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Problem Solving Skills: क्या है प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल, कैसे सीखें, नहीं होगी जॉब की कमी

Problem solving skills for students: आज हम आपको बताएंगे कि अपनी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को कैसे निखारे।.

  • प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल क्या है?
  • करियर ग्रोथ के लिए ये स्किल्स जरूरी क्यों हैं?
  • यहां जानें कैसे इंप्रूव करें प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स

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Soft Skill क्या होती है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

सॉफ्ट स्किल्स क्या होती है

जब भी आप जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाते है तब आपकी सॉफ्ट स्किल्स को देखा जाता है और जो इंटरव्यू लेता है वो आपकी सॉफ्ट स्किल्स को परखता भी है की आपकी सॉफ्ट स्किल्स कैसी है। आप कोई भी नौकरी की तालाश कर रहे हो इस से कोई फर्क नही पड़ता इसकी जरूरत हर जगह होगी। 

कई लोगो को ये पता नही होता सॉफ्ट स्किल्स कितने प्रकार की होतीं है और नौकरी के लिए कौन सी सॉफ्ट स्किल्स ज्यादा महत्वपूर्ण है जिन्हे सीखकर नौकरी पा सके और आगे बढ़ सके। आज के लेख में हम आपको सॉफ्ट स्किल्स क्या होती है? के बारे में पूरी जानकारी देंगे। लेख को अंत तक पढ़े जिस से आपको सॉफ्ट स्किल को सीखने और समझने में कोई परेशानी ना हो।

Table of Contents

सॉफ्ट स्किल्स क्या होती है? What are Soft Skills in Hindi?

सॉफ्ट स्किल्स से आपकी पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव पड़ता है। सॉफ्ट स्किल्स नॉन टेक्निकल स्किल होती है जिसका इस्तेमाल आप रोजाना अपनी लाइफ में करते हैं। सॉफ्ट स्किल्स के अंदर लोगो के साथ अच्छे से बात चीत करना, टाईम को सही से मैनेज करना, समस्या का समाधान करना, सही निर्णय लेना, भावनात्मक विचार, सही से टीम वर्क करना, आदि स्किल्स सॉफ्ट स्किल्स के अंदर आती है।

कंपनियों को ऐसे व्यक्तियों की तलाश रहती है जिनके पास अच्छी सॉफ्ट स्किल्स होती है ऐसे व्यक्तियों को आसानी से नौकरी मिल जाती है। 

सॉफ्ट स्किल के प्रकार : Types of Soft Skills Hindi 

  • Decision Making Skills
  • Self Management Skills 
  • Personal Development Skills 
  • Communication Skills

महत्वपूर्ण सॉफ्ट स्किल्स : Soft Skills in Hindi 

Personality Development Skills :

बॉडी लैंग्वेज को बेहतर करके पर्सनालिटी डेवलपमेंट स्किल्स को बेहतर किया जा सकता है बॉडी लैंग्वेज को सही करने के लिए इन बातो का ध्यान रखें – लोगो से बात करते वक्त आई कॉन्टैक्ट बना कर रखें, अपने चलने बैठने उठने के तरीके को सही करें, परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेना, चेहरे के हाव भाव,

सॉफ्ट स्किल्स क्या होती है

Communication Skills :

जो जॉब तो कर रहे है लेकिन उनकी कम्यूनिकेशन स्किल अच्छी नही है इसी वजह से उनको सफलता नही मिल रही है और कुछ ऐसे भी होंगे जिनकी ये स्किल अच्छी नही है इस वजह से उनको जॉब ही नही मिल रही है।

धीमी या जोर से चिल्लाना, बात करते वक्त आपका आत्मविश्वास कैसा है, शब्दो को सही और स्पष्ट कहना, ये सभी कम्यूनिकेशन स्किल्स के अंतर्गत आता है ये बहुत ही महत्वपूर्ण स्किल मानी जाती है इसलिए अपनी सॉफ्ट स्किल्स को बेहतर करने के लिए Communication Skills को बेहतर करें।

Time Management Skills :

चाहे कोई व्यक्ति गरीब हो या अमीर समय सभी के लिए बराबर है बिता हुए समय कभी वापस लौट कर नहीं आता इसलिए समय को व्यर्थ ना जाने दे इसका सही उपयोग करना सीखें।

जो व्यक्ति समय का सही उपयोग करते है वो आवश्य ही जीवन में सफल हो जाते हैं और जो नही करते वो असफल। टाईम मैनेजमेंट स्किल्स में आप समय पर कार्य की प्लानिंग करना कौन सा कार्य किस और कितने समय पर करना है और अपने कार्यों को तय समय सीमा पर करना सीखते हैं। 

Leadership Skills :

कंपनियों में भी अच्छे लीडरशिप वाले व्यक्तियों की मांग रहती है। अच्छे लीडरशिप के लिए आपके पास ये खासियत होनी चाहिए जैसे अपनी जिम्मेदारियों को समझना, कर्मचारियों को नियंत्रण करना, समस्या को समझना और उनका हल निकालना, सही निर्णय लेना आदि।

सॉफ्ट स्किल्स क्या होती है

Teamwork Skills :

टीम वर्क में टीम में साथ मिलकर काम करना, टीम से काम करवाना, उनकी समस्याओं को सुनना, उनकी सहायता करना, टीम मेंबर्स को काम के बारे में जानकारी देना, आदि आता है। टीम वर्क की सबसे ज्यादा आवश्यकता तब पड़ती है जब किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम करना होता है। 

Problem Solving Skills :

जीवन में मुश्किलें हर किसी को आती ही है चाहे आप नौकरी कर रहे हो या अपना व्यवसाय या आपका निजी जीवन हो कभी न कभी मुश्किल आई ही होगी। बहुत से लोगो में कठिनाई का सामना करने का साहस होता है वो लोग आसानी से सफल हो जाते है जो लोग कठिनाई का सामना नही कर पाते उन्हे सफलता प्राप्त करने में भी कठिनाई आती है।

यह लेख भी पढ़े   : Computer Skills क्या है हिंदी में जानकारी।

आज के लेख में हमने सॉफ्ट स्किल्स क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है, सॉफ्ट स्किल्स के प्रकार, के बारे में जाना। महत्वपूर्ण सॉफ्ट स्किल्स कौन सी है उनके बारे में भी जानकारी दी जिनको इंप्रूव कर के आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

आज का लेख आपको कैसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताएं और अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप बे झिझक हमसे पूछ सकते हैं। ऐसी ही और स्किल्स की जानकारी लेने के लिए ब्लॉग के साथ जुड़े रहिए और सोशल मीडिया पर फॉलो आवश्य करें। धन्यवाद ।

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Improve Soft Skills in Hindi – 10 effective Tips

Improve Soft Skills

Soft Skills vo skills hoti hai jo relate karti hai apko aapke kaam se. Yeh batati hai ki aap dusro se kaise baat karte hai, problems kaise solve karte hai aur apna kaam kaise manage karte hai. Soft skill ek bahut important factor hota hai jis par apki success depend karti hai. Isilye padhe soft skills tips ki list and improve kare soft skills in Hindi.

Apki degree or academics bhi zaroori hai but soft skills growth ke liye sabse zyada zaroori hai. Isliye iss article me mentioned kuch best soft skills tips ki list ka use kare or improve kare apni soft skills hindi me.

Soft Skills Improve Karna Kyun Zaruri Hai: Improve Soft Skills in Hindi

Soft skills har field me success ke liye zaroori hai, ab aap chahe job karte ho ya businessman ho ya kuch bhi ho, sirf degree se apko wo success, wo growth nahi milegi jo aap chahte ho. Asli growth apko soft skills se hi milegi.

hum kaafi baar dekhte hai or sunte hai unn scholars or topper students ke baare me, jo bahut hi ache hote hai padhai me. Iske alawa jo average students hote hai, jo padhai me itne ache nahi hote hai, unko koi mention nahi karta.

Lekin yeh bahut baar dekhne ko milta hai ki kabhi kabhi kuch jo topper students hote hai, unka bahut baar interviews me selection nahi hota or average students ka ho jata hai. Iska sabse bada or main reason hai soft skills.

Kabhi kabhi kuch topper students padhai me itna concentrate kar lete hai ki wo baaki factors bhul jaate hai. Interview me technical knowledge ke alawa aap ko baat karte bhi aani chahiye ache se. Or kabhi kabhi Average log iska fayda utha lete hai. 

Average students ko basic padhai ka knowledge hone ke alawa dusro se baat kaise karni hai, unko convince kaise karna hai, dusro ko samjhana kaise hai, iska bhi knowledge hota hai or kuch topper students ko yeh sab nhi aata. Isiliye kabhi kabhi humko sunne me aata hai ki average students interview me top kar lete hai.

Another Example:

Agar 2 employees jinke qualifications same hai or same post par kaam kar rahe hai company me. Sirf difference itna hai ki ek ko technical knowledge bahut zyada hai but soft skills nahi aati or dusre ko technical knowledge hai basic but soft skills achi hai. 

Toh obviously promotion uska hoga jiski soft skills achi hai because wo ek team player hoga, wo galti hone par kabhi kisiko chillayega nahi, balki unhe samjhaege. Wo apne juniors ko ache se treat karega rather uss employee se jiske pass soft skills nahi hai.

Isliye soft skills ek bahut hi important factor hai kahi bhi kisi bhi field me growth ke liye. Isliye improve kare apni soft skills inn best soft skills tips ki list ke sath or banaye apni professional or personal life ko successful.

Apni Personality ko improve karne ke liye yahan click kare.

Soft Skill Tips ki List: How to Improve Soft Skills in Hindi

Soft skills improve karne ke bahut saare benefits hai. Isse aapke relations bhi ache hote hai coworkers ke sath or apka career bhi develop hota hai. Inn kuch mentioned steps ka use kare or seekhe best soft skills iss list se.

1. Sabse Ache Se Baat Kare

Yeh soft skills improve karne ke liye sabse important or matter karne wali step hai. Baaki steps bhi iss par hi depend karti hai. Yeh mainly aapki baat karne ke tarike par depend karti hai. Isliye soft skill ko improve kare or sabko impress kare.

Logo se milte hi sabse pehle unhe greetings de. Nice to meet you, Thank you, jaise phrases ka use kare. Rude behave na kare. Interestingly question and answer puche or ek fruitful conversation kare. Baat ko dhyan se sune or jawab de. Dekhe effective tips to improve public speaking in Hindi .

Sabe clamly baat kare or improve kare apni soft skills in hindi

Achi communication skills hone se pata chalta hai ki aap apni baat kaise rakhte hai dusro ke samne. Aap dusro ko kaise samjhate hai, unko kaise convince karte hai, yeh sab apki communication par depend karta hai. Yeh wo point hai jisse aap dusro par sabse zyada impact daal sakte hai or unko impress kar sakte hai. 

2. Leadership roles choose kare

Yeh ek wo soft skill improve karne ka benefit hai jisse aap ek acha team management kar sakte hai. Yeh benefit aapko tab kaam aayega jab apko koi team manage karna hoga. Isme apka confident hona bahut zaroori hai or dusre jo under confident members hai unko confidence dena bhi apki hi responsibility hoti hai. 

Isliye improve kare soft skills in hindi, jisse aap logo ka vishwas jeet sakte hai. Isse wo aapki baat bhi sunege or apko support bhi karege team work ke liye. Isliye kabhi bhi koi bhi type ka leadership role milne ki opportunity miss na kare.

problem solving kya hota hai

Leadership skills se aap me wo quality hoti hai jisse aap logo ko ek saath le kar chalte hai or sabko jod kar rakhte hai. Isse ek better team ready hoti hai or bahut growth hoti hai.

Try Effective leader kaise bane .

3. Problem ko ache se handle kare – Important soft skill in Hindi

Yeh soft skill ka difficult but effective benefit hai. Yeh wo skill hai jisse kisi bhi problem ko apni understanding ke according samajh kar solve kar sakte hai. 

Problem solving ek vo skill hai jo harr jagah kaam aa sakti hai – apki professional life ho ya personal life. 

Ek problem ko solve karne ke liye sabse important hai calm rehna yaani ki shant rehna. Kayi log aksar problem aane par apna santulan kho baithte hai aur fir galat steps le lete hai. Isliye shaant rehna important hai. Fir aap us problem ko solve karne ke tarike dundh sakte hai aur ye dekh sakte hai ki konsa tarika sabse achha work karega. 

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Iske liye aap online dekh kar seekh sakte hai ki kaise particular type ki situation handle ki jaati hai. Apke seniors aur juniors ko dekh kar bhi aap seekh sakte hai ki vo problems ko kaise handle kar rahe hai. Dusro ki help se bhi aap iss problem solving skill ko build kar sakte hai.

Directly point to point straight forward answer se bahut baar baat bigad jaati hai. Kab kisse kaise baat karke problem solve karni hai yeh seekhne ko milta hai problem solving skills se, jo ek aur bahut bada benefit hota hai soft skill improve karne ka.

4. Time ko Ache se Manage Kare

Yeh to sabki life ki tension hai ki kaam bahut saara hai but time bahut kum. Or jo iss problem se jeet jaata hai wo successful ban jaata hai. Iska solution hai time management skills seekhna. 

Try Top 10 Time Management Tips .

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Iske liye aap apne time ko analyze kare, ek plan banaye aur apne kaam ko priortize kare. Zyada time tak ek hi kaam mat karte rahiye, breaks lete rahe. Inn sabse aapki productivity badhegi or aap ache se time manage kar payenge, isliye improve kare soft skills in hindi.

Jisne yeh skill seekhli  hai wo time ke power ko jaanta hai, harr kaam time par or sahi time par karna wo jaanta hai. Ab bhalaye aap ek ache leader ho ya aapki communication skils achi ho, agar apki time management skills ache nhi hai to aap ekdum incomplete hai isliye time management skill bhi ek soft skill hi hai.  

5. Communicate karne ke tarike dhundhe

Achhi Communication Skills hone soft skills ki list mai kaafi importance rakhta hai. Ho sakta hai apke pass kaam ho aisa jisme apko kisi ki zarurat na lage, but fir bhi dusro se communicate karni ka mauka dhundna chahiye. Isse aap apne aas pass walo se relationship maintain kar payenge. Isse aap apni soft skill develop kar sakte hai.

Janiye ki apna self-introduction kaise de is link ko click karke.

Ab communication various types ke ho sakte hai, jese face-to-face, email ya presentation. Isliye aapko sab type ke communications aane chahiye, isse aapke soft skills or zyada improve hojaege.

problem solving kya hota hai

Jab aap communicate karte hai, toh aap ko yeh dhyan rakhna padega ki aap dusro ko address kaise kar rahe hai, aapka message kitna clear or precise hai, apki body language kesi hai or apki voice tone kaisi hai. 

Iske alawa aap dusro se feedback bhi le sakte hai ki aap kis tarah improve kar sakte hai. Seekhne me kabhi peeche nahi rehna chahiye, humesha seekhte rehna chahiye dusro se, isse apki bahut growth hogi.

6. Dusro Ko Observe Kare – Easiest Soft Skills in Hindi

Ek sabse easy or effective tarika hai improve karne ka soft skills ko, dusro ko observe karna. Iska matlab hai dusro par attention dena. Agar apka koi ideal presentation de raha hai, toh unko observe kare, unki body language, unke expressions, unke use kiye hue phrases, unka baat karne ka tarika, yeh sab observe kare.

Ab jab aap unko observe kare uske baad mirror me dekh kar continuous practise bhi kare. Isse apka confidence badhega or apko pata chalega ki apki body language or expressions kaise hai or unhe kaise improve karna hai. 

Try Body Language kaise sudhare – Important tips .

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Iske alawa aap observe kar sakte hai ki wo log task kaise complete karte hai, dusro kaise interact karte hai, unke khudki thought process kaise work karti hai, inn sabko jaan kar or inki practise karke bhi aap apni soft skills improve kar sakte hai. 

Iss sab me sabse zaroori hai apki icha dusro se chize seekhne ki, isliye humesha dusro se improve karne ke liye aur seekhne ke liye ready rahe kyuki har individual ke pass ek alag set hot hai unke soft skills ka, aur apko pata nahi hai kaunsa apko best suit karega, isliye humesha sabse seekhte rahe or growth paate rahe.

7. Apna Network Badhaye

Jab aap ek achi team ke saath hote hai toh aapka behaviour bhi change hota hai. Apki thinking or body language par bhi kafi impact padhta hai. Isliye apna group humesha acha rakhe or seekhte rahe unse.

Agar aap leader hai to one-to-one conversation kare, or harr member ko mauka de kuch contribute karne ka. Isse aap khudko or nayi opportunities ke liye ready kar payenge or apka network bhi badhega. Padhe kaise personality develop kare – Hindi me .

Apna network badhaye or impress kare sabko apni soft skills se

Iske liye aap linkedIn jaisi sites par account bana kar same industry ya interest wale logo ko search karke apna network expand kar sakte hai. Apni company me bhi logo se zyada mile or unse communicate karne ke tarike dhunde.

8. Relationships build kare

Personal aur professional relationship build karna aur maintain karna ek art hai jo sabko nhi aata. [Professionally, aap apne juniors or seniors dono ke saath healthy or positive relations bana kar rakhe. Kisi ki kuch bhi mistake hone par hone unko clamly samjhaye or situation control kare. Sabse respect ke saath baat kare chahe wo junior ho ya senior. 

Apne coworkers ke saath kabhi kabhi genuine conversations bhi kare, unki personal life ke baare me bhi jaane or unki zarurat ke hisaab se unhe help kare. Weekends par unke sath non-professional parties plan kare ya sirf office ke bahar hi milne ka plan banaye.

problem solving kya hota hai

Yeh sab karne se aap dusro ki life me kaafi impact daalege or improve bhi kar payege apni soft skills. Isse log apko zyada yaad rakhege or aap par trust bhi karege professional aur personal decisions ko lekar.

9. Humesha Seekhne ke liye Ready Rahe

Ab jab bhi aap koi nayi skill seekhte hai toh apko fail hone ke liye bhi ready rehna chahiye, kyuki zaroori nahi aapko har baar har kaam me success hi milegi. Apko failures ko bhi face karna padh sakta hai. 

But chahe aap fail ho ya pass, apko main focus karna chahiye chiz seekhne ke liye. Success ya failure se zyada important hai learn karna. Isliye bas sikhte rahe or aage badhte rahe.

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Example: Agar aap kisi project ke incharge hai or aap leadership skills par work kar rahe hai, toh project ke complete hone par, ek feedback le apni leadership skills ke liye or next time project kaise improve ho sakta hai. 

Jo experienced log hote hai wo aur acha feedback de sakte hai apne previous projects se. Infact, fresher’s se bhi feedback lena chahiye kyuki aap me sab log alag alag chize observe karta hai to growth ke chance or badh jaate hai.

10. Apne Comfort Zone se Bahar Nikale

Agar aapko kuch bhi seekhna hai to sabse important hai apne comfort zone se bahar nikalna or kuch naya try karna. Ab yeh kuch try karna koi ek nayi setting bhi ho sakti hai ya koi nayi responsibility bhi ho sakti hai.

Apko agar public speaking, matlab public ke samne kuch present karne me hesitation hota hai, toh aap apne group ko represent karne ki responsibility lele. Unke sare presentations aap hi dege, essa sochle. Isse aapki public speaking improve hojaegi or aap ek nayi skill seekh jayenge. 

Comfort zone se nikle or improve kare apni soft skills.

Apne aap ko ek naye environment me rakh kar kaam karne me ek wo potential hota hai jo apke manager ko dikha sakta hai ki aap apne kaam ko lekar kitna serious hai or aap ko opportunity dega kuch naaya aur acha seekhne ke liye aur improve karne ke liye.  

Iss article ko padhne ke baad or inme se kuch hi cheezien implement karne par apko lagega ki apne improve kari hai apni soft skills. Isse apki personality bhi improve hogi or aap dusro par acha impact bhi daalenge, jisse log aapko yaad rakhege. Isiliye yeh hai kuch best soft skills jo apki growth me aapki help karegi. Isliye improve kare apni soft skills in hindi, kuch best soft skills tips ki list ke sath or banaye apni professional or personal life ko successful.

Dekhe 11 Habits to be successful in Hindi .

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समस्या समाधान विधि क्या है,अर्थ एवं परिभाषा,सोपान तथा सीमाएँ | Problem Solving method in Hindi

इसमें पोस्ट में समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method), समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा(Meaning & Definition of Problem Solving), समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving), समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation), समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान  (Model of Problem Solving Teaching), समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना, समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं,समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, आदि को पढेगें।

Table of Contents

विभिन्न पद्धतियों पर आधारित पाठ-योजना(Lesson Planning Based on Various Methods)

शिक्षण तकनीकी में तीव्र गति से हए विकास के फलस्वरूप शिक्षण हेतु शिक्षा न विभिन्न नवीनतम पद्धतियों का आविष्कार किया ताकि छात्रों में नवीन चनौति सामना करने हेतु मौलिक चिन्तन का विकास किया जा सके। बहुत लम्बे समय तक हरबर्ट की पंचपदी का प्रचलन शिक्षण हेतु मुख्य रूप से किया जाता रहा, लेकिन आज हरबाट पंचपदी के साथ-साथ विशिष्ट शिक्षण के प्रयोजनार्थ विशिष्ट शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाने लगा है। शिक्षण की कुछ नवीनतम पद्धतियों का वर्णन पाठ-योजना सहित यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।

समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method)

मानव जीवन में समय-समय पर अनेकानेक समस्याएँ आती रहती हैं और इनके परिणामस्वरूप मानव में तनाव, द्वन्द्व, संघर्ष, विफलता, निराशा जैसी प्रवृत्तियाँ जन्म लेती हैं जिनके कारण वह अपने जीवन से विमुख होने का प्रयत्न करता है। ऐसी परिस्थितियों से बचाने के लिए अच्छा शिक्षक छात्रों को प्रारम्भ से ही समस्या समाधान विधि से शिक्षण देकर छात्रों में तर्क एवं निर्णय के द्वारा किसी भी समस्या को सुलझाने की क्षमता का विकास करता है।

समस्या समाधान एक जटिल व्यवहार है। इस व्यवहार में अनेक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियायें सम्मिलित रहती हैं। छात्र के समक्ष ऐसी समस्यात्मक परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती हैं जिनमें वह स्वयं चिन्तन, तर्क तथा निरीक्षण के माध्यम से समस्या का हल ढूंढ़ सके। सुकरात ने भी आध्यात्मिक संवादों में इसका प्रयोग किया था। समस्या समाधान सार्थक ज्ञान को प्रदर्शित करता है, इसमें मौलिक चिन्तन निहित होता है। इसके लिए शिक्षण की व्यवस्था चिन्तन स्तर पर की जाती है।

                                

समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Problem Solving)

समस्या समाधान एक ऐसी शैक्षिक प्रणाली है जिसके द्वारा शिक्षक तथा छात्र किसी महत्त्वपूर्ण शैक्षिक कठिनाई के समाधान अथवा निवारण हेतु प्रयत्न करते हैं तथा छात्र स्वयं सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।

1. थॉमस एम. रिस्क-“समस्या समाधान किसी कठिनाई या जटिलता का एक पूर्ण सन्तोषजनक हल प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया नियोजित कार्य है। इसमें मात्र तथ्यों का संग्रह करना या किसी अधिकृत विद्वान के विचारों की तर्करहित स्वीकृति निहित नहीं है, वरन् यह विचारशील चिन्तन की प्रक्रिया है।”

2 रॉबर्टगेने-“दो या दो से अधिक सीखे गये प्रत्यय या अधिनियमों को एक उच्च स्तरीय अधिनियम के रूप में विकसित किया जाता है, उसे समस्या समाधान अधिगम कहते हैं।”

समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving)

बॉसिंग ने समस्या समाधान प्रविधि के निम्नलिखित सोपान बताये हैं :

(अ) कठिनाई या समस्या की अभिस्वीकृति,

(ब) कठिनाई की समस्या के रूप में व्याख्या,

(स) समस्या समाधान के लिए कार्य करना

(i) तथ्यों का संग्रह करना,

(ii) तथ्यों का संगठन करना,

(iii) तथ्यों का विश्लेषण करना।

(द) निष्कर्ष निकालना,

(य) निष्कर्षों को प्रयोग में लाना ।

समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation)

बोर्न (1971) ने ‘उस स्थिति को समस्यात्मक स्थिति कहा है जिसमें व्यक्ति किसी लक्ष्य तक पहुँचने की चेष्टा करता है, किन्तु प्रारम्भिक प्रयासों में लक्ष्य तक पहुँचने में असफल रहता है। इस स्थिति में उसे दो या दो से अधिक अनुक्रियायें करनी होती हैं जिनके लिए उसे प्रभावशाली उद्दीपक संकेत प्राप्त होते हैं।’

जॉन्सन (1972) ने समस्यात्मक स्थिति में प्राणी के व्यवहार का विश्लेषण करते हुए कहा:

1. प्राणी का व्यवहार लक्ष्योन्मुख होता है।

2. लक्ष्य की प्राप्ति पर अनुक्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं।

3. समस्या समाधान हेतु विविध अनुक्रियाएँ की जाती हैं।

4. व्यक्तियों की अनुक्रियाओं में विभिन्नता होती है।

5. पहली बार समस्या समाधान में अधिक समय लगता है।

6. इससे सिद्ध होता है कि जीव में मध्यस्थ अनुक्रियायें होती हैं।

इस समस्यात्मक परिस्थिति का कक्षा शिक्षण में प्रयोग करते समय समस्या का चयन बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए, जैसे :

1. समस्या जीवन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथा सार्थक हो,

2. यह छात्रों को स्वतः चिन्तन हेतु प्रेरित करे,

3. छात्रों की अवस्था तथा स्तर के अनुरूप हो,

4. समस्या किसी निश्चित विषयवस्तु तथा लक्ष्य से सम्बन्धित हो,

5. यह स्पष्ट तथा बोधगम्य हो।

समस्या समाधान शिक्षण के सोपान (Steps of Problem Solving Teaching)

जेम्स एम. ली (James M. Lee) ने समस्या समाधान शिक्षण के निम्नलिखित सोपान बताये हैं:

1. समस्या का चयन करना- समस्या का चयन करते समय उपर्युक्त वर्णित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।

2. यह समस्या क्यों है?- समस्या चयन क बाद समस्या की प्रकृति को छात्रों द्वारा सक्षमता से जाँचा जाता है।

3. समस्या को पूर्ण करना- समस्या का प्रकृति के अनुसार छात्र सूचनाओं, सिद्धान्तों कारणों आदि का संग्रह करते हैं, इसके बाद उनका संगठन एवं विश्लेषण करते हैं। शिक्षक समस्या समाधान हेतु पथ-प्रदर्शन नहीं करता, अपितु खोज एवं अध्ययन कार्यों तथा व्यक्तिगत एवं सामूहिक कठिनाइयों के समाधान में सहायता देता है।

4. समस्या का हल निकालना- छात्र समस्या से सम्बन्धित सामग्री का विश्लेषण करने के बाद उसका कोई उपयुक्त समाधान निकालते हैं।

5. समाधान का प्रयोग- छात्र समस्या का हल अथवा समाधान निकालने के बाद उनका प्रयोग जीवन में करते हैं।

समस्या समाधान के अनुदेशन के लिए पाँच सोपानों का अनुकरण किया जाता है जो ग्लेसर के बुनियादी शिक्षण प्रतिमान से सम्बन्धित हैं। इस प्रतिमान का विस्तृत वर्णन ‘शिक्षण के प्रतिमान’ नामक पाठ में विस्तार से किया जा चुका है।

समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान (Model of Problem Solving Teaching)

समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान शिक्षण के चिन्तन स्तर पर आधारित होता है। चिन्तन स्तर के शिक्षण के प्रवर्तक हण्ट है तथा इस स्तर के शिक्षण प्रतिमान को हण्ट शिक्षण प्रतिमान भी कहते हैं, इसमें मुख्य रूप से चार सोपानों का अनुसरण किया जाता है :

1. उद्देश्य,

2. संरचना :

(अ) डीवी की समस्यात्मक परिस्थिति,

(ब) कूट लेविन की समस्यात्मक परिस्थिति,

3. सामाजिक प्रणाली; एवं

4. मूल्यांकन प्रणाली।

समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना

वस्तुतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु पाठयोजना बनाना तथा शिक्षण करना-दोनों ही जटिल कार्य हे तथापि इसके लिए शिक्षक को पाठयोजना बनाते समय निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण करना चाहिए :

1. पूर्व योजना-

शिक्षक को सर्वप्रथम पाठ को भली-भाँति समझकर उस पर चिन्तन करना, समस्या के विभिन्न पहलुओं को लिखना,छात्रों को समस्या के प्रति जिज्ञासु बनाना चाहिए, इस समय शिक्षक योजना के निर्माता के रूप में कार्य करता है । जैसे नागरिकशास्त्र शिक्षण करते समय संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों में क्या अन्तर है ? संविधान निर्माताओं द्वारा इनके बीच अन्तर के लिए कौन-कौन से आधार निर्धारित किये ? यह मूल समस्या छात्रों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है । इससे छात्रों में मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के विषय में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।

यदि समस्या के प्रस्तुतीकरण के साथ छात्र व्यक्तिगत रूप से समस्या से सम्बन्धित नवीन विचारणीय बिन्दुओं को प्रस्तुत करें तो उनकी जिज्ञासाओं को भी नोट करना चाहिए।

2. शिक्षण प्रदान करना-

कक्षा में समस्या का प्रस्तुतीकरण करने के बाद शिक्षक छात्रों के समक्ष मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्वों पर कुछ प्रकाश डालेगा जिससे छात्रों में विषय के प्रति रुचि उत्पन्न होगी और वे अपनी प्रतिक्रियाएँ अभिव्यक्त करेंगे। शिक्षक का यह प्रयास होगा, कि छात्रों द्वारा प्रस्तुत अनेक समस्याओं में से केवल वह विषय से सम्बन्धित समस्याओं की ओर ही छात्रों को केन्द्रित करे। अब शिक्षक विभिन्न दृष्टिकोणों से चिन्तन करने के लिए छात्रों को उत्साहित करेगा कि वे कौन-कौन से कारक थे जिनके कारण संविधान में दो अलग-अलग अध्याय इस विषय से सम्बन्धित रखे गये।

इसके लिए छात्रों को भारत के संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारत एवं विश्व का इतिहास, सामाजिक ज्ञान तथा नागरिकशास्त्र की पुस्तकें, संविधान निर्मात्री सभा द्वारा व्यक्त किये गये विचार आदि विषय पढ़ने के लिए निर्देश देगा। छात्र प्रोत्साहित होकर रुचि के अनुसार अध्ययन करेंगे।

इस प्रकार शिक्षक छात्रों को विषयवस्तु से सम्बन्धित तथा अन्य सहायक सामग्री से सम्बन्धित सहायता प्रदान करेगा। इसके बाद छात्रों द्वारा अभिव्यक्त किये गये विषय से सम्बन्धित बिन्दुओं को संकलित किया जायेगा। इस समय शिक्षक की भूमिका एक आदर्श प्रबन्धक के रूप में होगी। संकलित विचारों पर संयुक्त रूप से विचार-विमर्श द्वारा समस्या के समाधान हेतु अनुमान निर्धारित किया जाता है।

अन्तिम चरण में जब विचार-विमर्श द्वारा मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच अन्तर का आधार छात्रों को ज्ञात हो जाता है, तो शिक्षक छात्रों से प्रश्न करता है, कि इन अधिकारों तथा नीति-निर्देशक तत्त्वों का संविधान में क्या स्थान है ? इन अधिकारों के साथ आपके क्या कर्त्तव्य हैं ? मानव जीवन के लिए यह कितने सार्थक सिद्ध हुए हैं ? इनमें कौन-कौन से दोष हैं ? इन दोषों के निवारणार्थ कौनसे उपाय हो सकते हैं ? आदि इन समस्याओं के चिन्तन से छात्र कुछ निष्कर्षों तक अवश्य पहुँचेंगे तथा भविष्य में आने वाली इन समस्याओं से सम्बन्धित आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक पहलुओं का निवारण करने में सक्षम होंगे। इस समय शिक्षक एक अच्छे मूल्यांकनकर्ता की भूमिका निभायेगा।

समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं

1. यह छात्रों को समस्याओं के समाधान के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है।

2. इसमें छात्र क्रियाशील रहता है तथा स्वयं सीखने का प्रयत्न करता है।

3. यह मानसिक कुशलताओं, धारणाओं, वृत्तियों तथा आदर्शों के विकास में सहायक होता है।

4. यह छात्रों को आत्मनिर्णय लेने में कुशल बनाता है।

5. इससे छात्रों की स्मरण-शक्ति के स्थान पर बुद्धि प्रखर होती है।

6. इसके द्वारा छात्रों में मौलिक चिन्तन का विकास होता है।

7. यह छात्रों में उदारता, सहिष्णुता और सहयोग जैसे गुणों का विकास करती है।

समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ

1. सभी विषयों को समस्याओं के आधार पर संगठित करना लाभदायक नहीं होता।

2. इसमें समय अधिक लगता है था छात्रों की प्रगति बहुत धीमी गति से होती है।

3. इसके अधिक प्रयोग से शिक्षण में नीरसता आ जाती है।

4. इसका प्रयोग केवल उच्च स्तर पर ही किया जा सकता है।

5. छात्र को समस्या का अनुभव करवाना तथा उसे स्पष्ट करना सरल नहीं है।

6. इसमें सामहिक वाद-विवाद को ही शिक्षण की प्रभावशाली व्यहरचना पाता जाता है।

7. इस शिक्षण में स्मृति तथा बोध स्तर के शिक्षण की भाँति किसी निश्चित कार्यक्रम का अनुसरण नहीं किया जा सकता।

8. इसमें छात्र तथा शिक्षकों के मध्य सम्बन्ध निकट के होते हैं। छात्र शिक्षक की आलोचना भी कर सकता है। निष्कर्षतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु छात्रों की आकाँक्षा का स्तर ऊँचा होना। चाहिए तथा उन्हें अपनी समस्या के प्रति संवेदनशील और उनके लिए चिन्तन का समुचित वातावरण होना चाहिए, तब ही यह शिक्षण सफल होगा।

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एल्गोरिथ्म क्या है – What is Algorithm in Hindi?

कलन-विधि (Eng. “Algorithm”) को Computer Science में एक महत्वपूर्ण टॉपिक के रूप में देखा जाता है। क्योंकि इसके उपयोग से Developers को बेहद कुशल और Error free programs विकसित करने में मदद मिलती है।

Algorithm kya hai hindi

शब्द, Algorithm का मतलब उन ‘ Series of Steps ‘ से है, जो किसी विशेष गणना (Computation) या कार्य (task) को पुरा करने या निष्पादित (execute) करने के लिये जिम्मेदार होते है। आगे हम एल्गोरिथ्म की परिभाषा को और विस्तार से समझेंगे।

मूल रूप से गणितीय समस्याओं (Mathematical problems) को हल करने के लिये इसको विकसित किया गया था। लेकिन वर्तमान में यह शब्द Computer Science के साथ दृढ़ता से जुड़ा है। आगे पोस्ट में आप एल्गोरिथ्म क्या है? (What is Algorithm in Hindi) उदाहरण के साथ समझेंगे।

Algorithm की परिभाषा

Algorithm , निर्देशों (Instructions) का एक सेट है, जो किसी समस्या (Problem) को हल करने की पूरी प्रकिया (Procedure) को परिभाषित करता है। इसका प्रमुख लक्ष्य अपेक्षित परिणाम (expected output) प्राप्त करना है। इसमें कई निरन्तर Steps होते है, जिनके समाप्त होने के बाद ही आउटपुट आता है।

इसे एक कप चाय (Tea) बनाने के उदाहरण से समझा जा सकता है:

स्टेप 1. केतली में पानी भरे स्टेप 2. पानी को उबाल लें स्टेप 3. केतली में चायपत्ती डालें स्टेप 4. कूटकर अदरक डालें. स्टेप 5. डेढ़ चम्मच चीनी डाले स्टेप 6. चाय को पकने दे स्टेप 7. चाय को छाने और कप में डाल दे।

जिस प्रकार एक कप चाय बनाने के लिये हमें उप्पर बताये गए Steps को बारी-बारी से निष्पादित (execute) करना होता है। ठीक उसी प्रकार Programming में किसी प्रकिया (Process) या कार्य (Task) को करने के लिये Algorithm लिखी जाती है, ताकि मनचाहा परिणाम (desired output) प्राप्त हो सके।

इसका उपयोग कई विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जिनमे कंप्यूटर साइंस और गणित मुख्य है। उदाहरण के लिए Search Algorithm, ये एक Step By Step प्रकिया है जिसका उपयोग Data structure के भीतर स्टोर वेब-पेज को पुनःप्राप्त करने के लिये किया जाता है।

इसके अलावा Encryption Algorithm, एक गणितीय प्रकिया (Mathematical procedure) है, जिसके उपयोग से किसी डेटा या मैसेज को इनकोड किया जाता है जिससे उसे पढ़ना या समझना मुश्किल है। इस तरह की Algorithm का उपयोग करके डेटा को अनधिकृत उपयोगकर्ताओं की पहुँच से दूर रखा जाता है।

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एल्गोरिथ्म के फाउंडर कौन है?

इसका एक लंबा इतिहास (History) है, परंतु वास्तविक शब्द “Algorithm” का परिचय पहली बार 9 वीं शताब्दी में हुआ। उस समय के फारसी गणितज्ञ, Abu Abdullah Muhammad ibn Musa Al-Khwarizmi को इसका फाउंडर माना जाता है। इन्हें बीजगणित के जनक (The Father of Algebra) के रूप में भी जाना जाता है।

Persian Mathematician Muhammad ibn Musa al-Khwarizmi

वास्तव में, Brahmagupta के काम पर ही Al-Khwarizmi को बनाया गया था। ब्रह्मगुप्त एक महान भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। इन दोनों महान व्यक्ति को तब प्रख्याति मिली जब Hindi-Arabic numerals का उपयोग करके उनके अंकगणितीय नियमों के Latin अनुवादों को संदर्भित करने के लिये ‘Algorism’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था।

इसके बाद 18 वीं शताब्दी के आसपास ‘Algorism’ शब्द आधुनिक “Algorithm” बन गया। अपने आधुनिक रूप में इसका उपयोग Calculation, Data Processing और Programming जैसे क्षेत्रों के अलावा दैनिक जीवन की समस्याओं को हल (Solve) करने के लिये भी बखूबी होता है। तो शब्द एल्गोरिथ्म, वो स्टेप बाइ स्टेप प्रोसेस है, जो किसी समस्या या कार्य को हल करने के लिये बनाई जाती है।

एल्गोरिथ्म के गुण – Properties of Algorithm

किसी भी प्रकिया को हम Algorithm नही कह सकते है। बल्कि एल्गोरिथ्म उपयोगी होनी चाहिए यानी उससे समस्या का समाधान निकलना चाहिये। ऐसा होने के लिये, एक एल्गोरिथ्म के कुछ गुण (Properties) होते है। अर्थात इसने नीचे बताये गए निन्म मानदंडों को पूरा करना चाहिए:

1) इनपुट (Input) : एक Algorithm में अच्छी तरह से परिभाषित इनपुट (Well-defined Input) होने चाहिए। इनपुट वो डेटा या जानकारी है, जिसे हम आउटपुट प्रदान करने के लिये दर्ज करते है।

2) आउटपुट (Output) : इसने आउटपुट का उत्पादन (Produced) करना चाहिए। अर्थात समस्या का सही समाधान (Solution) प्रदान करना चाहिये।

3) स्पष्टता (Unambiguous) : लिखा गया प्रत्येक निर्देश (Instruction) या Step स्पष्ट (Clear) होना चाहिये। प्रत्येक Steps के इनपुट/आउटपुट भी स्पष्ट होने चाहिये।

4) सीमाबद्धता (Finiteness) : इसका मतलब है, कि एल्गोरिथ्म में लिखे गए Steps एक सीमित संख्या (Finite number) के बाद समाप्त (terminate) होने चाहिये। समाप्त का मतलब है, आपको अपेक्षित आउटपुट मिलना चाहिये ना कि प्रोसेसिंग लूप में चलती रहे।

5) प्रभावशीलता (Effectiveness) : Algorithm को व्यवहारिक (Practical) होना चाहिए, ताकि उपलब्ध संसाधनों के साथ निर्देशों को निष्पादित करना सम्भव हो। अर्थात इसमें कोई अनावश्यक निर्देश (Unnecessary Instructions) नही होना चाहिए जो उसे अप्रभावी (Ineffective) बना दे।

6) भाषा स्वतंत्र (Language Independent) : निर्देश केवल सरल भाषा मे लिखे होने चाहिए। जिन्हें किसी भी Programming Language में लागू किया जा सके।

सम्बंधित पोस्ट – ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इसका कार्य

Algorithm के उदाहरण

Algorithm को लिखने के लिये विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है। आइये सबसे आसान उदाहरण से इसे समझते है।

Example 1 – Calculating the average for 3 numbers.

Example 2 – Find the largest among three different numbers entered by user.

क्या यह एक एल्गोरिथ्म होने के मानदंड (Criteria) को पूरा करता है:

  • एल्गोरिथ्म में इनपुट और आउटपुट को अच्छे से परिभाषित किया गया है।
  • प्रत्येक Step को स्प्ष्ट (clear) और सटीक अर्थ में दर्शाया गया है।
  • Steps की एक सीमित (finite) संख्या है। अर्थात Algorithm एक समय के बाद समाप्त (terminate) होती है।
  • Algorithm एक अपेक्षित आउटपुट का उत्पादन करती है। हमे अंत मे सही परिणाम (correct result) प्राप्त होता है।

एल्गोरिथ्म के प्रकार – Types of Algorithm

हालांकि इसके कई सारे प्रकार है, परन्तु जो सबसे बुनियादी प्रकार है उन्हें नीचे बताया गया है।

  • Simple Recursive Algorithms
  • Backtracking
  • Divide and Conquer
  • Dynamic Programming Algorithm
  • Greedy Algorithms
  • Branch and bound Method
  • Brute Force Algorithms
  • Randomized Algorithms

सम्बंधित पोस्ट – C Language क्या है और कैसे सीखे

संक्षेप में

किसी समस्या को हल करने के लिये एक लॉजिकल Step-By-Step विधि लिखना Algorithm कहलाता है। बिल्कुल आसान भाषा मे, Algorithm किसी समस्या को हल करने के लिये एक योजना (Plan) की तरह है। आमतौर पर इस शब्द का उपयोग गणितीय और कम्प्यूटेशनल समस्याओं को हल करने के लिये किया जाता है।

इसमें गणना (Calculations), तर्क (Reasoning) और डेटा प्रोसेसिंग (Data Processing) शामिल है। एल्गोरिथ्म लिखने के कई तरीके है। एक बार जब हमारे पास किसी समस्या के लिये Algorithm होती है, तो फिर हम उसे निष्पादित कर सकते है। इसको सामान्य English language, Pseudocode और Flowcharts में प्रस्तुत किया जा सकता है।

तो उम्मीद है, इस पोस्ट एल्गोरिथ्म क्या है? (What is Algorithm in Hindi) को पढ़कर आपको इसके बारे में जानकारी हो गयी होगी। टॉपिक से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया नीचे कमेंट कर हमें जरूर बताये। जानकारी ज्ञानवर्धक लगी हो तो इसे शेयर करना बिल्कुल न भूले।

15 thoughts on “एल्गोरिथ्म क्या है – What is Algorithm in Hindi?”

उत्पादन के विभिन्न तरीके क्या है ?फ्लोचार्ट का उपयोग करके विवरण दें। धन्यवाद

Mujhe ye packer bahut achcha laga

बहुत बढ़िया आपने बहुत अच्छी तरीके से सारी चीजें समझाइए.

धन्यवाद, सत्यम 😊

Bahut hi aasan tarike se smjhaya….

Types of algorithms detail

विजय, आपके सुझाव के लिए धन्यवाद। अल्गोरिथम के प्रकार को हम डिटेल में समझाने की कोशिश करेंगे।

Achha nhi hai usi usi word ko bar bar repeat kiya hai

Msahu, माफ़ी चाहेंगे, हम इसमें कैसे सुधार कर सकते है।

Nice guru ji😇

धन्यवाद, Sachin 😊 हमें ख़ुशी है, कि आपको जानकारी उपयोगी लगी।

Nice thanks bhaut achi hai so very much

Aman, आपका स्वागत है 😊

Me computer sikhan Aur banan chahta hu

Nandram, आप कंप्यूटर बेसिक से शुरू कीजिये।

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HindiMe

Algorithm क्या है और आसानी से कैसे लिखें?

शायद आपको पता नहीं होगा ऍल्गोरिथम क्या है (What is Algorithm in Hindi) और आपको अगर यह नहीं पता तो आपको Algorithm कैसे लिखें यह भी नहीं पता होगा. लेकिन आज मैं आपको, आपके दोनों सवालों के जवाब के साथ साथ कुछ और जानकारी देने की कोसिस करूँगा जो की Algorithm सम्बन्धी होगा। जिससे आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएँ वो भी हिंदी में।

Computer से कुछ कार्य कराने के लिए, Computer Program लिखे जाते हैं। अब Computer Program में हम बहुत सारे Steps लिखते हैं। जिन Steps को Computer Execute करता है और कार्य को ख़तम करता है। शब्द, Algorithm का मतलब उन ‘ Series of Steps ‘ से है, जो किसी विशेष गणना (Computation) या कार्य (task) को पुरा करने या निष्पादित (execute) करने के लिये जिम्मेदार होते है।

जब आप Computer को कुछ कार्य बताते हैं तब आप यह भी सोचते ही होंगे की कैसे Computer इन कार्य को करता है। इसके लिए हम इस्तमाल करते हैं Computer Algorithm. तो चलिए बिस्तर से जानते हैं के ऍल्गोरिथम क्या होता है ।

ऍल्गोरिथम क्या है (Algorithm in Hindi)

Algorithm (Al-go-rith-um) यह एक तरीक़ा है (Step by Step Process) या फिर यह एक Formula है। जो की एक Problem को Solve करता है। यह एक ऐसा Procedure है जिसमे सीमित नियम होते हैं, जिनको Instruction भी कहा जाता है।

Algorithm Kya Hai Hindi

जिन नियमों को एक के बाद एक लिखा जाता है और हर एक नियम(Steps) कुछ ना कुछ Operation को दर्शाते है. इन नियमों के जरिए Problem का Solution निकलते हैं।

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  • सॉफ्टवेयर क्‍या होता है
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Algorithm की परिभाषा

दुसरे सब्दों में कहें तो Algorithm किसी भी समस्या या Problem का समाधान निकलने की Step by Step प्रक्रिया है। अब और थोडा सरल भाषा में समझते हैं Algorithm में कुछ Steps होते हैं, जिनमे हर एक Step एक Operation को दर्शाता है।

एक Step शुरूवात करता है और आखिर में एक Step रहता है जो ख़तम करता है और इन दोनों Steps के बिच में और बहुत सारे Steps होते हैं जो अलग अलग कार्य करते हैं।

जैसे चावल बनाना यह आपकी Problem है. इस काम को ख़तम करने के लिए चलिए कुछ Steps लिखते हैं. पहले चावल को धोना होगा फिर, पानी गरम करो और पानी गरम करने के उसमे चावल डालना है और चावल के उबलने का इंतजार करना होगा।

10-15 मिनट में चावल बन के तयार. अब यहाँ  हर एक steps कुछ न कुछ Operation को Perform करते हैं. जैसे चावल धोना मतालब इसमें कचे चावल में पानी डालके धोया जाता है. ऐसे ही हर Steps में अलग अलग Operations होते हैं. देखिए यहाँ हम Problem को छोटे छोटे Steps में divide कर दिए यही तो है जिसको आपको सझना था।

Programming में Algorithm का इस्तमाल बहुत है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कैसे और कहाँ इनका इस्तमाल होता है।

एल्गोरिथ्म के फाउंडर कौन है?

इसका एक लंबा इतिहास (History) है, परंतु वास्तविक शब्द “Algorithm” का परिचय पहली बार 9 वीं शताब्दी में हुआ। उस समय के फारसी गणितज्ञ, Abu Abdullah Muhammad ibn Musa Al-Khwarizmi को इसका फाउंडर माना जाता है। इन्हें बीजगणित के जनक (The Father of Algebra) के रूप में भी जाना जाता है।

Algorithm का उपयोग / महत्व

Algorithm का इस्तमाल तो हर जगह है जैसे आप पने हर दिन की समस्याओं का जवाब भी आप इस Step by Step Process के जरिए निकाल सकते हो. Technically हम बोले तो ज्यदा इस्तमाल IT Industry, Business Model, Programming में किया जाता है.

Characteristics Of Algorithm in hindi

आपको पता ही है यह Algorithm एक Step by Step Procedure है. जो ये स्पस्ट करता है की Steps किस क्रम में Execute होंगे जिसे हमें Desired (आकांक्षा जनक) Output मिल सके. Algorithm को दो कारक के जरिए analyze  किया जाता है. जैसे Time और Space।

Time यह बताता है की Algorithm लिखने के लिए कितना समय लगेगा और Space से यह पता चलता है की कितने कम समय में हम लिख सकते हैं. अब इसके Characteristics  के बारे में बात करते हैं।

Unambiguous

जो भी अल्गोरिदम आप लिखें वह स्पष्ट और सठिक होना अति अवश्यक है. हर एक step या Line का कुछ Meaning होना चाहिए।

हर एक Algorithm कुछ सिमित Steps के अंदर ख़तम होना चाहिए. और हर step Finite यानि सिमित बार Repaet होना चाहिए. steps का Exection भी सिमित समय के लिए होना चाहिए. हर एक Step का कुछ कुछ न कुछ Meaning होना चाहिए।

हर Algorithm में O या फिर O से ज्यादा सठिक steps होने चाहिए।

जैसे हर Algorithm का Input Step होते हैं वैसे ही Algorithm का Output Step भी होना चाहिए. Output भी वही आना चाहिए जिसके लिए हम लिखे हैं।

Effectiveness

Time और Space से  Effectiveness का अंदाजा लगाया जाता है. अगर algorithm कम time और Space में लिखा जाता है. या फिर कम समय में Execute होता है और  कम Space में Run होता इसे ही Effectiveness कहते हैं।

Data structure के मुताबिक यह सब Important Categories होनी चाहिए.

  • Search -item को DATA Structure में Search आसानी से सर्च कर सकें.
  • Sort -एक लिस्ट को Order कर सके या Sorting कर सकें.
  • Insert – data Structure में algorithm को Insert कर सकें.
  • Update – AlGORITHM के जरिए Item को update करने की ख्यामता हो.
  • Delete – Algorithm से जो item data structure में है उसे Delete कर ने में असुविधा न हो.

Algorithm की Complexity

दो factors को ध्यान में रख के Algorithm की Complexity को Classify किया गया है. एक Time Complexity और दूसरा Space Complexity।

Time Complextiy :

Program को Run होने में जितना टाइम लगता है।

Space Complexity :

computer के अंदर Program को Execute होने के लिए जितना Space चाहिए उसे Space Complexity कहते हैं।

एल्गोरिथ्म के प्रकार – Types of Algorithm

हालांकि इसके कई सारे प्रकार है, परन्तु जो सबसे बुनियादी प्रकार है उन्हें नीचे बताया गया है।

  • Simple Recursive Algorithms
  • Backtracking
  • Divide and Conquer
  • Dynamic Programming Algorithm
  • Greedy Algorithms
  • Branch and bound Method
  • Brute Force Algorithms
  • Randomized Algorithms

Algorithm कैसे लिखें

इसको लिखना बड़ा ही आसान है आपको कुछ ज्यादा सिखने की आवस्यकता ही नहीं. आपको को पता होगा सुरुवात में एक उदहारण लिए थे जहाँ एक ex- था चाय कैसे बनानाते हैं।

उसी तरह आपको लिखना है Step by Step. Algorithm की जादा जरुरत Programming में होती है. आप Direct भी लिख सकते हो या आप कुछ rules का इस्तमाल करके भी लिख सकते  सकते हैं।

Rules जैसे Start, Input, Output, Read, Variable, Display, Stop . निचे दिए गए Example को एक बार देख लें जिसे आपको समझने में आसानी होगी।

Q1. दो Number को को enter करें और दोनों Numbers का Sum निकालें?

हर algorithm में सुरुवात में Start और अंत में Stop/End लिखें जैसे निचे लिखा गया है।

इसके बाद देखें की कितने Variables की जरुरत है या क्या Input करना है. जैसे निचे दो numbers को Sum करने के लिए 3 Variables चाहिए. Num1 पहले number के लिए Num2 दुसरे Number के लिए और sum variable Num1+num2 को Store करने के लिए. तो आपको इन variables के बारे में सोचें और लिखना सुरु करें।

अब कुछ steps ऐसे होंगे जहाँ हमें Arithmetic Operation जैसे +, -, ×, ÷ करने होंगे और कुछ Logical Operation जैसे Comparision Operation, True False, जीनका Output O (false) और 1 (True) होता है. Arithmetic तो आपको पता ही है (+, -, ×, ÷ ) और Logical का एक Example जैसे आपको जानना है. “Largest Number among 2 Number” तो यहाँ आप दोनों Numbers को Compare करोगे. इन Symbols का इस्तमाल कर के “>, <, >=, <=, !=”।

अब आखिर में जो Result आता है उसको आप Display लिख के Display कर सकते हैं और अंत Step में Stop या End लिख दें. अब इस उदाहरण को धयान से समझें।

Step 1 : Start  //स्टेप स्टार्ट हुआ

Step 2 : Declare variables num1, num2 and sum.    //num1, Num2, Sum वेरिएबल बनाएं जहाँ कोई भी संख्या स्टोर होगी

Step 3 : Read values num1 and num2.     //जब keyboard से Number enter होगा तो यहाँ read होगा

Step 4 : Add num1 and num2 and assign the result to sum. Sum=num1+num2   //दो numbers का जोड़, Sum में Store होगा

Step 5 : Display sum     //sum को Display करें

Step 6 : Stop //समाप्त

अब कुछ और उदहारण देख के समझने की कोसिस करें।

Step 1 . Start Step 2 . Read the number n Step 3 . [Initialize] i=1, fact=1 Step 4 . Repeat step 4 through 6 until i=n Step 5 . fact=fact*i Step 6 . i=i+1 Step 7 . Print fact Step 8 . Stop

आज आपने क्या सीखा

हमेसा से मेरी कोशिश रहती है की आपको सही और सठिक और पूर्ण Inforamtion आपको मिले. आशा करता हूँ आपको समझ आ गया होगा के ऍल्गोरिथम क्या है (Algorithm in Hindi) ।

शायद अगली  बार जब आप लिखो गे तो याद रखना इन कुछ बातों को- आप को Program में कितने Variable चाहिए और Compute क्या करना है. कोन कोन से Operation करने हैं. जिसे लिखने में आसानी होगी. कोसिस करने वालों की कभी हार नहीं होती।

आपसे यही उमीद है ये लेख पसंद आया होगा, कैसा लगा आप जरुर निचे बताइए. अगर अभी बी कोई सवाल आप पूछना चाहते हो तो निचे Comment Box में जरुर लिखे. कोई सुझाव या सलाह देना चाहते हो तो जरुर दीजिये जो हमारे लिए काफी उपयोगी हो।

About the Author

Sumit Singh

Sumit Singh

मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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आपने बहुत अच्छे से समझाया ओर अच्छा example दिया

धन्यवाद आपको आपके जीवन में कामयाबी मिले ।

Bahut Pardarshita aapkay content ki.

Bhut accha lga ho sake to Or saral me bhi samjhana thankyou………..

bahut hi saral bhasha me smjhaya …plz read my artical also!

Nice thanks you aap ne bahut hi valuable knowledge di

good guidence for me thankyou

This is a very smart proscsu of teaching so iam very happy because I understand this

Very nice explain thanku sir ji

Very informative and useful

Thank you so much sir

Hello sir am sajid and am Hsc passed but me aage padhai nhi kr saka lekin abhi me software engineering ki padhai krna chahta hun to plz aap mujhe Bta skte hy kaha se start krun kya subject lene honge mujhe plz reply fast sir thank you for algorithm in Hindi explain

Very nice and Thanks

Achha laga sir Mujhe algorithm pdf file send kar do sir

Thanku so much sir

Nice Explanation Thank you Brother

Tnks his a very easy difinition of algorithm in hindi

Thank you sir

Thnx for information

Excellent and thanks

Thank you so much sir my problem this solve.

Vvvvv. Good & Thanks

It’s very useful and understanding easily ways.

algorithm ka leap year

I like your way of explaining the topic.. It is very helpful.. Thank you so much

Very very very very very very very very best details of algorithm

very nice sir ji

gajab sar ji aap ne bahot achchi tarah se samjaaya

Thank you so much sir I shall understand

Dhanyavad sir jii

Dear Sir Kindly send notes of Data analysis and algorithm in hindi

Bahut badiya

usefull information for all

Hello Sir, Really nice info sir. me already pyle pdhke bhul chuka tha bt ye pdhne ke bad or jada smj aaa gya..o rn kbi bhulunga…………………. thanks a lot Sir

Welcome Akash ji.

Thankyou so much sir

मुझे तो एल्गोरिथम के बारे में पता ही नही था क्या होता है साझा करने के लिए धन्यवाद

Ek baar flow chart bhi dekh lijiye

बहुत ही उम्दा आर्टिकल लिखते है आप।

Hello Sir Apki Guest Post HindiMehelp me Padhi Meko Kaafi Pasand Aayi. Iske Liye Apka Thanks.

Thanks Madhu ji, sunkar bahut achha laga. Ye sab aap hi logon ka pyaar hai jo ki hame jyade se jyada likne ke liye prerit karta hai.

India is great. Thank you

bahut hi badiya or shandar. Thanks sir, share karne ke liye…

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  • WEB HOSTING

problem solving kya hota hai

BASIC COMPUTER TROUBLESHOOTING IN HINDI

Basic Computer Troubleshooting in Hindi

BASIC COMPUTER TROUBLESHOOTING IN HINDI – COMPUTER TROUBLESHOOTING हिंदी में.

Basic Computer Troubleshooting in Hindi . हेल्लो friends कैसे है आपलोग? आज मैं एक नये topic पर बात करेंगे और वो है, एकदम basic computer troubleshooting और वो भी काफी easy way में. जिससे सभी को समझने में काफी आसानी हो.

तो चलिए आगे देखते है और टॉपिक की शुरुवात करते है. जो है Basic Computer Troubleshooting in Hindi .

वैसे अगर हमारा computer चलते चलते बंद हो जाये या जब open करे तो न चले. इस condition में हम या तो technician के पास जाते है या shop पर cpu लेकर जाते है. इस तरह से हमारा system तो सही हो जाता है. लेकिन हम जानते है न इससे कितने time की बर्बादी होती है. उस समय में हम कितना सारा काम निपटा सकते है.

  • ब्लॉग का use कर के online पैसे कैसे कमाए?
  • कैसे जानेंगे की हमारे PC में virus है या नहीं?
  • कंप्यूटर या लैपटॉप के speed को कैसे बढ़ा सकते है?
  • Virus क्या होते है जानिए इनके types के बारे में?

तो ऐसे condition से बचने के लिए मैं कुछ basic troubleshoot के बारे में बताऊंगा. जिससे की आप अपने से भी अपने computer को ठीक कर पाए. और अपना समय और पैसा बचा पाए.

Basic Computer Troubleshooting in Hindi

Image of Basic Computer Troubleshooting in Hindi

जब भी हमलोग troubleshooting करते है तो एक बात का ध्यान जरुर रखे, और वो है इनफार्मेशन इकठा करना की वो problem कब और किस condition में start हुई होगी? तो सबसे पहले हमें problem को समझना है. तभी हम अपने computer का troubleshoot अच्छे से कर पाएंगे.

जैसे की computer में डिस्प्ले नहीं आ रहा हो. तो ऐसे में computer को बिना खोले कुछ बेसिक points को check करेंगे जो की निम्न है :

  • पावर सॉकेट में पावर है की नहीं ?
  • पावर स्विच ऑन है की नहीं ?
  • SMPS का power cable सही से लगा है की नहीं ?
  • क्या हमारा UPS On है?
  • AC supply की वोल्टेज को check करेंगे ?
  • Power cable को मल्टीमीटर से जांच लेंगे की proper work कर रहा है या नहीं ?
  • LED जल रहा है या नहीं ?
  • मॉनीटर का स्विच ऑन है की नहीं ?
  • SMPS का on/off switch को जांच लेंगे ?
  • SMPS का फैन चल रहा है या नहीं ?
  • मॉनिटर VGA cable सही से लगी है की नहीं ?
  • सीपीयू fan घूम रहा है या नहीं ?
  • Front panel connection की जांच करें कि वह सही से लगे हैं या नहीं?
  • SMPS के output voltage की जांच करें जैसे की power good वोल्टेज ATX power connector वोल्टेज की जांच करें|
  • मदरबोर्ड पर लगे सभी add on card की जांच कर लेंगे कि वह सही से लगे है या नहीं ?
  • RAM का connection proper हुआ है की नहीं ?
  • मदरबोर्ड कैबिनेट से शार्ट तो नहीं हो रहा है जैसे की बोर्ड कही physically कैबिनेट में टच तो नहीं हो रहा ?
  • हार्ड डिस्क के data cable सही से लगे हैं या नहीं जांच कर ले ?
  • अगर कोई बीप आ रही है तो उससे भी काफी आसानी से troubleshoot किया जा सकता है.

RAM से RELATED PROBLEM

अगर RAM से related problem है तो उस condition में हमारे computer में नो डिस्प्ले आएगा. तो उसके लिए हमें RAM को निकाल कर अच्छे से उसके golden वाले part को साफ करना होगा. उसको साफ करने के लिए सबसे अच्छा होता eraser. जिससे golden वाले part को अच्छे से रगर के साफ करना होता है. keylogger क्या है इससे कैसे बचा जा सकता है जानिए डिटेल्स में.

उसके बाद आपके computer में डिस्प्ले show करने लगेगा. अगर इससे भी न आये तो उस golden वाले part को Iso-propyle solution से साफ करके लगाये.

Basic Computer Troubleshooting in Hindi

जरूर पढ़े:  

  • Bar Code technology क्या है?
  • Laptop की बैटरी की life कैसे बढ़ाये ?
  • Frrite bead का use laptop के चार्जर में क्यों किया जाता है ?
  • Laptop का WiFi password कैसे जानेगे ?

CPU से RELATED PROBLEM

वैसे तो processor बहुत कम ही खराब होते है ज्यादातर computers में problem का main reason होता है उसमे सही तरह से  Configuration का न होना. हमारा computer start तो हो जाता है लेकिन कुछ कुछ समय पर restart या ऑफ हो जाता है. तो ऐसे में कुछ points तो हम check करेंगे जैसे :

Basic Computer Troubleshooting in Hindi

  • CPU fan घूम रहा है या नहीं.
  • अपने CPU के voltage की जाँच करेंगे.
  • CPU के उपर अच्छे से heat सिंक लगा है या नहीं.
  • अगर heat सिंक लगा है तो उसके और processor के बिच में थर्मल paste लगा है की नहीं.

SMPS से RELATED PROBLEM

Computer पूरी तरह dead है या इसमें किसी भी तरह की कोई LED glow नहीं कर रही है तब निम्न step को देखेंगे :

  • सबसे पहले तो अपने Wall socket को check कर लेंगे की उसमे power आ रही है या नहीं .
  • उसके बाद power cable को digital multimeter से continuity के लिए check करेंगे की cable में problem तो नहीं है.
  • अगर cable भी सही है तो उसके बाद का step है की हमे कैबिनेट खोलके SMPS को check करना होगा
  • अब SMPS में ATX connector के green और black cable को short करा कर देखेंगे अगर short करने पर SMPS का fan on हो जाये इसका मतलब हमारा SMPS सही है

smps ka troubleshoot

  • अगर short करने पर SMPS का fan न चले तो इसका मतलब ये नहीं की SMPS ख़राब है, उसके बाद SMPS के cable का voltage एक एक करके check कर लेंगे. जैसे yellow के लिए +12V red के लिए +5V और ऑरेंज के लिए +3.3V अगर ये आएगा तो इसका मतलब है SMPS सही है. उसका fan ख़राब होगा.
  • SMPS के ATX connector में Voilet कलर के cable को +5V के लिए check कर लेंगे. जो की stand by mode में होते है. अगर ये बताये तो भी हमारा SMPS सही है.

हार्ड डिस्क से RELATED PROBLEM

अगर हार्ड डिस्क हमारे computer में डिटेक्ट न हो तो निम्न step को follow करेंगे :

  • सबसे पहले तो BIOS सेटिंग में जाकर देखेंगे की वहां पर HDD का सेटिंग first boot device पर set है की नहीं.
  • HDD का सेटिंग Enable or Disable के लिए check करेंगे.
  • HDD के power cable को अच्छे से check कर लेंगे की ठीक से लगा है या नहीं.
  • हार्ड डिस्क के data cable की connectivity को अच्छे से देख लेंगे.
  • HDD के jumper setting देख लेंगे की सही से लगा है की नहीं.

hdd rapairing

BEST PC REPAIR TOOLKITS

Basic Computer Troubleshooting जानने के बाद आपलोग को अच्छे टूल्स की भी जरुरत पड़ेगी. इसलिए मै आपलोगों को ये भी बताने वाला हु की कौन सा टूलकिट use करना सही होगा. मैंने जितने भी निचे toolkit के बारे में बताया हूँ. वो लगभग सारे मै पर्सनली use कर चूका हूँ या बहुत कर भी रहा हु.

जिनका site पर परफॉरमेंस काफी ही अच्छा रहता है. आपलोग एक बार निचे दिए link पर जाकर देखे. और अच्छा लगे तो खरीद कर अपना खुद का business जल्द से जल्द शुरू करे. ताकि आपलोग अपने पैरो पर खड़ा हो सके. और अपने लिए नए मुकाम हाशिल कर पाए.

BEST COMPUTER HARDWARE TOOLKIT

  • Screw Driver Set – Check the Price
  • Digital Multimeter – Check the Price
  • Debug Card – Check the Price
  • Blower – Check the Price
  • Tweezer Set – Check the Price
  • ESD Band – Check the Price
  • Soldering Iron – Check the Price
  • Nose Plier – Check the Price
  • Insulation Tape – Check the Price

COMPUTER NETWORKING TOOLKIT

  • Cable Tester – Check the Price
  • Crimping Tool – Check the Price
  • RJ-45 Connector – Check the Price
  • Wire Cutter – Check the Price
  • Cable Tie – Check the Price

नोट : उपर में जितने भी टूल्स के बारे में बताया हूँ. वो सारे एक बेसिक टूल्स है जिससे आप अपना business स्टार्ट कर सकते है. बस कुछ पैसा लगा कर. मै बहुत जल्दी आपलोग के लिए एडवांस टूल्स के बारे में भी बताने वाला हूँ. आप हमारे साथ बने रहे और ऐसे जानकारी पाते रहे.

ये सारे लिस्ट में सबसे अच्छा टूल के बारे में बताया गया है. जो काफी अच्छे quality के बने है और long lasting चलने वाले है.

  • Online Class करने के advantage और disadvantage के बारे में जानिए?
  • एंड्राइड के microphone के प्रॉब्लम को कैसे fix करे?

CONCLUSION:

दोस्तों आशा करता हु आज आपलोगों को ये पोस्ट जरुर बढ़िया लगा होगा. क्योंकि इसमें Basic Computer Troubleshooting के बारे में बताया गया है जिससे की आपलोग अपने बेसिक problem को ठीक करने में मदद मिलेगी. अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगे तो इसको आगे share करना न भूले.

और कुछ सुझाव लगे तो हमें जरुर बताये. जिससे मैं अपना ब्लॉग में और कुछ सुधार कर पाऊं. और आगे का पोस्ट और बेहतर तरीके से आपलोगों के सामने ला पाऊं.

Thank You!!!

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कंप्यूटर की समस्याएं और उन्हें कैसे ठीक करें | Computer problems & its solutions

computer problems & solutions

हेल्लो पाठकों !

क्या आप जानना चाहते है, कंप्यूटर में किया किया समस्याएं (Problems) आता है और आप खुद से कैसे उन समस्याओं को हल (solve) कर सकते है।

अगर आपके कंप्यूटर में भी कुछ समस्या है और उन समस्याओं का हल खोज रहे हैं तो आपको इस पोस्ट में स्वागत हैं ।

आज हर कोई कंप्यूटर को अपने दैनिक जीवन के कार्य को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करता हैं । कंप्यूटर को हम शिक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग से लेकर मनोरंजन तक हर क्षेत्र में इस्तेमाल कर रहे हैं ।

जैसे जैसे कंप्यूटर का इस्तेमाल बड़ रहा है, एैसे ही कंप्यूटरं में विभिन्न प्रकार के नई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं ।

इन सब को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट को लिखा है, और आशा करता हॅु कि अगर आपने इस पोस्ट को अच्छे से पड़ लिया तो आप खुद से आपके कंप्यूटर में आने वाले लगभग सभी समस्या को अच्छे से हल कर पायेंगे ।

सबसे पहले में आपको समझाऊंगा कंप्यूटर में समस्याएं आती क्यों है, इसके बाद आप जान पायेंगे आमतौर पर कंप्यूटर में किया किया समस्याएं आते है और अंत में आप सीखेंगे उन समस्याओं को आप खुद से कैसे हल कर सकते हैं।

तो चलिए शुरू करते है ।

Table of Contents

कंप्यूटर में समस्याएं क्यों आती है – Why Computer problems arise ?

हम सभी अपने दैनिक जीवन में कंप्यूटर का उपयोग करते समय कंप्यूटर में विभिन्न प्रकार के समस्याओं का सामना करते हैं, जो हमें बहुत निराश करते है।

आमतौर पर सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर में कुछ छोटा मोटा खराबी के कारण कंप्यूटर में विभिन्न प्रकार के समस्याएं उत्पन्न होती है ।

कंप्यूटर में किया किया समस्याएं आते है -Common Computer Problems ?

  • Computer won’t  turn on
  • Computer becoming Slow
  • Blue Screen of Death
  • Computer starts but Screen is Blank
  • Windows won’t boot
  • The screen is frozen

Overheating

Strange noises.

  • System automatically restart

Windows update problem

कंप्यूटर की समस्याओं को कैसे ठीक करें – how to fix computer problem  .

चलिए आपको कंप्यूटर में आने वाले हर एक समस्याओं ;च्तवइसमउेद्ध को कैसे आप हल कर सकते है बिस्तार से समझाता हुॅ ।

कंप्यूटर चालू नहीं होना (Computer won’t turn on)

कोई भी इंसान अगर कंप्यूटर से जुड़े कार्य करता है तो इस समस्या का सामना कम से कम एक बार तो जरूर किया होगा । यह एक आम समस्या है जो लगभग हर कंप्यूटर यूजर को एक न एक बार तो सामना करना पड़ता है ।

अगर आपने आपके कंप्यूटर का पावर बटन को चालू किया लेकिन आपका कंप्यूटर चालू नहीं हो रहा है तो इसके कई कारण हो सकतो है ।

आमतौर पर इसका चार कारण होते है, यह चारों समस्या क्या है और उनके समाधान करने के लिए नीचे दिए गए सुझाव का अनुसरण करके आप अपने कंप्यूटर को फिर से चालु कर सकते है ।

समाधान (Solution) :-

1. पावर साप्लाई में प्रॉब्लम

सबसे पहले आप आपके कंप्यूटर ;डेस्कटॉप या लैपटॉपद्ध का पावर सप्लाई को चैक करें ? अगर आपका के एक कंप्यूटर लैपटॉप है तो इसका बेटारी क्या चार्ज हो रहा है, और डेस्कटॉप है तो क्या ैडच्ै से सही से पावर आ रहा है ।

इन दोनो चीजों को सही से चैक करके आपके कंप्यूटर को फिर से चालू करें, अगर पावर का समस्या हो तो आषा करता हु की आपका समस्या हल हो गया होगा ।

2. मॉनिटर अथवा डिस्प्ले में प्रॉब्लम

यदि आप देखते है कि आपके कंप्यूटर में पावर साप्लाई तो सही से मिल रहा है, लेकिन फिर भी आपका कंप्यूटर चालू नही हो रहा है, तो इसका मतलब मॉनिटर या डिस्प्ले का समस्या हो सकता है ।

पावर साप्लाई को पूरी तरह से डिस्कनेक्ट करें और फिर से जोड़ने का प्रयास करें ।

3. अन्य हार्डवेयर में प्रॉब्लम

यदि उपर में दर्षायें गये दोनो कारणों को चैक करने के बाद भी आपका कंप्यूटर चालू नहीं हो रहा है तो आपके कंप्यूटर में लगे अन्य हार्डवेयर पूरजों को चेक करें कि वह सही से लगे है या उनमें कोई कमी है ।

ऐसा करने के बाद आप आपके कंप्यूटर को फिर से चालू करें यह देखने के लिए की आपका कंप्यूटर काम कर रहा है या नहीं ।

अब तक आपने हार्डवेयर के बारे में पूरे चैक कर लिया है, अगर इसके बाद भी आपका कंप्यूटर चालू नहीं हो रहा है तो इसका मतलब आपके कंप्यूटर में सॉफटवेयर प्रोब्लेम है ।

4. ऑपरेटिंग सिस्टम या सॉफटवेयर में प्रॉब्लम

जब आपके कंप्यूटर खुल ही नहीं रहा तो आप कैसे सॉफटवेयर समस्या को चैक करेंगे । इसका सबसे आसान तरिका यह है कि आप आपके कंप्यूटर में फिर से नई ऑपरेटिंग सिस्टम को इंस्टॉल करें जिससे आपको सब कुछ वापस सामान्य करने में मदद करेगा ।

आशा करता हु कि उपर दिये गऐ तरिकों से आप आपके कंप्यूटर फिर से चालू कर लिया होगा ।

कंप्यूटर की स्पीड कम होना – Computer is very Slow

यह एक और कंप्यूटर में देखे जाने वाले समस्या है जिसका लोग अपने दैनिक जीवन में सामना करते हैं ।

कंप्यूटर खरीदने के बाद जैसे जैसे एक या दो साल बीत जाता हैं तो कंप्यूटर का स्पीड कम होने लगता है । अगर आपके साथ भी यह हो रहा है तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए इस बारे में निचे विस्तार से समझाया हु ।

कंप्यूटर की गति में सुधार कैसे करें (How to improve computer speed)

कंप्यूटर की स्पीड बढ़ाने के लिए कई कार्य हमेसा करना जरूरी होता हैं जैये आपके कंप्यूटर की मेमोरी अैर स्टोरेज को बड़ाना आदी। अगर आप नीचे दिए गए कुछ सरल सुझावों का अनुसरण करेंगे तो आप भी आपके कंप्यूटर की स्पीड बड़े आसानी से बढ़ा सकते हैं।

  • Uninstall unnecessary software
  • Delete Temporary Files
  • Use Disk Cleanup
  • Use Defragment and Optimize Drives
  • Improve the Memory (RAM size)
  • Change storage from HDD to SSD
  • Install Firewall/ Antivirus

ब्लू स्क्रीन डेथ का समस्या ( Blue Screen of Death problem)

ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ क्या है (What is Blue Screen of Death in Hindi)

इसका मतलब यह नहीं हैं की यह कंप्यूटर Death हो गया हैं। कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम कि और से देखे तो इसका मतलब है कि सब कुछ रुक सा गया है ।

इसका यह मतलब है कि फिलहाल के लिए न तो आप इस समस्या को बंद कर सकते हैं, न आप अपने कंप्यूटर को उचित तरीके से रीसेट नहीं कर सकते

कंप्यूटर में यह समस्या आमतौर पर एक बड़ी त्रुटि के कारण उत्पन्न होती है और यह इतनी गंभीर समस्या है कि इसे ठीक किये बिना आप अपने कंप्यूटर को सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर सकते है ।

BSOD को कई नाम से जाना जाता है जैसे “Full-screen error”, “Blue Screen”, “System Crash”, “Stop Error” । चलिए अब जानते है इसे ठीक कैसे करेंगे ।

ब्लू स्क्रीन डेथ को कैसे ठीक करें (How to fix Blue Screen of Death) ?

1. सबसे आखीर में आपने क्या बदलाव किया है

सबसे पहले आप अपने आप से ही पूछें कि आपने कंप्यूटर को बंद करने से ठीक पहले क्या कार्य किया था । किया आपने कंप्यूटर बंद करने से पहले कोई नया प्रोग्राम या हार्डवेयर का इंस्टोल किया है या कोई डाइवर को आपडेट किया है आदि ।

यदि आपका जबाव हॉ है तो इसका मतलब ब्लू स्क्रीन का कारण यह हो सकता है । इसलिए आपके द्वारा किए गए परिवर्तन को पहले जैसे कर दे और कंप्यूटर को फिर से पुन चालू करें ।

2. चैक करें कंप्यूटर अपडेट के लिए क्या पर्याप्त जगह है

अगर आपके कंप्यूटर के प्राथमिक विभाजन पर पर्याप्त खाली जगह न होने के कारण भी ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ हो सकता है । कंप्यूटर विशेषज्ञ आमतौर पर यह सलाह देते है कि कम से कम आपके कंप्यूटर में 10ः खाली जगह होना चाहिए ।

3. आपके कंप्यूटर की वायरस स्कैन करें

कई बार वायरस के बजे से भी ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ के समस्या आता है ।

4. Windows के सारे सर्विसेस अपडेट करें

Microsoft द्वारा नियमित रूप से ऑपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न सर्विस को अपडेट करते रहते है, लेकिन आपके सिस्टम उनके अनुसार अपडेट न होने के कारण भी ये समस्या आता है ।

5. हार्डवेयर डाइवर को अपडेट करें

जादा तर ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ के समस्या हार्डवेयर या डाइवर अपडेट न होने के कारण होते है । इसलिए डाइवर को अपडेट करने से आपका यह समस्या ठीक हो सकते हैं ।

6. BIOS सेटिंग्स को उसके डिफॉल्ट सेटिंन्स पर कर दे ।

BIOS सेटिंग्स को गलत कॉन्फिगर करने के कारण से भी ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ के समस्या दिखाई देता है ।

कंप्यूटर चालू है लेकिन डिस्प्ले पर कुछ नहीं है – Computer starts but screen remains Blank

मान लिया कि आपने पॉवर ऑन करके कंप्यूटर को चालू कर दिया लेकिन डिस्प्ले या मॉनिटर स्क्रीन पर कुछ भी नहीं आ रहा है, जबकि आप देख पा रहें है आपके सिस्टम में लाइट ऑन है, सिस्टम में लगे फैन चल रहा है और फैन चलने का आवाज भी सुन पा रहे है फिर भी आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है ।

आमतौर पर इसका मतलब कंप्यूटर और स्क्रीन के बीच कनेक्षन में कोई समस्या है ।

लेकिन इसके अलावा भी इस समस्या का कई कारण हो सकता हैं, जिसके बजे से आपके डिस्प्ले या मॉनिटर पर कुछ भी प्रदर्षित नहीं हो रहा हैं ।

अगर आप हमेसा कंप्यूटर में कार्य करते है तो आपको इस समस्या को किस किस तरीके से समाधान कर सकते है, इसका ज्ञान होना बहुत जरूरी है ।

चलिए जानते इस समस्या को कैसे हल कर सकते है ।

खाली स्क्रीन या डिस्प्ले पर कुछ नहीं का समाधान (How to fix Blank Screen/ no display in Hindi) ?

आमतौर पर इस समस्या का कई हो सकता है, इसमे आने वाले हर एक तरीके को नीचे विस्तार से जानकारी दिया है, आप इनको आजमा के इस समस्या का समाधान कर सकते हैं ।

  • Test your monitor
  • Check Power supply
  • Check fan noises and Beeps Sound
  • Reset the BIOS
  • Check HDMI/ Video Cable connections
  • Reseat internal components of computer
  • Connect to another monitor

विंडोज बूट नहीं होना – Windows won’t boot

मान लेते है आपने आपका कंप्यूटर चालू किया है लेकिन आपका विंडोज बूट नहीं हो रहा है जिस बजे से आपका कंप्यूटर चालू नहीं हो रहा है । ऐसे होने से आप निराश न हों, इस समस्या को कोई तरिके से हल कर सकते है ।

समाधान (Solution):-

आपके कंप्यूटर को पुनस्थापित करने और इसे फिर से शुरू करने के लिए निचे दिये गऐ सहायक युक्तियों और सुधारों का उपयोग करके आप इस समस्या का समाधान कर सकते है ।

  • इस समस्या को हल करने के लिए सेफ मोड का इस्तेमाल करें
  • कंप्यूटर में लगे अनावश्यक सभी USB उपकरणों को अनप्लग करें
  • मैलवेयर स्कैन को आजमाके देखे
  • सिस्टम रिस्टोर या स्टार्टअप रिपेयर का इस्तेमाल करके देखें
  • आपका सिस्टम के अंदर लगे हार्डवेयर को फिर से रीसेट करें

कंप्यूटर स्क्रीन जम जाना – The screen is frozen

यह एक एैसा कंप्यूटर समस्या है जिसमे कंप्यूटर के स्क्रीन जम जाता है, ऐसा होने पर आपके पास कंप्यूटर को रीबूट करने के अलावा और अन्य कोई विकल्प नहीं रहता ।

आमतौर पर कंप्यूटर स्क्रीन जम जाने का कारण होता है, अपर्याप्त मेमोरी, रजिस्ट्री में टकराव, सिस्टम फाइल गुम होना आदी होते है ।

यह समस्या होने से पावर बटर को तब तक दबाकर रखें जब तक कि कंप्पूटर बंद न हो जाए । इसके बाद फिर कंप्यूटर को रीस्टार्ट करें और सिस्टम को साफ करने का काम शुरू करें ताकि यह समस्या आपके कंप्यूटर में फिर से न हो ।

सिस्टम खुदसे पुनरारंभ होना – System automatically restart

हार्डवेयर फेलर या सिस्टम इस्टेबीलिटि के कारण आमतौर पर कंप्यूटर अपने आप रीबूट होते है ।

इसके अलावा इस समस्या का कई और कारण होते है जैसे रैम में प्रॉब्लम, हार्ड ड्राइव में प्रॉब्लम, पावर साप्लाई में प्रॉब्लम, ग्राफिक कार्ड या BIOS में प्रॉब्लम के बजे से भी होते है ।

इसलिए इसका एक सटीक कारण एकदम से बताना थोड़ा मुसकिल है, ज्यादातर मामलों में यह विंडोज अपडेट के बाद होता है । इस बजे से आपको नीचे दिए गऐ हर एक तरीका को जॉच करके देखना होगा ।

  • Delete bad registry files
  • Update windows
  • Update drivers
  • Checking hardware issues
  • Use antivirus or anti-malware tools

निष्कष – Conclusion

मुझे उम्मीद है कि इस लेख को अगर आपने अच्छे से पड़ लिया बिना किसी भाग को छोड़े तो आपने जान लिया होगा कंप्यूटर में किया किया समस्याएं आते है और आपने यह भी सीख लिया होगा उन सभी समस्याओं का समाधान या हल कैसे करते हैं ।

यदि फिर भी आपके मन में कंप्यूटर पर आने वाले समस्याओं के बारे में कोई भी सवाल या सूझाव है तो आप हमें बिना किसी हिचकिचाहट के कमेंट के जरिये सूचित कर सकते है । आपका बहुमूल्य कमेंट हमें हमारे इस पोस्ट एवं अगले पोस्ट को और बहेतर बनाने में मदद करेगा ।

अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे अपने करीबी दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों को जरूर सेयर करें ताकी आपके के साथ साथ वह भी कंप्यूटर की समस्याओं के बारे में जान पाऐ ।

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  • Social Work /

MSW Course क्या होता है?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 2, 2021

MSW kya hai

“Speak up if you want to bring change to the world” Dr. DaShanne की लिखी यह line social work के essence को बहुत अच्छी तरह से define करती है। एक social worker भी उन लोगों की आवाज बनता है, जो अपने दुख और भय के कारण अपनी परेशानी का सामना करने के लिए आवाज उठा सके। निस्वार्थ भाव से दुनिया को बदलने वालों में हमने Mother Teresa, Raja Ram Mohan Roy, Jane Addams, Dr. Anita Harbert आदि का नाम तो सुना ही होगा। यदि आप भी इनकी तरह एक social worker के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, तो MSW course की पढ़ाई करना आपके लिए best option है। MSW kya hai इसे detail में जानने के लिए हमारा यह blog पूरा जरूर पढ़ें। 

This Blog Includes:

Msw kya hai, msw के लिए eligibility , india में msw के लिए entrance exam, msw course के subjects , msw course में specialization, msw course के लिए skills , top universities abroad , top indian universities, msw course की पढ़ाई के बाद job & salary .

MSW (Masters in Social Work) social work में 2 वर्ष की professional master degree है । MSW की degree न केवल students को एक professional social worker बनाती है, बल्कि communication, leadership, teamwork और problem-solving abilities जैसी skills विकसित करने में भी मदद करती है। इस course में students को public health, community development, law district, state और national level पर मौजूद मुद्दों और समस्याओं को हल करने के लिए education दी जाती है। MSW course में social science, sociology, psychology, political science, economics जैसे विषय के उन सभी पहलुओं के बारे में सिखाया जाता है जो social welfare से जुड़े हुए हैं।  

भारत और विदेशों की universities से MSW की पढ़ाई करने के लिए students को सामान्य eligibility की आवश्यकता होती है। MSW के लिए मांगी जाने वाली eligibility नीचे दी गई है: 

  • कम से कम 12 साल की compulsory school education। 
  • High school और senior secondary school की marksheet।
  • Students के पास न्यूनतम 45%- 60% के साथ bachelor degree होनी चाहिए। 
  • India में MSW course में admission के लिए कुछ top universities entrance exam आयोजित करतीं हैं। आप अपनी चुनी हुई university द्वारा आयोजित exam को clear करके ही वहां admission के लिए eligible होंगे।
  • विदेश में MSW की पढ़ाई करने के लिए आपके पास एक अच्छा GMAT / GRE स्कोर होना चाहिए। 
  • विदेश में कुछ university द्वारा master degree के लिए 1-2 साल के work experience की भी मांग की जाती है। जो एक university से दूसरी university के लिए अलग-अलग हो सकता है। 
  • English Language Proficiency exams जैसे  IELTS/ TOEFL के score।
  • Statement of Purpose । 
  • Complete English essays । 
  • Recommendation letters or LOR s। 
  • Completed Current professional resume ।

India में MSW course के लिए कुछ top universities अपने स्तर पर entrance test आयोजित करते हैं। आइए नीचे दिए गए table के माध्यम से कुछ top universities और उनके द्वारा आयोजित entrance exams के बारे में जानते हैं।

MSW course एक social welfare course है। इसमें आपको समाज की समस्याओं के बारे में गहराई से जानकारी होनी चाहिए, तभी आप उसके लिए आवाज उठा सकते हैं और समस्या का समाधान कर सकते है। MSW kya hai में जानेंगे उसमें पढ़ाये जाने वाले subjects के बारे में:

  • Social Work Profession
  • Social Group Work
  • Social Case Work
  • Community Organization
  • Concurrent Field Work including Social Work Camp
  • Concurrent Field Work including Study Tour
  • Analysis of Indian Society
  • Social Policy, Planning & Development
  • Dynamics of Human Behaviour 
  • Social Work with Rural, Urban and Tribal Community
  • Study of Indian Economics
  • Social Work Approaches for Social Development
  • Study of Indian Constitution
  • Social Work and Social Justice
  • Social Work Research and Statistics
  • Social Work Administration
  • Personal & Professional Growth
  • Concurrent Field Work including Case Studies
  • Block Placement
  • Women & Child Development  
  • Labour Welfare & Legislation
  • Criminology & Correctional Administration
  • Human Resource Management
  • Introduction to Disaster Management
  • Medical & Psychiatric Social Work
  • Communication and Counselling
  • Concurrent Field Work including Summer Placement

हमने अक्सर देखा होगा, कुछ social workers बच्चों के हक़ के लिए आवाज उठाते हैं, कुछ महिलाओं के लिए तो वहीं कुछ गरीबों के लिए आवाज उठाते हैं। इसलिए आपको MSW में एक specialization को चुनना होता है, ताकि आप सही दिशा में आगे बढ़ सके। 

  • Human resource management
  • Family and child welfare
  • Medical social work
  • Personal management
  • Industrial relations
  • Rural and Urban Community Development
  • School social work
  • Labor welfare

Leadership के साथ-साथ social worker में कुछ और महत्वपूर्ण skills होनी चाहिए, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:

MSW course की पढ़ाई करवाने वाली top abroad universities की सूची नीचे दी गई है:

  • University of Michigan, USA 
  • Columbia University, USA
  • Lancaster University, UK 
  • Glasgow Caledonian University, Scotland 
  • Flinders University, Australia 
  • University of New South Wales, Australia  
  • University of Hong Kong, Hong Kong   
  • Florida International University, USA 
  • Durham University, UK 
  • Suffolk University, USA 

MSW course की पढ़ाई करवाने वाली top Indian universities की सूची नीचे दी गई है:

  • Mumbai University
  • Chandigarh University
  • Jamia Millia Islamia Delhi
  • Christ University
  • Indira Gandhi National Open University
  • Aligarh University
  • Maharaja Sayajirao University
  • Allahabad University
  • Osmania University
  • Punjab University Patiala
  • Annamalai University
  • Central University of Tamil Nadu
  • Gujarat University
  • Bangalore University
  • Guru Ghasidas University Bilaspur
  • Pondicherry University
  • Gautam Buddha University Delhi
  • Bundelkhand University Jhansi
  • Lucknow University
  • CSJMU Kanpur

Social work की field में students किसी NGO या organization के साथ मिलकर social welfare के लिए काम कर सकते हैं। इस field में entry level पर estimated average salary ₹3-4 लाख सालाना होती है। जो आपके बढ़ते experience और skills के साथ ₹7-12 लाख सालाना हो सकती है। MSW course की पढ़ाई के बाद कुछ लोकप्रिय job profile और उनकी average salary, glassdoor.co.in के अनुसार नीचे दी गई है: 

MSW course में students को लोगों को उनके जीवन में कठिन चुनौतियों से उभरने में मदद करने के बारे में सिखाया जाता है। इनमें poverty, addiction, unemployment, disability, abuse, mental illness आदि शामिल हैं। इस तरह आप दूसरों की मदद कर सकते हैं साथ ही आजकल social workers की भारी मांग है।

यदि आप social work में master degree हासिल करना चाहते हैं, तो इसे करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक UK है। UK में universities and colleges quality education पर ज़ोर देते हैं और MSW की बेहतरीन पढ़ाई कराई जाती है। इसके अलावा आप USA, Australia से भी MSW की पढ़ाई कर सकते हैं। 

नहीं, MSW एक masters degree course है। इसके लिए आपके पास social work या relevant field में bachelor’s degree होना आवश्यक है। 

MSW course के बाद job profile  1. Project Coordinator 2. Lecturer 3. Program Coordinator 4. Junior Research Fellow 5. District Consultant 6. Documentation and Communication Officer 7. Humanitarian Values and PMER Officer 8. Senior Manager – Human Resources

MSW course के लिए entrance exam: 1. Jamia Millia Islamia Entrance Test 2. TISSNET 3. PU-CET (PG) 4. DUET 5. BHU PET

MSW (Masters in Social Work) social work में 2 वर्ष की professional master degree है । MSW की degree न केवल students को एक professional social worker बनाती है, बल्कि communication, leadership, teamwork और problem-solving abilities जैसी skills विकसित करने में भी मदद करती है।

उम्मीद है, कि इस ब्लॉग ने आपको MSW kya hai के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की है। यदि आप विदेश में MSW course करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu experts के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 57 2000 पर कॉल कर बुक करें। 

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Computer Notes in Hindi

BFS (breadth first search) in hindi

Graph traversal in hindi:-.

graph traversal का अर्थ है ग्राफ के प्रत्येक node को visit करना. यहाँ पर हम दो प्रकार के traversal की बात करेंगे. जो कि निम्नलिखित है:- 1:- BFS (breadth first search)

2:- DFS (depth first search)

1:- BFS (breadth first search) in hindi:-

BFS ग्राफ डेटा स्ट्रक्चर को travers तथा search करने की एक अल्गोरिथम है.

इसका प्रयोग ग्राफ में shortest path को ढूँढने तथा puzzle गेम्स को solve करने के लिए किया जाता है.

डेटा स्ट्रक्चर में, BFS को implement करने के लिए queue का प्रयोग किया जाता है.

BFS में nodes को breadth wise (चौड़ाई से) visit किया जाता है.

BFS में पहले किसी भी एक node को visit किया जाता है तथा उसके बाद उसके adjacent (नजदीक) के नोड्स को visit किया जाता है. इसके बाद इन adjacent नोड के भी सभी adjacent node को विजिट किया जाता है. और यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि सभी nodes को विजिट नहीं कर लिया जाता है.

BFS algorithm:-

इसकी अल्गोरिथम को निम्नलिखित उदहारण के द्वारा समझते है. माना कि हमारे पास निम्नलिखित ग्राफ है जिसे हमें traverse करना है।

Bfs algorithm example

स्टेप 1:- queue को initialize किया जाता है.

problem solving kya hota hai

स्टेप 2: – सबसे पहले हम node A (शुरूआती नोड) को विजिट करते है और इसे visited मार्क करते है.

स्टेप 3: – इसके बाद हम A के adjacent nodes को देखते है. इसके adjacent नोड्स B, C तथा D है. इस चित्र में हम सबसे पहले B को विजिट करते है और उसे queue में रखते है.

Bfs adding B in the queue

स्टेप 4: – इसके बाद हम नोड A के adjacent node C को विजिट करते है और उसे queue में रखते है.

Adding node C in the queue

स्टेप 5:- इसके बाद A के अंतिम adjacent नोड D को विजिट करते है और उसे queue में रखते है.

Adding node D in the queue

स्टेप 6:- इसके बाद में A के कोई adjacent नोड नहीं बचे इसलिए हम B को queue से निकालते है और उसके adjacent को search करते है.

Removing B from queue

स्टेप 7:- नोड B का adjacent नोड E है तो हम E को विजिट करते है और उसे queue में रखते है.

Adding E in Queue

अब हमारे पास विजिट करने के लिए कोई भी नोड बही बचा है परन्तु हमें सभी nodes को queue से निकालना होगा. और जब queue खाली हो जायेगा तो प्रोग्राम समाप्त हो जायेगा.

निवेदन:- आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो हमें कमेंट के द्वारा बताइए तथा इसे अपने दोस्तों के साथ share करें. धन्यवाद.

11 thoughts on “BFS (breadth first search) in hindi”

primitive and non primitive data type

Welcome..keep studying

Mujhe primitive and non primitive data type chahiye

please sir mujhe depth first search k bare me notes

Plz provide-: B.T.C First semester computer notes in hindi

Ek topic pura likha kre aadha adhura n chore bad me alg jagh search karne me dikat aati h So plz plz ek topic Ko ek jagh par pura likhe THANKYOU

Sir please Give a note of all shorts with algorithms with average case wrost case and time complexity and space complexity in hindii….plz sir it’s argent..plz given in my email account

Excuse me sir mujhe shortest path algorithm k notes chahiye Hindi me.

Thank You Sir for explaining in the best way

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किडनी खराब (फेलियर): उपचार, प्रक्रिया, लागत और दुष्प्रभाव | Kidney Failure in Hindi

आखिरी अपडेट : Jun 27, 2023

किडनी फेलियर (किडनी खराब होना) क्या है?

किडनी फेलियर (गुर्दे की विफलता) वह स्थिति है जहां किडनी, रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग से निकालने में असमर्थ होती है। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कारको में पर्यावरण या दवाओं में मौजूद जहरीले तत्वों के संपर्क में आना, तीव्र या पुरानी बीमारी , किडनी को चोट पहुंचना और गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन की समस्या होना शामिल है।

किडनी फेलियर (किडनी खराब) के 5 चरण क्या हैं? | Stages of Kidney Failure in Hindi

ये हैं क्रोनिक किडनी फेल्योर के 5 चरण:

  • पहला चरण: इस चरण में किडनी को हल्का नुकसान होता है और कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन फिर भी अगर आपको कुछ बदलाव महसूस हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। पहले चरण में यदि ईजीआरएफ 90 से ऊपर है तो किडनी स्वस्थ है और ठीक से काम कर रही है। डॉक्टर मूत्र में मौजूद प्रोटीन के स्तर का परीक्षण करके प्रथम चरण की किडनी की बीमारी की जांच करते हैं।

चरण 1 किडनी की बीमारी को धीमा करने के लिए आपको ये चीजें करनी चाहिए:

  • डायबिटिक पेशेंट को ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए
  • ब्लड प्रेशर को बनाए रखें
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें
  • धूम्रपान या तंबाकू का सेवन न करें
  • नियमित व्यायाम करें
  • स्वस्थ जीवन शैली और उचित वजन रखें।
  • दूसरा चरण: किडनी की बीमारी के इस चरण में कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता है। इससे बेहद हल्के रूप में किडनी को नुकसान पहुंचता है। हालांकि किडनी को आगे चलकर कोई गंभीर नुकसान न पहुंचे इससे बचने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए। स्टेज 2 में ईजीआरएफ 60-89 के बीच होता है जिसका मतलब है कि किडनी अच्छी तरह से काम कर रही है और स्वस्थ है। इसके बावजूद भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। हालांकि ईजीआरएफ सामान्य होने पर भी मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन जैसी कुछ असामान्यताएं हो सकती हैं या किडनी को कोई नुकसान हो सकता है।

चरण 2 किडनी की बीमारी को धीमा करने के लिए आपको ये चीजें करनी चाहिए:

  • यदि आप डायबिटिक रोगी हैं तो अपने ब्लड-शुगर लेवल पर नियंत्रण रखें
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
  • स्वस्थ आहार लें
  • धूम्रपान या तंबाकू सा सेवन न करें
  • स्वस्थ जीवन शैली और वजन मेंटेन रखें
  • तीसरा चरण 3: तीसरे चरण के किडनी की बीमारी के दौरान किडनी मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है और ठीक से काम करना बंद कर देती है। स्टेज 3 किडनी डिजीज की दो स्टेज होती हैं जो स्टेज 3ए और स्टेज 3बी के नाम से जानी जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति स्टेज 3ए से पीड़ित है तो ईजीएफआर 45-59 के बीच होता है और अगर स्थिति स्टेज 3बी है तो ईजीआरएफ 30-40 के बीच होता है। स्टेज 3 किडनी की बीमारी व्यक्ति के शरीर में हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया और हड्डी की बीमारी जैसी बड़ी संख्या में जटिलताएं पैदा कर सकती है।

ये हैं स्टेज 3 किडनी की बीमारी के लक्षण:

  • पेशाब की समस्या
  • हाथ पैरों में सूजन
  • चौथा चरण 4: किडनी की बीमारी के चौथे चरण के दौरान, किडनी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है और ठीक से काम करना बंद कर देती है। स्टेज 4 किडनी की बीमारी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि यह पूरी किडनी फेल होने से पहले अंतिम चरण बन जाता है।

चौथे चरण में किडनी डैमेज होने से बचने के उपाय:

  • सर्वोत्तम उपचार प्राप्त करने के लिए किसी नेफ्रोलॉजिस्ट को नियमित रूप से दिखाएं।
  • आहार विशेषज्ञ से मिलें ताकि आप खुद को स्वस्थ रखने के लिए उचित आहार का पालन कर सकें।
  • ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की नियमित जांच करते रहें।
  • पांचवां चरण: इसका मतलब है कि किडनी की बीमारी अपने अंतिम चरण में है या फेल होने के बहुत करीब हैं। एक बार जब किडनी फेल हो रही होती है तो आप डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार होते हैं।
  • मांसपेशी में ऐंठन
  • मतली और उल्टी
  • सांस लेने में परेशानी
  • सोने में परेशानी

किडनी फेलियर के संकेत और लक्षण क्या हैं? | Kidney Failure Symptoms in Hindi

रीनल या किडनी फेलियर के लक्षण निम्न हैं:

  • भ्रम की स्थिति
  • थकान या थकावट
  • कोमा की एक अवस्था
  • पेशाब करने की इच्छा कम होना
  • शरीर के अंगों की सूजन
  • छाती में दर्द

किडनी फेलियर के अन्य कारण:

  • हार्ट डिजीज
  • पेट में जलन
  • एलर्जी रिएक्शन
  • लिवर की गंभीर जलन या निशान
  • सेप्सिस जैसे संक्रमण रोग
  • हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप ।
  • सूजनरोधी दवाएं जो किडनी में रक्त के प्रवाह को रोक सकती हैं
  • किडनी क्षेत्र के आसपास रक्त के थक्के
  • नशीली दवाओं और शराब का दुरुपयोग
  • वैस्कुलाइटिस यानी की रक्त वाहिकाओं की सूजन
  • कीमोथेरेपी दवाएं
  • मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर जो बोन मेरो क्षेत्र की प्लाज्मा कोशिकाओं में बढ़ता है
  • ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस यानी की किडनी की रक्त वाहिकाओं की सूजन
  • स्क्लेरोडर्मा और कुछ एंटीबायोटिक्स।

इन कारणों के अलावा भी कुछ कारक जो पेशाब की कठिनाइयों में योगदान कर सकते हैं, किडनी फेलियर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। मूत्र पथ क्षेत्र में रक्त के थक्के, किडनी में पथरी मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसों में चोट और बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण भी किडनी फेल सकती है।

जब आपकी किडनी खराब हो रही हो तो पेशाब का रंग कैसा होता है?

स्वास्थ्य मेज़रमेंट के सबसे उपेक्षित घटकों में से एक आपके मूत्र का रंग है। यह आपके किडनी के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बताता है। यहां कुछ रंग के संकेत दिए गए हैं जो आपको किडनी के स्वास्थ्य के बारे में बता सकते हैं:

  • साफ या हल्का पीला रंग बताता है कि आपकी किडनी पूरी तरह से काम कर रही है और आपका शरीर पूरी तरह से हाइड्रेटेड है। यह गंधहीन से लेकर हल्की गंध देने वाला हो सकता है, जो पिछले 24 घंटों में आपके सेवन पर भी निर्भर करता है।
  • गहरा पीला या एम्बर रंग पिछले 24 घंटों में डिहाइड्रेशन या अतिरिक्त चीनी या कैफीन के सेवन को इंगित करता है। यह एक चेतावनी संकेत है कि आपको अपने शरीर का ध्यान रखना चाहिए लेकिन इससे कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं होती है।
  • संतरा रंग किडनी में पित्त रस के संचार का संकेत हो सकता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह असुविधाजनक हो सकता है। आपका मूत्र नारंगी होने का एक और कारण गंभीर डिहाइड्रेशन है जो एक अच्छा संकेत नहीं है।
  • गुलाबी या लाल रंग या तो बहुत अधिक लाल या गुलाबी रंग के खाद्य पदार्थ जैसे चुकंदर या स्ट्रॉबेरी खाने का एक साइड इफेक्ट हो सकता है या तो आपके मूत्र में रक्त का संकेत हो सकता है। यदि आपके आहार में 24 घंटे के भीतर लाल रंग का कोई भी भोजन शामिल नहीं है, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
  • झागदार मूत्र किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। यह अतिरिक्त प्रोटीन का भी संकेत हो सकता है जो बड़े पैमाने पर लिवर की क्षति का कारण बन सकता है।

किडनी फेलियर का क्या कारण है? | Kidney Failure Causes in Hindi

किडनी फेलियर तब होती है जब अंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है और किडनी फेलियर के कई कारण या स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • किडनी में रक्त प्रवाह कम होना: अगर किडनी में अचानक से खून की कमी हो जाती है या किडनी में खून का बहाव रुक जाता है तो किडनी फेल होने को संभावना बढ़ाव जाती है। किडनी फेलियर के साथ कुछ और स्थितियां भी हो सकती हैं, जिनमें दिल का दौरा, हृदय रोग, डिहाइड्रेशन, जलन, एलर्जी, गंभीर संक्रमण , और लिवर फेल होना शामिल है।
  • मूत्र मार्ग के रोग: किडनी फेल के लिए मूत्र मार्ग में बाधा उत्पन्न करने वाले कुछ रोगों में प्रोस्टेट, कोलन, ग्रीवा और मूत्राशय की समस्याएं शामिल हैं।
  • पेशाब करने में परेशानी: पेशाब में बाधा उत्पन्न करने वाली परिस्थितियां जैसे किडनी में पथरी, बढ़े हुए प्रोस्टेट, मूत्र पथ में रक्त का थक्का या मूत्र पथ में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • अन्य समस्याएं: किडनी संक्रमण, ड्रग्स या अल्कोहल का अधिक सेवन, किडनी में विषाक्त पदार्थों का ओवरलोड, एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल, अप्रबंधित डायबिटीज और कीमोथेरेपी दवाएं भी किडनी फेल का बड़ा कारण हो सकती हैं।

आप किडनी फेल होने के कितने समय तक जीवित रह सकते हैं?

किडनी फेलियर के चरण और रोगी की शारीरिक व मानसिक स्थिति के साथ रिकवरी दर के आधार पर जीवन प्रत्याशा का निर्धारण किया जा सकता है। ऐसे मरीज डायलिसिस के बिना हफ्तों तक जीवित रह सकते हैं या डायलिसिस के साथ कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत चिकित्सा स्थिति पर निर्भर करता है।

किडनी फेलियर के अंतिम चरण में आप कितने समय तक जीवित रह सकते हैं?

यदि कोई व्यक्ति किडनी फेलियर से पीड़ित है और डायलिसिस के लिए नहीं जाता है तो वह लगभग एक वर्ष तक जीवित रह सकता है। लेकिन अगर कोई मरीज डायलिसिस बंद कर देता है तो उसकी एक या दो हफ्ते में मौत हो सकती है।

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किडनी फेलियर का इलाज कैसे किया जाता है? | Kidney Failure Treatment in Hindi

उपचार के चार विकल्प हैं जिनमें से रोगी चुन सकता है:

  • हेमोडायलिसिस: इस प्रक्रिया में मशीन युक्त फिल्टर का इस्तेमाल करके रक्त में मौजूद अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह विधि ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित रखने व रक्त में आवश्यक मिनरल्स जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम और बाइकार्बोनेट की मात्रा को संतुलित करने में मदद करती है।

इस मेथड में चिकित्सक प्रत्येक उपचार सत्र में रक्त की एक बड़ी मात्रा को छानने के लिए वाहिकाओं में एक एक्सेस पॉइंट बनाता है। इसके बाद एक अलग फिल्टर की मदद से रक्त को शरीर में वापस ले जाया जाता है। हालांकि हेमोडायलिसिस किडनी फेलियर की समस्या को ठीक नहीं कर सकता, लेकिन यह निश्चित रूप से अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है।

  • पेरिटोनियल डायलिसिस: यह मेथड शरीर में रक्त को फिल्टर करने और अपशिष्ट पदार्थों को खत्म करने के लिए बेली लाइनिंग का उपयोग करती है। हेमोडायलिसिस की तरह इस मेथड का उद्देश्य पेट के पेरिटोनियम अस्तर की मदद से शरीर से विषाक्त अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानना है। इस मेथड में सर्जन उपचार शुरू करने से कुछ सप्ताह पहले ही पेट में एक ट्यूब डालता है। इसे कैथेटर ट्यूब कहते हैं। यह ट्यूब स्थायी रूप से मरीज के पेट में ही रहती है।

उपचार के दौरान एक डायलिसिस सॉल्यूशन बैग को ट्यूब के माध्यम से पेट में स्थानांतरित किया जाता है। यह घोल मरीज के शरीर में रहता है और जहरीले रसायनों व अतिरिक्त तरल पदार्थ को सोख लेता है। कुछ समय बाद डायलिसिस का घोल ट्यूब या कैथेटर के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है।

  • किडनी प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट): यह एक ऐसी सर्जरी है जिसमें क्षतिग्रस्त किडनी के स्थान पर स्वस्थ किडनी को लगाया जाता है। यह नई किडनी या तो किसी मृत व्यक्ति से या फिर किसी जीवित व्यक्ति से प्राप्त की जाती है। पहले मामले में, किडनी को मृत डोनर किडनी और दूसरे मामले को जीवित डोनर किडनी कहा जाता है। प्रत्यारोपित किडनी को सर्जन द्वारा उदर क्षेत्र के निचले हिस्से में लगाया जाता है और धमनी से जोड़ा जाता है।
  • कन्सर्वटिव प्रबंधन विधि: चौथी और आखिरी विधि जो किडनी खराब होने के कारणों जैसे एनीमिया की स्थिति का इलाज करने के लिए डायलिसिस या प्रत्यारोपण के बजाय दवाओं का उपयोग कर पूरी की जाती है।

किडनी फेलियर ( किडनी खराब ) के उपचार के लिए कौन पात्र है?

ऐसे मरीज जो किडनी फेलियर के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और किडनी की कार्य क्षमता लगभग 80 प्रतिशत कम हो गई है, किडनी का इलाज कराने के लिए पात्र हैं। इसके अलावा ऐसे मरीज जिनके ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन दर 15 या उससे अधिक है, वे डायलिसिस उपचार (हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस) कराने के योग्य हैं। जो लोग क्रोनिक किडनी फेलियर से पीड़ित हैं और पहले से ही डायलिसिस उपचार पर हैं, वे किडनी ट्रांसप्लांट करा सकते हैं।

किडनी फेलियर ( किडनी खराब ) के उपचार के लिए कौन पात्र नहीं है?

जिन रोगियों की आयु 70 वर्ष से अधिक है और जांच में पता चला है कि वे किडनी फेलियर के उन्नत चरण में हैं, वे कन्सर्वटिव प्रबंधन उपचार विकल्प के लिए पात्र नहीं हैं। उनके लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट उपचार ही आवश्यक है।

क्या किडनी फेलियर को ठीक किया जा सकता है?

किडनी फेलियर का कोई स्थायी इलाज नहीं है। हालांकि कुछ दवाओं व उपचार पद्धति के जरिए इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। उपचार का तरीका पूरी तरह से किडनी रोग के स्तर और रिकवरी दर पर निर्भर करता है।

क्या किडनी खुद को ठीक कर सकती है?

हां, अगर किडनी स्वस्थ स्थिति में है, तो उसे ठीक किया जा सकता है। किडनी फेलियर के शुरुआती चरणों में, क्षति हल्की से मध्यम होती है जिसे दवा, चिकित्सा, स्वस्थ आहार और घरेलू उपचार की मदद से ठीक किया जा सकता है।

क्या कोई भी दुष्प्रभाव हैं?

  • हेमोडायलिसिस उपचार के सामान्य दुष्प्रभाव में सेप्सिस , लो ब्लड प्रेशर, खुजली, हर्निया, वजन बढ़ना, मांसपेशियों में ऐंठन और पेरिटोनिटिस जैसे संक्रमण शामिल हैं। जबकि डायनियल पीडी-1 या पेरिटोनियल डायलिसिस सॉल्यूशन लेने के बाद ज्यादातर मरीज जिन दुष्प्रभावों से पीड़ित होते हैं, उनमें रक्तस्राव, पेरिटोनिटिस, कैथेटर ब्लॉकेज, पेट में ऐंठन, कैथेटर वाली जगह के आसपास संक्रमण और शरीर में उच्च या निम्न रक्त की मात्रा होती है।
  • किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी से संक्रमण, रक्त के थक्के, रक्तस्राव, रिसाव या किडनी को मूत्राशय से जोड़ने वाली ट्यूब में रुकावट, दिल के दौरे या संभावित स्ट्रोक जैसी विभिन्न जटिलताएं हो सकती हैं। इसके अलावा इससे मौत भी हो सकती है। डोनेट की गई किडनी भी फेल हो सकती है या मरीज द्वारा अस्वीकार की जा सकती है। डोनेट की गई किडनी को अस्वीकार करने से बचाने लिए मरीज को कई दवाएं दी जाती हैं।
  • एंटी-रिजेक्शन ड्रग्स के कारण होने वाले साइड इफेक्ट्स में हाई ब्लड प्रेशर, वजन बढ़ना, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मुंहासे, ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोनेक्रोसिस, बालों के विकास में या बालों के झड़ने में वृद्धि और एडिमा (पफनेस) शामिल है। इन साइड इफेक्ट से बचने के लिए किडनी फेलियर के आयुर्वेदिक उपचार का विकल्प भी चुन सकते हैं।

किडनी फेलियर के जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?

क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम उत्पन्न करने वाले कारक

क्रोनिक किडनी रोग की जटिलताएं

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का नष्ट होना
  • शुष्क त्वचा या त्वचा का रंग परिवर्तित होना
  • फ्लूइड रिटेंशन
  • हाइपरकेलीमिया यानी रक्त में पोटेशियम का स्तर बढ़ना
  • कामेच्छा की कमी
  • पुरुषों में स्तंभन दोष
  • हड्डियां कमजोर होना
  • पेरिकार्डिटिस यानी दिल की अंदरूनी परत की सूजन
  • पेट में अल्सर होना
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक प्रणाली

किडनी फेलियर ( किडनी खराब )के उपचार के बाद दिशानिर्देश क्या हैं?

किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के दौरान आपको कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। सर्जरी के बाद आपको एक ट्रांसप्लांट यूनिट पर लगभग पांच से सात दिन बिताने होते है। शरीर द्वारा डोनर किडनी के किसी भी संक्रमण और अस्वीकृति के मामले में भी आपको निगरानी में रखा जाता है। इस समय आपको इन संभावनाओं के खिलाफ एहतियात के तौर पर कई एंटी-रिजेक्शन ड्रग्स लेने की आवश्यकता होती है।

किडनी फेलियर ( किडनी खराब )ठीक होने में कितना समय लगता है?

किडनी डायलिसिस उपचार से ठीक होने का समय प्रत्येक रोगी के लिए अलग-अलग होता है। आमतौर पर यह 2 घंटे से 12 घंटे के बीच होता है। अन्य मामलों में इसमें और भी अधिक समय लग सकता है।

किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद ठीक होने में लगभग तीन से आठ सप्ताह का समय लग सकता है। इसके बाद रोगी सामान्य गतिविधियों को दोबारा शुरू कर सकता है। ऐसे रोगी जिनका किडनी ट्रांसप्लांट केवल छह सप्ताह के बाद हुआ हो, उन्हें व्यायाम के साथ-साथ भारी वस्तुओं को उठाने की सिफारिश की जाती है।

भारत में किडनी फेलियर के इलाज की लागत क्या है?

हेमोडायलिसिस उपचार की लागत लगभग 12,000-15,000 भारतीय रुपये प्रति माह है जहां उन्हें हर महीने 12 हेमोडायलिसिस सत्र के लिए जाना पड़ता है। पेरिटोनियल डायलिसिस के मामले में हर महीने लगभग 18,000- 20,000 रुपये लगते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए हर साल लगभग 2-3 लाख रुपये लगते है और एंटी-रिजेक्शन दवाओं की कीमत लगभग 1000-2000 रुपये है।

क्या किडनी खराब के उपचार के परिणाम स्थायी हैं?

डायलिसिस के लिए इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इसके परिणाम स्थायी होते हैं या नहीं, 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए या जो पहले से ही क्रोनिक किडनी विकार के उन्नत चरण में हैं, उन्हें डायलिसिस उपचार या कन्सर्वटिव प्रबंधन उपचार विफल होने की स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जाना पड़ सकता है। इसी तरह, जिन लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, उनके शरीर द्वारा डोनर किडनी अस्वीकृति का सामना करने की संभावना रहती है।

किडनी फेलियर को कैसे रोकें?

किडनी की रोकथाम के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं:

  • यदि आप कोई दवा ले रहे हैं तो आपको निर्देशों का पालन करना चाहिए और दवा को बहुत अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। इससे शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ सकता है। इस प्रकार यह किडनी को ओवरलोड कर देता है और किडनी फेलियर का कारण बन सकता है।
  • किडनी को सही तरीके से मैनेज करना चाहिए। किडनी फेल होने के ज्यादातर मामले तब होते हैं जब मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया जाता है।
  • किडनी को मैनेज करने के लिए आप स्वस्थ जीवनशैली, डॉक्टर की सलाह का गंभीरता से पालन कर, दवा का अधिक मात्रा में न लेकर निर्धारित मात्रा में लें और ब्लड प्रेशर व डायबिटीज को नियंत्रण में रखकर किडनी को स्वस्थ्य रख सकते हैं।

किडनी फेलियर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छा आहार क्या है?

किडनी फेलियर से पीड़ित लोगों के लिए यह सर्वोत्तम आहार है:

  • टेबल सॉल्ट या सोडियम के सेवन से बचना चाहिए।
  • नमक के स्थान पर अन्य मसालों और जड़ी बूटियों को आजमाना चाहिए।
  • पैक्ड फूड नहीं खाने से बचना चाहिए। इनमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है।
  • डिब्बाबंद सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लें।

क्या ढेर सारा पानी पीना किडनी के लिए अच्छा है?

पानी के सेवन के बारे में सबसे आम गलतफहमियों में से एक इसकी मात्रा है। आठ गिलास पानी सबके काम नहीं आता, हर किसी की पानी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।

किडनी खराब होने की स्थिति में कम पानी पीना बेहतर है। प्रत्येक चरण के साथ आपकी फ़िल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है जिससे तरल को संसाधित करना कठिन हो जाता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार पानी पीने की सलाह दी जाती है, खासकर डायलिसिस के दौरान पानी निश्चित मात्रा में ही पीना चाहिए।

क्या बेकिंग सोडा किडनी फेलियर को उलट सकता है?

बेकिंग सोडा, जिसे सोडियम बाइकार्बोनेट के रूप में भी जाना जाता है। यह किडनी खराब होने की स्थिति में रिकवरी प्रक्रिया को तेज करने में मददगार साबित हुआ है। बेकिंग सोडा क्षति की गति को कम करता है और डायलिसिस होने की संभावना को भी कम करता है। बेकिंग सोडा किसी अन्य अंग को कोई और नुकसान नहीं पहंचाता है, यहां तक ​​कि हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों को भी यह कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।

किडनी खराब के उपचार के विकल्प क्या हैं?

यदि आपको क्रोनिक किडनी डिसऑर्डर का निदान किया जाता है, तो आप चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में कुछ घरेलू उपचारों का पालन कर सकते हैं। डॉक्टर आपको एक विशेष आहार अपनाने की सलाह देंगे, जहां आपको नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचने के लिए कहा जाता है। साथ ही, आपको प्रति दिन प्रोटीन का सेवन सीमित करने के लिए कहा जाता है और कम पोटैशियम की मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।

मैं स्वाभाविक रूप से अपने किडनी की रिपेयर कैसे करा सकता हूं?

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं:

  • हाइड्रेटेड रहें: अपनी किडनी को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त पानी पिएं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, औसत स्वस्थ वयस्क के लिए उपयुक्त पानी की सामान्य मात्रा 8 गिलास है। हालांकि, प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ज़रूरतों और व्यक्तिगत कार्यों के आधार पर यह बदल सकती है।
  • सही भोजन करें: अधिक चीनी, कैफीन, मसाले और तेल वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करने से किडनी को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। बहुत सारे ताजे खाद्य पदार्थ और सब्जियां खाने से भी फायदा होता है।
  • टैबलेट लेने से बचें: अधिक मौखिक गोलियों से बचें। मल्टीविटामिन को पारित करने से मुश्किल हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप किडनी में पथरी या डिहाइड्रेशन हो सकता है।
  • व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। अधिक वजन आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है जिससे आपकी किडनी पर दबाव पड़ता है। यह आपके इम्यून सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में भी मदद करता है जो बाहरी बैक्टीरिया को दूर रखता है।
सारांश: किडनी फेलियर को अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों के कारण घातक स्थिति के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो कि किडनी को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण तरल पदार्थ को संसाधित करना मुश्किल हो जाता है। भले ही इसका कोई इलाज नहीं है, फिर भी कोई भी चिकित्सा सहायता और घरेलू उपचार के माध्यम से लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।
  • Kidney Failure- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 06 August 2019]. Available from: https://medlineplus.gov/kidneyfailure.html
  • Kidney Failure (ESRD) Causes, Symptoms, & Treatments- American Kidney Fund [Internet]. kidneyfund.org 2019 [Cited 06 August 2019]. Available from: http://www.kidneyfund.org/kidney-disease/kidney-failure/
  • Choosing a Treatment for Kidney Failure- NIH, National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases [Internet]. niddk.nih.gov 2018 [Cited 05 August 2019]. Available from: https://www.niddk.nih.gov/health-information/kidney-disease/kidney-failure/choosing-treatment

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