए (Religious education should be included in the curriculum): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों के आध्यात्मिक विकास के लिए धार्मिक शिक्षा महत्वपूर्ण है। उदाहरण: विभिन्न धर्मों और उनकी प्रथाओं पर पाठ्यक्रम शामिल करना।

स्वामी विवेकानंद के शिक्षण के तरीके

(teaching methods of swami vivekananda).

  • चर्चा विधि (Discussion Method): स्वामी विवेकानंद ने इंटरएक्टिव लर्निंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विषय वस्तु की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए समूह चर्चा को प्रोत्साहित किया। यह विधि छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने, शंकाओं को स्पष्ट करने और अपने साथियों के दृष्टिकोण से सीखने में सक्षम बनाती है। उदाहरण के लिए, एक इतिहास शिक्षक छात्रों को अमेरिकी गृहयुद्ध के कारणों और परिणामों के बारे में चर्चा में शामिल कर सकता है।
  • स्वाध्याय विधि (Self-Study Method): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि स्वाध्याय ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने छात्रों से अपने सीखने की जिम्मेदारी लेने और नियमित रूप से अध्ययन करने की आदत विकसित करने का आग्रह किया। यह पद्धति छात्रों को अपनी गति से सीखने, आत्म-अनुशासन विकसित करने और सीखने के लिए प्यार पैदा करने में सक्षम बनाती है। उदाहरण के लिए, एक भाषा सीखने वाला अपनी शब्दावली और व्याकरण को बेहतर बनाने के लिए स्व-अध्ययन कार्यक्रम का उपयोग कर सकता है।
  • तर्क विधि (Logic Method): स्वामी विवेकानंद ने जटिल अवधारणाओं को समझने के लिए तार्किक तर्क का उपयोग करने की वकालत की। उनका मानना था कि इस पद्धति से छात्रों को महत्वपूर्ण सोच कौशल विकसित करने और सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इस पद्धति में जटिल विचारों को छोटे-छोटे भागों में तोड़ना, उनका विश्लेषण करना और उन्हें तार्किक रूप से जोड़ना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक गणित शिक्षक जटिल समीकरण को समझाने के लिए तर्क विधि का उपयोग कर सकता है।
  • विश्लेषण विधि (Analysis Method): स्वामी विवेकानंद ने विषय वस्तु की गहरी समझ हासिल करने के लिए सूचना के विश्लेषण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने छात्रों को अनुमानों पर सवाल उठाने, सबूतों का मूल्यांकन करने और तर्क और सबूतों के आधार पर निष्कर्ष निकालने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पद्धति में जानकारी को छोटे घटकों में तोड़ना, पैटर्न की पहचान करना और निष्कर्ष निकालना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक विज्ञान शिक्षक किसी प्रयोग से डेटा का विश्लेषण करने के लिए विश्लेषण पद्धति का उपयोग कर सकता है।
  • वाद-विवाद विधि (Debate Method): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि वाद-विवाद छात्रों को उनके तर्क और संचार कौशल विकसित करने में मदद करता है। उन्होंने छात्रों को अपने विचारों का परीक्षण करने, धारणाओं को चुनौती देने और अपने साथियों से सीखने के लिए बहस में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पद्धति में किसी विशेष विषय के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत करना और साक्ष्य और तार्किक तर्क के साथ अपनी स्थिति का बचाव करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक सामाजिक अध्ययन शिक्षक लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद के विषय पर एक बहस का आयोजन कर सकता है।
  • कहानी कहने की विधि (Story Telling Method): स्वामी विवेकानंद ने जटिल विचारों को सरल और आकर्षक तरीके से व्यक्त करने के लिए कहानियों का उपयोग किया। उनका मानना था कि कहानियां छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं, उनकी कल्पना को आकर्षित कर सकती हैं और उन्हें महत्वपूर्ण अवधारणाओं को याद रखने में मदद कर सकती हैं। इस पद्धति में प्रमुख बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए उपाख्यानों, दृष्टांतों और आख्यानों का उपयोग करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक अंग्रेजी शिक्षक छात्रों को समानुभूति की शक्ति के बारे में सिखाने के लिए एक कहानी का उपयोग कर सकता है।
  • समस्या समाधान विधि (Problem-Solving Method): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि जीवन में सफलता के लिए समस्या समाधान कौशल जरूरी है। उन्होंने छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं से निपटने, समाधान विकसित करने और अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पद्धति में एक समस्या की पहचान करना, समाधानों पर मंथन करना, उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना और सर्वोत्तम को लागू करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक व्यावसायिक शिक्षक छात्रों को एक सफल स्टार्टअप शुरू करने का तरीका सिखाने के लिए समस्या-समाधान पद्धति का उपयोग कर सकता है।
  • फील्ड ट्रिप विधि (Field Trip Method): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि सीखना केवल कक्षा तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने छात्रों को अपने आसपास की दुनिया का पता लगाने और अपने अनुभवों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पद्धति में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, या वैज्ञानिक महत्व के स्थानों का दौरा करना और उनका अवलोकन करना और उनका विश्लेषण करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक भूगोल शिक्षक छात्रों को जैव विविधता के बारे में पढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय उद्यान की एक फील्ड यात्रा का आयोजन कर सकता है।
  • उपदेश विधि (Updesh Method): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षक की भूमिका छात्रों को प्रेरित करने, मार्गदर्शन करने और सलाह देने की होती है। उन्होंने शिक्षकों को उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करने, नैतिक मूल्यों को प्रदान करने और अपने छात्रों के चरित्र का पोषण करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पद्धति में व्यक्तिगत अनुभव साझा करना, सलाह देना और छात्रों के अनुसरण के लिए एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक छात्रों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए प्रेरित करने के लिए अद्यतन पद्धति का उपयोग कर सकता है।
  • व्याख्यान विधि (Lecture Method) : स्वामी विवेकानंद ने व्यापक दर्शकों तक जटिल विचारों को पहुंचाने में व्याख्यानों के महत्व को पहचाना। उनका मानना था कि व्याख्यान आकर्षक, सूचनात्मक और विचारोत्तेजक होने चाहिए। इस पद्धति में दृश्य-श्रव्य साधनों का उपयोग करके और दर्शकों के साथ बातचीत को प्रोत्साहित करते हुए एक संरचित और संगठित तरीके से जानकारी प्रस्तुत करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक मनोविज्ञान के प्रोफेसर छात्रों को मनोविज्ञान में विचार के विभिन्न स्कूलों के बारे में पढ़ाने के लिए व्याख्यान पद्धति का उपयोग कर सकते हैं।

कुल मिलाकर, स्वामी विवेकानंद की शिक्षण विधियों की विशेषता अनुभवात्मक शिक्षा, आलोचनात्मक सोच और समग्र विकास पर उनका जोर था। उनके तरीकों का उद्देश्य छात्रों के बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को विकसित करना और उन्हें एक पूर्ण और उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए तैयार करना था।

Educational-Philosophy-Of-Swami-Vivekananda-In-Hindi

शिक्षक के चरित्र पर स्वामी विवेकानंद के विचार

(swami vivekananda’s ideas on the character of the teacher).

  • उच्च मानक चरित्र (High Standard Character): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक का चरित्र उच्च नैतिक और नैतिक मानकों का होना चाहिए। एक मजबूत चरित्र वाला शिक्षक छात्रों को सही रास्ते की ओर प्रेरित और मार्गदर्शन कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो ईमानदार, जिम्मेदार और सम्मानित है, छात्रों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
  • शिक्षण में प्रवीणता (Proficiency in Teaching): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षक जिस विषय को पढ़ाते हैं, उसमें उन्हें पूरी तरह से दक्ष होना चाहिए। एक कुशल शिक्षक जटिल विचारों को सरल और समझने योग्य तरीके से व्यक्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक गणित शिक्षक जो गणित में प्रवीण है, कैलकुलस या ज्योमेट्री जैसी कठिन अवधारणाओं को इस तरह से समझा सकता है जिसे छात्र आसानी से समझ सकें।
  • शिक्षार्थियों के कल्याण के लिए समर्पण (Dedication to the Welfare of the Learners): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक का प्राथमिक ध्यान शिक्षार्थियों का कल्याण होना चाहिए। एक शिक्षक जो शिक्षार्थियों के कल्याण के लिए समर्पित है, एक सकारात्मक सीखने का माहौल बना सकता है जो बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो शिक्षार्थियों के कल्याण के लिए समर्पित है, संघर्षरत छात्रों को अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सकता है या सभी छात्रों को उत्कृष्टता प्राप्त करने के अवसर पैदा कर सकता है।
  • निष्पक्ष व्यवहार और आचरण (Fair Behavior and Conduct): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक का व्यवहार और आचरण निष्पक्ष और निष्पक्ष होना चाहिए। एक निष्पक्ष शिक्षक छात्रों में विश्वास और सम्मान की भावना पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो पक्षपात के बजाय योग्यता के आधार पर असाइनमेंट ग्रेड करता है, वह सभी छात्रों का विश्वास और सम्मान अर्जित कर सकता है।
  • शुद्ध हृदय और मन (Pure Heart and Mind): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक का दिल और दिमाग शुद्ध होना चाहिए। एक शुद्ध हृदय और मन वाला शिक्षक एक सकारात्मक सीखने का माहौल बना सकता है जो छात्रों के भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास का पोषण करता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो करुणा, सहानुभूति और दयालुता का अभ्यास करता है, एक सुरक्षित और सहायक शिक्षण वातावरण बना सकता है।
  • छात्रों के लिए प्यार और सहानुभूति (Love and Sympathy for Students): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक के दिल में अपने छात्रों के लिए प्यार और सहानुभूति होनी चाहिए। एक शिक्षक जो अपने छात्रों से प्यार और सहानुभूति रखता है, उनके साथ एक सकारात्मक और देखभाल करने वाला रिश्ता बना सकता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो व्यक्तिगत मुद्दों से जूझ रहे छात्रों के लिए चिंता और सहानुभूति दिखाता है, एक सहायक शिक्षण वातावरण बना सकता है।
  • छात्रों की क्षमताओं और क्षमताओं का ज्ञान (Knowledge of Students’ Abilities and Capabilities): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक शिक्षक को शिक्षार्थियों की क्षमताओं और क्षमताओं का पूरा ज्ञान होना चाहिए। एक शिक्षक जो अपने छात्रों की अद्वितीय ताकत और कमजोरियों को समझता है, व्यक्तिगत सीखने की योजना बना सकता है जो उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करता है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो अपने छात्रों की विभिन्न सीखने की शैलियों को समझता है, वह विभिन्न शिक्षण रणनीतियों का उपयोग कर सकता है जो प्रत्येक छात्र की सीखने की शैली के अनुरूप हो।

कुल मिलाकर, शिक्षक के चरित्र पर स्वामी विवेकानंद के विचार सकारात्मक सीखने के माहौल को बनाने के महत्व पर जोर देते हैं जो बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। एक शिक्षक जो इन विचारों को मूर्त रूप देता है, छात्रों को एक पूर्ण और उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए प्रेरित, मार्गदर्शन और सलाह दे सकता है।

छात्र के चरित्र पर स्वामी विवेकानंद के विचार

(swami vivekananda’s ideas on the character of the student).

  • एकाग्रता और समर्पण (Concentration and Dedication): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों में पढ़ाई के प्रति एकाग्रता और समर्पण होना चाहिए। एकाग्रता छात्रों को सीखने पर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है और उन्हें अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है। अपनी पढ़ाई के प्रति समर्पण छात्रों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो अपनी पढ़ाई के लिए समर्पित है, वह अध्ययन में अधिक समय और अन्य गतिविधियों पर कम समय व्यतीत करेगा।
  • ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा (Curiosity to Acquire Knowledge): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्सुक होना चाहिए। एक जिज्ञासु विद्यार्थी प्रश्न पूछता है, उत्तर खोजता है और नई चीजें सीखने में रुचि रखता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक है, वह किताबें पढ़ेगा, वृत्तचित्र देखेगा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेगा।
  • मन, कर्म और वचन में सत्य (Truth in Mind, Action, and Word): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों को मन, कर्म और वचन से सत्य का पालन करना चाहिए। एक सच्चा छात्र अपने विचारों, शब्दों और कर्मों में ईमानदार और ईमानदार होता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो सच्चा है वह परीक्षा में नकल नहीं करेगा या अपने शिक्षकों से झूठ नहीं बोलेगा।
  • कड़ी मेहनत करने की इच्छाशक्ति (Willpower to Work Hard): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों में कड़ी मेहनत करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए। इच्छाशक्ति चुनौतियों और बाधाओं के सामने केंद्रित और प्रेरित रहने की क्षमता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जिसके पास इच्छाशक्ति है वह थके होने या विचलित होने पर भी अध्ययन करना जारी रखेगा।
  • इंद्रियों पर नियंत्रण (Control over the Senses): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। एक छात्र जिसका अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण है, वह अपना ध्यान सीखने पर केंद्रित कर सकता है और विकर्षणों से बच सकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जिसका अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण है, पढ़ाई के दौरान सोशल मीडिया या वीडियो गेम से विचलित नहीं होगा।
  • शिक्षकों के प्रति सम्मान और विश्वास (Respect and Faith in Teachers): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि छात्रों को अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान और विश्वास होना चाहिए। शिक्षकों का सम्मान छात्रों को सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है और उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो अपने शिक्षक का सम्मान करता है, उनके निर्देशों को सुनेगा, उनकी सलाह का पालन करेगा और सीखने में मदद करने के उनके प्रयासों की सराहना करेगा।

कुल मिलाकर, छात्र के चरित्र पर स्वामी विवेकानंद के विचार सीखने की दिशा में अच्छी आदतें और दृष्टिकोण विकसित करने के महत्व पर जोर देते हैं। एक छात्र जो इन विचारों को ग्रहण करता है वह शैक्षणिक सफलता, व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकता है।

अनुशासन पर स्वामी विवेकानंद के विचार

(swami vivekananda’s ideas on discipline).

  • आत्म-नियंत्रण पर जोर (Emphasis on Self-Control): स्वामी विवेकानंद ने अनुशासन के प्रमुख पहलू के रूप में आत्म-नियंत्रण के महत्व पर जोर दिया। आत्म-नियंत्रण का अर्थ है किसी की भावनाओं, आवेगों और व्यवहारों को नियंत्रित करने की क्षमता। आत्म-नियंत्रण विकसित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को नकारात्मक व्यवहार से बचने और सकारात्मक विकल्प बनाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र जिसके पास आत्म-संयम है, वह नशीली दवाओं के उपयोग या डराने-धमकाने जैसे नकारात्मक व्यवहार में संलग्न होने के लिए साथियों के दबाव में नहीं आएगा।
  • शारीरिक दंड के किसी भी रूप का विरोध किया (Opposed any form of Corporal Punishment): स्वामी विवेकानंद स्कूलों में किसी भी प्रकार के शारीरिक दंड के सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि शारीरिक दंड छात्रों को अनुशासित करने का एक प्रभावी तरीका नहीं है और इससे शारीरिक और भावनात्मक नुकसान हो सकता है। इसके बजाय, उन्होंने अनुशासन के सकारात्मक रूपों की वकालत की जो अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित करने और नकारात्मक व्यवहार के परिणाम प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो सकारात्मक अनुशासन का अभ्यास करता है, वह छात्रों को प्रशंसा या विशेषाधिकारों के साथ अच्छे व्यवहार के लिए पुरस्कृत कर सकता है और विशेषाधिकारों या अतिरिक्त असाइनमेंट की हानि जैसे नकारात्मक व्यवहार के लिए परिणाम प्रदान कर सकता है।
  • आत्म-अनुशासन का महत्व (Importance of Self-Discipline): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि आत्म-अनुशासन व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आत्म-अनुशासन का अर्थ है किसी बाहरी प्रेरणा या दंड के बिना अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को नियंत्रित करने की क्षमता। आत्म-अनुशासन विकसित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और एक सार्थक जीवन जीने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, आत्म-अनुशासन रखने वाला व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित करेगा, उन्हें प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाएगा और बाधाओं या असफलताओं का सामना करने पर भी अपने लक्ष्यों की दिशा में लगातार काम करेगा।

कुल मिलाकर, अनुशासन पर स्वामी विवेकानंद के विचार आत्म-नियंत्रण और अनुशासन के सकारात्मक रूपों के विकास के महत्व पर जोर देते हैं। आत्म-अनुशासन और अनुशासन के सकारात्मक रूपों का अभ्यास करके, व्यक्ति व्यक्तिगत विकास, सफलता और आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकते हैं।

महिला शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के विचार

(swami vivekananda’s ideas on women’s education).

  • महिलाओं की स्थिति के लिए चिंता (Concern for Women’s Condition): स्वामी विवेकानंद समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति से बहुत दुखी थे। उन्होंने देखा कि महिलाओं को अक्सर प्रताड़ित किया जाता था, उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था और उन्हें शिक्षा और अन्य अवसरों तक पहुंच से वंचित कर दिया जाता था। उनका मानना था कि यह बहुत बड़ा अन्याय है और जब तक महिलाओं को सशक्त नहीं किया जाएगा तब तक समाज प्रगति नहीं कर सकता।
  • शिक्षा का महत्त्व (Importance of Education): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा महिलाओं की स्थिति में सुधार की कुंजी है। उन्होंने देखा कि निरक्षरता महिलाओं की समस्याओं का एक प्रमुख कारण थी और शिक्षा उन्हें अधिक आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनने के लिए सशक्त बना सकती थी। उन्होंने तर्क दिया कि महिलाओं की पुरुषों के समान शिक्षा तक पहुंच होनी चाहिए और उन्हें वे सभी विषय पढ़ाए जाने चाहिए जो उनके लिए उपयोगी हों।
  • समाज में महिलाओं की भूमिका (Women’s Role in Society): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और वे अपने समुदायों की प्रगति और विकास में योगदान दे सकती हैं। उन्होंने देखा कि महिलाएं नेता, शिक्षक और समाज सुधारक हो सकती हैं और वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने तर्क दिया कि समाज को महिलाओं की क्षमता को पहचानना चाहिए और उन्हें अपनी क्षमता को पूरा करने के लिए आवश्यक अवसर और संसाधन प्रदान करना चाहिए।

कुल मिलाकर, महिला शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के विचार शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनने के लिए आवश्यक अवसर और संसाधन प्रदान करने के महत्व पर जोर देते हैं। महिलाओं को शिक्षित करने और उनकी क्षमता को पहचानने से समाज प्रगति कर सकता है और अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत बन सकता है।

जन शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के विचार

(swami vivekananda’s ideas on mass education).

  • गरीब और निरक्षर के लिए चिंता (Concern for the Poor and Illiterate): स्वामी विवेकानंद भारत में कई लोगों की गरीब और अशिक्षित स्थितियों से बहुत दुखी थे। उनका मानना था कि शिक्षा उनके जीवन को बेहतर बनाने की कुंजी है और देश के प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
  • आर्थिक प्रगति के लिए शिक्षा का महत्व (Importance of Education for Economic Progress): स्वामी विवेकानंद ने देखा कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि एक शिक्षित आबादी राष्ट्र की वृद्धि और विकास में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान दे सकती है और शिक्षा के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को कम किया जा सकता है।
  • सार्वभौमिक शिक्षा पर जोर (Emphasis on Universal Education): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा सार्वभौमिक होनी चाहिए और जाति, लिंग या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना देश के प्रत्येक व्यक्ति तक इसकी पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने शिक्षा को लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण देने के साधन के रूप में देखा।
  • शिक्षा में सरकार की भूमिका (Role of Government in Education): स्वामी विवेकानंद का मानना था कि जन शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार को शिक्षा में निवेश करना चाहिए और ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक व्यक्ति की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो।

कुल मिलाकर, सामूहिक शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के विचार व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर देते हैं। उनका मानना था कि शिक्षा सार्वभौमिक और सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए और शिक्षा को बढ़ावा देने और इसकी पहुंच सुनिश्चित करने वाली नीतियां बनाने में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है।

Swami Vivekananda’s Contribution to Education

(स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान।).

महान भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वास्तविक जीवन के उदाहरणों के साथ उनके योगदानों का वर्णन और व्याख्या करने के लिए यहां कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  • वेदांत का व्यावहारिक रूप (The practical form of Vedanta): विवेकानंद ने वेदांत के प्राचीन भारतीय दर्शन को व्यावहारिक रूप दिया। उनका मानना था कि आध्यात्मिक शिक्षा व्यावहारिक वास्तविकता पर आधारित होनी चाहिए और दैनिक जीवन में सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर केंद्रित होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, उनका प्रसिद्ध उद्धरण “उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य पूरा न हो जाए” कार्रवाई के लिए एक व्यावहारिक आह्वान है जो व्यक्तियों को दृढ़ संकल्प और ध्यान के साथ अपने लक्ष्यों का पीछा करने के लिए प्रेरित करता है।
  • आध्यात्मिक और भौतिक दोनों जरूरतों को पूरा करने पर जोर (Emphasis on fulfilling both spiritual and material needs): विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तियों की आध्यात्मिक और भौतिक दोनों जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि आध्यात्मिक विकास की खोज भौतिक भलाई की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, उनकी शिक्षाओं ने आत्मनिर्भरता के महत्व और अपने और अपने परिवार का समर्थन करने के लिए व्यावहारिक कौशल के विकास पर जोर दिया।
  • सभी प्रकार के विषयों का अध्ययन (Study of all kinds of subjects): विवेकानंद ने आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के विषयों के अध्ययन पर जोर दिया। उनका मानना था कि एक संपूर्ण शिक्षा में न केवल पारंपरिक शैक्षणिक विषयों बल्कि व्यावहारिक कौशल और शारीरिक शिक्षा को भी शामिल किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्होंने छात्रों को अपने शरीर और शारीरिक व्यायाम और स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • शारीरिक शिक्षा पर विशेष जोर (Special emphasis on physical education): विवेकानंद का मानना था कि शारीरिक शिक्षा पूर्ण शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा है। उन्होंने शारीरिक व्यायाम के महत्व और शारीरिक शक्ति और धीरज के विकास पर जोर दिया। उदाहरण के लिए, उन्होंने अपने अनुयायियों के बीच शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में एक व्यायामशाला की स्थापना की।
  • प्राचीन और आधुनिक शिक्षा के बीच एकीकरण (Integration between ancient and modern education): विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा को प्राचीन और आधुनिक ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ को एकीकृत करना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान और ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्होंने गणित और भौतिकी जैसे आधुनिक वैज्ञानिक विषयों के साथ-साथ वेदों और उपनिषदों जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अध्ययन को प्रोत्साहित किया।
  • शिक्षा में संस्कृत की प्रमुखता (The prominence of Sanskrit in education): विवेकानंद ने शिक्षा में संस्कृत के महत्व पर बल दिया। उनका मानना था कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं बल्कि प्राचीन भारतीय ज्ञान और ज्ञान का स्रोत है। उदाहरण के लिए, उन्होंने संस्कृत और उसके साहित्य के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता में एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना की।
  • मानव सेवा पर जोर (Emphasis on human service): विवेकानंद ने शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में मानव सेवा के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि मानवता की सेवा करना भी होना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो एक सामाजिक और आध्यात्मिक संगठन है जो गरीबी और पीड़ा को कम करने के लिए काम करता है।
  • औद्योगिक शिक्षा पर जोर (Emphasis on industrial education): विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना होना चाहिए। उन्होंने औद्योगिक शिक्षा और व्यावहारिक कौशल के महत्व पर जोर दिया ताकि छात्रों को खुद का समर्थन करने और समाज में योगदान करने में सक्षम बनाया जा सके। उदाहरण के लिए, उन्होंने बढ़ईगीरी और बुनाई जैसे व्यावहारिक कौशल में युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बेलूर मठ में एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की।

Famous books written by Swami Vivekananda

(स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तकें).

यहाँ स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों की एक तालिका दी गई है, जिसमें प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

ये स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई कई पुस्तकों के कुछ उदाहरण हैं, जिनमें से प्रत्येक उन लोगों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और शिक्षा प्रदान करती है जो आध्यात्मिकता, दर्शन और आत्म-साक्षात्कार की अपनी समझ को गहरा करना चाहते हैं।

  • List of all Full Forms in Education for CTET DSSSB KVS etc.
  • List of All Pedagogy Initiatives In Hindi (PDF)
  • Education Philosophy of Tarabai Modak in Hindi (Pdf Notes)
  • Educational Philosophy of Mahatma Gandhi in Hindi PDF NOTES
  • Educational Philosophy Of Plato In Hindi Pdf Notes Download
  • Educational Philosophy of Jiddu Krishnamurti in Hindi (Pdf)

Download or Copy link

  • Print or Download (PDF)

Related Posts

Kothari-Commission-Notes-In-Hindi

Kothari Commission Notes In Hindi (PDF)

Bloom-Taxonomy-Notes-In-Hindi

Bloom Taxonomy Notes In Hindi (PDF)

Wood-Despatch-1854-Notes-In-Hindi

Wood Despatch 1854 Notes In Hindi (PDF)

Mudaliar-Commission-Notes-In-Hindi

Mudaliar Commission Notes In Hindi (मुदलियार शिक्षा आयोग)

Radhakrishnan-Commission-Notes-In-Hindi

Radhakrishnan Commission Notes in Hindi

Yashpal-Committee-Report-Notes-in-Hindi

Yashpal Committee Report Notes in Hindi (1992 – 1993)

Leave a comment cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

We will keep fighting for all libraries - stand with us!

Internet Archive Audio

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • This Just In
  • Grateful Dead
  • Old Time Radio
  • 78 RPMs and Cylinder Recordings
  • Audio Books & Poetry
  • Computers, Technology and Science
  • Music, Arts & Culture
  • News & Public Affairs
  • Spirituality & Religion
  • Radio News Archive

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • Flickr Commons
  • Occupy Wall Street Flickr
  • NASA Images
  • Solar System Collection
  • Ames Research Center

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • All Software
  • Old School Emulation
  • MS-DOS Games
  • Historical Software
  • Classic PC Games
  • Software Library
  • Kodi Archive and Support File
  • Vintage Software
  • CD-ROM Software
  • CD-ROM Software Library
  • Software Sites
  • Tucows Software Library
  • Shareware CD-ROMs
  • Software Capsules Compilation
  • CD-ROM Images
  • ZX Spectrum
  • DOOM Level CD

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • Smithsonian Libraries
  • FEDLINK (US)
  • Lincoln Collection
  • American Libraries
  • Canadian Libraries
  • Universal Library
  • Project Gutenberg
  • Children's Library
  • Biodiversity Heritage Library
  • Books by Language
  • Additional Collections

biography of swami vivekananda in hindi pdf

  • Prelinger Archives
  • Democracy Now!
  • Occupy Wall Street
  • TV NSA Clip Library
  • Animation & Cartoons
  • Arts & Music
  • Computers & Technology
  • Cultural & Academic Films
  • Ephemeral Films
  • Sports Videos
  • Videogame Videos
  • Youth Media

Search the history of over 866 billion web pages on the Internet.

Mobile Apps

  • Wayback Machine (iOS)
  • Wayback Machine (Android)

Browser Extensions

Archive-it subscription.

  • Explore the Collections
  • Build Collections

Save Page Now

Capture a web page as it appears now for use as a trusted citation in the future.

Please enter a valid web address

  • Donate Donate icon An illustration of a heart shape

Vivekananda: A Biography

Bookreader item preview, share or embed this item, flag this item for.

  • Graphic Violence
  • Explicit Sexual Content
  • Hate Speech
  • Misinformation/Disinformation
  • Marketing/Phishing/Advertising
  • Misleading/Inaccurate/Missing Metadata

plus-circle Add Review comment Reviews

Download options, in collections.

Uploaded by vivekavani on January 17, 2021

SIMILAR ITEMS (based on metadata)

IMAGES

  1. Swami Vivekananda Biography

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

  2. Essay on swami vivekananda in hindi, article, paragraph: स्वामी विवेकानंद पर निबंध, लेख, जानकारी

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

  3. Swami Vivekananda's Biography book pdf in Hindi download

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

  4. Short Biography of Swami Vivekananda

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

  5. 😂 Swami vivekananda biography in hindi. Swami vivekananda Biography Detail स्वामी विवेकानंद का

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

  6. स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय

    biography of swami vivekananda in hindi pdf

VIDEO

  1. स्वामी विवेकानंद के जीवन, शिक्षा और दर्शन: प्रेरणा का स्रोत

  2. Swami Vivekanand biography in Hindi स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी #swamivivekananda #swami #shorts

  3. Biography of Famous People

  4. आत्मा, स्वामी विवेकानंद हिंदी, spiritual talks,Swami vivekananda hindi

  5. Swami Vivekananda: The Early Years"

  6. स्वामी विवेकानंद

COMMENTS

  1. स्वामी विवेकानन्द

    Speeches and writings of Swami Vivekananda; a comprehensive collection; Complete Works: a collection of his writings, lectures and discourses in a set of nine volumes (ninth volume will be published soon)

  2. [PDF] Swami Vivekananda Biography in Hindi PDF (Free Download)

    More : Download Hindi Books of Vivekananda (PDF) जो लोग कहा करते हैं कि हमारे प्रति लोग श्रद्धा नहीं करते, हमें प्रेम तथा स्नेह नहीं देते, वे बेईमान हैं, क्योंकि ...

  3. पुस्तक का विवरण

    Vivekanand Ki Atmakatha Pdf, Vivekanand Ki Atmakatha Pdf download, Vivekanand Ki Atmakatha book Pdf, Swami Vivekanand Biography in hindi Pdf, Swami Vivekanand Biography in hindi Pdf Free download, Swami Vivekanand Autobiography in hindi Pdf, Vivekanand Ki Jeevani Pdf. Sannyaasee Ka Janm Bahujan Hitaay, Bahujan Sukhaay Ke Lie Hota Hai.

  4. स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi

    इस लेख में आप स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda Biography in Hindi पढ़ेंगे। जिसमें आप उनका जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, महान कार्य तथा मृत्यु के ...

  5. ध्यान (स्वामी विवेकानंद) : स्वामी विवेकानंद : Free Download, Borrow

    ध्यान, Meditation, Swami Vivekanand, ... Collection booksbylanguage_hindi; booksbylanguage Language Hindi. ध्यान से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ ... Pdf_module_version 0.0.23 Ppi 600 Scanner ...

  6. स्वामी विवेकानंद जीवनी फ्री PDF

    Swami Vivekananda Biography Hindi Pdf में स्वामी विवेकानंद जी की जीवन की सिख और घटनाओं का संग्रह हैं.svami vivekanand Biography pdf में आपको अपने जीवन की सच्चाईयो और अपने ...

  7. Swami Vivekananda biography in Hindi PDF{स्वामी विवेकानन्द की जीवनी

    इस लेख Swami Vivekananda biography in Hindi के माध्यम से स्वामी विवेकानंद के जन्म, शिक्षा, मृत्यु , स्वामी वेवकानद जी का भ्रमण, स्वामी विवेकानन्द की श्री रामकृष्ण परमहंस से ...

  8. स्वामी विवेकानंद जी की सम्पूर्ण जीवनी, Swami Vivekananda jivani

    स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय - Swami Vivekananda biography in Hindi. स्वामी विवेकानंद जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है, उनकी स्मरण शक्ति और दृढ़ प्रतिज्ञा बेजोड़ है। बचपन ...

  9. स्वामी विवेकानंद जीवनी

    स्वामी विवेकानंद जीवनी - Biography of Swami Vivekananda in Hindi Jivani. Published By : Jivani.org. नाम : नरेन्द्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद)।. जन्म : १२ जनवरी १८६३. मृत्यु : ४ जुलाई ...

  10. स्वामी विवेकानंद की जीवनी ~ Biography Of Swami Vivekananda In Hindi

    Swami Vivekananda Biography In Hindi,All Information About Swami Vivekananda In Hindi Language With Life History, स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय,Biography Of Swami Vivekananda In Hindi. जन्म. नरेंद्रनाथ दत्त 12 जनवरी 1863कलकत्ता ...

  11. Vivekananda :A Biography : Swami Nikhilananda

    Vivekananda :A Biography by Swami Nikhilananda. Publication date 1953 Topics Hind Swaraj, Swarmi Vivekanada Publisher Ramakrishna-Vivekanada Center of New York Collection ... PDF download. download 1 file . SINGLE PAGE ORIGINAL JP2 TAR download. download 1 file ...

  12. भारतीय विचारक: स्वामी विवेकानंद (1863-1902)

    स्वामी विवेकानंद के दर्शन की मूल बातें-. विवेकानंद का विचार है कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, जो उनके गुरु श्री रामकृष्ण ...

  13. Swami vivekananda biography in hindi

    स्वामी विवेकानंद की जीवनी के बारे में अज्ञात तथ्य (Unknown Facts About Swami vivekananda biography in hindi) स्वामी विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था ...

  14. भारत के महान फिलॉस्फर स्वामी विवेकानंद की जीवनी

    Swami Vivekananda Biography in Hindi, swami vivekanand ki jivani, swami vivekananda information in hindi, swami vivekananda history in hindi, swami vivekananda life story in hindi, Age, height, weight, birth, family, education, career. भारत के सबसे महान तेजस्वी प्रतिभा वाले ...

  15. स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

    Swami Vivekananda Biography in Hindi-स्वामी विवेकानन्द एक ऐसा नाम है जिसे किसी भी प्रकार के परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं जिन्होने पश्चिमी ...

  16. Swami Vivekananda Biography in Hindi

    Swami Vivekananda Age, Guru, Education and Family . स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863, मकर संक्रांति के दिन बंगाल में हुआ था। इनके माता पिता ने बचपन में इनका नाम नरेंद्रनाथ (Narendranath) रखा ...

  17. [PDF] All Swami Vivekananda Books PDF in Hindi (Download Free)

    ईशदूत ईसा. धर्मतत्त्व. शिक्षा. राजयोग. मरणोत्तर जीवन. अपनी कहै मेरी सुनै : व्यावहारिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में समन्वय की ...

  18. Vivekananda A Biography by Swami Nikhilananda.pdf

    indebtedness to Swami Vivekananda. The Swami's mission was both national and international. A lover of mankind, he strove to promote peace and human brotherhood on the spiritual foundation of the Vedantic Oneness of existence. A mystic of the highest order, Vivekananda had a direct and intuitive experience of Reality. He derived his ideas from that

  19. PDF Swami Vivekananda

    Swami Vivekananda once spoke of himself as a 'condensed India.' His life and teachings are of inestimable value to the West for an understanding of the mind of Asia. William James, the Harvard philosopher, called the Swami the 'paragon of Vedantists.' Max Müller and Paul Deussen, the famous Orientalists of the nineteenth

  20. Swami Vivekananda

    He was a key figure in the late 19th and early 20th-century Indian renaissance and the broader global spread of Indian spirituality and philosophy. Here are some key aspects of Swami Vivekananda's life and contributions: Early Life: Swami Vivekananda was born as Narendranath Datta in Kolkata, India, on January 12, 1863.

  21. PDF Published by Vivekananda International Foundation © Vivekananda

    May 31, 1893, Vivekananda set sail for America from Bombay. The ship sailed via China and Japan, and in July reached Vancouver, from where the Swami travelled to Chicago. Vivekananda gave his first lecture at the Parliament of Religions in Chicago on the inaugural day, September 11, 1893. He was an instant success at the Parliament, given his

  22. Educational Philosophy Of Swami Vivekananda In Hindi (PDF)

    A collection of Swami Vivekananda's writings and speeches, covering a wide range of topics including religion, spirituality, philosophy, and social issues. A collection of lectures given by Swami Vivekananda during his travels in India and abroad, covering topics such as Vedanta, Hinduism, and spirituality. A collection of informal talks ...

  23. Vivekananda: A Biography : Swami Nikhilananda

    In the list of biographies of Swami Vivekananda published by us, we have one which extensively narrates his life, and also one which presents him very briefly. The present book stands midway between these extremes. Herein the readers will find his life described in a short compass, without sacrificing the essential details.